सूचनाएँ/Information ☆ साहित्यिक गतिविधियाँ ☆ भोपाल से – सुश्री मनोरमा पंत ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्यिक गतिविधियाँ ☆ भोपाल से – सुश्री मनोरमा पंत 🌹

(विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

☆ अखिल भारतीय साहित्य परिषद् भोपाल इकाई का अमृत शक्ति सम्मान, व्याख्यान, पुस्तक समीक्षा एवं लोक भाषा रचना पाठ सम्पन्न ☆

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् भोपाल इकाई का अमृत शक्ति सम्मान व्याख्यान पुस्तक समीक्षा एवं लोक भाषा रचना पाठ कार्यक्रम नव संवत्सर 2080 की मांगलिक बेला में विश्व संवाद केंद्र शिवाजी नगर में संपन्न हुआ। उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सुश्री प्रियंका शक्ति ठाकुर सुविख्यात निर्देशिका अध्यक्ष डॉ नुसरत मेहदी निदेशक उर्दू अकादमी एवं अध्यक्ष अखिल भारतीय भोपाल इकाई विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ बिनय राजाराम एवं सारस्वत अतिथि के रूप में डॉ साधना बलवटे उपस्थित रहीं।

मातृशक्ति श्रीमती सर्वप्रथम मनोरमा पंत और डॉ राजिया हामिद जी को अमृत शक्ति सम्मान से व नेपथ्य की शक्ति सम्मान से डॉ विनीता चौबे को सम्मानित किया गया। डॉ साधना बलवटे को विश्व हिन्दी सम्मेलन फिजी में भारत का प्रतिनिधित्व करने पर  भोपाल इकाई ने सम्मानित किया।

भोपाल इकाई के इन सदस्यों को भी सम्मानित किया गया। सुनीता यादव ,ममता वाजपेई, मांडवी सिंह ,राकेश सिंह तथा पुरु शर्मा। अध्यक्षता करते हुए डॉक्टर नुसरत मेहदी ने कहा “जब – जब भाषा, संस्कारों व परम्पराओं की नब्ज कमजोर होती प्रतीत होती है अखिल भारतीय साहित्य परिषद् इनकी नब्ज को टटोलकर उसे पुनर्जीवित करने का कार्य करती है।”

मुख्य अतिथि प्रियंका शक्ति ठाकुर ने अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि “अखिल भारतीय साहित्य परिषद भोपाल इकाई अमृत सम्मान की परम्परा के निर्वहन का उत्कृष्ट कार्य कर रही है। साथ ही लोक भाषा पर आधारित कार्यक्रम का आयोजन भी सराहनीय है।”

विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ राजाराम ने कहा कि “हमारे भारत में ही छह उप ऋतुएँ आती हैं। शरीर को नवरात्रि में अनुकूलन करने के लिए तैयार किया जाता है। चौदह दिन का कोरोंटाईन भारतीय परम्परा में बहुत पहले से ही किया जाता है।”

सारस्वत अतिथि राष्ट्रीय डॉ साधना बलवटे ने अपने उद्बोधन में कहा कि “प्रकृति की पूजा हमारे संस्कारों में होनी चाहिए। जीवन के सारे तत्व प्रकृति के देवता सूर्य चंद्रमा, वायु, अग्नि आदि लोक में हमेशा पूजे जाते हैं।” परितप्त लंकेश्वरी पुस्तक की समीक्षा करते हुए उन्होंने मंदोदरी के मनोभावों को बहुत बारीकी से विश्लेषण किया।”

कार्यक्रम में लोक भाषाओं की रचनाओं का पाठ हुआ जिसमें बघेली में गीतकार संदीप शर्मा ने बुंदेली में अशोक गौतम घायल ने, श्रीमती श्यामा गुप्ता ने, मालवी लोकभाषा में श्रीमती शालिनी व्यास ने , निमाड़ी लोकभाषा में अशोक दुबे ‘अशोक’ ने रचना पढ़ी।

कार्यक्रम में संचालन नीता सक्सेना स्वागत वक्तव्य पुरूषोत्तम तिवारी आभार ममता बाजपेई ने व्यक्त किया।

☆ प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय का परिसंंवाद आयोजित ☆

विषय था हिंदी भाषा शिक्षण की चुनौतियाँ और समाधान : वैश्विक संदर्भ“.  कार्यक्रम की अध्यक्षता की श्री संतोष चौबे, कुलाधिपति, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने। विशिष्ट अतिथि थे डॉ. विजय कुमार मल्होत्रा, भाषा प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ, (पूर्व निदेशक, रेल मंत्रालय) तथा विशिष्ट वक्ता थे एल्मार जोसेफ रेनर, एसोसिएट प्रोफेसर, कोपनहेगन विश्वविद्यालय, डेनमार्क। कार्यक्रम संयोजन डॉ. मौसमी परिहार द्वारा किया गया।  

☆ श्री संतोष चौबे के उपन्यास “सपनों की दुनिया में ब्लैक होल” का लोकार्पण ☆

कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वैक्शन सेंटर, भोपाल में श्री संतोष चौबे जी के उपन्यास “सपनों की दुनिया में ब्लैक होल” का लोकार्पण हुआ जिसकी अध्यक्षता श्री विनोद तिवारी जी ने की स्वागत वक्तव्य मुकेश वर्मा जी ने किया। उपन्यास के अंश का पाठ श्री संतोष चौबे जी ने किया ।आमंत्रित वक्ता थे हरि भटनागर, प्रकाश कांत, राकेश बिहारी, पंकज सुबीर आशुतोष, प्रज्ञा रोहिणी। संचालन श्री अरुण शुक्ला ने और आभार प्रदर्शन श्री बलराम कुमार ने किया। संयोजन किया सुश्री ज्योति रघुवंशी ने।

☆ भोपाल के फ़ौजी इतिहास पर एक अनोखी किताब “निज़ाम ए भोपाल” लोकार्पित ☆

किताब में लिखी फ़ौजी दास्तान भोपाल रियासत से जुड़ी है। जी हाँ, अवसरवादी दोस्त मुहम्मद ख़ान द्वारा स्थापित भोपाल रियासत की अपनी एक फ़ौज थी। उस फ़ौज का 1710 से 1949 तक का एक इतिहास है। उसी फ़ौजी इतिहास को आज़ाद भारत के एक फ़ौजी लेफ़्टिनेंट जनरल (सेवा निवृत्त) मिलन नायडू ने अंग्रेज़ी में कलमबद्ध किया है- और उसका हिंदी अनुवाद किया है भोपाल में फ़ौजी से साहित्यकार बने कर्नल डॉक्टर गिरिजेश सक्सेना ने।

हिंदी भवन के मंत्री-संचालक कैलाश चंद पंत की अध्यक्षता, लेफ़्टिनेंट जनरल विपुल शिंघल , एस एम के मुख्य आतिथ्य और वरिष्ठ पत्रकार-साहित्यकार महेश श्रीवास्तव के विशिष्ठ आतिथ्य में आयोजित गरिमामय कार्यक्रम में “निज़ाम ए भोपाल” पुस्तक का लोकार्पण हुआ। वरिष्ठ साहित्यकार-पत्रकार घनश्याम सक्सेना सारस्वत अतिथि और क़लीम अख़्तर एवं प्रोफ़ेसर सीमा रायजादा विशेष अतिथि के रूप में मंचासीन रहे। कार्यक्रम का कुशल संचालन वरिष्ठ साहित्यकार गोकुल सोनी ने किया। लेफ़्टिनेंट जनरल (सेवा निवृत्त) मिलन नायडू ने स्वागत उद्बोधन में पुस्तक लेखन और अनुवाद से जुड़ी मुश्किलों को रेखांकित किया।

पुस्तक लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए कैलाश चंद पंत ने लेखक द्वारा भोपाल रेजिमेंट के विकास की कहानी इस पुस्तक में पिरोई गई है। पुस्तक का हिन्दी अनुवाद सरल, सुबोध और पठनीय बन पड़ा है।

मुख्य अतिथि महेश श्रीवास्तव ने बताया कि यह शोधपूर्ण किताब प्रामाणिक रूप से ऐतिहासिक है। भोपाल रियासत का अधिकांश समय बेगमों द्वारा शासित रहा। बेगमों ने पौने दो सौ सालों में रियासत को बुद्धिमत्ता पूर्ण शासन से संचालित करके लोक कल्याण कार्यों को अंजाम दिया था। उन्होंने शिक्षा और चिकित्सा का कार्य प्राथमिकता से करवाया। उन्होंने भोपाल की फ़ौज को आधुनिक बनाया था।

लेफ़्टिनेंट जनरल विपुल शिंघल ने कहा कि सैनिक और साहित्य का बहुत पुराना संबंध है। भगवतगीता का दार्शनिक साहित्य युद्ध भूमि में ही भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को उपदेश स्वरूप अस्तित्व में आई थी।

वरिष्ठ कलमकार घनश्याम सक्सेना ने पुस्तक की समीक्षा करते हुए कहा कि जब मैंने पुस्तक को पढ़ने के लिए उठाया और दो-तीन पृष्ठ पढ़े तो पुस्तक इतनी रोचक लगी कि इसे समाप्त करके ही दम लिया।

भोपाल के फ़ौजी इतिहास के अधिकृत विद्वान क़लीम अख़्तर ने बताया कि इस पुस्तक के लेखन में मिलन नायडू जी ने सटीक प्रमाणों को समावेश किया गया है। इसलिए यह पुस्तक एक प्रामाणिक दस्तावेज है।

लोकार्पण कार्यक्रम में फ़ौजी मुहकमे के आला अफ़सरों के अलावा हिंदी और उर्दू के गणमान्य साहित्यकार डॉक्टर गौरी शंकर शर्मा गौरीश, राम वल्लभ आचार्य, सुरेश पटवा, राजकुमार शर्मा, विनोद जैन, मुज़फ़्फ़र सिद्दीक़ी, कांता रॉय, घनश्याम मैथिल, चरण जीत सिंह की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। लेफ़्टिनेंट जनरल मिलन नायडू ने स्वागत उद्बोधन दिया और आभार प्रदर्शन करते हुए कर्नल डॉक्टर गिरिजेश सक्सेना ने उन मुश्किल हालातों का ज़िक्र किया जब उन्होंने कोरोना ग्रस्त अवस्था में अस्पताल के बिस्तर पर  इस किताब के अंतिम दो अध्याय अनुवादित किए थे।

☆ मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा मीर तकी मीर की 300 वीं जयंती का आयोजन सम्पन्न ☆

“मीर के शेरों में जिंदगी के हर रंग मौजूद हैं ” मीर एक ऐसे शायर हैं जिनकी महानता को हर शायर और हर दौर में सराहा गया है यह बात कनाडा से आए उर्दू के प्रसिद्ध विद्वान डॉ तकी आबिदी ने कही। राज्य संग्रहालय सभागार में मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा मीर तकी मीर की 300 वीं जयंती समारोह पर “मुस्तनद है मेरा फरमाया हुआ” कार्यक्रम संपन्न हुआ । उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ नुसरत मेहंदी ने कहा कि संगोष्ठी में नए रचनाकार विशेष रुप से रिसर्चर्स जान सकेंगे कि उर्दू शायरी में मीर को खुदा ए सुखन क्यों कहा जाता है। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अजीज इरफान ने कहा कि मेल की कल्पनाशीलता जमीनी है और उन्होंने रोजमर्रा की जिंदगी को शायरी की जुबां बनाया है। 

दुष्यंत संग्रहालय के संस्थापक स्व राजूरकर राज की स्मृति में “स्मृतियों में राज” कार्यक्रम संपन्न ☆

दुष्यंत संग्रहालय में संग्रहालय के संस्थापक स्व राजूरकर राज की स्मृति में “स्मृतियों में राज” नामक कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे आदरणीय संतोष चौबे जी, कुलपति रविंद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय, विशेष अतिथि के रूप में श्री शशांक, पूर्व उपनिदेशक दूरदर्शन भोपाल तथा अध्यक्ष श्री मनोज श्रीवास्तव आईएएस सेवानिवृत्त मध्यप्रदेश शासन थे। इस कार्यक्रम में संग्रहालय से जुड़े सभी सदस्यों ने उन्हें याद किया ।इस कार्यक्रम में निदेशक साहित्य अकादमी श्री विकास दवे जी  ने भी राजूरकर जी कोई याद किया। इस अवसर पर राजूरकर राज के ऊपर एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया।

☆ हिंदी लेखिका संघ की मासिक व्यंग्य गोष्ठी आयोजित ☆

हिंदी लेखिका संघ की मासिक व्यंग्य गोष्ठी आयोजित हुई ।आयोजन की मुख्य अतिथि वरिष्ठ व्यंगकार एवं राष्ट्रीय मंत्री अखिल भारतीय साहित्य परिषद, डॉक्टर साधना बलवटे ने अपने उद्बोधन में कहा कि व्यंग का उद्गम करुणा से होता है जब हास्य व्यंग एक संतुलित मात्रा में मिलकर आते हैं तब एक सार्थक संतुलित व्यंग रचना तैयार होती है lव्यंग का उद्देश्य समाज की विसंगतियों को दूर करना हैl सारस्वती अतिथि सुमन ओबेरॉय ने अपने उद्बोधन में कहा कि व्यंग की क्षमता बहुत अधिक होती है। यह नैतिक और सामाजिक मूल्यों का प्रहरी होता है । लेखिका संघ के अध्यक्ष डॉ कुमकुम गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया और पुष्प की अभिलाषा कविता का पाठ किया इस अवसर पर लेखिकाओं ने हास्य व्यंग रचनाओं का पाठ किया गोष्ठी का संचालन डॉक्टर विनीता राहुरिकर ने किया । तथा आभार सुनीता मिश्रा ने व्यक्त किया। 

☆ अ. भा .कला मँदिर भोपाल द्वारा होली पर काव्य गोष्टी संपन्न ☆

आकाशवाणी भोपाल के नमस्कार एम पी कार्यक्रम के अंतर्गत मध्यप्रदेश लेखिका संघ की अध्यक्ष कुमकुम गुप्ता का साक्षात्कार वृंदा प्रधान द्वारा लिया गया जिसमें उनसे नारी प्रकृति और बेटी संबंधित चर्चा की गई ।

☆ आर्य समाज मंदिर, भोपाल का 38 माह वार्षिक उत्सव संपन्न ☆

भोपाल में आर्य समाज मंदिर का 38 माह वार्षिक उत्सव मनाया गया। सवेरे प्रभात रैली के साथ ही विभिन्न प्रकार के आयोजन 3 दिन तक चले जिसमें मुख्य रुप से धर्म संसद, युवा संसद, मातृशक्ति सम्मेलन थे।

धर्म और ईश्वर दोनों मानव जीवन से जुड़े हुए बहुत महत्वपूर्ण विषय हैं ।दोनों ही समस्त विश्व के मानवों को संगठित सुखी और अभय कर सकते हैं किंतु उस समय जब इनमें विरोधाभास ना हो । इसी भावना से मनुष्य जीवन में धर्म की आवश्यकता क्यों उसका महत्व और स्वरूप क्या है विषय पर विभिन्न विचारधाराओं के विद्वानों ने अपने विचार रखे।

युवा सम्मेलन में विषय था “एक भारत श्रेष्ठ भारत के निर्माण में युवाओं की भूमिका चुनौतियां और समाधान” यह आयोजन स्कूल और कॉलेज के छात्र छात्राओं के लिए था जिसमें उन्होंने इस विषय पर अपने विचार प्रकट किए, नारी सशक्तिकरण के लिए क्या उचित कदम उठाए जाएं इस विषय पर श्रीमती प्रज्ञा, रिचा श्रीवास्तव अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक महिला सुरक्षा पुलिस मुख्यालय पर ने विशिष्ट अतिथि के रूप में सारगर्भित भाषण दिया, सुश्री मनोरमा पंत के साथ विभिन्न क्षेत्रों की विदुषी महिलाओं ने भी महिला सशक्तिकरण पर अपने विचार प्रकट किए।

☆ अ. भा .कला मँदिर भोपाल द्वारा होली पर काव्य गोष्टी संपन्न ☆

स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में हिंदी चिल्ड्रंस बुक्स समर कलेक्शन का आरंभ हुआ यहां पर पंचतंत्र की प्रसिद्ध कहानियां, चार्ली एंड द चॉकलेट फैक्ट्री ,भारत की अद्भुत लोक कथाएं ,अमर चित्र कथा की किताबें, वेद पुराण उपनिषद की किताबें पढ़ने को मिलेंगी।

अखिल भारतीय कलामन्दिर संस्था, भोपाल द्वारा नव संवत्सर पर नवरंग काव्य ग़ोष्ठी का आयोजन किया, जिसकी अध्यक्षता – डॉ. गौरीशंकर शर्मा ‘गौरीश’ राष्ट्रीय अध्यक्ष अ.भा. कलामन्दिर संस्था भोपाल ने की ।मुख्य अतिथि थे श्री राजेन्द्र शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार एवं विशिष्ट अतिथि थे डॉ जवाहर सिंह कर्णावत

मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच द्वारा भोपाल की वरिष्ठ साहित्यकार उषा सक्सेना को मातो श्री सम्मान

मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच द्वारा भोपाल की वरिष्ठ साहित्यकार उषा सक्सेना को मातो श्री सम्मान और चाणक्य सम्मान स्मृति चिन्ह के साथ प्राप्त हुआ ।

साभार – सुश्री मनोरमा पंत, भोपाल (मध्यप्रदेश) 

 ≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ डाॅ. ममता चन्द्रशेखर – जबलपुर की कृति ‘स्वदेश’ को प्रादेशिक वृन्दावन लाल वर्मा (उपन्यास) पुरस्कार – अभिनंदन ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 डाॅ. ममता चन्द्रशेखर – जबलपुर की कृति ‘स्वदेश’ को प्रादेशिक वृन्दावन लाल वर्मा (उपन्यास) पुरस्कार – अभिनंदन🌹

भोपाल। साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद्, मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग, भोपाल द्वारा अखिल भारतीय 13 (तेरह) एवं प्रादेशिक 15 (पन्द्रह) कृति पुरस्कार कैलेण्डर वर्ष 2021 के पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है। अखिल भारतीय प्रति पुरस्कार रुपये 1,00,000/- (रुपये एक लाख) एवं प्रादेशिक प्रति पुरस्कार रुपये 51,000/- (रुपये इक्यावन हजार) के साथ शाॅल, श्रीफल, स्मृति चिह्न और प्रशस्ति के साथ रचनाकारों को अलंकृत किया जाता है।

वर्ष 2021 के प्रादेशिक पुरस्कारों की श्रेणी में डाॅ. ममता चन्द्रशेखर – जबलपुर की कृति ‘स्वदेश’ को प्रादेशिक वृन्दावन लाल वर्मा (उपन्यास) पुरस्कार के लिए चुना गया है। शिक्षा के क्षेत्र के अतिरिक्त आपका सामाजिक, साहित्यिक एवं संस्कृतिक क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान रहा है। यूथ हॉस्टल ऑफ़ इंडिया (YHAI) के पुस्तकालयों के लिए आपके साहित्यिक कार्यों का योगदान अनुकरणीय है। 

इस अभूतपूर्व सफलता के लिए उन्हें हार्दिक बधाई तथा भविष्य में और अधिक सफलता की कामना ।  

साभार –  श्री मनोज जौहरी 

भोपाल, मध्यप्रदेश

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ डॉ निशा अग्रवाल की पुस्तक “शिक्षा का बदलता स्वरूप” का विमोचन संपन्न ☆

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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 डॉ निशा अग्रवाल की पुस्तक “शिक्षा का बदलता स्वरूप” का विमोचन संपन्न 🌹

8 अप्रैल 2023 को अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा हिंदी भवन, नई दिल्ली में साहित्यिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ निशा अग्रवाल की पुस्तक “शिक्षा का बदलता स्वरूप” का विमोचन किया गया। आप जयपुर निवासी डॉ निशा बाड़ी (धौलपुर) के श्री जगदीश प्रसाद जी मंगल पिपरैट वाले की सुपुत्री है। ये एक शिक्षाविद होने के साथ साथ लेखिका, गायिका, कवयित्री, स्क्रिप्ट राइटर और एंकर हैं। कार्यक्रम वरिष्ठ साहित्यकार एवं सुप्रसिद्ध कवि श्री विजयकिशोर मानव की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में मेरठ यूनिवर्सिटी से प्रो.(डॉ) नवीन चंद्र लोहनी एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध वेदों एवं उपनिषदों की ज्ञाता डॉ मृदुल कीर्ति ऑस्ट्रेलिया से एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मृदुला बिहारी जयपुर से शामिल हुई। कार्यक्रम में संस्था अध्यक्ष डॉ इंदु झुनझुनवाला, सह अध्यक्ष डॉ अमरनाथ अमर महा सचिव चंदा प्रहलादका, सह सचिव डॉ मंजरी पांडेय, उपसचिव डॉ रचना शर्मा, उपाध्यक्ष डॉ भीमप्रकाश शर्मा , पश्चिम जोन अध्यक्ष डॉ निशा अग्रवाल , राव शिवराज पाल एवं अनेक विद्वतजन शामिल हुए।

इस कार्यक्रम में डॉ निशा अग्रवाल की ” शिक्षा का बदलता स्वरूप” पुस्तक का लोकार्पण समस्त विद्वतजनों के कर कमलों द्वारा हुआ। डॉ निशा ने बताया कि उनकी इस पुस्तक को प्रकाशित करने का मुख्य उद्देश्य आज की युवा पीढ़ी को समयानुरूप शिक्षा के बदलते स्वरूप से रूबरू कराना है।

इस पुस्तक की विषय वस्तु को चार इकाइयों में विभाजित किया गया है, जिसके अंतर्गत समयानुसार शिक्षा के बदलते स्वरूप का वर्णन किया गया है। प्राचीनकाल की शिक्षण पद्धति से लेकर आधुनिक काल और वर्तमान की शिक्षा प्रणाली का विस्तृत वर्णन किया गया है। इस पुस्तक में शिक्षा के विशिष्ट परिशिष्ट को भी शामिल किया गया है जिसके अंतर्गत डॉ निशा ने आज की युवा पीढ़ी की मानसिक स्थिति तथा तनाव में आकर हो रही आकस्मिक घटनाओं को मद्देनजर रखते हुए इससे निवारण के उपायों पर भी प्रकाश डाला है।

निःसंदेह यह पुस्तक शोधार्थियों एवं उन सभी विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी जो देश के भावी अध्यापक बनने जा रहे हैं। तथा उच्च शिक्षा को प्राप्त कर रहे है।

साभार –  डॉ निशा अग्रवाल

जयपुर ,राजस्थान  

 ☆ (ब्यूरो चीफ ऑफ जयपुर ‘सच की दस्तक’ मासिक पत्रिका)  ☆ एजुकेशनिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर, लेखिका, गायिका, कवियत्री  ☆ 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ साहित्य की दुनिया ☆ प्रस्तुति – श्री कमलेश भारतीय ☆

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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय  🌹

(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)

☆ उत्तर प्रदेश पत्रिका का मन्नू भंडारी विशेषांक

मन्नू भंडारी की याद किसे नहीं और कौन भूल सकता है इन्हें ? ‘रजनीगंधा’ फिल्म की याद है ? यह उन्हीं की कहानी पर आधारित थी । ‘रजनी’ जैसा लोकप्रिय धारावाहिक मन्नू भंडारी ने लिखा । ‘महाभोज’ और ‘आपका बंटी’ जैसे उपन्यास भी इनके खूब चर्चित रहे । ‘आपका बंटी’ उपन्यास प्रसिद्ध लेखक मोहन राकेश के जीवन पर आधारित है और वे भी कुछ न कह सके ! राजेंद्र यादव के साथ बरसों रहने के बाद जीवन के आखिरी दौर में अलग होने का साहस दिखाया । छह गज साड़ी और लाल बिंदी से दूर से ही पहचानी जाती थीं । बेटी रचना यादव ने आखिर अपनी मां पर स॔स्मरण लिखा – छह गज का अनंत विस्तार ! ये सब पढ़ने को मिलेगा उत्तर प्रदेश नामक पत्रिका में जिसका मन्नू भंडारी विशेषांक आया है । सुधा अरोड़ा जैसी वरिष्ठ कथाकार ने एक प्रकार से ठान लिया था कि यह विशेषांक बिना रचना यादव के संस्मरण के नहीं जायेगा । और वे सफल रहीं क्योंकि मौसी जो हैं रचना की ! सुधा अरोड़ा की कवितायें भी खूब है मन्नू भंडारी पर । दोनों कोलकाता से हैं लेकिन मज़ेदार बात कि कभी कोलकाता में नहीं मिलीं । दिल्ली में मिलीं । दोनों में जो प्रेम और समर्पण है वह आज लेखक बिरादरी में देखने को नहीं मिलता । वैसे इस अंक में ममता कालिया का संस्मरण भी बहुत खूबसूरत है- मन्नू भंडारी ने अपने शीर्ष रचनात्मक वर्षों में कमतर और कमज़ोर लेखिकाओं को अपने व्यक्तित्व और कृतित्व पर हावी होते देखा । कम दवा से कोई नहीं मरता, कम प्रेम से जरूर मर जाता है । यह बहुत बड़ा सच लिख दिया ममता कालिया ने ! सुधा अरोड़ा का संसमरण – मेरी डायरी के पन्नों में मन्नू दी भी बहुत शानदार है । यह अंक सचमुच पठनीय है । संग्रहणीय है । जिसने भी मुझे यह भेजा उसको दिल से आभार।

हिमालय मंच : हिमाचल की सीमाओं से बाहर तक फैले हैं कथाकार एस आर हरनोट । शिमला जब भी इन वर्षों में जाना हुआ, हरनोट से मुलाकात और विचार विमर्श जरूर हुआ । किताबों का आदान प्रदान भी । बुक कैफे के बंद होने पर भी खूब आंदोलन किया । वे हिमालय साहित्य मंच नाम से पिछले बारह वर्षों से जैसे एक आंदोलन ही चले रहे हैं । कभी रेल साहित्य यात्रा से तो कभी गेयटी थियेटर में तो कभी रोटरी हाॅल में ! कभी विनोद गुप्ता के साथ ! कुछ न कुछ क्रियेटिव करते रहते हैं । सचमुच आज हिंदी साहित्य को ऐसे एक्टिविस्ट चाहिएं जो न सिर्फ लिखें बल्कि नयी पीढ़ी को भी आगे बढ़ाने में सहयोग दें । हरनोट यह काम बहुत खूबसूरती से कर रहे हैं । शुभकामनाएं।

हरियाणा साहित्य व सांस्कृतिक अकादमी : डाॅ कुलदीप अग्निहोत्री को हरियाणा साहित्य व संस्कृतिक अकादमी का कार्यकारी उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है और उन्होंने कार्यभार भी संभाल लिया । वे इससे पहले केंद्रीय विद्यालय, धर्मशाला के कुलपतिपंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं । पंजाब के नवांशहर के गांव मुकंदपुर के मूल निवासी डां अग्निहोत्री एक समाचार एजेंसी के प्रमुख भी रहे । पत्रकारिता और साहित्य से जुडे व्यक्तित्व । बधाई ।

भिवानी में नाटयोत्सव : मीरा कल्चरल सोसायटी की ओर से विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय नाट्योत्सव आयोजित किया गया । तीनों दिन नाटक तो मंचित हूए और एक एक व्यक्तित्व को सम्मानित भी किया गया जिसमें खुशकिस्मती से मैं भी एक रहा और दूसरे रहे महेश वाशिष्ठजगबीर राठीसोनू रोंझिया की कोशिश को सलाम । कोरोना के बाद यह आयोजन कर पाये और आगे जारी रखने की घोषणा की है । पार्क और रामसजीवन की प्रेम कथा जैसे नाटक मंचित किये गये । खुद सोनू ने रामसजीवन की प्रेम कथा का निर्देशन किया । कुरूक्षेत्र के विकास शर्मा ने पहले दिन पार्क का मंचन किया । इस तरह हिसार के बाद भिवानी का नाटयोत्सव भी खूब चर्चा में है ।

राजगढ़ में लघुकथा सम्मेलन: राजस्थान के राजगढ़ जैसे छोटे से शहर में राजस्थान साहित्य अकादमी के सहयोग से दो दिवसीय राष्ट्रीय लघुकथा सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है । देश भर से सक्रिय लघुकथाकार आमंत्रित हैं । देखिये कैसा आयोजन होता है । फिलहाल तो शुभकामनायें !

साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ साहित्य की दुनिया ☆ प्रस्तुति – श्री कमलेश भारतीय ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय  🌹

(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)

☆ हरियाणा साहित्य अकादमी का बदला स्वरूप

हरियाणा की सभी साहित्य अकादमी का स्वरूप बदल गया है । अब सभी अकादमियों का विलय कर एक ही अकादमी बना दी गयी है जिसका नाम है – हरियाणा साहित्य व सांस्कृतिक अकादमी ! ये आदेश 24 मार्च को जारी किये गये । इस तरह अकादमियों के जितने भी अधिकारी कार्यरत थे , उन्होंने स्वतः ही अकादमी जाना बंद कर दिया । इस तरह राज्य के सभी भाषाओं के लेखकों में यह उत्सुकता है कि अब आगे क्या होगा ! हालांकि हरियाणा के सूचना व सम्पर्क विभाग के महानिदेशक डाॅ अमित कुमार अग्रवाल ने यह स्पष्ट किया कि सभी अकादमियों की पत्रिकायें पहले की तरह प्रकाशित होती रहेंगीं और एक ही विद्वान व प्रबंध कुशल व्यक्ति को इसका निर्देशन सौंपा जायेगा । एक ही बार में सभी भाषाओं के लेखकों को सम्मानित किया जायेगा । अभी देखते हैं कि कितना बदलाव आता है !

राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा : इधर राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर ने पुरस्कारों की घोषणा कर दी है और प्रदेश के पच्चीस रचनाकारों को चुना गया है । इनमें लघुकथा के चर्चित हस्ताक्षर डाॅ रामकुमार घोटड़, व्यंग्यकार फारूक आफरीदी , हरिओम मीणा , हसन जमाल , कुसुम मेघवाल , जवरी मल्ल पारिख , गौरधन सिंह शेखावत आदि शामिल हैं । ये पुरस्कार मई माह में दिये जायेंगे ! सभी रचनाकारों को बधाई । इससे पहले महाराष्ट्र के पुरस्कारों की घोषणा और समारोह आयोजित हो चुका है । अभी हरियाणा साहित्य अकादमी के पुरस्कारों की घोषणा प्रतीक्षित है ।

गाजियाबाद का कथा संवाद : गाजियाबाद में प्रसिद्ध लेखक से रा यात्री के बेटे आलोक यात्री , व्यंग्यकार सुभाष चंदर, शिवराज ये तिकड़ी मिलकर कथा संवाद का आयोजन प्रतिमाह करते हैं । इसमें आठ दस कथाओं का पाठ होता है और अच्छे से चर्चा भी होती है । इसमें एक साल पहले मुझे भी कथा पाठ का अवसर मिला ! यह बहुत ही सार्थक आयोजन होता है और चर्चित कथाकारों को आमंत्रित किया जाता है ।

दिल्ली की सन्निधि संगोष्ठी : गाजियाबाद की तरह दिल्ली में सन्निधि संगोष्ठी का आयोजन भी प्रतिमाह किया जाते है । इसका संचालन प्रसिद्ध रचनाकार विष्णु प्रभाकर के बेटे अतुल प्रभाकर कर रहे हैं । इसमें भी कथा पाठ होता है और खुलकर कहानियों पर चर्चा होती है ! यह सिलसिला भी चलता रहे ! यही दुआ है ।

व्यंग्य यात्रा का हिदी व्यंग्य में नारी स्वर विशेषांक : प्रसिद्ध रचनाकार डाॅ प्रेम जनमेजय के संपादन में निकल रही पत्रिका व्यंग्य यात्रा का ऐसा अनोखा विशेषांक आया है –हिंदी व्यंग्यकार में नारी स्वर यानी हिंदी व्यंग्य में महिलाओं का कितना योगदान है ! इस पर खूब चर्चा हुई है और इस अनोखे विषय वाले विशेषांक को खूब पसंद किया जा रहा है । बधाई ।

साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ संपादकीय निवेदन ☆ सुश्री संगीता कुलकर्णी – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

? सुश्री संगीता कुलकर्णी  – अभिनंदन ?

💐 संपादकीय निवेदन 💐

 

आपल्या समुहातील ज्येष्ठ लेखिका व कवयित्री संगीता कुलकर्णी यांना कल्याण येथील रोटरी क्लब कडून जीवन गौरव पुरस्काराने सन्मानित करण्यात आले आहे.

? ई मराठी समुहातर्फे संगीता कुलकर्णी यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन  ?

संपादक मंडळ, ई-अभिव्यक्ती (मराठी)

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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सूचनाएँ/Information ☆ 76 वें जन्मदिवस के अवसर पर डॉ कुंवर प्रेमिल जी का लघुकथा संग्रह “रोटी” विमोचित – बधाई एवं अभिनंदन ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

76 वें जन्मदिवस के अवसर पर डॉ कुंवर प्रेमिल जी का लघुकथा संग्रह “रोटी” विमोचित – बधाई एवं अभिनंदन

‘गीत पराग’ पत्रिका की सम्पादिका डॉ गीता गीत जी द्वारा रिष्ठतम साहित्यकार डॉ कुंवर प्रेमिल जी के 76 वें जन्मदिवस पर उनके आवास में एक सादे कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। डॉ राजेश पाठक ‘प्रवीण’ एवं संस्कारधानी के गणमान्य साहित्यकारों की उपस्थिति में डॉ कुंवर प्रेमिल जी के सद्य  प्रकाशित लघुकथा संग्रह ‘रोटी’ का विमोचन किया गया।

डॉ कुंवर प्रेमिल जी को  विगत 50 वर्षों से लघुकथा, कहानी, व्यंग्य में सतत लेखन का अनुभव हैं। अब तक 450 से अधिक लघुकथाएं रचित एवं बारह पुस्तकें प्रकाशित। 2009 से प्रतिनिधि लघुकथाएं (वार्षिक) का सम्पादन एवं ककुभ पत्रिका का प्रकाशन और सम्पादन। आपने लघु कथा को लेकर कई  प्रयोग किये हैं।  आपकी लघुकथा ‘पूर्वाभ्यास’ को उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय, जलगांव के द्वितीय वर्ष स्नातक पाठ्यक्रम सत्र 2019-20 में शामिल किया गया है। वरिष्ठतम  साहित्यकारों  की पीढ़ी ने  उम्र के इस पड़ाव पर आने तक जीवन की कई  सामाजिक समस्याओं से स्वयं की पीढ़ी  एवं आने वाली पीढ़ियों को बचाकर वर्तमान तक का लम्बा सफर तय किया है, जो कदाचित उनकी रचनाओं में झलकता है। हम लोग इस पीढ़ी का आशीर्वाद पाकर कृतज्ञ हैं।  

🌹 ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से डॉ कुंवर प्रेमिल जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🌹

 ≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ सुश्री इन्दिरा किसलय को “महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी” का “सुब्रमण्यम भारती हिन्दी सेतु विशिष्ट सेवा पुरस्कार”– अभिनंदन ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

? सुश्री इन्दिरा किसलय को “महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी” का “सुब्रमण्यम भारती हिन्दी सेतु विशिष्ट सेवा पुरस्कार”– अभिनंदन ?  

“जय जय महाराष्ट्र माझा–गर्जा महाराष्ट्र माझा”– इस राज्यगीत की प्रचंड उर्जा एवं महाराष्ट्र के सांस्कृतिक वैभव तथा साहित्यिक गौरव की ध्वजवाहक “महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी” द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार “सुश्री इन्दिरा किसलय” को “राज्य स्तरीय सम्मान -जीवन गौरव पुरस्कार” के अन्तर्गत, “सुब्रमण्यम भारती हिन्दी सेतु विशिष्ट सेवा पुरस्कार”, प्रख्यात अभिनेता लेखक “आशुतोष राणा “के हस्ते प्रदान किया गया। इसमें इक्यावन हजार की राशि,स्मृति चिह्न तथा प्रशस्ति पत्र का समावेश है।

मुंबई (बांद्रा) के “रंगशारदा ऑडिटोरियम” में संपन्न इस गौरवशाली आयोजन में संपूर्ण महाराष्ट्र के विजेता शामिल रहे।

कोरोनाकाल में अकादमी की गतिविधियां स्थगित रहीं।अतः तीन वर्षों के पुरस्कार 23 मार्च 2023 के आयोजन में प्रदान किये गये।

स्वनामधन्य साहित्यकार “चित्रा मुद्गल,”सुख्यात अभिनेता आशुतोष राणा को (रामराज्य) को अखिल भारतीय जीवन गौरव पुरस्कार (एक लाख की राशि) से अलंकृत किया गया। फिल्मी गीतकार मनोज मुन्तशिर, गायक अनूप जलोटा एवं अभिनेता मनोज जोशी भी गौरवशाली पुरस्कारों से नवाज़े गये।

समग्रतः एक सौ चौबीस, पुरस्कारों में अखिल भारतीय ,राज्य स्तरीय तथा विधा पुरस्कारों ने स्थान पाया।

इस साहित्यिक अभिजात्य के साक्षी बने अनेक गणमान्य जन। खचाखच भरे हुये सभागार में अकादमी सचिव “सचिन निंबालकर” के शानदार संचालन ने सुन्दर वातावरण की रचना की। संयोजन में अकादमी के कार्याध्यक्ष “शीतलाप्रसाद दुबे जी” का संरचनात्मक सौरभ व्याप्त रहा।

अपनी शुद्ध हिन्दी के लिये चर्चित अभिनेता आशुतोष राणा ने अपनी ओजस्वी वाणी में राष्ट्रकवि दिनकर की रश्मिरथी सुनाकर महफिल लूट ली। सदन में अभूतपूर्व शौर्य का संचार कर दिया।

मध्यप्रदेश राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष- विकास दवे ने बाल साहित्य सृजन की ओर साहित्यकारों का ध्यान आकृष्ट किया। ऐसी लागी लगन गाकर भजन सम्राट अनूप जलोटा ने भक्ति साहित्य के कुछ पृष्ठ अनावृत्त किये। माननीय श्री शेलार ने साहित्य की महत्ता पर प्रकाश डाला। आयोजन में पधारे देशभर के लघुकथाकारों का लघुकथा पाठ हुआ। कार्यक्रम के अंत में शशि बंसल ने आभार प्रकट किया।

एक गुरुतापूर्ण सरस आयोजन ने हमेशा के लिये स्मृति में जगह बना ली।

धन्यवाद महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी।

? ई-अभिव्यक्ति की ओर से इस अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए सुश्री इंदिरा किसलय जी एवं सभी सम्मानित साहित्यकारों का अभिनंदन एवं हार्दिक बधाई ?

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ साहित्य की दुनिया ☆ प्रस्तुति – श्री कमलेश भारतीय ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय  🌹

(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)

☆ विश्व कविता दिवस की धूम

सन् 1999 से विश्व कविता दिवस मनाया जा रहा है । इसका मुख्य उद्देश्य कविता व कवियों को सम्मान देना है । कवियों को सुना जाये और अच्छे से उनकी कृतियों को पढ़ा जाये, यही उद्देश्य है । हिसार के गुरु जम्भेश्वर विश्विद्यालय के हिंदी विभाग ने इस दिवस पर एक काव्य गोष्ठी आयोजित की । पहले तो विज्ञान व तकनीकी विश्विद्यालय में हिंदी विभाग का होना ही बहुत खुशी की बात है । इसके नवनियुक्त विभागाध्यक्ष प्रो एन के बिश्नोई ने कविता दिवस मनाने का संकेत विभाग को दिया । हिंदी विभाग को अस्तित्व में आये चार साल हो चुके हैं और इसके पहले अध्यक्ष प्रो किशना राम बिश्नोई अब सेवानिवृत होने जा रहे हैं लेकिन हिदी विभाग की स्थापना के लिये उन्हे याद किया जायेगा । वे भी इस अवसर पर मौजूद रहे । छात्र शिवा ने अच्छे से संचालन किया और कम से कम एक दर्जन छात्र छात्राओं ने काव्य पाठ किया । विभाग की ओर से डाॅ गीतू धवन, अनीता, कल्पना, कोमल व अन्य ने इसे सफल बनाने में खूब सहयोग दिया । एक अन्य कार्यक्रम भी हिसार मे विश्व कविता दिवस की पूर्व संध्या पर हुआ जिसमें प्रसिद्ध नवगीतकार सतीश कौशिक, विनोद मेहता, तिलक सेठी, ऋतु कौशिक, कमलेश भारतीय, सुरेंद्र छिंदा, सौरभ ठकराल, रश्मि, सरोज श्योराण आदि ने काव्य पाठ किया ।

चित्रा मुद्गल को सम्मान दर सम्मान: वरिष्ठ व चर्चित लेखिका चित्रा मुद्गल को सम्मान दर सम्मान मिल रहे हैं । उनकी सबसे नवीनतम कृति है – नकटौरा । उपन्यास जो सामयिक प्रकाशन से आया है । चित्रा मुद्गल को महाराष्ट्र साहित्य अकादमी और इंडियानेटबुक्स की ओर से सर्वोच्च सम्मान देना बहुत ही श्रेय की बात है । चित्रा मुद्गल को इनसे पहले भी व्यास सम्मान सहित अनेक सम्मान मिल चुके हैं । नये लेखकों को वे प्रोत्साहित करने में आगे रहती हैं ।

जालंधर से हिंदी पुस्तकें :  पंजाब के सांस्कृतिक केंद्र जालंधर की चर्चा पहले की गयी तो बहुत से सुझाव आये और बहुत से नाम स्मरण करने की बात कही गयी । इनमें सुदर्शन फाकिर, जगदीश चंद्र वैद , गजल गायक जगजीत सिंह , विजय निर्बाध, भूमिका , आलोचक डाॅ विनोद शाही , डाॅ सेवा सिंह और भी अन्य अनेक । वैसे कोई चाहे तो पूरी किताब जालंधर पर लिख सकता है । अब भी पंजाब के जालंधर के लेखक हिंदी लेखन में सक्रिय योगदान दे रहे हैं । इन दिनों डाॅ तरसेम गुजराल , डाॅ अजय शर्मा डाॅ विनोद कालरा की नयी पुस्तकें प्राप्त हुई हैं जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक मिठास लिये हुए हैं । सिमर सदोष पंकस अकादमी की स्मारिका के प्रकाशन में डूबे हैं । इन दिनों गीता डोगरा भी पंजाब के हिंदी लेखन के सितारे पुस्तक के संपादन में जुटी है । निधि शर्मा भी पत्रकारिता पर पुस्तक प्रकाशन की ओर अग्रसर है ।

साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ नेपाल भारत साहित्य महोत्सव दस सूत्रीय विराटनगर घोषणा पत्र के साथ संपन्न – डा विजय पंडित ☆ प्रस्तुति  – डॉ निशा अग्रवाल ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 नेपाल भारत साहित्य महोत्सव दस सूत्रीय विराटनगर घोषणा पत्र के साथ संपन्न – डा विजय पंडित 🌹प्रस्तुति  – डॉ निशा अग्रवाल🌹 

विराटनगर, नेपाल में तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव का चतुर्थ संस्करण दस सूत्रीय विराटनगर घोषणा पत्र के साथ संपन्न ।

राम जानकी सेवा सदन में महानगर पालिका बिराटनगर नेपाल और क्रांतिधरा साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव में 450 से अधिक नेपाली व भारतीय साहित्यिक व सामाजिक, पत्रकार बंधुओं की सहभागिता रही । 

आयोजन के प्रथम दिवस के मुख्य अतिथि कोसी प्रदेश के पूर्व प्रदेश प्रमुख डा गोविन्द सुब्बा रहे, अध्यक्ष के रूप में विराटनगर महानगरपालिका के मेयर नागेश कोईराला और विशिष्ट अतिथि के रूप में दधिराज सुबेदी, विवश पोखरेल, गंगा सुबेदी , डा बलराम उपाध्याय, भीष्म उप्रेती ,  विभा रानी श्रीवास्तव, जनार्दन अधिकारी धडकन रहे सत्र संचालन डा देवी पंथी और गोकुल अधिकारी द्वारा किया गया। 

द्वितीय सत्र नेपाल भारत साहित्यिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक व ऐतिहासिक संबंधी परिचर्चा रही।

तृतीय सत्र लघुकथा को समर्पित रहा जिसका संचालन सुविख्यात लघुकथाकार डा पुष्कर राज भट्ट ने किया और विभा रानी श्रीवास्तव, नीता चौधरी, सीमा वर्णिका, राजेन्द्र पुरोहित, हेमलता शर्मा ‘भोली बेन’  आदि ने लघुकथा वाचन के साथ विधा पर विमर्श किया। जिसमें से कुछ लघुकथा जो प्रमुख रूप से दर्शकों द्धारा पसंद की गयी यहां प्रकाशित है…

पटना से विभारानी श्रीवास्तव की लघुकथा : कोढ़

कई दिनों पहले से अनेक स्थलों पर बड़े-बड़े इश्तेहार लग गए… ‘नए युग को सलामी : खूँटे की नीलामी’

तय तिथि और निर्धारित स्थल पर भीड़ उमड़ पड़ी थी।

 एक बैनर पर लिखा हुआ था… “जो खूँटा रास्ते की रुकावट बने, उस खूँटे को उखाड़ फेंकना चाहिए।”

नीलामी में विभिन्न आकार-प्रकार के सजे-सँवरे खूँटे थे और सब पर अलग-अलग तख्ती लटकी हुई थी और लिखा था

नए युग की सलामी : पर्दा उन्मूलन के खूँटे की नीलामी

नए युग की सलामी : भ्रूण हत्या के उखड़े खूँटे की नीलामी

नए युग की सलामी : बाल विवाह के उजड़े खूँटे की नीलामी

नए युग की सलामी : देवदासी पुनर्वास के खूँटे की नीलामी

नए युग की सलामी : नारी शिक्षा के खूँटे की नीलामी

नए युग की सलामी : विधवा विवाह के खूँटे की नीलामी

इत्यादि..!

लेकिन एक बड़े खम्भेनुमा मजबूत भुजंग खूँटे पर तख्ती लटकी हुई थी। जिस पर लिखा था, “अभी नीलामी का समय नहीं आया है..।”

“ऐसा क्यों ?” भीड़ ने पूछा।

“तख्ती पलट कर देख लो!” आयोजक ने कहा

तख्ती के पीछे लिखा था,

‘बलात्कार व भ्रष्टाचार का खूँटा’ ,

इंदौर से हेमलता शर्मा की लघुकथा ‘योग्यता पर भरोसा’

रोज की तरह दूर से आती मधुर संगीत की कर्णप्रिय ध्वनि आज माधवी को बिल्कुल नहीं भा रही थी … पता नहीं लोग 24 घंटे क्यों संगीत सुनते रहते हैं?… उसके बेटे का चयन जो नहीं हुआ था- संगीत प्रतियोगिता में… योग्यता की कोई कद्र ही नहीं है… उसे चुन लिया जिसे संगीत की कोई समझ नहीं… बड़े बाप का बेटा जो ठहरा… एक कड़वाहट-सी उसके भीतर घुलकर उसके शरीर को कसैला बना रही थी… तभी महरी की आवाज ने उसे चौंका दिया- “बीबी जी हमार बचवा का एडमिशन बड़े स्कूल में हो गया है ! वो मोहल्ला के स्कूल वालों ने तो भर्ती च नी किया था…पर मेरे को उसकी योग्यता पे भरोसा था…” कहकर अपने काम में लग गई, लेकिन अनजाने ही माधवी को योग्यता पर भरोसा रखने का संदेश दे गई । अब माधवी का मन हल्का हो गया था । उसे अब वह संगीत की ध्वनि पुनः मधुर लगने लगी थी ।      

मीरा प्रकाश, पटना, बिहार की लघुकथा : मातृशक्ति

रेखा ऑटो लिए यात्रियों के इंतजार में चौराहे पर खड़ी सोच रही थी, अब अंतिम फेरा लगाकर, राजेश की दवा लेकर घर को चलूँ।

घर पहुंचते ही राजेश ने लंगड़ाते हुए दरवाजा खोला। और मन ही मन सोचा, अगर रेखा ने जिद करके रिक्शा चलाना नहीं सीखा होता, तो आज दुर्घटना में उसके पाँव टूटने के बाद उसके घर का खर्च कैसे चलता।

लो जी! अपनी दवा! और हां कल प्लास्टर कटवाने अस्पताल चलना है। कहते हुए रेखा ने घर में प्रवेश किया। राजेश ने हंसकर कहा तुमने इस सोच को गलत साबित कर दिया कि स्त्रियां केवल चौका बर्तन करती, घर में ही अच्छी लगती है।

प्रथम दिन का चतुर्थ सत्र कवि सम्मेलन का रहा जिसमें भारत के सभी प्रदेशों से पधारे हुए अतिथियों ने कविता पाठ किया  …… 

रंजिशें हृदय की,

ख्वाहिशें नयनों से अवलोकन की,

इबारतें ख़ुदा की,

जलालतें मानवता की,

नहीं भूलते, करते, सहते हैं सब

आख़िर यह सब क्यों? और कब तक।

अर्पणा आर्या ( ध्रुव ) प्रयागराज  ,

याद रखना, शांति प्यार इंसानियत है राह तुम्हारा।

जिस पर चल तुम हो परमेश्वर से एक।

पर जब-जब भटके हो तुम,

विवश हो सिखाना पड़ा है मुझे ये मार्ग तुम्हें। 

सीमा सैनी, जमशेदपुर, झारखण्ड ,

हिंदी है नाम मेरा हिंदुस्तान धाम है।

गीत, ग़ज़ल, दोहे और छंद को प्रणाम है।  

कोमल प्रसाद राठौर, रायपुर, छत्तीसगढ़,

हे नेटेश्वर बाबा आप कहां चले गए  ।

हमे निराश करके करके आप कहां चले गए।।

न खाना – खाने को मन करता है ।

न कोई काम करने को मन  करता ।।

रात-दिन तेरी यादो मे मुझे तड़पाता है। 

अच्छी खासी आदमीयो को भी मदहोश बना देता है ।।

दस सेकेन्ट गुल हो जाए तो दश बर्ष सा लगाता है ।

सपनो मे भी अन्लाईन जैसा लगाता है।

सागर सापकोटा, असम

जानवर क्या करे बेचारा

जब इंसान ही

खा जाए उसका चारा

इंसानियत को आती नही

रत्ती भर भी शरम

तो मेरे काठ के उल्लू

आइस क्रीम क्यों

नही हो सकती गरम

आइस क्रीम क्यों

नही हो सकती गरम

हरीश रवि, देहरादून, उत्तराखंड

“इक हसीन महफ़िल की सौगात तुम ले आओ ,

मै गीत लिख दूंगा, साज तुम ले आओ।

मेरे कत्ल के लिए असले  और बारुद की जरुरत नही दोस्तों ,

बस अपने चेहरे पर इक हसीन मुस्कुराहट आज तुम ले आओ ।

डॉ जयप्रकाश नागला , नांदेड, महाराष्ट्र

दिल्ली को दर्द हो तो, दिखता नेपाल में

कोई गैर यू ही चप्पल, घिसता नेपाल में

 दौलत नहीं हमारी, न शोहरत नई नई है

रोटी का और बेटी का, रिश्ता नेपाल से।  ….

ओंकार शर्मा कश्यप, नवादा, बिहार

यह उम्र पचास की

बड़ी परेशान करती है ,

जवानी तो गुजर जाती है

बुढ़ापे को अस्वीकार  करती है

यह उम्र पचास की

बड़ी परेशान करती है। 

नीता चौधरी , जमशेदपुर , झारखण्ड

हूं मालवा की छोरी म्हारे संगे मालवी टोली,

म्हारो देस भारत हे, हूं विराटनगर से बोली । 

हेमलता शर्मा इंदौर, मध्यप्रदेश

शीशे के द्वार को खोलकर

स्वागत करता गार्ड था

स्वर्ण आभूषणों की उस बड़ी दुकान में

बेटी के साथ अंदर जाती

सकुचाती हुई माँ थी, डॉ अर्चना तिर्की , रांची

वसंत ऋतु के आते ही, भंवरे कलियां मुस्काते है।

ऐसे ही मानव जीवन में ,यौवन के दिन आते है।।

जैसे ही यौवन आता, अंग प्रस्फुटित हो उठता।

मुख आभान्वित, कजरारी आंखें ,अंग अंग दमक उठता।।

 डा निशा अग्रवाल, जयपुर, राजस्थान

राह तकते हर पल रहती है मां।

रब जाने कब  कैसे सोती है मां।

याद  उसे   मेरी   जब   आती है

हाथ दुआ के लिए उठाती है मां। 

डॉ अलका वर्मा,सुपौल, बिहार

“देवभाषा की जाया हूँ,

संस्कृत की बिटिया,

भारत-माँ के भाल की

सुशोभित बिन्दिया,

हाँ, मैं  हिन्दी हूँ!

भारत की हिन्दी हूँ!!” 

पूनम (कतरियार)  पटना , बिहार

जीवन का संचार करो

हिंदुस्तान सा देश नहीं,ना हिंदी जैसी और भाषा हैं

कामकाज हो हिंदी में,सुरेश छोटी सी अभिलाषा हैं

भारत वासियों से आशा हैं,मातृभाषा का सत्कार करो।

सुरेश कुमार सुलोदिया ‘भिल्ला’, हरियाणा

साथ मिलता है जब तेरा

फिर तो डर नहीं लगता।

तेरी यादों के साथ लिए

आगे बढ़ता रहता हूँ।

तेरे साथ अपने आपको को भी

चाहने लगता हूँ। 

डॉ अकेला भाई , सिवान

हौले हौले हाथों से, फिसले रेत सी जिंदगी।    

खाली खाली आँखों में, भरे अनजानी तिश्नगी।    

सुहाने सपने दिखाए, उम्मीद दिल में जगाए।  

कोई  पुकारे दूर से। 

अशोक श्रीवास्तव ‘कुमुद’, प्रयागराज

मैं कविता यहां सुनाऊं।

तो किस-किसको सुनाऊं?

यहां तो सभी वक्ता बैठे हैं।

एक से एक कवि हैं।

जहां न पहुंचे रवि हैं।

ब्रह्मा बन कर लेटे हैं।

यहां तो सभी वक्ता बैठे हैं। 

ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश, रतनगढ़, (मध्यप्रदेश)

आते-जाते, आना-जाना जान गये

हम तेरे दिल का तहखाना जान गये

तेरी बोझिल पलकों से ये लगता है

हम भी शायद नींद उड़ाना जान गये,

डॉ0 अंजनी कुमार सुमन  , मुँगेर (बिहार)

जब- तक जीवित रहती है ,

हमारी तन्हाइयाँ ।

तब- तक बजती रहती है,

प्यार  की शहनाइयाँ ।।

जो जीते हैं दिलों की ,

अपनी जिन्दगानियाँ ।

 छोड़ जाते हैं वो,

अपनी मोहब्बत की निशानियों ।। 

नूतन सिन्हा , पटना , बिहार

साहित्य के हीरों को

नेपाल ने दिल से बुलाया है,

साहित्य महोत्सव आयोजित कर

सब को रिझाया है,

सगा भाई भारत का

धरा पर है अगर कोई,

सिवाय नेपाल के दूसरा,

हो सकता नहीं कोई

समर बहादुर ( सरोज ) ,एडवोकेट हाई कोर्ट , इलाहबाद।

आओ अखबार पढ़ते हैं

जो लिखा है, वही पढ़ते हैं

सुख को सुख और दु:ख को दु:ख पढ़ते हैं

खबरें गली, मुहल्ले और शहर की पढ़ते हैं,

हाल नगर नगर, देश विदेश का पढ़ते हैं

पाठक की चिट्ठी पत्तरी

खबरों का विश्लेषण,

लेखक के विचार और सुविचार पढ़ते हैं

आओ अखबार पढ़ते हैं | 

कमल किशोर कमल

कवि सम्मेलन का संचालन काठमांडू की पौडेल विमुन्श  द्वारा किया गया ।

द्वितीय दिवस में प्रथम सत्र पुस्तक विमोचन व पुस्तक  समीक्षा सत्र रहा जिसमें ममता शर्मा अंचल, लक्ष्मी कांत शर्मा, अंबिका खरेल उप्रेती की पुस्तकों का विमोचन किया गया जिसका सञ्चालन डॉ विजय पंडित द्धारा किया गया।

द्वितीय सत्र साक्षात्कार सत्र  मे भारत के वरिष्ठ बाल साहित्यकार Rajkumar Jain Rajan राजकुमार जैन ‘राजन’ ने साक्षात्कार सत्र की  अध्यक्षता करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि ऐसे आयोजन मैत्री सम्बन्धों को मजबूत करते हैं और एक दूसरे देश के साहित्य, संस्कृति, और परम्पराओं को समझने में सहयोग करते हैं। भारत -नेपाल का रिश्ता दो भाइयों जैसा है।

तृतीय सत्र मुशायरा /गज़ल / चारू / राग विराग को समर्पित रहा संचालन डॉ देवी पंथी द्वारा किया गया ।

राग

जम्बू दीपम्!, आर्यवर्तम्! , हिंद! ओ! माँ भारती।

आन की अरु शान की माँ!, ओढ़नी तू धारती।

ये हिमालय, है मुकुट माँ!,  तेरे उन्नत भाल का।

अरु उदिध उत्तल तरंगे, पग को उर में धारती।

जाति,मजहब, प्रांत,भाषा वाद यह सब भूलकर।

राष्ट्रवादी-दीप बन माँ, हम उतारें आरती।

हम सदा बलिदान करते, शीष तेरे वास्ते।

नग्न पांवों दौड़ पड़ते, मातु! जब तू पुकारती।

सरफरोशी की तमन्ना, दिल में थी बिस्मिल के जो।

वह तमन्ना, हर ह्रदय में,भर दे ओ! माँ  भारती।

दीपक गोस्वामी ‘चिराग’, बहजोई  (सम्भल)

“दो अल्हड़ दीवाने घूम रहे कहीं दूर वीराने,

दीन दुनिया से दूर बेखबर अपने में ही मगन,

एक दूजे में सिमटे फिर भी उड़ते आसमान में,

लगी थी उनको अपने अल्हड प्यार की लगन,

मिले थे जब पहली बार ऐसे ही दौरान ए बारिश,

बाहर भी बारिश थी और अंदर दिलों में भी बारिश,

आंखों की आंखों ही आंखों में कब पहचान हुई

आंखों ने आंखों में देखा आंखों आंखों में बात हुई 

राव शिवराज सिंह, जयपुर, राजस्थान

तृतीय दिवस में प्रथम सत्र साहित्य में अनुवाद : एक विमर्श परिचर्चा हुई जिसका संचालन डा विजय पंडित ने किया और वक्ता के रूप में डॉ घनश्याम परिश्रमी, राजेन्द्र गुरागाईं, विभा रानी श्रीवास्तव, राजेन्द्र पुरोहित, डा पुष्कर राज भट्ट, ओंकार शर्मा कश्यप, डॉ अंजनी कुमार सुमन  रहे अपने विचार रखने के साथ साथ दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों के साहित्य में अनुवाद संबंधित प्रश्नों का उत्तर भी दिया।

दस सूत्रीय विराटनगर घोषणा पत्र सभी के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसमें डॉ विजय पंडित, डा देवी पंथी, राधा पांडेय , ममता शर्मा अंचल, अभय श्रेष्ठ, विभा रानी श्रीवास्तव, ओंकार शर्मा कश्यप, हेमलता शर्मा, डॉ अंजनी कुमार सुमन शामिल रहे।

राव शिवराज सिंह के शोध पत्र वाचन के साथ समापन समारोह आयोजित किया गया । जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में विराट नगर महानगर पालिका के मेयर नागेश कोईराला जी  रहे और विशिष्ट अतिथियों में  गंगा सुबेदी जी , दधिराज सुवेदी जी , कार्यक्रम अध्यक्ष विवश पोखरेल जी रहे, मिन कुमार नवोदित जी , डा. हनीफ, ज्योतिष शिरोमणि डॉ बलराम उपाध्याय रेग्मी पोखरा, डा घनश्याम परिश्रमी, गोकुल अधिकारी और विष्णु भंडारी असम और सिक्किम से राधा पांडे रहे। झारखंड प्रीति सैनी, तनुश्री लेंका, भागलपुर से डा अंजनी कुमार सुमन, दिल्ली से इंदुमती सरकार, कानपुर से सीमा वर्णिका, हरियाणा से डा त्रिलोक चंद फतेहपुरी ,

जयपुर से डॉ निशा अग्रवाल, जोधपुर से राजेन्द्र पुरोहित, प्रेमलता सिंह राजपूत, रंजना सिंह, मीरा प्रकाश और इंदौर से शीतल शैलेन्द्र सिंह राघव देवयानी, नागपुर से रीमा दिवान चड्ढा, राजस्थान से डा दिनेश व्यास ललकार, मध्य प्रदेश से रमा निगम, डा जयप्रकाश नागला महाराष्ट्र सहित उत्तर पूर्व राज्य असम से हेमप्रभा हजारिका, रूनुदेवी बरूआ, लक्ष्मी कांत शर्मा ,  दुर्गा प्रसाद ढकाल, मनमाया गुरूंग, छविलाल ओझा, पंडित केशव खनाल, चक्रपाणि भट्टराई, टोमादेवी पौडयाल, अनीता गुरुंग जैसी जानी मानी साहित्यिक व सामाजिक विभूतियों की सहभागिता रही।

समापन सत्र के मुख्य अतिथि महानगरपालिका के मेयर नागेश कोईराला ने अपने उद्बोधन में दोनों देशों की साझा संस्कृति, कला व साहित्य  को आगे बढ़ाने के लिए भरपूर सहयोग करने का आश्वासन दिया और सभी अतिथियों को सम्मानित भी  किया ।

तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के चतुर्थ संस्करण में संयोजन के रूप में चारू साहित्य प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डा देवी पंथी और सह संयोजक के रूप में वरिष्ठ पत्रकार वरूण मिश्रा व माला मिश्रा रहे।

तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के चतुर्थ संस्करण में सह आयोजक महानगर पालिका विराटनगर, मुख्य सलाहकार व मार्गदर्शक Ganesh Lath गणेश लाठ जी व सहयोगी दीपक अग्रवाल जी, राजेन्द्र गुरागांई जी, करुणा झा जी  व शैलेन्द्र मोहन झा जी , महेश सोनी जी , अम्बिका खरेल उप्रेती जी ,  राधा भटराई जी, सबीना श्रेष्ठ जी,   सहित अन्य सभी सहयोगियों का हम आभार व्यक्त करतें हैं। आयोजन की सफलता में आप सभी ने स्नेहिल सहयोग व हमारा मार्गदर्शन किया है वास्तव में हमारे लिए बहुमूल्य है।

दोस्तों .. साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं अपितु दीपक का भी काम करता है जो समाज को एक नई दिशा दिखाता है और हम साहित्यिक महोत्सव के माध्यम से नेपाल और भारत के मध्य एक साहित्यिक सेतु का निर्माण कर रहे हैं ।

वसुद्धैव कुटुम्बकम् की भावना के साथ हम दोनों देशों के बीच प्रेम, सद्भाव, एकता, परस्पर सहयोग व साहित्य के दायरे का विस्तार करने के साथ वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में नवोदित व गुमनाम कलमकारों को एक अंतरराष्ट्रीय मंच उपलब्ध करा रहे हैं ।

डा विजय पंडित

नेपाल भारत साहित्य महोत्सव, विराटनगर, नेपाल

साभार –  डॉ निशा अग्रवाल

जयपुर ,राजस्थान  

 ☆ (ब्यूरो चीफ ऑफ जयपुर ‘सच की दस्तक’ मासिक पत्रिका)  ☆ एजुकेशनिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर, लेखिका, गायिका, कवियत्री  ☆

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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