हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 164 ☆ # बसंत के आगमन पर # ☆ श्री श्याम खापर्डे ☆

श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# दिल और दिमाग #”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 164 ☆

 # बसंत के आगमन पर #

जब सुबह की अल्हड़ किरणें

कलियों को चूमती है

तब यह सारी कायनात

प्रेम के रंग में डूबकर

मस्ती मे झूमती है

*

फूलों के मेले लगते हैं

स्वागत द्वार

हर तरफ सजते हैं

तरूणाई मदहोशी में

बहकती है

युवक युवतियां

उन्माद में चहकती हैं

हर तरफ

मनमोहक सुगंध है

हर काया में

मंत्र मुग्ध करती गंध है

ये विचरण करती

यौवन से लदी बालाएं

अंग अंग पर लिपटी

हुई मालाऐं

दिन-रात

प्रेम की मदिरा में डूबे हैं

आंखों ही आंखों में

छुपे हुए मंसूबे हैं

यह बयार हर दिल में

प्रीत जगाती है

बसंत के मादक मौसम में

बसंत सेना,  चारूलता

की याद दिलाती है

*

क्या यह ऋतु राज बसंत

अपने आगमन के साथ

बसंत सेना – चारूलता की

कहानी दोहरायेगा ?

क्या कोई वीर आर्यक

समस्थानक का मद

चूर कर पायेगा ?

या

पतझड़ के बाद आया हुआ

यह मदमस्त बसंत

ऋतु राज बसंत

इन रंगीनियों में डूबकर

झूठ और फरेब में छुपकर

मदिरा के मोह में

अप्सराओं की खोह में

माया से लिपटा हुआ

पद-प्रतिष्ठा के अहंकार से

चिपटा हुआ

हमेशा की तरह

चुपचाप चला जायेगा ?

या व्यवस्था के हाथों

बिक जायेगा ?

या जाते जाते

कोई परिवर्तन लायेगा ? /

© श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ हे शब्द अंतरीचे # 160 ☆ हे शब्द अंतरीचे… अभंग… ☆ महंत कवी राज शास्त्री ☆

महंत कवी राज शास्त्री

?  हे शब्द अंतरीचे # 160 ? 

☆ हे शब्द अंतरीचे… अभंग… ☆ महंत कवी राज शास्त्री ☆/

अखंड करावे, श्रीकृष्ण भजन

कदापि खंडण, नच व्हावे.!!

*

मनी ध्यास व्हावा, अप्राप्ती भावावी

आवडी धरावी, श्रीकृष्णाची.!!

*

सर्व तोचि देई, सर्व तोचि नेई

नाही नवलाई, या वेगळी.!!

*

कवी राज म्हणे, भावाचा भुकेला

हाकेला धावला, द्रौपदीच्या.!!

© कवी म.मुकुंदराज शास्त्री उपाख्य कवी राज शास्त्री

श्री पंचकृष्ण आश्रम चिंचभुवन, वर्धा रोड नागपूर – 440005

मोबाईल ~9405403117, ~8390345500

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ.उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ.गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – बोलकी मुखपृष्ठे ☆ “पिंपरी चिंचवड गाव ते महानगर” ☆ सुश्री वर्षा बालगोपाल ☆

सुश्री वर्षा बालगोपाल

? बोलकी मुखपृष्ठे ?

☆ “पिंपरी चिंचवड गाव ते महानगर” ☆ सुश्री वर्षा बालगोपाल 

श्रीकांत चौगुले लिखित पिंपरी चिंचवड गाव ते महानगर या पुस्तकाची द्वितीय आवृत्ती प्रकाशित झाली. हाती आलेल्या प्रति वरून पुस्तकाचे मुखपृष्ठ पाहिले आणि मनात  विचारांची गर्दी झाली.

ठसठशीत नावावरून आणि त्यावरील दोन चित्रावरून हे पूर्वीचे पिंपरी चिंचवड आणि हे आत्ताचे पिंपरी चिंचवड आहे हे चाणाक्ष लोकांच्या लगेच लक्षात येते. किती बदलले ना हा विचारही मनात निर्माण  होतो

नीट लक्ष देऊन पाहिले तर हे चित्र खूप काही बोलून जाते.

१) हल्लीच्या ट्रेंड नुसार पूर्वीची मी आणि आत्ताची मी असे लवंगी मिरची आणि ढब्बू मिरची आरशासमोर दाखवून केलेली दोन चीत्रे नजरेसमोर येऊन पूर्वीचे पिंपरी चिंचवड आणि आत्ताचे पिंपरी चिंचवड असेही चित्र आहे असे वाटले.

२) पूर्वीच्या पिंपरी चिंचवडचे स्वरूप आणि आत्ताचे हे रूप यामध्ये जमीन आसमानाचा फरक आहे हे सांगते

३) बैलगाडीचे कच्चे रस्ते ते आताचे उड्डाण पुलावरील मोठे  पक्के रस्ते हा बदल प्रामुख्याने जाणवतो

४) पूर्वीचे संथ जीवन आणि आत्ताची प्राप्त झालेली गती त्यावरून लक्षात येते

५) नीट पाहता गावाने केलेला मोठा विस्तार लक्षात येतो

६) हे वरवरचे अर्थ झाले तरी गर्भित अर्थ खूपच वेगळं काही सांगून जातो पूर्वीच्या आणि आत्ताच्या पिंपरी चिंचवड मधून वाहणारी पवनामाई यातून दिसते

०७) या पवना माईचे हे ऐल तट पैलं तट असून ऐल तटावर विस्तारलेले पिंपरी चिंचवड दिमाखाने उभे आहे तर पैल तट दूर राहून तेथे मनात जुने पिंपरी चिंचवड दिसत आहे

०८) पुस्तकाच्या नावावरून त्यातील ते या शब्दावरून हा एक प्रवास आहे असे लक्षात येते आणि हा प्रवास श्रीकांतजी चौगुले यांनी केलेला असून ते प्रवासवर्णन आपल्याला यातून मिळते

०९) हा प्रवास पवनामाईतून जणू बोटीन केलेला आहे आणि ह्या बोटीचे रूप त्या नावातील मांडणीवरून वाटते आणि या बोटीचे खलाशी श्रीकांतजी चौगुले आहेत हे स्पष्ट होते

१०) या चित्राचे दोन भाग म्हणजे शहराच्या विकासाचा विस्ताराचा डोंगर आणि त्या डोंगराने तितक्याच आदराने घेतलेली जुन्या संस्कृतीची पताका अखंड फडफडती ठेवली आहे याचे प्रतीक वाटते.

११) मधला पांढरा भाग उभा करून पाहिला तर A अक्षर वाटते दोन चित्रांचे रूप बघितले ते Z अक्षर वाटते म्हणजेच पिंपरी चिंचवडचे गाव ते महानगर या प्रवासातील सगळी स्थित्यंतरे इत्तमभूत  A to Z यामध्ये लिहिलेली आहेत हे दर्शवते

१२) पुरणकाळाचा संदर्भ घेतला तर पवना माईचे या दंडकाच्या मेरुनी केलेले हे मंथन असून त्यातून पिंपरी चिंचवड महानगरपालिका टाटा मोटर्स टेक महिंद्रा पक्के रस्ते उत्तुंग इमारती उद्योग कारखान्यांचा झालेला गजबजाट हि लाभलेली रत्ने महानगराला चिकटलेली आहेत

१३) शिवाजी महाराज आणि संत तुकाराम यांच्या भेटीतून भक्ती शक्ती प्रतीत होत असली तरी गाव संस्काराचे मोरया गोसावी यांचे मंदिर यातून उद्बोधित झालेली भक्ती आणि गावाची प्रगतीची विकासाची शक्ती असे वेगळे भक्ती शक्ती रूप यातून दिसते.

१४) गावाची अंगभूत असलेली ऐतिहासिकता अंगीकारलेली औद्योगिकता यातून स्पष्ट होते

१५) मधला पांढरा भाग हा पावना माईचे प्रतीक वाटून सुरुवातीला अगदी चिंचोळा असलेला हा प्रवाह पुढे अतिशय विस्तारलेला आहे आणि पुढे अजून विस्तार होणार आहे असे सांगते.

१६) पूर्वीच्या पिंपरी चिंचवड मधे फक्त साधी रहाणी असावी असे वाटते. पण त्याच साध्या रहानिमनातून उच्च विचारसरणी ठेऊन संपादन केलेले ज्ञान अर्थात सरस्वती आणि सगळ्यात श्रीमंत अशी महानगरपालिका म्हणजे लक्ष्मी अर्थात लक्ष्मी सरस्वती एकत्र नांदतांना दिसतात.

कदाचित अजूनही काही अर्थ या चित्रांमधून निघू शकतील. मला वाटलेले अर्थ मी येथे सांगण्याचा प्रयत्न केला आहे.

एवढा सर्वांगीण विचार करून तयार केलेले मुखपृष्ठ हे संतोष घोंगडे यांचे आहे.तसेच हे चित्र निवडण्याचे काम संवेदना प्रकाशन यांच्या  नीता नितीन हिरवे यांनी केले.त्यास मान्यता श्रीकांतजी चौगुले यांनी दिली. या सगळयांचे मन:पूर्वक आभार.

© सुश्री वर्षा बालगोपाल

मो 9923400506

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ परिहार जी का साहित्यिक संसार # 228 ☆ कहानी –  दुनियादारी ☆ डॉ कुंदन सिंह परिहार ☆

डॉ कुंदन सिंह परिहार

(वरिष्ठतम साहित्यकार आदरणीय  डॉ  कुन्दन सिंह परिहार जी  का साहित्य विशेषकर व्यंग्य  एवं  लघुकथाएं  ई-अभिव्यक्ति  के माध्यम से काफी  पढ़ी  एवं  सराही जाती रही हैं।   हम  प्रति रविवार  उनके साप्ताहिक स्तम्भ – “परिहार जी का साहित्यिक संसार” शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते  रहते हैं।  डॉ कुंदन सिंह परिहार जी  की रचनाओं के पात्र  हमें हमारे आसपास ही दिख जाते हैं। कुछ पात्र तो अक्सर हमारे आसपास या गली मोहल्ले में ही नज़र आ जाते हैं।  उन पात्रों की वाक्पटुता और उनके हावभाव को डॉ परिहार जी उन्हीं की बोलचाल  की भाषा का प्रयोग करते हुए अपना साहित्यिक संसार रच डालते हैं।आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय कहानी  – दुनियादारी। इस अतिसुन्दर रचना के लिए डॉ परिहार जी की लेखनी को सादर नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – परिहार जी का साहित्यिक संसार  # 228 ☆

☆ कहानी  –  दुनियादारी

विपिन भाई के पैरों के नीचे से जैसे ज़मीन खिसक गयी। दस दिन की बीमारी में ही पत्नी दुनिया से विदा हो गयी। दस दिन में विपिन भाई की दुनिया उलट-पुलट हो गयी। पहले एक हार्ट अटैक और फिर अस्पताल में ही दूसरा अटैक। विपिन भाई के लिए वे पन्द्रह दिन दुःस्वप्न जैसे हो गये। लगता था जैसे अपनी दुनिया से उठ कर किसी दूसरी भयानक दुनिया में आ गये हों।

विपिन भाई सुशिक्षित व्यक्ति थे। जीवन की क्षणभंगुरता और अनिश्चितता को समझते थे। कई धर्मग्रंथों को पढ़ चुके थे और जानते थे कि जीवन अपनी मर्जी के अनुसार नहीं चलता, खासकर अपने से अन्य प्राणियों का। लेकिन यह अनुभव कि जिस व्यक्ति के साथ पैंतीस वर्ष गुज़ार चुके हों, जिसे संसार के पेड़-पौधों,ज़र-ज़मीन, नातों-रिश्तों से भरपूर प्यार हो, वह अचानक सबसे विमुख हो इस तरह अदृश्य हो जाएगा, हिला देने वाला था। लाख कोशिश के बावजूद विपिन इस आघात से दो-चार नहीं हो पा रहे थे।

विपिन भाई अपने घर में अपने दुख को लेकर भी नहीं बैठ सकते थे क्योंकि उनके दुख का प्रकट होना उनके बेटे बेटियों के दुख को बढ़ा सकता था। इसलिए वे सायास सामान्यता का मुखौटा पहने रहते थे ताकि बच्चे उनकी तरफ से निश्चिंत रह सकें।

पत्नी की मृत्यु के बाद कर्मकांड का सिलसिला चला। अब तेरहीं के साथ बरसी निपटाने का शॉर्टकट तैयार हो गया है ताकि वर्ष में शुभ कार्य चलते रहें। आजकल के नौकरीपेशा लड़कों के लिए तेरहीं तक रुकने का वक्त नहीं होता, पंडित जी से मृत्यु के तीन-चार दिन के भीतर सब कृत्य निपटाने का अनुरोध होता है। विपिन भाई के लिए यह सब अटपटा था, लेकिन यंत्रवत इन कामों के विशेषज्ञों के निर्देशानुसार करते रहे।

विपिन की पत्नी की मृत्यु का समाचार पढ़कर बहुत से लोग आये। कुछ सचमुच दुख- कातर, कुछ संबंधों के कारण रस्म-अदायगी के लिए। कहते हैं न कि धीरज,धर्म, मित्र और नारी की परीक्षा विपत्ति में होती है। कुछ लोग देर से आये, कारण अखबार में सूचना पढ़ने से चूक गये या शहर से बाहर थे। जो नहीं आये उनके नहीं आने का विपिन भाई ने बुरा नहीं माना। ज़िन्दगी के सफर में जो जितनी दूर तक साथ आ जाए उतना काफी मानना चाहिए। ज़्यादा की उम्मीद करना नासमझी है।

विपिन भाई अब नई स्थितियों से संगति बैठा रहे थे और पुरानी स्मृतियों को बार-बार कुरेदने से बचते थे। पत्नी का प्रसंग घर में उठे तो उसे ज़्यादा खींचते नहीं थे, अन्यथा बाद में अवसाद घेरता था। अब भी सड़क पर चलते कई ऐसे लोग मिल जाते थे जो सड़क पर ही सहानुभूति जता लेना चाहते थे। फिर वही बातें कि  सब कैसे हुआ, कहाँ हुआ, फिर अफसोस और हमदर्दी। विपिन को ऐसे राह-चलते ज़ख्म कुरेदने वालों से खीझ होती थी। जब घर नहीं आ सके तो राह में मातमपुर्सी का क्या मतलब?

एक व्यक्ति जिसका न आना उन्हें कुछ खटकता था वह दयाल साहब थे। एक सरकारी विभाग में बड़े अफसर थे। मुहल्ले के कोने पर उनका भव्य बंगला था। दुनियादार आदमी थे। शहर के महत्वपूर्ण आयोजनों में वे ज़रूर उपस्थित रहते थे। फेसबुक पर रसूखदार लोगों के साथ फोटो डालने का उन्हें ज़बरदस्त शौक था। विपिन को भी अक्सर सुबह पार्क में मिल जाते थे।

मुस्कुराकर अभिवादन करते। जब उनका प्रमोशन हुआ तब उन्होंने घर पर पार्टी का आयोजन किया था। विपिन को भी आमंत्रित किया था। हाथ मिलाते हुए सब से कह रहे थे, ‘क्लास वन में आ गया हूँ।’

कुछ दिन बाद वे विपिन के घर आ गये थे। बोले, ‘नयी कार खरीदी है। आइए, थोड़ी राइड हो जाए।’ मँहगी गाड़ी थी। रास्ते में बोले, ‘नये स्टेटस के हिसाब से पुरानी गाड़ी जम नहीं रही थी, इसलिए यह खरीदी।’ फिर हँसकर बोले, ‘लोन पर खरीदी है ताकि इनकम टैक्स का नोटिस न आ जाए। वैसे पूछताछ तो अभी भी होगी।’

विपिन की पत्नी की मृत्यु के बाद दयाल साहब अब तक विपिन के घर नहीं आये थे। विपिन को कुछ अटपटा लग रहा था। एक दिन जब वे स्कूटर पर दयाल साहब के बंगले से गुज़र रहे थे तब वे गेट पर नज़र आये, लेकिन विपिन को देखते ही गुम हो गये। एक और दिन वे विपिन को एक मॉल में नज़र आये, लेकिन उन्हें देखते ही वे भीड़ में ग़ायब हो गये। विपिन को इस लुकाछिपी का मतलब समझ में नहीं आया।

दिन गुज़रते गये और विपिन की पत्नी की मृत्यु को लगभग दो माह हो गये। परिवार अब बहुत कुछ सामान्य हो गया था। अब मातमपुर्सी  के लिए किसी के आने की संभावना नहीं थी। विपिन चाहते भी नहीं थे कि अब कोई उस सिलसिले में आये।

उस शाम विपिन ड्राइंग रूम में थे कि दरवाज़े की घंटी बजी। खुद उठकर देखा तो दरवाज़े पर दयाल साहब थे। हल्की ठंड में शाल लपेटे। सिर पर बालों वाली टोपी। बगल में पत्नी। बिना एक शब्द बोले दयाल साहब, आँखें झुकाये, विपिन के बगल से चलकर अन्दर सोफे पर बैठ गये। घुटने सटे, हथेलियाँ घुटनों पर और आँखें झुकीं। पाँच मिनट तक वे मौन, आँखें झुकाये, बीच बीच में लंबी साँस छोड़ते और बार बार सिर हिलाते, बैठे रहे। उनके बगल में उनकी पत्नी भी मौन बैठी थीं। विपिन भाई भी स्थिति के अटपटेपन को महसूसते चुप बैठे रहे।

पाँच मिनट के सन्नाटे के बाद दयाल जी ने सिर उठाया, करुण मुद्रा बनाकर बोले, ‘इसे कहते हैं वज्रपात। इससे बड़ी ट्रेजेडी क्या हो सकती है। जिस उम्र में पत्नी की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है उसी उम्र में उनका चले जाना। बहुत भयानक। हॉरिबिल।’

विपिन भाई को उनकी मुद्रा और बातों से तनाव हो रहा था। वे कुछ नहीं बोले।

दयाल साहब बोले, ‘मैंने तो जब सुना, मैं डिप्रेशन में चला गया। आपकी मिसेज़ को पार्क में घूमते देखता था। शी लुक्ड सो फिट, सो चियरफुल। मैंने तो इनसे कह दिया कि दुनिया जो भी कहे, मैं तो अभी दस पन्द्रह दिन विपिन जी के घर नहीं जा पाऊँगा। मुझ में हिम्मत नहीं है। आई एम वेरी सेंसिटिव। इस शॉक से बाहर आने में मुझे टाइम लगेगा।’

वे फिर सिर झुका कर खामोश हो गये। विपिन भाई उनकी नौटंकी देख खामोश बैठे थे। उन्हें लग रहा था कि यह जोड़ा यदि आधा पौन घंटा और बैठा तो उनका ब्लड-प्रेशर बढ़ने लगेगा। लेकिन दयाल साहब उठने के मूड में नहीं थे। वे अपनी अभी तक की अनुपस्थिति की पूरी सफाई देने और उसकी भरपाई करने के इरादे से आये थे। अब उन्होंने अपने उन मित्रों-रिश्तेदारों के किस्से छेड़ दिये थे जो विपिन की पत्नी की ही तरह हार्ट अटैक की चपेट में आकर दिवंगत हो गये थे या बच गये थे।

समय लंबा होते देख विपिन ने औपचारिकतावश चाय के लिए पूछा तो दयाल जी ने हाथ उठाकर जवाब दिया, ‘अरे राम राम, अभी चाय वाय कुछ नहीं। चाय पीने के लिए फिर आएँगे।’
समय बीतने के साथ विपिन का दिमाग पत्थर हो रहा था। तनाव बढ़ रहा था। यह मुलाकात उनके लिए सज़ा बन गयी थी।

पूरा एक घंटा गुज़र जाने के बाद दयाल साहब ने एक लंबी साँस छोड़ी और फिर खड़े हो गये। विपिन भाई की तरफ दुखी आँखों से हाथ जोड़े और धीरे-धीरे बाहर की तरफ चले। विपिन भाई उनके पीछे पीछे चले।
दरवाज़े पर पहुँचकर दयाल साहब मुड़े और विपिन भाई के कंधे से लग गये। बोले, ‘विपिन भाई, हम आपके दुख में हमेशा आपके साथ हैं। यू कैन ऑलवेज़ डिपेंड ऑन मी। आधी रात को भी बुलाओगे तो दौड़ा चला आऊँगा। आज़मा लेना।’

वे इतनी देर चिपके रहे कि विपिन का दम घुटने लगा। अलग हुए तो विपिन की साँस वापस आयी। विदा करके विपिन भाई वापस कमरे में आये तो थके से सोफे पर बैठ गये। हाथ से माथा दबाते हुए बेटी से बोले, ‘ये लोग अब क्यों आते हैं? इन्हें समझ में नहीं आता कि ये पहले से ही परेशान आदमी पर अत्याचार करते हैं। ये कैसी हमदर्दी है?’

फिर बोले, ‘मुझे एक सरदर्द की गोली दे दो और थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दो।’

© डॉ कुंदन सिंह परिहार

जबलपुर, मध्य प्रदेश

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 227 – शारदीयता ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

☆  संजय उवाच # 227 शारदीयता ?

कुछ चिंतक भारतीय दर्शन को नमन का दर्शन कहते हैं जबकि यूरोपीय दर्शन को मनन का दर्शन निरूपित किया गया है।

वस्तुतः मनुष्य में विद्यमान शारदीयता उसे सृष्टि की अद्भुत संरचना और चर या अचर हर घटक की अनन्य भूमिका के प्रति मनन हेतु प्रेरित करती है। यह मनन ज्यों-ज्यों आगे बढ़ता है, कृति और कर्ता के प्रति रोम-रोम में कृतज्ञता और अपूर्वता का भाव जगता है। इस भाव का उत्कर्ष है गदगद मनुष्य का नतमस्तक हो जाना, लघुता का प्रभुता को नमन करना।

मनन से आगे का चरण है नमन। नमन में समाविष्ट है मनन।

दर्शन चक्र में मनन और नमन अद्वैत हैं। दोनों में मूल शब्द है – मन। ‘न’ प्रत्यय के रूप में आता है तो मन ‘मनन’ करने लगता है। ‘न’ उपसर्ग बन कर जुड़ता है तो नमन का भाव जगता है।

मनन और नमन का एकाकार पतझड़ को वसंत की संभावना बनाता है।

मौसम तो वही था,

यह बात अलग है

तुमने एकटक निहारा

स्याह पतझड़,

मेरी आँखों ने चितेरे

रंग-बिरंगे वसंत,

बुजुर्ग कहते हैं-

देखने में और

दृष्टि में

अंतर होता है!

देखने को दृष्टि में बदल कर आनंदपथ का पथिक हो जाता है मनुष्य।

एक प्रसंग साझा करता हूँ।  स्वामी विवेकानंद के प्रवचन और व्याख्यानों की धूम मची हुई थी। ऐसे ही एक प्रवचन को सुनने एक सुंदर युवा महिला आई। प्रवचन का प्रभाव अद्भुत रहा। तदुपरांत स्वामी जी को प्रणाम कर एक-एक श्रोता विदा लेने लगा। वह सुंदर महिला बैठी रही। स्वामी जी ने जानना चाहा कि वह क्यों ठहरी है? महिला ने उत्तर दिया,’ एक इच्छा है, जिसकी पूर्ति केवल आप ही कर सकते हैं।’ ..’बताइये, आपके लिए क्या कर सकता हूँ’, स्वामी जी ने पूछा। ..’मैं, आपसे शादी करना चाहती हूँ।’ …स्वामी जी मुस्करा दिया ये। फिर पूछा, ‘ आप मुझसे विवाह क्यों करना चाहती हैं?’…कुछ समय चुप रहकर महिला बोली,’ मेरी इच्छा है कि मेरा, आप जैसा एक पुत्र हो।’…स्वामी जी तुरंत महिला के चरणों में झुक गए और बोले, ‘आजसे आप मेरी माता, मैं आपका पुत्र। मुझे पुत्र के रूप में स्वीकार कीजिए।’

देखने को दृष्टि में बदलने वाली शारदीयता हम सबमें सदा जाग्रत रहे। वसंत ऋतु की मंगलकामनाएँ।

© संजय भारद्वाज 

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय संपादक– हम लोग पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆   ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

💥 🕉️ मार्गशीर्ष साधना सम्पन्न हुई। अगली साधना की सूचना हम शीघ्र करेंगे। 🕉️ 💥

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media # 175 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain (IN) Pravin Raghuvanshi, NM

? Anonymous Litterateur of Social Media # 175 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 175) ?

Captain Pravin Raghuvanshi NM—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. He was involved in various Artificial Intelligence and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’. He is also the English Editor for the web magazine www.e-abhivyakti.com.  

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc.

Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi. He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper. The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his Naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Awards and C-in-C Commendation. He has won many national and international awards.

He is also an IMM Ahmedabad alumnus.

His latest quest involves writing various books and translation work including over 100 Bollywood songs for various international forums as a mission for the enjoyment of the global viewers. Published various books and over 3000 poems, stories, blogs and other literary work at national and international level. Felicitated by numerous literary bodies..!

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 175 ?

☆☆☆☆☆

Lasting Beauty

☆☆

वैसे तो हर चीज़ अपने ही

वक्त पर अच्छी लगती है,

बस एक तुम ही हो जो

हर वक्त अच्छे लगते हो…!

☆☆

Everything looks good at

its own given time…

You are the only one who

looks good all the time…!

Perplexity

☆☆

कम सबके हो

गए हैं आसान बहुत…

अब यहाँ कौन समझेगा

मेरी मुश्किलों को भला…!

☆☆

Everyone’s task has

become so easy here…

Who will understand

my problems now…!

☆☆☆☆☆

Lapidary… ☆

☆☆

मेरे टूटने का जिम्मेदार

मेरा जौहरी ही है,

उसी की ये जिद थी कि

मुझे और तराशा जाए…!

☆☆

My jeweler should only be held

responsible for my shattering…

It was he who insisted that

I should be polished further..!

☆☆☆☆☆

Who cares…

☆☆

जब रिश्ता ही टूट गया

तेरी सियाह ज़ुल्फों से

वो अब लाख ख़म खाएँ

तो हमारी बला से…!

☆☆

When relationship itself has broken

down with your dark hair curls…

Who the hell cares, even if they swirl

around a million times over…l

☆☆☆☆☆

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 173 ☆ सॉनेट – ज्ञान ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है सॉनेट – ज्ञान )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 173 ☆

☆ सॉनेट – ज्ञान ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

सुमति-कुमति हर हृदय बसी हैं।

सुमति ज्ञान की राह दिखाती।

कुमति सत्य-पथ से भटकाती।।

अपरा-परा न दूर रही हैं।।

परा मूल है, छाया अपरा।

पुरुष-प्रकृति सम हैं यह मानो।

अपरा नश्वर है सच मानो।।

अविनाशी अक्षरा है परा।।

उपज परा से मिले परा में।

जीव न जाने जा अपरा में।

मिले परात्पर आप परा में।।

अपरा राह साध्य यह जानो।

परा लक्ष्य अक्षर पहचानो।

भूलो भेद, ऐक्य अनुमानो।।

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

८-२-२०२२

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (12 फरवरी से 18 फरवरी 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (12 फरवरी से 18 फरवरी 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

माह जनवरी की 15 तारीख को मकर संक्रांति थी। कहा जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में आते हैं। इसी प्रकार इस सप्ताह के 13 फरवरी को कुंभ संक्रांति होगी और भगवान सूर्य मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। जनश्रुति है कुंभ शनिदेव का पुराना पुराना घर है। मकर संक्रांति पर जब भगवान सूर्य शनि देव के घर आए थे तो प्रसन्न होकर के उन्होंने उनको मकर नामक घर भी प्रदान किया था। आप सभी को पंडित अनिल पाण्डेय का नमस्कार। इस कहानी को सुनाने का मेरा अभिप्राय यह था की भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में लगातार दो माह रहते हैं। इसी प्रकार आज के मानव को भी अपने पुत्र के घर साल में कम से कम लगातार दो माह रहना चाहिए जिससे पिता और पुत्र के बीच में संबंध हमेशा अच्छे बने रहें।

आज की चर्चा में मैं आपको 12 फरवरी से 18 फरवरी 2024 अर्थात विक्रम संवत 2080 शक संवत 1945 के माघ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया से नवमी तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के बारे में चर्चा करेंगे।

सप्ताह के प्रारंभ में चंद्रमा कुंभ राशि का रहेगा। 12 फरवरी को 1:59 दिन से मीन राशि में प्रवेश करेगा। 14 फरवरी को 4:28 शाम से मेष राशि में गोचर करेगा। 16 फरवरी को 8:05 रात से वृष राशि में जाएगा। सप्ताह समाप्त होते होते 18 फरवरी को 1:33 रात के समय चंद्रमा मिथुन राशि में चला जाएगा।

सूर्य के गोचर के बारे में मैं आपको पूर्व में बता चुका हूं। इस सप्ताह के प्रारंभ में सूर्य मकर राशि में रहेगा तथा 13 को 8:01 रात से कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। इसके अलावा मंगल, बुध और शुक्र तीनों ग्रह पूरे सप्ताह मकर राशि में भ्रमण करेंगे। इस पूरे सप्ताह सूर्य मेष राशि में तथा शनि कुंभ राशि में रहेंगे। हम सभी जानते हैं की राहु सदैव वक्री चाल चलता है। इस सप्ताह राहु मीन राशि में बक्री होकर गमन करेगा।

सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश के बाद शुभ मुहूर्त में प्रारंभ हो गए हैं। इस सप्ताह 12, 13, 14, 17 और 18 फरवरी को विवाह का मुहूर्त है। मुंडन अन्नप्राशन और नामकरण के मुहूर्त 14 फरवरी को है। व्यापार का मुहूर्त 14 और 15 फरवरी को है। इस सप्ताह उपनयन गृह प्रवेश और गृहारंभ के कोई भी मुहूर्त नहीं है।

इस सप्ताह 14 फरवरी को बसंत पंचमी है। आप सभी को बसंत पंचमी की ढेर सारी बधाई।

इस सप्ताह 13 फरवरी को सूर्योदय से शाम के 5:57 तक और 15 फरवरी को सूर्योदय से दिन के 3:12 तक सर्वार्थ सिद्धि योग है। इसके अलावा इस सप्ताह 17 फरवरी को 1:37 दिन से रात के अंत तक अमृत सिद्धि योग भी है।

आइये अब हम राशिवार राशिफल के बारे में बताने का प्रयास करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य भी ठीक रहना चाहिए। जीवनसाथी को पेट में थोड़ी-थोड़ी समस्या हो सकती है। माताजी को ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की दिक्कत आ सकती है। कृपया उनके ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को पूरे सप्ताह लगातार चेक करते रहें। इस सप्ताह आपकी कुंडली में धन आने का योग सामान्य है। कचहरी के कार्यों में इस सप्ताह आपके रिक्स नहीं लेना चाहिए। आपको गरदन या कमर में दर्द हो सकता है। अगर आप सरकारी अधिकारी या कर्मचारी हैं तो यह सप्ताह आपके लिए अत्यंत उत्तम है। अगर आपका प्रमोशन ड्यू है तो वह इस सप्ताह हो भी सकता है। इस सप्ताह 15 और 16 फरवरी को आपकी कुंडली के गोचर में गजकेसरी योग बन रहा है। यह गजकेसरी योग अत्यंत उत्कृष्ट है। इससे स्पष्ट है कि 15 और 16 फरवरी को आप द्वारा किए गए कार्यों में आपको काफी सफलता प्राप्त होगी। आपको 12, 13 और 14 फरवरी को सतर्क रहना चाहिए। 17 और 18 फरवरी को आपको धन की प्राप्ति हो सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि माता जी के उत्तम स्वास्थ्य के लिए मंगल देव की विशेष पूजा करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह भाग्य आपका काफी साथ देगा। कार्यालय के कार्यों में थोड़ी बहुत परेशानी होना स्वाभाविक है। अतः आपको चाहिए कि आप व्यर्थ का वाद विवाद ना करें। धन आने में बाधा है। कचहरी के कार्यों में इस सप्ताह आपके रिक्स नहीं लेना चाहिए। भाई बहनों के साथ आपका तनाव हो सकता है। आपको अपनी संतान से थोड़ा बहुत मदद मिल सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 17 और 18 तारीख उत्तम है। 17 और 18 तारीख को कई कार्यो में आपको सफलता प्राप्त हो सकती है। 15 और 16 तारीख को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप राम रक्षा स्त्रोत का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। माता जी का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा परंतु पिताजी के स्वास्थ्य में परेशानी आ सकती है। भाग्य से आपको थोड़ी बहुत मदद मिलेगी। धन आने का अच्छा योग है। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक रहेंगे। दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें। आपको अपने संतान से कोई विशेष सहयोग प्राप्त नहीं होगा। इस सप्ताह आपके लिए 12,13 और 14 फरवरी अनुकूल है। 12, 13 और 14 फरवरी को आपके कार्य बगैर किसी बाधा के हो सकते हैं। 17 और 18 तारीख को आपको कोई भी कार्य बहुत सावधानी पूर्वक करना चाहिए। 17 और 18 तारीख को कोई कार्य करते समय आपको अपने गुप्त शत्रुओं से सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

यह सप्ताह आपके जीवन साथी के लिए काफी उत्तम रहेगा। माताजी को पेट में कुछ समस्या हो सकती है। पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपको ब्लड प्रेशर और डायबिटीज इत्यादि रक्त संबंधी रोगों से सावधान रहना चाहिए। भाग्य से इस सप्ताह आपको काम मदद मिलेगी। आपको अपने परिश्रम पर ही भरोसा करना पड़ेगा। दुर्घटनाओं से इस सप्ताह आपको काफी सावधान रहना चाहिए। अगर आप अविवाहित हैं तो इस सप्ताह आपके पास विवाह के काफी प्रस्ताव आ सकते हैं। इस सप्ताह आपके लिए 15 और 16 फरवरी उत्तम है। 17 और 18 फरवरी को आपको धन लाभ हो सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके जीवन साथी को कुछ मानसिक कष्ट हो सकता है। उस कष्ट की थोड़ी छाए आप पर भी पड़ेगी। इस सप्ताह आपका भाग्य आपके लिए अनुकूल है। इस सप्ताह आपकी कुंडली के गोचर में प्रबल शत्रुहन्ता योग बन रहा है। आप अगर थोड़ा सा प्रयास करेंगे तो आपके सभी शत्रु समाप्त हो सकते हैं। इस सप्ताह आपका अपने भाई बहनों और संतान के साथ सामान्य संबंध रहेंगें। इस सप्ताह आपके लिए 17 और 18 फरवरी उत्तम है। 17 और 18 फरवरी को आपकी कुंडली के गोचर में कार्य सिद्ध योग बन रहा है। 12, 13 और 14 फरवरी को आपको सतर्कता के साथ ही कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप अपने जीवनसाथी के स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन प्रात काल स्नान की उपरांत सूर्य मत्रों के साथ में भगवान सूर्य को जल अर्पण करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपके एक संतान को उन्नति प्राप्त हो सकती है। छात्रों की पढ़ाई ठीक-ठाक चलेगी। व्यापार में उन्नति होगी। धन प्राप्ति में बाधाएं आयेंगी। माता जी और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपका या आपके जीवन साथी में से किसी एक का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। इस सप्ताह भाई और बहनों के साथ आपके संबंध सामान्य रहेंगे। इस सप्ताह आपके लिए 12, 13 और 14 फरवरी लाभदायक हैं। 12, 13 और 14 फरवरी को किए गए कार्यों से आपको लाभ प्राप्त होगा। 15 और 16 फरवरी को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। 17 और 18 फरवरी को आपको अपने भाग्य से लाभ प्राप्त हो सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गरीबों के बीच में तिल का दान दें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपके सुख में वृद्धि होगी। धन में भी वृद्धि होगी। आप कोई नई संपत्ति भी खरीद सकते हैं। इस सप्ताह भाग्य से आपको सामान्य मदद मिलेगी। आपके व्यापार में उन्नति हो सकती है। माता जी का स्वास्थ्य समान्यता ठीक रहेगा। पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आ सकती है। आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। जीवनसाथी को थोड़ी पीड़ा हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 15 और 16 फरवरी लाभदायक है। सप्ताह के बाकी दिन आपको सावधान रहने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह थोड़ा अच्छा और थोड़ा खराब है। आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रह सकता है,परंतु माता जी के स्वास्थ्य में थोड़ी गड़बड़ी की आशंका है। भाई बहनों के साथ संबंध समान्यतया ठीक रहेंगे। आपकी संतान से आपको कोई सहयोग प्राप्त नहीं होगा। कार्यालय में आपको थोड़ी बहुत परेशानी हो सकती है। भाग्य से आपको मदद नहीं मिल पाएगी। इस सप्ताह आपके लिए 17 और 18 फरवरी उत्तम है। 17 और 18 फरवरी को आप जिन कार्यों को करने का प्रयास करेंगे उन सभी में आपके सफल होने की उम्मीद है। 15 और 16 फरवरी को आपको सतर्क रहकर कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

धनु राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। भाग्य से मदद मिलने की उम्मीद है। धन आने का योग है। आपके माता जी को कष्ट हो सकता है। पिताजी का स्वास्थ्य सामान्य से ठीक रहेगा। भाई बहनों के साथ संबंध में थोड़ी कड़वाहट आ सकती है। आपकी संतान आपके साथ सहयोग करेगी। व्यापार में उन्नति हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 12, 13 और 14 फरवरी उत्तम है। 17 और 18 फरवरी को आपको सावधान रहने की आवश्यकता है। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह शनिवार को शनि मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपके व्यापार में लाभ हो सकता है। अगर आप परिश्रम करेंगे तो आपके बहुत सारे कार्य सफल हो सकते हैं। आपके सुख में वृद्धि होगी। सुख संबंधी कोई उपकरण या घर में कोई अच्छा कार्य हो सकता है जिसमें धन भारी मात्रा में खर्च हो। आपके जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी दिक्कत आ सकती है। माताजी और पिताजी के स्वास्थ्य में मामूली दिक्कत है। भाग्य से सामान्य मदद मिलेगी। इस सप्ताह आपके लिए 15 और 16 फरवरी उत्तम है। 17 औरत 18 फरवरी आपकी संतान के लिए उत्तम है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आपके लिए कचहरी के कार्यों में सफलता का उत्तम योग है। धन आने में थोड़ी बाधा है। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक रहेगा। भाग्य से कम मदद प्राप्त होगी। आपके और आपके जीवनसाथी के स्वास्थ्य में मामूली परेशानी रहेगी। माता और पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। व्यापार सामान्य रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 17 और 18 फरवरी उत्तम है। 17 और 18 फरवरी को आप जो जो कार्य करेंगे सभी में आपको सफलता मिलने की पूरी उम्मीद है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान सूर्य को प्रतिदिन प्रातः काल स्नान के उपरांत जल अर्पण करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने का योग है। आपके धन की मात्रा में वृद्धि होगी। व्यापार में वृद्धि होगी। कचहरी के कार्य पूरी सावधानी के साथ ही करें। अगर आप यह कार्य सावधानी के साथ नहीं करेंगे तो धोखा खा सकते हैं। इस सप्ताह आपको भाग्य से कोई विशेष मदद प्राप्त नहीं होगी। भाग्य आपकी बहुत थोड़ी मदद कर पाएगा। आपके और आपके जीवन साथी के स्वास्थ्य में थोड़ी बहुत खराबी रहेगी। माता और पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 12, 13 और 14 तारीख परिणाम दायक है। 12, 13 और 14 फरवरी को आप जो भी कार्य करेंगे अधिकांश में आपको सफलता प्राप्त होगी। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

आपसे अनुरोध है कि इस पोस्ट का उपयोग करें और हमें इस पोस्ट के बारे में बतायें।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – चित्रकाव्य ☆– “सूर्याची पिल्ले…” – ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

सुश्री नीलांबरी शिर्के

?️?  चित्रकाव्य  ?️?

? – “सूर्याची पिल्ले – ? ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

छोटी छोटी फुले जणू ही

की सूर्याची ही पिल्ले

ठेवून सूर्याकडे उष्णता

इवल्याशा झुडपावर वसले

*

झुडुपांनी प्रसन्न होऊनी 

दिली सुखकर शीतलता 

वरदाने या रवीची पिल्ले

येती निरखता आणि स्पर्शता …… 

© सुश्री नीलांबरी शिर्के

मो 8149144177

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संस्मरण – मेरी यादों में जालंधर – भाग-4 – यह आकाशवाणी का जालंधर केंद्र है ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

श्री कमलेश भारतीय 

(जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब)  शिक्षा-  एम ए हिंदी, बी एड, प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । ‘यादों की धरोहर’ हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह – ‘एक संवाददाता की डायरी’ को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से  कथा संग्रह- महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति का पुरस्कार । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तीन वर्ष तक उपाध्यक्ष । दैनिक ट्रिब्यून से प्रिंसिपल रिपोर्टर के रूप में सेवानिवृत। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता)

☆ संस्मरण – मेरी यादों में जालंधर – भाग-4 – यह आकाशवाणी का जालंधर केंद्र है ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

(प्रत्येक शनिवार प्रस्तुत है – साप्ताहिक स्तम्भ – “मेरी यादों में जालंधर”)

जालंधर की यादों का सिलसिला जारी है और सुझाव भी आया कि एक बार जालंधर आकाशवाणी व दूरदर्शन को अच्छे से याद करूँ क्योंकि संयुक्त पंजाब के यही केंद्र थे और इनमें प्रसिद्ध हिदी लेखकों ने अपनी सेवायें दीं और इन केंद्रों को संवारने में अमूल्य सहयोग दिया।

मेरी जानकारी में प्रसिद्ध नाटककार हरिकृष्ण प्रेमी, गिरिजा कुमार माथुर, विश्व प्रकाश दीक्षित बटुक, श्रीवर्धन कपिल, लक्ष्मेंद्र चोपड़ा आदि जालंधर आकाशवाणी केंद्र में निदेशक रहे। जहाँ हरिकृष्ण प्रेमी व गिरिजा कुमार माथुर हिंदी के प्रसिद्ध नाटककार रहे। गिरिजा कुमार माथुर को प्रसिद्ध लेखक अज्ञेय जी के संपादन में तार सप्तक में संकलित किया गया और चर्चित कवियों में उनका नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता  है। इनकी पत्नी शकुंत माथुर भी अच्छी रचनाकार थीं। वहीं ‌श्रीबर्धन कपिल अपनी आवाज़ के दम पर राष्ट्रीय स्तर पर कमेंटेटर रहे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अमृतसर से पाकिस्तान की बस यात्रा की बहुत ही शानदार कमेंट्री की थी। राष्ट्रीय दिवसों का आंखों देखा हाल भी सुनाते रहे। विश्व प्रकाश दीक्षित बटुक को वीर प्रताप समाचारपत्र के संपादक वीरेंद्र वीर जी ने सम्मानित भी किया था। इनके बेटे विजय बर्धन दीक्षित भी जालंधर आकाशवाणी केंद्र में प्रोड्यूसर पद पर रहे ।

 लक्ष्मेंद्र चोपड़ा का हिंदी लघुकथा में विशेष स्थान है। वे मुम्बई दूरदर्शन के निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए और आजकल गुरुग्राम में रहकर साहित्य सेवा कर रहे हैं। प्रसिद्ध पंजाबी कवि सोहन सिंह मीशा भी आकाशवाणी केंद्र, जालंधर में रहे और उन्हें साहित्य अकादमी अवार्ड मिलने पर नवांशहर के अपने आर के आर्य काॅलेज में भी आमंत्रित किया था। मैं और मुकेश सेठी उनको आमंत्रित करने गये थे और वे सहर्ष  आये भी और अपनी प्रसिद्ध कविता -चीक बुलबली का बहुत शानदार पाठ किया था जिसका मूल भाव यह था कि जहाँ कहीं वे अन्याय देखते हैं, वे चुप नहीं रह पाते और विरोध में ऊंची चींख निकल ही आती है। दुखांत यह रहा कि वे कपूरथला की कांजली नदी में नौका विहार करते नदी में ही गिर गये और बाद में प्राण नहीं बचाये नहीं जा सके थे। आज तक उनकी कविता चीक बुलबली का सार याद है और मीशा जी भी। जालंधर आकाशवाणी केंद्र के जानकी प्रसाद भारद्वाज व हेमराज शर्मा आकाशवाणी केंद्र से बाहर अनेक कार्यक्रमों में खूब हंसाते और आकाशवाणी पर ग्रामीण कार्यक्रम बहुत बढ़िया प्रस्तुत करते। भारद्वाज की बेटी चंद्रकला भी प्रोड्यूसर रहीं। यदि हिंदी कार्यक्रम प्रोड्यूसर डाॅ रश्मि खुराना को याद न करूँ तो अन्याय होगा। उन्होंने मुझे सिखाया कि आकाशवाणी के माइक के आगे कैसे बोलना है और ऐसे ही एक प्रोड्यूसर कैलाश शर्मा ने मुझे आकाशवाणी पर बड़े अवसर दिये। वे दिल्ली से ट्रांस्फर होकर आये थे और आकाशवाणी केंद्र के पास ही रहते थे। हरभजन बटालवी और देवेंद्र जौहल पंजाबी कार्यक्रमों के प्रोड्यूसर रहे। विनोद धीर व पुनीत सहगल ड्रामा प्रोड्यूसर रहे। आजकल पुनीत सहगल दूरदर्शन केंद्र, जालंधर केंद्र के प्रोग्राम प्रमुख हैं।

आकाशवाणी केंद्र, जालंधर की बात अपने मित्र राजेन्द्र चुघ के बिना भी अधूरी रहेगी। वे आकाशवाणी के जालंधर केंद्र पहले कैजुअल अनाउंसर रहे बाद में उन्नति करते करते दिल्ली से पौने नौ बजे के प्रमुख समाचार वाचक रहे और मैं उन्हें मुलाकात होने पर मज़ाक में कहता कि अब आप राजेन्द्र चुघ से राष्ट्रीय समाचार सुनिये। वे अच्छे कवि भी हैं। जब मुझे प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से पुरस्कार मिलना था तब मुझे  हरियाणा भवन में बधाई देने आए थे और हमने जालंधर के मित्रों को याद किया था।

जालंधर दूरदर्शन केंद्र के समाचार संपादक प्रसिद्ध हिंदी उपन्यासकार जगदीश चन्द्र वैद थे जिनका उपन्यास धरती धन न अपना हिंदी के बहुचर्चित उपन्यासों में से एक है और अनेक भाषाओं में अनुवादित भी हुआ। बलविंदर अत्री भी समाचार संपादक रहे और  हिंदी के अच्छे कवि हैं और अनुराग ललित के नाम से लिखते हैं । रवि दीप ड्रामा प्रोड्यूसर रहे और उनका निर्दशित नाटक खींच रहे हैं आज तक याद है कि हम सब अपनी इच्छाओं को बढ़ाते जाते हैं  जैसे बच्चे पतंग उड़ाते हैं, ऐसे ही हम अपनी इच्छायें बढ़ाते जाते हैं। रवि दीप आजकल मुम्बई में रहते हैं। सुरेंद्र शर्मा भी ड्रामा प्रोड्यूसर थे और उन्होंने स्वदेश दीपक की तमाशा कहानी का नाट्य रूपांतरण करवाया था। लखविंदर जौहल लिश्कारा नाम से कार्य क्रम बनाते थे जिसे प्रसिद्ध पंजाबी कवि सुरजीत पात्र होस्ट करते थे। इंदु वर्मा भी यहीं और मित्र डाॅ कृष्ण कुमार दत्त भी रहे और विपिन गोयल भी याद आ रहे हैं। दत्तू अच्छे लेखक भी हैं।

मैं सोचता हूँ कि आज के लिए इतना ही काफी है। अभी भी बहुत मित्र छूट रहे होंगे। मुझ अज्ञानी, खलकामी समझ कर माफ कर देंगे।

क्रमशः…. 

© श्री कमलेश भारतीय

पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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