हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 173 ☆ # “एक सूर्य निकला था” # ☆ श्री श्याम खापर्डे ☆

श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है विश्व कविता दिवस परआपकी भावप्रवण कविता एक सूर्य निकला था ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 173 ☆

☆ # “एक सूर्य निकला था ” # ☆ 

वर्षों पहले आज ही के दिन

एक सूर्य निकला था

तम का काला साया

उसके किरणों से पिघला था

*

जीवन था दुश्वार

कटघरे में परछाई थी

पांव बंधे थे पीठ पर

चलने की मनाही थी

थूक भी अभिशप्त था

पीढ़ियाँ सताई थी

झाड़ू था उपहार

दिनचर्या सफाई थी

वंचितों ने गांव के बाहर

बस्तियां बसाई थी

अत्याचार आम था

नहीं कोई सुनवाई थी

तुमने अपने प्रखर तेज़ से

इस व्यवस्था को बदला था

वर्षों पहले आज ही के दिन

एक सूर्य निकला था

तम का काला साया

उसके किरणों से पिघला था

*

हम तो थे अंधकार में

तुमने हमारी आंखें खोली

हम तो थे पाषाण से

मुंह में डाली तुमने बोली

कलम की ताकत समझाई

शिक्षा हमारी बनी हमजोली

शेरनी का दूध पिलाया

मुके बोलने लगे जैसे गोली

आधिकारों की चेतना जगाई

जनता थी कितनी भोली

अंधों को आंखें दी

रूढ़ियों की जलाई होली

शिक्षा के इस महादान से

अंधविश्वास को कुचला था

वर्षों पहले आज ही के दिन

एक सूर्य निकला था

तम का काला साया

उसके किरणों से पिघला था

*

थोड़ा सा पाया है पर

बहुत कुछ पाना बाकी है

समाज को भूल जाओगे तो

नहीं इसकी कोई माफी है

टूटते संघटन, यह बिखराव

कल की दुर्दशा की झांकी है

मजबूत संघटन की ही

दुनिया ने कीमत आंकी है

मिटानें विरासत को

आंधियां पिस रही चाकी है

बवंडर तो उठाया है पर

अब वो सब नाकाफ़ी है

तुमने संघर्षों से हमारा

भाग्य बनाया उजला था

वर्षों पहले आज ही के दिन

एक सूर्य निकला था

तम का काला साया

उसके किरणों से पिघला था/

*

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – कविता ☆ – गुरु की महिमा… ☆ श्री राजेन्द्र तिवारी ☆

श्री राजेन्द्र तिवारी

(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी जबलपुर से श्री राजेंद्र तिवारी जी का स्वागत। इंडियन एयरफोर्स में अपनी सेवाएं देने के पश्चात मध्य प्रदेश पुलिस में विभिन्न स्थानों पर थाना प्रभारी के पद पर रहते हुए समाज कल्याण तथा देशभक्ति जनसेवा के कार्य को चरितार्थ किया। कादम्बरी साहित्य सम्मान सहित कई विशेष सम्मान एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित, आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा वार्ताएं प्रसारित। हॉकी में स्पेन के विरुद्ध भारत का प्रतिनिधित्व तथा कई सम्मानित टूर्नामेंट में भाग लिया। सांस्कृतिक और साहित्यिक क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय रहा। हम आपकी रचनाएँ समय समय पर अपने पाठकों के साथ साझा करते रहेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता ‘गुरु की महिमा…’।)

☆ कविता – गुरु की महिमा… ☆

हे गुरुवर, तुम्हें प्रणाम,

हे गुरुवर तुम्हें प्रणाम,

बारम बार प्रणाम तुम्हें

शत शत तुम्हें प्रणाम,

हे गुरुवर , तुम्हें प्रणाम,

हे गुरुवर , तुम्हें प्रणाम…

तुम हो ज्ञान के दाता,तुम ही,

भक्ति भाव प्रदाता,

नेक राह बतलाते तुम ही,

तुम ही आश्रय दाता,

तुमको पाकर मैने पाया,

अंतर्मन विश्राम,

हे गुरु वर तुम्हें प्रणाम

हे गुरुवर तुम्हें प्रणाम,

जग है भूल भुल्लैया,इसमें,

प्राणी गुम हो जाता,

मिले सहारा गुरुवर का तो,

कोई भटक न पाता,

जब तक राह न दिखला दोगे,

ना लोगे विश्राम,

हे गुरुवर तुम्हें प्रणाम….

पूज्य स्वयं भगवान के हो,

क्या तेरी महिमा गाऊं,

तुम हो अंतर्यामी गुरुवर,

तुम को क्या बतलाऊं,

सदा रहे आशीष तुम्हारा,

और चरणों में धाम .

हे गुरुवर तुम्हें प्रणाम ,

हे गुरुवर तुम्हें प्रणाम…

© श्री राजेन्द्र तिवारी  

संपर्क – 70, रामेश्वरम कॉलोनी, विजय नगर, जबलपुर

मो  9425391435

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ हे शब्द अंतरीचे # 168 ☆ स्वप्न… ☆ महंत कवी राज शास्त्री ☆

महंत कवी राज शास्त्री

?  हे शब्द अंतरीचे # 168 ? 

☆ स्वप्न… ☆ महंत कवी राज शास्त्री ☆

(अंत्य-ओळ काव्य…)

गालावरची तुझ्या खळी

कोडे पडले सखी मला

स्वप्न सुद्धा पडतांना

त्रास देते खळी मला.!!

 

त्रास देते खळी मला

मी बेचैन जाहलो

तुझ्या खळीच्या नादात

मलाच मी विसरलो.!!

 

मलाच मी विसरलो

नाही काही आता उरले

तुला भेटण्यासाठी

मनाने पक्के बघ ठरविले.!!

 

मनाने पक्के बघ ठरविले

भेट तुझी घेणार मी

स्वप्न जे पाहिले सदोदित

त्यास साकार, करणार मी.!!

© कवी म.मुकुंदराज शास्त्री उपाख्य कवी राज शास्त्री

श्री पंचकृष्ण आश्रम चिंचभुवन, वर्धा रोड नागपूर – 440005

मोबाईल ~9405403117, ~8390345500

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ.उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ.गौरी गाडेकर≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ परिहार जी का साहित्यिक संसार # 237 ☆ व्यंग्य – बंडू की फौजदारी ☆ डॉ कुंदन सिंह परिहार ☆

डॉ कुंदन सिंह परिहार

(वरिष्ठतम साहित्यकार आदरणीय  डॉ  कुन्दन सिंह परिहार जी  का साहित्य विशेषकर व्यंग्य  एवं  लघुकथाएं  ई-अभिव्यक्ति  के माध्यम से काफी  पढ़ी  एवं  सराही जाती रही हैं।   हम  प्रति रविवार  उनके साप्ताहिक स्तम्भ – “परिहार जी का साहित्यिक संसार” शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते  रहते हैं।  डॉ कुंदन सिंह परिहार जी  की रचनाओं के पात्र  हमें हमारे आसपास ही दिख जाते हैं। कुछ पात्र तो अक्सर हमारे आसपास या गली मोहल्ले में ही नज़र आ जाते हैं।  उन पात्रों की वाक्पटुता और उनके हावभाव को डॉ परिहार जी उन्हीं की बोलचाल  की भाषा का प्रयोग करते हुए अपना साहित्यिक संसार रच डालते हैं।आज प्रस्तुत है आपका एक विचारणीय एवं अप्रतिम व्यंग्य – बंडू की फौजदारी। इस अतिसुन्दर रचना के लिए डॉ परिहार जी की लेखनी को सादर नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – परिहार जी का साहित्यिक संसार  # 237 ☆

☆ व्यंग्य – बंडू की फौजदारी

बंडू ने फिर लफड़ा कर लिया। अपने पड़ोसी महावीर जी की फुरसत से मरम्मत करके भागा भागा फिर रहा है और महावीर जी अपने दो-तीन शुभचिंतकों को लिये, गुस्से में बौराये हुए, हिसाब चुकाने के लिए उसे ढूँढ़ते फिर रहे हैं। फिलहाल बंडू मेरे घर में छिपा बैठा है।

बंडू के साथ मुश्किल यह है कि वह बिलकुल दुनियादार नहीं है। न उसे मुखौटे पहनना आता है, न छद्म करना। जो आदमी उसे पसन्द नहीं आता उसके साथ पाँच मिनट गु़ज़ारना उसे पहाड़ लगता है। मन की बात बिना लाग-लपेट के फट से बोल देता है और सामने वाले को नाराज़ कर देता है। तिकड़म और जोड़-जुगाड़ में लगे होशियार लोगों से उसकी पटरी नहीं बैठती। इसी वजह से तकलीफ भी उठाता है, लेकिन अपनी फितरत से मजबूर है।

दूसरी तरफ उसके पड़ोसी महावीर जी नख से शिख तक दुनियादारी में रसे-बसे हैं। दफ्तर में जिस दिन ऊपरी कमाई नहीं होती उस दिन उन्हें दुनिया बेईमान और बेवफा नज़र आती है। उस दिन वे दिन भर घर में झींकते और भौंकते रहते हैं। जिस दिन जेब में वज़न आ जाता है उस दिन उन्हें दुनिया भरोसे के लायक लगती है। उस दिन वे सब के प्रति स्नेह से उफनते, गुनगुनाते घूमते रहते हैं।

कपड़े-लत्ते के मामले में महावीर जी भारी किफायत बरतते हैं। घर में ज़्यादातर वक्त कपड़े की बंडी और पट्टेदार अंडरवियर में ही रहते हैं। कमीज़ पायजामा पहनने की फिज़ूलखर्ची तभी करते हैं जब घर में कोई ‘सम्माननीय’ मेहमान आ जाता है। अगर मेहमान ‘अर्ध- सम्माननीय’ होता है तो अंडरवियर पर सिर्फ पायजामा चढ़ाकर काम चला लेते हैं, कमीज़ को दुरुपयोग से फिर भी बचा लेते हैं।

इसी किफायतसारी के तहत महावीर जी अखबार नहीं खरीदते। जब पड़ोस में बंडू के घर अखबार आता है तो उन्हें खरीदने की क्या ज़रूरत? सबेरे से अंडरवियर का नाड़ा झुलाते आ जाते हैं और कुर्सी पर पालथी मार कर अखबार लेकर बैठ जाते हैं। सबसे पहले राशिफल पढ़ते हैं। कभी खुश होकर बंडू से कहते हैं, ‘आज लाभ का योग है’, कभी मुँह लटका कर कहते हैं, ‘आज राशिफल गड़बड़ है। देखो क्या होता है।’ राशिफल के बाद बाजार के भाव पढ़ते हैं, फिर दूसरी खबरें। दुर्घटना, हत्या, अन्याय, क्रूरता, सामाजिक उथल-पुथल की खबरों को सरसरी नज़र से देख जाते हैं, फिर मुँह बिचका कर कहते हैं, ‘इन अखबार वालों की नज़र भी कौवों की तरह गन्दी चीज़ों पर ही रहती है।’

फिर नाड़ा झुलाते, गुनगुनाते वापस चले जाते हैं।

बंडू की हालत उल्टी है। वह अखबार को सुर्खियों से पढ़ना शुरू करता है। हत्या और क्रूरता की खबरें उसे विचलित कर देती हैं। नेताओं के भाषणों से उसे एलर्जी है। कहता है, ‘कहीं झूठ और पाखंड का अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला हो तो पहले दस पुरस्कार हमसे कोई नहीं ले सकता। ग्यारहवें से ही दूसरे देशों का नंबर लग सकता है।’

बंडू दुखी होकर महावीर जी से कहता है, ‘देखिए तो, बांग्लादेश में कैसी भीषण बाढ़ आयी है। हजारों लोग खत्म हो गये। लाखों बेघर हो गये।’

महावीर जी निर्विकार भाव से कहते हैं, ‘विधि का लिखा को मेटन हारा। जिसकी जब लिखी है सो जाएगा।’

बंडू चिढ़ जाता है। कहता है, ‘इतनी बड़ी दुर्घटना हो गयी और आप उसे कुछ समझ ही नहीं रहे हैं।’

महावीर जी ‘ही ही’ करके हँसते हैं, तोंद में आन्दोलन होता है। कहते हैं, ‘अरे, आप तो ऐसे परेशान हो रहे हो जैसे बांग्लादेश की बाढ़ आपके ही घर में घुस आयी हो।’

कभी बंडू कहता है, ‘देश में बेईमानी और भ्रष्टाचार बहुत बढ़ रहा है। पता नहीं इस देश का क्या होगा।’

महावीर जी सन्त की मुद्रा में जवाब देते हैं, ‘सब अच्छा होगा। भ्रष्टाचार होने से काम जल्दी और अच्छा होता है, नहीं तो आज के जमाने में कौन दिलचस्पी लेता है। और फिर बेईमानी और भ्रष्टाचार कौन आज के हैं। हमेशा से यही होता आया है। अब हमेंइ देखो, दो पैसे ऊपर लेते हैं लेकिन काम एकदम चौकस करते हैं। मजाल है कोई शिकायत कर जाए।’

बंडू भुन्ना जाता है।

कभी बंडू चिन्ताग्रस्त होकर कहता है, ‘रोजगार की समस्या बड़ी कठिन हो रही है।’

महावीर जी हँसकर कहते हैं, ‘भैया आप बड़े भोले हो। बेरोजगारी की समस्या बेवकूफों के लिए है। अब हमें देखो। हमारे बेटों को नौकरी की क्या जरूरत? एक को दुकान खुलवा देंगे, दूसरे से ठेकेदारी करवाएँगे, तीसरे को एक दो ट्रक खरीद देंगे। चार पैसे खुद खाओ, चार ऊपर वालों को खिलाओ। खुश रहोगे। हम तो नौकरी करके पछताये। दो-तीन साल में रिटायरमेंट लेकर धंधा करेंगे और चैन से रहेंगे।’

महावीर जी अक्सर तरह-तरह के धंधों के प्रस्ताव लेकर बंडू के पास आते रहते हैं। कभी कहते हैं, ‘पाँच दस हजार की अलसी भर लो। अच्छा मुनाफा मिल जाएगा।’ कभी कहते हैं, ‘सरसों भर लो। चाँदी काटोगे।’ बंडू को इन बातों से चिढ़ होती है। गुस्सा बढ़ता है तो तीखे स्वर में कहता है, ‘आप ही यह भरने और खाली करने का धंधा कीजिए। इस मुनाफाखोरी में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है।’

बंडू के गुस्से को महावीर जी उसकी नादानी समझते हैं। वे फिर भी बंडू का ‘भला’ करने की नीयत से नये-नये प्रस्ताव लेकर आते रहते हैं। कभी कहते हैं, ‘चलो सहकारी दुकान से एक बोरा शक्कर दिलवा देते हैं। मुनाफे पर बेच लेना।’ और बंडू उन्हें दरवाजा दिखाता रहता है।

पश्चिमी सेनाओं और इराक के बीच युद्ध के समय एक दिन जब महावीर जी अखबार पढ़ने पधारे तब बंडू सिर पकड़े बैठा था। महावीर जी सहानुभूति से बोले, ‘क्या बात है भाई? तबियत खराब है क्या?’

बंडू बोला, ‘तबियत खराब नहीं है। जरा अखबार पढ़ो। अमेरिका के मिसाइल ने बंकर को तोड़कर तीन चार सौ स्त्रियों बच्चों को माँस के लोथड़ों में बदल दिया।’

महावीर जी ताली पीट कर हँसे, बोले, ‘वह खबर तो हमने रात को टीवी पर सुन ली थी। भई, हम तो अमरीका की तारीफ करते हैं कि क्या मिसाइल बनाया कि इतने मोटे कंक्रीट को तोड़कर बंकर के भीतर घुस गया। कमाल कर दिया भई।’

बंडू बोला, ‘और जो तीन चार सौ निर्दोष स्त्री बच्चे मरे सो?’

महावीर जी बाँह पर बैठे मच्छर को स्वर्गलोक भेजते हुए बोले, ‘अरे यार, लड़ाई में तो ये सब मामूली बातें हैं। लड़ाई में आदमी नहीं मरेंगे तो क्या घोड़े हाथी मरेंगे?’

फिर कहते हैं, ‘लेकिन ब्रदर, पहली बार लड़ाई का मजा आया। टीवी पर बमबारी क्या मजा देती है! बिल्कुल आतिशबाजी का आनन्द आता है।’

लड़ाई की नौबत जिस दिन आयी उसके एक दिन पहले से ही बंडू महावीर जी से जला-भुना बैठा था। एक दिन पहले वे बंडू को गर्व से बता चुके थे कि कैसे दफ्तर में एक देहाती का काम करने के लिए उन्होंने उसकी जेब का एक-एक पैसा झटक लिया था। उन्होंने गर्व से कहा था, ‘साला एक पचास रुपये का नोट दबाये ले रहा था, लेकिन अपनी नजर से पैसा बच जाए यह नामुमकिन है। साले को एकदम नंगा कर दिया।’

तब से ही बंडू का दिमाग खराब था। बार-बार महावीर जी की वह हरकत उसके दिमाग में घूमती थी और उसका माथा खौल जाता था।

दुर्भाग्य से दूसरे दिन महावीर जी फिर आ टपके। प्रसन्नता से दाँत निकाल कर बोले, ‘बंधु, मुनाफा कमाने का बढ़िया मौका है। निराश्रित लड़कों के हॉस्टल के लिए खाने की चीजें सप्लाई करने का ठेका मिल रहा है।’

बंडू गुस्से में भरा बैठा था। उसने कोई जवाब नहीं दिया।

महावीर जी अपनी धुन में बोलते रहे, ‘मैंने सब मामला ‘सेट’ कर लिया है। जैसा भी माल सप्लाई करेंगे सब चल जाएगा। थोड़ा वहाँ के अफसरों को खिलाना पड़ेगा, बाकी हमारा। चालीस पचास परसेंट तक मुनाफा हो सकता है।’

और बंडू किचकिचा कर महावीर जी पर चढ़ बैठा। महावीर जी इस अप्रत्याशित आक्रमण से घबराकर चित्त हो गये। बंडू ने उन्हें कितने लात- घूँसे मारे यह उसे खुद भी नहीं मालूम। महावीर जी का आर्तनाद सुनकर लोग दौड़े और बंडू को अलग किया। महावीर जी उस वक्त तक हाथ-पाँव हिलाने लायक भी नहीं रह गये थे।

बस तभी से बंडू मेरे घर में छिपा बैठा है और महावीर जी अपने पहलवानों के साथ उसे हिसाब चुकाने के लिए ढूँढ़ते फिर रहे हैं।

 

© डॉ कुंदन सिंह परिहार

जबलपुर, मध्य प्रदेश

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 236 – या घट अंतर बाग़-बग़ीचे ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

☆  संजय उवाच # 236 ☆ या घट अंतर बाग़-बग़ीचे ?

‘चरन्मार्गान्विजानाति।’

(महाभारत, आदिपर्व 133-23)

पथिक को मार्ग का ज्ञान स्वत: हो जाता है।

मनुष्य शाश्वत पथिक है। एक जीवन में  सारी जिज्ञासाओं का शमन नहीं हो सकता। फलत: वह लौट-लौट कर आता है। 84 लाख योनियों में जगत का भ्रमण करता है, पर्यटन करता है।

ध्यान रहे कि यात्रा पर्यटन नहीं है पर यात्रा का पर्यटन से गहरा  संबंध है। पर्यटन के लिए यात्रा अनिवार्य है।  पर्यटन निर्धारित स्थान की सायास घुमक्कड़ी है। तथापि हर यात्रा अपने आप में अनायास पर्यटन है।

भारत के संदर्भ में अधिकांश पर्यटन स्थल तीर्थ हो जाते हैं। मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा था, “टू अदर कंट्रीज़, आई मे गो एज़ अ टूरिस्ट, बट टू इंडिया, आई कम एज़ अ पिलग्रिम।” (“मैं दूसरे देशों में पर्यटक के तौर पर जा सकता हूँ पर भारत में मैं तीर्थयात्री के रूप में आता हूँ।”)

स्कंदपुराण के काशीखण्ड में तीन प्रकार के तीर्थों का उल्लेख मिलता है-जंगम तीर्थ, स्थावर तीर्थ और मानस तीर्थ। 

हम मानस तीर्थ की यात्रा पर चर्चा करेंगे। दुनिया का भ्रमण कर चुके पर्यटक भी इस अनन्य पर्यटन से वंचित रह जाते हैं। सच तो यह है कि हममें से अधिकांश इस पर्यटन स्थल तक कभी पहुँचे ही नहीं।

एक दृष्टांत द्वारा इसे स्पष्ट करता हूँ। एक भिक्षुक था। भिक्षुक बिरादरी में भी घोर भिक्षुक। जीवन भर आधा पेट रहा। एक कच्ची झोपड़ी में पड़ा रहता। एक दिन आधा पेट मर गया। बाद में उस स्थान पर किसी इमारत का काम आरंभ हुआ। झोपड़ी वाले हिस्से की खुदाई हुई तो वहाँ बेशकीमती ख़ज़ाना निकला। जिस ख़ज़ाने की खोज में वह जीवन भर रहा,  वह तो ठीक उसके नीचे ही गड़ा था। हम सब की स्थिति भी यही है। हम सब एक अद्भुत कोष भीतर लिए जन्मे हैं लेकिन उसे बाहर खोज रहे  हैं।

भीतर के इस मानसतीर्थ का संदर्भ महाभारत के अनुशासन पर्व में मिलता है। दान-धर्म की चर्चा करते हुए अध्याय 108 में युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से सब तीर्थों में श्रेष्ठ तीर्थ की जानकारी चाही है। अपने उत्तर में मानस तीर्थ का वर्णन करते हुए पितामह कहते हैं, “जिसमें धैर्यरूप कुण्ड और सत्यरूप जल भरा हुआ है तथा जो अगाध, निर्मल एवं अत्यन्त शुद्ध है, उस मानस तीर्थ में सदा परमात्मा का आश्रय लेकर स्नान करना चाहिए। कामना और याचना का अभाव, सरलता, सत्य, मृद भाव, अहिंसा,  प्राणियों के प्रति क्रूरता का अभाव- दया, इन्द्रियसंयम और मनोनिग्रह- ये ही इस मानस तीर्थ के सेवन से प्राप्त होने वाली पवित्रता के लक्षण हैं। जो ममता, अहंकार, राग-द्वेषादि द्वन्द्व और परिग्रह से रहित  हैं, वे विशुद्ध अन्तःकरण वाले साधु पुरुष तीर्थस्वरूप हैं, किंतु जिसकी बुद्धि में अहंकार का नाम भी नहीं है, वह तत्त्वज्ञानी पुरुष श्रेष्ठ तीर्थ कहलाता है।”

वास्तव में स्थूल शरीर के माध्यम से यात्रा करते हुए हम स्वयं को शरीर भर मान बैठते हैं।  सच तो यह है कि हम शरीर नहीं अपितु शरीर में हैं। सत्य को भूलकर हम भीतर से बाहर की यात्रा में जुट जाते हैं जबकि अभीष्ट बाहर से भीतर की यात्रा होती है।

इस यात्रा पर जो निकला, वह मालामाल हो गया‌। सारी सृष्टि के बाग़-बग़ीचे भी फीके हैं इस भीतरी पर्यटन के आगे। संत कबीर लिखते हैं,

या घट अंतर बाग़-बग़ीचे, या ही में सिरजनहारा।

या घट अंतर सात समुंदर, या ही में नौ लख तारा।

या घट अंतर पारस मोती, या ही में परखनहारा।

या घट अंतर अनहद गरजै, या ही में उठत फुहारा।

कहत कबीर सुनो भाई साधो, या ही में साँई हमारा॥

भीतर का पर्यटन सायास और अनायास दोनों है। इस पर्यटन में सतत अनुसंधान भी है।

यह एक ऐसा पर्यटनलोक है, जिसके एक खंड की रजिस्ट्री हर मनुष्य के नाम हैं। हरेक के पास स्वतंत्र हिस्सा है। ऐसा पर्यटनलोक जो सबके लिए सुलभ है, नि:शुल्क है, बारहमासी है, प्रति पल है।

जितनी यात्रा भीतर होगी, जगत को देखने की दृष्टि उतनी ही बदलती चली जाएगी। लगेगा कि आनंद ही आनंद बरस रहा है। रसघन है, छमाछम वर्षा हो रही है, भीग रहे हो, सब कुछ नेत्रसुखद, सारे भारों से मुक्त होकर नृत्य करने लगोगे।

छुट्टियों का समय है, पर्यटन का समय है। चलो पर्यटक बनें, अपने भीतर का भ्रमण करें। पर्यटन से अभिप्रेत परमानंद यही है।

© संजय भारद्वाज 

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय संपादक– हम लोग पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆   ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

💥 मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम को समर्पित साधना मंगलवार (गुढी पाडवा) 9 अप्रैल से आरम्भ होगी और श्रीरामनवमी अर्थात 17 अप्रैल को विराम लेगी 💥

🕉️ इसमें श्रीरामरक्षास्तोत्रम् का पाठ होगा, गोस्वामी तुलसीदास जी रचित श्रीराम स्तुति भी करें। आत्म-परिष्कार और ध्यानसाधना भी साथ चलेंगी 🕉️

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media # 183 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain (IN) Pravin Raghuvanshi, NM

? Anonymous Litterateur of Social Media # 183 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 183) ?

Captain Pravin Raghuvanshi NM—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. An alumnus of IIM Ahmedabad was involved in various Artificial and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’. He is also the English Editor for the web magazine www.e-abhivyakti.com.  

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc.

Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi. He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper. The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his Naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Awards and C-in-C Commendation. He has won many national and international awards.

He is also an IIM Ahmedabad alumnus.

His latest quest involves writing various books and translation work including over 100 Bollywood songs for various international forums as a mission for the enjoyment of the global viewers. Published various books and over 3000 poems, stories, blogs and other literary work at national and international level. Felicitated by numerous literary bodies..!

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 183 ?

☆☆☆☆☆

चलो अब ख़ामोशियों 

की गिरफ़्त में चलते हैं…

बातें गर ज़्यादा हुईं तो 

जज़्बात खुल जायेंगे..!!

☆☆

Let’s get arrested now in

the regime of silence …

If we kept talking anymore

Emotions may get revealed…!!

☆☆☆☆☆

बादलों का गुनाह नहीं कि 

वो  बेमौसम  बरस  गए!! 

दिल  हलका  करने का 

हक  तो  सबको हैं ना!!

☆☆

It’s not the crime of clouds

If they rained unseasonally!

After all everyone is entitled 

To lighten burdened sorrows

☆☆☆☆☆

काश नासमझी में ही

बीत जाए ये ज़िन्दगी

समझदारी ने तो हमसे 

बहुत कुछ छीन लिया…

☆☆

Wish  life could pass 

In  imprudence only

Wiseness alone 

did snatch a lot…

☆☆☆☆☆

दिल ना चाहे फिर भी यारो 

मिलते जुलते रहा करो…

करो शिकायत गुस्से में ही

कुछ ना कुछ तो कहा करो…

☆☆

Heart may not desire still 

Friends keep on meeting

Complain even in anger only

But at least say something…

☆☆☆☆☆

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 182 ☆ नवगीत ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है नवगीत)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 182 ☆

☆ नवगीत ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

गीत पुराने छायावादी

मरे नहीं

अब भी जीवित हैं.

तब अमूर्त

अब मूर्त हुई हैं

संकल्पना अल्पनाओं की

कोमल-रेशम सी रचना की

छुअन अनसजी वनिताओं सी

गेहूँ, आटा, रोटी है परिवर्तन यात्रा

लेकिन सच भी

संभावनाऐं शेष जीवन की

चाहे थोड़ी पर जीवित हैं.

बिम्ब-प्रतीक

वसन बदले हैं

अलंकार भी बदल गए हैं.

लय, रस, भाव अभी भी जीवित

रचनाएँ हैं कविताओं सी

लज्जा, हया, शर्म की मात्रा

घटी भले ही

संभावनाऐं प्रणय-मिलन की

चाहे थोड़ी पर जीवित हैं.

कहे कुंडली

गृह नौ के नौ

किन्तु दशाएँ वही नहीं हैं

इस पर उसकी दृष्टि जब पडी

मुदित मग्न कामना अनछुई

कौन कहे है कितनी पात्रा

याकि अपात्रा?

मर्यादाएँ शेष जीवन की

चाहे थोड़ी पर जीवित हैं.

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

२८.११.२०१४

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (15 अप्रैल से 21 अप्रैल 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (15 अप्रैल से 21 अप्रैल 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

पंडित अनिल पाण्डेय की तरफ से आप सभी को नवरात्रि की ढेर सारी बधाई। इस सप्ताह के प्रारंभ होने के साथ ही सूर्य देव मेष राशि में पहुंच गए हैं तथा सभी तरह के शुभ कार्य प्रारंभ हो गए हैं। इस सप्ताह के राशिफल में सबसे पहले मैं आपको चंद्रमा और अन्य ग्रहों के गोचर के संबंध में बताऊंगा उसके बाद इस सप्ताह के शुभ मुहूर्त की चर्चा करेंगे। शुभ मुहूर्त के उपरांत इस सप्ताह के व्रत त्यौहार और सर्वार्थ सिद्धि योग के बारे में बताया जाएगा।

इस सप्ताह प्रारंभ में चंद्रमा मिथुन राशि में रहेगा। उसके उपरांत 15 तारीख को 12:09 रात से कर्क राशि में प्रवेश करेगा। 18 तारीख को 9:52 दिन से चंद्रमा सिंह राशि का हो जाएगा। 20 तारीख को 9:22 रात से चंद्रमा कन्या राशि में गोचर करने लगेगा।

इस सप्ताह मंगल और शनि ग्रह कुंभ राशि में रहेंगे। सूर्य और गुरु ग्रह मेष राशि में विचरण करेंगे। शुक्र और वक्री राहु तथा वक्री बुध मीन राशि में रहेंगे।

इस सप्ताह विवाह का मुहूर्त 18 से 21 अप्रैल तक लगातार है। उपनयन का मुहूर्त 18 और 19 तारीख को है। नामकरण का मुहूर्त 15 तारीख को है। अन्नप्राशन का इस सप्ताह कोई मुहूर्त नहीं है। गृह प्रवेश का मुहूर्त 15 और 20 तारीख को है। व्यापार का मुहूर्त 16 तारीख को है।

इस सप्ताह 16 तारीख को दुर्गा अष्टमी का पर्व है। 17 तारीख को रामनवमी मनाई जाएगी और इसके साथ ही नवरात्रि पर्व का भी समापन हो जाएगा।

इस सप्ताह सर्वार्थ सिद्धि योग 21 तारीख को सूर्योदय से रात अंत तक है। इस प्रकार अमृत सिद्धि योग 21 तारीख को 5:20 सांयकाल से रात अंत तक है।

आइये अब हम राशिवार राशिफल के बारे में चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी आ सकती है। जीवनसाथी को मानसिक कष्ट भी हो सकता है। माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके गर्दन और कमर में दर्द हो सकता है। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे। कार्यालय में आपकी स्थिति अच्छी रहेगी। कचहरी में आपके प्रकरणों में आपको सफलता मिल सकती है। व्यापार की गति ठीक रहेगी। भाग्य आपका साथ देगा। इस सप्ताह आपके लिए 16 और 17 अप्रैल उत्तम है। 16 और 17 अप्रैल को आपके अधिकांश कार्य सफल होंगे। 21 अप्रैल को आपको सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

वृष राशि

यह सप्ताह आपके लिए मिला-जुला प्रभाव वाला रहेगा। व्यापार उत्तम चलेगा। व्यापार से धन प्राप्त होने की उम्मीद है। अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो कार्यालय में आपको सफलताएं मिल सकती हैं। आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके सुख में वृद्धि होगी। आप सुख संबंधी कोई चीज खरीद सकते हैं। संतान से इस सप्ताह आपको कोई विशेष मदद नहीं मिलेगी। छात्रों की पढ़ाई सामान्य चलेगी। भाग्य से आपको मदद मिल सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 18, 19 और 20 अप्रैल लाभदायक है। 18, 19 और 20 में आपके द्वारा किए गए अधिकांश कार्य सफल होंगे। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

मिथुन राशि

आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। माता जी और पिताजी को कष्ट हो सकता है। अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो आपको अपने कार्यालय में अच्छी सफलता एवं प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है। व्यापारियों का व्यापार ठीक चलेगा। भाग्य आपका साथ देगा। धन अच्छी मात्रा में आने की उम्मीद है। आपको अपनी संतान से सहयोग प्राप्त नहीं हो पाएगा। कचहरी के कार्यों में रिस्क ना लें। भाई बहनों के साथ उत्तम संबंध रहेंगे। इस सप्ताह आपके लिए 15 और 21 तारीख उत्तम है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कर्क राशि

प्ताह आपका, आपके जीवन साथी का और आपके पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। माता जी के स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी आ सकती है। इस सप्ताह भाग्य आपका साथ देगा। छोटी-मोटी दुर्घटना हो सकती है। सामान्य धन आने का योग है। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे। आपको अपने पुत्र से थोड़ा बहुत सहयोग प्राप्त हो सकता है। छात्रों की पढ़ाई ठीक चलेगी। जनता में आपके प्रसिद्धि में थोड़ी कमी आ सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 16 और 17 अप्रैल लाभदायक हैं। 16 और 17 अप्रैल को आपके द्वारा किए गए समस्त कार्य सफल होंगे। 15 तारीख को आपको कोई भी कार्य बड़े सावधानी से करना चाहिए। अगर आप सावधानी से कार्य नहीं करेंगे तो आप असफल हो सकते हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप राम रक्षा स्त्रोत का प्रतिदिन जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों का भाग्य इस सप्ताह काफी अच्छा रहेगा। भाग्य से आपको बहुत कुछ प्राप्त हो सकता है। यात्रा का भी योग है। आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। माता जी और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी आ सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 18, 19 और 20 अप्रैल लाभदायक है। 18, 19 और 20 को आप द्वारा किए गए अधिकांश कार्य सफल रहेंगे। 16 और 17 तारीख को आपको बड़ी सावधानी से कार्य करना चाहिए। अगर आप सावधानी से कार्य नहीं करेंगे तो आपके वे कार्य असफल हो जाएंगे। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

कन्या राशि

कन्या राशि की जो जातक अभी अविवाहित हैं उनके विवाह के अच्छे प्रस्ताव आएंगे। अगर वे थोड़ा सा प्रयास करेंगे तथा दशा और अंतर्दशा ठीक होगी तो विवाह निश्चित रूप से संपन्न हो जाएगा। इस सप्ताह आप अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। परंतु इसके लिए आपको प्रयास करने पड़ेंगे। दुर्घटना से बचने का योग है। आपको अपने संतान से सामान्य सहयोग प्राप्त होगा। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक-ठाक रहेंगे। भाग्य आपका साथ देगा। व्यापार में उन्नति होगी। इस सप्ताह आपके लिए 15 और 31 अप्रैल शुभ है। 15 और 21 अप्रैल को आपके कई कार्य हो सकते हैं। इस सप्ताह आपके लिए 18, 19 और 20 तारीख कम ठीक है। 18, 19 और 20 तारीख को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

तुला राशि

अविवाहित जातकों के लिए 31 अप्रैल तक विवाह के उत्तम प्रस्ताव आएंगे। दशा और अंतर्दशा अगर ठीक हुई तो विवाह हो जाएगा। आपको अपने संतान से सहयोग मिल सकता है। धन आने की मात्रा में कमी आएगी। शत्रुओं से आपको सतर्क रहना चाहिए। कचहरी के कार्यों में रिस्क नहीं लेना चाहिए। आपके जीवनसाथी को कई सफलताएं मिल सकती हैं। इस सप्ताह आपके लिए 16 और 17 अप्रैल उत्तम है। 21 अप्रैल को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गणेश अथर्वशीर्ष का प्रतिदिन पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

वृश्चिक राशि

आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके सभी शत्रु परास्त हो जाएंगे। पेट में मामूली पीड़ा हो सकती है। जीवनसाथी से आपका विवाद हो सकता है। आपके गर्दन और कमर में दर्द हो सकता है। माता और पिता जी दोनों को रक्त संबंधी विकार हो सकता है। छात्रों की पढ़ाई बहुत उत्तम चलेगी। आपको अपनी संतान से अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। आपके व्यापार में उन्नति हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 18, 19 और 20 अप्रैल लाभदायक और शुभ फलदायक है। 18, 19 और 20 अप्रैल को आप जो भी कार्य करेंगे उसमें आपको सफलता प्राप्त होगी। 15 अप्रैल को आपको कोई भी कार्य बड़ी सावधानी पूर्वक करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

धनु राशि

धनु राशि के जातकों का और उनके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। इस सप्ताह आपके सुख में वृद्धि होगी। धन प्राप्त होने की प्रबल संभावना है। भाग्य आपका सामान्य रूप से साथ देगा। भाई बहनों के साथ सामान्य संबंध रहेंगे। जनता में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ सकती है। संतान से आपको सुख प्राप्त होगा। इस सप्ताह आप अपने शत्रुओं को प्राप्त कर सकते हैं। परंतु इसके लिए आपको अत्यधिक प्रयास करने होंगे। इस सप्ताह आपके लिए 15 और 21 अप्रैल फलदायक है। 16 और 17 अप्रैल को आपको कोई भी कर बड़े सावधानी से करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपके पास में धन आने का योग बन सकता है। भाग्य आपका साथ देगा। दूर देश की यात्रा संभव है। आपके सुख में वृद्धि होगी। आपके खर्चे में वृद्धि होगी। माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। पिताजी को परेशानी हो सकती है। भाई बहनों के साथ संबंध तनावपूर्ण भी हो सकते हैं। इस सप्ताह आपको अपने संतान से कोई विशेष सहयोग प्राप्त नहीं हो पाएगा। छोटी-मोटी दुर्घटना का योग है। कृपया संभल कर रहें। इस सप्ताह आपके लिए 16 और 17 अप्रैल उत्तम फलदायक है। 18, 19 और 20 अप्रैल को आपको सावधान रहना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आपके माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। भाइयों से आपके संबंध अच्छे रहेंगे। धन आने की अच्छी उम्मीद है। भाग्य आपका थोड़ा बहुत साथ देगा। माताजी को रक्त संबंधी विकार हो सकता है। छोटी-मोटी दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें। इस सप्ताह आपके लिए 18, 19 और 20 अप्रैल उत्तम है। सप्ताह के बाकी दिन आपको सावधान रहने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

अविवाहित जातकों के लिए यह सप्ताह उत्तम है। विवाह के उत्तम प्रस्ताव आएंगे। इस सप्ताह आप अपने शत्रुओं को हरा सकते हैं। उन पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। परंतु इसके लिए आपको प्रयास करना पड़ेगा। धन आने की बहुत अच्छी उम्मीद है। छोटी-मोटी दुर्घटना का भी योग है। भाई बहनों के साथ संबंधों में तनाव हो सकता है। आपके पेट में विकार हो सकता है। आपको मानसिक कष्ट भी हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 15 और 21 अप्रैल उत्तम है। 15 और 21 अप्रैल को आपके अधिकांश कार्य सफल रहेंगे। 18, 19 और 20 अप्रैल को आपको कोई भी कार्य बड़े सावधानी पूर्वक करना है। अन्यथा आपके हाथ असफलता ही लगेगी। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शनिवार के दिन दक्षिण मुखी हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम पांच बार हनुमान चालीसा का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

आपसे अनुरोध है कि इस पोस्ट का उपयोग करें और हमें इस पोस्ट के बारे में बतायें।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – चित्रकाव्य ☆– “मर्यादेचे वर्तुळ…” – ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

सुश्री नीलांबरी शिर्के

?️?  चित्रकाव्य  ?️?

? – “मर्यादेचे वर्तुळ– ? ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

मर्यादेचे वर्तुळ भवती

तोल सांभाळीत चालते

मागुन येणारांच्यासाठी

दिवा घेऊनी वाट दावते —

*

वाटेवरचे खाचखळगे

येणारा चुकवत येईल

वेळ, इच्छा असेल जर

खड्डे सारे मुजवून घेईल —

*

 दगड काटे दूर सारतील

तया कोणी नष्ट करतील

त्यांच्या मागून येणारे मग

वेगे मार्गक्रमणा करतील —

*

 प्रकाश देणे मानसिकता

 मागच्यांना गरज ठरते

 समोरच्याला नजरेने अन्

 शब्दाने सुचविताही येते —

© सुश्री नीलांबरी शिर्के

मो 8149144177

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संस्मरण – मेरी यादों में जालंधर – भाग-13- बहुत याद आया मुझे पिता सरीखा गाँव… ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

श्री कमलेश भारतीय 

(जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब)  शिक्षा-  एम ए हिंदी, बी एड, प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । ‘यादों की धरोहर’ हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह – ‘एक संवाददाता की डायरी’ को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से  कथा संग्रह- महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति का पुरस्कार । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तीन वर्ष तक उपाध्यक्ष । दैनिक ट्रिब्यून से प्रिंसिपल रिपोर्टर के रूप में सेवानिवृत। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता)

☆ संस्मरण – मेरी यादों में जालंधर – भाग-13 – बहुत याद आया मुझे पिता सरीखा गाँव… ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

(प्रत्येक शनिवार प्रस्तुत है – साप्ताहिक स्तम्भ – “मेरी यादों में जालंधर”)

आज एक बार फिर यादों का सिलसिला जालंधर में बिताये दिनों का  ! आज साहित्य के साथ साथ दो अधिकारियों का जिक्र करने जा रहा हूँ, जिनका साथ, साथ फूलों का! जिनकी बात, बात फूलों सी! बात है सरोजिनी गौतम शारदा और जे बी गोयल यानी जंग बहादुर गोयल की ! जंगबहादुर इसलिए कि स्वतंत्रता के आसपास इनका जन्म हुआ तो माता पिता ने नाम रख दिया- जंगबहादुर !

ये दोनों सन्‌ 1984 के आसपास हमारे नवांशहर में तैनात थे। सरोजिनी गौतम शारदा तब पजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में इकलौती महिला तहसीलदार थीं ! इनके पति डाॅ सुरेंद्र शारदा जालंधर के अच्छे ईएनटी स्पेशलिस्ट हैं और खुद शायरी लिखते  हैं और शायरों, अदीबों का बहुत सम्मान करते हैं ! सुदर्शन फाकिर के अनेक किस्से सुनाते हैं ‌! खैर, एक विवाह समारोह में पहले पहल तहसीलदार सरोजिनी  गौतम शारदा से किसी ने परिचय करवाया। मैंने सहज ही पूछ लिया – आप जैसी कितनी हैं?

जवाब आया – मैं अपने पापा की अकेली बेटी हूँ !

मज़ेदार जवाब के बाद मैंने बात स्पष्ट की कि मेरा मतलब आप जैसी कितनी महिला तहसीलदार हैं?

उन्होंने हैरान करते कहा कि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल में मैं इकलौती महिला तहसीलदार हूँ और आपको मज़ेदार बात बताती हूँ कि मैं तहसील ऑफिस  में बैठी थी कि बाहर किसी बूढ़ी माँ ने पूछा कि तहसीलदार साहब हैं?

सेवादार ने कहा कि हां मांजी अंदर बैठे हैं। ‌वह बुढ़िया चिक उठा कर जैसे ही अंदर आई, उल्टे पांव लौट गयी और सेवादार से बोली कि झूठ क्यों बोले? अंदर तां इक कुड़ी जेही बैठी ए !

सेवादार ने कहा – माँ जी, वही तो है तहसीलदार !

उन्होंने कहा कि यह बताना इसलिए उचित समझा कि अभी लोग सहज ही किसी महिला को तहसीलदार के पद पर स्वीकार नहीं करते।

फिर मैंने कहा कि ऐसी बात है तो कल आता हूँ आपका इंटरव्यू करने!

मैं हैरान रह गया कि उनकी इ़़टरव्यू न केवल दैनिक ट्रिब्यून, पंजाब केसरी में आई बल्कि लोकप्रिय साप्ताहिक ‘धर्मयुग’ में भी प्रकाशित हुई, जिसकी कटिंग मुझे दो तीन साल पहले सरोजिनी गौतम ने दिखाई, जब मैंं सपरिवार जालंधर उनके घर दीनानगर जाते समय रुका था ! फिर हमारा बड़ा प्यारा सा पारिवारिक रिश्ता बन गया !

वे कांग्रेसी नेता श्री अमरनाथ गौतम की बेटी हैं और फगवाड़ा की मूल निवासी ! पहले फगवाड़ा के कमला नेहरू काॅलेज में ही अग्रेज़ी की प्राध्यापिका रहीं लेकिन कुछ अलग करने के मूड में तहसीलदार बनीं। पिताश्री गौतम ने भी साथ दिया।

कांग्रेस नेता की बेटी होने के कारण अकाली सरकार के राजस्व मंत्री उबोके भेष बदल कर जांच करने आये कि कितनी रिश्वत लेती हैं ! वे बेदाग रहीं और‌ जालंधर में तैनाती के समय एक बार उपचुनाव के समय निर्वाचन अधिकारी थीं कि मंत्री महोदय प्रत्याशी का फाॅर्म भरवाने दल वल के साथ पहुंचे तो कोई कुर्सी न देख कर बोले कि मैडम ! कुछ मेरे सम्मान का ख्याल तो रखा होता तब जवाब दिया कि सर ! पहले से बता देते लेकिन यह जनसभा का स्थान नहीं। आपने तो जितने निर्धारित लोग आने चाहिएं, उनकी गिनती का ध्यान भी नहीं रखा ! यह खबर बरसों बाद हिसार में रहते पढ़ी और मैंने इनके साहस को देखते फोन किया कि देश को ऐसे अधिकारियों की बहुत जरूरत है!

बहुत बातें हैं मेरी इस बहन कीं जो हैरान कर देती हैं! सेवानिवृत्त होने  पर खाली समय व्यतीत करने के लिए मनोविज्ञान की ऑनलाइन क्लासें ज्वाइन कर लीं और वहां कोई युवा प्राध्यापिका इन्हें बेटा, बेटा कह कर लैक्चर देती रहीं और जब वे पहले साल प्रथम आईं और इनका अखबारों में फोटो प्रकाशित हुआ तब उसे अपनी गलती का अहसास हुआ ! मेरी हर किताब इनके पास पहुंचती है और वे हर बार उलाहना देती हैं कि मैं इसकी सहयोग राशि देना चाहती हूँ और मैं जवाब देता हूँ कि इस भाई के पास बस यही उपहार है देने के लिए ! जब जालंधर जाता हूँ तब डाॅ शारदा और सरोजिनी को जैसे चाव चढ़ जाता है।

खैर ! अब जे बी गोयल को याद कर रहा हूँ जो न केवल अधिकारी रहे बल्कि पंजाबी के अच्छे व चर्चित लेखक भी हैं। ‌उनकी पत्नी डाॅ नीलम गोयल नवांशहर के बी एल एम गर्ल्स काॅलेज की प्रिंसिपल भी रहीं ! बाद में प्रमोशन होने पर श्री गोयल नवांशहर के जिला बनने पर सबसे पहले डीसी भी बने !  इन्होंने नवांशहर पर एक पुस्तक भी संकलित करवाई, जिसमें मुझसे भी दैनिक ट्रिब्यून में सम्पर्क कर आलेख प्रकाशित किया! इनका ज्यादा काम स्वामी विवेकानंद पर है जिसे पंचकूला के आधार प्रकाशन ने प्रकाशित किया है, यही नहीं विश्व प्रसिद्ध उपन्यासों का पंजाबी में अनुवाद भी किया है। ‌इन्हें अनेक सम्मान मिले हैं। ‌बेटी रश्मि को जिन‌ दिनों पी जी आई चैकअप के लिए ले जाता तो इनके यहां भी जाता और ये बातों बातों में इतना हंसाते कि हम बेटी की बीमारी भूल जाते और शायद इनका मकसद भी यही था। वे कहते हैं कि यह जो सम्मान पर अंगवस्त्र दिया जाता है और लेखक को बिना कोई सही सम्मान दिये खाली साथ आना पड़ता है, उससे मुझे बहुत अजीब सा लगता है कि यह कैसा सम्मान? चलिए आपको इनकी कविता की पंक्ति के साथ आज विदा लेता हूँ :

बहुत याद आया मुझे

अपंना पिता सरीखा गांव!

क्रमशः…. 

© श्री कमलेश भारतीय

पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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