सुश्री इन्दिरा किसलय

☆ “और तुम—?” ☆ सुश्री इन्दिरा किसलय ☆

हरे भरे खेत से कुछ दूर, चिड़िया, कौए, तोते, मुनिया, मैना और दूसरे पक्षी चिन्तामग्न दिखाई दिए। एक बुद्धिजीवी जो  पक्षियों की भाषा जानता था,वहां से गुजर रहा था।

उसने उनसे कहा—कितने डरे हुए और चिन्तित हो तुम ? बात क्या है ?

अरे! खेत में खड़ा है वो “बिजूका” है।

उसके भेजे में भूसा है।

कपड़े भी दूसरे के हैं।

हाथ पाँव, आँखें – सब कुछ नकली है !

उसकी मूंछें भी !

एक कौआ जो बड़ी देर से सुन रहा था, बोला–‘—-”’–“और तुम”—–?

* * *

©  सुश्री इंदिरा किसलय 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
5 1 vote
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments