श्री संतोष नेमा “संतोष”

(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी  कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप  कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण रचना  हमें जो भाता है। आप श्री संतोष नेमा जी  की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)

☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 156 ☆

☆ हमें जो भाता है ☆ श्री संतोष नेमा ☆

तुम्हें  मुस्कराने  से  कौन  रोकता  है

तुम्हे दिल  लगाने से कौन  रोकता है

क्या होती है मोहब्बत तुम्हें पता नहीं

तुम्हे  आजमाने  से  कौन  रोकता  है

बात दिल की छिपाया न करो

डर हो तो दिल लगाया न करो

मुहब्बत कुछ चीज ही ऐसी है

इसे  यूँ  ही तुम गंवाया न करो

आईना देख कर संवरने लगे हैं

दिल  में  वो  मेरे  उतरने  लगे हैं

राज छुपते नहीं कभी छुपाने से

अब तो नजरों से बिखरने लगे हैं

प्यार कभी  ठुकराना  मत

बाधा  से    घबड़ाना   मत

बहकावे में कभी किसी के

तुम  जरा  भी   आना   मत

जो दिल में आता है  लिख देते हैं

हमें  जो   भाता  है   लिख  देते हैं

माँ  शारदे  देतीं    हैं   जब   प्रेरणा

कलम दिल चलाता है लिख देते हैं

© संतोष  कुमार नेमा “संतोष”

सर्वाधिकार सुरक्षित

आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.) मो 9300101799

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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