श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है।आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण कविता “हरियाली”।)
☆ कविता # 139 ☆ हरियाली ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
तुम्हारा हरियाली से
इस तरह नाराज होकर
सूख जाने का कोई
न कोई मतलब होगा
तुम्हारा इस तरह से
नाराज होकर सूख जाना
फिर सूख कर खड़े रहना
हरियाली को आहत करता है
© जय प्रकाश पाण्डेय
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