मराठी साहित्य – वाचताना वेचलेले ☆ प्रश्नमंजुषा… अशीही… – अज्ञात ☆ प्रस्तुती – सुश्री मीनल केळकर ☆

? वाचताना वेचलेले ?

☆ प्रश्नमंजुषा… अशीही… – अज्ञात  ☆ प्रस्तुती – सुश्री मीनल केळकर ☆

प्रश्नमंजुषा… अशीही.

जराशी गम्मत ….. बघा तुम्हाला या प्रश्नांची उत्तरे मिळतात का?

१. पगाराला दोनने ‘गुणले’ तरी 

‘भागत’ का नाही ?

२. लग्नाची ‘बेडी’ नक्की 

कोणत्या गुन्ह्यासाठी ‘पडते’?

३. अक्कल ‘खाते’ 

कोणत्या बँकेत ‘उघडता’ येते?

४. ‘भाऊगर्दीत’ 

‘बहिणी’ नसतात का?

५. ‘बाबा’ गाडीत 

‘लहान बाळांना’ का बसवतात? 

६. ‘तळहातावरचा फोड’ 

किती मोठा होईपर्यंत ‘जपावा’?

७. मनाचे मांडे भाजायला

‘तवा’ का लागत नाही?

. ‘दुग्धशर्करा योग’ 

‘मधुमेहींना’ वर्ज असतो का? 

९. ‘आटपाट’ नगर 

कोणत्या ‘जिल्ह्यात’ येते? 

१०. ‘तिखट प्रतिक्रिया’ 

‘गोड’ मानून घेता येते का?

११. सतत ‘मान खाली’ घालायला लावणारा मित्र  ‘मोबाईल’ असावा कां? 

१२. ‘काहीही’ या पदार्थाची 

‘रेसिपी’ मिळेल का?

१३. ‘चोरकप्पा’ नक्की

‘कोणासाठी’ असतो? 

१४. ‘पालक’ ‘चुका’ दाखवून 

 मुलांना ‘माठ’ ठरवत असतात का?

१५. ‘पैशांचा पाऊस’ असेल

तर ‘छत्री’ उलटी धरावी का?

१६. ‘भिंतीला’ कान असतात

तर बाकीचे अवयव कुठे असतात?

(ज्यांना मराठीची मजा चाखता येते, त्यांच्यासाठी खास चेहरा खुलवणारी प्रश्नमंजुषा !)

लेखक : अज्ञात 

प्रस्तुती : मीनल केळकर 

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – बोलकी मुखपृष्ठे ☆ “कथापौर्णिमा” ☆ सुश्री वर्षा बालगोपाल ☆

सुश्री वर्षा बालगोपाल

? बोलकी मुखपृष्ठे ?

☆ “कथापौर्णिमा” ☆ सुश्री वर्षा बालगोपाल 

छान दाट निळे ••• काळे भासणारे आकाश ••• त्यात असंख्य लुकलुकणार्‍या चांदण्या, तारे तारका••• या सगळ्या गोपिकांत शोभून दिसणारा कृष्ण जणू हा पूर्णचंद्र••• पृथ्वीवर डोंगरांवर झाडांवर पाण्यात सगळीकडे सांडणारा हा लक्ख प्रकाश ••• हे सगळे पाहताना भान हरपलेले एक प्रेमी युगूल तळ्याकाठी झाडाखाली बसलेलं ••• हितगूज करण्यात मश्गूल असलेलं••• 

सुंदर लोभस असे हे चित्र. कोणत्याही रसिक मनाला भुरळ घालणारं•••

पण काय सांगते हे चित्र? फक्त पौर्णिमेची रात्र आहे एवढच? मला नाही तसे वाटतं••• 

हे संपूर्ण चित्र कितीतरी कथा सांगतेय असे वाटतं

०१) धरती आणि आकाश यांना जोडणारी ही डोंगराची रांग दु्रून चांगली दिसत असली तरी त्यांच्या आयुष्यात आलेले चढ उतार, खाचाखळगे यांचे दर्शन त्या युगुलाला देते. त्याचेच स्पष्ट प्रतिबिंब पाहून ते विचार करू लागले••••

०२) आयुष्यात कितीही अंधार असला तरी ब्लू मूनची रात्र कधीतरी येतेच जीवनात. याचा अनुभव ते दोघे घेत होते•••

०३) दोघेही व्याकूळ••• समदु:खी••• आपापली कथा, व्यथा सांगताना तो पूर्णचंद्र त्यांच्या कथा ऐकायला केव्हा झाडावर विसावला हे त्यांना कळलेच नाही•••

०४) नर्गिस राजकपूरचा प्रभाव असलेले दोघे झाडाची छत्री करून एकत्र त्यामधे गुजगोष्टी करत असताना चांदण्याची बरसात होत आहे•••

०५) आपल्या जीवनाचा निर्णय घेताना साशंक असणारे ते दोघे••• विचारमंथनातून त्यांच्या अंतरंगावर ऊमटलेल्या लहरी••• यातून त्यांच्या जीवनात एक शरदचंद्रीय निर्णयाची आलेली जीवन उजळणारी कोजागिरी पौर्णिमा •••

अशा अनेक कथांचे कथन करणारे केशरयुक्त रंगाचे कथापौर्णिमा हे शब्द•••

लेखिकेच्या नावाप्रमाणेच पुनवेची छत्री घेऊन आपल्या शब्द चांदण्यांना लकाकते रूप देऊन प्रत्येक कथेतून साराचा पूर्णचंद्र घेऊन येणार याची ग्वाही••• 

तरीही एक कहाणी मला या चित्रातून समजली ती  कवितेतून सांगावी वाटते .

☆ सुरेल मैफिल ☆

रात सांगते एक कहाणी

चमचमणा-या ता-याची

गज-याला स्पर्श करून 

गंधाळणा-या वा-याची

 

वारा गाई एक गाणे 

लकेर घेऊन हास्याची

मंजूरवाने पुलकीत होऊन 

मोहरणा-या प्रितीची

 

प्रीत छेडी एक तराणा

साथ तया आरोहाची

अवरोह ये मागूती

सुरूवात मल्हाराची

 

मल्हार हा भारी जीवन

साथ तया असे तुझी 

भूपाळी ते भैरवी

सुरेल मैफिल दोघांची 

हे सगळे म्हणजे कथापौर्णिमा या कथासंग्रहाचे मुखपृष्ठ. या कथा संग्रहात १५ कथा असल्याने दिलेले कथापौर्णिमा हे नाव संयुक्तिक असले तरी कितीतरी कथाबिजे मनात देणारे हे मुखपृष्ठ आहे एवढे नक्की. 

इतके बोलके मुखपृष्ठ करणार्‍या गंगाधर हवालदार यांना धन्यवाद आणि या मुखपृष्ठाची निवड केली म्हणून रसिक आंतरभारतीचे प्रकाशक नांदुरकर आणि लेखिका पूनम छत्रे यांचे आभार.

© सुश्री वर्षा बालगोपाल

मो 9923400506

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ परिहार जी का साहित्यिक संसार # 219 ☆ व्यंग्य – गुरूजी का अमृत महोत्सव ☆ डॉ कुंदन सिंह परिहार ☆

डॉ कुंदन सिंह परिहार

(वरिष्ठतम साहित्यकार आदरणीय  डॉ  कुन्दन सिंह परिहार जी  का साहित्य विशेषकर व्यंग्य  एवं  लघुकथाएं  ई-अभिव्यक्ति  के माध्यम से काफी  पढ़ी  एवं  सराही जाती रही हैं।   हम  प्रति रविवार  उनके साप्ताहिक स्तम्भ – “परिहार जी का साहित्यिक संसार” शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते  रहते हैं।  डॉ कुंदन सिंह परिहार जी  की रचनाओं के पात्र  हमें हमारे आसपास ही दिख जाते हैं। कुछ पात्र तो अक्सर हमारे आसपास या गली मोहल्ले में ही नज़र आ जाते हैं।  उन पात्रों की वाक्पटुता और उनके हावभाव को डॉ परिहार जी उन्हीं की बोलचाल  की भाषा का प्रयोग करते हुए अपना साहित्यिक संसार रच डालते हैं।आज प्रस्तुत है एक बेहतरीन व्यंग्य – ‘गुरूजी का अमृत महोत्सव’। इस अतिसुन्दर रचना के लिए डॉ परिहार जी की लेखनी को सादर नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – परिहार जी का साहित्यिक संसार  # 219 ☆

☆ व्यंग्य – गुरूजी का अमृत महोत्सव 

परमप्रिय शिष्य मन्नू,

स्वस्थ रहो और गुरुओं की सेवा के योग्य बने रहो। मेरा आशीर्वाद सदा तुम्हें प्राप्त है।

आगे बात यह कि तुम्हें मालूम है कि जनवरी में मैं 75 वर्ष पार कर रहा हूँ। मुझे विश्वास है कि तुम जैसे मेरे सारे शिष्य मेरा अमृत महोत्सव मनाने के लिए अकुला रहे होंगे। तुम जैसे शिष्यों के होते हुए मेरा अमृत महोत्सव शानदार होगा इसमें मुझे रंच मात्र भी सन्देह नहीं है।

मेरा विचार है कि इस उत्सव की सफलता के लिए तुम मेरे निष्ठावान 50-60 शिष्यों से 10-10 हजार रुपये एकत्रित कर लो। उनसे कहना कि उनकी गुरुभक्ति की परीक्षा है और गुरु- ऋण चुकाने का अवसर आ गया है। इससे लगभग पाँच लाख रुपया प्राप्त हो जाएगा। इसमें से कुछ मेरे अभिनन्दन ग्रंथ पर खर्च होगा जो कम से कम छः सात सौ पेज का होना चाहिए।

अभिनन्दन ग्रंथ के लिए लेख मैं खुद ही लिखूँगा क्योंकि मुझसे बेहतर मुझे कौन जानता है? दूसरों को देने से लोग कई बार ऊटपटाँग लिख देते हैं जिससे मन खिन्न हो जाता है। मैंने 30-35 लेख लिख भी लिये हैं। ये सभी लेख मेरे शिष्यों के नाम से छपेंगे। बचपन से लेकर अभी तक के सारे फोटो निकाल लिये हैं जिन्हें अभिनन्दन ग्रंथ में स्थान मिलेगा।

मेरे खयाल से अभिनन्दन ग्रंथ और दीगर खर्चों के बाद दो ढाई लाख रुपया बच जाएगा। मेरा विचार है कि उस राशि को मियादी जमा में डालकर उसके ब्याज से एक ग्यारह हजार रुपये का पुरस्कार मेरे नाम से स्थापित किया जाए जो मेरे स्वर्गवासी होने के बाद भी चलता रहे। यह पुरस्कार प्रति वर्ष मेरे किसी शिष्य को ही दिया जाए ताकि मेरे जाने के बाद भी मेरे शिष्यों की भक्ति मेरे प्रति बनी रहे। इस पुरस्कार के प्रबंध की सारी जिम्मेदारी तुम्हारी होगी। इसमें कभी गफलत हुई तो तुम्हें पाप के साथ-साथ मेरा शाप लगेगा।

तो अब विलंब न करके काम पर लग जाओ। मुझे भरोसा है कि तुम हमेशा की तरह मेरे सुयोग्य शिष्य साबित होगे।

स्नेही

अनोखेलाल ‘सिद्ध’

© डॉ कुंदन सिंह परिहार

जबलपुर, मध्य प्रदेश

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 218 – संभावना के बीज ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

☆  संजय उवाच # 218 संभावना के बीज ?

सीताफल की पिछले कुछ दिनों से बाज़ार में भारी आवक है। सोसायटी की सीढ़ियाँ उतरते हुए देखता हूँ  कि बच्चे सीताफल खा रहे हैं। फल के बीज निकालकर करीने से एक तरफ़ रख रहे हैं। फिर सारे बीज एक साथ उठाकर डस्टबिन में डाल दिए। स्वच्छता और सामाजिक अनुशासन की दृष्टि से यह उचित भी था।

यहीं से चिंतन जन्मा। सोचने लगा, हर बीज के पेट में एक पौधा  है, पौधे का बीज फेंका जा रहा है। फ्लैट में रहने की विवशता कितना कुछ नष्ट कराती है।

सर्वाधिक दुखद होता है संभावनाओं का नष्ट होना। वस्तुत: संभावना की हत्या महा पाप है। हर संभावना को अवसर मिलना चाहिए। पनपना, न पनपना उसके प्रारब्ध और प्रयास पर निर्भर करता है।

चिंतन बीज से मनुष्य तक पहुँचा। सही ज़मीन न मिलने पर जैसे बीज विकसित नहीं हो पाता, कुछ उसी तरह अपने क्षेत्र में काम करने का अवसर न पाना, संभावना का नष्ट होना है। साँस लेने और जीने में अंतर है। अपनी लघुकथा ‘निश्चय’ के संदर्भ से बात आगे बढ़ाता हूँ। कथा कुछ यूँ है,

“उसे ऊँची कूद में भाग लेना था पर परिस्थितियों ने लम्बी छलांग की कतार में लगा दिया। लम्बी छलांग का इच्छुक भाला फेंक रहा था। भालाफेंक को जीवन माननेवाला सौ मीटर की दौड़ में हिस्सा ले रहा था। सौ मीटर का धावक, तीरंदाजी में हाथ आजमा रहा था। आँखों में तीरंदाजी के स्वप्न संजोने वाला तैराकी में उतरा हुआ था। तैरने में मछली-सा निपुण मैराथन दौड़ रहा था।

जीवन के ओलिम्पिक में खिलाड़ियों की भरमार है पर उत्कर्ष तक पहुँचने वालों की संख्या नगण्य है। मैदान यहीं, खेल यहीं, खिलाड़ी यहीं दर्शक यहीं, पर मैदान मानो निष्प्राण है।

एकाएक मैराथन वाला सारे बंधन तोड़कर तैरने लगा। तैराक की आँंख में अर्जुन उतर आया, तीर साधने लगा। तीरंदाज के पैर हवा से बातें करने लगे। धावक अब तक जितना दौड़ा नहीं था उससे अधिक दूरी तक भाला फेंकने‌ लगा। भालाफेंक का मारा भाला को पटक कर लम्बी छलांग लगाने लगा। लम्बी छलांग‌ वाला बुलंद हौसले से ऊँचा और ऊँचा, बहुत ऊँचा कूदने लगा।

दर्शकों के उत्साह से मैदान गुंजायमान हो उठा। उदासीनता की जगह उत्साह का सागर उमड़ने लगा। वही मैदान, वही खेल, वे ही दर्शक पर खिलाड़ी क्या बदले, मैदान में प्राण लौट आए।”

अँग्रेज़ी की एक कहावत है, ‘यू गेट लाइफ वन्स। लिव इट राइट। वन्स इज़ इनफ़।’ जीवन को सही जीना अर्थात अपनी संभावना को समझना, सहेजना और श्रमपूर्वक उस पर काम करना।

स्मरण रहे, आप जीवन के जिस भी मोड़ पर हों, जीने की संभावना हमेशा बनी रहती है।

© संजय भारद्वाज 

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय संपादक– हम लोग पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆   ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

💥 मार्गशीर्ष साधना 28 नवंबर से 26 दिसंबर तक चलेगी 💥

🕉️ इसका साधना मंत्र होगा – ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🕉️

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
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हिन्दी साहित्य – आलेख ☆ अभी अभी # 219 ⇒ जहाज का पंछी… ☆ श्री प्रदीप शर्मा ☆

श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “जहाज का पंछी ।)

?अभी अभी # 218 ⇒ जहाज का पंछी… ? श्री प्रदीप शर्मा  ?

मेरो मन अनत कहां सुख पावै।

जैसे जहाज का पंछी, उड़ि उड़ि जहाज पर आवै।।

एक जहाज के पक्षी को तो उड़ने के लिए उन्मुक्त आकाश है, उसके तो पर भी हैं, लेकिन फिर भी थक हारकर उसे वापस जहाज पर ही आना पड़ता है, उसके अलावा कहां उसका ठौर ठिकाना। मीलों दूर तक कोई जीवन नहीं, वन जंगल, बाग बगीचा नहीं।

ठीक ऐसी ही स्थिति हमारे मन की होती है। घर संसार और अपने सगे संबंधी, यार दोस्त और जमीन जायदाद में हम इतने उलझे हुए होते हैं, कि हमारे मन की स्थिति भी एक जहाज के पंछी के समान हो जाती है, बार बार वह घर संसार की ओर ही रुख करता है।।

सैर सपाटा, घूमना फिरना किसे पसंद नहीं। बहुत इच्छा होती है, रोज की कामकाज भाग दौड़ भरी जिंदगी से फुर्सत निकालकर कुछ समय पहाड़ों और प्राकृतिक स्थानों के बीच गुजारा जाए। कितनी मुश्किल से वह पल आता है, जब परिवार के सदस्यों के चेहरे पर खुशी छा जाती है, यह जानकर कि हम सब छुट्टियां बिताने बाहर जा रहे हैं।

कितनी जल्दी कट जाते हैं सुख के पल। कभी वक्त ठहरा सा नजर आता है, तो कभी लगता है, वक्त के भी पंख लग गए हैं। खट्टे मीठे अनुभवों को ही हमारे यहां पर्यटन कहा जाता है। बहुत ही जल्द अनुभवों का खजाना और यादगार तस्वीरों के साथ आखिरकार घर लौटना ही पड़ता है।।

घर से बाहर जाने का उत्साह और वापस घर आने की खुशी को केवल महसूस किया जा सकता है। अगर अनुभव कटु रहे, तो लौटकर बुद्धू घर को आए, अन्यथा हमारी स्थिति भी एक जहाज के पंछी की तरह ही होती है। घर तो आखिर घर होता है।

जो गुरु नानक देव जैसे समर्थ गुरु होते हैं, वे इस भव संसार से पार उतरने के लिए किसी जहाज अथवा हवाई जहाज का सहारा नहीं लेते, केवल मात्र नाम स्मरण ही उनका जहाज होता है, सिमर सिमर उतरै पारा।।

जिन्हें गुरु नानक की तरह इस भव सागर से अपनी नैया पार लगाना है, केवल उनके लिए ही तो बना है, नानक नाम जहाज। केवल जहाज के पंछी को ही अपने असली घर की तलाश होती है बाकी पंछी तो आजाद है, स्वच्छंद हैं, अपना जीवन जीने के लिए।

शैलेंद्र भूल गए, जहां हमें खुदा से मिलने के लिए वे पैदल भेज रहे हैं, वहां बीच में सागर भी है। शैलेंद्र एक कवि हृदय नेक इंसान थे, आम आदमी की बातें करते थे। गुरु नानक देव तो सर्वज्ञ थे, जिन्हें पार उतरना हो, वे नानक नाम जहाज की सवारी करें, जिन्हें पैदल आना है, उनका भी स्वागत है ;

कहत कबीर सुनो भई साधो

सतगुरू नाम ठिकाना है

यहां रहना नहीं,

देस बिराना है।।

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media # 166 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain Pravin Raghuvanshi, NM

? Anonymous Litterateur of Social Media # 166 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 166 ) ?

Captain Pravin Raghuvanshi —an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. He was involved in various Artificial Intelligence and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’.

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc. Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi.  He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper.  The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Award and C-in-C Commendation.

Captain Pravin Raghuvanshi is also an IIM Ahmedabad alumnus. His latest quest involves social media, which is filled with rich anonymous literature of nameless writers, shared on different platforms, like, WhatsApp / Facebook / Twitter / Your quotes / Instagram etc. in Hindi and Urdu, he has taken the mantle of translating them as a mission for the enjoyment of the global readers. Enjoy some of the Urdu poetry couplets as translated by him.

हम ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए आदरणीय कैप्टेन प्रवीण रघुवंशी जी के “कविता पाठ” का लिंक साझा कर रहे हैं। कृपया आत्मसात करें।

फेसबुक पेज लिंक  >>कैप्टेन प्रवीण रघुवंशी जी का “कविता पाठ” 

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 16६ ?

☆☆☆☆☆

 ☆ Fake People… ☆

इन  बेगैरत  अय्यारों  की  झूठी 

मासूमियत का मुज़ाहरा तो देखिए

धूल इनके चेहरे पर जमी होती है मगर

तोहमत ये  आईने  पर  लगाते हैं..!

☆☆

Just look at the display of false

innocence of these fake people

Dust  settles on  their  faces

But they blame the mirror..!

☆☆☆☆

Dreamy Character ☆

ख्वाब में भी देर तलक

जागा किए हम…

नींद खुद भी एक किरदार थी

उस गहरे ख्वाब में…!

 ☆

Remained awake till late,

even  in  the  dream…

Sleep itself was a character

in that astral dream..!

 ☆  ☆  ☆  ☆  ☆

 ☆ Stark Darkness ☆  

चारों तरफ तो बिछी हैं

अँधेरों की चादरें…

फिर फ़िजूल में क्यों

जगाया गया मुझे…!

  ☆  

Sheet of darkness are

spread all around…

Then why was I woken

up unnecessarily…!

Mortal Fear 

अरे, इतना क्यूँ डर रहे हो

इन घने जंगलों से…

यहाँ कोई आदमी की

बस्ती थोड़ी ही न है…!

What are you so scared of

in this dense forest….

They doesn’t exist any

human settlement here…!

☆☆☆☆☆

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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English Literature – Poetry ☆ The Grey Lights# 25 – “Dance with the Dangers” ☆ Shri Ashish Mulay ☆

Shri Ashish Mulay

? The Grey Lights# 25 ?

☆ – “Dance with the Dangers” – ☆ Shri Ashish Mulay 

Come here oh my dear

not too close but enough near

don’t smile for I am bit mature

your vicious plans I can hear

 

Don’t give me hand

but let me hold yours

let me feel the knife

in these soft fingers

 

fragrance precedes your presence

so do the anklets, your move

let me breath it in and hear it out

before your dance starts out

 

dance and pass, my dear

make the way for, new fear

dance and you all pass

where finally love’s fingers

find my heart…

© Shri Ashish Mulay

Sangli 

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 165 ☆ नवगीत – प्रवहित थी अवरुद्ध है… ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत हैं – एक नवगीत – प्रवहित थी अवरुद्ध है)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 165 ☆

☆ नवगीत – प्रवहित थी अवरुद्ध है ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

प्रवहित थी अवरुद्ध है

नेह नदी की धार,

व्यथा-कथा का है नहीं

कोई पारावार।

*

लोरी सुनकर कब हँसी?

कब खेली बाबुल गोद?

कब मैया की कैयां चढ़ी

कर आमोद-प्रमोद?

मलिन दृष्टि से भीत है

रुचता नहीं दुलार

प्रवहित थी अवरुद्ध है

नेह नदी की धार

*

पर्वत – जंगल हो गए

नष्ट, न पक्षी शेष हैं

पशुधन भी है लापता

नहीं शांति का लेश है

दानववत मानव करे

अनगिन अत्याचार

प्रवहित थी अवरुद्ध है

नेह नदी की धार

*

कलकल धारा सूखकर

हाय! हो गयी मंद

धरती की छाती फ़टी

कौन सुनाए छंद

पछताए, सुधरे नहीं

पैर कुल्हाड़ी मार

प्रवहित थी अवरुद्ध है

नेह नदी की धार

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

१०-६-२०१६

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (11 दिसंबर से 17 दिसंबर 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (11 दिसंबर से 17 दिसंबर 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

इस बार मेरे द्वारा केवल मध्य प्रदेश के चुनाव का विश्लेषण किया गया और 8 नवंबर को गणना का विवरण यूट्यूब पर प्रसारित किए गए जो की 3 दिसंबर को रिजल्ट निकलने पर पूर्णतया सही पाए गए। यह सब आप लोगों की शुभकामनाओं के कारण संभव हो पाया है।

आप सभी को पंडित अनिल पाण्डेय का नमस्कार। साप्ताहिक राशिफल की श्रृंखला में आज मैं आपको 11 दिसंबर से 17 दिसंबर 2023 अर्थात विक्रम संवत 2080 शक संवत 1945 के अगहन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी से अगहन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल और विभिन्न योग, व्रत, त्यौहार आज के बारे में बताऊंगा।

इस सप्ताह 11 दिसंबर को 11:29 दिन से रात अंत तक तथा 16 दिसंबर को 9:14 दिन से रात अंत तक सर्वार्थ सिद्ध योग रहेगा। रात अंत का अर्थ अगले दिन के सूर्योदय के समय तक रहता है। इस सप्ताह 11 दिसंबर को शिव चतुर्दशी का व्रत है 15 दिसंबर को सरदार पटेल की पुण्यतिथि है। शुभ मुहूर्त में विवाह मुहूर्त 13 दिसंबर से 15 दिसंबर तक अन्नप्राशन का मुहूर्त 15 दिसंबर को और व्यापार मुहूर्त भी 15 दिसंबर को है।

इस सप्ताह चंद्रमा प्रारंभ में वृश्चिक राशि का रहेगा। 13 दिसंबर को 11:48 दिन से धनु राशि में प्रवेश करेगा। 15 दिसंबर को 4:07 शाम से मकर राशि का हो जाएगा। 17 दिसंबर को 7:01 रात से कुंभ राशि में गोचर करेगा।

सूर्य प्रारंभ में वृश्चिक राशि में रहेगा 16 दिसंबर को 1:20 रात से धनु राशि में प्रवेश करेगा। बुद्ध प्रारंभ में धनु राशि में रहेगा और 13 तारीख को 1:50 रात से वक्री हो जाएगा। मंगल ग्रह पूरे सप्ताह वृश्चिक राशि में, वक्री गुरु पूरे सप्ताह मेष राशि में, शनि पूरे सप्ताह कुंभ राशि में, शुक्र तुला में और राहु मीन राशि में गोचर करेंगे।

आई अब हम सभी राशियों के साप्ताहिक राशिफल के संबंध में चर्चा करते हैं।

मेष राशि

मेष राशि के अविवाहित जातकों के लिए यह सप्ताह उत्तम रहेगा। आपको विवाह हेतु बड़े अच्छे संदर्भ प्राप्त होंगे। विवाह हेतु अच्छे प्रस्ताव भी आएंगे। प्रेम संबंधों में वृद्धि होगी। भाग्य सामान्य रहेगा। धन आने की आशा की जा सकती है। दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें। पिताजी का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। माता जी को थोड़ी परेशानी हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 16 और 17 दिसंबर उत्तम है। 16 और 17 दिसंबर को आपके अधिकांश कार्य सफल होंगे। आपको 11 और 12 दिसंबर को आपको दुर्घटनाओं से सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। व्यापार उत्तम चलेगा। भाग्य आपका साथ देगा। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। कचहरी के कार्यों में सफलता मिल सकती है। धन आने की मात्रा में कमी आएगी। इस सप्ताह आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त होगा। अगर आप सावधान रहेंगे तो 11 12 और 13 दिसंबर के 12:00 बजे दोपहर तक आपको कई कार्यों में सफलताएं मिल सकती हैं। 13, 14 और 15 को आपको सावधान रहकर कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान शिव का प्रतिदिन अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। माता जी और पिताजी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। जनता में आपके प्रतिष्ठा में कमी आएगी। आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त नहीं होगा। धन आने की उम्मीद है। 11, 12 और 13 के दोपहर तक आपके शत्रुओं की संख्या में कमी होगी। भाग्य आपका साथ देगा। भाई बहनों के साथ संबंध खराब हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 13 14 और 15 तारीख फलदायक हैं। आपके कई कार्य इन तारीखों में संपन्न हो सकते हैं। आपको 16 और 17 तारीख को सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह कुछ अच्छा और कुछ बुरा फल देने वाला है। आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में कमी आएगी। माता और पिताजी को तकलीफ रहेगी। भाग्य आपका साथ नहीं देगा। भाई बहनों से भी उत्तम सहयोग प्राप्त नहीं होगा। संतान का सहयोग भी आपको इस सप्ताह प्राप्त नहीं हो पाएगा। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। साथ ही भगवान शिव का प्रतिदिन दूध और जल से अभिषेक करें। 16 और 17 दिसंबर को आपके किए गए अधिकांश कार्य सफल रहेंगे। 13, 14 और 15 दिसंबर को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। 11, 12 और 13 दिसंबर को आपकी संतान को कष्ट हो सकता है। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के जीवनसाथी का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। जातकों को नस की कोई समस्या हो सकती है। जातकों के गरदन या कमर में दर्द हो सकता है। भाई बहनों के साथ संबंध खराब रहेगा। धन आने की संभावना है। पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। माता जी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। भाग्य से आपको कोई विशेष मदद नहीं मिलेगी। भाग्य से थोड़ी बहुत मदद मिल सकती है। इस सप्ताह आपको पूरे सप्ताह सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। माता जी का स्वास्थ्य अगर खराब है तो वह ठीक होने लगेगा। संतान से कोई विशेष सहयोग आपको प्राप्त नहीं होगा। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपको धन की अच्छी प्राप्ति हो सकती है। भाई बहनों के साथ संबंध खराब रहेगा। आपका स्वास्थ्य थोड़ा खराब रहेगा। विवाह के अच्छे प्रस्ताव आ सकते हैं। प्रेम संबंधों में वृद्धि होगी। आपके और आपके जीवन साथी के स्वास्थ्य में थोड़ी गड़बड़ी हो सकती है। भाग्य से आपको विशेष लाभ नहीं मिलेगा। शत्रु शांत रहेंगे। इस सप्ताह आपके लिए 13, 14 और 15 तारीख उत्तम है। इन तीनों तारीखों में आप जो भी काम करेंगे उनमें आपको सफलता मिलने की उम्मीद बहुत ज्यादा रहेगी। इस सप्ताह आपके भाई या बहन को 11, 12 और 13 तारीख में कुछ लाभ हो सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन मंदिर में जाकर गरीबों के बीच में चावल का दान दें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

तुला राशि

स्वास्थ्य की दृष्टि से यह सप्ताह आपका अति उत्तम रहेगा। प्रेम संबंधों में थोड़ी कमी आएगी। जीवनसाथी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। भरपूर धन आने की उम्मीद है। आपको अपने संतान से लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है। शत्रु दबे रहेंगे। कार्यालय में आपका विवाद हो सकता है। कृपया इससे सावधान रहें। पिताजी का स्वास्थ्य थोड़ा खराब हो सकता है। माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। खर्चो के बढ़ाने की भी उम्मीद है। भाई बहन के साथ संबंध ठीक नहीं रह पाएंगे। इस सप्ताह आपके लिए 16 और 17 दिसंबर लाभदायक है। सप्ताह के बाकी दिन ठीक-ठाक है। 11, 12 और 13 तारीख को धन आने की उम्मीद है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप घर की बनी पहली रोटी गौ माता को दें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। कचहरी के कार्यों में विजय मिल सकती है। धन आने की मात्रा में कमी आएगी। माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। जनता में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। जीवनसाथी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। संतान से आपको कोई सहयोग प्राप्त नहीं होगा। भाग्य आपका कम साथ देगा। गलत रास्ते से थोड़ा बहुत धन आ सकता है। आपके पेट में पीड़ा हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए सभी दिन ठीक-ठाक हैं। अगर आप बीमार हैं तो इस सप्ताह के प्रारंभ से आप ठीक होने लगेंगे। भाई बहनों के साथ सामान्य संबंध रहेंगे। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

धनु राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य खराब हो सकता है। कचहरी के कार्यों में सफलता की पूरी उम्मीद है। शत्रु दबे रहेंगे। अगर आप प्रयास करेंगे तो वे समाप्त भी हो सकते हैं। धन भरपूर आएगा। भाई बहनों से लाभ प्राप्त होगा। भाई बहनों के साथ संबंध अच्छे रहेंगे। संतान से आपको कोई सहयोग प्राप्त नहीं होगा। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा सामान्य रहेगी। भाग्य सामान्य रूप से आपका साथ देगा। इस सप्ताह आपके लिए 13 14 और 15 तारीख महत्वपूर्ण है। ये तीनों तारीख आपके लिए फल दायक हैं। 11 और 12 या 13 तारीख को अगर आपके ऊपर बैंक का कर्ज है तो उसमें आपको रियायत मिल सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने की पूरी उम्मीद है। कचहरी के कार्यों में आप इस सप्ताह कोई रिस्क ना लें। भाई बहनों के साथ सामान्य रूप से संबंध ठीक रहेंगे। किसी एक भाई या बहन से आपके संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं। आप किसी दूर स्थान की यात्रा कर सकते हैं। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में काफी वृद्धि होगी। पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा परंतु माता जी के स्वास्थ्य में गिरावट आएगी। जनता में आपकी प्रतिष्ठा में कमी हो सकती है। पुत्र से आपको कोई विशेष फायदा नहीं होगा। इस सप्ताह आपके लिए 16 और 17 तारीख उत्तम है। 13, 14 और 15 तारीख को आपको संभाल कर रहना चाहिए। 11 और 12 या 13 तारीख को आपके पास धन आ सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह भाग्य आपका भरपूर साथ देगा। आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। भाई बहनों के साथ तनाव हो सकता है। खून संबंधी कोई विकार आपको हो सकता है। आप के संतान का इस सप्ताह कुछ नुकसान हो सकता है। धन आने की मात्रा में कमी होगी। आपका अपने अधिकारियों के साथ व्यर्थ का वार्तालाप हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए सभी दिन सतर्क रहने लायक हैं। 11, 12 और 13 तारीख को आपको अपने कार्यालय में कुछ उत्तम प्राप्ति हो सकती है। आपको 16 और 17 तारीख को कोई भी कार्य करने के प्रति विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह भाग्य आपका भरपूर साथ देगा। शत्रुओं से आपको सतर्क रहना चाहिए। धन की प्राप्ति हो सकती है। कचहरी के कार्यों में सफलता मिलने की संभावना 50% है। गलत रास्ते से धन आपके पास आ सकता है। आपका और आपके जीवन साथी में से किसी एक का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा। पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आ सकती है। माता जी का स्वास्थ्य भी थोड़ा खराब हो सकता है। उनको रक्त संबंधी कोई बीमारी हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 13, 14 और 15 तारीख फल दायक हैं, लाभदायक हैं। 11, 12 और 13 तारीख को आपका भाग्य विशेष रूप से आपकी मदद करेगा। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गणेश अथर्वशीर्ष का प्रतिदिन पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

आपसे अनुरोध है कि इस राशिफल का उपयोग करें और हमें बारे में बतायें।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ प्रेम रंग ! ☆ श्री प्रमोद वामन वर्तक ☆

श्री प्रमोद वामन वर्तक

? कवितेचा उत्सव ? 

☆ 💃 प्रेम रंग ! 🩷 ☆ श्री प्रमोद वामन वर्तक ☆

उभी होते आरश्या समोरी

घालण्या दुपेडी छान वेणी,

लक्ष जाता चेहऱ्याकडे

हातून निसटे माझ्या फणी!

खेळले धुळवड सख्यासवे

घरच्यांच्या चुकवून नयना,

पण रंग गुलाबी गालावरला

हसून दावी खट्याळ आयना!

प्रेम रंग तो गालावरला

घात करणार आज बहुदा,

विचार करू लागे मन

टाळू कशी मी ही आपदा!

हपका हलकेच जलाचा

मारला मी जरी मुखावरी,

नांव घेईना प्रेम रंग तो

होण्या गालावरूनी फरारी!

निरखून बघता प्रेम रंगा

झाला माझा मला उलगडा,

आठवून पंचमीचा रासरंग

पडे गाली प्रेम रंगाचा सडा!

पडे गाली प्रेम रंगाचा सडा!

© प्रमोद वामन वर्तक

सध्या सिंगापूर 9892561086

संपर्क – दोस्ती इम्पिरिया, ग्रेशिया A 702, मानपाडा, ठाणे (प.)

मो – 9892561086 ई-मेल – [email protected]

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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