हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ परिहार जी का साहित्यिक संसार # 296 ☆ चिंतन – सूली पर टंगा आदमी ☆ डॉ कुंदन सिंह परिहार ☆

डॉ कुंदन सिंह परिहार

(वरिष्ठतम साहित्यकार आदरणीय  डॉ  कुन्दन सिंह परिहार जी  का साहित्य विशेषकर व्यंग्य  एवं  लघुकथाएं  ई-अभिव्यक्ति  के माध्यम से काफी  पढ़ी  एवं  सराही जाती रही हैं।   हम  प्रति रविवार  उनके साप्ताहिक स्तम्भ – “परिहार जी का साहित्यिक संसार” शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते  रहते हैं।  डॉ कुंदन सिंह परिहार जी  की रचनाओं के पात्र  हमें हमारे आसपास ही दिख जाते हैं। कुछ पात्र तो अक्सर हमारे आसपास या गली मोहल्ले में ही नज़र आ जाते हैं।  उन पात्रों की वाक्पटुता और उनके हावभाव को डॉ परिहार जी उन्हीं की बोलचाल  की भाषा का प्रयोग करते हुए अपना साहित्यिक संसार रच डालते हैं।आज प्रस्तुत है आपका एक विचारणीय चिंतन – ‘सूली पर टंगा आदमी‘। इस विचारणीय रचना के लिए डॉ परिहार जी की लेखनी को सादर नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – परिहार जी का साहित्यिक संसार  # 296 ☆

☆ चिंतन ☆ सूली पर टंगा आदमी

 12 जून को अहमदाबाद में हुई वायुयान दुर्घटना ने पूरी दुनिया को हिला दिया। 270 आदमियों का जीवन पल भर में बुझ गया। कल्पनातीत अन्त। इनमें से कितने ही बच्चे थे जिनका जीवन शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो गया। एक परिवार में पति-पत्नी के अलावा तीन बच्चे थे, सात आठ साल के जुड़वां बेटे और उनसे एक दो साल बड़ी उनकी प्यारी सी दीदी। बेटियों का मोह मुझे ज़्यादा होता है, इसलिए उस नन्हीं बेटी का फोटो देखकर मुझे रोना आया।

इस घटना के दो-तीन दिन बाद ही एक हेलीकॉप्टर केदारनाथ से लौटते में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। इसमें पायलट समेत सात व्यक्तियों की मौत हुई। सवारियों में एक नाबालिग बच्ची भी थी। फिर एक बार आदमी की असहायता शिद्दत से महसूस हुई।

ये सब स्थितियां आदमी के वश से बाहर हैं। आदमी आज टेक्नोलॉजी का गुलाम है। टेक्नोलॉजी जिस तरफ घुमाती है, उसी तरफ घूमने के लिए मजबूर है। आदमी बैलगाड़ी से चलकर तांगे, इक्के, फिटन, मोटर, रेल से बढ़कर वायुयान तक पहुंचा। ट्रेन के पंद्रह सोलह घंटे के सफर को वायुयान से तीन-चार घंटे में तय कर लेने का लोभ बढ़ा, भले ही उसके लिए जेब कुछ ज़्यादा हल्की करनी पड़े। जो आदमी मोटर पर चलने का आदी हो, उसके लिए साइकिल-रिक्शे की धीमी सवारी असहनीय हो जाती है। लेकिन वायुयान में बैठकर पूरे समय ‘राम-राम’ जपना पड़े तो यात्रा कैसी होगी? ‘न निगलते बने, न उगलते’ वाली स्थिति है।

परसों के अखबार की खबर के अनुसार पिछले एक वर्ष में हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ये सब 35 वर्ष से कम आयु के युवा हैं जो मंझोले शहरों से महज़ घूमने और मनोरंजन के लिए विदेश गये।

बैलगाड़ी-युग में बारातें भी बैलगाड़ी में जाती थीं। बैलगाड़ी की बारात में लड़की वाले को आदमियों के अलावा बैलों की खूराक का भी इन्तज़ाम करना पड़ता था। तब की बारातें दो-तीन दिन रुकती थीं, इसलिए लड़की वालों की फजीहत का अन्दाज़ लगाया जा सकता है। मेरे एक रिश्तेदार बताते थे कि जब उनके घर की शादी होती थी तब जिनको निमंत्रण नहीं मिलता था वे भी पता चलने पर बैलगाड़ी सजाकर इष्ट-मित्रों सहित चल पड़ते थे। नतीजतन बारातियों की संख्या हज़ारों में पहुंचती थी।

एक ज़माना वह भी था जब आम आदमी को कोई सवारी मयस्सर नहीं थी। तब अपनी पांवगाड़ी ही काम आती थी। आठ दस मील की यात्रा आराम से पैदल हो जाती थी। बहुत से तीर्थयात्री पैदल ही लंबी यात्राएं करते थे। तब तीर्थयात्रियों को घर से अन्तिम विदाई दी जाती थी क्योंकि सयाने लोगों के जीवित लौट कर आने की उम्मीद कम ही रहती थी। अभी भी कांवड़िये कांवड़ों के साथ सैकड़ो मील की यात्राएं पैदल कर रहे हैं।

वायु-यात्रा के अलावा दूसरी फिक्र महानगरों में गगनचुम्बी इमारतों को देखकर होती है। तीस चालीस फ्लोर की इमारतों के माचिस जैसे फ्लैटों को देखकर रीढ़ में फुरफुरी या झुरझुरी दौड़ती है। कुछ दिन पहले दुबई में एक 67 मंज़िली इमारत में आग लगने से बड़ी मुश्किल से करीब 3500 लोगों को निकाला जा सका। सवाल यह उठता है कि जब आदमी का सुरक्षित निकलना मुश्किल हो जाए तो उसकी गृहस्थी के माल- असबाब का क्या होगा? अमेरिका के ट्रेड टावरों को हम अभी भूले नहीं हैं।

दिल्ली के एक इलाके में पांचवीं या छठवीं मंज़िल पर आग लगने से एक सज्जन ऐसे घबराये कि अपने पुत्र और भतीजी को ऊपर से कूदने के लिए कह दिया और उनके पीछे खुद भी कूद गये। नतीजतन तीनों की ही मृत्यु हो गयी।

कुछ दिन पहले टीवी पर एक बिल्डर का इंटरव्यू देखा था। उनका कहना था कि ज़मीन की कमी और उसकी आसमान-छूती कीमतों के कारण ‘होरिज़ोंटल’ निर्माण के बजाय ‘वर्टिकल’ निर्माण ज़रूरी है। उन्होंने बताया कि उनका ख़्वाब एक किलोमीटर ऊंची टावर बनाने का है। सुनकर मेरी हालत खराब हो गयी। लगता है आदमी जीते जी स्वर्ग का सफर तय कर लेगा। ‘गगन मंडल पर सेज पिया की, किस विधि मिलना होय।’

मकान की ऊंचाई बढ़ने के साथ आदमी पूरी तरह ‘लिफ्ट’ पर निर्भर हो रहा है। लिफ्ट काम न करे तो आदमी पिंजरे में बन्द चूहा हो जाए। हाल में लिफ्ट का दरवाज़ा न खुलने और आदमी के फंस जाने की घटनाएं सामने आयीं। एक घटना में लिफ्ट का दरवाज़ा न खुलने के कारण एक आठ दस साल का बालक उसमें फंस गया था। यह दिक्कत कुछ मिनट ही रही, लेकिन लिफ्ट के बाहर प्रतीक्षारत बालक के पिता ऐसे बदहवास हुए कि उन्हें ‘हार्ट अटैक’ आ गया और उनकी मृत्यु हो गयी। ऐसी घटनाओं से आदमी की बढ़ती लाचारी सामने आती है।

कुछ दिन पहले गुड़गांव या गुरुग्राम में एक संबंधी के घर में रुकने का मौका मिला था। फ्लैट बारहवीं मंज़िल पर था। शाम को मुझे सलाह दी गयी कि नीचे जाने के बजाय थोड़ी देर बालकनी में ही टहल लूं। सलाह मान कर बालकनी के दो-तीन चक्कर लगाये, लेकिन नीचे झांकने पर मुझे चक्कर आने लगे। परिणामत: टहलना मुल्तवी करके कमरे में आ गया।

मजबूरी में आज लोग स्थितियों से संगत बैठाने की जद्दोजहद में लगे हैं। आज के महानगरों के हालात को देखकर सब की ख़ैर ही मनायी जा सकती है।

© डॉ कुंदन सिंह परिहार

जबलपुर, मध्य प्रदेश

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – कथा कहानी ☆ ≈ मॉरिशस से ≈ गद्य क्षणिका#68 – कविता का गिद्ध… – ☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆

श्री रामदेव धुरंधर

(ई-अभिव्यक्ति में मॉरीशस के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर जी का हार्दिक स्वागत। आपकी रचनाओं में गिरमिटया बन कर गए भारतीय श्रमिकों की बदलती पीढ़ी और उनकी पीड़ा का जीवंत चित्रण होता हैं। आपकी कुछ चर्चित रचनाएँ – उपन्यास – चेहरों का आदमी, छोटी मछली बड़ी मछली, पूछो इस माटी से, बनते बिगड़ते रिश्ते, पथरीला सोना। कहानी संग्रह – विष-मंथन, जन्म की एक भूल, व्यंग्य संग्रह – कलजुगी धरम, चेहरों के झमेले, पापी स्वर्ग, बंदे आगे भी देख, लघुकथा संग्रह – चेहरे मेरे तुम्हारे, यात्रा साथ-साथ, एक धरती एक आकाश, आते-जाते लोग। आपको हिंदी सेवा के लिए सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन सूरीनाम (2003) में सम्मानित किया गया। इसके अलावा आपको विश्व भाषा हिंदी सम्मान (विश्व हिंदी सचिवालय, 2013), साहित्य शिरोमणि सम्मान (मॉरिशस भारत अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 2015), हिंदी विदेश प्रसार सम्मान (उ.प. हिंदी संस्थान लखनऊ, 2015), श्रीलाल शुक्ल इफको साहित्य सम्मान (जनवरी 2017) सहित कई सम्मान व पुरस्कार मिले हैं। हम श्री रामदेव  जी के चुनिन्दा साहित्य को ई अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों से समय समय पर साझा करने का प्रयास करेंगे।

आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय गद्य क्षणिका “– कविता का गिद्ध…” ।

~ मॉरिशस से ~

☆ कथा कहानी  ☆ गद्य क्षणिका # 68 — कविता का गिद्ध — ☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆

वह अपने कवि मित्र की तरह कविताएँ लिख कर उसी की तरह मशहूर होना चाहता था। पर पीछे तो छूट ही जाता था। बहुत बाद में उसे पता चला मित्र की कविताओं में तो बहुत सारा चोरी का माल है। उसके मन में बात आई, आज अपना स्वाभिमान इस तरह से हो जाए एक गिद्ध से अपनी होड़ मानता था। वक्त पर अपनी आँखें न खुलतीं तो कविता की देवी कभी पूछ लेती क्या गिद्ध का आभास तुम्हें होता नहीं था?

 © श्री रामदेव धुरंधर

11 / 07 / 2025

संपर्क : रायल रोड, कारोलीन बेल एर, रिविएर सेचे, मोरिशस फोन : +230 5753 7057   ईमेल : rdhoorundhur@gmail.com

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 297 – प्रकृति…विकृति ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है। साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

☆  संजय उवाच # 297 ☆ प्रकृति…विकृति… ?

वर्तमान जीवन शैली में चलना, दौड़ना, व्यायाम  आदि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य  हो चले हैं। मुझे भ्रमण प्रिय है। सामान्यतः प्रातः समय भ्रमण कर लेता हूँ तथापि अनेक बार ऐसी अपरिहार्यताएँ  होती हैं कि सुबह से रात तक काम के अलावा दूसरा कुछ करने की स्थिति नहीं बन पाती।

आज भी ऐसा ही एक दिन था। रात के लगभग 10:30 बज रहे थे। विचार किया कि भ्रमण का कोटा पूरा कर लूँ। तुलनात्मक रूप से कम भीड़-भाड़ और चौड़े फुटपाथ वाली एक सड़क पर निकल पड़ा। देखता हूँ कि जो लोग भ्रमण कर रहे हैं, उनमें भोजन कर पान खाने निकले कुछ दुकानदारों की टोली है, कुछ युगल हैं। एकाध परिवार हैं, शेष एकल पुरुष हैं। पूरे मार्ग पर भी एक भी अकेली स्त्री नहीं है।

चिंतन का चक्र आरंभ हुआ। स्त्रियों के साथ यह भेदभाव क्यों? जैसे देर रात भ्रमण की मेरी इच्छा हुई, अनेक स्त्रियों की भी होती होगी पर उनके कदम बँधे हैं।  भीतर से तर्क आया कि यह तो प्रकृतिगत है कि देर रात सुनसान रास्ते पर कोई महिला अकेली नहीं निकलेगी। भीतर ने ही तर्क से तर्क की काट भी तलाशी।

सत्य तो यह है कि शेर के डर से खरगोश दुबका रहे, यह तो प्रकृति है पर शेर के डर से शेरनी बाहर ना निकल सके, यह विकृति है। पृथ्वी पर अन्य किसी भी सजीव की एक ही प्रजाति में यह डर देखने को नहीं मिलता। स्त्री-पुरुष पूरक हैं। एक घटक को भय होगा तो पूरक मिलकर संपूर्णता कैसे प्राप्त करेंगे? दुखद यथार्थ है कि सामान्यतः हर स्त्री को अपने जीवन में अपनी कुछ इच्छाओं का गला घोंटना पड़ता है। इच्छाओं को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप पुरुष पर है और उसे ईमानदारी से इस आरोप को स्वीकार करना भी चाहिए।

मनुष्य ने अरण्य से निकल कर नगर बसाए। नगर के अपने नियम-कानून बनाए। तथ्य बताते हैं कि ये कानून स्त्रियों को संरक्षण देने में विफल रहे। लैंगिक समानता के विषय पर अरण्य, नागरी सभ्यता से बहुत आगे खड़े हैं। नीति कहती है कि जब मनुष्य के नियम प्रभावहीन होने लगें तो उसे अपौरुषेय की शरण में जाना चाहिए।

वेद अपौरुषेय हैं। अथर्ववेद का उद्घोष है कि  स्त्रियाँ शुद्ध स्वभाव वाली, पवित्र आचरण वाली, पूजनीय, सेवा योग्य, शुभ चरित्र वाली और विदुषी हैं। यजुर्वेद स्त्री, पुरुष दोनों में से किसी को भी शासक होने का समान अवसर प्रदान करते हुए अपेक्षा व्यक्त करता है कि राजा की भाँति रानी भी न्याय करनेवाली होनी चाहिए।

न्याय का अधिकार रखनेवाली के साथ होता  अन्याय समर्थनीय नहीं है। वेदों के दिशा-निर्देश और आचरण तत्व स्त्री-पुरुष दोनों पर लागू होते हैं। स्त्री को समानता और निर्भय वातावरण उपलब्ध कराना प्रत्येक पुरुष का कर्तव्य है। इस कर्तव्य को चर्चा तक सीमित न रखकर व्यवहार में उतारना ही बुद्धिमान मनुष्य प्रजाति से अपेक्षित है।…इति।

© संजय भारद्वाज 

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस कॉलेज (स्वायत्त) अहमदनगर ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆ 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

writersanjay@gmail.com

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

🕉️ श्रावण साधना रविवार ११ जुलाई 2025 से रक्षाबंधन तदनुसार शनिवार 9 अगस्त तक चलेगी। 🕉️

💥 इस साधना में ॐ नमः शिवाय का मालाजप होगासाथ ही गोस्वामी तुलसीदास रचित रुद्राष्टकम् का पाठ भी करेंगे। 💥 

💥 101 से अधिक मालाजप करने वाले महासाधक कहलाएंगे 💥

💥 संभव हो तो परिवार के अन्य सदस्यों को भी इससे जोड़ें💥  

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं।

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

English Literature – Poetry ☆ Ancestral Tree… ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain Pravin Raghuvanshi, NM

(Captain Pravin Raghuvanshi —an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. He was involved in various Artificial Intelligence and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’.

We present Capt. Pravin Raghuvanshi ji’s amazing poem “~ Ancestral Tree ~.  We extend our heartiest thanks to the learned author Captain Pravin Raghuvanshi Ji (who is very well conversant with Hindi, Sanskrit, English and Urdu languages) and his artwork.) 

? ~ Ancestral Tree… ??

 ☆

(Inspired by the poem बरगद written by Mrs. Nirdesh Nidhi ji)

O’ Woodcutter…!

At the mouth of our farm land,

Next to the puddle pond

There is this banyan tree,

That tells stories,

Narrates fables of

Our grandfathers, great grandfathers…

 

Many a times, there comes

this old man in my dreams,

with a humpback…

Who proclaims

This is not just a banyan tree,

It’s a family tree

People live and die

As it lives on, generation after generation…

Long back, it was crowned with

the title of *’Ageless’* by our ancestors

Since then, it wore the  ‘turban of elders’…

And, as Lord Hanuman*

it has been standing rock-solid ever since,

Steadfast forever…!

 

Listen you, Woodcutter!

Don’t you dare touching its twigs

Leave apart even cutting its roots…

Throughout the night,

It gathers the coolness of

the nocturnal moonlight…

As it sprinkles fragrant and

soothing freshness on

the scorching bodies

of the tired travelers…

 

Listen, O’ Woodcutter!

What to talk of twigs,

You don’t even touch the leaves…

It plays the zither,

with a melodious sound

Singing celestial lullabies

In the Deepak Raga* tune

Adorning itself with the redness

of the dawn every morning…

 

Listen, O’ Woodcutter!

Leave apart even chopping the leaves

Don’t you dare

touching its winds

Which it puffs in everyone’s breath,

throughout the day…

Picks up the ‘Kalima’ –the darkness– of the night,

Weaves a soothing layer of carpet below,

for the day…

Has made a perennial

inn under its dense shade

Envelops as the blessings of father

On the heads of the daughters of the village,

returning to their parental house…!

It fondles with the children,

Harmonises tone with the aged ones

and shows the beautiful dreams to the youth,

A swollen sea full of tides of animals

and birds, envelops the surroundings…

 

Inseparable childhood friend

of animate and inanimate objects,

while standing by the side of puddle,

firmly, as ever…

Maintaining the relationship of ever

effervescent joy and laughter…!

Whenever it feels like,

It quietly, dumps the wasted leaves,

On the spick and span ground below…

 

Listen, O’ Woodcutter!

Don’t you ever look at it

as a merciless woodchopper…

Along with innocent birds,

it has also raised man-eaters,

as it keeps discussing

with them all night through

Standing watchful like a sentinel,

At the mouth of our puddle-farm,

That very Banyan tree …!

Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

 Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

Please share your Post !

Shares

English Literature – Articles ☆ Cultivating Goodwill – A Quiet Revolution of the Heart ☆ Shri Jagat Singh Bisht ☆

Shri Jagat Singh Bisht

(Master Teacher: Happiness & Well-Being, Laughter Yoga Master Trainer, Author, Blogger, Educator, and Speaker.)

Authored six books on happiness: Cultivating Happiness, Nirvana – The Highest Happiness, Meditate Like the Buddha, Mission Happiness, A Flourishing Life, and The Little Book of HappinessHe served in a bank for thirty-five years and has been propagating happiness and well-being among people for the past twenty years. He is on a mission – Mission Happiness!

☆ Cultivating Goodwill – A Quiet Revolution of the Heart ☆

In a world rushing towards achievement and noise, there lies a gentle strength in pausing… and wishing well.

Inspired by the luminous teachings of Shantideva, here’s a serene reminder —

All the joy in this world springs from wishing happiness for others.

All the misery comes from chasing it only for ourselves.

These verses stir the soul:

*

“All the joy the world contains,

Has come through wishing happiness for others.

All the misery the world contains,

Has come through wanting pleasure for oneself.”

*

“May beings everywhere who suffer,

Torment in their minds and bodies,

Have, by virtue of my merit,

Joy and happiness in boundless measure.”

*

“May every being ailing with disease,

Be freed at once from every malady…

May every sickness that afflicts the living,

Be wholly and forever absent from the world.”

*

A Simple Practice – Metta Bhavana (Loving-Kindness Meditation)

Here is a quiet, powerful exercise you can do today. Just thirty minutes – a gift to yourself and the world.

⇒ Choose a quiet time.

⇒ Inform those around you – no talking, no phones, no gestures.

⇒ Sit in stillness. Breathe deeply.

⇒ Let this gentle wish rise in your heart:

“May all beings be happy, peaceful, and free.”

Send these thoughts like fragrant winds across land, water, and sky –

To those near you and far away, to humans, animals, birds, insects, trees…

To the whole living, breathing cosmos.

You will feel a soft smile blooming inside. Stress will dissolve.

And your heart – oh so quietly – will become kinder, lighter, and freer.

Because kindness begins within.

Because the world changes with the softest ripple of goodwill.

May all beings be happy! 😊

♥ ♥ ♥ ♥

© Jagat Singh Bisht

Master Teacher: Happiness & Well-Being, Laughter Yoga Master Trainer, Author, Blogger, Educator, and Speaker

FounderLifeSkills

A Pathway to Authentic Happiness, Well-Being & A Fulfilling Life! We teach skills to lead a healthy, happy and meaningful life.

The Science of Happiness (Positive Psychology), Meditation, Yoga, Spirituality and Laughter Yoga. We conduct talks, seminars, workshops, retreats and training.

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Please share your Post !

Shares

हिंदी साहित्य – कविता ☆ दो क्षणिकाएं… ☆ सुश्री इन्दिरा किसलय ☆

सुश्री इन्दिरा किसलय

☆ कविता ☆ दो क्षणिकाएं ☆ सुश्री इन्दिरा किसलय ☆

[१] – चुनाव

*

चुनाव आते ही

उनके चेहरे

खुशी से खिल गए !

सुनते हैं

वो बंदूक बनाते हैं

रोटी के लिए !!

[२] – विंडो शाॅपिंग

*

मंहगाई का नाम सुनकर

गरीबों का

कलेजा करता है धकधक !

धन्य है सरकार

जिसने विंडो शाॅपिंग का तो

दिया है हक !!

©  सुश्री इंदिरा किसलय 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 242 – शत शत वंदन मातु शारदे! ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है मातु शारदा वंदन  – शत शत वंदन मातु शारदे!)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 242 ☆

☆ शत शत वंदन मातु शारदे! ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

☆ 

शत शत वंदन मातु शारदे!

भव बाधा हर नव विचार दे।।

.

जो जैसे तेरी संतति हैं

रूठ न मैया! हँस दुलार दे।।

.

नाद अनाहद सुनवा दे माँ!

काम-क्रोध-मद से उबार दे।।

.

मोह पंक में पड़े हुए हैं

पंकज कर नूतन निखार दे।।

.

हुईं अनगिनत त्रुटियाँ हमसे

अनुकंपा कर झट बिसार दे।।

.

सलिल करे अभिषेक निरंतर

माता! कर आचमन तार दे।।

.

पद प्रक्षालन कर पाऊँ नित

तम हरकर जीवन सँवार दे।।

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

१८.५.२०२५

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: salil.sanjiv@gmail.com

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – आलेख ☆ अभी अभी # 728 ⇒ || रबड़ी प्लेट || ☆ श्री प्रदीप शर्मा ☆

श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए दैनिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – || रबड़ी प्लेट ||।)

?अभी अभी # 728 ⇒ || रबड़ी प्लेट || ? श्री प्रदीप शर्मा  ?

आप भले ही लड्डू को मिठाइयों का राजा मान लें, लेकिन जलेबी, इमरती और रबड़ी का नाम सुनकर ज़रूर आपके मन में लड्डू फूट पड़े होंगे। जिन्हें गुलाब जामुन पसंद है, उन्हें मावा बाटी की भी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। होते हैं कुछ लोग, जो चाशनी से परहेज करते हैं, लेकिन रसगुल्ला देख, उनके मुंह से भी पानी टपकने लगता है।

हम तो शुगर को शक्कर ही समझते थे, लेकिन जब से सुना है, शुगर एक बीमारी भी है, हमने भी मीठे से परहेज करना शुरू कर दिया है। लेकिन चोर चोरी से जाए, हेरा फेरी से ना जाए, रबड़ी तब भी हमारी कमजोरी थी, और आज भी है।।

कुछ समय के लिए शुगर को भूल जाइए, आइए रबड़ी की बात करें। ठंडी रातों में दूध के कढ़ाव और केसरिया, मलाईदार दूध, रबड़ी मार के, मानो चाय मलाई मार के। गर्मी में मस्तानी दही की लस्सी और वह भी रबड़ी मलाई मार के। खाने वाले खाते होंगे दही के साथ गर्मागर्म जलेबी, हम तो जलेबी भी रबड़ी के साथ ही खाते हैं।

आज हम जिस रबड़ी प्लेट का जिक्र कर रहे हैं, उसके लिए हमें थोड़ा अतीत में जाना पड़ेगा। नालंदा जितना अतीत नहीं, फिर भी कम से कम पचास बरस। हमारे होल्करों के शहर इंदौर के बीचों बीच एक श्रीकृष्ण टाकीज था, जहां गर्मियों में सुबह साढ़े आठ बजे एक ठेला नजर आता था, जो हीरा लस्सी के नाम से प्रसिद्ध था। यह लस्सी केवल गर्मियों में ही नसीब होती थी। एक बारिश हुई, और वहां से ठेला नदारद।

एक श्रृंगारित ठेला, जिसमें कई शरबत की बोतलें सजी हुई, ठेले के नीचे के स्टैण्ड पर कई ताजे दही के कुंडे, ठेले के बीच टाट पर विराजमान एक बर्फ की शिला, एक विशाल तपेले में, लबालब रबड़ी और इन सबके बीच कार्यरत एकमात्र व्यक्ति हीरा और उनका चीनी मिट्टी का बड़ा पात्र और एक लकड़ी की विशाल रवई, दही को मथने के लिए। (सब कुछ हाथ से ही)

हीरा लस्सी ही उस लस्सी का ब्रांड था, जो किसी जमाने में आठ आने से शुरू होकर दस रुपए तक पहुंच गई थी। पहले कुंडे से दही निकालकर तबीयत से मथना, फिर कांच के ग्लासों में बर्फ छील छीलकर डालना, लस्सी और बोतलों में रखे शकर के केसरिया शरबत को मिलाना, और ग्लासों को लस्सी से भरना, फिर थोड़ी रबड़ी और उसके बाद लबालब लस्सी पर दही की मलाई की एक मोटी परत। लीजिए, हीरा लस्सी तैयार।।

हमारा विषयांतर में विश्वास नहीं। वहां रबड़ी प्लेट भी उपलब्ध होती थी, जो मेरी पहली और आखरी पसंद होती थी। भाव लस्सी से उन्नीस बीस, लेकिन एक कांच की बड़ी प्लेट में लच्छेदार रबड़ी, उस पर थोड़ा बर्फ का चूरा और ऊपर से गुलाब का शर्बत। एक लोहे की डब्बी में काजू, बादाम, पिस्ते का चूरा लस्सी और रबड़ी प्लेट दोनों पर कायदे से बुरकाया जाता था। तब जाकर हमारी रबड़ी प्लेट तैयार होती थी।

हाइजीन वाले हमें माफ करें, क्योंकि हम रबड़ी प्लेट खाने के बाद हाथ नहीं धोते थे, रबड़ी और गुलाब के शरबत की खुशबू हमारे हाथों में हमारे साथ ही जाती थी और साथ ही जबान पर रबड़ी प्लेट का स्वाद भी।।

आज न तो वहां श्रीकृष्ण टाकीज है और ना ही वह हीरा लस्सी वाला। पास में बोलिया टॉवर के नीचे, उसके वंशज जरूर फ्रिज में रखी लस्सी, हीरा लस्सी के नाम से, साल भर बेच रहे हैं, लेकिन वह बात कहां।

जिस तरह शौकीन लोग, अपना शौक घर बैठे भी पूरा कर लेते हैं, हमारी रबड़ी प्लेट भी आजकल घर पर ही तैयार हो जाती है। तैयार केसरिया रबड़ी मांगीलाल दूधवाले अथवा रणजीत हनुमान के सामने विकास रबड़ी वाले के यहां आसानी से उपलब्ध हो ही जाती है, बस एक प्लेट में रबड़ी पर थोड़ा सा, मौसम के अनुकूल बर्फ और गुलाब का शर्बत ही तो डालना है, लीजिए, रबड़ी प्लेट तैयार। शौकीन हमें ज्वाइन कर सकते हैं।।

विशेष : शुगर फ्री वालों से क्षमायाचना सहित …!!

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (14 जुलाई से 20 जुलाई 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (14 जुलाई से 20 जुलाई 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

जय श्री राम। किसी भी व्यक्ति के अंदर सबसे आवश्यक चीज उसका स्वाभिमान है अगर उसका स्वाभिमान मर गया है तो यह निश्चित है कि वह व्यक्ति किसी भी काम का नहीं। कहा भी गया है कि-

स्वाभिमान मारकर जीना हो

ऐसा जीवन स्वीकार नहीं।

आप अपने स्वाभिमान के साथ जीवन की यात्रा करें इसके लिए आवश्यक है कि आप निरंतर सफल हो। इसी उद्देश्य को प्राप्त आपके इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए मैं पंडित अनिल पांडे आज आपके पास 14 जुलाई से 20 जुलाई 2025 के तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के साथ प्रस्तुत हूं। इसमें मैं आपको सफलता के लिए शुभ दिनों और संघर्ष वाले तारीखों के बारे में बताऊंगा।

इस सप्ताह मंगल सिंह राशि में, गुरु मिथुन राशि में, शुक्र वृष राशि में, वक्री शनि मीन राशि में और वक्री राहु कुंभ राशि में रहेंगे। सूर्य प्रारंभ में मिथुन राशि में रहेगा तथा 16 तारीख के 4:48 रात से कर्क राशि में प्रवेश करेगा। इसी प्रकार बुद्ध प्रारंभ में कर्क राशि में रहेगा तथा 18 तारीख को 3:36 रात से वक्री हो जाएगा। आईये अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह आपका आपके जीवनसाथी और माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। इस सप्ताह आपके संतान को भी सुख प्राप्त होगा। आपको अपने संतान से अच्छा सहयोग भी मिलेगा। भाई बहनों से संबंध थोड़े खराब हो सकते हैं। धन आने की पूर्ण आशा है। अभी आपके कुंडली के गोचर में कालसर्प योग चल रहा है। इसके बारे में मैं 30 जून से 6 जुलाई के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल में बता चुका हूं। कालसर्प योग के बारे में मैंने अलग से वीडियो बनाया है जिसका लिंक इस के डिस्क्रिप्शन में दिया जा रहा है।

इस सप्ताह आपके लिए 18 और 19 जुलाई कार्यों को करने हेतु उत्तम है। 16 और 17 जुलाई को आपको बड़ी सावधानी से कार्यों का निपटारा करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

वृष राशि

अविवाहित जातकों के लिए यह सप्ताह उत्तम है। आपके विवाह के प्रस्ताव आएंगे। इस सप्ताह आपका और आपके माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके पिताजी और जीवनसाथी के स्वास्थ्य में कुछ समस्या हो सकती है। आपका अपने भाई बहनों के साथ ठीक-ठाक संबंध रहेगा। अभी आपके कुंडली के गोचर में कालसर्प योग चल रहा है। इसके बारे में मैं 30 जून से 6 जुलाई के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल में बता चुका हूं। कालसर्प योग के बारे में मैंने अलग से वीडियो बनाया है जिसका लिंक इस के डिस्क्रिप्शन में दिया जा रहा है। इस सप्ताह आपके लिए 14, 15 और 20 जुलाई कार्यों को करने के लिए उपयुक्त हैं। 18 और 19 जुलाई को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप ऊ रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपके जीवनसाथी का और माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। कचहरी के कार्यों में सफलता का योग है। इस सप्ताह भाग्य से आपको कोई मदद नहीं मिल पाएगी। आपको हर काम अपने परिश्रम के बल पर ही करना पड़ेगा। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक रहेंगे। अभी आपके कुंडली के गोचर में कालसर्प योग चल रहा है। इसके बारे में मैं 30 जून से 6 जुलाई के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल में बता चुका हूं। कालसर्प योग के बारे में मैं अलग से वीडियो बनाया है जिसका लिंक इस के डिस्क्रिप्शन में दिया जा रहा है। इस सप्ताह आपके लिए 16 और 17 जुलाई कार्यों को करने के लिए उचित है। 20 जुलाई को आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह आपके आत्म बल में वृद्धि होगी। आपका कॉन्फिडेंस बढ़ेगा। धन आने का योग है। व्यापार में वृद्धि होगी। आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। भाग्य से मामूली मदद मिल सकती है। अभी आपके कुंडली के गोचर में कालसर्प योग चल रहा है। इसके बारे में मैं 30 जून से 6 जुलाई के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल में बता चुका हूं। कालसर्प योग के बारे में मैं अलग से वीडियो बनाया है जिसका लिंक इस के डिस्क्रिप्शन में दिया जा रहा है। इस सप्ताह आपके लिए 18 और 19 जुलाई कार्यों को करने हेतु अनुकूल है। 14 और 15 जुलाई को आपको कार्यों को करने में बहुत सावधानी बरतना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह कार्यालय में आपको बड़ा अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। कचहरी के कार्यों में सफलता का योग है। आपका और आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। भाग्य से कोई विशेष मदद प्राप्त नहीं हो पाएगी। अभी आपके कुंडली के गोचर में कालसर्प योग चल रहा है। इसके बारे में मैं 30 जून से 6 जुलाई के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल में बता चुका हूं। कालसर्प योग के बारे में मैंने अलग से वीडियो बनाया है। जिसका लिंक इस के डिस्क्रिप्शन में दिया जा रहा है। इस सप्ताह आपके लिए 14, 15 तथा 20 तारीख कार्यों को करने के लिए लाभदायक है। 16 और 17 तारीख को सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शिव पंचाक्षरी स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने का अच्छा योग है। कचहरी के कार्यों में सफलता मिल सकती है। आप अपने शत्रुओं को आसानी से पराजित कर सकते हैं। भाग्य भी इस सप्ताह आपका साथ देगा। अभी आपके कुंडली के गोचर में कालसर्प योग चल रहा है। इसके बारे में मैं 30 जून से 6 जुलाई के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल में बता चुका हूं। कालसर्प योग के बारे में मैंने अलग से वीडियो बनाया है। जिसका लिंक इस के डिस्क्रिप्शन में दिया जा रहा है। इस सप्ताह आपके लिए 16 और 17 तारीख कार्यों को करने के लिए फलदायक हैं। सप्ताह के बाकी दिनों में आपको सतर्क रहकर कार्य करने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपका, आपके जीवनसाथी का और आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। कार्यालय में आपको अपनी उच्च अधिकारियों से बहुत अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। मामूली धन आने की उम्मीद है। आपको अपने सभी कार्य अपने परिश्रम के बल पर ही करने पड़ेंगे। भाग्य से मदद मिलने की उम्मीद कम है। आपकी संतान का स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है। अभी आपके कुंडली के गोचर में कालसर्प योग चल रहा है। इसके बारे में मैं 30 जून से 6 जुलाई के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल में बता चुका हूं। कालसर्प योग के बारे में मैंने अलग से वीडियो बनाया है। जिसका लिंक इस के डिस्क्रिप्शन में दिया जा रहा है। इस सप्ताह आपके लिए 18 और 19 जुलाई कार्यों को करने के लिए लाभकारी है। 16 और 17 जुलाई को आपको अपने कार्यों में बहुत व्यवधान प्राप्त होंगे। आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन शिव चालीसा का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

यह सप्ताह अविवाहित जातकों के लिए उत्तम है। विवाह के बहुत अच्छे प्रस्ताव आएंगे। आपका आपके जीवन साथी और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। भाग्य इस सप्ताह आपका साथ दे सकता है। अभी आपके कुंडली के गोचर में कालसर्प योग चल रहा है। इसके बारे में मैं 30 जून से 6 जुलाई के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल में बता चुका हूं। कालसर्प योग के बारे में मैंने अलग से वीडियो बनाया है। जिसका लिंक इस के डिस्क्रिप्शन में दिया जा रहा है। इस सप्ताह आपके लिए 14, 15 और 20 तारीख कार्यों को करने के लिए शुभ है। 18 और 19 जुलाई को आपके कार्यों को करते समय सावधानी रखना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

धनु राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। भाई बहनों के साथ संबंधों में टकराव हो सकता है। भाग्य आपका साथ देगा। दुर्घटनाओं से आप बच सकते हैं। आपके शत्रु शांत रहेंगे। अभी आपके कुंडली के गोचर में कालसर्प योग चल रहा है। इसके बारे में मैं 30 जून से 6 जुलाई के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल में बता चुका हूं। कालसर्प योग के बारे में मैंने अलग से वीडियो बनाया है। जिसका लिंक इस के डिस्क्रिप्शन में दिया जा रहा है। इस सप्ताह आपके लिए 16 और 17 जुलाई कार्यों को करने के लिए परिणाम दायक है। 20 जुलाई को आपको सतर्क रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

मकर राशि

यह सप्ताह आपके संतान के लिए उत्तम रहेगा। संतान का आपको अच्छा सहयोग भी प्राप्त होगा। आपके जीवन साथी को भी इस सप्ताह लाभ प्राप्त होंगे। आप इस सप्ताह दुर्घटनाओं से बच सकते हैं। आपको मानसिक कष्ट हो सकता है। अभी आपके कुंडली के गोचर में कालसर्प योग चल रहा है। इसके बारे में मैं 30 जून से 6 जुलाई के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल में बता चुका हूं। कालसर्प योग के बारे में मैंने अलग से वीडियो बनाया है। जिसका लिंक इस के डिस्क्रिप्शन में दिया जा रहा है। इस सप्ताह आपके लिए 18 और 19 जुलाई कार्यों को करने हेतु अच्छे हैं। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काली उड़द का दान करें और शनिवार को शनि मंदिर में जाकर शनि देव का पूजन करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आपके प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। आपके शत्रु थोड़ा सा प्रयास करने पर भी पराजित हो जाएंगे। भाग्य से आपको मामूली मदद ही मिल पाएगी। अभी आपके कुंडली के गोचर में कालसर्प योग चल रहा है। इसके बारे में मैं 30 जून से 6 जुलाई तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल में बता चुका हूं। कालसर्प योग के बारे में मैंने अलग से वीडियो बनाया है। जिसका लिंक इस के डिस्क्रिप्शन में दिया जा रहा है। इस सप्ताह आपके लिए 14, 15 और 20 तारीख कार्यों को करने के लिए परिणाम मूलक हैं। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह आपके पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक रहेंगे। भाई बहनों का आपके सहयोग भी प्राप्त होगा। आपके पुत्र का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपको अपने पुत्र से सहयोग प्राप्त होगा। शत्रुओं को इस सप्ताह आप आसानी से पराजित कर सकते हैं। अभी आपके कुंडली के गोचर में कालसर्प योग चल रहा है। इसके बारे में मैं 30 जून से 6 जुलाई के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल में बता चुका हूं। कालसर्प योग के बारे में मैंने अलग से वीडियो बनाया है। जिसका लिंक इस के डिस्क्रिप्शन में दिया जा रहा है। इस सप्ताह आपके लिए 16 और 17 तारीख कार्यों को करने हेतु उपयुक्त हैं। 14 और 15 तारीख को आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

ध्यान दें कि यह सामान्य भविष्यवाणी है। अगर आप व्यक्तिगत और सटीक भविष्वाणी जानना चाहते हैं तो आपको मुझसे दूरभाष पर या व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

सूचना/Information ☆ संपादकीय निवेदन ☆ प्रकाशन संबंधी महत्वपूर्ण सूचना ☆ सम्पादक मंडल ई-अभिव्यक्ति ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

📖 प्रकाशन संबंधी महत्वपूर्ण सूचना !! 📖

प्रत्येक माह की 14 तारीख को ई-अभिव्यक्ति के अंक का पाक्षिक अवकाश होता। इस महीने यह अवकाश 14 तारीख के स्थान पर 16/7/25 को लिया जाएगा।

14 /7/25 को अंक सामान्य रूप से प्रकाशित होगा।

आप सभी का इसी प्रकार स्नेह, प्रतिसाद और सहयोग अपेक्षित है।

– संपादक मंडल 

ई-अभिव्यक्ति 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares