श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 110 ☆

☆ गीत – ।। होआदमी मिसाल बेमिसाल गिनती किरदारों में हो ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

होआदमी मिसाल बेमिसाल गिनती किरदारों में हो।

संवेदना सरोकार की बस  विनती हजारों में हो।।

*****

न थके ही कभी पांव न हिम्मत ही कभी तुम हारो।

देखो परखो हर दौर  तुम  सफर   जारी रहे यारो।।

हमेशा ऊंची तेरी नजर आसमान के सितारों में हो।

होआदमी मिसाल बेमिसाल गिनती किरदारों में हो।।

*****

खुशी बांट कर जीओ जिंदगी खूबसूरत बन जाती है।

चाहो गर तो मदद करने की    हर सूरत बन जाती है।।

हमारी कोशिश से बन सकती दुनिया जन्नत बहारों में हो।

होआदमी मिसाल बेमिसाल गिनती किरदारों में हो।।

*****

हर जगह अपनी जगह बना लो तुम दिल में उतर कर।

हार के बाद ही जीत  मिलती है  थोड़ा तू सबर  कर।।

यूं ही  मत गमों में ही डूबा रहे तू इन मन के टूटे तारों में।

होआदमी मिसाल बेमिसाल गिनती किरदारों में हो।।

*****

मिटें सब के दिल की दूरियां और हर कहीं अनुराग हो।

हो स्नेह प्रेम की वर्षा और न ही कहीं कोई द्वेष राग हो।।

बनो हर किसीका सहारा और पहचान शुक्रगुजारों में हो।

होआदमी मिसाल बेमिसाल गिनती किरदारों में हो।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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