हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 182 ☆ नवगीत ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है नवगीत)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 182 ☆

☆ नवगीत ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

गीत पुराने छायावादी

मरे नहीं

अब भी जीवित हैं.

तब अमूर्त

अब मूर्त हुई हैं

संकल्पना अल्पनाओं की

कोमल-रेशम सी रचना की

छुअन अनसजी वनिताओं सी

गेहूँ, आटा, रोटी है परिवर्तन यात्रा

लेकिन सच भी

संभावनाऐं शेष जीवन की

चाहे थोड़ी पर जीवित हैं.

बिम्ब-प्रतीक

वसन बदले हैं

अलंकार भी बदल गए हैं.

लय, रस, भाव अभी भी जीवित

रचनाएँ हैं कविताओं सी

लज्जा, हया, शर्म की मात्रा

घटी भले ही

संभावनाऐं प्रणय-मिलन की

चाहे थोड़ी पर जीवित हैं.

कहे कुंडली

गृह नौ के नौ

किन्तु दशाएँ वही नहीं हैं

इस पर उसकी दृष्टि जब पडी

मुदित मग्न कामना अनछुई

कौन कहे है कितनी पात्रा

याकि अपात्रा?

मर्यादाएँ शेष जीवन की

चाहे थोड़ी पर जीवित हैं.

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

२८.११.२०१४

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (15 अप्रैल से 21 अप्रैल 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (15 अप्रैल से 21 अप्रैल 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

पंडित अनिल पाण्डेय की तरफ से आप सभी को नवरात्रि की ढेर सारी बधाई। इस सप्ताह के प्रारंभ होने के साथ ही सूर्य देव मेष राशि में पहुंच गए हैं तथा सभी तरह के शुभ कार्य प्रारंभ हो गए हैं। इस सप्ताह के राशिफल में सबसे पहले मैं आपको चंद्रमा और अन्य ग्रहों के गोचर के संबंध में बताऊंगा उसके बाद इस सप्ताह के शुभ मुहूर्त की चर्चा करेंगे। शुभ मुहूर्त के उपरांत इस सप्ताह के व्रत त्यौहार और सर्वार्थ सिद्धि योग के बारे में बताया जाएगा।

इस सप्ताह प्रारंभ में चंद्रमा मिथुन राशि में रहेगा। उसके उपरांत 15 तारीख को 12:09 रात से कर्क राशि में प्रवेश करेगा। 18 तारीख को 9:52 दिन से चंद्रमा सिंह राशि का हो जाएगा। 20 तारीख को 9:22 रात से चंद्रमा कन्या राशि में गोचर करने लगेगा।

इस सप्ताह मंगल और शनि ग्रह कुंभ राशि में रहेंगे। सूर्य और गुरु ग्रह मेष राशि में विचरण करेंगे। शुक्र और वक्री राहु तथा वक्री बुध मीन राशि में रहेंगे।

इस सप्ताह विवाह का मुहूर्त 18 से 21 अप्रैल तक लगातार है। उपनयन का मुहूर्त 18 और 19 तारीख को है। नामकरण का मुहूर्त 15 तारीख को है। अन्नप्राशन का इस सप्ताह कोई मुहूर्त नहीं है। गृह प्रवेश का मुहूर्त 15 और 20 तारीख को है। व्यापार का मुहूर्त 16 तारीख को है।

इस सप्ताह 16 तारीख को दुर्गा अष्टमी का पर्व है। 17 तारीख को रामनवमी मनाई जाएगी और इसके साथ ही नवरात्रि पर्व का भी समापन हो जाएगा।

इस सप्ताह सर्वार्थ सिद्धि योग 21 तारीख को सूर्योदय से रात अंत तक है। इस प्रकार अमृत सिद्धि योग 21 तारीख को 5:20 सांयकाल से रात अंत तक है।

आइये अब हम राशिवार राशिफल के बारे में चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी आ सकती है। जीवनसाथी को मानसिक कष्ट भी हो सकता है। माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके गर्दन और कमर में दर्द हो सकता है। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे। कार्यालय में आपकी स्थिति अच्छी रहेगी। कचहरी में आपके प्रकरणों में आपको सफलता मिल सकती है। व्यापार की गति ठीक रहेगी। भाग्य आपका साथ देगा। इस सप्ताह आपके लिए 16 और 17 अप्रैल उत्तम है। 16 और 17 अप्रैल को आपके अधिकांश कार्य सफल होंगे। 21 अप्रैल को आपको सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

वृष राशि

यह सप्ताह आपके लिए मिला-जुला प्रभाव वाला रहेगा। व्यापार उत्तम चलेगा। व्यापार से धन प्राप्त होने की उम्मीद है। अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो कार्यालय में आपको सफलताएं मिल सकती हैं। आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके सुख में वृद्धि होगी। आप सुख संबंधी कोई चीज खरीद सकते हैं। संतान से इस सप्ताह आपको कोई विशेष मदद नहीं मिलेगी। छात्रों की पढ़ाई सामान्य चलेगी। भाग्य से आपको मदद मिल सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 18, 19 और 20 अप्रैल लाभदायक है। 18, 19 और 20 में आपके द्वारा किए गए अधिकांश कार्य सफल होंगे। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

मिथुन राशि

आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। माता जी और पिताजी को कष्ट हो सकता है। अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो आपको अपने कार्यालय में अच्छी सफलता एवं प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है। व्यापारियों का व्यापार ठीक चलेगा। भाग्य आपका साथ देगा। धन अच्छी मात्रा में आने की उम्मीद है। आपको अपनी संतान से सहयोग प्राप्त नहीं हो पाएगा। कचहरी के कार्यों में रिस्क ना लें। भाई बहनों के साथ उत्तम संबंध रहेंगे। इस सप्ताह आपके लिए 15 और 21 तारीख उत्तम है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कर्क राशि

प्ताह आपका, आपके जीवन साथी का और आपके पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। माता जी के स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी आ सकती है। इस सप्ताह भाग्य आपका साथ देगा। छोटी-मोटी दुर्घटना हो सकती है। सामान्य धन आने का योग है। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे। आपको अपने पुत्र से थोड़ा बहुत सहयोग प्राप्त हो सकता है। छात्रों की पढ़ाई ठीक चलेगी। जनता में आपके प्रसिद्धि में थोड़ी कमी आ सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 16 और 17 अप्रैल लाभदायक हैं। 16 और 17 अप्रैल को आपके द्वारा किए गए समस्त कार्य सफल होंगे। 15 तारीख को आपको कोई भी कार्य बड़े सावधानी से करना चाहिए। अगर आप सावधानी से कार्य नहीं करेंगे तो आप असफल हो सकते हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप राम रक्षा स्त्रोत का प्रतिदिन जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों का भाग्य इस सप्ताह काफी अच्छा रहेगा। भाग्य से आपको बहुत कुछ प्राप्त हो सकता है। यात्रा का भी योग है। आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। माता जी और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी आ सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 18, 19 और 20 अप्रैल लाभदायक है। 18, 19 और 20 को आप द्वारा किए गए अधिकांश कार्य सफल रहेंगे। 16 और 17 तारीख को आपको बड़ी सावधानी से कार्य करना चाहिए। अगर आप सावधानी से कार्य नहीं करेंगे तो आपके वे कार्य असफल हो जाएंगे। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

कन्या राशि

कन्या राशि की जो जातक अभी अविवाहित हैं उनके विवाह के अच्छे प्रस्ताव आएंगे। अगर वे थोड़ा सा प्रयास करेंगे तथा दशा और अंतर्दशा ठीक होगी तो विवाह निश्चित रूप से संपन्न हो जाएगा। इस सप्ताह आप अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। परंतु इसके लिए आपको प्रयास करने पड़ेंगे। दुर्घटना से बचने का योग है। आपको अपने संतान से सामान्य सहयोग प्राप्त होगा। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक-ठाक रहेंगे। भाग्य आपका साथ देगा। व्यापार में उन्नति होगी। इस सप्ताह आपके लिए 15 और 31 अप्रैल शुभ है। 15 और 21 अप्रैल को आपके कई कार्य हो सकते हैं। इस सप्ताह आपके लिए 18, 19 और 20 तारीख कम ठीक है। 18, 19 और 20 तारीख को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

तुला राशि

अविवाहित जातकों के लिए 31 अप्रैल तक विवाह के उत्तम प्रस्ताव आएंगे। दशा और अंतर्दशा अगर ठीक हुई तो विवाह हो जाएगा। आपको अपने संतान से सहयोग मिल सकता है। धन आने की मात्रा में कमी आएगी। शत्रुओं से आपको सतर्क रहना चाहिए। कचहरी के कार्यों में रिस्क नहीं लेना चाहिए। आपके जीवनसाथी को कई सफलताएं मिल सकती हैं। इस सप्ताह आपके लिए 16 और 17 अप्रैल उत्तम है। 21 अप्रैल को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गणेश अथर्वशीर्ष का प्रतिदिन पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

वृश्चिक राशि

आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके सभी शत्रु परास्त हो जाएंगे। पेट में मामूली पीड़ा हो सकती है। जीवनसाथी से आपका विवाद हो सकता है। आपके गर्दन और कमर में दर्द हो सकता है। माता और पिता जी दोनों को रक्त संबंधी विकार हो सकता है। छात्रों की पढ़ाई बहुत उत्तम चलेगी। आपको अपनी संतान से अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। आपके व्यापार में उन्नति हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 18, 19 और 20 अप्रैल लाभदायक और शुभ फलदायक है। 18, 19 और 20 अप्रैल को आप जो भी कार्य करेंगे उसमें आपको सफलता प्राप्त होगी। 15 अप्रैल को आपको कोई भी कार्य बड़ी सावधानी पूर्वक करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

धनु राशि

धनु राशि के जातकों का और उनके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। इस सप्ताह आपके सुख में वृद्धि होगी। धन प्राप्त होने की प्रबल संभावना है। भाग्य आपका सामान्य रूप से साथ देगा। भाई बहनों के साथ सामान्य संबंध रहेंगे। जनता में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ सकती है। संतान से आपको सुख प्राप्त होगा। इस सप्ताह आप अपने शत्रुओं को प्राप्त कर सकते हैं। परंतु इसके लिए आपको अत्यधिक प्रयास करने होंगे। इस सप्ताह आपके लिए 15 और 21 अप्रैल फलदायक है। 16 और 17 अप्रैल को आपको कोई भी कर बड़े सावधानी से करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपके पास में धन आने का योग बन सकता है। भाग्य आपका साथ देगा। दूर देश की यात्रा संभव है। आपके सुख में वृद्धि होगी। आपके खर्चे में वृद्धि होगी। माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। पिताजी को परेशानी हो सकती है। भाई बहनों के साथ संबंध तनावपूर्ण भी हो सकते हैं। इस सप्ताह आपको अपने संतान से कोई विशेष सहयोग प्राप्त नहीं हो पाएगा। छोटी-मोटी दुर्घटना का योग है। कृपया संभल कर रहें। इस सप्ताह आपके लिए 16 और 17 अप्रैल उत्तम फलदायक है। 18, 19 और 20 अप्रैल को आपको सावधान रहना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आपके माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। भाइयों से आपके संबंध अच्छे रहेंगे। धन आने की अच्छी उम्मीद है। भाग्य आपका थोड़ा बहुत साथ देगा। माताजी को रक्त संबंधी विकार हो सकता है। छोटी-मोटी दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें। इस सप्ताह आपके लिए 18, 19 और 20 अप्रैल उत्तम है। सप्ताह के बाकी दिन आपको सावधान रहने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

अविवाहित जातकों के लिए यह सप्ताह उत्तम है। विवाह के उत्तम प्रस्ताव आएंगे। इस सप्ताह आप अपने शत्रुओं को हरा सकते हैं। उन पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। परंतु इसके लिए आपको प्रयास करना पड़ेगा। धन आने की बहुत अच्छी उम्मीद है। छोटी-मोटी दुर्घटना का भी योग है। भाई बहनों के साथ संबंधों में तनाव हो सकता है। आपके पेट में विकार हो सकता है। आपको मानसिक कष्ट भी हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 15 और 21 अप्रैल उत्तम है। 15 और 21 अप्रैल को आपके अधिकांश कार्य सफल रहेंगे। 18, 19 और 20 अप्रैल को आपको कोई भी कार्य बड़े सावधानी पूर्वक करना है। अन्यथा आपके हाथ असफलता ही लगेगी। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शनिवार के दिन दक्षिण मुखी हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम पांच बार हनुमान चालीसा का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

आपसे अनुरोध है कि इस पोस्ट का उपयोग करें और हमें इस पोस्ट के बारे में बतायें।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – चित्रकाव्य ☆– “मर्यादेचे वर्तुळ…” – ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

सुश्री नीलांबरी शिर्के

?️?  चित्रकाव्य  ?️?

? – “मर्यादेचे वर्तुळ– ? ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

मर्यादेचे वर्तुळ भवती

तोल सांभाळीत चालते

मागुन येणारांच्यासाठी

दिवा घेऊनी वाट दावते —

*

वाटेवरचे खाचखळगे

येणारा चुकवत येईल

वेळ, इच्छा असेल जर

खड्डे सारे मुजवून घेईल —

*

 दगड काटे दूर सारतील

तया कोणी नष्ट करतील

त्यांच्या मागून येणारे मग

वेगे मार्गक्रमणा करतील —

*

 प्रकाश देणे मानसिकता

 मागच्यांना गरज ठरते

 समोरच्याला नजरेने अन्

 शब्दाने सुचविताही येते —

© सुश्री नीलांबरी शिर्के

मो 8149144177

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संस्मरण – मेरी यादों में जालंधर – भाग-13- बहुत याद आया मुझे पिता सरीखा गाँव… ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

श्री कमलेश भारतीय 

(जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब)  शिक्षा-  एम ए हिंदी, बी एड, प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । ‘यादों की धरोहर’ हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह – ‘एक संवाददाता की डायरी’ को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से  कथा संग्रह- महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति का पुरस्कार । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तीन वर्ष तक उपाध्यक्ष । दैनिक ट्रिब्यून से प्रिंसिपल रिपोर्टर के रूप में सेवानिवृत। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता)

☆ संस्मरण – मेरी यादों में जालंधर – भाग-13 – बहुत याद आया मुझे पिता सरीखा गाँव… ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

(प्रत्येक शनिवार प्रस्तुत है – साप्ताहिक स्तम्भ – “मेरी यादों में जालंधर”)

आज एक बार फिर यादों का सिलसिला जालंधर में बिताये दिनों का  ! आज साहित्य के साथ साथ दो अधिकारियों का जिक्र करने जा रहा हूँ, जिनका साथ, साथ फूलों का! जिनकी बात, बात फूलों सी! बात है सरोजिनी गौतम शारदा और जे बी गोयल यानी जंग बहादुर गोयल की ! जंगबहादुर इसलिए कि स्वतंत्रता के आसपास इनका जन्म हुआ तो माता पिता ने नाम रख दिया- जंगबहादुर !

ये दोनों सन्‌ 1984 के आसपास हमारे नवांशहर में तैनात थे। सरोजिनी गौतम शारदा तब पजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में इकलौती महिला तहसीलदार थीं ! इनके पति डाॅ सुरेंद्र शारदा जालंधर के अच्छे ईएनटी स्पेशलिस्ट हैं और खुद शायरी लिखते  हैं और शायरों, अदीबों का बहुत सम्मान करते हैं ! सुदर्शन फाकिर के अनेक किस्से सुनाते हैं ‌! खैर, एक विवाह समारोह में पहले पहल तहसीलदार सरोजिनी  गौतम शारदा से किसी ने परिचय करवाया। मैंने सहज ही पूछ लिया – आप जैसी कितनी हैं?

जवाब आया – मैं अपने पापा की अकेली बेटी हूँ !

मज़ेदार जवाब के बाद मैंने बात स्पष्ट की कि मेरा मतलब आप जैसी कितनी महिला तहसीलदार हैं?

उन्होंने हैरान करते कहा कि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल में मैं इकलौती महिला तहसीलदार हूँ और आपको मज़ेदार बात बताती हूँ कि मैं तहसील ऑफिस  में बैठी थी कि बाहर किसी बूढ़ी माँ ने पूछा कि तहसीलदार साहब हैं?

सेवादार ने कहा कि हां मांजी अंदर बैठे हैं। ‌वह बुढ़िया चिक उठा कर जैसे ही अंदर आई, उल्टे पांव लौट गयी और सेवादार से बोली कि झूठ क्यों बोले? अंदर तां इक कुड़ी जेही बैठी ए !

सेवादार ने कहा – माँ जी, वही तो है तहसीलदार !

उन्होंने कहा कि यह बताना इसलिए उचित समझा कि अभी लोग सहज ही किसी महिला को तहसीलदार के पद पर स्वीकार नहीं करते।

फिर मैंने कहा कि ऐसी बात है तो कल आता हूँ आपका इंटरव्यू करने!

मैं हैरान रह गया कि उनकी इ़़टरव्यू न केवल दैनिक ट्रिब्यून, पंजाब केसरी में आई बल्कि लोकप्रिय साप्ताहिक ‘धर्मयुग’ में भी प्रकाशित हुई, जिसकी कटिंग मुझे दो तीन साल पहले सरोजिनी गौतम ने दिखाई, जब मैंं सपरिवार जालंधर उनके घर दीनानगर जाते समय रुका था ! फिर हमारा बड़ा प्यारा सा पारिवारिक रिश्ता बन गया !

वे कांग्रेसी नेता श्री अमरनाथ गौतम की बेटी हैं और फगवाड़ा की मूल निवासी ! पहले फगवाड़ा के कमला नेहरू काॅलेज में ही अग्रेज़ी की प्राध्यापिका रहीं लेकिन कुछ अलग करने के मूड में तहसीलदार बनीं। पिताश्री गौतम ने भी साथ दिया।

कांग्रेस नेता की बेटी होने के कारण अकाली सरकार के राजस्व मंत्री उबोके भेष बदल कर जांच करने आये कि कितनी रिश्वत लेती हैं ! वे बेदाग रहीं और‌ जालंधर में तैनाती के समय एक बार उपचुनाव के समय निर्वाचन अधिकारी थीं कि मंत्री महोदय प्रत्याशी का फाॅर्म भरवाने दल वल के साथ पहुंचे तो कोई कुर्सी न देख कर बोले कि मैडम ! कुछ मेरे सम्मान का ख्याल तो रखा होता तब जवाब दिया कि सर ! पहले से बता देते लेकिन यह जनसभा का स्थान नहीं। आपने तो जितने निर्धारित लोग आने चाहिएं, उनकी गिनती का ध्यान भी नहीं रखा ! यह खबर बरसों बाद हिसार में रहते पढ़ी और मैंने इनके साहस को देखते फोन किया कि देश को ऐसे अधिकारियों की बहुत जरूरत है!

बहुत बातें हैं मेरी इस बहन कीं जो हैरान कर देती हैं! सेवानिवृत्त होने  पर खाली समय व्यतीत करने के लिए मनोविज्ञान की ऑनलाइन क्लासें ज्वाइन कर लीं और वहां कोई युवा प्राध्यापिका इन्हें बेटा, बेटा कह कर लैक्चर देती रहीं और जब वे पहले साल प्रथम आईं और इनका अखबारों में फोटो प्रकाशित हुआ तब उसे अपनी गलती का अहसास हुआ ! मेरी हर किताब इनके पास पहुंचती है और वे हर बार उलाहना देती हैं कि मैं इसकी सहयोग राशि देना चाहती हूँ और मैं जवाब देता हूँ कि इस भाई के पास बस यही उपहार है देने के लिए ! जब जालंधर जाता हूँ तब डाॅ शारदा और सरोजिनी को जैसे चाव चढ़ जाता है।

खैर ! अब जे बी गोयल को याद कर रहा हूँ जो न केवल अधिकारी रहे बल्कि पंजाबी के अच्छे व चर्चित लेखक भी हैं। ‌उनकी पत्नी डाॅ नीलम गोयल नवांशहर के बी एल एम गर्ल्स काॅलेज की प्रिंसिपल भी रहीं ! बाद में प्रमोशन होने पर श्री गोयल नवांशहर के जिला बनने पर सबसे पहले डीसी भी बने !  इन्होंने नवांशहर पर एक पुस्तक भी संकलित करवाई, जिसमें मुझसे भी दैनिक ट्रिब्यून में सम्पर्क कर आलेख प्रकाशित किया! इनका ज्यादा काम स्वामी विवेकानंद पर है जिसे पंचकूला के आधार प्रकाशन ने प्रकाशित किया है, यही नहीं विश्व प्रसिद्ध उपन्यासों का पंजाबी में अनुवाद भी किया है। ‌इन्हें अनेक सम्मान मिले हैं। ‌बेटी रश्मि को जिन‌ दिनों पी जी आई चैकअप के लिए ले जाता तो इनके यहां भी जाता और ये बातों बातों में इतना हंसाते कि हम बेटी की बीमारी भूल जाते और शायद इनका मकसद भी यही था। वे कहते हैं कि यह जो सम्मान पर अंगवस्त्र दिया जाता है और लेखक को बिना कोई सही सम्मान दिये खाली साथ आना पड़ता है, उससे मुझे बहुत अजीब सा लगता है कि यह कैसा सम्मान? चलिए आपको इनकी कविता की पंक्ति के साथ आज विदा लेता हूँ :

बहुत याद आया मुझे

अपंना पिता सरीखा गांव!

क्रमशः…. 

© श्री कमलेश भारतीय

पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आतिश का तरकश #232 – 119 – “जनाब तुम मुश्किलें पूछते क्या हो…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ☆

श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी  ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकशआज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण ग़ज़ल जनाब तुम मुश्किलें पूछते क्या हो…” ।)

? ग़ज़ल # 119 – “जनाब तुम मुश्किलें पूछते क्या हो…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ?

पता  अब  तक नहीं बदला हमारा,

यही  हम  हैं  यही मकता हमारा।

*

जनाब  तुम मुश्किलें पूछते क्या हो,

हरेक  संघर्ष  रहा  कर्बला  हमारा।

*

हमारी  क़िस्मत महरवान ना थी,

उनके  ही पास था दहला हमारा।

*

मनाया दिल को चक्कर में न आना,

इश्क़ के लिए मन था पगला हमारा। 

*

कहें अदबी  महफ़िल में अब मिसरा,

यही  आतिश  हुआ  मतला हमारा।

© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’

भोपाल, मध्य प्रदेश

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 110 ☆ गीत – ।। होआदमी मिसाल बेमिसाल गिनती किरदारों में हो ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 110 ☆

☆ गीत – ।। होआदमी मिसाल बेमिसाल गिनती किरदारों में हो ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

होआदमी मिसाल बेमिसाल गिनती किरदारों में हो।

संवेदना सरोकार की बस  विनती हजारों में हो।।

*****

न थके ही कभी पांव न हिम्मत ही कभी तुम हारो।

देखो परखो हर दौर  तुम  सफर   जारी रहे यारो।।

हमेशा ऊंची तेरी नजर आसमान के सितारों में हो।

होआदमी मिसाल बेमिसाल गिनती किरदारों में हो।।

*****

खुशी बांट कर जीओ जिंदगी खूबसूरत बन जाती है।

चाहो गर तो मदद करने की    हर सूरत बन जाती है।।

हमारी कोशिश से बन सकती दुनिया जन्नत बहारों में हो।

होआदमी मिसाल बेमिसाल गिनती किरदारों में हो।।

*****

हर जगह अपनी जगह बना लो तुम दिल में उतर कर।

हार के बाद ही जीत  मिलती है  थोड़ा तू सबर  कर।।

यूं ही  मत गमों में ही डूबा रहे तू इन मन के टूटे तारों में।

होआदमी मिसाल बेमिसाल गिनती किरदारों में हो।।

*****

मिटें सब के दिल की दूरियां और हर कहीं अनुराग हो।

हो स्नेह प्रेम की वर्षा और न ही कहीं कोई द्वेष राग हो।।

बनो हर किसीका सहारा और पहचान शुक्रगुजारों में हो।

होआदमी मिसाल बेमिसाल गिनती किरदारों में हो।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 172 ☆ ‘चारुचन्द्रिका’ से – कविता – “सफलता के लिये लक्ष्य बनाओ-कर्म करो” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित एक भावप्रवण रचना  – “सफलता के लिये लक्ष्य बनाओ-कर्म करो। हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।) 

☆ ‘चारुचन्द्रिका’ से – कविता – “सफलता के लिये लक्ष्य बनाओ-कर्म करो” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

जन्म लिया दुनिया में तो कुछ लक्ष्य बनाओ जीवन का

क्रमशः उन्नति होती जग में है विधान परिवर्तन का।

बना योजना आगे बढ़ने का मन में विश्वास रखो

कदम-कदम आगे चलने का क्रमशः सतत प्रयास करो।

 *

आँखों में आदर्श कोई रख उससे उचित प्रेरणा लो

कभी आत्मविश्वास न खोओ मन में अपने धैर्य धरो।

 *

बिना किसी शंका को लाये प्रतिदिन निश्चित कर्म करो

करे निरुत्साहित यदि कोई तो भी उससे तुम न डरो।

 *

पुरुषार्थी की राह में काँटे और अड़ंगे आते हैं

यदि तुम सीना तान खड़े तो वे खुद ही हट जाते हैं।

 *

नियमित धीरे-धीरे बढ़ने वाला सब कुछ पाता है

जो आलसी कभी भी केवल सोच नहीं पा पाता है।

 *

श्रम से ईश्वर कृपा प्राप्त होती है शुभ दिन आता है।

जब कितना भी कठिन लक्ष्य हो वह पूरा हो जाता है।

 *

पाकर के परिणाम परिश्रम का मन खुश हो जाता है

अँधियारी रातें कट जातीं नया सवेरा आता है।

 

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – पुस्तकांवर बोलू काही ☆ ☆ “मुक्तायन (कविता व रसग्रहण)” – कवी : डॉ. निशिकांत श्रोत्री – लेखिका : सौ. ज्योत्स्ना तानवडे ☆ परिचय – सुश्री सौ राधिका भांडारकर ☆ ☆

सौ राधिका भांडारकर

? पुस्तकावर बोलू काही ?

☆ “मुक्तायन (कविता व रसग्रहण)” – कवी : डॉ. निशिकांत श्रोत्री – लेखिका : सौ. ज्योत्स्ना तानवडे ☆ परिचय – सुश्री सौ राधिका भांडारकर ☆ 

पुस्तक : मुक्तायन (कविता व रसग्रहण)

कवी : डॉ. निशिकांत श्रोत्री

लेखिका : सौ. ज्योत्स्ना तानवडे

प्रकाशक : शॉपीझेन

प्रकाशन तारीख : ०४/०४/२०२४

किंमत : रु १८४. 

पृष्ठे : १२५

एक आगळे वेगळे पुस्तक नुकतेच वाचनात आले. पुस्तकाचे शीर्षक आहे मुक्तायन या पुस्तकाद्वारे कविता आणि कवितांचे केलेले रसग्रहण वाचकांना वाचायला मिळते. मुक्तायन या पुस्तकात सुप्रसिद्ध कवी डॉ. निशिकांत श्रोत्री यांच्या १५ कविता आहेत आणि या पंधराही कवितांचं, सिद्धहस्त कवयित्री ज्योत्स्ना तानवडे यांनी उत्कृष्ट पद्धतीने रसग्रहण केलेले आहे. हा एक दुग्ध शर्करा योगच आहे असे म्हणायला हरकत नाही. कारण डॉ. निशिकांत श्रोत्री यांचे काव्य आणि काव्याचा रसास्वाद घेणाऱ्या जाणकार रसिक ज्योत्स्नाताई तानवडे.

डॉ. निशिकांत श्रोत्री

पुस्तक अतिशय वाचनीय आहे. मुळात रसग्रहण हा एक व्याकरणप्रणित असा साहित्याचा अत्यंत महत्त्वाचा प्रकार आहे. तसेच कवी आणि वाचक या मधला एक दुवा आहे. रसग्रहणामुळे काव्याचे अंतरंग उलगडले जाते. शब्दा शब्दांचे अर्थ, त्यातले काव्यात्मक पदर आणि सौंदर्य स्थळे यांची उकल केली जाते त्यामुळे अर्थातच काव्य वाचताना वाचकाला एक दिशा मिळते. जे कळले नाही असे वाटते त्यापाशी तो अगदी सहजपणे जाऊन पोहोचतो. एखाद्या बंद पेटीतला अलंकार उघडून दाखवावा आणि तो पाहताच नेत्रांचे पारणे फिटावे तसेच रसग्रहणाने काव्याच्या बाबतीत जाणवते आणि मुक्तायन वाचताना नेमका हाच अनुभव येतो.

सौ. ज्योत्स्नाताई तानवडे

यातल्या १५ही  कविता मुक्तछंदातल्या आहेत आणि विशेष म्हणजे त्या अप्रकाशित आहेत. यात वेगवेगळ्या विषयांवर अतिशय मार्मिकपणे भाष्य केलेले आहे. ते कधी हळुवार असेल, कधी थेट, सडेतोड असेल, कधी उद्विग्नतेत केलेले असेल, उपहासात्मक असेल, राग, दुःख ,चीड, विद्रोहातून केलेले असेल पण प्रत्येक वेळी वाचकाच्या मनाला भिडणारेच आहे. आणि या सर्व रसमयतेची  नस ज्योत्स्नाताईंनी रसग्रहण करताना अचूक पकडली आहे. त्यामुळे कधी कधी वाचकाला प्रत्यक्षाहूनी प्रतिमा उत्कट असाही अनुभव येतो.

या संग्रहातील पहिलीच कविता…. ‘ मला माफ करशील का?’

यात कवीचं अत्यंत संवेदनशील आणि प्रामाणिक मन दिसतं

सुखदुःखाच्या सारीपटावर आणि यशापयाशाच्या हिंदोळ्यावर 

आयुष्याच्या प्रत्येक सोप्या अवघड वळणावर 

सदैव मला साथ देणाऱ्या प्रिय कविते 

पुन्हा माझे बोट धरशील का ?

कवीचं शल्यग्रस्त, गहिवरलेलं मन शब्दांतून जाणवतं आणि ज्योत्स्नाताईंच्या  रसग्रहण शैलीतून कवीच्या  मनातला संवाद वाचकाला जणूं ऐकू येतो. 

कवींच्या या ओळीवर त्या म्हणतात,” कवितेचे मन खूप मोठे आहे त्यामुळेच ती आपल्या हाकेला साद देईल याची कवीला खात्री आहे.”

मुक्तायन मधल्या प्रत्येक कवितेच्या गाभ्यापर्यंत वाचकाला पोहोचवण्याचे अत्यंत कौशल्याचे काम ज्योत्स्नाताईंनी त्यांच्या प्रवाही रसग्रहणातून सक्षमपणे  केलेले आहे. 

अब्रु ही कविता मनाला घोर चटका लावून जाते.

यात जगाला डिपार्टमेंटल स्टोअरची उपमा दिली आहे आणि यात एक अत्याचारीत  स्त्री केविलवाणे पणाने आक्रोश करत आहे. ती शेवटच्या चरणात विचारते,

“तुमच्या या स्टोर मध्ये अब्रू  विकत मिळेल का?

पाषाणालाही पाझर फुटावा असाच हा प्रश्न आणि या कवितेतलं जबरदस्त रूपक ज्योत्स्नाताईंंनी  अतिशय सुंदरपणे उलगडून दाखवले आहे.

अडगळीची खोली ही एक अशीच रूपकात्मक कविता.

सैरभैर झालेल्या मनाची अवस्था वर्णन करणारी.

आयुष्यभर साठवलेल्या मायेच्या वासनांच्या आणि दुस्वासाच्या 

षड्रिपूंच्या बंधनात कसं शोधू मी कसं शोधू

सांगेल का कोणी मला?

हा काव्यातला प्रश्न जीवनातला एक सखोल आणि गंभीर अर्थ घेऊनच अवतरतो.

अडगळीची खोली आणि मन यातले रुपकात्मक साद्धर्म्य रसग्रहणातून सुरेख मांडले आहे,

वात्सल्याने माखलेलं आईचं मन आणि तिने आपल्या बाळासाठी गायलेली अंगाई

एक तरल हळुवार अनुभव देते.

कलंदर या काव्यातल्या  स्वतःच्या मस्तीत जगणाऱ्या व्यक्तीला आयुष्याच्या शेवटी सत्य जाणवते आणि तो म्हणतो,

तोंडात ना श्रीखंड ना बासुंदी ना भेळ नुसताच चमचा चघळतोय सोन्याचा ..

या काव्यातला भोगवाद आणि सौख्य यातला विरोधाभास ज्योत्स्नाताईंनी त्यांच्या काव्यसग्रहणातून नेमकेपणाने  मांडला आहे.

अजून मी आहे, 

संधी प्रकाश 

फिनिक्स 

नजर 

गुंता 

कृतघ्न 

टाकीचे घाव 

मन कसं सुखावून गेलं अशा एकाहून एक वेगवेगळ्या वळणांच्या, भावनांच्या, विषयांच्या अप्रतिम काव्यरचना! अगदी राजकपूरसारख्या अभिनेत्यावरही केलेलं सुरेख काव्य मुक्तायन मध्ये वाचायला मिळतं.

संसाराच्या रंगपटावर ही शेवटची कविता.

ही कविता वाचताना मला, जग ही एक रंगभूमी असे म्हणणाऱ्या शेक्सपियरचीच आठवण झाली. या कवितेतले अध्यात्मिक तत्व, भाव कवीने अगदी सहजपणे आणि परिणामकारक शब्दातून जाणवून दिला आहे.

कशास आलो काय कराया

देहामध्ये विसरून जाई

संवादाची ओळख नाही 

किती काळचा नवा प्रवेश 

संसाराच्या रंगपटावर

घेऊन येई नाना वेश 

या संपूर्ण काव्यातलं मर्म ज्योत्स्नाताईंनी अत्यंत समर्थपणे  उलगडलेलं आहे. काव्य आणि रसग्रहण दोन्ही अप्रतिम. तोलामोलाच.

मुक्तायन या रसग्रहणात्मक काव्यसंग्रहाचे वाचन करताना एक लक्षात येते की यातून फक्त काव्याचा आनंद मिळतो असे नाही तर काव्याच्या आत्म्यापर्यंत वाचक खेचला जातो. प्रत्येक काव्यातली रूपके, अलंकार, प्रास विषय, विचार!काव्यकारणे याचाही एक शास्त्रशुद्ध अभ्यास केला जातो,  नुसतच वाचलं, काही काळ रेंगाळलं आणि विरून गेलं असं न होता रसग्रहणामुळे काव्य, मनात एक पक्की आकृती बांधून ठेवतं. ज्यातून ज्ञानार्जनाचा आनंद मिळतो आणि तो दीर्घकाळ राहतो.

असे रसग्रहणात्मक काव्यसंग्रह अधिकाधिक प्रमाणात प्रसिद्ध व्हावेत.ज्यायोगे काव्यप्रेमींचा शास्त्रशुद्ध काव्याभास होऊ शकतो. या कारणासाठी मी मुक्तायनचे प्रकाशक शॉपीझेन यांचे मन:पूर्वक अभिनंदन करते. आभारही मानते.

डॉ. निशिकांत श्रोत्री आणि सौ ज्योत्स्ना तानवडे यांनी संयुक्तरित्या केलेल्या या महान, स्तुत्य उपक्रमाला माझा मनापासून मानाचा मुजरा !

मुक्तायन वाचल्यानंतर वाचक नक्कीच त्यांच्या ऋणातच राहतील.

या पुस्तकाचे मुखपृष्ठ ही खूप बोलके आहे. आकड्यांची सरस्वती, वर्णमालेतील विखुरलेली अक्षरे आणि प्राजक्त फुलांचा सडा…. सरस्वती ही विद्येची देवता. तिच्या आशीर्वादाने गुंफता आलेली ही अनमोल सुगंधी शब्द फुले !  सारेच कसे छान आणि छानच…

© सौ. राधिका भांडारकर

ई ८०५ रोहन तरंग, वाकड पुणे ४११०५७ मो. ९४२१५२३६६९ [email protected]

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य #227 ☆ रिश्ते बनाम संवेदनाएं… ☆ डॉ. मुक्ता ☆

डॉ. मुक्ता

(डा. मुक्ता जी हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक एवं माननीय राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित/पुरस्कृत हैं।  साप्ताहिक स्तम्भ  “डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य” के माध्यम से  हम  आपको प्रत्येक शुक्रवार डॉ मुक्ता जी की उत्कृष्ट रचनाओं से रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। आज प्रस्तुत है डॉ मुक्ता जी का  मानवीय जीवन पर आधारित एक विचारणीय आलेख रिश्ते बनाम संवेदनाएं। यह डॉ मुक्ता जी के जीवन के प्रति गंभीर चिंतन का दस्तावेज है। डॉ मुक्ता जी की  लेखनी को  इस गंभीर चिंतन से परिपूर्ण आलेख के लिए सादर नमन। कृपया इसे गंभीरता से आत्मसात करें।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य  # 227 ☆

☆ रिश्ते बनाम संवेदनाएं… ☆

सांसों की नमी ज़रूरी है, हर रिश्ते में/ रेत भी सूखी हो/ तो हाथों से फिसल जाती है। प्यार व सम्मान दो ऐसे तोहफ़े हैं; अगर देने लग जाओ/ तो बेज़ुबान भी झुक जाते हैं–जैसे जीने के लिए एहसासों की ज़रूरत है; संवेदनाओं की दरक़ार है। वे जीवन का आधार हैं, जो पारस्परिक प्रेम को बढ़ाती हैं; एक-दूसरे के क़रीब लाती हैं और उसका मूलाधार हैं एहसास। स्वयं को उसी सांचे में ढालकर दूसरे के सुख-दु:ख को अनुभव करना ही साधारणीकरण कहलाता है। जब आप दूसरों के भावों की उसी रूप में अनुभूति करते हैं; दु:ख में आंसू बहाते हैं तो वह विरेचन कहलाता है। सो! जब तक एहसास ज़िंदा हैं, तब तक आप भी ज़िंदा मनुष्य हैं और उनके मरने के पश्चात् आप भी निर्जीव वस्तु की भांति हो जाते हैं।

सो! रिश्तों में एहसासों की नमी ज़रूरी है, वरना रिश्ते सूखी रेत की भांति मुट्ठी से दरक़ जाते हैं। उन्हें ज़िंदा रखने के लिए आवश्यक है– सबके प्रति प्रेम की भावना रखना; उन्हें सम्मान देना व उनके अस्तित्व को स्वीकारना…यह प्रेम की अनिवार्य शर्त है। दूसरे शब्दों में जब आप अहं का त्याग कर देते हैं, तभी आप प्रतिपक्ष को सम्मान देने में समर्थ होते हैं। प्रेम के सम्मुख तो बेज़ुबान भी झुक जाते हैं। रिश्ते-नाते विश्वास पर क़ायम रह सकते हैं, अन्यथा वे पल-भर में दरक़ जाते हैं। विश्वास का अर्थ है, संशय, शंका, संदेह व अविश्वास से ही हृदय में इन भावों का पदार्पण होता है और संबंध तत्क्षण दरक़ जाते हैं, क्योंकि वे बहुत नाज़ुक होते हैं। ज़िंदगी की तपिश को सहन कीजिए, क्योंकि वे पौधे मुरझा जाते हैं, जिनकी परवरिश छाया में होती है। भरोसा जहां ज़िंदगी की सबसे महंगी शर्त है, वहीं त्याग व समर्पण का मूल आधार है। जब हमारे अंतर्मन से प्रतिदान का भाव लुप्त हो जाता है; संबंध प्रगाढ़ हो जाते हैं। इसलिए जीवन में देना सीखें। यदि कोई आपका दिल दु:खाता है, तो बुरा मत मानिए, क्योंकि प्रकृति का नियम है कि लोग उसी पेड़ पर पत्थर मारते हैं, जिस पर मीठे फल लगते हैं। सो! रिश्ते इसलिए नहीं सुलझ पाते, क्योंकि लोग ग़ैरों की बातों में आकर अपनों से उलझ जाते हैं। इसलिए अपनों से कभी मत ग़िला-शिक़वा मत कीजिए।

‘जिसे आप भुला नहीं सकते, क्षमा कर दीजिए तथा जिसे आप क्षमा नहीं कर सकते, भूल जाइए।’ हर पल, हर दिन प्रसन्न रहें और जीवन से प्यार करें; यह जीवन में शांत रहने के दो मार्ग हैं। जैन धर्म में भी क्षमापर्व मनाया जाता है। क्षमा मानव की अद्भुत व अनमोल निधि है। क्रोध करने से सबसे अधिक हानि क्रोध करने वाले की होती है, क्योंकि दूसरा पक्ष इस तथ्य से बेखबर होता है। रहीम जी ने भी ‘क्षमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात’ के माध्यम से यह संदेश दिया है। संवाद संबंधों की जीवन-रेखा है। इसे कभी मुरझाने मत दें। इसलिए कहा जाता है कि वॉकिंग डिस्टेंस भले रखें, टॉकिंग डिस्टेंस कभी मत रखें। स्नेह का धागा व संवाद की सूई उधड़ते रिश्तों की तुरपाई कर देते हैं। सो! संवाद बनाए रखें, अन्यथा आप आत्मकेंद्रित होकर रह जाएंगे। सब अपने-अपने द्वीप में कैद होकर रह जाएंगे… एक-दूसरे के सुख-दु:ख से बेखबर। ‘सोचा ना था, ज़िंदगी में ऐसे फ़साने होंगे/ रोना भी ज़रूरी होगा, आंसू भी छुपाने होंगे’ अर्थात् अजनबीपन का एहसास जीवन में इस क़दर रच-बस जाएगा और उस व्यूह से चाहकर भी उससे मुक्त नहीं हो पाएगा।

आज का युग कलयुग नहीं, मतलबी युग है। जब तक आप दूसरे के मन की करते हैं, तो अच्छे हैं। एक बार यदि आपने अपने मन की कर ली, तो सभी अच्छाइयां बुराइयों में तबदील हो जाती हैं। इसलिए विचारों की खूबसूरती जहां से मिले, चुरा लें, क्योंकि चेहरे की खूबसूरती तो समय के साथ बदल जाती है; मगर विचारों की खूबसूरती दिलों में हमेशा अमर रहती है। ज़िंदगी आईने की तरह है, वह तभी मुस्कराएगी, जब आप

मुस्कराएंगे। सो! रिश्ते बनाए रखने में सबसे अधिक तक़लीफ यूं आती है कि हम आधा सुनते हैं; चौथाई समझते हैं; बीच-बीच में बोलते रहते हैं और बिना सोचे-समझे प्रतिक्रिया व्यक्त कर देते हैं। सो! उससे रिश्ते आहत होते हैं। यदि आप रिश्तों को लंबे समय तक बनाए रखना चाहते हैं, तो जो जैसा है, उसे उसी रूप में स्वीकार लें, क्योंकि अपेक्षा और इच्छा सब दु:खों की जननी है और वे दोनों स्थितियां ही भयावह होती हैं। मानव को इनके चंगुल से बचकर रहना चाहिए। हमें आत्मविश्वास रूपी धरोहर को संजोकर रखना चाहिए और साहस व धैर्य का दामन थामे आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। जहां कोशिशों का क़द बड़ा होता है; उनके सामने नसीबों को भी झुकना पड़ता है। ‘है अंधेरी रात, पर दीपक जलाना कब मना है।’ आप निरंतर कर्मरत रहिए, आपको सफलता अवश्य प्राप्त होगी। रिश्तों को बचाने के लिए एहसासों को ज़िंदा रखिए, ताकि आपका मान-सम्मान बना रहे और आप स्व-पर व राग-द्वेष से सदा ऊपर उठ सकें। संवेदना ऐसा शस्त्र है, जिससे आप दूसरों के हृदय पर विजय प्राप्त कर सकते हैं और उसके घर के सामने नहीं; उसके घर में जगह बना सकते हैं। संवेदना के रहने पर संबंध शाश्वत बने रह सकते हैं। रिश्ते तोड़ने नहीं चाहिए। परंतु जहां सम्मान न हो; जोड़ने भी नहीं चाहिएं। आज के रिश्तों की परिभाषा यह है कि ‘पहाड़ियों की तरह ख़ामोश हैं/ आज के संबंध व रिश्ते/ जब तक हम न पुकारें/ उधर से आवाज़ ही नहीं आती।’ सचमुच यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।

© डा. मुक्ता

माननीय राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत, पूर्व निदेशक, हरियाणा साहित्य अकादमी

23 फरवरी 2024**

संपर्क – #239,सेक्टर-45, गुरुग्राम-122003 ईमेल: drmukta51@gmail.com, मो• न•…8588801878

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ रचना संसार # 2 – मर्यादा पुरुषोतम ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’ ☆

सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर पर्सन हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम रचना – मर्यादा पुरुषोतम

? रचना संसार # 2 – मर्यादा पुरुषोतम ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’ ? ?

सत्कर्मों के हैं ज्ञान -पुंज,

रघुकुल दीपक श्रीराम नमन।

शरणागत आते सुखसागर,

करते हैं आठों याम नमन।।

घट-घट वासी पालनकर्त्ता,

हनुमत साधक अंतर्यामी।

अवगुणहर्ता जीवनदाता,

मर्यादा पुरुषोत्तम स्वामी।।

हे ज्ञानवान हे शक्तिमान,

रघुकुल-भूषण सुखधाम नमन।

कौशल किशोर करुणा-निधान,

जगतारक मानस बलिहारी।

हो शोक नियंता जग रक्षक,

सीतापति राघव शुभकारी।।

अखिलेश्वर अभिनंदन करते,

हे भव्य -दिव्य हरि नाम नमन।

 *

तारी ऋषि गौतम की नारी,

वैभवदायी महिमा न्यारी।

अभिमानी रावण संहारा,

हैं शौर्यवान प्रभु धनुधारी।।

त्रेता युग में हैं अवतारे,

जपता मन है अविराम नमन।

 *

मानवता का पोषण करते,

हरते हैं जन -जन की पीरा।

जय धर्म परायण युग गौरव,

अतुलित बलशाली रघुवीरा।।

मुनिजन संतन के हितकारी,

उर बसती छवि अभिराम नमन।

 

© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)

संपर्क –1308 कृष्णा हाइट्स, ग्वारीघाट रोड़, जबलपुर (म:प्र:) पिन – 482008 मो नं – 9424669722, वाट्सएप – 7974160268

ई मेल नं- [email protected], [email protected]

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकश पाण्डेय ≈

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