English Literature – Poetry ☆ The Grey Lights# 26 – “Evening” ☆ Shri Ashish Mulay ☆

Shri Ashish Mulay

? The Grey Lights# 26 ?

☆ – “Evening” – ☆ Shri Ashish Mulay 

Day is of White

Dark is the Night..

Both are Extremes

Simple is the Evening..

When the day burnouts

and the Night Shouts..

When the heart Squeezes

and the sky Breezes..

When You see it Clear

Then you know for Sure..

That White or Dark really doesn’t Matter

For both of them oppress the Colour….

© Shri Ashish Mulay

Sangli 

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 166 ☆ सॉनेट – शरतचंद्र ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है – सॉनेट – शरतचंद्र)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 166 ☆

☆ सॉनेट – शरतचंद्र ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

शरतचंद्रकी शुक्ल स्मृति से

मन नीलाभ गगन हो हँसता

रश्मिरथी दे अमृत, झट से

कंकर हो शंकर भुज कसता

*

सलज उमा, गणपति आहट पा

मग्न साधना में हो जाती

ऋद्धि-सिद्धि माँ की चौखट आ

शीश नवा, माँ के जस गाती

*

हो संजीव सलिल लहरें उठ

गौरी पग छू सकुँच ठिठकती

अंजुरी भर कर पान उमा झुक

शिव को भिगा रिझाकर हँसती

*

शुक्ल स्मृति पायस सब जग को

दे अमृत कण शरतचंद्र का

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

९-१०-२०२२, १५-४३

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (18 दिसंबर से 24 दिसंबर 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (18 दिसंबर से 24 दिसंबर 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

☆ 17 दिसम्बर को है विवाह पंचमी, जानें सीताराम विवाह महोत्सव का मुहूर्त एवं महत्व ☆

प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम तथा माता सीता का विवाह समारोह हर्षोल्लाह के साथ मनाया जाता है । रामायण काल में त्रेता युग में भगवान राम और सीता माता का विवाह इसी तिथि को हुआ था । इस तिथि को विवाह पंचमी भी कहा जाता है । पंडित अनिल पाण्डेय के अनुसार इस वर्ष विवाह पंचमी या श्रीराम विवाह महोत्सव 17 दिसंबर दिन रविवार को है । इस दिन व्रत किया जाता है और नगर में राम बारात निकाली जाती है आइए जानते हैं कि इस वर्ष विवाह पंचमी का मुहूर्त क्या है?

विवाह पंचमी मुहूर्त :-

इस वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 16 दिसम्बर की रात्रि 8 बजे से प्रारंभ होकर 17 दिसम्बर में शाम 5 बजकर 35 मिनिट तक रहेगी । इसलिए उदयकालीन 17 दिसम्बर में संपूर्ण दिन रात श्रीराम विवाह पर्व मनाया जाएगा। धूम धाम से बारात निकलेगी, हल्दी, चंदन, तेल, मंडप के कार्यक्रम चल रहे है।

विवाह पंचमी का महत्व :-

त्रेता युग में मिथिला के राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता जी के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया था। सूचना पर महर्षि विश्वामित्र ने भगवान श्रीराम और श्री लक्ष्मण के साथ इस स्वयंवर में शामिल होने के लिए जनकपुर पहुंचे थे । सभी योद्धाओं के असफल होने के बाद भगवान श्रीराम ने शिव धनुष को तोड़ा था । स्वयंवर में श्री राम के सफल होने पर सीता जी उनके गले में वरमाला पहनाकर उनको अपना वर चुनती हैं। फिर मिथिला से यह शुभ समाचार अयोध्या पहुंचता है, और दशरथ जी भरत और शत्रुघ्न को साथ लेकर बारात के साथ जनकपुर पहुंचते हैं। फिर मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को श्रीराम और सीता जी का विवाह होता है।

राम विवाह महोत्सव

विवाह पंचमी के दिन जनकपुर, अयोध्या, ओरछा समेत देश के कई हिस्सों में श्री राम विवाह का उत्सव मनाया जाता है। राम जी की बारात नगर में निकाली जाती है। मंदिरों में राम जी और सीता जी का विवाह होता है। कई स्थानों पर विवाह पंचमी के दिन राम विवाह का नाटक मंचन भी होता है। जय श्री राम।

☆  साप्ताहिक राशिफल (18 दिसंबर से 24 दिसंबर 2023) ☆

समय का पहिया लगातार घूम रहा है और हम आपके पास नए सप्ताह के राशिफल के साथ मौजूद हैं। आप सभी को मेरी तरफ से नमस्कार एवं मुझसे कनिष्ठ को आशीर्वाद।

आज मैं आप लोगों के पास 18 दिसंबर से 24 दिसंबर 2023 अर्थात विक्रम संवत 2080 शक संवत 1945 के अगहन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी से अगहन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के साथ उपस्थित हुआ हूं।

सबसे पहले मैं आपको इस सप्ताह के सर्वार्थ सिद्धि योग उसके उपरांत विभिन्न मुहूर्त तथा ग्रहों के गोचर के बारे में बताऊंगा उसके उपरांत राशिवार राशिफल की चर्चा की जाएगी।

हम सभी जानते हैं की 16 दिसंबर से सूर्य देव धनु राशि में गोचर कर चुके हैं। खरमास लग चुका है और सभी प्रकार के शुभ कार्य बंद हो गए हैं। फिर भी कुछ ऐसे शुभ कार्य जिनमें विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है वह किया जा सकते हैं जैसे नामकरण अन्नप्राशन आदि। 21 दिसंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग होने के कारण नामकरण अन्नप्राशन और व्यापार प्रारंभ करने का कार्य किया जा सकता है। सर्वार्थ सिद्धि योग 21 दिसंबर के सूर्योदय से 22 दिसंबर के रात के 10:51 तक है। अन्नप्राशन का कार्य 22 दिसंबर को भी किया जा सकता है।

इस सप्ताह चंद्रमा प्रारंभ में कुंभ राशि में रहेगा। 19 तारीख को 9:19 रात से मीन राशि में प्रवेश करेगा। 21 तारीख को 11:59 रात से मेष राशि में गोचर करेगा और 23 तारीख को 3:56 रात से वृष राशि का हो जाएगा।

इस पूरे सप्ताह सूर्य तुला राशि में रहेगा। इसी प्रकार मंगल वृश्चिक राशि में, शुक्र तुला राशि में, शनि कुंभ राशि में रहेंगे। बुध धनु राशि में वक्री रहेगा और गुरु मेष राशि में बक्री रहेगा। राहु पूरे सप्ताह मीन राशि में रहेगा।

राशियों के गोचर के उपरांत हम राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

मेष राशि के अविवाहित जातकों के लिए यह बड़ा शुभ समय है। इस सप्ताह आपके शादी के अच्छे प्रस्ताव आएंगे। अगर दशा, अंतर्दशा ठीक है तो विवाह हो भी जाएगा। धन आने के सामान्य योग हैं। भाग्य ठीक है। भाग्य से आपके कई कार्य हो सकते हैं। बहनों के साथ संबंध उत्तम रहेगा। व्यापार ठीक-ठाक चलेगा। प्रेम संबंधों में वृद्धि होगी। इस सप्ताह आपके लिए 22 और 23 दिसंबर फलदाई है। 2019 दिसंबर को आपको कोई भी कार्य बहुत सावधानी पूर्वक करना चाहिए। 24 दिसंबर को धन आने का योग बन सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

वृष राशि

वृष राशि के जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। जीवन साथी को कई सफलताएं भी मिल सकती हैं। व्यापार ठीक-ठाक चलेगा। शत्रु शांत रहेंगे। पेट की पीड़ा में कमी आएगी या समाप्त हो जाएगी। धन आने के कई सयोंग बनेंगे। आपको अपने संतान से सुख प्राप्त होगा। इस सप्ताह आपको अपनी संतान का सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी। कार्यालय में आपकी स्थिति ठीक रहेगी। आपका स्वास्थ्य थोड़ा खराब हो सकता है। ब्लड प्रेशर का विशेष रूप से ध्यान दें। इस सप्ताह आपके लिए 18 और 19 दिसंबर तथा 24 दिसंबर उत्तम और लाभदायक हैं। 24 दिसंबर को आपको कोई अच्छा समाचार मिल सकता है। 22 और 23 दिसंबर को आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह भाग्य आपका भरपूर साथ देगा। भाग्य के जरिए आपके कई कार्य बन सकते हैं। आपके संतान की उन्नति होगी। संतान आपका सहयोग करेगी। छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी। शत्रु परास्त होंगे परंतु इसके लिए आपको थोड़ा प्रयास करना पड़ेगा। जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी हो सकती है। माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 20 और 21 तारीख शुभ है। इस दिन आपको कई अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। 24 तारीख को आपको सतर्क रहना चाहिए। कोई भी कार्य करने में पूर्ण सतर्कता बरतनी चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ प्रतिदिन करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। जनता में आपको प्रसिद्धि प्राप्त होगी। आपके सुख में वृद्धि होगी। भाग्य से आपको कोई मदद नहीं मिल पाएगी।आपको जो कुछ मिलेगा अपने परिश्रम से ही मिलेगा। कार्यालय में आपको सावधान रहकर कार्य करने की आवश्यकता है। संतान से आपको उत्तम सहयोग प्राप्त होगा। संतान की उन्नति भी हो सकती है। छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी। इस सप्ताह आपके लिए 22 और 23 दिसंबर उत्तम है। 22 और 23 दिसंबर को आपके द्वारा किए गए अधिकांश कार्य सफल होंगे। 18 और 19 को आपको कोई भी कार्य बड़े सावधानी के साथ करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपके अपने भाई और बहनों से उत्तम संबंध रहेंगे। अपने संतान से भी आपको सहयोग प्राप्त होगा। संतान का भी समय अच्छा है। जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके स्वास्थ्य में समस्या आ सकती है। भाग्य से कोई विशेष मदद प्राप्त नहीं हो पाएगी। आपके अधिकांश कार्य आपके परिश्रम से ही संपन्न होंगे। कचहरी के कार्यों में सफलता प्राप्त होने की उम्मीद की जा सकती है। जनता में आपकी ख्याति में वृद्धि भी हो सकती है। 18 और 19 तारीख आपके लिए फलदायक है। 20 और 21 तारीख को आपको कोई भी कार्य सचेत होकर करना चाहिए। 24 तारीख आपके लिए विशेष रूप से उत्तम है। 24 तारीख को आप जो भी कार्य करेंगे उसमें आपको सफलता मिलेगी।इस सप्ताह आपको चाहिए कि भगवान शिव का अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपके सुख में वृद्धि होगी। भाई बहनों के साथ आपके उत्तम संबंध रहेंगे। धन आने के कई योग बनेंगे तथा धन प्राप्त भी होगा। व्यापार ठीक-ठाक चलेगा। आपके पेट मे पीड़ा हो सकती है। इस सप्ताह आपको अपने भाई बहनों से थोड़ा सावधान भी रहना चाहिए। माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 20 और 21 तारीख लाभकारी है। सप्ताह के बाकी दिन आपको सचेत रहने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें एवं भगवान शिव का अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

तुला राशि

अगर आप अविवाहित हैं तो आपके लिए यह सप्ताह अति उत्तम है। विवाह के बड़े अच्छे-अच्छे प्रस्ताव आएंगे तथा उन पर चर्चा होगी। आपका अपने भाई बहनों के साथ संबंध ठीक-ठाक रहेगा। धन आने का भी योग है। भाग्य आपका साथ देगा। संतान से आपके सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी। जीवनसाथी के पेट में पीड़ा हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 22 और 23 तारीख उत्तम है। 22 और 23 तारीख को आपके अधिकांश कार्य सफल होंगे।सप्ताह के बाकी दिन आपको अपने कार्य को करने में अत्यंत सावधान रहने की आवश्यकता है अन्यथा आपका कार्य सफल नहीं होगा। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह शिव पंचाक्षरी मंत्र का प्रतिदिन जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक ठाक रहेगा। केवल पेट में कुछ पीड़ा हो सकती है। कचहरी के कार्यों में विजय पाने की उम्मीद है। धन आने के कई सयोंग बनेंगे तथा धन आएगा भी। आपके सुख और आराम में वृद्धि होगी। इस सप्ताह आपको अपनी संतान से कोई विशेष मदद नहीं मिल पाएगी। छात्रों की पढ़ाई में बाधा आएगी। इस सप्ताह आपके लिए 18, 19 और 24 तारीख उत्तम है। 24 तारीख को आप जो भी कार्य करेंगे उसमें आप सफल होंगे। 22 और 23 तारीख को आपको संभाल कर कार्य करना चाहिए अन्यथा आपको नुकसान हो सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप घर की बनी पहली रोटी गौ माता को दें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

धनु राशि

यह सप्ताह में आपको कई सफलताएं मिल सकती हैं। कचहरी के कार्यों में आपको पूर्ण सफलता मिलेगी। अगर आप प्रयास करेंगे तो आपके दुश्मन भी परास्त हो जाएंगे। धन आने की उम्मीद है। भाई बहनों के साथ संबंध उत्तम रहेंगे। आपको अपनी संतान से कोई लाभ प्राप्त नहीं हो पाएगा। संतान का स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है। छात्रों की पढ़ाई में बाधा आएगी। भाग्य से आपको कोई मदद प्राप्त नहीं हो पाएगी। इस सप्ताह आपके लिए 20 और 21 तारीख लाभदायक हैं। 24 तारीख को आपको संभलकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप चिड़ियों को दाना दें। सप्ताह का शुभ दिन गुरुवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपके पास थोड़ी बहुत मात्रा में धन आने की उम्मीद है। कचहरी के कार्यों में आपको लाभ हो सकता है। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। माताजी के स्वास्थ्य में परेशानी आ सकती है। भाग्य थोड़ा बहुत आपका साथ देगा। कहीं दूर स्थान पर यात्रा की उम्मीद भी है। इस सप्ताह आपके लिए 22 और 23 तारीख उत्तम है। सप्ताह के बाकी दिन ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। भाई बहनों के साथ कुछ विवाद हो सकता है। धन आने की पूरी उम्मीद है। व्यापार उत्तम चलेगा। वाहन चलाने में ध्यान रखें। उस समय आपका ध्यान कहीं इधर-उधर नहीं जाना चाहिए। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। माताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी बहुत बाधा आ सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 18, 19 और 24 तारीख लाभदायक हैं। 24 तारीख को सभी कार्यों में आपको सफलता मिलेगी। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह आपका भाग्य बेहतरीन ढंग से साथ देगा। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। कचहरी के कार्यों में सफलता मिल सकती है। दुर्घटनाओं में आप पूरी तरह से बच जाएंगे। धन के आने की मात्रा में कमी होगी। आपके जीवन साथी का और आपका स्वास्थ्य थोड़ा मंदा रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 20 और 21 तारीख उत्तम है। 18 और 19 तारीख को आपको सावधान रहकर कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप चीटियों को शक्कर दें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

आपसे अनुरोध है कि इस राशिफल का उपयोग करें और हमें इस के बारे में बतायें।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ जेजुरीच्या खंडेराया… ☆ सुश्री तृप्ती कुलकर्णी ☆

सुश्री तृप्ती कुलकर्णी

? कवितेचा उत्सव ?

जेजुरीच्या खंडेराया… ☆ सुश्री तृप्ती कुलकर्णी

हे जेजुरीच्या खंडेराया दर्शनाला पाव रे ||

 

सूडाचा अग्नी कसा विझवायाचा सांग रे

मत्सराचा कंद कसा उपटायाचा सांग रे

आनंदाने जगायची रीत भली दाव रे

हे जेजुरीच्या खंडेराया दर्शनाला पाव रे ||

 

‘येळकोट येळकोट’ व्हावा सदा गजर

श्रद्धेचा अन् मुक्तीचा मनी व्हावा जागर

‘मी’पणाचा छंद आता मोडूनी काढ रे

हे जेजुरीच्या खंडेराया दर्शनाला पाव रे ||

 

बिल्वपत्र वाहूनी , भंडाराही उधळू रे

षड् रिपूतून मुक्ती होता जगणे सोने होई रे

सोनेरी या जगण्याची गोडी तूच दाव रे

हे जेजुरीच्या खंडेराया दर्शनाला पाव रे ||

 

मणीमल्लांपासूनी तारिशी तू अवनी

सत्यधर्मारक्षण्या तू अधर्मा संहारीले

भक्तांसाठी नाना रूपे तूची साकारीले

हे जेजुरीच्या खंडेराया दर्शनाला पाव रे ||

 

नरजन्मा सार्थककरण्या मार्ग मला दाव रे

चरणी तुझ्या आले आता तूची मज उद्धार रे

हे जेजुरीच्या खंडेराया दर्शनाला पाव रे ||

©  सुश्री तृप्ती कुलकर्णी

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ सा  ध  ना ! ☆ श्री प्रमोद वामन वर्तक ☆

श्री प्रमोद वामन वर्तक

? कवितेचा उत्सव ? 

☆ सा  ध  ना ! 🩷 ☆ श्री प्रमोद वामन वर्तक ☆

करा आसनस्थ होऊनी

ॐकाराची ध्यानधारणा,

आजार जाती पळूनी

म्हणती त्या योग साधना !

राहून गुरुकुलात चेले

करती तपश्चर्या रागांची,

गुरुविण कोण दावी वाट

तयांना गान साधनेची ?

वेचून आपले आयुष्य

देती ज्ञान यज्ञा चेतना,

होऊन गेले ज्ञानमहर्षी

ती होती ज्ञान साधना !

वनात करूनी वसती

देवांची करती आराधना,

ऋषि मुनी शिकवून गेले

जी होती तप साधना !

अखंड करूनी वाचन

सोसून कधी आलोचना,

लेखक, कवी करी लेखन

तीच त्याची शब्द साधना !

तीच त्याची शब्द साधना !

© प्रमोद वामन वर्तक

सध्या सिंगापूर 9892561086

संपर्क – दोस्ती इम्पिरिया, ग्रेशिया A 702, मानपाडा, ठाणे (प.)

मो – 9892561086 ई-मेल – [email protected]

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – विविधा ☆ आयुष्याच्या पुस्तकातून… ☆ सुश्री वर्षा बालगोपाल ☆

सुश्री वर्षा बालगोपाल 

? विविधा ?

आयुष्याच्या पुस्तकातून? ☆ सुश्री वर्षा बालगोपाल 

पु.ल.देशपांडे यांच्या नाटकातला एक प्रसंग आठवला. एका केसचा साक्षिदार म्हणून एका स्त्रीला साक्षीदाराच्या पिंजर्‍यात उभे केलेले असते. वकील नाव विचारतात ती नाव सांगते. पुन्हा वकील तिला म्हणतात वय? तर ती बाई म्हणते, आता गरीबाला कसलं आलय वय? आन अडाण्याला कसली आलीय जन्मतारिख?

कोर्टात एकच हशा. असो यावरून प्रश्न पडला अडाणी कोणाला म्हणायचे? अडाणी लोक पण अनुभवाचे बोल बोलताना सहज म्हणतात, नुसतं शाळा कालेजात जाऊन चार पुस्तकं वाचून शानपन येत नसतं•••

मग शिक्षणाचा आणि शहाणपणाचा काही संबंध आहे का? असेल तर वरचा डायलॉग का बोलला जातो? नसेल तर मग माणूस शिकतो का? अर्थातच शिक्षण म्हटले की पुस्तकांचा संबंध येतोच. मग एवढी शेकड्याने पुस्तके वाचून, हाताळून जर शहाणपण आले नाही म्हणत असतील तर असे कोणते पुस्तक आहे जे अशिक्षीत लोकही वाचून शहाणपणाच्या गोष्टी करतात?

मग लक्षात आले, प्रत्येक चराचराचे आयुष्य म्हणजे त्या चराचराचे पुस्तकच नाही का? अनुभवाचे गुरू प्रसंगांच्या पानातून हे पुस्तक ज्याचे त्याला शिकवत असतात. त्याच अनुभवाच्या जोरावर शिकलेले ज्ञान त्यांना शहाणपण देत असते. म्हणून शाळेत न गेलेली व्यक्ती अशिक्षित असू शकेल पण अडाणी नाही.

किती महत्वाचे असते ना हे पुस्तक? जन्माचे मुखपृष्ठ आणि मृत्यूचे मलपृष्ठ घेऊन आलेले पुस्तक ज्याचे त्यानेच लिहायचे असते.

पुस्तके जशी वेगवेगळ्या विषयाची, वेगवेगळ्या लिखाणाची वेगवेगळ्या प्रकाराची असू शकतात तशीच प्रत्येकाच्या आयुष्याची पुस्तके वेगवेगळी असू शकतात पण या एकाच पुस्तकात सगळ्या प्रकारची सगळ्या विषयाची प्रकरणे असतात.

कधी त्यात दोन ओळी, तीन ओळी, चारोळी, कविता,गझल,मुक्तछंद सारख्या असंख्य कविता मिळतील

तर कधी, पॅरॅग्राफ, लेख,निबंध, लघुकथा, दीर्घकथा, कादंबरी असे लिखाण मिळेल.

प्रत्येक पान हे उत्सुकतेने भरलेले असते. मधे अधे लिखाणाला पुरक अशी चित्रे मिळतील. लेखनातील पात्रेही किती केव्हा कशी पुढे येतील हे खुद्द लेखकालाही माहित नाही.

प्रत्येकालाच असे पुस्तक लिहावेच लागते.

मग अशी पुस्तके काळाच्या पडद्याआड गेली की काही दिवस हळहळून ही विस्मरणात पण जातात.

पण खरे सांगू? प्रत्येकाने आपले पुस्तक लिहीताना आपल्या पुस्तकाची प्रत कोणाला काढावी वाटेल असे लिखाण केलेले असावे. या पुस्तकाचा आदर्श कोणीतरी घ्यावा असे लिखाण करून मग आपले पुस्तक बंद करावे.

© सुश्री वर्षा बालगोपाल

मो 9923400506

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – जीवनरंग ☆ प्रेमानं मन जिंकावं… भाग-२ ☆ श्री व्यंकटेश देवनपल्ली ☆

श्री व्यंकटेश देवनपल्ली

? जीवनरंग ❤️

☆ प्रेमानं मन जिंकावं… भाग-२ ☆ श्री व्यंकटेश देवनपल्ली   

(मुलगी आपल्या नातवालाच पसंत आहे म्हटल्यावर कमलताई काही बोलल्या नाहीत. रोहन आणि रश्मीचं लग्न थाटामाटात पार पडलं.) इथून पुढे —

रविवारी वीस ऑक्टोबरच्या दिवशीही सुहासिनी आणि कमलताई नेहमीप्रमाणे संध्याकाळी पाच वाजता चतु:शृंगी मंदिरात जाण्यासाठी निघाल्या. तिथून दशभुजा गणपतीचे दर्शन घेऊन घरी परत येईपर्यंत त्यांना साडेसात वाजले. पाहतो तर काय, प्रवेशद्वाराजवळच “राणीज किचन-सिल्वर ज्युबिली” असं भलं मोठं बॅनर लागलेलं होतं. कमलताईंचा फोटो असलेला “वुई लव्ह यू कमलाजी” बॅनर झळकत होता. लॉनवर मंडप बांधून तयार होता. रंगीबेरंगी दिवे झगमगत होते. स्टेजच्या समोर पन्नासेक निमंत्रित पाहुणे उत्सवमूर्तीची वाट पाहत बसलेले होते. चोहीकडे उत्साहाचं वातावरण होतं. आपल्या मुलानं, सुधीरनं हा कार्यक्रम आयोजित केला असावा असं त्यांना वाटलं. कमलताईंना हे सगळंच अनपेक्षित होतं पण ह्या सरप्राइजमुळे त्या मोहरून गेल्या.      

इतक्यात स्टेजवर सिल्क साडीत, कपाळावर टिकली, हातात चुडा आणि वेणी घातलेली रश्मी हातात माइक घेऊन प्रगट झाली आणि म्हणाली, “उपस्थित मान्यवरांना नमस्कार! पंचवीस वर्षापूर्वी आजच्या दिवशीच माझ्या आज्जेसासू कमलताईंनी ह्या ‘राणीज किचन’ची मुहूर्तमेढ रोवली. 

इवलेसे रोप लावियेले दारी। 

त्याचा वेलू गेला गगनावेरी । असा तो बहरत गेला. ‘राणीज किचन’च्या ऊर्जितावस्थेचे संपूर्ण श्रेय श्रीमती कमलताईंचेच आहे. अधिक वेळ न दवडता, आजच्या समारंभाच्या उत्सवमूर्ती श्रीमती कमलताईंना मी विनंती करते की त्यांनी आपल्या सुनेसोबत स्टेजवर यावं आणि आपलं मनोगत व्यक्त करावं. धन्यवाद.” 

टाळ्यांच्या कडकडाटात कमलताईं स्टेजवर आल्या. रश्मीनं त्यांना शाल आणि श्रीफळ दिलं. त्यांच्या हातात माईक दिला.  

कमलताई बोलायला उभे राहिल्या, “आज मला माझे पितृतुल्य सासरे बाळकृष्णपंत आणि माझे पती नरहरपंत ह्यांची प्रकर्षाने आठवण येतेय. माझे सासरे म्हणायचे की मुलांमुलींना सरस्वतीची उपासना करायला शिकवाल आणि सुनेला एखाद्या राणीसारखं, लक्ष्मीसारखं वागवाल तर तुमचं अख्खं कुटुंब आनंदात राहिल. 

माझ्या सासू-सासऱ्यांनी मला राणीसारखंच वागवलं. ‘कमल कुठलेही कार्यक्षेत्र उत्तमरीतीने सांभाळू शकेल’ हे त्यांचे शब्द माझ्या मनात वज्रलेपासारखे कोरले गेले आणि त्या दिवसापासून माझ्यातली नकारात्मकता संपून गेली. 

‘राणीज किचन’चं निमित्त झालं. नोकरदार मंडळीना स्वच्छ घरगुती जेवण पुरवता येईल आणि काही गरजू लोकांना रोजगार पुरवता येईल ह्या हेतूने मी ह्या व्यवसायात आले. बाहेरच्या ऑर्डरी येत राहिल्या. त्याच्या सोबतच नियमितपणे ऑफिसात दुपारचे डबे पाठवायचं सुरू झालं. पंचवीस डब्यापासून सुरू झालेला हा व्यवसाय आज दोनशे डब्यांपर्यंत येऊन पोहोचला आहे. ठरावीक संख्येनंतर दर्जा बिघडेल की काय, ह्या भीतीने लोकांची मागणी असतानादेखील आम्ही तिथेच थांबलो आहोत. 

हे सगळं कर्तृत्व माझं आहे असं मी अजिबात मानत नाही. माझ्या सासऱ्यांनी दाखवलेली सकारात्मकता, माझ्या पतीची अनमोल साथ आणि माझी सून सुहासिनी हिचा ह्यात फार मोठा वाटा आहे. आजवर माझ्या सुनेनं सगळी नाती सांभाळत हे कुटुंब आनंदाने पुढं नेलं आहे. तिच्या रूपानेच आमच्या कुटुंबात लक्ष्मी नांदतेय. 

माझे सासरे म्हणायचे, ‘उत्तर भारतीय लोक कन्येला ‘बिटियारानी’ आणि सुनेला ‘बहूरानी’ म्हणतात. मुलीला आणि सुनेला ते राणीचा मान देतात आणि आमच्या इथं काय होतं? माहेरी ‘बिटीयारानी’ असलेली कन्या सासरी आली की ‘नौकरानी’ होऊन जाते. माझी सून ह्या घरची राणी आहे ह्याचा विसर पडायला नको म्हणून मी तिला राणी म्हणूनच बोलावते.  

खरं तर, आपली आई आपलं पालनपोषण करून आपल्याला मोठं करते. वयात येताच सासरच्या घरी पाठवणी करते. तिथंही सासूच्या रूपात आपल्याला आई भेटते. सासू आपली काळजी घेते. 

कालांतराने आपली सून येते आणि सुनेच्या सहवासात आपण अधिक वेळ व्यतीत करतो. आपल्या वृद्धापकाळात सूनच आईसारखी आपली काळजी घेते, सेवा करते. आईवडिलांचं घर सोडून दुसऱ्या घरची एक ‘बिटियारानी’ आपल्याकडे येते, आपला वंश पुढे नेते तर मग आपणही तिला सुरूवातीपासूनच राणीसारखं वागवायला नको का? 

अर्थात ज्या राण्यांनी कुठल्या ना कुठल्या कारणासाठी आपलं स्वत:चं असं वेगळं राज्य स्थापन केलंय मी त्यांच्याविषयी बोलत नाहीये. मी तशी खूप भाग्यवान आहे. देवानं मला खूप छान सून दिली आहे. 

उद्यापासून ‘राणीज किचन’चे व्यवस्थापन आमच्या घरची राणी म्हणजेच माझी सून सुहासिनीकडे सोपवतेय. मी ‘राणीज किचन’ पाहत असताना ती घर सांभाळायची पण आता माझी नातसून दुसरीकडे नोकरी करते आहे. बघू या, भविष्यात काय वाढून ठेवलं आहे ते. आमच्या पाठीशी तुम्हा सगळ्या तृप्त जीवांचे आशीर्वाद सदैव असू द्यावेत, एवढीच माझी प्रार्थना आहे. नमस्कार !”

कमलताई स्टेजवरच्या खुर्चीत स्थानापन्न होताच रश्मीने माईक घेतला. आज्जेसासूकडे पाहून हसत म्हणाली, “आज्जी ! मी नोकरी सोडून तुमच्या नातवासोबत इकडेच आलेय. जे काही करायचं ते आम्ही इथंच करू. मी तुमच्या सेवेला आणि माझ्या सासूबाईंच्या मदतीला असेन. कारेकरांच्या पुढच्या पिढीतल्या राणीचा मान माझाच आहे.”

त्यानंतर तिने विनम्रपणे आज्जेसासूंना नमस्कार केला. नातसुनेला तोंड भरून आशीर्वाद देताना कमलताई गहिवरल्या, त्यांच्या डोळ्यांच्या कडा नकळत ओलावल्या. 

कमलताईंच्या जवळचे सगळेच नातेवाईक रौप्यमहोत्सवी सोहळ्याला जमले होते. हे सगळं कसं काय शक्य झालं ह्याचं गूढ त्यांना उकलेनासं झालं. तितक्यात कमलताईंच्या हातात पाकिट देत सुधीर म्हणाला, “आई, डिलीव्हरीसाठी ते लोक आले आहेत. हे ऑर्डरचे राहिलेले बाकीचे पैसे !”  

“सुधीर राजा, ऑर्डर कुणाची होती ते सांगितलं नाहीस!” पाकिट हातात घेत कमलताईंनी विचारलं. 

सुधीरनं हळूच त्यांच्या कानात सांगितलं, “आई, आजच्या ह्या कार्यक्रमाला उपस्थित असलेल्या निमंत्रितांच्यासाठी दिलेली जेवणाची ही ऑर्डर आहे. आणि ही ऑर्डर कारेकरांच्या पुढच्या पिढीतल्या राणीसाहेब रश्मींची आहे. मी त्यात फक्त मदतनीसाचं काम केलं आहे.” 

कमलताई कातर आवाजात बोलल्या, “राणी, मानलं ग तुझ्या निवडीला. तुझी सून तर माझ्या सुनेपेक्षाही सरस निघाली आहे! मी तुझ्या सुनेचा विनाकारण दुस्वास केला पण तिनं मात्र ह्या आज्जेसासूचं मन प्रेमानेच जिंकून घेतलं हो..” 

कमलताईंच्या चेहऱ्यावर आनंद ओसंडून वाहत होता. त्याचवेळी हॅट्स ऑफ टू कमलताई! हिप-हिप हुर्रे !! ह्या निनादात अख्खा मांडव दणाणून गेला होता.   

— समाप्त —

© श्री व्यंकटेश देवनपल्ली

बेंगळुरू

मो ९५३५०२२११२

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – मनमंजुषेतून ☆ सुईबाई गं… – लेखक : अज्ञात ☆ प्रस्तुती – डाॅ.भारती माटे ☆

डाॅ.भारती माटे

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☆ सुईबाई गं… – लेखक : अज्ञात ☆ प्रस्तुती – डाॅ.भारती माटे  

“मावशी,अगदी थोडं दुखेल हं म्हणत सुनंदाने मला इंजेक्शन दिलं मला रोज इंजेक्शनची सुई टोचवायची म्हणून तीच हळहळायची.

मी म्हटलं,”अगं तू इंजेक्शन देत्येस म्हणून तर मी बरी होत्ये ना.गेला महिनाभर तू माझी किती काळजी घेत्येस. या सुईने तर तुझं आणि माझं इतकं छान  नातं जोडलंना गं बाई “.

तिने माझा हात हातात घेतला आणि प्रेमाने म्हणाली,

“मावशी तुम्ही आयुष्यभर या सुईसारखी किती प्रेमाने नाती जोडली आहेत ऐकतेय ना मी पण, तुम्हाला भेटायला येणार्या लोकांकडून”.

” हो गं बाई, मी आपली माणसं  जोडण्याचं काम करत राहीले हेच माझ्या आवडीचं काम “.

“पण तुला गंमत सांगू का?”

“नाही,पण तुला वाटेल, काय म्हातारी बडबड करतेय, पण तू आहेस ना  गं माझं ऐकायला म्हणून बोलावसं वाटतय “.

इतर वेळेस कोण असतं इथे ?कामापुरतं येतात निघून जातात.

सुनंदा म्हणाली,” नाही मावशी बोला ना मला आवडेल ऐकायला” 

मग मी सरसावलेच,” अगं एकटीच असले ना की काही बाही सुचतं बघं. आत्ता तू सुईचा विषय काढलास ना तर मला नेहमी वाटतं माणसानेच तर सुई शोधली त्यात त्याचे गुण येणारच.

बघ ना….

घरात बाई सगळं जोडते शिवते  बारिक सुईने अगदी बारीक दोरा घालून जसं कुणालाही न दुखवता ती घरातली नाती जपते आणि ती दृढ करते.

पण घरात सुद्धा सगळ्यांना एकच सुई चालत नाही आई बरोबर वेगळ्या सुया वापरते.

 त्या सुईचा एक भाऊ असतो बघ दाभण नावाचा,जाड गोणपाट शिवायला वापरतात बघ.

 जेव्हा दांड मुलं निबर तनामनाची असतात तेव्हा बारिक सुई नाही कामाची तिथे दाभणच पाहिजे दोन दणके धाकदपटशा लागतोच.

ते आईला बोबर ठाऊक असतं जे सगळ्यांना ताळ्यावर आणून एकसंध ठेवेल.

वाकळ गोधडी शिवताना बघ जरा लांब सुई लागते.

खूप अंगभर टाके घालायचे असतात ना.

जेव्हा सर्वांना एकत्र बांधून एकमेकांना एका बंधनात ठेवायचं तेव्हा अशी लांब सुई सगळ्यांना एकत्र बांधून एकमेकांना नात्यांची उब द्यायला शिकवते बघ.

आणि ती क्रोशाची सुई पाहीली आहेस का तू ?

अगं खूप काम केलं मी त्यावर.

त्या सुईला नेढं नसतं बरका नुसता थोडसं नाक वाकवून तो भास केलेला असतो पण धागा बरोबर अडकतो बघ त्यात अशी माणसं असतात बघ फार न गुंतता आपल्या जवळ हात धरुन  ओढून पण छान सुबक जाळीदार काम करुन दाखवणारी पण चटकन वेगळी होणारी जेवढ्यास तेवढं वागणारी त्यांना सौंदर्य असतं पण नात्याची उब नसते.

फार गुंतत नाहीत ती कुठं.  

आणि जरा कुठे एखादा धागा निघाला की पार सगळं कसं सहज उसवत जातं कळतच नाही.

आणि शेवटीss तुमच्याss विणकामाच्या सुयाss त्याना का सुया म्हणतात ?नाही नेढं नाही टोक. मला तर आजकाल event साजरे करणारे असतात किनई ते अश्या सुयांसारखे वाटतात.

अगदी कुणालाही न दुखवता सगळ्यांना पटापट हलवत राहतात एकमेकात गुंतून काम करत असतात तेव्हा असं वाटतं अगदी गळ्यात गळा वाटतो पण काम झालं की प्रत्येक जणं इतका वेगळा होतो की इथे थोड्या वेळापूर्वी अगदी एकमेकांजवळ येऊन  काही छान प्रसंग उभा केला होता असं वाटतच नाही.

कुठेही गाठ नाही सुई टोचल्याची खूण नाही.

कर्तव्य म्हणून सारं काही.

जशी  विणकामाच्या बाबतीत पण गंमत आहे जोपर्यंत एकत्र आहे तोपर्यंत उब.

दोन सुया दोन हातात नाचत नाचत धागे जोडत उब तर निर्माण करतात पण…पण सुईतून एक धागा ओढत गेलं की सगळं विणकाम उसवलं की तिथे काही दिसतच नाही काही विणलं होतं का नाही ते. अगदी तसच.

मध्ये कुठे नात्यांच्या गाठी बांधलेल्याच नसतात या सुयांनी पण खरी सुई कुणाची सांगू तुमच्या डॉक्टर लोकांची.

त्यांना साक्षात दंडवत बघ.

माणसाचं फाटलेलं शरीर जोडून परत एकसंध करणं सोपं नाही किती बारिक दोरा त्यांच्या चिकाटीचा,किती बारिक सुई त्यांच्या ज्ञानाची, अलगद हाताने टाके घालणं आणि परत ते आत विरघळून जातील असं पाहणं हे फक्त देवाचे हातच करु शकतात बघ.

त्यांची सुई पुनर्जन्म देते गं रुग्णाला आणि तुमच्यावरचा म्हणजेच देवावरचा आमचा विश्वास दृढ करते.

एकच वाईट वाटतं बघ इतक्या  सुयांनी किती मदत केली आपल्याला…..

पण बाप्पाने, डोक्यावरच्या फाटक्या आभाळाखालचं एखाद्याचं  फाटकं नशिब शिवायची सुई दिली नाही बघ माणसाला…….

“सुईबाई गं… तुलाही वाईट वाटत असेल ना मी इतकं सगळं शिवते मग मला असं नशिब का नाही शिवता येत?” 

दुवा तरी मिळाला असता.

सुनंदाने पाहिलं मावशी  आपल्याच तंद्रीत होत्या आणि त्यांचे डोळे पाण्याने भरले होते 

ते पाहून सुनंदालाही आपला कढ आवरावा लागला….

तिला वाटलं किती दुखण्यातूनही यांनी मन संवेदनशील राखलय.

असं जगावं आजूबाजूचं जग न्याहाळत त्यातील गंमती शोधत.

लेखिका : सौ. नीलिमा लेले.

संग्रहिका : डॉ. भारती माटे

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – इंद्रधनुष्य ☆ ऋग्वेद व ग्रामोफोन… लेखक : अज्ञात ☆ प्रस्तुती – श्री सुनील देशपांडे ☆

श्री सुनील देशपांडे

? इंद्रधनुष्य ?

☆ ऋग्वेद व ग्रामोफोन… लेखक : अज्ञात ☆ प्रस्तुती – श्री सुनील देशपांडे ☆ श्री सुनील देशपांडे ☆

२० नोव्हेंबर १८७७ रोजी एडिसनने पहिला आवाज मुद्रित केला. व तो ग्रामोफोन वर पुन्हा वाजवून दाखवला. अशा प्रकारे ध्वनीचेही मुद्रण म्हणजे तोच आवाज पुन्हा पुन्हा ऐकता येऊ शकतो.

मथळा वाचून आपणास प्रश्न पडेल की ऋग्वेदाचा व ग्रामोफोनचा काय संबंध?

जगातील पहिला आवाज रेकॉर्ड झाला तो मँक्समुल्लर यांच्या आवाजात.

आवाज रेकॉर्ड करुन पुन्हा ऐकवायचा प्रयोग इंग्लंड मधे एका सभागृहात आयोजित करण्यात आला होता.

या प्रसंगी अनेक मान्यवर उपस्थित होते.

मॅक्समुल्लर यांना एडिसनने खास जर्मनीहून बोलावून घेतले होते. 

मँक्समुल्लर यांनी पहिल्याच रेकॉर्डींगला ऋगवेदातील पहिली ऋचा ‘ अग्नीमिळे पुरोहितम् ‘ ही म्हटली.

ऋग्वेद हा प्राचीन भारतीय वैदिक संस्कृतीतील सर्वात पवित्र ग्रंथ आहे. हिंदू धर्मातील चार वेदांमध्ये ऋग्वेद हा प्रथम वेद आहे. ऋग्वेद हा चार वेदांपैकी एक असून ऋग्वेदाची रचना चार वेदांमध्ये सर्वप्रथम झाली आहे असे समजण्यात येते.

तसेच ऋग्वेद संस्कृत वाङमयातील पहिला ग्रंथ आहे असेही मानले जाते. ऋग्वेदामध्ये एकूण १० मंडले व १०२८ सूक्ते आहेत. निसर्गातील विविध शक्तींना देवता मानले आहे. त्यांची स्तुती गाणारी कवने ऋग्वेदात आहे. ऋग्वेदातील प्रत्येक कडव्यास ऋचा असे म्हणतात. ऋग्वेद रचनेचा काल सुमारे इ.स.पू.५००० च्या सुमारासचा असावा असा लोकमान्य टिळक यांनी मांडलेला अंदाज आहे. ऋग्वेदाची मांडणी व्यवस्था महर्षी व्यास यांनी पाहिली.

ऋग्वेदातील सूक्तांचे कर्ते ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य या तीनही वर्णांचे आहेत. ऋग्वेदामध्ये पाठभेद नाहीत. ‘अग्निमिळे पुरोहितम्’ हे ऋग्वेदाचे पहिले सूक्त आहे.

पाणिनीच्या काळात ऋग्वेदाचा अर्थ समजण्यासाठी पदे, क्रम इत्यादी व्यवस्था निर्माण झाली. ती पदे न फिरवता तशीच म्हंटली जावीत या साठी जटापाठ आणि घनपाठ म्हणण्याची पद्धत सुरू झाली.

ऋग्वेद हा स्तुतिपर असून पद्यमय आहे. ऋग्वेदाच्या १०व्या मंडलातल्या पुरुषसूक्तात तीनही वेदांचा उल्लेख आहे.

ऋचा रेकॉर्ड झाल्यावर पुढिल प्रक्रियेला काही कालावधी लागला. मधल्या काळात मँक्समुल्लर यांनी म्हंटलेली ऋचा ,त्याचा अर्थ, ऋगवेद व इतर वेद ,संस्कृत भाषा ,हिंदू संस्कृती या बद्दल विवेचन केले.

जगातील पहिल ध्वनी संदेश हा वेदातील ऋचा आहे, याचा आम्हा भारतीयांना अभिमान आहे.  

महान शास्त्रज्ञ थॉमस अल्वा एडिसन व मँक्समुल्लर यांना अभिवादन।।।

लेखक : अनामिक

संग्राहक : श्री सुनील देशपांडे

मो – 9657709640 Email : [email protected]

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – वाचताना वेचलेले ☆ “स्मृतिगंध…” – लेखक : अज्ञात ☆ प्रस्तुति – सौ. शामला पालेकर ☆

? वाचताना वेचलेले ?

☆ “स्मृतिगंध…” – लेखक : अज्ञात ☆ प्रस्तुति – सौ. शामला पालेकर

मला आठवतंय,

खूप मोठं होईपर्यंत आम्ही लहानच होतो !

सगळंच स्वस्त होतं तेव्हा, बालपणसुद्धा !

भरपूर उपभोगलं त्यामुळे. उन्हापावसात, मातीत, दगडात, घराच्या अंगणात, गावाबाहेरच्या मैदानात… कुठेही गेलं तरी बालपणाची हरित तृणांची मखमल सर्वत्र पसरलेली असायची.

    

आता तसं नाही.

लहानपणीच खूप मोठी होतात मुलं !

खूप महाग झालंय बालपण !

   

पूर्वी आईसुद्धा खूप स्वस्त होती.

फुल टाईम ‘आईच’ असायची तेव्हा ती !

आम्हाला सकाळी झोपेतून उठवण्यापासून ते रात्री कुशीत घेऊन झोपवण्यापर्यंत सगळीकडे आईच आई असायची.

आता ‘मम्मी’ थोडी महाग झालीय.

जॉबला जातेय हल्ली. संडेलाच अव्हेलेबल असते!

मित्रसुद्धा खूप स्वस्त होते तेव्हा ! हाताची दोन बोटं त्याच्या बोटांवर टेकवून नुसतं ‘बट्टी’ म्हटलं की कायमची दोस्ती होऊन जायची. शाळेच्या चड्डीत खोचलेला पांढरा सदरा बाहेर काढून त्यात ऑरेंज गोळी गुंडाळायची आणि दाताने तोडून अर्धी अर्धी वाटून खाल्ली की झाली पार्टी !

आता मात्र घरातूनच वॉर्निंग असते,

“डोन्ट शेअर युअर टिफिन हं !”

मैत्री बरीच महाग झालीय आता.

हेल्थला आरोग्य म्हणण्याचे दिवस होते ते !सायकलचा फाटका टायर आणि बांबूची हातभर काठी एवढ्या भांडवलावर अख्ख्या गावाला धावत फेरी घालताना तब्येत खूप स्वस्तात मस्त होत होती.

घट्ट कापडी बॉलने आप्पाधाप्पी खेळताना पाठ इतकी स्वस्तात कडक झाली की पुढे कशीही परिस्थिती आली तरी कधी वाकली नाही ही पाठ ! इम्युनिटी बूस्टर औषधं हल्ली खूपच महाग झालीत म्हणे !

ज्ञान, शिक्षण वगैरे सुद्धा किती स्वस्त होतं.

फक्त वरच्या वर्गातल्या मुलाशी सेटिंग लावलं की वार्षिक परीक्षेनंतर त्याची पुस्तकं निम्म्या किंमतीत मिळून जायची. वह्यांची उरलेली कोरी पानं काढून त्यातून एक रफ वही तर फुकटात तयार व्हायची.

आता मात्र पाटीची जागा टॅबने घेतलीय.

ऑनलाईन शिक्षण परवडत नाही आज !

  

एवढंच काय, तेव्हाचे

आमचे संसारसुद्धा किती स्वस्तात पार पडले.

शंभर रुपये भाडं भरलं की महिनाभर बिनघोर व्हायचो. सकाळी फोडणीचाभात,पोळी किंवा भात आणि मस्त चहा असा नाष्टा करून ऑफिसमध्ये जायचं, जेवणाच्या सुट्टीत (तेव्हा लंच ब्रेक नव्हता) डब्यातली भेंडी/बटाटा/गवारीची कोरडी भाजी, पोळी आणि फार तर एक लोणच्याची फोड ! रात्री गरम खिचडी, की झाला संसार. ना बायको कधी काही मागायची ना पोरं तोंड उघडायची हिंमत करायची.

आज सगळंच विचित्र दिसतंय भोवतीनं !

Live-in पासून ते Divorce, Suicide पर्यंत बातम्या बघतोय, मुलं बोर्डिंगमधेच वाढतायत, सगळं जगणंच महाग झालेलं !

  

कालपरवापर्यंत मरण तरी स्वस्त होतं.

पण आता तेही आठ दहा लाखांचं बिल झाल्याशिवाय येईनासं झालंय.

   

म्हणून म्हणतोय, आहोत तोवर आठवत रहायचं.

नाहीतरी ह्या स्मृतीगंधाशिवाय आहे काय आपल्याजवळ !

लेखक : अज्ञात

प्रस्तुती : सौ. शामला पालेकर

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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