Anonymous Litterateur of Social Media# 138 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 138)
Captain Pravin Raghuvanshi—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. He was involved in various Artificial Intelligence and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’.
Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc. Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi. He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper. The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.
In his naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Award and C-in-C Commendation.
Captain Pravin Raghuvanshi is also an IIM Ahmedabad alumnus.His latest quest involves social media, which is filled with rich anonymous literature of nameless writers, shared on different platforms, like, WhatsApp / Facebook / Twitter / Your quotes / Instagram etc. in Hindi and Urdu, he has taken the mantle of translating them as a mission for the enjoyment of the global readers. Enjoy some of the Urdu poetry couplets as translated by him.
हम ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए आदरणीय कैप्टेन प्रवीण रघुवंशी जी के “कविता पाठ” का लिंक साझा कर रहे हैं। कृपया आत्मसात करें।
(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के लेखक श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको पाठकों का आशातीत प्रतिसाद मिला है।”
हम प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों के माध्यम से हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)
☆ संजय उवाच # 189☆ परिदृश्य
न त्वेवाहं जातु नासं न त्वं नेमे जनाधिपाः।
न चैव न भविष्यामः सर्वे वयमतः परम्।।
अर्थात ‘न ऐसा ही है कि मैं किसी काल में नहीं था या तू नहीं था अथवा ये सारे राजा नहीं थे और न ऐसा ही है कि इससे आगे हम सब नहीं रहेंगे।’
श्रीमद्भगवद्गीता के दूसरे अध्याय के द्वादशवें श्लोक के माध्यम से आया यह योगेश्वर उवाच मनुष्य जीवन के शोध और सरल बोध का पाथेय है।
मनुष्य जीवन यद्यपि सहजता और सरलता का चित्र है पर मनुष्य विचित्र है। वह सरल को जटिल बनाने पर तुला है। इस सत्य के अवलोकन के लिए किसी प्रकार के प्रज्ञाचक्षु की आवश्यकता नहीं है। जीवन का अपना अनुभव पर्याप्त है। केवल अपने अनुभव को पढ़ा जाय, अपने अनुभव को गुना जाय तो प्रकृति की सरलता में विद्यमान गूढ़ रहस्य सहज ही सुलझने होने लगते हैं।
एक उदाहरण मृत्यु का लें। मृत्यु अर्थात देह से चेतन तत्व का विलुप्त होना। कभी ग़ौर किया कि किसी एक पार्थिव के विलुप्त होने पर एक अथवा एकाधिक निकटवर्ती मानो उसका ही प्रतिबिम्ब बन जाता है। कई बार अलग-अलग परिजनों में दिवंगत के स्वभाव, शैली, व्यक्तित्व का अंश दिखने लगता है।
“इसका चेहरा दिवंगत जैसा दिखता है। वह दिवंगत की तरह बातें करता है, हँसता है, नाराज़ होता है। उसकी लिखाई दिवंगत जैसी है, वह उठता-बैठता स्वर्गीय जैसा है।” ऐसा नहीं है कि ये बातें केवल मनुष्य तक सीमित हैं। देखें तो पक्षियों और प्राणियों पर, चर और अचर पर भी लागू है यह सूत्र।
विज्ञान इसे डीएनए का प्रभाव जानता है, अध्यात्म इसे अमरता का सिद्धांत मानता है।
सत्य यही है कि जानेवाला कहीं नहीं जाता पर किसी एक या अनेक में बँटकर यहीं विद्यमान रहता है। विचार करने पर पाओगे कि विधाता ने तुम्हें सूक्ष्म की अमरता दी है पर तुम स्थूल की नश्वरता तक सीमित रह जाते हो। अपनी रचना ‘सुदर्शन’ में इस अमरता को अभिव्यक्त करने का प्रयास किया था,
जब नहीं रहूँगा मैं
और बची रहेगी सिर्फ़ देह,
उसने सोचा….,
सदा बचा रहूँगा मैं
और कभी-कभार नहीं रहेगी देह,
उसने दोबारा सोचा…,
पहले से दूसरे विचार तक
पड़ाव पहुँचा,
उसका जीवन बदल गया…,
दर्शन क्या बदला,
जो नश्वर था कल तक,
आज ईश्वर हो गया..!
स्मरण रहे, जब कोई एक होता अदृश्य है तो दूसरा हो जाता उसके सदृश्य है। हर ओर यही दृश्य है, जगत का यही परिदृश्य है।…इति।
अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆संपादक– हम लोग ☆पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
इस साधना में हनुमान चालीसा एवं संकटमोचन हनुमनाष्टक का कम से एक पाठ अवश्य करें। आत्म-परिष्कार एवं ध्यानसाधना तो साथ चलेंगे ही
💥 आपदां अपहर्तारं साधना श्रीरामनवमी अर्थात 30 मार्च को संपन्न हुई। अगली साधना की जानकारी शीघ्र सूचित की जावेगी।💥
अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं।
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “एक चतुर नार”।)
अभी अभी ⇒ एक चतुर नार… श्री प्रदीप शर्मा
पुरुष के कई प्रकार हो सकते हैं लेकिन नारी के मेरी दृष्टि में केवल दो प्रकार ही होते हैं। एक सीधी सादी महिला और एक समझदार महिला। जो समझदार होता है, उसे चतुर कहते हैं। चतुर होना और सीधा होना, दोनों मानवीय गुण हैं।
सन् 1968 में एक हास्य प्रधान फिल्म आई थी, पड़ोसन जिसकी नायिका एक चतुर नार थी और नायक एक भोला भाला इंसान।
वो लड़की बिंदु थी, और वो लड़का भोला था और एक संगीत मास्टर बिंदु को संगीत सिखाने आते थे, लेकिन सिखाते कुछ और ही थे। ।
बिंदु नायिका का नाम था। बिंदु की मां को बिंदु की शादी की बड़ी चिंता रहती थी, जब कि बिंदु के पिताजी का कहना था, जब जब जो जो होना होता है, तब तब सो सो होता है, बिंदु की मां।
इसी फिल्म का एक लोकप्रिय गीत था, एक चतुर नार बड़ी होशियार ! क्या नारी ही चतुर होती है, पुरुष नहीं होता ? शास्त्रों में चतुर शब्द का अर्थ बुद्धिमान और प्रज्ञा वान भी बताया गया है। गीतकार प्रदीप फिर भी कह गए हैं, कोई लाख करे चतुराई, करम का लेख मिटे ना रे मेरे भाई। ।
आप मानें या ना मानें, पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक चतुर और समझदार होती हैं। वे घर की मालकिन भी हैं और अन्नपूर्णा भी। उनसे ही घर घर कहलाया। बहुत कम घर ऐसे होंगे जहां चूड़ियों की खनक ना हो, फिर भी रौनक हो। घर के बर्तनों की आवाज़ में जब किसी किसी समझदार महिला की आवाज़ शामिल होती है, तब ही मेहमान समझ जाता है, बस अब चाय और नाश्ते की ट्रे आई ही आई।
अगर औरत चतुर ना हो, तो पुरुष घर का तो कबाड़ा ही कर डाले। पाई पाई कैसे बचाई जाती है, काम वाली बाई से कैसे काम लिया जाता है, सब्जी वाले से कितना मोल भाव किया जाता है, यह सब पुरुषों का विभाग है ही नहीं। सुनो, पेपर वाला आया है, उसका हिसाब कर दो। और पेपर वाला भी समझ जाता है, घर के कैलेंडर में दूध वाले के साथ उसका भी हिसाब होना है। मजाल है एक भी नागा छूट जाए। ।
हमारे बोलचाल की भाषा में ऐसे गुणी लोगों को चतरा और चतरी कहते हैं। जिस घर में पुरुष सीधा है वहां महिला का तेज तर्रार होना बहुत ज़रूरी है। क्या बात है, आज बाई साब नहीं हैं, मायके गई हैं, अच्छा इसीलिए शांति है। और पुरुष घर में हो, ना हो, क्या फर्क पड़ता है। होगा कहीं किताबों, अथवा टीवी न्यूज के बीच।
जो पुरुष चतरे होते हैं उन्हें सयाना नहीं श्याणा कहते हैं। अधिक शंकालु एवं कंजूस किस्म के लोग होते हैं ये। फिर भी समय हमें सावधान तो करता ही रहता है। आज जब कोरोना का प्रकोप जारी है, सावधानी और चतुराई में ही समझदारी है। व्यवहार में और अधिक संयत और सतर्क रहना जरूरी है। ।
आज मानवीय रिश्ते दांव पर लगे हुए हैं। भलमनसाहत और सीधा पन अभिशाप बन चुका है। केवल अपना हित साधना ही समय की मांग है। किसी को गले लगाना, पास बिठाना, सुख दुख की बात करना, मानो एक सपना था। अब टूट गया है। टूट गई है माला, मोती बिखर गए। दो दिन रहकर साथ, जाने किधर गए।
इतनी भयानक त्रासदी के बीच भी लोगों का राग द्वेष कम नहीं हो रहा। स्वार्थ और लालच बढ़ता ही जा रहा है। क्या इंसान वाकई ज़्यादा चतुर हो गया है। इसे केवल समय की दोहरी मार ही कहा जा सकता है। ।
हम चतरे भले ही नहीं, लेकिन आज मजबूर हैं, असहाय हैं, दिल टूटा है फिर भी, मत कहिए किसी को ;
पास बैठो, तबियत बहल जाएगी
मौत भी आ गई हो, तो टल जाएगी।
कुछ इस तरह की चतुराई ईश्वर ना करे, शायद हमें भी दिखानी पड़े ;
(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी द्वारा रचित “दोहा सलिला”।)
–‘आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र’ – लघुकथा प्रतियोगिता वर्ष – 2023 के परिणाम घोषित –
आयोजिका – डॉ. ऋचा शर्मा
1. प्रथम पुरस्कार – पुष्पा कुमारी ‘पुष्प’ – सन्नाटा’
2. द्वितीय पुरस्कार –शर्मिला चौहान – ‘बदलता जायका’
3. तृतीय पुरस्कार – (1) मधु जैन – ‘अनपढ़’ (2) अवंती श्रीवास्तव – विश्वास’
प्रोत्साहन पुरस्कार –
1. महावीर राजी – ‘स्त्रियां कभी बीमार नहीं पड़ती’
2. रामकरन – ‘डर’
3. यशोधरा यादव ‘यशो’ – ‘जीवन का उद्देश्य’
4. नवसंगीत सिंह – ‘हर घर तिरंगा’
पुरस्कार –
प्रथम पुरस्कार – ₹2100
द्वितीय पुरस्कार – ₹1100
तृतीय पुरस्कार – (2) ₹ 750
प्रोत्साहन पुरस्कार (4)- ₹500
इस प्रतियोगिता के परिणाम घोषित करते हुए हमें अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है। पूरे देश से लघुकथाकारों ने बहुत उत्साह से अपनी लघुकथाएं हमें भेजी | हम आपका हार्दिक अभिनंदन करते हैं । ‘आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र लघुकथा सम्मान समिति’ की ओर से लघुकथाकारों तथा परीक्षकों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं |
परीक्षक –
1. श्री रामेश्वर कांबोज “हिमांशु ‘
2. श्री सुकेश साहनी
आयोजिका – डॉ. ऋचा शर्मा
प्रोफेसर एवं अध्यक्ष – हिंदी विभाग, अहमदनगर कॉलेज, अहमदनगर. – 414001, e-mail – [email protected]मोबाईल – 09370288414.
संयोजक – लघुकथा शोध केंद्र ,अहमदनगर तथा हिंदी सृजन सभा, अहमदनगर
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)
☆ पुस्तक मेलों की बढ़ती लोकप्रियता ☆
पुस्तक मेला पहले दिल्ली में ही वर्ष में एकबार लगता था लेकिन अब पुस्तक मेलों की आवश्यकता और महत्त्व बढ़ता जा रहा है , खासतौर पर डिजीटल युग यदि हमें छपी हुई पुस्तक बचानी है । अब सिर्फ दिल्ली ही नहीं अनेक शहरों में पुस्तक मेले लगने लगे हैं । दिल्ली के इस बार के पुस्तक मेले पर लम्बी लम्बी कतारों ने छपी हुई पुस्तकों के प्रति पाठकों के प्यार को प्रदर्शित कर दिया था ।एनबीटी के अलावा भी अनेक संस्थायें और विश्वविद्यालय पुस्तक मेले आयोजित कर रहे हैं । फिलहाल गर्मी की मार से हटकर, बचकर हिमाचल की राजधानी शिमला में जून माह में पुस्तक मेला आयोजित किये जाने की खबर है जिसे हिमालय मंच सहयोग देगा । अभी चंडीगढ़ में राजकमल प्रकाशन ने भी पुस्तक मेला आयोजित किया था।
साथी पहली बार’ कृति का विमोचन : हरियाणा के चर्चित रचनाकार बी मदन मोहन की नयी कृति ‘साथी पहली बार’ का विमोचन यमुनानगर के मुकुंद लाल नेशनल काॅलेज में हुआ । पुस्तक में मानव जीवन के अनेक भाव व्यक्त करतीं रचनायें हैं । वरिष्ठ साहित्यकार के के ऋषि मुख्यातिथि रहे जबकि कथाकार डाॅ अशोक भाटिया विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे । अनेक साहित्यकारों ने भी विमोचन समारोह में अपनी उपस्थिति से इसकी गरिमा बढ़ाई । बी मदन मोहन को नयी कृति के प्रकाशन पर बधाई।
प्रयागराज में लोई चले कबीरा पर चर्चा : प्रयागराज की संस्था कहकशां फाउंडेशन की ओर से प्रताप सोमवंशी के नाटक लोई चले कबीरा पर विचार चर्चा आयोजित की गयी । जलज श्रीवास्तव ने कबीर के भजनों का गायन कर मंत्रमुग्ध कर दिया । एहतराम इस्लाम ने अध्यक्षता की और संचालन व आयोजन संस्थापक आनंद कक्कड़ ने किया । अनेक रचनाकार मौजूद रहे ।
प्रवासी लेखन पर चर्चा : प्रवासी लेखन पर पिछले सप्ताह आज समाज के इस स्तम्भ में जो चर्चा की गयी थी जिसे देश ही नहीं विदेश में भी गंभीर रूप से चर्चा हुई । कोशिश रही कि सबके बारे में बात की जाये और कई भी । फिर भी कुछ नाम रह गये । निर्मल जायसवाल ने कनाडा से फोन कर अपनी साहित्यिक यात्रा की जानकारी दी । विदेश में ही बसीं हंसा दीप और उनके पति धर्म महेंद्र जैन भी खूब काम कर रहे हैं । अभी हमने पंजाबी प्रवासी लेखन पर बात नहीं की है क्योंकि इनकी सूची बहुत लम्बे है । ये लेखक भी अपनी मातृभाषा पंजाबी को विदेशों में पहुंचाने में भरपूर योगदान दे रहे हैं ।
साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी
(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ?
☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (8 मई से 14 मई 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆
हम सभी जानते हैं हनुमान चालीसा की एक-एक चौपाई और दोहे साधारण कविता ना होकर मंत्र है । आज की चौपाई है:-
जम कुबेर दिगपाल जहां ते,
कबि कोबिद कहि सके कहां ते ।।
हनुमान चालीसा की इस चौपाई के बार बार मन क्रम वचन से एकाग्र होकर पाठ करने से यश कीर्ति की वृद्धि होती है, मान सम्मान बढ़ता है ।
मैं पंडित अनिल पाण्डेय आज आपको 8 मई से 14 मई 2023 तक अर्थात विक्रम संवत 2080 शक संवत 1945 के जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया से जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के लिए आपके सामने उपस्थित हूं । आप सभी को मेरा नमस्कार ।
इस सप्ताह में प्रारंभ में चंद्रमा वृश्चिक राशि में रहेगा । 8 तारीख को ही 8:20 रात से धनु राशि में प्रवेश करेगा । उसके उपरांत 10 तारीख को 11:24 रात से मकर राशि में और 12 तारीख को 1:45 रात से कुंभ राशि में गोचर करेगा । इस सप्ताह सूर्य और मंगल ग्रहों की राशि में परिवर्तन होगा । सूर्य प्रारंभ में मेष राशि में रहेगा तथा 15 तारीख के 3:26 दिन से वृष राशि में प्रवेश करेगा ।मंगल प्रारंभ में मिथुन राशि में रहेगा तथा 10 तारीख के 11:57 से कर्क राशि में जाएगा । पूरे सप्ताह बुध मेष राशि में वक्री रहेगा , गुरु मेष राशि में रहेगा , शनि कुंभ राशि में , शुक्र मिथुन राशि में और राहु मेष राशि में वक्री रहेगा ।
आइए अब हम राशि वार राशिफल की चर्चा करते हैं ।
मेष राशि
आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य यथास्थिति रहेगा । मानसिक तनाव अगर है तो उसके समाप्त होने का समय नजदीक आ रहा है ।भाई बहनों के साथ संबंध सुधरेंगे । माताजी का स्वास्थ्य थोड़ा खराब हो सकता है । भाग्य इस सप्ताह आपका कम साथ देगा परंतु अगर आप परिश्रम करेंगे तो आप सफल रहेंगे । इस सप्ताह आपके लिए 11 और 12 मई उपयुक्त है । 8 मई को आपको सावधान रहना चाहिए । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह मंगलवार का व्रत करें । मंगलवार को ही हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम 3 बार हनुमान चालीसा का जाप करें । सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।
वृष राशि
आपका लग्नेश वर्तमान में मित्र राशि में होकर धन भाव में बैठा हुआ है । इसके कारण आपको धन लाभ हो सकता है । कचहरी के मामले में विवाद की स्थिति बन सकती है। मानसिक तनाव बढ़ सकता है । भाई बहनों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं । भाग्य से आपको मदद नहीं मिल पाएगी । आपको कुछ भी प्राप्त करने के लिए पर्याप्त परिश्रम करना पड़ेगा । आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा । इस सप्ताह आपके लिए 13 और 14 तारीख अच्छी हैं । 9 और 10 को आपको सावधान रहना चाहिए । 8 तारीख को आपके जीवनसाथी को कष्ट हो सकता है । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के अविवाहित जातकों के लिए यह सप्ताह काफी अच्छा रहेगा । विवाह के अच्छे प्रस्ताव आ सकते हैं । प्रेम संबंधों में भी वृद्धि होगी । धन आने के नए-नए रास्ते बनेंगे परंतु धन आ नहीं पाएगा । भाई बहनों के साथ संबंधों में तनाव हो सकता है । इस सप्ताह आपके लिए 9 और 10 मई उत्तम और लाभप्रद है । 8 मई को आपको शत्रु पर विजय प्राप्त हो सकती है । 11 और 12 मई को आपको सावधान रहना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप राहु की शांति का उपाय करवाएं । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।
कर्क राशि
यह सप्ताह आपके जीवनसाथी के लिए ठीक रहेगा । पारिवारिक संबंध में थोड़ा दुरावा सकता है । अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो आपको थोड़ी परेशानी हो सकती है । परंतु अब कार्यालय की परेशानियों को दूर होने का समय निकट आ रहा है । कचहरी के कार्यों में आपको मदद मिलेगी । अगर आप के ऊपर कोई कर्जा है तो उसको भी उतारने का समय आ गया है । इस सप्ताह आपके लिए 11 और 12 मई उत्तम है । सप्ताह के बाकी दिन आपको सावधान रहना चाहिए । 8 मई को आपके संतान को प्रतिष्ठा मिल सकती है या आपको अपनी संतान से उत्तम सहयोग प्राप्त हो सकता है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं । सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।
सिंह राशि
आप इस सप्ताह थोड़े से प्रयास में अपने शत्रुओं को खत्म कर सकते हैं । कचहरी के कार्यों में अभी उलझने का समय नहीं है । धन आने का ठीक-ठाक योग है । इस सप्ताह भाग्य कभी आपकी मदद करेगा और कभी नहीं करेगा ।इसलिए भाग्य के स्थान पर अपने परिश्रम पर विश्वास करें । इस सप्ताह आपके लिए कार्यों को करने के लिए 13 और 14 मई उपयुक्त हैं । 13 और 14 मई को आप अधिकांश कार्यों में सफल रहेंगे । 11 और 12 मई को आपको सावधान रहना चाहिए । 8 मई को आपके माताजी को थोड़ी बहुत परेशानी हो सकती है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप घर की बनी पहली रोटी गौ माता को खिलाएं । सप्ताह का शुभ दिन रविवार है ।
कन्या राशि
8 मई को आपके सुख में वृद्धि होगी । आपके माताजी का आपको अच्छा आशीर्वाद मिलेगा । आपका अपने भाइयों के साथ इस सप्ताह तनाव हो सकता है । कार्यालय में आपकी स्थिति मजबूत होगी ।भाग्य आपका साथ देगा । दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें । आपके कमर या गर्दन में दर्द हो सकता है । इस सप्ताह आपके लिए 9 और 10 मई उत्तम और लाभप्रद है । 9 और 10 मई को धन आने की उम्मीद भी है । इस सप्ताह 13 और 14 मई को आपको सावधान रहना चाहिए । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह गाय को हरा चारा खिलाएं । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।
तुला राशि
इस सप्ताह आपको अपने भाग्य से काफी मदद मिलेगी । भाइयों के साथ संबंध ठीक हो सकते हैं । संतान से संबंध ठीक रहेंगे । जीवनसाथी को मानसिक क्लेश हो सकता है । धन प्राप्ति के अवसर बढ़ेंगे । इस सप्ताह आपके लिए 11 और 12 मई उत्तम है । 11 और भाई 12 मई को आपको शासन से लाभ मिल सकता है । सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान सूर्य को प्रातः काल स्नान के उपरांत जल अर्पण करें । सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।
वृश्चिक राशि
इस सप्ताह आपके सुख में वृद्धि हो सकती है । सुख वृद्धि हेतु धन भी व्यय होगा । धन खर्च करते समय थोड़ा सावधान रहें । इस सप्ताह आपको कई प्रकार के रोग हो सकते हैं । जिससे मानसिक तनाव अधिक रहेगा । 8 मई को आपको मानसिक तनाव कुछ ज्यादा हो सकता है । संतान से आपको पर्याप्त सहयोग प्राप्त होगा । 13 और 14 मई को आपको लाभ प्राप्त होगा । 8 मई को आपको सावधान रहना चाहिए । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें । सप्ताह का शुभ दिन रविवार है ।
धनु राशि
आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा । अगर आप अविवाहित हैं तो विवाह संयोग बनेंगें । आपका अपने जीवन साथी के साथ उत्तम संबंध रहेगा । प्रेम संबंधों में वृद्धि होगी ।आपके संतान को कष्ट हो सकता है । उनको मानसिक तनाव हो सकता है । दुर्घटनाओं के प्रति आपको सतर्क रहना चाहिए । इस सप्ताह आपके लिए 9 और 10 मई उत्तम और लाभदायक है । 8 मई को आपको कचहरी के कार्यों में लाभ हो सकता है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप राम रक्षा स्त्रोत का पूरे सप्ताह पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है ।
मकर राशि
यह सप्ताह आपके लिए कुछ अच्छा और कुछ बुरा रहेगा । यह सप्ताह आपको मिश्रित फल देगा ।शासकीय कार्यों में बाधा आएगी । जीवनसाथी को कष्ट हो सकता है । शत्रुओं को आप समाप्त कर सकते हैं । आपके सुख में वृद्धि होगी । माताजी के लिए यह सप्ताह उत्तम है । इस सप्ताह आपके लिए 11 और 12 मई परिणाम दायक हैं । 11 और 12 मई को आप जो भी कार्य करेंगे उनमें आप सफल होंगे । 9 और 10 मई को आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए । 8 मई को आपको लाभ प्राप्त हो सकता है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें । सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।
कुंभ राशि
यह सप्ताह आपके और आपके जीवनसाथी के स्वास्थ्य के लिए उत्तम है । दूर देश की यात्रा भी हो सकती है । आपको अपने संतान से उत्तम सहयोग प्राप्त होगा । संतान अपने कार्यों में सफल रहेगी । प्रयास करने पर आप अपने शत्रुओं को समाप्त कर सकते हैं । भाई बहनों से संबंध तो ठीक रहेंगे परंतु किसी बात पर तनाव हो सकता है । इस सप्ताह आपके लिए 13 और 14 मई उत्तम और लाभदायक हैं । 11 और 12 मई को कोई भी कार्य करने के पहले आपको सतर्क रहना चाहिए । 8 मई को आपको अपने कार्यालय में सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप रुद्राष्टक का पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।
मीन राशि
इस सप्ताह आपके सुख में वृद्धि होगी । माताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा । जनता में आप की प्रसिद्धि पहले बढ़ेगी । संतान को कष्ट होगा । संतान से आपको सहयोग प्राप्त नहीं होगा । धन प्राप्ति में बाधा आएगी परंतु धन आ सकता है । इस सप्ताह आपके लिए 9 और 10 मई उत्तम फलदायक हैं । 8 मई को आपका भाग्य आपका साथ दे सकता है । 13 और 14 मई को आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान शिव के पंचाक्षरी स्त्रोत का जाप करें । सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।
आपसे अनुरोध है कि इस साप्ताहिक राशिफल का उपयोग करें और हमें इसके प्रभाव के बारे में बताएं ।
मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।
इतिहास, दुर्ग अभ्यासक, दरमहा गडकोट भटकंती. निसर्ग विषयक विपुल लेखन. अनेक मराठी ग्रंथाचे समिक्षण.
विविधा
☆ “जागतिक हास्य दिन…” ☆ श्री कचरू चांभारे ☆
मे महिन्याचा पहिला रविवार जागतिक हास्य दिन म्हणून साजरा करण्यात येतो.
जीवंत राहण्यासाठी आवश्यक ती धडपड करण्याची शक्ती प्रत्येक सजीवास नैसर्गिकरित्याच लाभलेली आहे.भूक ,भय,तृप्ती या सजीवाच्या प्राथमिक भावना आहेत.सजीव सृष्टीमध्ये मानव हा प्रचंड संकरित प्राणी आहे.बुद्धीवादाच्या काही पैलूंनी संशोधनाचे नवीन आयाम मांडले व मानवी जीवनात आमुलाग्र बदल झाला.इतर प्राणी व मानव यांची तुलना केली तर अनेक वैशिष्ट्यपूर्ण देणाग्यांमुळे मानव इतरांपेक्षा खूप वेगळा ठरला आहे.हास्य ही अशीच एक मानवाला लाभलेली अप्रतिम देणगी आहे.सूक्ष्मपणे विचार केला तर हास्य ही स्वतंत्र भावना नाही ,हास्य हे आनंदाचे ,समाधानाचे प्रगटीकरण आहे.हसणं , नाचणं ,रडणं हे तीनही भावाविष्कार मानवासाठी अप्रतिम गॉडगिफ्ट आहे.पण लाज नावाची आणखी एक भावना मानवास मिळालेली आहे.ही लाज नेहमीच हसणं ,रडणं व नाचणं यांचा कोंडमारा करत आली आहे.वाढत्या वयाप्रमाणे माणसाची सामाजिक समज अधिक प्रगल्भ होत जाते ,अन् माणूस वरील तीनही प्रकारच्या भावना प्रगटीकरणाला स्वतःच लगाम घालतो.
हसणं ही नैसर्गिक भावना आहे.ज्याच्या आयुष्यात हास्य आहे तो आनंदी ,उत्साही अन् प्रेमळही असतो.आनंद शोधणं ही एक कला आहे.ज्याला आनंद शोधता येतो,हास्य त्याची आनंदाने गुलामी करतं.कशातही आनंद शोधणारास हास्याचे झरे सापडतात.ज्याला हास्य सापडतं ,ती व्यक्ती प्रभावशाली असते.हास्य हा आपला अविभाज्य घटक असला तरी ज्याने हा घटक अधिक विकसित केला आहे त्यालाच त्याचा मनमुराद आनंद घेता येतो.आज गतिमान आयुष्यात निवांतपणा हरवून गेला आहे.मानवी सहजीवनाची सहजता गुंतागुंतीची झाली आहे.ताणतणाव व दगदग यां सोबत मैत्री करून माणूस आपला सूर्योदय-सूर्यास्त मोजत आहे.हास्य ही फक्त भावनाच आहे असे नाही तर ते एक प्रभावी औषध आहे.दहा मिनिटाच्या व्यायामाने हृदयाचा जेवढा व्यायाम होतो,तेवढाच व्यायाम एक मिनिटाच्या प्रसन्न हसण्याने होतो.हसल्यामुळे शरीरात सेटोटेटीन हे आनंदाचे हार्मोन्स तयार होतात.त्यामुळे भूक कमी लागते.’तुला पाहून मन भरलं ‘.असं जे आपण व्यवहारात बोलतो ना त्याचं मूळ इथं आहे.हसण्यामुळे एंडोर्फिस हे हार्मोन्स सुद्धा निर्माण होते.या हार्मोन्समुळे मनात फील गुडची भावना तयार होते.त्यामुळे दुःखावर हलकी फुंकर राज्य करते.
हास्याचेही अनेक प्रकार पडतात.स्मित हास्य हे सर्वश्रेष्ठ हास्य आहे.जिथं ओळख आहे ,तिथेच ते निर्माण होते.ओळखीच्या व्यक्तीच्या नजरानजरीची ओळख पटली की हृदय त्या ओळखीचा पुरावा स्वीकारते व चेह-यावर मंद प्रसन्न स्मित झळकते.स्मित हास्यात चेह-यावरचे स्नायू फार प्रसरण पावत नसले तरी अंतरीच्या खोलातून आलेली प्रसन्नता संपूर्ण चेह-यावर पसरते.हास्य हा कबुली जबाबाचा करारनामा म्हणून सुद्धा काम करते.एखाद्याची गोष्ट पटली तर हसून दाद दिल्यास ,दोन्ही पक्ष खूश होतात.गडगडाटी हास्य हा हास्याचा प्रकार सगळ्यांचच लक्ष वेधून घेतो पण पाहणारांची नाराजी झाल्यास ,हसणाराच्या मनात अपराधीभाव येतो.हसून काय पाप केलं ? याच्या उत्तरात तो गुंतून जातो.विनोदाला दाद हे ही हास्याचे एक रूप आहे.हास्याचे सगळेच प्रकार आनंद व्यक्त करणारे असतात.पण याला अपवाद आहे तो कुत्सित किंवा छद्मी हास्याचा.हास्याच्या प्रकारात कुत्सित हास्य हा अतिशय निकृष्ट प्रकार आहे.एकवेळ हास्य थांबलं तरी चालेल ,पण कुत्सित हास्याचा उगम कोठेच होऊ नये.हास्य ही माणसाला मिळालेली देणगी असली तरी आज आपल्यावर हास्य क्लब निर्माण करण्याची वेळ आली आहे.ही घटना म्हणजे नैसर्गिकतेचा अभाव अन् कृत्रिमतेचा प्रभाव सांगणारी आहे.
हास्य हे एक जादूई रसायन आहे.माधुरी दिक्षित नेने झाली.हळुहळू पन्नाशीत गेली. तरी तिचं हसणं फिल्म इंडस्ट्रीतलं भूरळ आहे.पुढे हाच हास्य वारसा मुक्ता बर्वे ,अमृता खानविलकर या मराठी तारकांनी जपला आहे.हसताना गालावर पडली ,की ती खळी कितीतरी जणांसाठी वरदानच ठरते.लहान मुलांचं हसणं अतिशय लोभस अन् गोंडस.हसरं मूल दिसलं की त्याला उचलून घेण्याचा मोह आवरतच नाही.हसताना उघडलेल्या मुखात,सरळ दिसणारी दंतपंक्ती ,केसांची हालचाल हास्याचे सौंदर्य अधिकच खुलविते.हसण्याचं ठिकाण बदललं की त्याप्रमाणे भावही बदलत जातात.लहानमुलांसोबतच्या हास्यात दुःख विरघळविण्याची क्षमता असते.आई वडीलांसोबत हसताना विश्वास वाढतो.बायकोसोबत हसताना अनेक संमिश्र भावाच्या छटा असतात.कारण ती जबाबदार आयुष्याची भागीदार असते.ही जबाबदारी समर्थपणे पेलताना प्रतिपूर्तीचे अनेक क्षण हास्य जन्माला घालतात.मित्रा मित्रातले हास्याचे फवारे मानवी जगतापासून दूर गेलेल्या दुनियेतले असतात.तिथे फक्त मैत्री हीच दुनियादारी असते.प्रिय व्यक्तीच्या हसण्याचा आवाज ऐकण्याची आतुरता व त्याचं नेहमीचं चिरपरिचित हसणं ऐकून होणारी तृप्तता ; हे हास्य मात्र अवर्णनीय तृप्ती देणारं असतं.त्या हास्यासाठी दोन्ही मने सारखीच वेडावलेली असतात.
मानवानं या देणगीचं मोल समजून घ्यायलाच हवं.हसरी व्यक्ती नेहमीच त्याच्या उपस्थितीची दखल घ्यायला लावत असते.नव्हे नव्हे ,अशा व्यक्तीची दखल घेणं इतरांनाच खूप आवडत असतं.हसा आणि हसवा हा मार्ग दीर्घायुषी रस्त्याला समांतरपणे धावत असतो.म्हणून हसा ,हसत राहा,हसवत राहा.