हिन्दी साहित्य – कथा कहानी ☆ ≈ मॉरिशस से ≈ – यह झूठ, वह झूठ – ☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆

श्री रामदेव धुरंधर

(ई-अभिव्यक्ति में मॉरीशस के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर जी का हार्दिक स्वागत। आपकी रचनाओं में गिरमिटया बन कर गए भारतीय श्रमिकों की बदलती पीढ़ी और उनकी पीड़ा का जीवंत चित्रण होता हैं। आपकी कुछ चर्चित रचनाएँ – उपन्यास – चेहरों का आदमी, छोटी मछली बड़ी मछली, पूछो इस माटी से, बनते बिगड़ते रिश्ते, पथरीला सोना। कहानी संग्रह – विष-मंथन, जन्म की एक भूल, व्यंग्य संग्रह – कलजुगी धरम, चेहरों के झमेले, पापी स्वर्ग, बंदे आगे भी देख, लघुकथा संग्रह – चेहरे मेरे तुम्हारे, यात्रा साथ-साथ, एक धरती एक आकाश, आते-जाते लोग। आपको हिंदी सेवा के लिए सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन सूरीनाम (2003) में सम्मानित किया गया। इसके अलावा आपको विश्व भाषा हिंदी सम्मान (विश्व हिंदी सचिवालय, 2013), साहित्य शिरोमणि सम्मान (मॉरिशस भारत अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 2015), हिंदी विदेश प्रसार सम्मान (उ.प. हिंदी संस्थान लखनऊ, 2015), श्रीलाल शुक्ल इफको साहित्य सम्मान (जनवरी 2017) सहित कई सम्मान व पुरस्कार मिले हैं। हम श्री रामदेव  जी के चुनिन्दा साहित्य को ई अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों से समय समय पर साझा करने का प्रयास करेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम कथा यह झूठ, वह झूठ।)

~ मॉरिशस से ~

☆  कथा कहानी ☆ – यह झूठ, वह झूठ – ☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆

वयोवृद्ध सरयू ने कहानियाँ सुनाने में धूम मचा रखी थी। बूढ़े लोग हों तो सरयू उनकी उम्र को ध्यान में रखते हुए कहानियाँ सुनाता था। जवान हों तो सरयू के ओठों से उनके लिए कहानियाँ तो मानो सर – सर करती बहती जाती थीं। बच्चों की उम्र के हिसाब से सरयू के पास कहानियों का खजाना हुआ। तभी तो बच्चे उसे देखने पर कहानियाँ सुनने के लिए उसे घेर लेते थे। इसी तरह बेटियों – माताओं के लिए भी सरयू के कंठ में कहानियों का भंडार था।

कहानियों की धूम मचाने वाले सरयू का समाचार राजा तक पहुँचाने वाला उसका सारथि हुआ। राजा को रथ पर बैठ कर हवाखोरी के लिए बाहर जाना था, लेकिन सारथि वक्त पर पहुँच न पाया था। राजा के डाँटने पर उसने रास्ते पर भीड़ होने के कारण अटक जाने का अपना कष्ट सुनाया। सरयू की कहानियों के दीवाने विस्तृत संख्या में उसे घेर कर उससे कहानियाँ सुन रहे थे।

राजा को सरयू विस्मयकारी लगा। उसे इस बात की जिज्ञासा हुई कि सरयू अपनी कहानियों में सुनाता क्या है? उसने पता लगाने पर जाना सरजू की कहानियाँ सत्य पर आधारित होती नहीं हैं। तो भी उसकी कहानियाँ अद्भुत होती हैं। पर उसकी कहानियाँ अद्भुत होना राजा के लिए मिथ्या हुआ। उसने इस पक्ष को लिया कि सरयू की कहानियाँ सरासर झूठी होती हैं।

राजा के आदेश पर सरयू को राज दरबार में लाया गया। राजा ने कहा, “मुझे मालूम हो गया है तुम्हारी कहानियाँ झूठी होती हैं। इसका मतलब हुआ तुम प्रजा में झूठ की आदत डाल रहे हो।”

सरजू ने अपना तर्क रखा वह तो मनोरंजन के लिए कहानियों का आश्रय लेता है। लोग उसकी कहानियों से आनन्दित होते हैं तो उसे लगता है अपना जन्म सार्थक हुआ। पर राजा ने उसे न मान कर उस पर कहानियाँ सुनाने की पाबंदी लगा दी। इस वर्जन से सरयू काँप पड़ा। उसने हाथ जोड़ कर कहा, “राजन, कहानियाँ तो मेरे खून में हैं। कहानियों के रूप में मैं अपने खून का कतरा बाँटता हूँ। मेरा यह आधार मुझसे छीना न जाए।”

उसके बहुत कहने पर भी राजा की ओर से उसे कहानियाँ सुनाने की आज्ञा नहीं मिली। राजा ने क्रोध में उसे झूठा कह कर दरबार से बाहर निकलवा दिया। राजा के न्याय में यह भी आया कि सरयू अब भी झूठी कहानियाँ सुनाने का हठ करे तो उसे देश से निष्कासित कर दिया जाएगा।

सरयू वहाँ से रो कर गया।

राज दरबार में राजकवि भी उपस्थित था। वह अपनी कविताओं के बारे में सोचने लगा था। यदि सरयू बोलने में झूठा था तो राजकवि लिखने में झूठा हुआ। उसने कब किसी औरत को नदी में नंगी देह नहाते देखा, लेकिन राजा उसकी ऐसी कविताओं से खुश हो कर उसे शाबाशी देता था। राजा एक बार शत्रु राजा से लड़ाई में पराजित हो कर लौटा था। राजकवि ने उसकी पराजय को शब्दबद्ध न कर के लिखा था राजा की तलवार की झनझनाहट सुनने पर शत्रु राजा की सेना में भगदड़ मच जाती थी।

राजकवि ने राजा को विश्व सम्राट जैसे महान झूठों का नायक बना कर उस पर आधारित जो महाकाव्य लिखा था इसके बल पर उसे आजीवन राजकवि का पद प्राप्त हुआ था।

***

© श्री रामदेव धुरंधर

17 – 12 — 2023

संपर्क : रायल रोड, कारोलीन बेल एर, रिविएर सेचे, मोरिशस फोन : +230 5753 7057   ईमेल : [email protected]

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 224 – राम, राम-सा..! ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

☆  संजय उवाच # 224 राम, राम-सा..! ?

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे,

सहस्त्रनामतत्तुल्यं राम नाम वरानने।

राम मर्यादापुरुषोत्तम हैं, लोकहितकारी हैं। राम एकमेवाद्वितीय हैं। राम राम-सा ही हैं, अन्य कोई उपमा उन्हें परिभाषित नहीं कर सकती।

विशेष बात यह कि अनन्य होकर भी राम सहज हैं, अतुल्य होकर भी राम सरल हैं, अद्वितीय होकर भी राम हरेक को उपलब्ध हैं। डाकू रत्नाकर ने मरा-मरा जपना शुरू किया और राम-राम तक आ पहुँचा। व्यक्ति जब सत्य भाव और करुण स्वर से मरा-मरा जपने लगे तो उसके भीतर करुणासागर राम आलोकित होने लगते हैं।

राम का शाब्दिक अर्थ  हृदय में रमण करने वाला है। रत्नाकर का अपने हृदय के राम से साक्षात्कार हुआ और जगत के पटल पर महर्षि वाल्मीकि का अवतरण हुआ। राम का विस्तार शब्दातीत है। यह विस्तार लोक के कण-कण तक पहुँचता है और राम अलौकिक हो उठते हैं। कहा गया है, ‘रमते कणे कणे, इति राम:’.. जो कण-कण में रमता है, वह राम है।

राम ने मनुष्य की देह धारण की। मनुष्य जीवन के सारे किंतु, परंतु, यद्यपि, तथापि, अरे, पर,  अथवा उन पर भी लागू थे।  फिर भी वे परम पुरुष सिद्ध हुए।

वस्तुतः इस सिद्ध यात्रा को समझने के लिए उस सर्वसमावेशकता को समझना होगा जो राम के व्यक्तित्व में थी। राम अपने पिता के जेष्ठ पुत्र थे।सिंहासन के लिए अपने भाइयों और पिता की हत्या की घटनाओं से संसार का इतिहास रक्तरंजित है। इस इतिहास में राम ऐसे अमृतपुत्र के रूप में उभरते हैं जो पिता द्वारा दिए वचन का पालन करने के लिए राज्याभिषेक से ठीक पहले राजपाट छोड़कर चौदह वर्ष के लिए वनवास स्वीकार कर लेता है। यह अनन्य है, अतुल्य है, यही राम हैं।

भाई के रूप में भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के लिए राघव अद्वितीय सिद्ध हुए। उनके भ्रातृप्रेम का अनूठा प्रसंग हनुमन्नाष्टक में वर्णित है। मेघनाद की शक्ति से मूर्च्छित हुए लक्ष्मण की चेतना लौटने पर हनुमान जी ने पूछा, ‘हे  लक्ष्मण, शक्ति के प्रहार से बहुत वेदना हुई होगी..!’  लक्ष्मण बोले, “नहीं महावीर,  मुझे तो केवल घाव हुआ,  वेदना तो भाई राम को हुई होगी..!’

यह वह समय था जब समाज में बहु पत्नी का चलन था। विशेषकर राज परिवारों में तो राजाओं की अनेक पत्नियाँ होना सामान्य बात थी। ऐसे समय में अवध का राजकुमार, भावी सम्राट ‘एक पत्नी’ व्रत का आजीवन पालन करे, यह विलक्ष्ण है।

शूर्पनखा का प्रकरण हो या पार्वती जी द्वारा सीता मैया का वेश धारण कर उनकी परीक्षा लेने का प्रसंग, श्रीराम की महनीय शुद्धता 24 टंच सोने से भी आगे रही। सीता जी के रूप में पार्वती जी को देखते ही श्रीराम ने हाथ जोड़े और पूछा, “माता आप अकेली वन में विचरण क्यों कर रही हैं और भोलेनाथ कहाँ हैं? “

इसी तरह हनुमान जी के साथ स्वामी भाव न रखते हुए भ्रातृ भाव रखना, राम के चरित्र को उत्तुंग करता है- ‘तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।’

समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलना राम के व्यक्तित्व से सीखा जा सकता है। उनकी सेना में वानर, रीछ, सभी सम्मिलित हैं। गिद्धराज जटायु हों, वनवासी माता शबरी हों, नाविक केवट हो, निषादराज गुह अथवा अपने शरीर से रेत झाड़कर सेतु बनाने में सहायता करनेवाली गिलहरी,  सबको सम्यक दृष्टि से देखने वाला यह रामत्व केवल राम के पास ही हो सकता था। संदेश स्पष्ट है, जो तुम्हारे भीतर बसता है, वही सामने वाले के भीतर भी रमता है।…रमते कणे कणे…!  कण कण में राम को राम ने देखा, राम ने जिया।

भारत के अनेक प्रदेशों में अभिवादन के लिए ‘राम-राम’ कहा जाता है। राजस्थान में  ‘राम राम-सा’ का प्रयोग होता है। लोक के इस संबोधन में एक संदेश छिपा है। राम-सा केवल राम ही हो सकते हैं। सात्विकता से सुवासित जब कोई  ऐसा सर्वगुणसम्पन्न हो कि उसकी तुलना किसी से न की जा सके, अपने जैसा एकमेव आप हो तो राम से श्रीराम होने की यात्रा पूरी हो जाती है। यही राम नाम का महत्व है, राम नाम की गाथा है और रामनाम का अविराम भी है।

राम राम रघुनंदन राम राम,

राम-राम भरताग्रज राम राम।

राम-राम रणकर्कश राम राम,

राम राम शरणम् भव राम राम।।

© संजय भारद्वाज 

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय संपादक– हम लोग पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆   ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

💥 🕉️ मार्गशीर्ष साधना सम्पन्न हुई। अगली साधना की सूचना हम शीघ्र करेंगे। 🕉️ 💥

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
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आलेख
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English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media # 172 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain Pravin Raghuvanshi, NM

? Anonymous Litterateur of Social Media # 172 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 172) ?

Captain Pravin Raghuvanshi —an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. He was involved in various Artificial Intelligence and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’.

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc. Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi.  He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper.  The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Award and C-in-C Commendation.

Captain Pravin Raghuvanshi is also an IIM Ahmedabad alumnus. His latest quest involves social media, which is filled with rich anonymous literature of nameless writers, shared on different platforms, like, WhatsApp / Facebook / Twitter / Your quotes / Instagram etc. in Hindi and Urdu, he has taken the mantle of translating them as a mission for the enjoyment of the global readers. Enjoy some of the Urdu poetry couplets as translated by him.

हम ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए आदरणीय कैप्टेन प्रवीण रघुवंशी जी के “कविता पाठ” का लिंक साझा कर रहे हैं। कृपया आत्मसात करें।

फेसबुक पेज लिंक  >>कैप्टेन प्रवीण रघुवंशी जी का “कविता पाठ” 

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 172 ?

☆☆☆☆☆

Mystical Time… ☆

वक्त का क्या भरोसा, आज तुम्हारा     

तो  कल  हमारा  होगा…

ये  वक्त  है जनाब,  क्या  पता 

कि  कब  बदल  जाएगा…!

☆☆

Who could unravel the time, today it’s

yours but tomorrow it may be mine…

Time is too elusive Sire, who can ever

predict when will it change…!

☆☆☆☆☆

 ☆ Visual Scripting… ☆ 

आँखों से भी लिखी जाती हैं

तमाम दिल की दास्तानें,

हर कहानी को कलम की

जरूरत नहीं हुआ करती…!

☆☆

Many a story of the heart are

scripted through the eyes only

Not that every single folklore

necessarily needs a pen…!

☆☆☆☆☆

☆ Life Story… ☆ 

है उतना ही खूबसूरत मेरी कहानी

में तेरा यूं आना, फिर चले जाना…

जैसा ज़िंदगी के खूबसूरत लम्हों

को अपने ही अंदाज़ से गंवाना…!

☆☆

Your coming into my life-story and

then leaving, was as dazzling as

losing the ravishing moments of

life in a truly awe-inspiring way..!

☆☆☆☆☆

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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English Literature – Poetry ☆ The Grey Lights# 30 – “Curls” ☆ Shri Ashish Mulay ☆

Shri Ashish Mulay

? The Grey Lights# 30 ?

☆ – “Curls” – ☆ Shri Ashish Mulay 

Are you aware?

aware of your power

or you yourself lost in it

for it is a maze for heart

 

Are you aware?

aware of that tide

rising in that untidiness

for it lands on bedrocks of mind

 

Are you aware?

aware of that net of darkness

shining so bright in sun

for no fish can escape it

 

Are you aware?

aware of your curls

interwoven like a life

for they kill straight through

 

© Shri Ashish Mulay

Sangli 

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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हिन्दी साहित्य – आलेख ☆ अभी अभी # 258 ⇒ मेरी झोपड़ी के भाग… ☆ श्री प्रदीप शर्मा ☆

श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “मेरी झोपड़ी के भाग।)

?अभी अभी # 258 ⇒ मेरी झोपड़ी के भाग… ? श्री प्रदीप शर्मा  ?

आज सभी ओर केवल एक ही स्वर गूंज रहा है, राम आएंगे, राम आएंगे, राम आएंगे, मेरी झोपड़ी के भाग खुल जाएंगे। यह एक भक्त का भाव है, अनन्य भक्ति की पराकाष्ठा है।

अनन्य भक्ति उसे कहते हैं, जहां कोई दूसरा बीच में होता ही नहीं, भक्त और भगवान एक हो जाते हैं।

शाब्दिक रूप से झोपड़ी एक गरीब की होती है और महल एक राजा अथवा किसी अमीर रईस का। जब कभी हममें भी यह अनन्य भाव जाग उठता है तो हम भी अपने आलीशान बंगले को कुटिया कह उठते हैं।।

हमने तो ऐसी आलीशान कोठी भी देखी है, जिसका नाम संतोष कुटी है। पहले संत कुटिया में रहते थे, आजकल कॉटेज का जमाना है। असली भक्त भी वही, जिसे अपना विशाल भवन भी गरीबखाना ही लगे।

हमारे इष्ट मर्यादा पुरुषोत्तम अगर अयोध्या के राम हैं, तो केवट, निषाद, वानर और शबरी के लिए वे एक वनवासी राम हैं, राम, लखन, और सीता का अगर वनवास नहीं होता, तो ना तो रावण का वध होता और ना ही भक्त यह कह पाते ;

राम, लछमन, जानकी

जय बोलो हनुमान की।

राम की अनन्य भक्ति के केवल दो ही प्रतीक हैं, जो हर भक्त के लिए आदर्श हैं। एक शबरी और दूसरे रामभक्त हनुमान। अपने इष्ट की प्राप्ति एक जन्म में नहीं होती। अपने आराध्य के दर्शन के लिए शबरी ने कितने जन्मों तक इंतजार किया होगा। पत्थर की अहिल्या में प्रभु श्रीराम के केवल पाद स्पर्श से ही प्राणों का संचार हो गया।।

भक्ति का पहला सोपान है, भक्त की अस्मिता और अहंकार का नष्ट होना।

लेकिन यह भी केवल प्रभु कृपा से ही संभव है। राम क्या इतने पक्षपाती हैं कि वे केवल शबरी की झोपड़ी में ही आएंगे और मेरे दो बेडरूम किचन के फ्लैट में नहीं आएंगे। प्रभु तो प्रेम के भूखे हैं और शायद इसीलिए शबरी के जूठे बेर में उन्हें वही रस आता है जो द्वापर के श्रीकृष्ण को विदुर के साग में आया होगा।

यह एक भक्त का अनन्य भाव ही है कि वह अपनी भौतिक उपलब्धियों को तुच्छ मानकर अपने विशाल निवास को एक झोपड़ी के रूप में ही प्रस्तुत करता है। वह यह भी जानता है एक भक्त सुदामा जब अपनी कुटिया से एक मुट्ठी चावल लेकर अपने अनन्य मित्र द्वारकाधीश श्रीकृष्ण से मिलने जाता है, तो केवल एक मुट्ठी चावल से उसके भाग जाग जाते हैं।।

वह तो घट घट व्यापक अंतर्यामी निर्गुण और निराकार होते हुए भी एक भक्त की भावना के अनुरूप सगुण साकार हो उठता है ;

जाकी रही भावना जैसी

प्रभु मूरत देखी तिन तैसी ;

अगर आपकी भावना प्रबल है तो आप जैसे भी हैं, जहां भी हैं, झोपड़ी, कुटिया, कॉटेज, सरकारी क्वार्टर, बंगला अथवा केवल चित्त शुद्ध, तो अयोध्या के राम, आएंगे, आएंगे, जरूर आएंगे।

काश हमारा भाव भी राम भक्त हनुमान समान ही होता जहां ;

मेरे मन में राम

मेरे तन में राम

मेरे रोम रोम में राम हैं।

जय श्री राम

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 170 ☆ दोहा सलिला – अक्षर आराधना ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है दोहा सलिला – अक्षर आराधना)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 170 ☆

☆ दोहा सलिला – अक्षर आराधना ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

सूर्य रश्मि लोरी सुना, कहे जगो हे राम!

राजकुमार उठो करो, धन्य धरा भू धाम।।

कोहरा घूँघट ओट से, कर चितवन का वार।

रश्मि निमंत्रण दे करो, सबसे सब दिन प्यार।।

वाक् ब्रह्म है नाद हरि, ताल- थाप शिव जान।

स्वर सरगम शारद-रमा, उमा तान मतिमान।।

योग प्रयोग करें सतत, मिट जाए हर रोग।

हों वियोग अति भोग से, संयम सदा सुयोग।।

मिला मुकद्दर मुफ्त में, मान महज मेहमान।

अवसर-कशिश की कशिश, घरवाली वत जान।।

श्याम पूर्ण हो शुभ्र से, शुभ्र श्याम से पूर्ण।

शुभ न अशुभ बिन शुभ रहे, अशुभ बिना शुभ चूर्ण।।

कर अक्षर आराधना, होगा नहीं अभाव।

भाव शब्द में रस भरे, सब से कर निभाव।।

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

२.५.२०२२ 

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ व्यंग्यम की मासिक गोष्ठी संपन्न ☆ प्रस्तुति – श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

श्री जय प्रकाश पाण्डेय

🌹व्यंग्यम की मासिक गोष्ठी संपन्न🌹

जबलपुर। व्यंग्य विधा के उन्नयन के लिए समर्पित ‘व्यंग्यम’ जबलपुर द्वारा अपनी मासिक गोष्ठी का आयोजन जय नगर स्थित पाण्डेय निवास में किया गया | जिसमें श्री सुरेश “विचित्र” द्वारा ‘राजनीति में सब जायज है’श्री ओ. पी.  सैनी द्वारा ‘झंडा’, श्री रमाकांत ताम्रकार द्वारा ‘पोस्ट ऑफिस’, श्री जय प्रकाश पाण्डेय द्वारा ‘मामा के ढाबे में चुनाव अखाड़ा’, श्री अभिमन्यु जैन द्वारा ‘शहर हुआ शराबखाना’ तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए देश के प्रख्यात व्यंग्यकार प्रोफेसर श्री कुंदन सिंह परिहार द्वारा ‘सुरक्षित सम्मान की गारंटी’ व्यंग्य का पाठ करते हुए मजाज़ के लेखन पर चर्चा की।. 
कार्यक्रम के अंत में ख्यातिलब्ध कवि स्व. मलय जी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई । कार्यक्रम का संचालन श्री रमाकांत ताम्रकार ने तथा आभार प्रदर्शन श्री अभिमन्यु जैन ने किया।

साभार –  श्री जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765  

 ≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ राज्यस्तरीय एकदिवसीय अनुवाद प्रशिक्षण कार्यशाला, 28 जनवरी 2024 ☆ प्रस्तुति – डॉ प्रेरणा उबाळे ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌸 राज्यस्तरीय एकदिवसीय अनुवाद प्रशिक्षण कार्यशाला (हिंदी, मराठी,अँग्रेजी (सभी के लिए खुला)) 28 जनवरी 2024 ☆ प्रस्तुति – डॉ प्रेरणा उबाळे 🌸

प्रोग्रेसिव एजुकेशन सोसायटी के मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत्त), (हिंदी विभाग), छत्रपति शिवाजीनगर, पुणे – 05 एवं शब्दसृष्टि भारतीय साहित्य, कला व सांस्कृतिक प्रतिष्ठान तथा डॉ. विजया स्मृति अंतरराष्ट्रीय अनुवाद एवं अनुसंधान केंद्र, मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में सभी शाखाओं के छात्र, प्राध्यापक, अनुवादक आदि के लिए राज्यस्तरीय एकदिवसीय अनुवाद प्रशिक्षण कार्यशाला (हिंदी, मराठी, अँग्रेजी भाषा के संदर्भ में) आयोजित है। 

विशेष –

🌺 प्रातः  9.30 से सायं. 5.00 बजे  तक

🌺 साहित्य अकादमी पुरस्कृत अनुवादकों का मार्गदर्शन

🌺 राज्यस्तरीय एकदिवसीय अनुवाद प्रशिक्षण कार्यशाला का प्रमाणपत्र

🌺 250/- रुपयों की अनुवाद की पुस्तक भेंट

🌺 भोजन और चाय की व्यवस्था मौजूद

🌺 पंजीकरण शुल्क – रू 500/-

🌺 कार्यशाला का स्थल- स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर सभागृह, मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत्त), शिवाजीनगर, पुणे 411005

अनुवाद प्रशिक्षण कार्यशाला में सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए निम्न गूगल फार्म भरें।

गूगल फार्म का लिंक 👇🏻

https://forms.gle/LovMREjgP7FaE3367  

अधिक जानकारी हेतु संपर्क –

डॉ. प्रेरणा उबाळे

अध्यक्ष, हिंदी विभागाध्यक्षा, मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत्त), शिवाजीनगर,  पुणे ०५

संपर्क – मो – 7028525378 /

ईमेल – [email protected][email protected]

 ≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (22 जनवरी से 28 जनवरी 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (22 जनवरी से 28 जनवरी 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

संस्कृत में एक श्लोक है जिस मैं दिए गए मार्गदर्शन का पालन हम सभी को करना ही चाहिए।

उद्यमेन हि सिद्धयन्ति कार्याणि न मनोरथैः।

न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।।

इसका श्लोक के अनुसार कोई भी कार्य करने से होता है केवल मन में इच्छा रखने से नहीं होता है। एक ज्योतिषी आपको अच्छे समय के बारे में बता सकता है परंतु उपलब्धि प्राप्त करने के लिए आपको ही कार्य करने पड़ेंगे। आप सभी को पंडित अनिल पांडे का नमस्कार राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। आज मैं आपको 22 जनवरी से 28 जनवरी अर्थात विक्रम संवत 2080 शक संवत 1945 के पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी से माघ मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के बारे में बताऊंगा।

इस सप्ताह प्रारंभ में चंद्रमा वृष राशि में रहेगा। उसके उपरांत 22 तारीख को 5:45 सायंकाल से मिथुन राशि में प्रवेश करेगा। चंद्रमा 24 तारीख को 1:53 रात से कर्क राशि में गोचर करेगा और 27 तारीख को 12:18 दिन से सिंह राशि में प्रवेश करेगा। इस पूरे सप्ताह सूर्य मकर राशि में, मंगल, शुक्र और बुध धनु राशि में, गुरु मेष राशि में, शनि कुंभ राशि में और वक्री राहु मीन राशि में रहेगा।

आप सभी को ज्ञात है कि खरमास समाप्त हो गए हैं। अतः मंगल कार्य तेजी से प्रारंभ हो गये हैं। इस सप्ताह 22, 27 और 28 जनवरी को विवाह मुहूर्त, 25 जनवरी को गृहारंभ मुहूर्त, 22 और 24 जनवरी को गृह प्रवेश का मुहूर्त, और 25 और 26 जनवरी को व्यापार का मुहूर्त है। इस सप्ताह उपनयन, अन्नप्राशन, मुंडन और नामकरण के कोई मुहूर्त नहीं है।

इस सप्ताह 22 तारीख को सूर्योदय से 5:58 रात अंत तक तथा 25 तारीख को सूर्योदय से रात अंत तक सर्वार्थ सिद्ध योग है।

आइये अब हम राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। माता जी का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। पिताजी और जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी रहेगी। जीवनसाथी को पेट की समस्या हो सकती है। संतान का सुख आपके उत्तम मिलेगा। संतान आपका सहयोग करेगी। अगर आपकी एक से ज्यादा संतान है तो कम से कम एक संतान आपका सहयोग नहीं कर पाएगी। भाग्य आपका साथ देगा। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में गिरावट होगी। इस सप्ताह आपके लिए 25, 26 और 27 की दोपहर तक का समय किसी भी कार्य को करने के लिए उत्तम है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गरीबों को चावल का दान दें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपका, आपके जीवन साथी का, आपके माता जी का और आपके पिताजी का अर्थात पूरे परिवार का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपको अपनी संतान से सहयोग प्राप्त होगा। भाग्य आपका कम साथ देगा। आपको अपने परिश्रम पर विश्वास करना होगा। आपके कार्य आपके परिश्रम के भरोसे ही होंगे। आपके खर्चों में वृद्धि होगी। स्थानांतरण भी हो सकता है। इस सप्ताह आप कचहरी के कार्यों में रिस्क नहीं लें। भाई बहनों का आपके सहयोग प्राप्त नहीं होगा। इस सप्ताह आपके लिए 22 तथा 27 और 28 तारीख किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक है। धन के मात्रा में थोड़ी कमी रह सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन और विशेष कर मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का जाप करें जिससे कि आप दुर्घटनाओं से बच सके। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मिथुन राशि

अविवाहित जातकों के लिए यह सप्ताह उत्तम है। आपके विवाह के उत्तम प्रस्ताव आएंगे। अगर दशा और अंतर्दशा ठीक रही तो विवाह तय होकर हो भी सकता है। प्रेम संबंधों में वृद्धि हो सकती है। आपका और आपके जीवनसाथी का तथा आपके माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी के स्वास्थ्य में समस्या रह सकती है। भाग्य इस सप्ताह आपका साथ देगा। दुर्घटनाओं से आपको बचने का प्रयास करना चाहिए। धन आने का सामान्य योग है। कार्यालय में आप उग्र रहेंगे। अपने स्वभाव में थोड़ा सा आपको परिवर्तन लाना चाहिए, जिससे फालतू का झगड़ा ना हो। इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 तारीख लाभदायक है। 22 तारीख को आपको सतर्क रहकर कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप आदित्य हृदय स्त्रोत का प्रतिदिन पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह आपका और आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके जीवनसाथी का और आपकी माता जी के स्वास्थ्य में थोड़ी समस्या हो सकती है। भाग्य इस सप्ताह आपका बिल्कुल साथ नहीं देगा। आपको हर कार्य को करने के लिए विशेष रूप से प्रयास करने पड़ेंगे। आपको नसों की पीड़ा हो सकती है। आपके सभी शत्रु आपके प्रयासों से परास्त हो सकते हैं। आपका व्यापार सामान्य रहेगा। धन आने की मात्रा में थोड़ी कमी हो सकती है। कार्यालय में आपको सावधान भी रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 25, 26 और 27 के दोपहर तक का समय किसी भी कार्य को करने के लिए फलदायक है। सप्ताह के बाकी दिनों में 23 और 24 तारीख को आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह शनिवार को मंदिर में जाकर शनि देव की पूजा अर्चना करें तथा प्रतिदिन सायं काल को पीपल के पेड़ के नीचे एक मिट्टी का दीपक जलाकर पीपल की सात बार परिक्रमा करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपको अपने संतान से उत्तम सहयोग प्राप्त होगा। संतान का प्रमोशन भी हो सकता है। छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी। इस सप्ताह अगर उनका कोई रिजल्ट आता है तो उत्तम रहेगा। इस सप्ताह आपको दुर्घटनाओं से और बीमारियों से सतर्क रहना चाहिए। अगर कहीं कोई शारीरिक परेशानी है तो आपको तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। भाग्य इस सप्ताह आपका पूर्ण रूपेण साथ देगा। धन की मात्रा बढ़ सकती है। व्यापार ठीक-ठाक चलेगा। जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपका, आपकी माताजी का और पिताजी का स्वास्थ्य भी ठीक-ठाक रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 22 तथा 27 और 28 तारीख फलदायक है। 25, 26 और 27 की दोपहर तक कोई भी कार्य को करने के लिए आपको अत्यंत सावधान होकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको थोड़ी बहुत मानसिक कष्ट भी हो सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपके सुख में वृद्धि होगी। माता जी का स्वास्थ्य ठीक-ठाक रहेगा। पिताजी का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। आपके पास धन आने की मात्रा में कमी आ सकती है। व्यापार में लाभ में भी कमी होगी। आपका और आपके जीवन साथी में से किसी एक का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। आपको अपनी संतान से कोई सहयोग प्राप्त नहीं होगा। भाग्य सामान्य है। भाग्य से कोई बहुत बड़ी उम्मीद ना करें। आपको इस सप्ताह कोई भी कार्य करने के लिए परिश्रम थोड़ा ज्यादा करना पड़ेगा। इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 तारीख लाभदायक है। 27 और 28 तारीख को आपको कोई भी कार्य करने के पहले पूरी योजना बनाकर तथा पूरी सावधानी के साथ ही करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शनिवार को दक्षिण मुखी हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम पांच बार हनुमान चालीसा का जाप करें। हनुमान जी के मंदिर में दर्शन करने के लिए आपको प्रतिदिन जाना चाहिए। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

तुला राशि

आप का स्वास्थ्य ठीक-ठाक रहेगा। कभी-कभी आपके पेट में समस्या हो सकती है। आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा परंतु मां का स्वास्थ्य में खराबी आ सकती है। आपको अपनी संतान से अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी। भाइयों के साथ संबंध ठीक-ठाक रहेंगे। इस सप्ताह आपके लिए 25, 26 और 27 जनवरी के दोपहर तक का समय ठीक-ठाक है। इन तारीखों में आप जो भी कार्य करेंगे उसमें अधिकांश में आप सफल रहेंगे। आपको 22 तारीख को सावधान रहकर कोई कार्य करना है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रातः काल स्नान के उपरांत तांबे के पत्र में जल अक्षत और लाल पुष्प लेकर भगवान सूर्य को जल अर्पण करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह ठीक-ठाक है। इस सप्ताह आपको धन लाभ होने की संभावना है। भाग्य आपका साथ देगा। भाई और बहनों के साथ आपकी तकरार संभव है। माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आ सकती है। संतान से आपके सहयोग प्राप्त नहीं होगा। आपके पेट में मामूली पीड़ा हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 22, 27 और 28 जनवरी परिणाम दायक हैं। किसी भी कार्य में अच्छे परिणाम पाने के लिए आपको इन तारीखों का इस्तेमाल करना चाहिए। 23 और 24 तारीख को आपको सतर्क रह कर कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

धनु राशि

यह सप्ताह आपको मिश्रित फल देगा। धन आने की मात्रा में कमी रहेगी। लाभ की मात्रा में भी कमी होगी। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक रहेंगे। आंखों में कोई पीड़ा हो सकती है। मानसिक पीड़ा भी संभव है। माता जी के स्वास्थ्य में खराबी आएगी। पिताजी का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 तारीख उत्तम और लाभप्रद हैं। सप्ताह के बाकी दिनों में आपको सतर्क रहने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह भाग्य आपका साथ दे सकता है। लंबी यात्रा का योग भी बन सकता है। कचहरी के कार्यों में सफलता की उम्मीद है। धन आने के रास्ते खुलेंगे। आपके स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आएगी। आपको मानसिक परेशानी हो सकती है। माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी को थोड़ी बहुत परेशानी संभव है। पिताजी को चाहिए तो अपने पेट पर विशेष रूप से ध्यान दें। इस सप्ताह आपके लिए 25, 26 और 27 की दोपहर तक का समय ठीक है। 25, 26, 27 की दोपहर तक आप जो भी कार्य करेंगे उसमें आपको सफलता प्राप्त होगी। 27 और 28 को किसी भी कार्य को करने में आपको पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। इसके अलावा 23 और 24 तारीख को भी आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि गणेश अथर्वशीर्ष का प्रतिदिन पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

कुंभ राशि

आपका स्वास्थ्य ठीक रहने की संभावना है। जीवन साथी के नसों में पीड़ा हो सकती है। उनके गर्दन और कमर में दर्द होना संभव है। धन थोड़ी मात्रा में आएगा। कचहरी के कार्यों में आपको विशेष लाभ नहीं होगा। लॉटरी आदि में रिस्क ना लें। भाग्य से आपको कोई विशेष मदद नहीं मिल सकती है। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे। इस सप्ताह आपके लिए 22, 27 और 28 तारीख विशेष फलदायक है। 25, 26 और 27 तारीख को आपको सावधान रहकर कोई कार्य करना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह भगवान शिव का प्रतिदिन अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह आपको विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है। यदि आप अविवाहित हैं तो आपको नये विवाह संबंधों में विशेष सावधान रहना चाहिए। धन आने का योग है परंतु धन अल्प मात्रा में आएगा। कार्यालय में आपकी स्थिति ठीक-ठाक रहेगी। भाई बहनों के साथ टकराव हो सकता है। आपका और आपके जीवन साथी दोनों के स्वास्थ्य में थोड़ी दिक्कत रहेगी। आपका अपने संतान के साथ संबंध ठीक रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 तारीख उत्तम है। 27 और 28 तारीख को आपको सावधान रहकर कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

आपसे अनुरोध है कि इस पोस्ट का उपयोग करें और हमें इस पोस्ट के बारे में बतायें।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ शब्द, देह, रोमांच ! ☆ श्री प्रमोद वामन वर्तक ☆

श्री प्रमोद वामन वर्तक

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☆ शब्द, देह, रोमांच ☆ श्री प्रमोद वामन वर्तक ☆

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नको कवितेत पसारा,

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डोळे भरून यावेत,

नकळत उचलून तिला

कुणीही घ्यावी कवेत !

वाचतांना अर्थगर्भ रचना 

काटा अंगावरी फुलावा,

रोमांचित करुनी अंग अंग

अवघा देहची शब्द व्हावा !

अवघा देहची शब्द व्हावा !

© प्रमोद वामन वर्तक

सध्या सिंगापूर 9892561086

संपर्क – दोस्ती इम्पिरिया, ग्रेशिया A 702, मानपाडा, ठाणे (प.)

मो – 9892561086 ई-मेल – [email protected]

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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