हिन्दी साहित्य – कथा कहानी ☆ लघुकथा – जो डर गया सो मर गया ☆ डॉ कुंवर प्रेमिल ☆

डॉ कुंवर प्रेमिल

(संस्कारधानी जबलपुर के वरिष्ठतम साहित्यकार डॉ कुंवर प्रेमिल जी को  विगत 50 वर्षों  से लघुकथा, कहानी, व्यंग्य में सतत लेखन का अनुभव हैं। अब तक 350 से अधिक लघुकथाएं रचित एवं ग्यारह  पुस्तकें प्रकाशित। 2009 से प्रतिनिधि लघुकथाएं (वार्षिक) का सम्पादन एवं ककुभ पत्रिका का प्रकाशन और सम्पादन।  आपकी लघुकथा ‘पूर्वाभ्यास’ को उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय, जलगांव के द्वितीय वर्ष स्नातक पाठ्यक्रम सत्र 2019-20 में शामिल किया गया है। वरिष्ठतम  साहित्यकारों  की पीढ़ी ने  उम्र के इस पड़ाव पर आने तक जीवन की कई  सामाजिक समस्याओं से स्वयं की पीढ़ी  एवं आने वाली पीढ़ियों को बचाकर वर्तमान तक का लम्बा सफर तय किया है,जो कदाचित उनकी रचनाओं में झलकता है। हम लोग इस पीढ़ी का आशीर्वाद पाकर कृतज्ञ हैं।  आपने लघु कथा को लेकर कई  प्रयोग किये हैं। आज प्रस्तुत है आपकी कोरोना महामारी के समय की एक लघुकथा ‘‘जो डर गया सो मर गया)

☆ लघुकथा – जो डर गया सो मर गया ☆ डॉ. कुंवर प्रेमिल 

(संदर्भ-कोरोना)

एकाएक मेरी नींद उचट गई। पूरा बदन पसीना पसीना हो गया, ऐसा लगा जैसे मुख्य दरवाजे पर एक साहीनुमा कटीला सा खतरनाक जीव दरवाजा फलांगने की असफल कोशिश कर रहा था।

पूरे परिसर में उसकी सरसराहट गूंज रही थी। उसकी शक्ल टीवी में दिखाए गए कोरोना वायरस से हुबहू मेल खा रही थी।

मैंने चीख मार दी थी। मेरे साथ पूरा घर चीखें मारने लगा।

तभी एक आदमी बगल से निकल कर उसे लाठी लेकर खदेड़ने लगा। वह जीव फिर पार्क की दीवार फांद गया। वहां पहले से ही कुछ एक आदमी खड़े थे। उन से डर कर वह खतरनाक जीव पेड़ों पर चढ़ गया। पेड़ों पर पहले से ही और भी खतरनाक जीव चढ गए थे।

मोहल्ले के बहुतेरे लोग इकट्ठे होकर चिल्ला रहे थे—मारो–

मारो सालों को—डरो मत–

ये डरने से और डराएंगे।

जो डर गया सो मर गया—अरे जो डर गया सो मर गया।

© डॉ कुँवर प्रेमिल

संपादक प्रतिनिधि लघुकथाएं

संपर्क – एम आई जी -8, विजय नगर, जबलपुर – 482 002 मध्यप्रदेश मोबाइल 9301822782

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 176 ☆ शिवोऽहम् ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी । ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

💥 महादेव साधना सम्पन्न हुई। अगली साधना की सूचना आपको शीघ्र दी जाएगी 💥

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

☆  संजय उवाच # 176 शिवोऽहम् ?

।। चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम्।।

गुरु द्वारा परिचय पूछे जाने पर बाल्यावस्था में जगद्गुरु आदि शंकराचार्य द्वारा दिया गया उत्तर निर्वाण षटकम् कहलाया। वेद और वेदांतों का मानो सार है निर्वाण षटकम्। इसका पहला श्लोक कहता है,

मनोबुद्ध्यहङ्कार चित्तानि नाहं

न च श्रोत्रजिह्वे न च घ्राणनेत्रे ।

न च व्योम भूमिर्न तेजो न वायुः

चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ॥

मैं न मन हूँ, न बुद्धि, न ही अहंकार। मैं न श्रवणेंद्रिय (कान) हूँ, न स्वादेंद्रिय (जीभ), न घ्राणेंद्रिय (नाक) न ही दृश्येंद्रिय (आँखें)। मैं न आकाश हूँ, न पृथ्वी, न अग्नि, न ही वायु। मैं सदा शुद्ध आनंदमय चेतन हूँ, मैं शिव हूँ, मैं शिव हूँ।

मनुष्य का अपेक्षित अस्तित्व शुद्ध आनंदमय चेतन ही है। आनंद से परमानंद की ओर जाने के लिए, चिदानंद से सच्चिदानंद की ओर जाने के लिए साधन है मनुष्य जीवन।

सर्वसामान्य मान्यता है कि यह यात्रा कठिन है। असामान्य यथार्थ यह  कि यही यात्रा सरल  है।

इस यात्रा को समझने के लिए वेदांतसार का सहारा लेते हैं जो कहता है कि अंत:करण और बहि:करण, इंद्रिय निग्रह के दो प्रकार हैं।  मन, बुद्धि और अहंकार अंत:करण में समाहित हैं। स्वाभाविक है कि अंत:करण की इंद्रियाँ देखी नहीं जा सकतीं, केवल अनुभव की जा सकती हैं। संकल्प- विकल्प की वृत्ति अर्थात मन, निश्चय-निर्णय की वृत्ति अर्थात बुद्धि एवं स्वार्थ-संकुचित भाव की वृत्ति अर्थात अंहकार। इच्छित का हठ करनेवाले मन, संशय निवारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाली बुद्धि और अपने तक सीमित रहनेवाले अहंकार की परिधि में मनुष्य के अस्तित्व को समेटने का प्रयास हास्यास्पद है।

बहि:करण की दस इंद्रियाँ हैं। इनमें से चार इंद्रियों आँख, नाक, कान, जीभ तक मनुष्य जीवन को बांध देना और अधिक हास्यास्पद है।

सनातन दर्शन में जिसे अपरा चेतना कहा गया है, उसमें निर्वाण षटकम् के पहले श्लोक में निर्दिष्ट आकाश, भूमि, अग्नि, वायु, मन, बुद्धि, अहंकार जैसे स्थूल और सूक्ष्म दोनों तत्व सम्मिलित हैं। अपरा प्रकृति केवल जड़ पदार्थ या शव ही जन सकती है। परा चेतना या परम तत्व या चेतन तत्व या आत्मा का साथ ही उसे चैतन्य कर सकता है, चित्त में आनंद उपजा सकता है, चिदानंद कर सकता है।

आनंद प्राप्ति में दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है। दृष्टिकोण में थोड़ा-सा परिवर्तन, जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन लाता है। मनुष्य का अहंकार जब उसे भास कराने लगता है कि उसमें सब हैं, तो यह भास, उसे घमंड से चूर कर देता है। दृष्टिकोण में परिवर्तन हो जाए तो वह धन, पद, कीर्ति पाता तो है पर उसके अहंकार से बचा रहता है। वह सबमें खुद को देखने लगता है। सबका दुख, उसका दुख होता है। सबका सुख, उसका सुख होता है। वह ‘मैं’ से ऊपर उठ जाता है।

यूँ विचार करें करें कि जब कोई कहता है ‘मैं’ तो किसे सम्बोधित कर रहा होता है? स्वाभाविक है कि यह यह ‘मैं’ स्थूल रूप से दिखती देह है। तथापि यदि आत्मा न हो, चेतन स्वरूप न हो तो देह तो शव है। शव तो स्वयं को सम्बोधित नहीं कर सकता। चिदानंद चैतन्य, शव को शिव करता है  और जगद्गुरु आदि शंकराचार्य के शब्द सृष्टि में चेतनस्वरूप की उपस्थिति का सत्य, सनातन प्रमाण बन जाते हैं।

इसीलिए कहा गया है, ‘शिवोहम्’,..मैं शिव हूँ..’मैं’ से शव का नहीं शिव का बोध होना चाहिए। यह बोध मानसपटल पर उतर आए तो यात्रा बहुत सरल हो जाती है।

यात्रा सरल हो या जटिल, इसमें अभ्यास की बड़ी भूमिका है। अभ्यास के पहले चरण में निरंतर बोलते, सुनते, गुनते रहिए, ‘शिवोऽहम्।’

© संजय भारद्वाज 

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय संपादक– हम लोग पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆   ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media # 128 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain Pravin Raghuvanshi, NM

? Anonymous Litterateur of Social Media# 128 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 128) ?

Captain Pravin Raghuvanshi —an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. He was involved in various Artificial Intelligence and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’.

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc. Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi.  He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper.  The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Award and C-in-C Commendation.

Captain Pravin Raghuvanshi is also an IIM Ahmedabad alumnus. His latest quest involves social media, which is filled with rich anonymous literature of nameless writers, shared on different platforms, like, WhatsApp / Facebook / Twitter / Your quotes / Instagram etc. in Hindi and Urdu, he has taken the mantle of translating them as a mission for the enjoyment of the global readers. Enjoy some of the Urdu poetry couplets as translated by him.

हम ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए आदरणीय कैप्टेन प्रवीण रघुवंशी जी के “कविता पाठ” का लिंक साझा कर रहे हैं। कृपया आत्मसात करें।

फेसबुक पेज लिंक  >>कैप्टेन प्रवीण रघुवंशी जी का “कविता पाठ” 

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 128 ?

☆☆☆☆☆

ऐ पूछने वाले, तेरा

तहे दिल से शुक्रिया,

दर्द तो अब भी बाकी है,

मगर पहले से कम…!

☆☆ 

O’ asker, thank you from

the bottom of my heart…

Though the pain is still there,

but much less than before…!

☆☆☆☆☆

☆☆ Just couldn’t care less… ☆☆

मैं थक गया था बेवजह लोगों

की परवाह करते करते,

जब से बेखबर हुआ हूँ सबसे,

तमाम सुकून है अब जिंदगी में…!

☆☆ 

I was unnecessarily tired of

caring too much for the people…

Ever since became unmindful of them,

peace has descended in my life…!

☆☆☆☆☆

ये हवा यूँ ही ख़ाक छानती

फिरती  है  यहाँ,

या इसकी भी कोई चीज

खो  गई  है  यहाँ..!

☆☆

The wind just  wanders

around here aimlessly…

Or it, too, has lost

something around here..!

☆☆☆☆☆

अभी तो ये रौशनी सिर्फ

दो कदम  ही  गई  थी…

पर ना जाने किसकी नज़र

दीये  को  लग  गई ..!

☆☆

Light has not even started

dispelling the darkness

Someone has cast his

evil eye on the lamp…!

☆☆☆☆☆

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 127 ☆ सॉनेट ~ शुभेच्छा ~ ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी द्वारा रचित  सॉनेट “~ शुभेच्छा ~”)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 127 ☆ 

सॉनेट ~ शुभेच्छा ~ ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

नहीं अन्य की, निज त्रुटि लेखें।

दोष मुक्त हो सकें ईश! हम।

सद्गुण औरों से नित सीखें।।

काम करें निष्काम सदा हम।।

नहीं सफलता पा खुश ज्यादा।

नहीं विफल हो वरें हताशा।

फिर फिर कोशिश खुद से वादा।।

पल पल मन में पले नवाशा।।

श्रम सीकर से नित्य नहाएँ।

बाधा से लड़ कदम बढ़ाएँ।

कर संतोष सदा सुख पाएँ।।

प्रभु के प्रति आभार जताएँ।।

आत्मदीप जल सब तम हर ले।

जग जग में उजियारा कर दे।।

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

१८-२-२०२२, जबलपुर

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आत्मानंद साहित्य #156 ☆ भोजपुरी गीत  – नेह के बाती ☆ श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद” ☆

श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – आत्मानंद साहित्य# 156 ☆

☆ भोजपुरी गीत  – नेह के बाती ☆ श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद” ☆

दीप दुआरे अंगना बारा,

जरै नेह के बाती से।

जगमग जोत जरै घर आंगन,

प्रेमवां उपजै छाती से।

 

छप्पर छानी   महल अटारी,  

कहीं अन्हेरिया रहि ना जाय।

आपस में मिल खुशी मनावा,

जाति धरम से बाहर आय।।

दीप दुआरे अंगना… ।।०१।।

 

ओकर घर उंजियार करा,

जेकरे घर  में अन्हियारा बा।

भईया बना सहारा ओकर,   

जेकरे नाहीं सहारा बा।

साथे साथे खुशी मनावा,  

बाटा आउर मिठाई।

औ दुश्मन  के भी गले लगावा,  

हिया मिला के भाई।।

दीप दुआरे…।।०२।।

 

जब अइसन माहौल बनी,

त सच में खुशी मनइबा।

थोड़ा थोड़ा खुशी बांट के,

जादा खुशी तूं पइबा।

सबके आशीर्वाद से,  

जिनगी, तोहार बन जाई।।

दीप दुआरे…।।०३।।

© सूबेदार  पांडेय “आत्मानंद”

(1-09-2021)

संपर्क – ग्राम जमसार, सिंधोरा बाज़ार, वाराणसी – 221208, मोबा—6387407266

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ साहित्य की दुनिया ☆ प्रस्तुति – श्री कमलेश भारतीय ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय  🌹

(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है । देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)

राजकमल प्रकाशन की ओर से पांच दिवसीय किताब उत्सव  और साहित्यिक विचार चर्चा  – चंडीगढ़ मे राजकमल प्रकाशन की ओर से पांच दिवसीय किताब उत्सव  और साहित्यिक विचार चर्चा का आयोजन किया गया। इसमें एक दिन बहुत ही विचारोत्तेजक विचार  चर्चा की गयी जिसका विषय रहा –आजादी किस मोल पर ! इसमें प्रतिभागी रहे – तरसेम गुजराल, बलवंत कौर, गुरुदेव सिंह, सुमेल सिंह सिद्धू और कृष्ण कुमार। यह बात सामने आई कि – आजादी के समय विभिन्न हमारी मजबूरी रही लेकिन उसके बाद कितनी कीमत हमने चुकाई है या चुकानी होगी ? तब विभाजन एक था, अब विभाजन अनेक हैं और अनेक तरह के हैं, अनेक रूप हैं विभाजन के !

राजकमल प्रकाशन का यह किताब उत्सव सराहनीय प्रयास कहा जा सकता है जिसके माध्यम से शहर दर शहर पुस्तक संस्कृति से स्कूली छात्रों को भी जोड़ा जा रहा है। एक जानकारी के अनुसार किताबें भी खूब बिकीं। आखिर चंडीगढ़ की बात ही कुछ और है !

इंडिया नेटबुक्स एवं बीपीए फाउंडेशन की ओर से पुरस्कारों की घोषणा  – चित्रा मुद्गल को शिखर सम्मान

साहित्य में पुरस्कारों का मौसम आया है। इंडिया नेटबुक्स एवं बीपीए फाउंडेशन की ओर से पुरस्कारों की घोषणा की गयी है। इसमें वेदव्यास शिखर सम्मान प्रसिद्ध कथाकार चित्रा मुद्गल को दिये जाने की घोषणा की गयी है।

पुरस्कारों के चयन के लिए इस वर्ष की चयन समिति में श्रीमती ममता कालिया, सर्वश्री हरिसुमन विष्ट,  प्रेम जनमेजय, राजेश कुमार, लालित्य ललित, प्रभात शुक्ला, डा. मनोरमा आदि शामिल थे, जिसने इन पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। पुरस्कारों के संयोजक डॉ संजीव कुमार ने बताया कि इस वर्ष का शिखर सम्मान-वेद व्यास सम्मान-श्रीमती चित्रा मुद्गल को दिया जायेगा और वागीश्वरी सम्मान के लिए श्री प्रताप सहगल को नामित किया गया है। इसके अतिरिक्त विभिन्न सम्मान हैं। जिनमें साहित्य विभूषण सम्मानों के लिए

सर्वश्री फारुक अफ़रीदी, गिरीश पंकज, राहुल देव, मुकेश भारद्वाज और प्रबोध कुमार गोविल का चयन किया गया है।

ये दुख का विषय है कि समाज रत्न पुरस्कार के लिए चयनित राजूरकर राज को दिये जाने की घोषणा की गयी लेकिन वे इस दुनिया से विदा हो गये। सम्मान समारोह नोएडा में 12 मार्च को आयोजित किया जायेगा।

ग्रामोद्योग महोत्सव , हिसार – ग्रामोद्योग में गांधी ही नदारद। हरियाणा के हिसार में ग्रामोद्योग महोत्सव का आयोजन किया गया। हर तरफ खादी, कुटीर उद्योग के स्टाॅल लगे लेकिन नहीं मिले तो गांधी जिनका बीज मंत्र ही ग्रामोद्योग का आधार है। कोई गांधी साहित्य नहीं ! क्या इस तरह ग्रामोद्योग महोत्सव की कल्पना की जा सकती है ? आयोजकों के इस रवैये पर हैरानी हो रही है।

साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (20 फरवरी से 26 फरवरी 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (20 फरवरी से 26 फरवरी 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

आज मैं 20 फरवरी से 26 फरवरी 2023 अर्थात विक्रम संवत 2079 शक संवत 1944 के फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या से फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल की चर्चा करने जा रहा हूँ। 

रहीम दास जी ने कहा है कि :-

रहिमन’ चुप ह्वै बैठिए, देखि दिनन को फेर ।

जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ॥

इसका अर्थ है कि जब दिन खराब हों, आपके काम ना हो रहे हो तो शांत होकर बैठना चाहिए ।क्योंकि जैसे ही अच्छे दिन आएंगे आपके सभी कार्य तत्काल होने लगेंगे । इस सप्ताह में आपके  अच्छे और बुरे दिन के बारे में इस सप्ताहिक राशिफल के माध्यम से मैं आपको बताने जा रहा हूं ।

 इस सप्ताह प्रारंभ में चंद्रमा कुंभ राशि रहेगा। इसके उपरांत मीन और मेष से गोचर करता हुआ दिनांक 26 को 2:38 दिन से वृष राशि में प्रवेश करेगा । इस पूरे सप्ताह सूर्य और शनि कुंभ राशि में रहेंगे । मंगल वृष राशि में , बुद्ध मकर में , गुरु और शुक्र मीन राशि में तथा राहु मेष राशि में गोचर करेंगे ।

 आइए अब  हम राशिवार  राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

कचहरी के कार्यों में सफलता मिलने का योग है ।खर्च बढ़ेगा ।  धन आने का योग है। संतान से सहयोग प्राप्त होगा । भाग्य ठीक-ठाक साथ देगा ।दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें । व्यापार ठीक चलेगा । मानसिक शांति में थोड़ी बाधा आ सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 24 25 और 26 तारीख की दोपहर तक का समय लाभदायक है ।22 और 23 तारीख को आपको संभल कर कार्य करना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं । सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने का उत्तम योग है । धन प्राप्ति का पूर्ण प्रयास करें जिससे आपको अच्छा धन लाभ हो सके । आपको अपनी संतान से अच्छा सहयोग नहीं प्राप्त होगा । कार्यालय में आपको थोड़ी बहुत परेशानी हो सकती है । भाग्य सामान्य है । इस सप्ताह आपके लिए 20 और 21 तारीख उत्तम है । 24 25 और 26 तारीख के दोपहर तक  आप को  सफलताएं कम मिलेगी । 26 तारीख की दोपहर के बाद से  सफलता मिल सकती है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप  भगवान शिव का  प्रतिदिन अभिषेक करें । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है ।

मिथुन राशि

कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी । आपको अच्छा कार्य मिल सकता है । गलत रास्ते से धन आने का कम योग है । शत्रुओं से मुक्ति संभव है । आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा । आपके माताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी गड़बड़ी हो सकती है । आपके सुख में कमी आएगी । इस सप्ताह आपके लिए 22 और 23 फरवरी उत्तम है । 27 फरवरी को दोपहर के बाद से आपको थोड़ा सावधान रहना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें एवं प्रातः काल सूर्य देव को जल अर्पण करें । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह भाग्य आपका अच्छा कार्य करेगा ।भाग्य के भरोसे आप कोई भी कार्य कर सकते हैं ।रिस्क वाले कार्यों को  रिस्क की गणना कर , इस सप्ताह करने का प्रयास करें । दुर्घटना से बचने का प्रयास करें । शत्रुओं को परास्त कर कर सकते हैं । उसके लिए भी प्रयास करें । पिताजी के स्वास्थ्य में बाधा आ सकती है । कार्यालय में आपको परेशानी आ सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 24, 25 और 26 तारीख परिणाम दायक  है । आप जिन कार्यों  करने का प्रयास करेंगे वह हो जाएंगे । 20 और 21 तारीख को आपको सावधान रहना चाहिए  । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

सिंह राशि

सिंह राशि वालों के लिए यह सप्ताह थोड़ा कठिन रहेगा । भाग्य से आपको कम सपोर्ट मिलेगा ।दुर्घटनाओं में आपको राहत मिलेगी । आपके पत्नी के स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी आ सकती । आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा । नए  शत्रु पैदा होंगे । इस सप्ताह आपके लिए 20 और 21 तारीख उत्तम परिणाम दायक है । 22 और 23 तारीख को आपको सावधान रहना चाहिए । 26 तारीख के दोपहर के बाद का समय भी उत्तम है । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह प्रतिदिन भगवान शिव का अभिषेक करें और रुद्राष्टक का पाठ करें  सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

कन्या राशि

यह सप्ताह आपके जीवनसाथी के लिए अत्यंत उत्तम है । अविवाहित  जातकों के विवाह के उत्तम प्रस्ताव आएंगे । भाग्य सामान्य है । आंख संबंधी रोग हो सकता है । कृपया सावधान रहें । इस सप्ताह आपके लिए 22 और 23 तारीख लाभदायक है । बाकी सभी दिनों में आपको सावधान रहना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन कम से कम 3 बार  हनुमान चालीसा का जाप करें । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है ।

तुला राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा । आपके संतान को कुछ कष्ट हो सकता है । आपको दुर्घटनाओं से सतर्क रहना चाहिए । विवाह संबंधों में बाधा आ सकती है । प्रेम संबंधों में भी बुरा हो सकता है । धन आने का सामान्य योग है । कचहरी के कार्यों को भी टालने का कष्ट करें । इस सप्ताह आपके लिए 24 25 और 26 की दोपहर तक का समय ठीक है । इन तारीखों में आप जो भी कार्य करेंगे उसमें सफलता मिलने की संभावना है । सप्ताह के बाकी दिनों में आपको सचेत रहकर कार्य करना है । 22 और 23 फरवरी को आपको कोई कार्य करने के पहले पूरा विचार करना चाहिए  । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रति दिन भगवान शिव का अभिषेक करें और शिव तांडव का पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा । आपको अपनी संतान से उत्तम सहयोग प्राप्त होगा । माता जी के स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आ सकती है ।भाइयों से संबंध सामान्य रहेंगे । इस सप्ताह आपके लिए 20 और 21 फरवरी हितवर्धक है। 24, 25 और 26 तारीख की दोपहर तक का समय नए कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं है । 26 तारीख की दोपहर के बाद का समय नए कार्यों के लिए अति उत्तम है । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह राम रक्षा स्त्रोत का जाप करें । सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

धनु राशि

इस सप्ताह आपके सुख की मात्रा में वृद्धि होगी ।पिछले सप्ताह से इस सप्ताह आप ज्यादा सुखी रहेंगे । धन का खर्चा भी बढ़ सकता है । भाइयों के बीच में कलह हो सकती है । पिताजी को कष्ट हो सकता है । संतान से कोई सहयोग प्राप्त नहीं होगा  । आपके गर्दन या कमर में दर्द हो सकता है । इस सप्ताह आपके लिए 22 और 23 फरवरी शुभ और हितवर्धक है। 26 तारीख के दोपहर के बाद से कोई भी कार्य को करने में सतर्कता बरतें । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शनिवार को शनि देव की पूजा करें । सप्ताह का शुभ दिन गुरुवार है ।

मकर राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा । धन आने की उम्मीद है । भाई बहनों के साथ संबंध अति उत्तम रहेगा । संतान से सहयोग कम प्राप्त होगा । माताजी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है ।आपके सुख में कमी आएगी । आपका भाग्य आपका कम साथ देगा । दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें। इस सप्ताह आपके लिए 24 ,25 और 26 फरवरी विभिन्न कार्यों के लिए  उत्तम है । आपको चाहिए कि आप माताजी के स्वास्थ्य के लिए  राहु की शांति हेतु उपाए करवाएं । सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है ।

कुंभ राशि

आपके लग्न का स्वामी आपके लग्न में बैठा हुआ है । यह एक अच्छा संकेत है । इस सप्ताह आपके पास धन की प्राप्ति हो सकती है । धन प्राप्ति के लिए आपको थोड़ा प्रयास भी करना होगा। इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य खराब हो सकता है । कचहरी के कार्यों से थोड़ा बचें । कार्यालय में आपकी स्थिति ठीक रहेगी । इस सप्ताह आपके लिए 20 और 21 फरवरी तथा 27 फरवरी को दोपहर के बाद का समय उत्तम है । 26 फरवरी को दोपहर के बाद का समय में आपको अत्यंत सफलताएं मिलेंगी । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है ।

मीन राशि

मीन राशि का स्वामी गुरु होता है । जो कि इस समय आपकी कुंडली के गोचर में लग्न में विराजमान है । आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा ।अच्छे-अच्छे प्रस्ताव आपको प्राप्त होंगे । प्रेम संबंधों में बढ़ोतरी होगी । अगर आप अविवाहित हैं तो विवाह के उत्तम प्रस्ताव आएंगे । कचहरी के कार्यों में आपको विजय मिल सकती है । भाई बहनों से संबंध सामान्य रहेंगे । भाग्य आपका उत्तम रूप से साथ देगा । आपका अपने कार्यालय में मान सम्मान बढ़ेगा । इस सप्ताह आपके लिए 22 और 23 फरवरी लाभदायक और परिणाम दायक है । 20 और 21 फरवरी को आपको सावधान रहना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन घर की बनी पहली रोटी गौमाता को दें । सप्ताह का शुभ दिन  बृहस्पतिवार है ।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ शिवराय… ☆ प्रा.डॉ.सतीश शिरसाठ उर्फ कवि भादिक ☆

प्रा.डॉ.सतीश शिरसाठ

? कवितेचा उत्सव ?

☆ शिवराय… ☆ प्रा.डॉ.सतीश शिरसाठ उर्फ कवि भादिक ☆ 

शिवनेरीचे  दगडचिरे  उजळले,

क्षितिजावरल्या शिवसूर्याच्या प्रकाशात,

लोकपाखरांचा थवा घेऊन,

झेपावला हा गरूड,

भारतवर्षाच्या आभाळात;

जन्म दिला इतिहासाला,

अर्थ दिला वर्तमानाला,

दिशा दिली भविष्याला,

अर्पितो ही प्राजक्त शब्दफुले-

विश्ववंद्य राजाला,

शिवरायांना …

© प्रा.डाॅ.सतीश शिरसाठ उर्फ कवि भादिक

ईमेल- [email protected]

मो व वाटसॅप नं. – ९९७५४३५१५२

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ निःशब्द… ☆ सुश्री संगीता कुलकर्णी

सुश्री संगीता कुलकर्णी

? कवितेचा उत्सव ?

☆ निःशब्द… ☆ सुश्री संगीता कुलकर्णी ☆ 

अर्थ नसे ज्या शब्दांना…

उगाचच बोलू लागतात. ..

अनोळखी जिवांना एकमेकांत गुंफू पाहतात…..

बांध सुटून भावना…

शब्दांतून ओसांडून वाहतात…

नाजूक बंध जुळतात. …

स्पंदनांना साथ देत

दिवसामागे दिवस सरतात. …

संपतात शब्द..तुटतो धागा. ..

नातं ही तुटतं क्षणार्धात. ..

होतो त्रास. .

वाटतं वाईट. .

डोळ्यातलं आटतं पाणीही शेवटी. ..

हरवून जातात

शब्द मुके होऊन राहतात

तशाच आठवणी मनाच्या कोपर्‍यात. ..!!

©  सुश्री संगीता कुलकर्णी 

लेखिका /कवयित्री

ठाणे

9870451020

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – विविधा ☆ खरं प्रेम… ☆ श्री सचिन वसंत पाटील ☆

श्री सचिन वसंत पाटील

? विविधा ?

☆ खरं प्रेम… ☆ श्री सचिन वसंत पाटील ☆

माणूस जन्मल्याबरोबर पहिलं प्रेम अनुभवतो ते म्हणजे आईचं. इथून पुढे प्रेम नावाची अडीच अक्षरे आयुष्यभर आपली साथसोबत करतात. स्त्रीची पुरुषाबरोबर प्रियकर प्रेयसी सोडून पंचवीस-तीस नाती आहेत. पण रस्त्याने एखादी जोडी बोलत निघाली की आपण उगी कुजबुज करीत रहातो. प्रेम अनेक प्रकारचं असतं पण आपण एकाच प्रेमाला धरून बसतो. ही आपल्या कमकुवत समाजाची मानसिकता आहे.

जशी पोटाची भूक असते तशीच प्रेमाचीही भूक असते हे आपण विसरून जातो. माणसाला आयुष्यात सगळं काही मिळालं आणि प्रेम नाही मिळालं तर त्याचं जीवन यशस्वी झालं असं म्हणता येणार नाही. प्रेम श्रीमंताचं असतं तसंच गरीबाचंही असतं. प्रेम राजाचं असतं तसंच शिपायाचंही असतं आणि भिका-याचंही प्रेमच असतं. थोडक्यात प्रेम कुणाचं कुणावरही असतं. जीवनात येऊन ज्यानं प्रेम केलं नाही त्यानं जीवनात येऊन काहीच केलं नाही असं म्हणता येईल. प्रेम आहे म्हणून तर या जगातला प्रत्येक माणूस एकमेकांशी बांधला गेला आहे. प्रेमच असा एक धागा आहे जो प्रत्येक जीवमात्रात गुंफला गेला आहे.

काॅलेज वयातलं प्रेम खूप वेगळं असतं. एखाद्या कसबी शिल्पकाराने मुर्तीला घाटदार कोरीव बनवत जावे तसा नुकत्याच वयात आलेल्या पोरीचा उमलत फुलत येणारा तो दैवी आकार. खरोखरच निसर्गाची किमया अफाट आहे. एखाद्या लहान शेंबड्या पोरीची घडत जाणारी सुंदरी बघत रहावी वाटते. त्रयस्तपणे पहाताना अँजेलोच्या अर्धवट गुढ पेंटींगची सर तिला येईल का? की मोनालिसाच्या गुढहास्य चित्रासारखं तेही गुपितच राहील कुणास ठाऊक? या सगळ्या कलाकृती निसर्गाने मानवाकडून करून घेतलेल्या. एका पोरीची बनलेली सुंदरी हीसुद्धा एक कलाकृतीच. आपोआप घडलेली. कुणाच्या मनात असो कुणाच्या मनात नसो न सांगता सवरता केलेली.

कधी कुरणात मोराचं नाचणं बघतो. प्रियेसाठी त्याचा तो नाच बघण्यासारखा असतो. कुठे बागेत फांदीवर चिमणा चिमणीशी गुलगुल करीत असतो. हिरव्यागार वनराईच्या कुशीत कुठेतरी दाट गवतात एकमेकाला घट्ट मिठी मारून विहार करणारी सापाची जोडी पाहिली की मन व्याकुळ होतं. स्वप्नातल्या जोडीदाराला हाका घालीत राहातं. धनुकलीनं कापूस पिंजावा तसं अंगातला कण नि् कण कुणीतरी पिंजत राहातं. मग एखादी गोरीगोमटी दिसली की मन तिच्यापाठी धावतं. तिचा एखादा नेत्रकटाक्ष झेलण्यासाठी अतुर होतं. नकळत मनातल्या जोडीदाराच्या स्वप्नांना खतपाणी घातलं जातं. एखादी हसून बोललीच तर हीच माझी प्राणसखी असं वाटत राहातं. आतापर्यंत आपण हिलाच तर शोधत होतो. कुठं लपली होती ही? परत एकदा स्वप्नांचं पीक तरारून येतं. पण तात्पुरतंच. पुन्हा मनाला संस्कारांचा दोरखंड लावला जातो. आपल्याला शिकलं पाहिजे. घराचं दैन्य कमी केलं पाहिजे हा विचार मनाला भरकटू देत नाही.

शेक्सपियरच्या प्रेमात प्रश्न नसतात मग तुमच्या माझ्या प्रेमात का येतात? फक्त प्रश्न… पण त्याची उत्तरं कुठं आहेत? गंगेची गंगोत्री तशी प्रश्नांची गंगोत्री. एक करंगळीभर पाण्याची धार… पुढे पाण्याचा विशाल सागर. एक गुंता मग सगळी मनाची गुलाबी गुंतागुंत… कुमार वयात मनाला न सुटणारे प्रेमळ प्रश्न…. या प्रश्नांची उत्तरे कोण देईल?

वि. स. खांडेकरांची ‘पहिलं प्रेम’ कादंबरी वाचली त्यावेळी पण असंच वाटलं, प्रेम हे खोटंच असतं, मग ते पहिलं असुदे अगर दुसरं. या जगातील स्वार्थी माणसं या प्रेमाचा तेवढीच मजा किंवा टाईमपास म्हणून उपयोग करीत असावीत. पण या जगात खरं प्रेम आहे बरंका. राधा-कृष्णासारखं आणि कृष्ण-मिरेसारखं सुद्धा प्रेम आहे. अाणि बायको बर्फासारखी पडली असताना तिच्यावर बलात्कार करणारेही या समाजात आहेत. पण हातावर बोटं मोजण्याइतकं का होईना खरंच खरं प्रेम आहे. मला एवढंच समजलं जे प्रेमासाठी जगतात तेच खऱ्या अर्थाने जगतात बाकी सगळे जगायचं नाटक करतात.

काय होतं, ज्यावेळी आपल्या मनातील प्रेमाला खुरडत जगावं लागतं त्यावेळी खुरडत जगायचीच त्याला सवय लागते. असं जगणं म्हणजेच जीवन असाच एक समज होतो. तोच एका पिढीकडून दुसऱ्या पिढीकडे वाहिला जातो. हा भार आपण निर्विकारपणे वाहत असतो. आपण खऱ्या प्रेमाला मनाच्या कोनाड्यात दाबून टाकतो. मग जगणं आणि खरं जीवन यांची ताटातूट होते. अशा तर्‍हेने खरं जीवन आपण कधी जगतच नाही. खरं प्रेम कुणावर कधी करतच नाही. खरं प्रेम खूप थोडे लोक करतात हे प्रेम या गुलाबी अक्षरामागे दडलेलं एक सत्य आहे. ते तुम्हाला नाकारता येणार नाही… मला नाकारता येणार नाही… कुणालाच नाकारता येणार नाही..! पण तरीही खरं प्रेम खर्रच आहे हो..!!

©  श्री सचिन वसंत पाटील

कर्नाळ, सांगली. मोबा. ८२७५३७७०४९.

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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