हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ व्यंग्य # 195 ☆ हरिशंकर परसाई जन्मशती विशेष – विकलांग श्रद्धा का दौर ☆ प्रस्तुति – श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है हरिशंकर परसाई जन्मशती के अवसर पर उनका सुप्रसिद्ध व्यंग्य – “विकलांग श्रद्धा का दौर)

☆ हरिशंकर परसाई जन्मशती विशेष – विकलांग श्रद्धा का दौर ☆ प्रस्तुति – श्री जय प्रकाश पाण्डेय  

परसाई जन्मशती पर उनका एक महत्वपूर्ण व्यंग्य  –  “विकलांग श्रद्धा का दौर”

अभी-अभी एक आदमी मेरे चरण छूकर गया है। मैं बड़ी तेजी से श्रद्धेय हो रहा हूं, जैसे कोई चालू औरत शादी के बाद बड़ी फुर्ती से पतिव्रता होने लगती है। यह हरकत मेरेसाथ पिछले कुछ महीनों से हो रही है कि जब तब कोई मेरे चरण छू लेता है। पहले ऐसानहीं होता था। हों, एक बार हुआ था, पर वह मामला वहीं रफा-दफा हो गया। कई साल पहले एक साहित्यिक समारोह में मेरी ही उम्र के एक सज्जन ने सबके सामने मेरे चरणछू लिए। वैसे चरण छूना अश्लील कृत्य की तरह अकेले में ही किया जाता है। पर वह सज्जन सार्वजनिक रूप से कर बैठे, तो मैंने आसपास खड़े लोगों की तरफ गर्व से देखा तिलचट्टों देखो मैं श्रद्धेय हो गया। तुम घिसते रहो कलम पर तभी उस श्रद्धालु ने मेरापानी उतार दिया। उसने कहा, “अपना तो यह नियम है कि गौ, ब्राह्मण, कन्या के चरण जरूर छूते हैं। यानी उसने मुझे बड़ा लेखक नहीं माना था। बम्हन माना था। श्रद्धेय बनने की मेरी इच्छा तभी मर गई थी। फिर मैंने श्रद्धेयों की दुर्गति भीदेखी। मेरा एक साथी पी-एच.डी. के लिए रिसर्च कर रहा था। डॉक्टरेट अध्ययन औरज्ञान से नहीं,  आचार्य-कृपा से मिलती है। आचार्यों की कृपा से इतने डॉक्टर हो गए हैं किबच्चे खेल-खेल में पत्थर फेंकते हैं तो किसी डॉक्टर को लगता है। एक बार चौराहे परयहाँ पथराव हो गया। पाँच घायल अस्पताल में भर्ती हुए और वे पाँचों हिंदी के डॉक्टर थे। नर्स अपने अस्पताल के डॉक्टर को पुकारती ‘डॉक्टर साहब’ तो बोल पड़ते थे ये हिंदी के डॉक्टर|

मैंने खुद कुछ लोगों के चरण छूने के बहाने उनकी टांग खींची है। लंगोटी धोने के बहाने लँगोटी चुराई है। श्रद्धेय बनने की भयावहता मैं समझ गया था। वरना मैं समर्थ हूं।अपने आपको कभी का श्रद्धेय बना लेता। मेरे ही शहर में कॉलेज में एक अध्यापक थे।उन्होंने अपने नेम प्लेट पर खुद ही ‘आचार्य’ लिखवा लिया था। मैं तभी समझ गया था कि इस फूहड़पन में महानता के लक्षण हैं। आचार्य बंबईवासी हुए और वहाँ उन्होंने अपनेको ‘भगवान रजनीश’ बना डाला। आजकल वह फूहड़ से शुरू करके मान्यता प्राप्त भगवान हैं। मैं भी अगर नेम प्लेट में नाम के आगे ‘पंडित’ लिखवा लेता तो कभी का ‘पंडितजी’ कहलाने लगता। सोचता हूं, लोग मेरे चरण अब क्यों छूने लगे हैं? यह श्रद्धा एकाएक कैसे पैदा होगई? पिछले महीनों में मैंने ऐसा क्या कर डाला? कोई खास लिखा नहीं है। कोई साधना नहीं की। समाज का कोई कल्याण भी नहीं किया। दाड़ी नहीं बढ़ाई। भगवा भी नहीं पहना। बुजुर्गी भी कोई नहीं आई। लोग कहते हैं, ये वयोवृद्ध हैं। और चरण छू लेते हैं। वे अगर कमीने हुए तो उनके कमीनेपन की उम्र भी 60-70 साल हुई। लोग वयोवृद्ध कमीनेपन के भी चरण छू लेते हैं। मेरा कमीनापन अभी श्रद्धा के लायक नहीं हुआ है।

इस एक साल में मेरी एक ही तपस्या है टांग तोड़कर अस्पताल में पड़ा रहा हूं। हड्डी जुडने के बाद भी दर्द के कारण टांग फुर्ती से समेट नहीं सकता। लोग मेरी इस मजबूरी का नाजायज फायदा उठाकर झट मेरे चरण छू लेते हैं। फिर आराम के लिए मैं तख्त परलेटा ही ज्यादा मिलता हूं। तख्त ऐसा पवित्र आसन है कि उस पर लेटे दुरात्मा के भी चरण छूने की प्रेरणा होती है। क्या मेरी टांग में से दर्द की तरह श्रद्धा पैदा हो गई है? तो यह विकलांग श्रद्धा है।

जानता हूं, देश में जो मौसम चल रहा है, उसमें श्रद्धा की टांग टूट चुकी है। तभी मुझे भी यह विकलांग श्रद्धा दी जा रही है। लोग सोचते होंगे इसकी टांग टूट गई है। यह असमर्थ हो गया। दयनीय है। आओ, इसे हम श्रद्धा दे दें।हां, बीमारी में से श्रद्धा कभी-कभी निकलती है। साहित्य और समाज के एक सेवक से मिलने में एक मित्र के साथ गया था। जब वह उठे तब उस मित्र ने उनके चरण छू लिए। बाहर आकर मैंने मित्र से कहा- “यार तुम उनके चरण क्यों छूने लगे?” मित्र ने कहा- “तुम्हें पता नहीं है, उन्हें डायबटीज हो गया है?” अब डायबटीज श्रद्धा पैदा करे तो टूटी टांग भी कर सकती है। इसमें कुछ अटपटा नहीं है। लोग बीमारी से कौन फायदे नहींउठाते। मेरे एक मित्र बीमार पड़े थे। जैसे ही कोई स्त्री उन्हें देखने आती, वह सिर पकड़ कर कराहने लगते । स्त्री पूछती “क्या सिर में दर्द है?” वे कहते “हां, सिर फटा पड़ता है।” स्त्री सहज ही उनका सिर दबा देती। उनकी पत्नी ने ताड़ लिया। कहने लगी- “क्यों जी, जब कोई स्त्री तुम्हें देखने आती है तभी तुम्हारा सिर क्यों दुखने लगता है?”

उसने जवाब भी माकूल दिया। कहा “तुम्हारे प्रति मेरी इतनी निष्ठा है कि परस्त्री को देखकर मेरा सिर दुखने लगता है। जान प्रीत रस इतनेहु माहीं ।”

श्रद्धा ग्रहण करने की भी एक विधि होती है। मुझसे सहज ढंग से अभी श्रद्धा ग्रहण नहीं होती। अटपटा जाता हूं। अभी ‘पार्ट टाइम’ श्रद्धेय ही हूं। कल दो आदमीआए। वे बात करके जब उठे तब एक ने मेरे चरण छूने को हाथ बढ़ाया। हम दोनों ही नौसिखुए। उसे चरण छूने का अभ्यास नहीं था, मुझे छुआने का। जैसा भी बना उसने चरण छू लिए। पर दूसरा आदमी दुविधा में था। वह तय नहीं कर पा रहा था कि मेरे चरण छुए या नहीं। मैं भिखारी की तरह से देख रहा था। वह थोड़ा सा झुका। मेरी आशा उठी। पर वह फिर सीधा हो गया। मैं बुझ गया। उसने फिर जी कड़ा करके कोशिश की।

थोड़ा झुका। मेरे पांवों में फड़कन उठी। फिर वह असफल रहा। वह नमस्ते करके ही चला गया। उसने अपने साथी से कहा होगा- तुम भी यार कैसे टुच्चों के चरण छूते हो। मेरे श्रद्धालु ने जवाब दिया होगा काम निकालने को उल्लुओं से ऐसा ही किया जाता है। इधरमुझे दिन-भर ग्लानि रही। मैं हीनता से पीडित रहा। उसने मुझे श्रद्धा के लायक नहीं समझा | ग्लानि शाम को मिटी जब एक कवि ने मेरे चरण छुए। उस समय मेरे एक मित्र बैठे थे। चरण छूने के बाद उसने मित्र से कहा, “मैंने साहित्य में जो कुछ सीखा है,परसाईजी से।” मुझे मालूम है, वह कवि सम्मेलनों में छूट होता है। मेरी सीख का क्या यही नतीजा है? मुझे शर्म से अपने आपको जूता मार लेना था। पर मैं खुश था। उसने मेरे चरण छू लिए थे। 

अभी कच्चा हूं। पीछे पड़ने वाले तो पतिव्रता को भी छिनाल बना देते हैं। मेरे ये श्रद्धालु मुझे पक्का श्रद्धेय बनाने पर तुले हैं। पक्के सिद्ध श्रद्धेय मैंने देखे हैं। सिद्ध मकरध्वज होते हैं। उनकी बनावट ही अलग होती है। चेहरा, आंखे खींचने वाली पांव ऐसे कि बरबस आदमी झुक जाए। पूरे व्यक्तित्व पर श्रद्धेय लिखा होता है। मुझे ये बड़े बौड़म लगते हैं। पर ये पक्के श्रद्धेय होते हैं। ऐसे एक के पास मैं अपने मित्र के साथ गया था। मित्र ने उनके चरण छुए जो उन्होंने विकट ठंड में भी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए चादरसे बाहर निकाल रखे थे। मैंने उनके चरण नहीं हुए। नमस्ते करके बैठ गया। अब एकचमत्कार हुआ। होना यह था कि उन्हें हीनता का बोध होता कि मैंने उन्हें श्रद्धा के योग्य नहीं समझा। हुआ उल्टा। उन्होंने मुझे देखा और हीनता का बोध मुझे होने लगा- हायमैं इतना अधम कि अपने को इनके पवित्र चरणों को छूने के लायक नहीं समझता। सोचता हूं, ऐसा बाध्य करने वाला रोब मुझ ओछे श्रद्धेय में कब आयेगा। 

श्रद्धेय बन जाने की इस हल्की सी इच्छा के साथ ही मेरा डर बरकरार है। श्रद्धेय बनने का मतलब है ‘नान परसन’ अव्यक्ति हो जाना। श्रद्धेय वह होता है जो चीजों को हो जाने दे। किसी चीज का विरोध न करे जबकि व्यक्ति की, चरित्र की पहचान ही यहहै कि वह किन चीजों का विरोध करता है। मुझे लगता है, लोग मुझसे कह रहे हैं तुमअब कोने में बैठो। तुम दयनीय हो। तुम्हारे लिए सब कुछ हो जाया करेगा। तुम कारण नहीं बनोगे। मक्खी भी हम उड़ाएंगे। और फिर श्रद्धा का यह कोई दौर है देश में? जैसा वातावरण है, उसमें किसी को भी श्रद्धा रखने में संकोच होगा। श्रद्धा पुराने अखबार की तरह रद्दी में बिक रही है।

विश्वास की फसल को तुषार मार गया । इतिहास में शायद कभी किसी जाति को इस तरह श्रद्धा और विश्वास से हीन नहीं किया गया होगा। जिस नेतृत्व पर श्रद्धा थी, उसे नंगा किया जा रहा है। जो नया नेतृत्व आया है, वह उतावली में अपने कपड़े खुद उतार रहा है। कुछ नेता तो अंडरवियर में ही हैं। कानून से विश्वास गया। अदालत से विश्वास छीन लिया गया। बुद्धिजीवियों की नस्ल पर ही शंका की जा रही है। डॉक्टरों को बीमारी पैदा करने वाला सिद्ध किया जा रहा है। कहीं कोई श्रद्धा नहीं विश्वास नहीं ।अपने श्रद्धालुओं से कहना चाहता हूं- “यह चरण छूने का मौसम नहीं, लात मारने का मौसम है। मारो एक लात और क्रांतिकारी बन जाओ।”

© जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 137 ☆ # मानसून… # ☆ श्री श्याम खापर्डे ☆

श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# मानसून… #”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 137 ☆

☆ # मानसून… #

मानसून की छोटी-छोटी बूंदें

जब तन मन भिगोती है

तब गुजरे जमाने की बातें

दिल में याद आती है

 

बचपन में –

मानसून की पहली बारिश में

बिंदास नंगे बदन भीगना 

बिजुरी की कड़क सुनकर

भय से जोर से चीखना

मस्ती में एक दूसरे पर

पानी उड़ाना

दोस्तों से लड़कर

खुद को छुड़ाना

स्कूल से घर आते वक्त

खुद भीगकर बस्ता बचाना

मां को रो रोकर भीगने के

नये नये बहाने बताना

यह शरारतें बारिश की बूंदें

साथ लाती है

तब गुजरें जमाने की बातें

दिल में याद आती है

 

जवानी में –

वो रिमझिम फुहारें

वो बरसता हुआ पानी

जवानी के दिनों की तो है

रंगीन कहानी

एक छाते में, भीगते हुए

दो बदन चल रहे थे

जलते हुए दावानल से

दोनों जल रहे थे

बारिश हर कदम पर

आग भड़का रही थी

दो जिस्मों को एक होने

तड़पा रही थी

हाथों में हाथ लिए

वो आगे बढ़ रहे थे

एक नयी प्रेम कहानी को

वो दोनों गढ़ रहे थे

घर आया, दोनों जुदा हो गए

एक दूसरे से अलविदा हो गए

जब फिर कोई बारिश

उनको नहीं मिलाती है

तब गुजरे जमाने की बातें

दिल में याद आती है

 

बुढ़ापे में –

ना वो दिन रहे, ना रातें

ना रंगीनियां रहीं

ना दिल लुभाने वाली

वो संगिनियां रही

ना वो दोस्त रहे

जो मुस्कुरा के मिलते थे

गले मिलकर सदा

फूलों की तरह खिलते थे

ना दुनिया में अब

पहले जैसे निश्वार्थ रिश्ते रहे

ना एक दूसरे पर

जान देने वाले फरिश्ते रहे

अपार्टमेंट की बालकनी में

हम पति पत्नी भीगते है

हाथों में हाथ लिए

नया रोमांस सीखते हैं 

हर मानसून की बूंदें

भीगने बुलाती हैं

जीने का नया संदेश लाती है

तब गुजरे जमाने की बातें

दिल में याद आती है /

 

© श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ हे शब्द अंतरीचे # 138 ☆ अभंग – कधीतरी.!! ☆ महंत कवी राज शास्त्री ☆

महंत कवी राज शास्त्री

?  हे शब्द अंतरीचे # 138 ? 

☆ अभंग – कधीतरी.!!

बदल होतात रस्ते वळतात

झाडे वाळतात, कधीतरी.!!

 

माणूस हसतो माणूस रुसतो

माणूस संपतो, कधीतरी .!!

 

नात्यातला भाव, कमीकमी होतो

आहे तो ही जातो, कधीतरी.!!

 

नदी नाले सर्व, विहीर बारव

आटतात सर्व, कधीतरी.!!

 

वाडे पडतात, वांझोटे होतात

उग्र दिसतात, कधीतरी..!!

 

साडे तीन हात, अखेरचे घर

सासर माहेर, अखेरचे.!!

 

कवी राज म्हणे, शेवट कठीण

लागते निदान, कधीतरी.!!

 

© कवी म.मुकुंदराज शास्त्री उपाख्य कवी राज शास्त्री

श्री पंचकृष्ण आश्रम चिंचभुवन, वर्धा रोड नागपूर – 440005

मोबाईल ~9405403117, ~8390345500

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ.उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ.गौरी गाडेकर≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ परिहार जी का साहित्यिक संसार #199 ☆ व्यंग्य – ‘स्वर्ग में कुपात्र’ ☆ डॉ कुंदन सिंह परिहार ☆

डॉ कुंदन सिंह परिहार

(वरिष्ठतम साहित्यकार आदरणीय  डॉ  कुन्दन सिंह परिहार जी  का साहित्य विशेषकर व्यंग्य  एवं  लघुकथाएं  ई-अभिव्यक्ति  के माध्यम से काफी  पढ़ी  एवं  सराही जाती रही हैं।   हम  प्रति रविवार  उनके साप्ताहिक स्तम्भ – “परिहार जी का साहित्यिक संसार” शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते  रहते हैं।  डॉ कुंदन सिंह परिहार जी  की रचनाओं के पात्र  हमें हमारे आसपास ही दिख जाते हैं। कुछ पात्र तो अक्सर हमारे आसपास या गली मोहल्ले में ही नज़र आ जाते हैं।  उन पात्रों की वाक्पटुता और उनके हावभाव को डॉ परिहार जी उन्हीं की बोलचाल  की भाषा का प्रयोग करते हुए अपना साहित्यिक संसार रच डालते हैं।आज प्रस्तुत है आपका एक अतिसुन्दर व्यंग्य ‘स्वर्ग में कुपात्र’। इस अतिसुन्दर रचना के लिए डॉ परिहार जी की लेखनी को सादर नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – परिहार जी का साहित्यिक संसार  # 199 ☆

☆ व्यंग्य ☆ ‘स्वर्ग में कुपात्र’

उस रात मल्लू मेरे सपने में आ गया। मैंने उसे देखकर पूछा, ‘कैसा है भैया? नरक में मज़े में तो है?

मेरा सवाल सुनकर वह तरह तरह के मुँह बनाने लगा। लगा, अभी रो देगा। थोड़ा सँभल कर बोला, ‘भैया, मैं तो बुरा फँस गया। मेरे साथ धोखा हो गया। मुझे पक्का भरोसा था कि मुझे मौत के बाद नरक में जगह मिलेगी, वहाँ अपने जैसे लोगों के साथ अच्छी कटेगी, लेकिन यहाँ आने पर पता चला कि मुझे स्वर्ग भेज दिया गया। अब मैं बहुत परेशान हूँ।’

मल्लू दो महीने पहले सड़क पर एक्सीडेंट में चोट खाकर दुनिया से रवाना हुआ था। उसकी फितरत को देखकर हम समझ गए थे कि वह सड़क पर अपने आसपास चलती महिलाओं को घूरने के चक्कर में किसी गाड़ी से टकराया होगा। हम जब तक अस्पताल पहुँचे तब तक वह रुखसत हो चुका था। हमने ज़िन्दगी भर उसे नरक का ‘मटीरियल’ ही समझा था। इसीलिए अभी उसके स्वर्ग पहुँचने की जानकारी पाकर ताज्जुब हुआ।

उसकी बात सुनकर मैंने कहा, ‘यह तो अच्छा ही हुआ कि सारे दुर्गुणों के बावजूद तू स्वर्ग में प्रवेश पा गया। इसमें दुखी होने की क्या बात है? तुझे तो खुश होना चाहिए।’

वह बोला, ‘नहीं भैया, ये स्वर्ग अपने को जमता नहीं। यहाँ कोई अपने जैसा आदमी नहीं, जिससे मन की बात हो सके। सब तरफ साधु- सन्त टाइप लोग, पेड़ों के नीचे आँखें मूँदे बैठे, माला जपते रहते हैं। कुछ देवता-टाइप लोग, मुकुट पहने, रथों पर दौड़ते फिरते हैं। कहीं पढ़ा था कि यहाँ अप्सराओं के दर्शन होंगे, लेकिन यहाँ तो सैकड़ों साल की वृद्धाओं के ही दर्शन होते हैं, जिन्हें देखते ही चरण छूने की इच्छा होती है। यह भी पढ़ा था कि यहाँ दूध, शहद और सोमरस की  नहरें बहती हैं, लेकिन अभी तक कुछ दिखायी नहीं पड़ा। दूध और शहद से तो हमें कुछ लेना- देना नहीं, सोमरस की नहर मिल जाती तो उसी के किनारे पड़े रहते। वक्त अच्छा कट जाता। अभी तो कष्ट ही कष्ट है।’

मैंने कहा, ‘वहाँ कुछ बखेड़ा कर ले तो शायद नरक का नंबर लग जाए।’

वह लंबी साँस लेकर बोला, ‘कोई फायदा नहीं है। मैंने यहाँ एक दो लोगों से बात की तो बताया गया कि मुझे पुण्य क्षय होने तक यहीं रहना पड़ेगा। अब मैंने कोई पुण्य किया ही नहीं है तो क्षय क्या होगा?’

दो दिन बाद वह फिर मेरे सपने में प्रकट हो गया। बोला, ‘भैया, मुझे पता चल गया है कि मुझे स्वर्ग क्यों भेजा गया। दरअसल मैं एक्सीडेंट के बाद बड़ी देर तक ‘मरा मरा’ चिल्लाता रहा। उसी में स्वर्ग-नरक के प्रबंधकों को कुछ ‘कनफ्यूज़न’ हो गया और मुझे राम-भक्त समझकर स्वर्ग भेज दिया गया। मुझे लगता है कि जैसे धरती पर हमारे देश में बड़े बॉस का नाम जपते जपते लोग परम पद प्राप्त कर लेते हैं, वैसे ही यहाँ भी बॉस का नाम सुनते ही स्वर्ग का टिकट पक्का हो जाता है, भले ही उसमें गलतफहमी हो। मैंने कभी अजामिल की कथा पढ़ी थी जो सिर्फ इसलिए स्वर्ग का अधिकारी हो गया था कि वह अपने बेटे को बुलाता रहता था। बेटे का नाम नारायण था। कुछ वैसा ही मेरे साथ हुआ। अब जो हुआ सो हुआ। पुण्य क्षय होने तक इंतज़ार करने के सिवा कोई रास्ता नहीं है।’

© डॉ कुंदन सिंह परिहार

जबलपुर, मध्य प्रदेश

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 197 ☆ गुरु पूर्णिमा विशेष- सच्चा गुरु ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

? संजय उवाच # 197 गुरु पूर्णिमा विशेष –  सच्चा गुरु ??

मनुष्य अशेष विद्यार्थी है। प्रति पल कुछ घट रहा है, प्रति पल मनुष्य बढ़ रहा है। घटने का मुग्ध करता विरोधाभास यह कि  प्रति पल, पल भी घट रहा है।

हर पल के घटनाक्रम से मनुष्य कुछ ग्रहण कर रहा है। हर पल अनुभव में वृद्धि हो रही है, हर पल वृद्धत्व समृद्ध हो रहा है।

समृद्धि की इस यात्रा में प्रायः हर पथिक सन्मार्ग का संकेत कर सकने वाले मील के पत्थर को तलाशता है। इसे गुरु, शिक्षक, माँ, पिता, मार्गदर्शक,  सखा, सखी कोई भी नाम दिया जा सकता है।

विशेष बात यह कि जैसे हर पिता किसी का पुत्र भी होता है, उसी तरह अनुयायी या शिष्य,  मार्गदर्शक भी होता है। गुरु वह नहीं जो कहे कि बस मेरे दिखाये मार्ग पर चलो अपितु वह है जो तुम्हारे भीतर अपना मार्ग ढूँढ़ने की प्यास जगा सके। गुरु वह है जो तुम्हें ‘एक्सप्लोर’ कर सके, समृद्ध कर सके। गुरु वह है जो तुम्हारी क्षमताओं को सक्रिय और विकसित कर सके।

एक संत थे जिनके लिए कहा जाता था कि वे ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग जानते हैं। स्वाभाविक था कि उनके शिष्यों की संख्या में उतरोत्तर वृद्धि होती गई। हरेक के मन में ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग जानने की सुप्त इच्छा थी। एक दिन दैनिक साधना के उपरांत उनके परम शिष्य ने इस बाबत पूछ ही लिया। गुरुजी बोले, मैं तुम्हें ईश्वर तक पहुँचने के मार्गदर्शक तत्व बता सकता हूँ पर अपना मार्ग तुम्हें स्वयं ढूँढ़ना होगा।

ज्ञानी जानता है कि पुल पार करने से नदी पार नहीं होती। नदी पार करने के लिए उसमें कूदना पड़ता है। लहरों के थपेड़ों के साथ अन्य सभी आशंकाओं को भी तैरकर परास्त करना होता है। तैराकी के गुर सिखाये जा सकते हैं पर तैरते समय हरेक को अपने हिस्से की चुनौतियों से स्वयं दो-दो हाथ करने पड़ते हैं।

आधुनिक परिप्रेक्ष्य में समझना चाहें तो जीपीएस लगाकर गंतव्य तक पहुँचा तो जा सकता है पर रास्ते का ज्ञान नहीं होता। रास्ता समझने के लिए स्वयं भटकना होता है। अपना रास्ता स्वयं ढूँढ़ना होता है। स्वयं की क्षमताओं को सक्रिय करना होता है।  स्वयं को स्वयं ही अपना शोध करना होता है, स्वयं को स्वयं ही अपना बोध  करना होता है।

ध्यान रहे कि पथ तो पहले से ही है। तुम उसका अनुसंधान भर करते हो, आविष्कार नहीं। यह भी भान रहे कि पथ का अनुसंधान करनेवाले तुम अकेले नहीं हो, असंख्य दूसरे भी अपने-अपने तरीके से अनुसंधान कर रहे हैं। सारे मार्गों का अंतिम लक्ष्य एक ही है। अत: यह एकाकार का मार्ग है।

सच्चा गुरु वह है जो  तुम्हें एकल नहीं एकाकार की यात्रा कराये। एकाकार ऐसा कि पता ही न चले कि तुम गुरु के साथ यात्रा पर हो या तुम्हारे साथ गुरु यात्रा पर है। दोनों साथ तो चलें पर कोई किसी की उंगली न पकड़े।

यदि ऐसा गुरु तुम्हारे जीवन में है तो तुम धन्य हो। तुम्हारा मार्ग प्रशस्त है।

जिनकी गुरुता ने जीवन का मार्ग सुकर किया, उनका वंदन। जिन्होंने मेरी लघुता में गुरुता देखी, उन्हें नमन।

गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएँ।

© संजय भारद्वाज

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय संपादक– हम लोग पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆   ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

🕉️ चार दिवस गुरु साधना- यह साधना शुक्रवार  30 जून से आरम्भ होकर 3 जुलाई तक चलेगी। 🕉️

💥 इस साधना में इस बार इस मंत्र का जप करना है – 🕉️ श्री गुरवे नमः।।💥

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media # 146 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain Pravin Raghuvanshi, NM

? Anonymous Litterateur of Social Media # 146 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 146) ?

Captain Pravin Raghuvanshi —an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. He was involved in various Artificial Intelligence and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’.

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc. Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi.  He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper.  The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Award and C-in-C Commendation.

Captain Pravin Raghuvanshi is also an IIM Ahmedabad alumnus. His latest quest involves social media, which is filled with rich anonymous literature of nameless writers, shared on different platforms, like, WhatsApp / Facebook / Twitter / Your quotes / Instagram etc. in Hindi and Urdu, he has taken the mantle of translating them as a mission for the enjoyment of the global readers. Enjoy some of the Urdu poetry couplets as translated by him.

हम ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए आदरणीय कैप्टेन प्रवीण रघुवंशी जी के “कविता पाठ” का लिंक साझा कर रहे हैं। कृपया आत्मसात करें।

फेसबुक पेज लिंक  >>कैप्टेन प्रवीण रघुवंशी जी का “कविता पाठ” 

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 146 ?

☆☆☆☆☆

☆ Self Assessment… ☆

बाजार जाके खुद का

दाम भी कभी पूछना,

तुम्हारे जैसे समान हर

दुकानों में भरे पड़े हैं…!

☆☆ 

Sometime go to the market and

inquire about your own price,

Every shop is abundantly

filled with goods like you…!

☆☆☆☆☆ 

 ☆ Loyalty Bond… ☆

 अंदाजे इश्क़ तो देखा है तुमने

पर फितरत-ए-वफा नहीं देखी,

पिंजरे खोल दो मगर, फिर भी

कुछ परिंदे उड़ा नहीं करते…

☆☆

You’ve seen the love, but not

the  true  nature  of   loyalty,

Even  if  you  open  the  cage, 

still some birds do not fly off…

☆☆☆☆☆

 ☆ Zestful Rains… 

Zestfully humming drops

keep falling from the sky,

As if an ecstatic cloud has

bumped into your anklet…

☆☆

 गुनगुनाती हुई आती हैं

फ़लक से मदमस्त बूंदें,

लगता है कोई बदली तेरी

पाजेब से टकराई है…

☆☆☆☆☆

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 144 ☆ नवगीत – जीवन तन-मन-धन का स्वामी… ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण नवगीत जीवन तन-मन-धन का स्वामी)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 144 ☆

☆ नवगीत – जीवन तन-मन-धन का स्वामी ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

मन की

मत ढीली लगाम कर

.

मन मछली है फिसल जायेगा

मन घोड़ा है मचल जायेगा

मन नादां है भटक जाएगा

मन नाज़ुक है चटक जायेगा

मन के

संयम को सलाम कर

.

तन माटी है लोहा भी है

तन ने तन को मोहा भी है

तन ने पाया – खोया भी है

तन विराग का दोहा भी है

तन की

सीमा को गुलाम कर

.

धन है मैल हाथ का कहते

धन को फिर क्यों गहते रहते?

धनाभाव में जीवन दहते

धनाधिक्य में भी तो ढहते

धन को

जीते जी अनाम कर

.

जीवन तन-मन-धन का स्वामी

रखे समन्वय तो हो नामी

जो साधारण वह ही दामी

का करे पर मत हो कामी

जीवन

जी ले, सुबह-शाम कर

*

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

९-२-२०१५, जबलपुर

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ साहित्य की दुनिया ☆ प्रस्तुति – श्री कमलेश भारतीय ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय  🌹

(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)

☆ लेखकों का सम्मान व शिमला पुस्तक मेला — कमलेश भारतीय

इस बार मित्रों को सम्मान मिलने के समाचारों ने प्रसन्न कर दिया। 

इस बार का साहित्य अकादेमी बाल साहित्य पुरस्कार सूर्यनाथ सिंह को उनके उपन्यास कौतुक ऐप के लिए घोषित किया गया है। यह उपन्यास विज्ञान कथा है, जिसमें बच्चे एक एप के जरिए कुछ खेल करते हैं। किसी आदमी को किसी ऐतिहासिक चरित्र में बदल देते हैं, जैसे किसी को हिटलर के रूप में तो किसी को लॉर्ड माउंट बेटन के रूप में परिवर्तित कर देते हैं। इस तरह नाटक चलता रहता है। मगर उस एप में कुछ गड़बड़ी आ जाती है और फिर पूरे देश की संचार व्यवस्था ठप्प पड़ जाती है। चारों ओर अफरातफरी का माहौल पैदा हो जाता है। उससे निपटने के उपाय तलाशे जाते हैं। इस तरह इस उपन्यास में मनोरंजन के साथ साथ बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और उनकी कल्पना शक्ति को विकसित करने की भरपूर सामग्री है।

उत्तर प्रदेश के सवाना गांव में जन्मे सूर्यनाथ सिंह ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम ए और फिर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एम फिल और पी एच डी की है। उन्हें अकादमी सम्मान देने की घोषणा पर बधाई।

विनोद शाही को आधार सम्मान :  इसी प्रकार पंजाब से पुराने मित्र डाॅ विनोद शाही को आधार सम्मान दिये जाने की घोषणा हुई है। यह समाचार  भी बहुत खुशी दे गया। डाॅ विनोद शाही एक समय अपनी कहानियों के लिये चर्चित रहे तो आजकल आलोचना के क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय हैं। वे कहते हैं कि आलोचना रचनात्मक है मेरी ! परम्परागत आलोचना का तेवर नहीं अपनाया। वैसे कहानी लेखन भी जारी है और दो  नयी व ताजा कहानियां हंस में आई हैं। प्राध्यापन पंजाब में करने के बाद आजकल गुरुग्राम में परिवार के साथ ठिकाना है। दोनों को बहुत बहुत बधाई।

देवेंद्र गुप्ता को सम्मान : शिमला के हिमालय साहित्य व संस्कृति मंच के संचालक व प्रसिद्ध कथाकार एस आर हरनोट भी शिमला में लगातार सक्रियता बनाये हुए हैं। इन दिनों शिमला में चल रहे पुस्तक मेले में भी उनका ही योगदान है। इसी प्रकार माॅल रोड पर एक साहित्यिक समारोह आयोजित कर सेतु पत्रिका के संपादक देवेंद्र गुप्ता को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सांसद प्रतिभा सिंह और वरिष्ठ पत्रकार नरेश कौशल विशिष्ठ अतिथि रहे। खचाखच भरे रोटरी सभागार ने शिमला में साहित्य के महत्त्व को रेखांकित किया। बधाई देवेंद्र गुप्ता !

मेरठ की लेखिका पूनम मनु  सम्मानित : मेरठ की लेखिका पूनम मनु के उपन्यास द ब्लैंक पेपर को जयपुर साहित्य सम्मान मिला। मानसरोवर जयपुर साहित्य सम्मान एवं साहित्योत्सव का प्रायोजन दीवान कृष्ण गोपाल माथुर बहरोड़ स्मृति परिवार मंडल द्वारा किया गया। इस समारोह में देश भर से विभिन्न विधाओं के कुल 45 लेखकों को उनकी रचनाओं के लिए सम्मानित किया गया।सम्मान में एक शील्ड, सम्मान पत्र एवं नेग स्वरूप एक छोटी राशि भी दी जाती है। जयपुर साहित्य संगीति के संयोजक श्री अरविंद कुमारसंभव और सम्मानित रचनाकारों ने अपनी पुरस्कृत कृतियों पर विस्तार से चर्चा की। हमारी ओर से बधाई पूनम मनु व सभी पैंतालीस रचनाकारों को !

किस्सा पत्रिका को अमलतास धरोहर सम्मान : भागलपुर के साहित्य संस्कृति मंच की ओर से प्रकाशित की जा रही चर्चित पत्रिका ‘किस्सा’ को लखनऊ की संस्था अमलतास की ओर से पिछले दिनों ‘अमलतास धरोहर सम्मान’ प्रदान किया गया। इसकी संपादिका व प्रतिष्ठित रचनाकार अनामिका शिव ने बताया कि यह पत्रिका उनके पिता विव कुमार शिव द्वारा शुरू की गयी थी जिसे उन्होंने उनकी स्मृति में लगातार प्रकाशित करने का प्रयास किया। अनामिका शिव और किस्सा को इस उपलब्धि के लिये हमारी ओर से बधाई।

अनूप श्रीवास्तव की कृति का विमोचन : लखनऊ में वरिष्ठ व्यंग्यकार एवं अट्टहास के संपादक अनूप श्रीवास्तव की व्यंग्य कृति ‘अंतरात्मा का जंतर मंतर’ का विमोचन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध लेखक सुभाष चंदर ने कहा कि यह कृति सरोकारों के स्तर पर बेहद समृद्ध है और पाठकों से पढ़े जाने की मांग करती है। कृति पर सर्वश्री आलोक शुक्ल, राजेंद्र वर्मा, संजीव जायसवाल संजय, शबाहत हुसैन ,अलंकार रस्तोगी, सुश्री इंद्रजीत कौर, सुश्री वीना सिंह, डॉ.शिव प्रकाश, श्रीमती मंजू श्रीवास्तव आदि ने भाग लिया।

साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (3 जुलाई से 9 जुलाई 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (3 जुलाई से 9 जुलाई 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

आइए सबसे पहले रामदूत हनुमान से कृपा प्राप्त करने के लिए बनाई गई हनुमान चालीसा की निम्न चौपाइ का वर्णन करते हैं।

संकट तें हनुमान छुड़ावै। 

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ।।  

भावार्थ:-श्री हनुमान जी से संकट के समय में मदद लेने के लिए आवश्यक है कि आपका मन निर्मल हो। आप जो मन में सोचते हों, वही वाणी से बोलते हैं और वही कर्म करते हैं तब आप निश्चल कहे जाओगे और तब संकट के समय हनुमान जी आपकी मदद करेंगे।

इस चौपाइ का पाठ करने से होने वाला लाभ:-

संकट तें हनुमान छुड़ावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।। 

 इस चौपाई का बार बार पाठ करने से जातक सभी प्रकार के संकटों से मुक्त रहता है।

3 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है। आप सभी को गुरु पूर्णिमा की बधाई। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि आप सभी पर आपके गुरुवर की कृपा सदैव बनी रहे।

मैं पंडित अनिल पाण्डेय अब मैं आपको 3 जुलाई से 9 जुलाई 2023 अर्थात विक्रम संवत 2080 शक संवत 1945 की आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तक के सप्ताह का साप्ताहिक राशिफल बताते हैं।

इस सप्ताह के प्रारंभ में चंद्रमा धनु राशि में रहेगा। 4 जुलाई को 3:47 दिन से मकर राशि में प्रवेश करेगा। इसके उपरांत 6 जुलाई को 6:11 सायंकाल से कुंभ राशि में और 8 जुलाई को 8:36 रात से मीन राशि में गोचर करेगा।

इस पूरे सप्ताह सूर्य मिथुन राशि, मंगल सिंह राशि में, और गुरु मेष राशि में भ्रमण करेंगे। बुध प्रारंभ मिथुन राशि में रहेगा तथा 8 तारीख 11:37 दिन से कर्क राशि में प्रवेश करेगा। शुक्र प्रारंभ में कर्क राशि में रहेगा और 6 तारीख की 5:47 सायं काल से सिंह राशि में जाएगा। राहु पूरे सप्ताह मेष राशि में वक्री रहेगा और इसी प्रकार शनि पूरे सप्ताह कुंभ राशि में बक्री रहेगा।

आइए अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

मेष राशि के जातकों को इस सप्ताह उनके पुत्र पुत्रियों से बहुत अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। पुत्र पुत्रियों की उन्नति भी हो सकती है। अगर वे कोई एग्जामिनेशन दे रहे हैं तो उसमें वे सफल हो जाएंगे। आपके माताजी को कष्ट होगा। पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा मैं थोड़ी कमी आ सकती है। भाग्य आपका साथ देगा। अगर आप अविवाहित हैं तो विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं। धन के आने में कमी आएगी। इस सप्ताह आपके लिए 5 और 6 जुलाई उत्तम हैं । 9 जुलाई को आपको कोई भी कार्य बहुत सोच समझ कर करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप अपने स्वास्थ्य के लिए तथा भाग्य को थोड़ा और ठीक करने के लिए काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। ूसप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने का अच्छा योग है। आपके स्वास्थ्य में थोड़ी बहुत परेशानी आ सकती है। आपके सुख में वृद्धि होगी। माताजी का स्वास्थ्य पहले की तुलना में ठीक होगा। पिताजी का स्वास्थ्य पहले से थोड़ा खराब हो सकता है। आपके व्यापार में उन्नति होगी। भाग्य साथ दे सकता है। कार्यालय में आप की हालत थोड़ा खराब हो सकती है। कार्यालय में थोड़ा सावधान रहने का प्रयास करें। इस सप्ताह आपके लिए 7 और 8 जुलाई उत्तम फलदायक हैं । 3 और 4 जुलाई को आपको कोई भी कार्य पूर्ण सावधानी से करना चाहिए। आपको चाहिए कि आप कुछ सप्ताह लगारभगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

मिथुन राशि

मिथुन राशि जातकों का स्वास्थ्य इस सप्ताह उत्तम रहेगा। व्यापार में वृद्धि होगी। भाइयों के साथ स्नेह बढ़ेगा। भाइयों से आपको लाभ भी प्राप्त हो सकता है। इस सप्ताह आपको भाग्य की मदद कम मिलेगी। आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। संतान से भी आपको इस सप्ताह कम मदद मिलने की उम्मीद है। इस सप्ताह आपके लिए 3 और 4 जुलाई उत्तम फलदायक हैं। 5 और 6 जुलाई को आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। 9 जुलाई को भी आपके कार्य सफल होंगे। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह शनिवार के दिन शनि भगवान के मंदिर में जाकर शनि देव की आराधना करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह आपको कचहरी के कार्यों में मदद मिलेगी। धन आने का भी योग है। अगर आप अविवाहित हैं तो आप के विवाह के उत्तम प्रस्ताव आएंगे। कर्क राशि के स्त्री जातकों को शारीरिक कष्ट हो सकता है। आपके जीवन साथी के स्वास्थ्य में भी खराबी आ सकती है । कार्यालय में आपकी स्थिति ठीक रहेगी। कार्यालय में व्यर्थ की बहस में ना पड़ें। इस सप्ताह आपके लिए 5 और 6 जुलाई उत्तम है। सप्ताह के बाकी दिनों में आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान शिव का प्रतिदिन दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

सिंह राशि

आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा । इस सप्ताह आपके पास धन आने का अच्छा योग है । भाग्य से आपको थोड़ी बहुत मदद मिल सकती है। अगर आप अविवाहित हैं तो इस सप्ताह आपके शादी के प्रयासों में बाधा आएगी। संतान से सहयोग प्राप्त हो सकता है। भाई बहनों से भी सहयोग की उम्मीद की जा सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 7 और 8 जुलाई उत्तम और लाभप्रद है। सप्ताह के बाकी दिनों में आपको कोई भी कार्य पूरी प्लानिंग करके ही करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। कार्यालय में आपके प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। संतान से आपको सहयोग मिल सकता है। आपके शत्रु पराजित होंगे। नए शत्रु बन सकते हैं। पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। भाई और बहनों से सहयोग प्राप्त नहीं होगा। इस सप्ताह आपके लिए 3, 4 जुलाई तथा 9 जुलाई किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त दिन हैं। 7 और 8 जुलाई को आपको सतर्क रहना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य पहले से ठीक रहेगा। अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो कार्यालय में आपको कष्ट हो सकता है। इस सप्ताह आपको अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी। भाग्य आपका बड़े सुंदर ढंग से साथ देगा। संतान की तरफ से आपको कोई खास मदद प्राप्त नहीं हो पाएगी।छात्रों की पढ़ाई में बाधा आएगी। मामूली धन आने का योग है। इस सप्ताह आपके लिए 5 और 6 जुलाई उत्तम और लाभप्रद है। 9 जुलाई को आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शुक्रवार के दिन किसी भी मंदिर में जाकर गरीबों के बीच में चावल का दान करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है ।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य थोड़ा पहले से ठीक रहेगा। जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। इस सप्ताह आपको भाग्य से मदद नहीं मिल पाएगी। आपको अपने परिश्रम पर ही विश्वास करना चाहिए। इस सप्ताह आप दुर्घटनाओं से बच सकते हैं। धन आने का योग है। पेट में कोई पीड़ा हो सकती है। संतान से आपको कोई विशेष सहयोग प्राप्त नहीं होगा। माताजी के स्वास्थ्य में खराबी आ सकती है। पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 7 और 8 जुलाई लाभप्रद है। आपको चाहिए कि आप इन दोनों दिनों का पूर्ण उपयोग करें। जिससे कि आपको सफलताएं मिल सकें । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शुक्रवार के दिन मंदिर में जाकर मंदिर के पुजारी को सफेद वस्त्रों का दान करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

धनु राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा । भाई बहनों से आपको कोई सहयोग प्राप्त नहीं होगा ।तकरार भी हो सकती है। भाग्य आपका पूर्णरूपेण साथ देगा। स्त्री जातकों को शारीरिक कष्ट हो सकता है । इस सप्ताह आपको अपनी संतान से सहयोग प्राप्त हो सकता है। छात्रों की पढ़ाई में कुछ बाधा आ सकती है। इस सप्ताह आपके लिए तीन और चार तथा 9 जुलाई कार्यों को करने के लिए उपयुक्त हैं। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह गणेश अथर्वशीर्ष का प्रतिदिन पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

मकर राशि

आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा परंतु आपके जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी बाधा आ सकती है। अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो कार्यालय में आपको थोड़ी परेशानी हो सकती है ।व्यापार में आपको लाभ प्राप्त होगा। संतान से कोई विशेष सहयोग प्राप्त नहीं होगा। अगर आपकी माताजी का स्वास्थ्य खराब है तो वह ठीक होना प्रारंभ हो जाएगा। इस सप्ताह आपके लिए 5 और 6 जुलाई कार्यों को करने के लिए उपयुक्त है । 3 और 4 जुलाई को आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप घर की बनी पहली रोटी गौ माता को दें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कुंभ राशि

स सप्ताह आपको अपने भाई बहनों से सहयोग प्राप्त हो सकता है। परंतु आपको अपने भाइयों से सतर्क भी रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके संतान को उन्नति प्राप्त हो सकती है। संतान आपके साथ बहुत अच्छा सहयोग करेगी। छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। भाग्य आपका साथ दे सकता है। शत्रुओं से आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 7 और 8 जुलाई फलदायक हैं । 5 और 6 जुलाई को आपको सतर्क रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शनिवार के दिन दक्षिण मुखी हनुमान जी के मंदिर में जाकर हनुमान जी के सामने बैठकर सात बार हनुमान चालीसा का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह आपके सुख में वृद्धि हो सकती है। आप द्वारा कोई उपकरण जैसे एसी, कूलर आदि खरीदा जा सकता है । आपके माताजी का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। जनता में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कार्यालय में भी आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। आपको अपनी संतान से सहयोग प्राप्त नहीं होगा। संतान को कष्ट हो सकता है। छात्रों की पढ़ाई में बाधा आ सकती है। आपको अपने शत्रु पर विजय प्राप्त होगी। भाग्य आपका साथ देगा। इस सप्ताह आपके लिए 3 और 4 जुलाई तथा 9 जुलाई किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त हैं। इन तीनों तारीखों में आपके द्वारा किए गए कार्यों में आपको सफलता प्राप्त होगी। 7 और 8 जुलाई को आपको सावधान रहना चाहिए अन्यथा आप को नुकसान हो सकता है। इस सप्ताह आपको शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करना चाहिए। इसके अलावा पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर पीपल की सात बार परिक्रमा करना चाहिए। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – चित्रकाव्य ☆ – छत्री म्हणू की… – ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

सुश्री नीलांबरी शिर्के

 

?️?  चित्रकाव्य  ?️?

?– छत्री म्हणू की…– ? ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

छत्री म्हणू की याला फूल 

मनास पडली माझ्या भूल

इवले इवले नेत्र  तयाला

नकटे नाकही दिसे अनुकूल …. 

छोटीशी जीभ वेडावून  हे

दाखविसे का पर्ज॔न्याला

रक्षणास्तव उभा ठाकूनी

का भिजवीशी म्हणे आम्हाला …. 

नाजुक  इवला जीव परी 

धाडस याचे मोठे बाई

पाऊस पडला जोरात तर

फाटून जाऊ ,तमा ही नाही …. 

तमा कशाला करील वेडे

जीवन तयाचे एक दिसाचे

हासत खेळत  मिस्किलतेने

आनंदात ते जगावयाचे ….. 

© सुश्री नीलांबरी शिर्के

मो 8149144177

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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