हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 237 – समुद्र मंथन ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

☆  संजय उवाच # 237 ☆ समुद्र मंथन ?

स्वर्ग की स्थिति ऐसी हो चुकी थी जैसे पतझड़ में वन की। सारा ऐश्वर्य जाता रहा। महर्षि दुर्वासा के श्राप से अकल्पित घट चुका था। निराश देवता भगवान विष्णु के पास पहुँचे।  भगवान ने समुद्र की थाह लेने का सुझाव दिया। समुद्र में छिपे रत्नों की ओर संकेत किया। तय हुआ कि सुर-असुर मिलकर समुद्र मथेंगे।

मदरांचल पर्वत की मथानी बनी और नागराज वासुकि बने नेती। मंथन आरम्भ हुआ। ज्यों-ज्यों गति बढ़ी, घर्षण बढ़ा, कल्पनातीत घटने की संभावना और आशंका भी बढ़ी।

मंथन के चरम पर अंधेरा छाने लगा और जो पहला पदार्थ बाहर निकला, वह था, कालकूट विष। ऐसा घोर हलाहल जिसके दर्शन भर से मृत्यु का आभास हो। जिसका वास नासिका तक पहुँच जाए तो श्वास बंद पड़ने में समय न लगे। हलाहल से उपजे हाहाकार का समाधान किया महादेव ने और कालकूट को अपने कंठ में वरण कर लिया। जगत की देह नीली पड़ने से बचाने  के लिए शिव, नीलकंठ हो गए।

समुद्र मंथन में कुल चौदह रत्न प्राप्त हुए। संहारक कालकूट के बाद पयस्विनी कामधेनु, मन की गति से दौड़ सकनेवाला उच्चैश्रवा अश्व, विवेक का स्वामी ऐरावत हाथी, विकारहर्ता कौस्तुभ मणि, सर्व फलदायी कल्पवृक्ष, अप्सरा रंभा, ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी, मदिरा की जननी वारुणी, शीतल प्रभा का स्वामी चंद्रमा, श्रांत को विश्रांति देनेवाला पारिजात, अनहद नाद का पांचजन्य शंख, आधि-व्याधि के चिकित्सक भगवान धन्वंतरि और उनके हाथों में अमृत कलश।

अमृत पाने के लिए दोनों पक्षों में तलवारें खिंच गईं। अंतत: नारायण को मोहिनी का रूप धारण कर दैत्यों को भरमाना पड़ा और अराजकता शाश्वत नहीं हो पाई।

समुद्र मंथन की फलश्रुति के क्रम पर विचार करें। हलाहल से आरंभ हुई यात्रा अमृत कलश पर जाकर समाप्त हुई। यह नश्वर से ईश्वर की यात्रा है। इसीलिए कहा गया है, ‘मृत्योर्मा अमृतं गमय।’

अमृत प्रश्न है कि क्या समुद्र मंथन क्या एक बार ही हुआ था?  फिर ये नित, निरंतर, अखण्डित रूप से मन में जो मथा जा रहा है, वह क्या है? विष भी अपना, अमृत भी अपना! राक्षस भी भीतर, देवता भी भीतर!… और मोहिनी बनकर जग को भरमाये रखने की चाह भी भीतर !

अपनी कविता की पंक्तियाँ स्मरण आती हैं-

इस ओर असुर,

उस ओर भी असुर ही,

न मंदराचल,

न वासुकि,

तब भी-

रोज़ मथता हूँ

मन का सागर…,

जाने कितने

हलाहल निकले,

एक बूँद

अमृत की चाह में..!

इस एक बूँद की चाह ही मनुष्यता का प्राण है।   यह चाह अमरत्व प्राप्त करे।…तथास्तु!

© संजय भारद्वाज 

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय संपादक– हम लोग पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆   ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

💥 🕉️ श्रीरामनवमी  साधना पूरा करने हेतु आप सबका अभिनंदन। अगली साधना की जानकारी से शीघ्र ही आपको अवगत कराया जाएगा। 🕉️💥

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media # 184 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain (IN) Pravin Raghuvanshi, NM

? Anonymous Litterateur of Social Media # 184 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 184) ?

Captain Pravin Raghuvanshi NM—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. An alumnus of IIM Ahmedabad was involved in various Artificial and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’. He is also the English Editor for the web magazine www.e-abhivyakti.com.  

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc.

Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi. He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper. The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his Naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Awards and C-in-C Commendation. He has won many national and international awards.

He is also an IIM Ahmedabad alumnus.

His latest quest involves writing various books and translation work including over 100 Bollywood songs for various international forums as a mission for the enjoyment of the global viewers. Published various books and over 3000 poems, stories, blogs and other literary work at national and international level. Felicitated by numerous literary bodies..!

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 184 ?

☆☆☆☆☆

खामोशियां बोल देती है

ज़िनकी बातें नहीं होती..

दोस्ती उनकी भी क़ायम है

ज़िनकी मुलाक़ातें नहीं होती…

☆☆ 

Silence converses with them 

who don’t talk to each other…

Friendship flourishes of those too,  

Who don’t  even get to meet…

☆☆☆☆

बेदाग़ रख महफूज़ रख

मैली न कर तू ज़िन्दगी…

मिलती नहीं इँसान को…

किरदार की चादर नईं…

☆☆ 

Keep it spotless, keep it secure

Your life don’t you ever stain

For man does not receive again

A fresh mask for his character

☆☆☆☆

क्या कहना उनका जो हवाओं में 

सलीक़े से  ख़ुशबू घोल देते हैं 

फ़िज़ाएँ मुश्कबार हो जाती हैं   

फ़क़त जिनके खयाल से…

☆☆

What  to say about her who

infuses aroma in the winds

Whose thought alone turns

Whole environment fragrant

 ☆☆☆☆

बस इतना सा असर होगा

हमारी यादों का

कि कभी कभी तुम बिना

बात मुस्कुराओगे…

☆☆

The only effect of my

Memories will be that

Sometimes without any

Reason you will smile…!

☆☆☆☆☆

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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हिन्दी साहित्य – आलेख ☆ अभी अभी # 346 ⇒ जिन्दगी और टेस्ट मैच… ☆ श्री प्रदीप शर्मा ☆

श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “जिन्दगी और टेस्ट मैच।)

?अभी अभी # 346 ⇒ जिन्दगी और टेस्ट मैच? श्री प्रदीप शर्मा  ?

एक समय था, जब ज़िंंन्दगी चार दिन की थी और टेस्ट मैच पांच दिनों का। यानी टेस्ट मैच जिंदगी से ज्यादा उबाऊ था। एक खिलाड़ी को दो दो पारी खेलनी पड़ती थी। वैसे देखा जाए तो किसकी होती है चार दिन की जिंदगी। सौ बरस जिंदगी जीने की आस, को ही शायद चार दिनों की जिंदगी माना गया हो।

२५ ब्रह्मचर्य, २५ गृहस्थ, २५ वानप्रस्थ और २५ सन्यास, लो हो गए चार दिन। वैसे एक क्रिकेटर की जिंदगी भी कहां २५ बरस से अधिक की होती है। उसे एक लंबे, सफल क्रिकेट कैरियर के बाद जिंदगी से नहीं, लेकिन हां क्रिकेट से सन्यास जरूर लेना पड़ता है। क्रिकेट राजनीति नहीं, जहां सन्यास लिया नहीं जाता, विरोधियों को दिलवाया जाता है।।

उबाऊ जिंदगी को रोचक और रोमांचक बनाने के लिए पांच दिन के टेस्ट मैच को एक दिन का, फिफ्टी फिफ्टी ओवर का कर दिया गया। यानी सौ बरस की जिंदगी हमारी अब पचास बरस की हो गई, क्योंकि इसमें से वानप्रस्थ और सन्यास को निकाल बाहर कर दिया गया। जिंदगी छोटी हो, लेकिन खूबसूरत हो।

खेलना कूदना, पढ़ना लिखना, कुछ काम धंधा करना और हंसते खेलते जिंदगी गुजारना। यानी कथित चार दिन की जिंदगी का मजा एक ही दिन में ले लेना, क्या बुरा है। फटाफट क्रिकेट की तरह, फटाफट जिंदगी।

जिंदगी एक सफर है सुहाना। यहां कल क्या हो, किसने जाना। अगर दुनिया मुट्ठी में करना है, तो आपको फटाफट जिंदगी जीना पड़ेगी। जब से क्रिकेट में टेस्ट मैच और वन डे का स्थान टी -20 ने लिया है, इंसान ने कम समय में जिंदगी जीना सीख लिया है।।

एक आईपीएल खिलाड़ी की उम्र देखो और उसका पैकेज देखो, और बाद में उनका खेल देखो और खेल की धार देखो। सिर्फ टी – 20 क्रिकेट ही नहीं, आज की युवा पीढ़ी को भी देखिए, समय से कितनी आगे निकली जा रही है। गए जमाने बाबू जी की नब्बे ढाई की नौकरी और रिटायरमेंट के बाद मामूली सी पेंशन के दिन। कितना सही लिखा है जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने, ” जो चाहते हो, वह पा लो, वर्ना जो पाया है, वही चाहने लगोगे।

काश हमारी जिंदगी भी क्रिकेट की तरह ही होती। हम रोज आउट होते और रोज हमें नई बैटिंग मिलती। हमारे भी जीवन के कैच मिस होते, नो बॉल पर हम क्लीन बोल्ड होते, फिर भी जीवनदान मिलता। एलबीडब्ल्यू की अपील होने के बावजूद हमें एक और लाइफ मिलती।।

अगर हमारा जीवन फाइव डे क्रिकेट की तरह लंबा है, तो हमें लिटिल मास्टर की तरह अपनी विकेट बचाते हुए, संभलकर खेलना है। अगर गलती से आउट भी हो गए, तो दूसरी पारी की प्रतीक्षा करना है।

अगर समय कम है तो कभी धोनी तो कभी विराट हमारे आदर्श हो सकते हैं।

जिंदगी में गति रहे, रोमांच रहे, कभी वन डे तो कभी टी – 20, लेकिन सावधानी हटी, विकेट गिरी। जिंदगी में वैसे भी गुगली, यॉर्कर और फुल टॉस की कमी नहीं। कभी आप टॉस हार सकते हैं, तो कभी जीत भी सकते हैं। दुनिया भले ही जालिम अंपायर की तरह उंगली दिखाती रहे, जब तक हमारा ऊपर वाला थर्ड अंपायर हमारे साथ है, कोई हमारा बाल बांका नहीं कर सकता।।

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 183 ☆ सॉनेट – मतदान ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है सॉनेट – मतदान)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 183 ☆

☆ सॉनेट – मतदान ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

(अभिनव प्रयोग)

मत मत दें सोच-विचार बिना,

मत दें कर सोच-विचार घना,

मत-दान न कर मतदान करें,

मतिवान बनें, शुभ सदा वरें।

दें दाम नहीं, लें दाम नहीं,

मत डर मत दें, विधि वाम नहीं

मत जाति-धर्म आधार बने,

मत आँगन में दीवार तने।

दल के दलदल से दूर रहें,

मत आँखें रहते सूर रहें,

मत दें शिक्षित सज्जन जन को

मत मत दें लुच्चे-दुर्जन को।

मतदाता बनकर शीश तने

नव भारत की नव नींव बने।

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

१९.४.२०२४

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (22 अप्रैल से 28 अप्रैल 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (22 अप्रैल से 28 अप्रैल 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

संस्कृत की एक उक्ति है, ‘भाग्यं फलति सर्वत्र न च विद्या न पौरुषम्’। इसका मतलब है कि कोई भी कर्म महान नहीं होता, बल्कि उसका महत्व हमारी सोच, विचार और कर्तव्य के प्रति होता है।

इसका मतलब यह भी है कि हर व्यक्ति को अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल भोगना पड़ता है। परंतु अच्छे और बुरे कर्मों का फल भोगने के समय को सूर्य से लेकर केतु तक के सौरमंडल के ग्रह निश्चित करते हैं। इस सप्ताह इन ग्रहों ने आपके लिए क्या निश्चित किया है यह बताने के लिए आज मैं पंडित अनिल पाण्डेय आपके सामने प्रस्तुत हूं।

इस सप्ताह प्रारंभ में चंद्रमा कन्या राशि में रहेगा। 23 तारीख को 8:59 दिन से तुला राशि का हो जाएगा। 25 तारीख को 7:06 रात से वृश्चिक राशि का और 27 तारीख को 2:53 रात से वह धनु राशि में गोचर करेगा।

इस पूरे सप्ताह सूर्य और गुरु मेष राशि में रहेंगे। शनि कुंभ राशि में और वक्री राहु मीन राशि में रहेंगे। मंगल पहले कुंभ राशि में रहेगा 23 तारीख को 8:20 दिन से वह मीन राशि में प्रवेश करेगा। बुद्ध प्रारंभ में मीन राशि में वक्री रहेगा तथा 25 तारीख को 4:12 रात अंत से वह मीन राशि में मार्गी हो जाएगा। शुक्र ग्रह प्रारंभ में मीन राशि में रहेगा और 24 तारीख को 12:00 बजे रात से वह मेष राशि में प्रवेश करेगा।

इस सप्ताह 22 तारीख को विवाह का मुहूर्त है। 26 तारीख को अन्नप्राशन का और 26 तथा 28 तारीख को व्यापार का मुहूर्त है। उपनयन, नामकरण, मुंडन, और गृह प्रवेश के इस सप्ताह मुहूर्त नहीं हैं।

इस सप्ताह 23 अप्रैल को भक्त हनुमान का प्रकटोत्सव है।

इस सप्ताह 25 अप्रैल को 1:28 रात से 26 के 2:26 रात अंत तक तथा 28 अप्रैल को सूर्योदय से 2:52 रात तक सर्वार्थ सिद्ध योग है।

आइये अब हम राशि के अनुसार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

मेष राशि के लग्न में वर्तमान में सूर्य, गुरु और शुक्र बैठे हुए हैं। सूर्य अपनी उच्च की राशि में है तथा उसका मित्र गुरु उसके साथ है। शुक्र कमजोर है। इस योग के कारण आप इस समयावधि में प्रशासनिक रूप से अत्यंत मजबूत हो जाएंगे। अविवाहित जातकों के विवाह के सुंदर प्रस्ताव आएंगे। अगर दशा और अंतर्दशा ठीक होगी तो विवाह हो जाएगा। इस सप्ताह आप अपने शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं। परंतु उसके लिए आपको बहुत ज्यादा प्रयास करना पड़ेगा। कचहरी के कार्यों में सफलता का योग है। धन आने का सामान्य योग है। भाई बहनों के साथ में संबंध तनावपूर्ण हो सकते हैं। इस सप्ताह आपके लिए 23, 24 और 25 अप्रैल उत्तम और लाभदायक है। 26 और 27 अप्रैल को आप दुर्घटनाओं से बच जाएंगे। 22 अप्रैल को आपको सावधान रहकर कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गौ माता को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपके व्यापार में उन्नति हो सकती है अगर आपका व्यापार मैकेनिकल या माइनिंग कार्य से संबंधित है तो उसमें और ज्यादा उन्नति होगी। कार्यालय में आपकी स्थिति मजबूत रहेगी। पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। धन आने के मार्ग में कुछ बाधाएं रहेंगी। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक-ठाक रहेंगे। इस सप्ताह आपको अपनी संतान से कोई विशेष सहयोग प्राप्त नहीं हो पाएगा। शत्रुओं के ऊपर आप विजय प्राप्त कर सकते हैं। सप्ताह के सभी दिनों में आपको सतर्क रहना चाहिए। 26 और 27 तारीख को आपके जीवनसाथी को कुछ परेशानी आ सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए क्या प्रतिदिन भगवान शिव का अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। संतान, पिताजी और माताजी के स्वास्थ्य में खराबी आ सकती हैं। पिताजी का स्वास्थ्य पहले से थोड़ा ठीक हो जाएगा। भाग्य इस सप्ताह आपका पूर्ण साथ देगा। धन आने का बहुत अच्छा योग है। इस सप्ताह आपके पास अच्छा धन आएगा। इस सप्ताह आपके लिए 22 और 28 अप्रैल लाभदायक है। 22 और 28 अप्रैल को आपके सभी कार्य सफल रहेंगे। 26 और 27 अप्रैल को आपके शत्रुओं का विनाश हो सकता है। अगर आप रोगी हैं तो रोग में कमी भी आ सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शुक्रवार को मंदिर जाकर भिखारी को चावल का दान दें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह भाग्य आपका साथ देगा। अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो कार्यालय में आपका प्रभुत्व बढ़ेगा। पिताजी और माताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा। छोटी मोटी दुर्घटना का योग है। इस सप्ताह आपके लिए 23, 24 और 25 अप्रैल उत्तम फलदायक हैं। 28 अप्रैल को आपको सतर्क होकर कोई कार्य करना चाहिए। 26 और 27 अप्रैल को आपके बच्चों को कुछ कष्ट हो सकता है। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह शुक्रवार को मंदिर में जाकर पुजारी जी को सफेद वस्तु का दान दें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपको भाग्य से अच्छी मदद प्राप्त होगी। दुर्घटनाओं से आपको बचने का प्रयास करना चाहिए। इस सप्ताह आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके माता जी और पिताजी का स्वास्थ्य भी ठीक-ठाक रहेगा। धन आने के मार्ग में कई बाधाएं हैं। इस सप्ताह आपके पास धन की कमी रहेगी। इस सप्ताह 26 और 27 तारीख को आपके सुख में कमी होगी। प्रतिष्ठा में भी गिरावट हो सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके स्वास्थ्य में रक्त संबंधी कोई विकार हो सकता है। राज्य के कार्यों में परेशानी हो सकती है। धन की कमी रहेगी। गलत रास्ते से धन आने का योग भी है। कचहरी के कार्यों में आपके रिक्स नहीं लेना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 22 और 28 अप्रैल शुभ फलदायक है। 26 और 27 अप्रैल को आपका अपने भाइयों बहनों से कुछ विवाद हो सकता है। इस सप्ताह माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन पीपल के पेड़ के नीचे सायं काल मिट्टी का दीपक जलाएं तथा शनिवार को शनि देव का पूजन करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। व्यापार उत्तम चलेगा। आपके जीवनसाथी को कई क्षेत्र में सफलताएं प्राप्त हो सकती हैं। आपको व्यापार के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। आपके स्वास्थ्य में थोड़ी सी कमी हो सकती है। माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। संतान से आपके सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी। इस सप्ताह आपके लिए 23, 24 और 25 तारीख परिणाम दायक है और सफलता दायक है। आपको 22 तारीख को सतर्क रहना चाहिए। 26 और 27 तारीख को आपको धन हानि हो सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गरीबों के बीच में चावल का दान करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आप, आपके जीवनसाथी और आपके माता-पिता सभी स्वस्थ रहेंगे अर्थात पिछले सप्ताह से उनका स्वास्थ्य इस सप्ताह बेहतर रहेगा। संतान से आपको सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी। आप अपने शत्रुओं को दबा देंगे। आपके शत्रु आपके आगे सर नहीं उठा पाएंगे। इस सप्ताह आपको पूरे सप्ताह सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। 26 और 27 को आपको अपने प्रति विशेष सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

धनु राशि

इस सप्ताह आपके सुख में वृद्धि होगी। जनता में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। भाई बहनों के साथ संबंध अच्छे रहेंगे। माता जी को शारीरिक कष्ट हो सकता है। पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। कार्यालय में आपको मान सम्मान प्राप्त होगा। आपको अपनी संतान से सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों की पढ़ाई ठीक-ठाक चलेगी। इस सप्ताह आपको अपने कर्म पर विश्वास करना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 22 और 28 अप्रैल फलदायक है। 22 अप्रैल को आपके द्वारा किए गए सभी कार्य सफल रहेंगे। इस सप्ताह आपको 26 और 27 तारीख को कचहरी के कार्यों में सफलता मिल सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आप दूर देश की यात्रा कर सकते हैं। आपके पराक्रम में वृद्धि होगी। भाई बहनों से संबंध ठीक-ठाक रहेंगे। माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। आप अपने शत्रुओं पर दबाव बना पाएंगे। भाग्य से आपको थोड़ी बहुत मदद मिल सकती है। कार्यालय में आपको कष्ट हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 23, 24 और 25 तारीख उत्तम फलदायक है। 26 और 27 तारीख को आपको धन प्राप्ति हो सकती है। 28 तारीख को आपको सतर्क रहकर कार्य करने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों का स्वास्थ्य इस सप्ताह ठीक रहेगा। आपका व्यापार उत्तम चलेगा। धन की प्राप्ति होगी। दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक-ठाक रहेंगे। संतान से संबंध सामान्य रहेंगे। छात्रों की पढ़ाई सामान्य रूप से चलेगी। आपकी एक भाई या बहन से लड़ाई हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 22, 26 और 27 तारीख कष्टदायक हो सकते हैं। इन तारीखों में आपको सावधान रहकर कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शिव पंचाक्षर मंत्र का प्रतिदिन जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

मीन राशि

मीन राशि के अविवाहित जातकों के लिए इस सप्ताह विवाह की उत्तम प्रस्ताव आ सकते हैं। आपको मानसिक क्लेश हो सकता है। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह अपने आप को मानसिक रूप से सुदृढ़ रखने का प्रयास करें। धन प्राप्ति की उम्मीद है। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे। कचहरी के कार्यों में सफलता मिल सकती है। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। इस सप्ताह आपके लिए 22 और 28 तारीख उत्तम है। 22 तारीख को आपके सभी कार्य सफलता पूर्वक संपन्न होंगे। 28 तारीख को भी आपके अधिकांश कार्य सफल होंगे। 23, 24 और 25 तारीख को आपको सतर्क होकर के ही कोई कार्य करना चाहिए। 26 और 27 तारीख को आपको भाग्य के भरोसे कोई कार्य नहीं करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गायत्री मंत्र की एक माला का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

आपसे अनुरोध है कि इस पोस्ट का उपयोग करें और हमें इस पोस्ट के बारे में बतायें।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – चित्रकाव्य ☆– “सृष्टीची गुढी…” – ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

सुश्री नीलांबरी शिर्के

?️?  चित्रकाव्य  ?️?

? – “सृष्टीची गुढी– ? ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

गुढी उभारून  सृष्टीनेही

काल साजरा केला पाडवा

नैसर्गिक या गुढीमधे

वेगळाच भासते गोडवा ।। 

*

सायंपुजा करून कधी

ही गुढी उतरणार नाही

नवे  वर्ष  पुढे सरकता

गुढी आपसूक उंच होई ।।

*

फुले पाने  वेळू पूजन

निसर्गाचा वाढवी मान

हिंदू धर्म रितीरिवाजात

पंचमहाभूतांचा सन्मान ।।

© सुश्री नीलांबरी शिर्के

मो 8149144177

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संस्मरण – मेरी यादों में जालंधर – भाग-14 – नाटक के लिए छोड़ दी ऊ़ची पदवी! ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

श्री कमलेश भारतीय 

(जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब)  शिक्षा-  एम ए हिंदी, बी एड, प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । ‘यादों की धरोहर’ हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह – ‘एक संवाददाता की डायरी’ को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से  कथा संग्रह- महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति का पुरस्कार । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तीन वर्ष तक उपाध्यक्ष । दैनिक ट्रिब्यून से प्रिंसिपल रिपोर्टर के रूप में सेवानिवृत। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता)

☆ संस्मरण – मेरी यादों में जालंधर – भाग-14 – नाटक के लिए छोड़ दी ऊ़ची पदवी! ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

(प्रत्येक शनिवार प्रस्तुत है – साप्ताहिक स्तम्भ – “मेरी यादों में जालंधर”)

आज जालंधर को याद करने जा रहा हूँ अपने थियेटर या नाटकों के प्रति अथाह लगाव के लिए! जब मैंने होश संभाला तब हमारे ही घर की बैठक यानी उस जमाने के ड्राइंग रूम में मोहल्ले में होने वाली कृष्ण लीला के ब्रज से आये कलाकार मेकअप कर रहे होते! हमारा घर मोहल्ले के ऐन बीच में था और घर के बाहर सीमेंट के बने ऊंचे थड़े बने हुए थे, जो कृष्ण लीला के लिए बने बनाये मंच का काम देते और मैं देखता कि कैसे साधारण से दिखने वाले कलाकार कोई कृष्ण तो कोई राधा तो कोई यशोदा और कितने ही रूपों में आ जाते! कृष्ण लीला के बाद लोग इनके चरण छूकर निहाल हो जाते! मतलब ये साधारण इंसान न रहकर देवी देवता बन जाते ! यहीं से इस कला के प्रति मेरी रूचि बढ़ी हालांकि मैंने कभी रंगमंच पर कदम नहीं रखा लेकिन रंगमंच देखने का जुनून आज तक सिर चढ़ कर बोल‌‌ रहा है !

आइए आज मिलाता हूँ आज आपको जालंधर के थियेटर‌ के लोगों से ! शुरू करता हूँ आकाशवाणी और दूरदर्शन केंद्रों के नाटक प्रोड्यूसर्स से! जहाँ तक मेरी जानकारी होगी, मैं उतना ही बता सकूंगा, मेरी सीमायें भी हैं और आप उन्हें माफ कर देंगे।

मुझे याद हैं विनोद धीर, जो आकाशवाणी, जालंधर के ड्रामा प्रोड्यूसर बाद में बने, मैंने गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के जालंधर के लायलपुर खालसा काॅलेज में हुए यूथ फेस्टिवल में विनोद धीर द्वारा निर्देशित नाटक ‘ गोदो की आमद’ यानी ‘ वेटिंग फॉर गोदो’ नाटक देखा था, मैं उन दिनों अपने कॉलेज की ओर से यूथ फेस्टिवल में पोएट्री कम्पीटीशन में भाग लेता था। ‌वहीं यूथ फेस्टिवल में ‘ वेटिंग फाॅर गोदो’ नाटक देखा था, जिसे विनोद धीर ने इतने शानदार तरीके से निर्देशित किया कि लिखते समय आज भी वह नाटक जैसे मेरी आंखों के सामने मंचित हो रहा हो ! हम अपने जीवन में किसी न किसी फरिश्ते का इंतज़ार करते रहते हैं लेकिन वह कहीं नहीं होता, बस इंतज़ार ही इंतज़ार रह जाता है, जीवन भर ! किसी फरिश्ते के इंतज़ार में ज़िंदगी न गंवायें बल्कि अपने भरोसे पर जीवन जियें !

इसके बाद विनोद धीर हिमाचल के हमीरपुर आकाशवाणी केंद्र में ट्रांसफर हो गये!

इनके बाद अगर मुझे याद है तो हमारे ही नवांशहर के आर के आर्य काॅलेज में हुए यूथ फेस्टिवल में मंचित नाटक ‘खींच रहे हैं’ की ! इसे कपूरथला के रंगकर्मी रवि दीप ने निर्देशित किया था। जहाँ कपूरथला का जिक्र जानबूझकर कर रहा हूँ क्योंकि कपूरथला में मेरी ससुराल है और‌ रवि दीप इसी शहर के मूल निवासी हैं, जो आजकल मुम्बई रह रहे हैं। ‌उनके नाटक की याद है कि बच्चा पतंग उड़ाता है, जो उसकी खुशी है, जैसे हमारी इच्छाओं की यह डोर‌ बढ़ती और‌ रंग बदलती जाती है, यही जीवन है हमारा और हम अपनी इच्छाओं की डोर खींचने यानी पूरा करने में ही जीवन व्यतीत कर देते हैं ! रवि दीप दूरदर्शन, जालंधर के ड्रामा प्रोड्यूसर रहेक्ष। मेरी पत्नी नीलम भी नाटक देखना पसंद करती है और जैसे ही उसे पता चला, वह पूरी टीम को घर ले आई और‌ रात का खाना बना कर खिलाया अपने मायके के रंग कर्मियों को ! कैसे भूल सकता हूँ उस दिन को !

फिर हमारे ही नवांशहर का पुनीत सहगल बना ड्रामा प्रोड्यूसर ! पहले आकाशवाणी केंद्र, जालंधर का और फिर दूरदर्शन का ! आजकल वही दूरदर्शन केंद्र, जालंधर का प्रोग्राम हैड है और एक साठ एपिसोड का सीरियल बना रहा है लेकिन पहले यह बता दूँ कि नवांशहर में रहते हम लोगों ने  ‘कला संपर्क’  नाम से कल्चरल संस्था बनाई थी, जिसके दो नाटकों का निर्देशन किया था- ब्लड डोनेशन के लिए प्रोत्साहन देने के लिए पहला नाटक और दूसरा नाटक प्रसिद्ध लेखक मंटो की कहानी पर आधारित  ‘रिश्तेयां दा की रखिये नां’ ! इनके निर्देशन पुनीत सहगल ने ही किये थे, जिसके कलाकार रातों रात छोटे से शहर के हीरो बन गये थे ! आज भी देवेंद्र नाटक लेखन में सक्रिय हैं और‌ इसमे मेरे छोटे भाई प्रमोद ने भी एक पागल की भूमिका निभाई थी और सुधा जैन आजकल मोहाली रहती है और खूब लिखती है, हाल ही में उसे भाषा विभाग, पंजाब से पुरस्कार मिला है !

अब याद आ रहे हैं प्रसिद्ध रंगकर्मी पाजी गुरशरण सिंह, जिन्होंने भाखड़ा नंगल डैम में लगी अपनी ऊंची पोस्ट छोड़कर नाटकों को जीवन अर्पित कर दिया। ‌वे अमृतसर रहते थे लेकिन खटकड़ कलां में हर साल‌ शहीद भगत सिंह के शहीदी दिवस से पहले तीन दिन पहले आते और‌ मेरी उनसे जान पहचान बढ़ती गयी और वे बिना किसी मंच के दो खाली बैलगाड़ियों को उल्टे लगा कर मंच बना कर नाटक खेलते ! इस तरह वे पंजाब के नाटक के चर्चित चेहरे बन गये ! उनकी विचारधारा शहीद भगत सिंह की विचारधारा को बढ़ाती थी और उनका ‘ भाई मन्ना सिंह’ जालंधर दूरदर्शन पर तेरह किश्तों में प्रसारित हुआ जिससे उनकी घर घर पहचान बनी ! वे अपनी बेटियों को भी नायिका लेते जिनमें से एक बेटी एम डीयू, रोहतक में कुछ वर्ष इक्नामिक्स की प्राध्यापिका रही और दूसरी एम बी बी एस कर पंजाब के मोहाली स्थित गवर्नमेंट अस्पताल में डाक्टर रहीं।

खैर! आज यहीं विराम! भाई मन्ना सिंह को दो बार हिसार भी यहाँ के कामरेड संगठनों ने बुलाया और हमारी मुलाकातें हिसार में भी हुईं, इनकी इंटरव्यू मेरी पुस्तक ‘ यादों की धरोहर’ में शामिल है!

कल मिलते हैं, फिर नाटकों के साथ !

क्रमशः…. 

© श्री कमलेश भारतीय

पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आतिश का तरकश #233 – 120 – “वही क्यों न हुआ…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ☆

श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी  ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकशआज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण ग़ज़ल वही क्यों न हुआ…” ।)

? ग़ज़ल # 119 – “वही क्यों न हुआ…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ?

मेरी जो चाहत थी वही क्यों न हुआ,

कुछ राहत मिलती वही क्यों न हुआ।

****

जिनके  लिये  दोस्तों  से लड़ता रहा,

वो दुश्मनों से ख़फ़ा यूँही क्यों न हुआ।

****

जिसको  पत्थर  उठाने में तकलीफ़  थी,

पूछता अर्श में सुराख़ अभी क्यों न हुआ।

****

वह  बताती  तो  यशोदा  तरह चाहा,

उसका बर्ताव फिर अम्मी क्यों न हुआ।

****

नाटक  बहुत  करता  है  लोकप्रिय नेता,

फिर उसका किरदार फ़िल्मी क्यों न हुआ।

****

जो मुफ़लिस ग़म की आग में जलता रहा,

ज़िंदगी उसकी सुलगती अर्थी क्यों न हुआ।

****

नाम पर बुत के झुका लिया सारा जहाँ,

आतिश तेरा  नाम ज़िम्मी क्यों न हुआ।

© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’

भोपाल, मध्य प्रदेश

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 111 ☆ गीत – ।। छोड़ो सारे अपने काम पहले चलो करो मतदान ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 111 ☆

☆ गीत – ।। छोड़ो सारे अपने काम पहले चलो करो मतदान ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

छोड़ो सारे अपने काम पहले चलो करो मतदान।

काला निशान धारण कर करो आराम से जलपान।।

****

इस अधिकार कर्तव्य का   निर्वहन सबसे जरूरी है।

इससे ही तो मिटेगी लोकतंत्र की हर इक मजबूरी है।।

हर भारत वासी को पहले पूर्ण करना है यह अरमान।

छोड़ो सारे अपने काम पहले चलो करो मतदान।।

****

यह एक पर्व एक उत्सव नहीं केवल चुनाव का रेला है।

यूं मान कर चलिए कि लोकतंत्र   का पावन मेला है।।

मतदाता हो शक्ति पहचानो चलो उठो जागो हनुमान।

छोड़ो सारे अपने काम पहले चलो करो मतदान।।

****

राष्ट्र सर्वप्रथम सर्वोपरि यह  मतदाता की पहचान हो।

सारे कार्य गौणऔर पहले देश हित का ही काम हो।।

सरकार बने अच्छी बस   यह तुम पहले करो ध्यान।

छोड़ो सारे अपने काम पहले चलो करो मतदान।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 173 ☆ ‘चारुचन्द्रिका’ से – कविता – “सफलता के लिये लक्ष्य बनाओ-कर्म करो” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित एक भावप्रवण रचना  – “सफलता के लिये लक्ष्य बनाओ-कर्म करो। हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।) 

☆ ‘चारुचन्द्रिका’ से – कविता – “सफलता के लिये लक्ष्य बनाओ-कर्म करो” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

जन्म लिया दुनिया में तो कुछ लक्ष्य बनाओ जीवन का

क्रमशः उन्नति होती जग में है विधान परिवर्तन का।

बना योजना आगे बढ़ने का मन में विश्वास रखो

कदम-कदम आगे चलने का क्रमशः सतत प्रयास करो।

♦ 

आँखों में आदर्श कोई रख उससे उचित प्रेरणा लो

कभी आत्मविश्वास न खोओ मन में अपने धैर्य धरो।

बिना किसी शंका को लाये प्रतिदिन निश्चित कर्म करो

करे निरुत्साहित यदि कोई तो भी उससे तुम न डरो।

पुरुषार्थी की राह में काँटे और अड़ंगे आते हैं

यदि तुम सीना तान खड़े तो वे खुद ही हट जाते हैं।

नियमित धीरे-धीरे बढ़ने वाला सब कुछ पाता है

जो आलसी कभी भी केवल सोच नहीं पा पाता है।

श्रम से ईश्वर कृपा प्राप्त होती है शुभ दिन आता है।

जब कितना भी कठिन लक्ष्य हो वह पूरा हो जाता है।

पाकर के परिणाम परिश्रम का मन खुश हो जाता है

अँधियारी रातें कट जातीं नया सवेरा आता है।

 

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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