श्री राजेन्द्र तिवारी

(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी जबलपुर से श्री राजेंद्र तिवारी जी का स्वागत। इंडियन एयरफोर्स में अपनी सेवाएं देने के पश्चात मध्य प्रदेश पुलिस में विभिन्न स्थानों पर थाना प्रभारी के पद पर रहते हुए समाज कल्याण तथा देशभक्ति जनसेवा के कार्य को चरितार्थ किया। कादम्बरी साहित्य सम्मान सहित कई विशेष सम्मान एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित, आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा वार्ताएं प्रसारित। हॉकी में स्पेन के विरुद्ध भारत का प्रतिनिधित्व तथा कई सम्मानित टूर्नामेंट में भाग लिया। सांस्कृतिक और साहित्यिक क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय रहा। हम आपकी रचनाएँ समय समय पर अपने पाठकों के साथ साझा करते रहेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता ‘गुरु की महिमा…’।)

☆ कविता – गुरु की महिमा… ☆

हे गुरुवर, तुम्हें प्रणाम,

हे गुरुवर तुम्हें प्रणाम,

बारम बार प्रणाम तुम्हें

शत शत तुम्हें प्रणाम,

हे गुरुवर , तुम्हें प्रणाम,

हे गुरुवर , तुम्हें प्रणाम…

तुम हो ज्ञान के दाता,तुम ही,

भक्ति भाव प्रदाता,

नेक राह बतलाते तुम ही,

तुम ही आश्रय दाता,

तुमको पाकर मैने पाया,

अंतर्मन विश्राम,

हे गुरु वर तुम्हें प्रणाम

हे गुरुवर तुम्हें प्रणाम,

जग है भूल भुल्लैया,इसमें,

प्राणी गुम हो जाता,

मिले सहारा गुरुवर का तो,

कोई भटक न पाता,

जब तक राह न दिखला दोगे,

ना लोगे विश्राम,

हे गुरुवर तुम्हें प्रणाम….

पूज्य स्वयं भगवान के हो,

क्या तेरी महिमा गाऊं,

तुम हो अंतर्यामी गुरुवर,

तुम को क्या बतलाऊं,

सदा रहे आशीष तुम्हारा,

और चरणों में धाम .

हे गुरुवर तुम्हें प्रणाम ,

हे गुरुवर तुम्हें प्रणाम…

© श्री राजेन्द्र तिवारी  

संपर्क – 70, रामेश्वरम कॉलोनी, विजय नगर, जबलपुर

मो  9425391435

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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