श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव

(संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं अग्रज साहित्यकार श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव जी  के गीत, नवगीत एवं अनुगीत अपनी मौलिकता के लिए सुप्रसिद्ध हैं। आप प्रत्येक बुधवार को साप्ताहिक स्तम्भ  “जय  प्रकाश के नवगीत ”  के अंतर्गत नवगीत आत्मसात कर सकते हैं।  आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण एवं विचारणीय नवगीत “हम मजदूर सर्वहारा…” ।

✍ जय प्रकाश के नवगीत # 51 ☆ हम मजदूर सर्वहारा… ☆ श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव

(मजदूर दिवस)

हमने फूलों को खुशबू दी

बंजर को हरियाली दी,

हमने रूप संवारे हैं।।

*

हम आगत की पदचापें

थे अतीत की मुस्कानें,

वर्तमान जिंदा हमसे

हमी समय की पहचानें।

*

हम ऋतुओं के अनुयायी,

मौसम के हरकारे हैं।।

*

हम महलों की नीव बने

अपनापन भरपूर जिया,

हम हीरा गढ़ने वाले

अँधियारे में एक दिया।

*

जला खुशी की किरणों से,

हम लिखते उजियारे हैं।।

*

परिभाषित है श्रम हमसे

हम मजदूर सर्वहारा,

हमसे जंगल वनस्पति

हम यायावर बंजारा।

*

हम हैं जीवन का दर्शन,

बस अपनों से हारे हैं।।

***

© श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव

सम्पर्क : आई.सी. 5, सैनिक सोसायटी शक्ति नगर, जबलपुर, (म.प्र.)

मो.07869193927,

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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