हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 184 ☆ ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

☆  संजय उवाच # 184 सुगंध ?

सिग्नल खुलने की प्रतीक्षा में खड़ा हूँ। एक व्यक्ति गुलाब के पुष्पगुच्छ और पंखुड़ियों की माला बेच रहा है। सौदा लेकर मेरे पास भी आता है। खरीदने का कोई कारण नहीं है तथापि चिंता और चिंतन का कारण अवश्य है। माला हो या पुष्पगुच्छ, दोनों में से किसी तरह की कोई सुगंध नहीं आ रही। एकाएक नथुने लगभग चार दशक पीछे लौटते हैं और तन-मन सुगंधित हो उठते हैं।

स्मरण आता है कि उन दिनों महाविद्यालय में कोई युवक किसी युवती को देने के लिए अपने बैग में छिपाकर गुलाब का एक पुष्प ले आता तो सारी कक्षा महक उठती। पुष्प किसके लिए लाया गया, यह तो पता नहीं चलता पर कक्षा में किसीके पास गुलाब है, इसकी जानकारी हर एक को हो जाती। गुलाब की गंध ही उसका सबसे बड़ा परिचय थी।

तब और अब का मंथन हुआ, विचार जन्मा। पिछले कुछ दशकों से पुष्पों की भाँति ही जीवन से भी सुगंध कहीं दूर हो चली है। सारे हाइब्रीड पुष्प अब एक जैसे, बड़े आकार के और अधिक सुंदर दिखने लगे हैं। विचार की परिधि में मनुष्य भी आया। पैसे और पद के अहंकार से हाइब्रीड-सा एलिट मनुष्य पर भीतर से सद्गुणों को डिलीट कर चुका मनुष्य। प्रदर्शन के भाव का मारा मनुष्य, भीतरी सुगंध के अभाव से हारा मनुष्य।

प्रदर्शन के समय में दर्शन की बात करना बहुधा हास्यास्पद हो सकता है किंतु विचारणीय है कि प्रदर्शन में मूल शब्द दर्शन ही है। दर्शन बचा रहेगा तो अन्य संभावनाएँ भी बची रहेंगी। मूल नष्ट हुआ तो अन्य सभी के नष्ट होने की आशंका भी बनी रहेगी।

संत कबीर लिखते हैं,

शीलवंत सबसे बड़ा, सब रत्नन की खान।

तीन लोक की संपदा, रही शील में आन।।

शील अर्थात सद्गुण ही सबसे बड़ी सम्पदा और रत्नों की खान है। शील में ही तीनों लोकों की संपत्ति अंतर्निहित है।

भौतिक संपदा के साथ-साथ यह आंतरिक त्रिलोकी भी व्यक्ति पा ले तो व्यक्तित्व को सुगंधित होने में समय नहीं लगेगा।

© संजय भारद्वाज 

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय संपादक– हम लोग पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆   ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

💥 आपदां अपहर्तारं साधना श्रीरामनवमी अर्थात 30 मार्च को संपन्न हुई। अगली साधना की जानकारी शीघ्र सूचित की जावेगी।💥

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 132 ☆ – गीत – नदी मर रही है… – ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी द्वारा रचित  गीत “~ नदी मर रही है… ~”)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 132 ☆ 

~ गीत ~ नदी मर रही है ~ ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

नदी नीरधारी, नदी जीवधारी,

नदी मौन सहती उपेक्षा हमारी

नदी पेड़-पौधे, नदी जिंदगी है-

भुलाया है हमने नदी माँ हमारी

नदी ही मनुज का

सदा घर रही है।

नदी मर रही है

*

नदी वीर-दानी, नदी चीर-धानी

दी ही पिलाती बिना मोल पानी,

नदी रौद्र-तनया, नदी शिव-सुता है-

नदी सर-सरोवर नहीं दीन, मानी

नदी निज सुतों पर सदय, डर रही है

नदी मर रही है

*

नदी है तो जल है, जल है तो कल है

नदी में नहाता जो वो बेअकल है

नदी में जहर घोलती देव-प्रतिमा

नदी में बहाता मनुज मैल-मल है

नदी अब सलिल का नहीं घर रही है

नदी मर रही है

*

नदी खोद गहरी, नदी को बचाओ

नदी के किनारे सघन वन लगाओ

नदी को नदी से मिला जल बचाओ

नदी का न पानी निरर्थक बहाओ

नदी ही नहीं, यह सदी मर रही है

नदी मर रही है

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

१२.३.२०१८, जबलपुर

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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हिन्दी साहित्य – कविता ☆ “ आवारा ” ☆ श्री आशिष मुळे ☆

श्री आशिष मुळे

☆ कविता ☆ “आवारा” ☆ श्री आशिष मुळे ☆

मन में ना कोई धरम है

ना किसी की नफरत है

बस जीने की एक ख्वाहिश है

सीने में एक धड़कता दिल है

कहते हमे आवारा है ।

 

हमें जाना कहीं नहीं है

रास्ता यही हमारा घर है

जन्नत कहाँ है पता नहीं है

जन्नम का हमें डर नहीं है

कहते हमे आवारा है ।

 

प्यार खुले आसमां में उड़ता है

नफ़रत बंद गलियों में दौड़ती है

इंसानियत जंगल में रहती है

हैवानियत अब घर में क़ैद है

और कहते हमे आवारा है ।

 

खयाल पत्थरों को जान देते हैं

पत्थर मासूमों की जान लेते है

कहानियों के पीछे जिंदगी भागती है

वहां मौत सड़कों पे नाचती है

और कहते हमे आवारा है ।

 

रहमत है खुदा की भगवान की कृपा है

हाथों पे खून किसी मासूम का नहीं है

किसी होशियार के प्यादे नहीं है

किसी कहानी के हम गुलाम नहीं है

शुक्र है हम आवारा है

शुक्र है हम आवारा है ।

 

© श्री आशिष मुळे

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ साहित्य की दुनिया ☆ प्रस्तुति – श्री कमलेश भारतीय ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय  🌹

(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)

☆ हरियाणा साहित्य अकादमी का बदला स्वरूप

हरियाणा की सभी साहित्य अकादमी का स्वरूप बदल गया है । अब सभी अकादमियों का विलय कर एक ही अकादमी बना दी गयी है जिसका नाम है – हरियाणा साहित्य व सांस्कृतिक अकादमी ! ये आदेश 24 मार्च को जारी किये गये । इस तरह अकादमियों के जितने भी अधिकारी कार्यरत थे , उन्होंने स्वतः ही अकादमी जाना बंद कर दिया । इस तरह राज्य के सभी भाषाओं के लेखकों में यह उत्सुकता है कि अब आगे क्या होगा ! हालांकि हरियाणा के सूचना व सम्पर्क विभाग के महानिदेशक डाॅ अमित कुमार अग्रवाल ने यह स्पष्ट किया कि सभी अकादमियों की पत्रिकायें पहले की तरह प्रकाशित होती रहेंगीं और एक ही विद्वान व प्रबंध कुशल व्यक्ति को इसका निर्देशन सौंपा जायेगा । एक ही बार में सभी भाषाओं के लेखकों को सम्मानित किया जायेगा । अभी देखते हैं कि कितना बदलाव आता है !

राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा : इधर राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर ने पुरस्कारों की घोषणा कर दी है और प्रदेश के पच्चीस रचनाकारों को चुना गया है । इनमें लघुकथा के चर्चित हस्ताक्षर डाॅ रामकुमार घोटड़, व्यंग्यकार फारूक आफरीदी , हरिओम मीणा , हसन जमाल , कुसुम मेघवाल , जवरी मल्ल पारिख , गौरधन सिंह शेखावत आदि शामिल हैं । ये पुरस्कार मई माह में दिये जायेंगे ! सभी रचनाकारों को बधाई । इससे पहले महाराष्ट्र के पुरस्कारों की घोषणा और समारोह आयोजित हो चुका है । अभी हरियाणा साहित्य अकादमी के पुरस्कारों की घोषणा प्रतीक्षित है ।

गाजियाबाद का कथा संवाद : गाजियाबाद में प्रसिद्ध लेखक से रा यात्री के बेटे आलोक यात्री , व्यंग्यकार सुभाष चंदर, शिवराज ये तिकड़ी मिलकर कथा संवाद का आयोजन प्रतिमाह करते हैं । इसमें आठ दस कथाओं का पाठ होता है और अच्छे से चर्चा भी होती है । इसमें एक साल पहले मुझे भी कथा पाठ का अवसर मिला ! यह बहुत ही सार्थक आयोजन होता है और चर्चित कथाकारों को आमंत्रित किया जाता है ।

दिल्ली की सन्निधि संगोष्ठी : गाजियाबाद की तरह दिल्ली में सन्निधि संगोष्ठी का आयोजन भी प्रतिमाह किया जाते है । इसका संचालन प्रसिद्ध रचनाकार विष्णु प्रभाकर के बेटे अतुल प्रभाकर कर रहे हैं । इसमें भी कथा पाठ होता है और खुलकर कहानियों पर चर्चा होती है ! यह सिलसिला भी चलता रहे ! यही दुआ है ।

व्यंग्य यात्रा का हिदी व्यंग्य में नारी स्वर विशेषांक : प्रसिद्ध रचनाकार डाॅ प्रेम जनमेजय के संपादन में निकल रही पत्रिका व्यंग्य यात्रा का ऐसा अनोखा विशेषांक आया है –हिंदी व्यंग्यकार में नारी स्वर यानी हिंदी व्यंग्य में महिलाओं का कितना योगदान है ! इस पर खूब चर्चा हुई है और इस अनोखे विषय वाले विशेषांक को खूब पसंद किया जा रहा है । बधाई ।

साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (3 अप्रैल से 9 अप्रैल 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (3 अप्रैल से 9 अप्रैल 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

मैं हूं आपका अपना ज्योतिषी पंडित अनिल पाण्डेय। 3 अप्रैल से 9 अप्रैल 2023 अर्थात विक्रम संवत 2080 शक संवत 1943 के चैत्र शुक्ल पक्ष की द्वादशी से वैशाख कृष्ण पक्ष की तृतीया तक के  सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल कि मैं आपसे चर्चा करूंगा  ।  इस चर्चा के पहले पिछले कुछ सप्ताहों से मैं आपको हनुमान चालीसा की  दो चौपाइयों  उनसे होने वाले लाभ के बारे में बताता हूं । आज की चौपाइयां हैं :-

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे, काँधे मूँज जनेउ साजे

शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग बंदन॥

इन चौपाइयों का 11 माला लगातार 11 दिन संपुट पाठ करने पर आपको निम्नानुसार लाभ प्राप्त होगा :-

हनुमान चालीसा की ये चौपाइयां विजय दिलाती है और इनका बार बार नियमानुसार संपूर्ण पाठ करने से व्यक्ति के ओज और कांति में वृद्धि होती है ।

आइए अब हम इस सप्ताह के ग्रहों के विचरण के बारे में चर्चा करते हैं:-

इस सप्ताह चंद्रमा प्रारंभ में सिंह राशि का रहेगा ।कन्या और तुला से विचरण करता हुआ 9 अप्रैल को प्रातः काल 7:55 पर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा । वृश्चिक राशि चंद्रमा की नीच राशि है ।जिसके कारण चंद्रमा कई बार नीच भंग राज योग बनाएगा ।

इस पूरे सप्ताह सूर्य और गुरु मीन राशि में रहेंगे  । इसी प्रकार बुध और राहु मेष राशि में, शनि कुंभ राशि में और मंगल मिथुन राशि में रहेंगे । शुक्र ग्रह प्रारंभ में मेष राशि में रहेगा तथा 6 तारीख को 8:24 दिन से वृष राशि में प्रवेश करेगा ।

आइए अब हम राशि का राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

यह सप्ताह आपके लिए कुछ कर दिखाने का  सप्ताह है । इस सप्ताह आपको कई संघर्ष करने पड़ेंगे । अच्छे कार्यों में काफी पैसा खर्च हो सकता है । कचहरी के कार्यों में सफलता का योग है ।भाइयों के साथ भी संघर्ष हो सकता है। अविवाहित जातकों के लिए यह अच्छा समय है ।इस सप्ताह आपके लिए 7 और 8 मार्च किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त हैं । 5 और 6 मार्च तथा 9 मार्च को आपको सतर्क रहना चाहिए । आपको चाहिए कि आप किसी मंदिर में जाकर गरीब लोगों के बीच में चावल का दान  दें । सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है ।

वृष राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने का सुंदर योग है  । कार्यालय के कार्यों में भी आपको सफलताएं प्राप्त होंगी । अपनी संतान से आपको अच्छा सहयोग प्राप्त होगा । कचहरी के कार्यों में सफलता मिल सकती है । शत्रुओं से परेशानी रहेगी । भाग्य साथ दे सकता है । इस सप्ताह आपके लिए 3 और 4 अप्रैल उत्तम फलदायक है । 7 , 8 और 9 अप्रैल को आपको सतर्क रहना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप किसी दुर्घटना से बचने के लिए मंगलवार का व्रत रखें और हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम 7 बार हनुमान चालीसा का जाप करें । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है ।

मिथुन राशि

कार्यालय में आपका संपर्कतंत्र अच्छा रहेगा । कार्यालय के कार्यों में सफलता प्राप्त होगी । पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा । माताजी का स्वास्थ्य भी ठीक-ठाक रहेगा । आपके सुख में कमी आएगी । स्वास्थ्य में भी खराबी आ सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 5 और 6 अप्रैल शुभ फलदायक हैं । 9 अप्रैल को आप अपने शत्रुओं को बड़ी आसानी से परास्त  कर पाएंगे । 9 अप्रैल को आपको रोगों से भी मुक्ति मिल सकती है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन मसूर की दाल और गेहूं मंदिर के बाहर बैठे गरीबों के बीच में  दान के रूप में दें । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

भाग्य के कारण जितने भी कार्य आपके नहीं हो रहे थे उन सभी कार्यों को करने का सही समय आ गया है । इस सप्ताह आपके कई कार्य से भाग्य के कारण हो जाएंगे । आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा ।कमर और गर्दन के दर्द में कमी आएगी । धन आने का अच्छा योग है । बहनों से संबंध अति उत्तम रहेगा । पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आ सकती है । माताजी का स्वास्थ्य ठीक रहने की उम्मीद है । शत्रुओं की संख्या में कमी हो सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 7 और 8 अप्रैल लाभदायक है ।  9 अप्रैल को आपको अपने संतान के प्रति सतर्क रहना चाहिए । आपको  चाहिए कि आप इस सप्ताह किसी मंदिर में जाकर पुजारी जी को सफेद कपड़ो का दान  दें । सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है ।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य उत्तम रह सकता है । सरकारी कार्यों में आपको सफलता मिलेगी । अगर आप कर्मचारी या अधिकारी हैं तो कार्यालय में आपको सम्मान प्राप्त होगा । इस सप्ताह आप भाग्य के भरोसे ना रहें । अपने परिश्रम पर ध्यान दें ।  धन आने की मात्रा में कमी आएगी  ।  इस सप्ताह आपके लिए 3 और 4 अप्रैल उत्तम लाभप्रद हैं । 9 अप्रैल को आपके माताजी को कष्ट हो सकता है । इस पूरे सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन  भगवान शिव का अभिषेक करें । सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है ।

कन्या राशि

यह सप्ताह आपके जीवनसाथी के लिए अत्यंत उत्तम है । उनके क्रोध की मात्रा में वृद्धि होगी । अतः आप उनके क्रोध पर ध्यान ना दें । आपका भाग्य आपका भरपूर साथ देगा । छोटी मोटी दुर्घटना हो सकती है । कमर और गर्दन के दर्द से आपको परेशानी भी हो सकती है । कार्यालय में आपको कष्ट होगा । दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें ।  संतान आपका साथ देगी । इस सप्ताह आपके लिए 5 और 6 अप्रैल शुभ हैं ।  3 और 4 अप्रैल को आपको सावधान रहना चाहिए ।  9 अप्रैल को आपके भाई बहनों को कष्ट हो सकता है  ।  इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शनिवार के दिन शनि देव का पूजन करें । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है ।

तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह मिलाजुला प्रभाव लेकर आएगा। जीवन साथी के स्वास्थ्य में थोड़ी बाधा हो सकती है । जीवन साथी से थोड़ा सा तकरार भी हो सकता है । भाग्य के स्थान पर आपको अपने परिश्रम पर विश्वास करना चाहिए । शत्रुओं से भी तकरार संभव है । संतान का सहयोग प्राप्त हो सकता है । इस सप्ताह आपके लिए 7 और 8 अप्रैल उत्तम और लाभकारी हैं ।  5 और 6 अप्रैल को आपको कोई भी कार्य सावधान होकर करना चाहिए । इस सप्ताह 9 अप्रैल के आसपास धन हानि  कुछ योग बन रहा है  । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह प्रतिदिन गाय को हरा चारा खिलाएं । सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

अगर आप अविवाहित हैं तो इस सप्ताह विवाह के सुंदर संयोग बन रहे हैं ।  इस अवसर का लाभ उठाएं । इस सप्ताह आपको अपने संतान से अच्छा सहयोग प्राप्त होगा । संतान की उन्नति भी हो सकती है । छोटी मोटी दुर्घटना का योग है ।आपको अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए । इस सप्ताह आपके लिए 3 और 4 अप्रैल शुभ और लाभदायक है । 7 और 8 मार्च को आप कोई भी कार्य पूर्ण सावधानी पूर्वक करें । 9 तारीख को आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें  ।सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है ।

धनु राशि

इस सप्ताह आपके सुख में वृद्धि होगी  । इस सप्ताह आपको अपनी संतान से कम सहयोग प्राप्त होगा । जीवन साथी के साथ भी तनाव हो सकता है । जीवनसाथी का स्वास्थ्य खराब भी हो सकता है । आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा । धन प्राप्त होने में कुछ बाधाएं आ सकती हैं ।  परंतु अंततः धन प्राप्त हो जाएगा ।  इस सप्ताह 5 और 6 अप्रैल को आप द्वारा किए गए अधिकांश कार्य सफल हो जाएंगे । 9 अप्रैल को आपको कचहरी के कार्यों में सफलता का योग है । इसके अलावा अगर आप पर कोई कर्ज है तो वह भी 9 तारीख को आपके प्रयासों के कारण कुछ कम हो सकता है  । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप राहु की शांति का उपाय करवाएं । सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपके पराक्रम में वृद्धि होगी ।आपके क्रोध में वृद्धि होगी । अतः आपको अपने क्रोध को कंट्रोल में करके रखना चाहिए ।  इस सप्ताह आपके भाग्य में वृद्धि का योग है । सामान्य धन आने का  योग है । आपके सुख में कुछ कमी होगी । माताजी का स्वास्थ्य थोड़ा खराब हो सकता है ।आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा । इस सप्ताह आपके लिए 7 और 8 अप्रैल फलदायक हैं । 3 और 4 अप्रैल को आपको कार्य करते समय सावधानियां रखना चाहिए । 9 अप्रैल को धन हानि  का योग है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप पूरे सप्ताह विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें । सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

कुंभ राशि

यह सप्ताह आपके लिए ठीक-ठाक है । प्रतिदिन कुछ अच्छा और कुछ बुरा होगा । धन आने का  योग है । भाई बहनों के साथ सामान्य संबंध रहेंगे । थोड़ी बहुत बुराई भी हो सकती है । संतान आपकी मदद नहीं करेगी । पेट में कुछ खराबी आ सकती है । छोटी मोटी दुर्घटना भी हो सकती है । भाग्य थोड़ा बहुत साथ देगा । इस सप्ताह आपके लिए 3 और 4 अप्रैल सफलतादायक हैं । 3 और 4 अप्रैल को आपको अधिकांश कार्यों में सफलता प्राप्त होगी । 5 और 6 अप्रैल को आपको संभल कर कार्य करना चाहिए । 9 तारीख को आपको राज्य से कुछ परेशानी हो सकती है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप राम रक्षा स्त्रोत का प्रतिदिन जाप करें । सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

यह सप्ताह आपके लिए शुभ है । आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा । अपने विरोधियों पर आप की पकड़ मजबूत होगी । धन कम मात्रा में आएगा । सुख में भी कमी हो सकती है । भागदौड़ थोड़ी ज्यादा रहेगी । विवाह संबंधों में बाधा उत्पन्न होगी । जीवन साथी के साथ संबंधों में थोड़ी कड़वाहट आ सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 5 और 6 तारीख सफलताएं प्रदान करने वाली है । सप्ताह के बाकी सभी दिन आपको सतर्क रहना चाहिए ।इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप  विष्णु सहस्त्रनाम का प्रतिदिन पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

आपसे अनुरोध है कि इस साप्ताहिक राशिफल का  उपयोग करें और हमें इसके प्रभाव के बारे में बताएं ।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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सूचना/Information ☆ संपादकीय निवेदन ☆ सुश्री संगीता कुलकर्णी – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

? सुश्री संगीता कुलकर्णी  – अभिनंदन ?

💐 संपादकीय निवेदन 💐

 

आपल्या समुहातील ज्येष्ठ लेखिका व कवयित्री संगीता कुलकर्णी यांना कल्याण येथील रोटरी क्लब कडून जीवन गौरव पुरस्काराने सन्मानित करण्यात आले आहे.

? ई मराठी समुहातर्फे संगीता कुलकर्णी यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन  ?

संपादक मंडळ, ई-अभिव्यक्ती (मराठी)

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ रुसले ऋतू… ☆ श्री रवींद्र सोनावणी ☆

श्री रवींद्र सोनावणी

? कवितेचा उत्सव ?

☆ रुसले ऋतू… ☆ श्री रवींद्र सोनावणी ☆

उठ मानवा उठ तुझ्यावर रुसून बसला ऋतू

पहा आठवून अशी कोणती केलीस आगळीक तू

 

कळ्या फुलांची मधुर फळांची केली तुजवर वर्षा

दंडित मंडित केलीस सृष्टी काय तुझी ही तृषा

 

इर्षा होती तुझ्या मनासी सृष्टीला या करू गुलाम

गगनाला ही लगाम घालू करतील तारे तुला सलाम

 

का नियतीला दावितोस तू विज्ञानाचा ताठा

तव गर्वाने विराण झाल्या हिरव्या पाऊल वाटा

 

गर्जतील ना मेघ नभातून नृत्य ना करतील मोर वनातून

शेतमळे ना पिकतील आता उतरलास तू सृष्टीच्या मनातून

 

झटपट श्रीमंती सुखसोयी म्हणजे नोहे खरा विकास

हव्यासाच्या पाईच तुझिया वसुंधरा जाहली भकास

 

जे देवाने दिले भरभरून त्याचा नीट करी सांभाळ

विनम्र हो तू नियती पुढती सौख्याचा होईल सुकाळ

 

सगळे काही मानवनिर्मित दे सोडून ही दर्पोक्ती

या गगनातून आनंदाचे मेघ बरसतील तुज वरती

 

© श्री रवींद्र सोनावणी

निवास :  G03, भूमिक दर्शन, गणेश मंदिर रोड, उमिया काॅम्पलेक्स, टिटवाळा पूर्व – ४२१६०५

मो. क्र.८८५०४६२९९३

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ सावळ्या… ☆ सुश्री शोभना आगाशे ☆

सुश्री शोभना आगाशे

? कवितेचा उत्सव ?

☆ सावळ्या… ☆ सुश्री शोभना आगाशे ☆

तुझिया मागुनि, येईन त्यागुनि

निरर्थ या तनुला

सावळ्या नेशील का रे मला॥

 

प्रथम भेट तव बालपणीची

खोडी काढिसी गोपगोपींची

चोरी करिसी नवनीताची

विश्व दाविसी तुझ्या मुखातुनि

माय यशोदेला

सावळ्या नेशील का रे मला॥

 

चाहुल येता तारुण्याची

हुरहुर लावी धुन मुरलीची

अमूर्त मूर्ती तव रूपाची

वाटे येशील घन मेघातुनि

भिजवशील मजला

सावळ्या नेशील का रे मला॥

 

ऊन सावली संसाराची

आस नुरे मग तुझ्या भेटीची

कसरत असुनि तारेवरची

लिप्त जिवाला त्यातच करुनि

विसरुनि जाई तुला

सावळ्या नेशील का रे मला॥

 

ओढ लागता पैलतीराची

वेणुरवाची, तव भासाची

अता विनवणी ही शेवटची

वक्षी तुझ्या घे मला कवळुनि

जवळुनि पाहीन तुला

सावळ्या नेशील का रे मला॥

 

क्षण अखेरचे वेळ भेटीची

क्षितिजा नक्षी मोरपिसाची

कारुण्य पाझरे ओळ ढगांची

अनंग तुझिया अंगांगातुनि

वेढशील का मला

सावळ्या नेशील का रे मला॥

 

तुझिया मागुनि, येईन त्यागुनि

निरर्थ या तनुला

सावळ्या नेशील का रे मला॥

© सुश्री शोभना आगाशे

सांगली 

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – विविधा ☆ शब्द… ☆ सुश्री वर्षा बालगोपाल ☆

सुश्री वर्षा बालगोपाल 

? विविधा ?

☆ शब्द… ? ☆ सुश्री वर्षा बालगोपाल 

श्री संत तुकाराम महाराज म्हणतात,

‘आम्हां घरी धन, शब्दांचीच रत्ने। शब्दांचीच शस्त्रे, यत्न करू।।

शब्दची आमुच्या जीवीचे जीवन। शब्दे वाटू धन, जनलोक।।

तुका म्हणे पाहा, शब्दचि हा देव। शब्दाची गौरव पूजा।।

किंवा एके ठिकाणी ते असेही म्हणतात•••

घासावा शब्द | तासावा शब्द |

तोलावा शब्द | बोलण्या पूर्वी ||

शब्द हेचि कातर | शब्द सुईदोरा

बेतावेत शब्द | शास्त्राधारे ||

शब्दांमध्ये झळकावी | ज्ञान, कर्म, भक्ती |

स्वानुभवातून जन्मावा | प्रत्येक शब्द ||

शब्दां मुळे दंगल | शब्दां मुळे मंगल |

शब्दांचे हे जंगल | जागृत राहावं ||

– संत तुकाराम महाराज

तशी शब्दांची महती ही शब्दातीत आहे.  पण मला याठिकाणी शब्दाची  एक व्याख्या सांगावीशी वाटते, दोन किंवा अधिक अक्षरे जोडल्याने त्या अक्षरांना मिळालेला अर्थ म्हणजे शब्द.

मग शब्दाचा हा अर्थ असला तरी या शब्दाचा अर्थ त्याला क्रियापद जोडल्याने बदलतो. यासाठी एक प्रसंग  वर्णन करते.

कॉलेजातील ते दोघे एकमेकांच्या प्रेमात कसे आणि केव्हा पडले हे त्यांनाच कळले नाही . लग्नाचा विषय येताच तो म्हणाला मी तुला शब्द देतो   की मी माझ्या पायावर व्यवस्थित उभा राहिलो की तुझ्याशीच लग्न करेन. ती म्हटली मी हा शब्द घेते पण तू तुझा शब्द नक्की पाळशील ना?

तो म्हणाला मी आमच्या अण्णांचा शब्द मानतो. त्यांच्या शब्दाला फार किंमत असते. गावातही त्याच्या शब्दाचे वजन पडते त्यामुळे त्यांनी हो म्हटले की लगेच मी शब्द प्रमाण मानून तुझ्याकडे येणारच .

ती म्हणाली ए तू उगाच शब्दात अडकवू नकोस हां !! नंतर म्हणशील मी शब्द टाकला पण त्यांनी नाही माझा शब्द झेलला त्यामुळे माझा शब्द चालला नाही. असा तुझा शब्दाघात मी सहन नाही करू शकणार. तुला तुझ्या शब्दांची किमया तुझ्या अण्णांवर करावीच लागेल. तुला तुझा शब्द फिरवता येणार नाही. तू म्हणशील मी शब्द मागे घेतो पण शब्दांचा असा महाल बांधून माझा शब्द तुला तुडवता येणार नाही.

तो म्हणाला अगं वेडे तुझ्यावर उधळलेला शब्द  म्हणजे शब्दांची पेरणी करून शब्दांचे फळ मिळेपर्यंतच्या प्रक्रीयेचा आनंदोत्सव आहे.  मग उगीच शब्दाने शब्द कशाला वाढवायचा ?  त्यापेक्षा शब्द तोलूया. तू आणि मी शब्दजोडून आपण होऊया. या शब्दाची कधीच फोड नाही होणार  ही खात्री बाळगूया. आणि नि:संदेह होऊन म्हणू•••

शब्दावाचून कळले सारे शब्दांच्या पलिकडले.

असेच शब्दांसोबत हसता, खेळता, बोलता, चालता, रूसता, प्रेमात पडता, लिहिता, वाचता अनुभवूया शब्दांचा लळा.

© सुश्री वर्षा बालगोपाल

मो 9923400506

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – जीवनरंग ☆ रुजणं… ☆ सुश्री स्वप्ना मुळे (मायी) ☆

सुश्री स्वप्ना मुळे (मायी)

? जीवनरंग ?

☆ रुजणं… ☆ सुश्री स्वप्ना मुळे (मायी) ☆ 

“अग सुरू जरा खाली येतेस का..?ताजं लोणचं देते तुला.. लवकर ये पण, मला देवळात जायचं आहे गं..” असं म्हणत साने आजी घराच्याबागेतून आत गेल्या…   

गॅलरीतली सुरू नवरोबा कडे वळून म्हणाली, “अहो जाऊ ना.. माझी फारशी ओळख नाही म्हणून म्हंटलं…”

त्यावर हसत अवि म्हणाला, “जा जा, फार चवदार पदार्थ असतात आजींच्या हातचे.. आणि तेवढ्याच मायेने देतात देखील. अगं आपलं लग्न ठरलं तश्या मला चिडवत होत्या ‘आता आजीने पाठवलेले पदार्थ आळणी लागतील’, अग आईला देखील बरेच पदार्थ त्यांनी शिकवले….जा बिनधास्त खुप काही शिकवणारं व्यक्तिमत्त्व आहे सानेआजी..”

सुरू आजीच्या दाराजवळ आली तर तिथेच तिला एकदम प्रसन्न वाटलं…. छोटी तुळस.. दारात रांगोळी, दरवाज्याला तोरण… तिने बेल दाबली तश्या लगबगत आजी आल्या.. बुटक्याश्या आजी मस्त गुलाबी कॉटनचे पातळ.. पांढऱ्या शुभ्र केसांचा छोटासा अंबाडा, त्यात मोगऱ्याचं फुल, एका हातात घड्याळ… अगदी गोड हसणाऱ्या आजी.. तोंडात कवळीच असावी पण ती देखील त्यांना अगदी शोभत होती..

फ्लॅट वन बीएचकेच होता आणि मागची थोडी बागेची जागा.. सगळं न्याहाळत सुरू बैठकीत बसली… ‘आपला फ्लॅट मोठा असुन प्रसन्न नाही, आजीच्या घरात किती छान वाटतंय’ ती विचार करत होती तेवढ्यात आजी थंड पन्ह घेऊन आल्या… 

काहीतरी बोलावं म्हणुन सुरू म्हणाली, “महिना झाला लग्नाला पण माझं जास्त खाली उतरणंच झालं नाही. आई आजारी आहेत त्यामुळे जरा जास्तच काम पडलंय…”

खरंतर अगदी बरोबर खालचा फ्लॅट असल्याने आजीला सगळा आवाज स्पष्ट येत होता… ह्या नव्या नवरीला सासूच्या तब्येतीची सगळी माहिती देऊनच लग्न ठरलं होतं.. अवि इतका हुशार, देखणा, पण तरिही ‘माझ्या आईची सेवा करायला जी तयार होईल तिच्याशीच लग्न करणार’ असं त्याने ठरवलं होतं…

सुरू तशी फार शिकलेली नव्हती. दिसायला ठिकठाक आणि घरी गरिबी, त्यामुळे त्यांनी चटकन हे स्थळ स्वीकारलं.. कॅन्सरमुळे सासु सहा महिने जगणं तसं कठिण ह्याची कल्पना दिलीच होती.. तरी पण सुरुचा आवाज जरा जास्तच वरच्या पट्टीत लागत होता हे साने आजींनी बरोबर हेरलं.. म्हणून आज हे बोलावणं… 

आजी सुरुला म्हणाल्या, “चल तुला बाग दाखवते..” 

बागेत जातांना मागच्या खोलीत कुणीतरी पलंगावर तिला दिसलं. “कोण झोपलं आहे आत??” सुरुने विचारताच आजी म्हणाल्या, “माझ्या सासुबाई, नव्वद वर्षाच्या आहेत.. फक्त तोंड सुरू आहे, बाकी सगळं जागेवर..” 

हे सांगत असतांना आतुन आवाज आला.. “कोण गं, सुरू आली का..?इकडे आण तिला..” सुरुने साने आजीकडे आश्चर्याने बघितलं.. 

साने आजी हसून म्हणाल्या, “अगं, आमच्या दोघींमध्ये संवाद हा सगळा भोवतालचा असतो… कोणाकडे सुन आली..? कोणाला लेकरू झालं..? कोणाला नोकरी?? कोण गावाला गेलं ?? अश्या सगळ्या गप्पात तू त्यांना माहीत आहेस, आणि मघाशी हाक मारली तेंव्हा ऐकली की त्यांनी…”

दोघी खोलीत गेल्या.. पलंगावरच्या पांढऱ्या शुभ्र चादरीवर त्या सासुबाई झोपलेल्या होत्या. अगदी प्रसन्न, स्वच्छ छान मंद कापुराचा सुवास दरवळत होता.. पलीकडे सानेआजीचा दिवाण, त्यावर दोन जप माळ, बाजुला दासबोध…

साने आजीने सासुबाईला मानेत हात घालून पाणी पाजलं.. लगेच बाजुच्या रुमालाने तोंड पुसलं.. सासुबाईंनी सुरुला बसायची खुण केली.. हे सगळं बघून सुरुला आपण किती रागारागाने सासूबाईंच करतो हे जाणवलं..

सासुबाई म्हणाल्या, “सुरू, आजारपण कोणाला आवडत नसतं, पण ते वाट्याला आल्यावर त्याचं दुःख जास्त तेंव्हा वाटतं जेंव्हा आपलेच आपला त्रागा करायला लागतात..”

सुरूला जरा अंदाज आला, बहुतेक आपलं सासुशी वाद घालणं ऐकू येत असावं.. आणि मनातून जाणवलं, आपण खरंच त्या मानाने काहीच नीट करत नाही सासुबाईचं. तेवढ्यात साने आजी म्हणाल्या, “तिला आपली बाग दाखवते हं आई.. चल गं..”

दोघी मागे आल्या.. गर्द आंब्याच्या सावलीत खुर्चीत बसवत साने आजी म्हणाल्या.. “हे बघ, हा आंबा सासुबाईंनी माझ्या हाताने लग्नानंतर लावला.. आणि मला सांगितलं ‘तुझा संसार म्हणजे हे झाड.. जशी काळजी घेशील तसं बहरेल,.. रोज प्रेमाचं पाणी झाडाला आणि संसाराला गरजेचं आहे.. त्याभोवती कचरा, दगड, गोटे येतच राहणार, जसे आपल्या संसारात येणाऱ्या अडचणी, न पटणारी माणसं… पण त्यांना तिथेच पडू द्यायचं नाही, त्यांचंच प्रेमाने उचलुन आळं करायचं भोवताली.. मग बघ, मधल्या पाण्याची ओल त्यांनाही लागते… तेही मग झाडाचं रक्षणच करतात. तसंच नात्याचं आळं करायचं आपल्या आयुष्यात, कामीच येतं गं… आणि हो, त्या झाडाला सारखं येता जाता गोंजारायचं, ते तुझ्यासारख्या नव्या नवरीच्या भुमिकेत असतं ना… पण फार दिवस नाही, कारण एकदा का ते रुजलं कि बघ, आज बहर तुझ्या समोर आहे.. आज नशिबाने आम्ही दोघीच राहलोय सोबतीला.. त्या आजारी आणि माझी सत्तरी.. त्या नव्वदिला असल्या तरी माझ्याशिवाय जेवत नाहीत. 

नात्यांचा मोहर कायम टिकवावा लागतो. त्यासाठी प्रेमाचं पाणी घालायला विसरायचं नाही.. मला वाटतं तुला कळलं असेल मला काय म्हणायचं आहे.. चल हे रोपटं लाव पलीकडे आणि रोज येऊन तू बघायचं त्याला रुजेपर्यंत…”

सुरुने मनापासून रोप लावलं.. घरात येत आजींनी बरणी तिच्या हातात ठेवली.. “बघ हे रुजणं मनातुन झालं कि असं स्वादिष्ट लोणचं आपोआप तयार होतं..”

सुरू घरी आली.. सगळा संवाद तिच्या मनात रुंजी घालत होता.. तिची भूमिकाच बदलून गेली.. आठवडाभरात वरून येणारे सुरूचे आवाज बंद झाले.. साने आजीला सासुबाई म्हणाल्या.. “रुजणं सुरू झालं वाटतं पोरीचं..”

आज आईला घेऊन दवाखान्यातुन घरी जाताना अविने पायऱ्यांवरून मुद्दाम जोरात हाक मारून सांगितलं, “आजी डॉक्टर म्हणाले, आईची प्रकृती सुधारत आहे.. बहुतेक तुम्ही लावलेलं आंब्याचं झाड रुजायला लागलं बरं का…. चांगले विचार घालुन दिलेले लोणचं फारच मुरेल असं दिसतंय…”

“छान छान…” म्हणून आजी आतूनच ओरडल्या आणि खुदुखुदु हसत त्यांनी सासुबाईंना टाळी दिली.. दरवाज्यातून रुजेललं ते रोपटं वाऱ्यावर आनंदाने हलत होतं.. तिथे ह्या दोघींना सुरूचा चेहरा दिसला.

 © सुश्री स्वप्ना मुळे (मायी)

मो +91 93252 63233

औरंगाबाद

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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