सूचनाएँ/Information ☆ प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में सम्मानित – अभिनंदन ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में सम्मानित – अभिनंदन🌹

मंडला–सुपरिचित कवि/लेखक/वक्ता/विचारक/इतिहासकार व चार दशकों से मप्र उच्च शिक्षा विभाग में प्रोफेसर के रूप में शिक्षकीय दायित्व निर्वहन कर रहे शासकीय जेएमसी महिला स्नातक महाविद्यालय मंडला के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ शरद नारायण खरे को शिक्षक दिवस पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सहित अनेक संस्थाओं ने श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान से अलंकृत किया।

अनेक‌ कृतियों के सृजक प्रोफेसर डॉ शरद नारायण खरे रेडियो,टीवी व मंचों से सतत् प्रस्तुतियां देने वाले तथा देश भर के मंचों से काव्य रस प्रवाहित करने वाले अनेक अलंकरणों से विभूषित शिक्षक हैं।

🌹ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से प्रोफेसर डॉ शरद नारायण खरे जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ 🌹

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

Please share your Post !

Shares

सूचनाएँ/Information ☆ डॉ. जवाहर कर्नावट मॉरीशस सरकार द्वारा आमंत्रित – अभिनंदन ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹डॉ. जवाहर कर्नावट मॉरीशस सरकार द्वारा आमंत्रित – अभिनंदन🌹

भारत सरकार द्वारा विश्व हिंदी सम्मान से सम्मानित भोपाल के लेखक एवं प्रखर वक्ता डॉ. जवाहर कर्नावट को विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस ने हिंदी दिवस के अवसर पर 12 से 17 सितम्बार तक आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में विशिष्ट वक्ता एवं विषय विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित किया है।

आप विश्व हिंदी सचिवालय तथा भारतीय दूतावास द्वारा 14 सितम्बर को आयोजित हिंदी दिवस समारोह के विशिष्ट अतिथि होंगे तथा 15 सितम्बर को “वैश्विक जनसंचार माध्यम और हिंदी’ कार्यशाला का संचालन भी करेंगे। इसके अलावा डॉ. कर्नावट मॉरीशस बॉडकॉस्टिंग कारपोरेशन, महात्मा गांधी संस्थान, नागरी प्रचारिणी सभा, मॉरीशस विश्वविद्यालय आदि संस्थाओं में भी व्याख्यान देंगे।

उल्लेखनीय है कि डॉ. कर्नावट को वैश्विक हिंदी पत्रकारिता के शोध कार्य हेतु लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड 2023 में शामिल किया गया है। वर्तमान में आप रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केन्द्र में सलाहकार तथा हिंदी भवन, भोपाल की पत्रिका ‘अक्षरा’ में प्रबंध संपादक के रूप में कार्यरत हैं।

🌹ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से डॉ जवाहर कर्नावट जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ 🌹

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

Please share your Post !

Shares

सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – ई-अभिव्यक्ती (मराठी) – 🪔 दिवाळी अंक २०२३ 🪔– दिव्यांची दिवाळी – शब्दांची रांगोळी ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

🕯  संपादकीय निवेदन 🕯

☆ ई-अभिव्यक्ती (मराठी) – 🪔 दिवाळी अंक २०२३ – दिव्यांची दिवाळी – शब्दांची रांगोळी 🪔 ☆

दिव्यांची दिवाळी 🪔

        शब्दांची रांगोळी… 🪔

श्रावणात घन निळा बरसेल. गौरींच माहेरपण संपेल. पुढच्या वर्षीचं निमंत्रण स्विकारुन बाप्पा निघूनही जातील. शारदोत्सवाची सांगताही होईल… आणि चाहूल लागेल  दीपोत्सवाची !

दिवाळी! अंधारातून प्रकाशाकडे नेणारे प्रकाशपर्व! सुगंधी उटणे, अभ्यंगस्नान आणि फराळाने भरलेली ताटे. आपणही करायचा आहे फराळ… कधीही न संपणारा… अ क्षर फराळ !

चला, मग लागा तयारीला. तुमच्या उत्तमोत्तम अक्षर कलाकृती पाठवा आमच्याकडे आणि सजवा ई-अभिव्यक्तीचा दिवाळी विशेषांक. ठेवणीतले कपडे, दागिने तर काढाच पण त्याबरोबर खास खास लेख, कथा, कविता, रसग्रहण, पुस्तक परिचय अस सगळ काढा बाहेर आणि सजवा आपला दिवाळी अंक. रांगोळी शिवाय पंगत शोभत नाही आणि दिवाळी अंकाशिवाय मराठी दिवाळी सजत नाही हे लक्षात असू द्या.

साहित्य पाठवायचं नेहमीप्रमाणेच त्या त्या विभागाकडं. कोणताही एकच साहित्य प्रकार पाठवायचा आणि तो ही  एकाकडचं. शिवाय ‘दिवाळीअंकासाठी साहित्य’ असा उल्लेख करायला विसरु नका. सर्वप्रकारच्या गद्य लेखनासाठी शब्द मर्यादा आहे 2000 शब्दांची.

वाट पाहात आहोत आपल्या दर्जेदार साहित्याची 15 सप्टेंबर 2023 पर्यंत. त्या नंतर मात्र  एकदम क्षमस्व! 🙏

चला, सणांच्या गडबडीत आपणही साजरा करु अक्षर सोहळा दिवाळी अंकाच्या रुपानं !

लक्षात  असूद्या — एकच कलाकृती, एकाकडेच  आणि ते ही पंधरा सप्टेंबर  पर्यंतच ! 🙏

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

Please share your Post !

Shares

सूचनाएँ/ Information ☆ Book Recitation of Neelam Saxena Chandra’s latest book, by Literary Warrior group in association with NCPA ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

Ms Neelam Saxena Chandra

☆Book Recitation of Neelam Saxena Chandra’s latest book, by Literary Warrior group in association with NCPA ☆

An amazing surreal experience at one of the finest temples of arts NCPA is worth more than what my humble pen can scribe. The event began with the book reading of “Moh se Bandhi Mei” the latest addition to the ever-growing list of Neelam Saxena Chandra’s book of poetries.

Neelam is the recipient of Sohanlal Dwivedi Purashkar for children’s literature by Maharashtra State Hindi Sahitya Akedeni, Premchand award by Ministry of Railways, Freedom award by Radio City for Lyrics. Forbes has recognised her as one among the 78 most popular authors in the country.

It was amazing to hear Neelam Saxena Chandra reciting her poem from her latest popular book. The chief guest of honour Mr Pramod Aggarwal, Chief Commissioner Income Tax, superbly appreciated Neelam and the collective Literary Warrior Group, for an exemplary effort of awakening the society through words. He was in awe of poetry as a perfect medium of expression that surpassed prose. He too rendered two poems with panache showcasing his own deep interest in literature. The sentiment was echoed by Mr Karkare , the Director – Legal and Special Projects, NCPA .

The event was wonderfully moderated by Sujata Jadhav from NCPA. Literary Warrior poets a global initiative by Neelam Saxena during Covid times, a beacon of hope finding solace in words was represented by Anoop Pandey (Mumbai), Sunil Joshi (Pune), Anup Jalan (Mumbai), Purna Parekh (Mumbai), Pooja Dhadiwal (Nagpur) Mani Saxena (Mumbai), Shiv Nath Sharma (Mumbai) and Meera Bhansali (Mumbai).

Ms. Meera Bhansali

Meera Bhansali anchored the bilingual poetry recital part of the event introducing the poets to the audience. The poem by Anoop had the flavour of Mithila and of the puranic kathas showcasing flair in Hindi verse. Sunil’s poetry set the stage for light romance while Anup’s poetry thundering with melodious effect showcased rain, while Purna’s poem on love drenched all in its warm feelings. Pooja’s poetry on life expressed a holistic desire to live,while Shiv Nath’s poems evoked strong nostalgia to the old memories of father and his Basta. Mani’s poem on environmental issues gave a food for thought, while Meera’s poem had the audience falling in love with the Sun.

The stage moved from poetry to the mesmerising world of music and dance. AMNA’s Arpana Roa and Nandita N.G. enthralled the audience to perfect, graceful dance on the pre-recorded poems voiced by Neelam herself. This experience was like a dream where the art forms of poetry, music and dance came together giving an apt crescendo to the enchanting, fanciful experience. It was overall a perfect evening by the sea at NCPA. With this successful poetry reading, Team Literary Warrior has once again proved its prowess in hosting offline events. The amazing audience reacting in appreciative and motivational claps was the cherry on the proverbial cake.

© Meera Bhansali

Email  – [email protected]

≈  Blog Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

Please share your Post !

Shares

सूचनाएँ/Information ☆ सिक्किम के गवर्नर द्वारा डॉ निशा अग्रवाल सम्मानित – अभिनंदन ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 सिक्किम के गवर्नर द्वारा डॉ निशा अग्रवाल सम्मानित – अभिनंदन 🌹

भारत सरकार से मान्यता प्राप्त सच की दस्तक पत्रिका द्वारा मुगलसराय वाराणसी में छठवां स्थापना दिवस मनाया गया। कार्यक्रम सिक्किम गवर्नर महामहिम माननीय श्री लक्ष्मण आचार्य जी के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय गुजरात के पूर्व कुलपति प्रो. गोपबंधू मिश्रा जी, अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र बी.एच.यू वाराणसी निदेशक प्रो. प्रेमनारायण सिंह जी, विधानसभा मुगलसराय विधायक माननीय रमेश जायसवाल जी, महामना मदन मोहन मालवीय हिंदी संस्थान पत्रकार महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,  वाराणसी से डॉ नागेंद्र सिंह जी, राजस्थान से वरिष्ठ साहित्यकार श्री राव शिवराज पाल सिंह जी शामिल हुए।

कार्यक्रम में प्रिंट मीडिया की प्रामाणिकता विषय पर परिचर्चा की गई। इस परिचर्चा का यही निष्कर्ष सामने आया कि आज के युग में भी प्रिंट मीडिया की प्रामाणिकता बरकरार है। आज भले ही डिजिटल युग और सोशल मीडिया का ज़माना आ गया है लेकिन प्रिंट मीडिया की साख और विश्वसनीयता आज भी बरकरार है।

टेक्नोलॉजी के ज़माने में भी सुबह की चाय के साथ आज भी अखबार / पत्रिका का बेसब्री से इंतज़ार रहता है। चाहे देश हो या विदेश, सभी जगह प्रिंट मीडिया की अपनी एक अलग ही महत्ता है। जहां सोशल मीडिया / टीवी आदि पर सनसनीखेज खबरें, संदेहात्मक खबरें तीव्रता से प्रसारित होती हैं वहीं प्रिंट मीडिया केवल ऐसी खबरों को घर घर तक पहुंचाता है, जिनमें वैद्यता, विश्वसनीयता, सत्यता होती है। अगर टेक्नोलॉजी के चलते प्रिंट मीडिया का महत्व ना होता तो जापान में प्रिंट मीडिया का अस्तित्व ही  ना होता। प्रिंट मीडिया सामाजिक सरोकार, विश्लेषण शक्ति, व्याख्या की शैली, सकारात्मक दृष्टिकोण प्रसारित करने में आज भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सच की दस्तक पत्रिका भी पिछले पांच वर्षों से स्थानीय जनों से एक ऐसा रिश्ता स्थापित किए हुए है, जो सत्य की कसौटी पर खड़ी है। झूंठ की दरिंदगी और अत्याचारों के खिलाफ सत्य की आवाज को आमजन तक पहुंचा घर घर तक, दिल दिल तक पहुंचा रही है। सच की दस्तक पत्रिका का मुख्य उद्देश्य खबरों को आमजन तक ज्यों का त्यों परोसना है। खबरों में विचारों की मिलावट से बचने का पूरा प्रयास है। यही कारण है कि आज सच की दस्तक पत्रिका का छठवां स्थापना दिवस बड़े ही भव्य रूप से हम मना रहे हैं। सच की दस्तक पत्रिका के संपादन एवं प्रसारण में विशेष भूमिका सहज और सरल स्वभाव के धनी, सहृदय और एक जुट की भावना रखने वाले संपादक महोदय श्री ब्रजेश कुमार जी एवं समाचार संपादक सुश्रीआकांक्षा सक्सेना जी की है। जिन्होंने पत्रिका की टीम को स्नेहिल सहयोग से इस पत्रिका से जोड़े रखा है।

आज सच की दस्तक पत्रिका सफलता के पथ पर है। एक सफल और समृद्ध पत्रिका की यही पहचान है। यही कारण है कि आज यह पत्रिका इस मुकाम तक पहुंच गई है।

कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से इस पत्रिका के संवाददाताओं ने शामिल होकर अपना अपना विशेष प्रतिनिधित्व निभाया। इसमें जयपुर से राजस्थान ब्यूरो चीफ डॉ निशा अग्रवाल, धौलपुर ब्यूरो चीफ सुनील मित्तल जी, उत्तराखंड ब्यूरो चीफ श्री रोहित गोचकवे जी, यू पी ब्यूरो चीफ श्रीमती मृदुला श्रीमाली जी एवं अनेक विद्द्वेता, कलाकार, साहित्यकार शामिल हुए।

कार्यक्रम में सिक्किम गवर्नर महामहिम माननीय श्री लक्ष्मण आचार्य जी द्वारा डॉ निशा अग्रवाल को सेवा श्री सम्मान से नवाजा गया। साथ ही डॉ निशा ने राज्यपाल महोदय को अपनी पुस्तक “शिक्षा का बदलता स्वरूप” भेंट की।

कार्यक्रम समापन की कड़ी में डॉ निशा ने सच की दस्तक पत्रिका संपादक महोदय श्री ब्रजेश कुमार जी, समाचार संपादक प्रिय आकांक्षा सक्सेना जी, उप संपादक श्री शिव मोहन जी,  खेल संपादक श्री मनोज कुमार जी, मीडिया प्रभारी श्री अशोक जी , विज्ञापन प्रभारी इंखताब अहमद जी, एवं समस्त टीम का ह्रदय के अंतःस्तल से धन्यवाद एवं अनंत आभार व्यक्त किया।

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares

सूचनाएँ/Information ☆ डॉ कुँवर प्रेमिल जी को प्रदेश स्तरीय – लघुकथा रत्न सम्मान – अभिनंदन ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ डॉ कुँवर प्रेमिल जी को प्रदेश स्तरीय – लघुकथा रत्न सम्मान – अभिनंदन ☆

क्षितिज संस्था द्वारा वर्ष 2023 के सम्मान घोषित

इंदौर | वर्ष 7983 से लघुकथा विधा के संवर्धन के लिए कार्यरत साहित्यिक संस्था क्षितिज के द्वारा वर्ष 2023 के लिए सम्मान घोषित कर दिए गए हैं।

डॉ. उमेश महादोषी (बरेली, उत्तर प्रदेश) को क्षितिज लघुकथा शिखर सम्मान 2023, डॉ. सत्यवीर मानव (हुड्डा, नारनौल, हरियाणा) को (क्षितिज लघुकथा समालोचना  सम्मान 2023, प्रदेश स्तरीय क्षितिज लघुकथा समग्र सम्मान 2023 श्री पवन जैन एवं श्रीमती मधु जैन (जबलपुर), क्षितिज लघुकथा नवलेखन सम्मान 2023 श्री विजय जोशी शीतांशु (महेश्वर) को 29 अक्टूबर 2023 को होने वाले वार्षिक कार्यक्रम में प्रदान किए जाएंगे।

प्रदेश स्तर पर सर्वश्री कुंवर प्रेमिल, जबलपुर, हनुमान प्रसाद मिश्र अयोध्या, प्रभाकर शर्मा उज्जैन, आर एस माथुर इंदौर को लघुकथा रत्न सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त देश/ प्रदेश के कुछ प्रमुख साहित्यकारों को उनके साहित्यिक अवदान के लिए भी सम्मानित किया जाएगा।

🌹 ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से डॉ कुंवर प्रेमिल जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🌹

 ≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

Please share your Post !

Shares

सूचनाएँ/Information ☆ प्रलेस के महा-अधिवेशन में डॉ कुंदन सिंह परिहार जी की पुस्तक ‘खोया हुआ कस्बा’ लोकार्पित ☆ साभार – श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

डॉ कुंदन सिंह परिहार

🌹 प्रलेस के महा-अधिवेशन में डॉ कुंदन सिंह परिहार जी की पुस्तक ‘खोया हुआ कस्बा’ लोकार्पित 🌹 साभार – श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

20 से 22 अगस्त, 2023 को जबलपुर में प्रगतिशील लेखक संघ का 18वाॅं राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित हुआ, जिसमें देश भर से आए पांच सौ से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी हुई। 20अगस्त को उदघाटन सत्र में परसाई जी पर केंद्रित अट्टहास पत्रिका का  विमोचन हुआ।

21अगस्त को विचार विमर्श सत्र के दौरान ख्यातिलब्ध व्यंग्यकार एवं कथाकार डॉ कुंदन सिंह परिहार द्वारा लिखित कहानी संग्रह ‘खोया हुआ कस्बा’ का विमोचन देश भर से जुटे नामी-गिरामी साहित्यकारों की उपस्थिति में हुआ।

यह मेरा सातवाँ कथा-संग्रह और बारहवीं किताब है। पाँच व्यंग्य-संकलन हैं। यह शायद मेरा आखिरी कथा-संग्रह हो क्योंकि कथा लेखन अब बहुत कम हो गया है। कारण यह है कि जिन पत्रिकाओं ने मेरी लगभग डेढ़ सौ कहानियाँ छापीं, वे अब नहीं हैं। अखबारों ने भी साहित्य छापना बन्द कर दिया है। नयी पीढ़ी साहित्य के प्रति उदासीन हुई है, जिसका कारण ढूँढ़ा जाना चाहिए। इसके लिए केवल पाठक को दोष नहीं दिया जा सकता। संपूर्ण वातावरण में तात्विक परिवर्तन हुआ है।

डॉ कुंदन सिंह परिहार

कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी दूरदर्शन के रिट. डीडीजी श्री राजीव शुक्ल ने किया। मंच पर देश के दिग्गज साहित्यकार सर्वश्री नरेश सक्सेना, प्रलेस के राष्ट्रीय महासचिव श्री सुखदेव सिंह सिरसा, श्री विभूति नारायण राय, श्री नथमल शर्मा, श्री वीरेन्द्र यादव, श्री कुलदीप सिंह दीप, श्री प्रियदर्शन मालवीय जैसे नामी-गिरामी लेखक उपस्थित थे। महान साहित्यकार और साहित्य के संसार में जबलपुर की सर्वाधिक प्रखर पहचान हरिशंकर परसाई के जन्मदिन और जन्मशती के साथ यह सम्मेलन  रांगेय राघव, शंकर शैलेन्द्र, हबीब तनवीर, मृणाल सेन और गीता मुखर्जी की स्मृति को भी समर्पित था।

साभार – श्री जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares

सूचनाएँ/Information ☆ प्रलेस के महा-अधिवेशन में ‘अंतरात्मा का जन्तर मन्तर’ का हुआ लोकार्पण ☆ साभार – श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

श्री अनूप श्रीवास्तव

🌹 प्रलेस के महा-अधिवेशन में ‘अंतरात्मा का जन्तर मन्तर’ का हुआ लोकार्पण🌹 साभार – श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस ) का शीर्ष व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई को समर्पित अट्ठारहवां राष्ट्रीय सम्मेलन में चप्पे चप्पे पर परसाई छाए हुए थे। हरिशंकर परसाई नगर में आयोजित त्रिदिवसीय समारोह में परसाई जी छाए हुए थे। दीवारों से लेकर मंच तक परसाई के चित्रों, उनके व्यंग्य वचनों के पोस्टर सजे हुए थे। देश और विदेशों से समारोह में आये साहित्यकारों की जबान पर परसाई का ही नाम था। मंच के बाहर पंडाल में लगे स्टालों पर परसाई और राहुल सांस्कृत्यायन, प्रेमचंद, नागार्जुन की पुस्तकें धड़ाधड़ बिक रहीं थीं। आलम यह था कि अट्टहास का परसाई विशेषांक दो घण्टे में ही बिक गया। इसके बाद परसाई विशेषांक को पुनः पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने का आश्वासन देना पड़ा। 

20 से 22 अगस्त, 2023 को जबलपुर में प्रगतिशील लेखक संघ का 18वाॅं राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित हुआ, जिसमें देश भर से आए पांच सौ से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी हुई।

20अगस्त को उदघाटन सत्र में परसाई जी पर केंद्रित अट्टहास पत्रिका का धूमधाम से विमोचन हुआ, 21अगस्त को विचार विमर्श सत्र के दौरान ख्यातिलब्ध व्यंग्यकार,कवि, एवं चर्चित अट्टहास पत्रिका के प्रधान संपादक श्री अनूप श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक ‘अंतरात्मा का जन्तर मन्तर’ का विमोचन देश भर से जुटे नामी-गिरामी साहित्यकारों की उपस्थिति में हुआ।

कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी दूरदर्शन के रिट. डीडीजी श्री राजीव शुक्ल ने किया एवं मंच पर देश के दिग्गज साहित्यकार सर्वश्री नरेश सक्सेना, प्रलेस के राष्ट्रीय महासचिव श्री खुखदेव सिंह सिरसा, श्री विभूति नारायण राय,डॉ कुंदन सिंह परिहार,नथमल शर्मा, श्री वीरेन्द्र यादव, कुलदीप सिंह दीप, श्री प्रियदर्शन मालवीय, जैसे नामी-गिरामी लेखक उपस्थित थे।

महान साहित्यकार और साहित्य के संसार में जबलपुर की सर्वाधिक प्रखर पहचान हरिशंकर परसाई के जन्मदिन और जन्मशती के साथ यह सम्मेलन रांगेय राघव, शंकर शैलेन्द्र, हबीब तनवीर, मृणाल सेन और गीता मुखर्जी की याद को भी समर्पित था, क्योंकि इन विभूतियों की जन्मशताब्दी भी चल रही है। यह भी एक सुखद संयोग था कि 20 अगस्त को महान प्रगतिशील कवि त्रिलोचन की जयंती थी।  21 अगस्त को उर्दू की सबसे बेबाक और हिम्मती लेखिकाओं में एक इस्मत चुग़ताई की और 22 अगस्त को परसाई जी के साथ हिन्दी के महत्वपूर्ण कवि गिरिजा कुमार माथुर की भी जयंती थी। पुस्तक विमोचन स्थल पर पंकज दीक्षित, बालेंदु परसाई और राजेश दुबे द्वारा निर्मित परसाई जी की सूक्तियों पर आधारित पोस्टरों और कार्टून पोस्टरों का प्रदर्शन इस आयोजन की एक और बड़ी उपलब्धि थी।

साभार – श्री जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares

सूचनाएँ/Information ☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी ‘अंतरराष्ट्रीय लघु कथा प्रतियोगिता’ में पुरस्कृत – अभिनंदन ☆

☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी ‘अंतरराष्ट्रीय लघु कथा प्रतियोगिता’ में पुरस्कृत – अभिनंदन ☆

रतनगढ़, 30 अगस्त, 2023। रतनगढ़ निवासी श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी को अंतरराष्ट्रीय लघु कथा प्रतियोगिता सीजन 2 में 11वां स्थान प्राप्त हुआ है। यह प्रतियोगिता स्टोरी मिरर द्वारा आयोजित की गई थी। श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी ने अपनी लघुकथा “भिखारी कहीं का” के लिए यह सम्मान प्राप्त किया है।

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी ने बताया कि उन्होंने प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए अपनी लघुकथा पोस्ट की थी, लेकिन उसे प्रसारित करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं था कि उनकी लघुकथा का चयन होगा। हालांकि, पाठकों की पसंद के आधार पर श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी की लघुकथा को 52 सर्वश्रेष्ठ लघुकथाओं में से 11वां स्थान प्राप्त हुआ। इसके लिए उन्हें एक सम्मानित प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया।

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी ने कहा कि यह सम्मान उनके लिए एक सपने के सच होने जैसा है। उन्होंने कहा कि वह भविष्य में भी लेखन के क्षेत्र में काम करना जारी रखेंगे।

विस्तृत विवरण:

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी की लघुकथा “भिखारी कहीं का” एक विकलांग युवक की कहानी है जो गरीबी और अभाव से जूझ रहा है। लघुकथा में परिवार के संघर्ष और उनके जीवन के संघर्षों को दिखाया गया है।

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी ने अपनी लघुकथा को लिखने के लिए विकलांग युवक की कहानियों से प्रेरणा ली है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी लघुकथा में विकलांग युवक की वास्तविक जिंदगी को दिखाने की कोशिश की है।

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी का कहना है कि वह भविष्य में विकलांग युवक की कहानियों पर आधारित लघुकथाएँ लिखना जारी रखेंगे।

💐 ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी को इस विशिष्ट सम्मान के लिए हार्दिक बधाई 💐

– श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

Please share your Post !

Shares

सूचनाएँ/Information ☆ प्रलेस के राष्ट्रीय महाधिवेशन में परसाई छाए रहे!  ☆ साभार – श्री अनूप श्रीवास्तव ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 प्रलेस के राष्ट्रीय महाधिवेशन में परसाई छाए रहे! 🌹 साभार – श्री अनूप श्रीवास्तव ☆

अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस ) का शीर्ष व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई को समर्पित अट्ठारहवां राष्ट्रीय सम्मेलन में चप्पे चप्पे पर परसाई छाए हुए थे। हरिशंकर परसाई नगर में आयोजित त्रिदिवसीय समारोह में परसाई जी छाए हुए थे। दीवारों से लेकर मंच तक परसाई के चित्रों, उनके व्यंग्य वचनों के पोस्टर सजे हुए थे। देश और विदेशों से समारोह में आये साहित्यकारों की जबान पर परसाई का ही नाम था। मंच के बाहर पंडाल में लगे स्टालों पर परसाई और राहुल सांस्कृत्यायन, प्रेमचंद, नागार्जुन की पुस्तकें धड़ाधड़ बिक रहीं थीं। आलम यह था कि अट्टहास का परसाई विशेषांक दो घण्टे में ही बिक गया। इसके बाद परसाई विशेषांक को पुनः पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने का आश्वासन देना पड़ा। 

भारत के केंद्र बिन्दु पर बसी संस्कारधानी जबलपुर में अखिल भारतीय प्रलेस के 18 वें राष्ट्रीय अधिवेशन में व्यंग्य को समर्पित ‘अट्टहास पत्रिका’ के ‘परसाई विशेषांक’ का ऐतिहासिक विमोचन हुआ। खचाखच भरे मानस भवन सभागार में आयोजित समारोह में साहित्यकार एवं भारत सरकार योजना आयोग की पूर्व सदस्य पदमश्री सैयदा हमीद, प्रलेस राष्ट्रीय महासचिव डॉ सुखदेव सिंह सिरसा, इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रसन्ना, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष विभूति नारायण राय, ख्यातिलब्ध कवि नरेश सक्सेना, अट्टहास के प्रधान संपादक अनूप श्रीवास्तव, क्यूबा के राजदूत अलेक्जेंड्रा, प्रलेस अध्यक्ष डॉ सेवाराम त्रिपाठी, राजेन्द्र शर्मा, राजेन्द्र राजन, प्रलेस आयोजन अध्यक्ष डॉ कुंदन सिंह परिहार, महासचिव तरूण गुहा नियोगी, परसाई विशेषांक के अतिथि सम्पादक जय प्रकाश पाण्डेय के अलावा देश विदेश से बड़ी संख्या मेंआये प्रतिष्ठित साहित्यकारों की उपस्थिति में परसाई विशेषांक के साथ कई अन्य पुस्तको और पत्रिकाओं का विमोचन हुआ। लेकिन केवल परसाई पर समर्पित परसाई अंक ही प्रमुख था।

आमजन की बेहतरी एवं जन पक्षधर व्यवस्था निर्माण की चेतना जगाने वाले व्यंग्य पितामह हरिशंकर परसाई जी की जन्मशती के अवसर पर आयोजित इस समारोह में देश भर से जुटे लेखकों ने लोकतंत्र, समानता, भाईचारा की आवाज को बुलंद किया और मानवता प्रेम, भाईचारा, शान्ति के नारे के साथ 500 लेखकों ने रैली निकाली। सभी लेखकों का मत था कि दुनिया के महान व्यंग्यकारों में बड़ा नाम परसाई का है। उनके लेखन की विशेषता रही है कि उन्होंने जो लिखा वह इतना दूरगामी व व्यंग्यपूर्ण है कि वह हमारी धरोहर के रूप में रहेगा। परसाई का स्मरण करते हुए आयोजन स्थल पर जगह-जगह परसाई की रचनाओं पर आधारित पोस्टर प्रदर्शनी लगाईं गई और विभिन्न सत्रों में विषय विशेषज्ञों ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। ‘अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने ही होंगे व संविधान की सुरक्षा और संवर्धन की चुनौतियों’ पर बोलते हुए लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नवशरण कौर ने कहा कि हमारे रंगकर्मी, लेखकों, किसानों व बुद्धिजीवियों ने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि लोगों की तकदीर संवाद से बदली जाती है आतंक से नहीं। उन्होंने लोकतंत्र को भीड़तंत्र में बदलने की कोशिश पर निशाना साधा।

आलोचक वीरेंद्र यादव ने कहा कि परसाई ने जिस ठिठुरते गणतंत्र की बात कही थी आज वह दिख रहा है, आज जिन हालातों में लेखक समागम हो रहा है ऐसी परिस्थिति कभी नहीं थीं। भगवान सिंह चावला ने कहा कि आज हमारे सामने स्वतंत्रता, समता जैसे मूल्यों को बचाने की चुनौती है हमें मिलकर इन मूल्यों की रक्षा करना चाहिए। इतिहासकार एवं प्रखर वक्ता राम पुण्यानी ने कहा कि वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने वाला ज्यादा से ज्यादा लेखन करने की आवश्यकता है, आज के नेताओं की चमड़ी ज्यादा मोटी हो गई है। कार्यक्रम में एक ही मंच पर तेलुगू, पंजाबी, हिंदी, तमिल सहित देश की अलग-अलग भाषाओं की लिखी पुस्तकों के विमोचन भी हुए। अट्टहास पत्रिका के विमोचन पश्चात् हरिशंकर परसाई की रचना पर आधारित नाटक निठल्ले की डायरी का शानदार मंचन विवेचना रंगमंडल के कलाकारों ने किया। छत्तीसगढ़ नाचा गम्मत के कलाकारों ने परसाई की रचना टार्च बेचने वाला की नाट्य प्रस्तुति दी। देश भर से आए लेखकों के बीच अट्टहास के परसाई विशेषांक की खूब चर्चा हुई, अधिकांश लेखकों का विचार था कि परसाई पर केंद्रित यह ऐतिहासिक अंक शोधकर्ताओं के लिए बहुत उपयोगी रहेगा, अट्टहास पत्रिका के प्रधान संपादक श्री अनूप श्रीवास्तव एवं अतिथि सम्पादक जय प्रकाश पाण्डेय ने सभी लेखकों का आभार माना 

प्रलेस के राष्ट्रीय महाधिवेशन अन्य साहित्यिक अधिवेशनों से अलग दिख रहा था। सत्यरक्षा होटल में बसा हरिशंकर परसाई नगर में लेखक अपने खर्चे पर आए थे। होटल से लेकर आवागमन तक का खर्चा उन्होंने स्वयम उठाया था। जिन्हें जगह नही मिली उल्लास पूर्वक जमीन पर बिछी दरी पर पसरे हुए थे। समारोह में लेखकों के लिए स्वादिष्ट नाश्ते, भोजन की व्यवस्था थी। बिना रोक टोक, भोजन पर्ची के कतार में लेखक लगे थे।

श्री अनूप श्रीवास्तव

प्रलेस के राष्ट्रीय समारोह में जो लेखक। आकर्षण के मुख्य केंद्र थे उनमें वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना, वीरेन्द्र यादव, राकेश वेदा, फारूकी अफरीदी, अलका आग्रवाल सिगतिया, डॉ संजय श्रीवास्तव, रमेश सैनी, जयप्रकाश पांडे, और अट्टहास के परसाई अंक के चलते अनूप श्रीवास्तव प्रमुख थे।

एक दिलचस्प दृश्य उस समय दिखा जब वरिष्ठ साहित्यकार कुछ देर से नाश्ता करने पहुंचे तो उन्हें यह कहकर नाश्ता देने से मना कर दिया गया-सब खत्म हो चुका है, कृपया काउंटर पर जाइये, अब यहां कुछ नही मिलेगा इस स्थिति में आड़े आई बम्बई से पधारी अलका सिगतिया। उन्होंने नरेश जी से आगे बढ़कर पूछा-क्या दो पराठे खाना आप पसन्द करेंगे/नरेश सक्सेना ने पूछा -कुछ अचार भी है। हाँ। नरेश जी के लिए अलका ने कार से नाश्ते का डिब्बा मंगवाया। नाश्ता पाकर नरेश सक्सेना ने कहा- अलका ने मेरे शरीर मे जान डाल दी।

प्रलेस का तीन दिवसीय समारोह कई सत्रों में बंटा था। इन सबसे अलग सत्र भी हुए। संगठन सत्र में अगले अध्यक्ष, महा सचिव, राज्यो के पदाधिकारियों के चयन की खींचा तानी भी चली लेकिन गुपचुप। नरेश सक्सेना का भी राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्विरोध बनने का भी प्रस्ताव आया जिसे नरेंश जी ने मना कर दिया अन्ततः राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर पी लक्क्ष्मी नारायण और महा सचिव सुखदेव सिंह सिरसा चुने गए।

समारोह के अगले दिन शाम को कोकिला रेसॉर्ट में रमेश सैनी, जय प्रकाश पांडे, राजस्थान सरकार के मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत के विशेषाधिकारी फारूक अफरीदी, विनोद भरद्वाज और व्यंग्यकार और पत्रकार अनूप श्रीवास्तव आदि के बीच विशद परिचर्चा भी हुई जिसमे साहित्य के बिंदुओं पर लंबी बात चीत हुई। सुबह की संगोष्ठी में बम्बई की अलका सिगतिया भी जुड़ीं।

संगोष्ठी का निष्कर्ष था साहित्य वह है जो बेचैनी पैदा करे अनूप जी ने प्रेम चंद का उल्लेख करते हुए कहा भाषा साधन है, साध्य नही। अब हमारी भाषा ने वह रूप प्राप्त कर लिया है। वह भाषा जिसके आरम्भ में बागों बहारऔर बैताल पचीसी की रचना ही सबसे बड़ी साहित्य सेवा थी। अब इस योग्य हो गई है कि उसमें शास्त्र और विज्ञान की भी विवेचना की जा सके। यह सम्मेलन इस सच्चाई की स्पष्ट स्वीकृति है। फारूक अफरीदी का कहना था कि हमारी साहित्यिक रुचि तेजी से बदल रही है। साहित्य केवल मन बदलाव की चीज नही है। जय प्रकाश पांडे का मानना था कि कुछ समालोचको ने साहित्य को लेखक का मनोवैज्ञानिक जीवन चरित्र कहा है। रमेश सैनी ने कहा साहित्य मशाल दिखाते हुई चलने वाली सचाई है।

कुल मिलाकर हर समारोह की तरह प्रलेस के समारोह में संगति के साथ् विसंगति भी दिखी-परसाई की स्मृति के ताम झाम के साथ समारोह पर परसाई जी के तीन दिन तक पोस्टर लगे रहे, स्टालों पर परसाई का साहित्य बिकता रहा लेकिन मंच पर परसाई पर कोई सत्र कब कहाँ चला, किसने उन पर कब कहाँ बोला इसकी जानकारी अन्ततः नही मिल सकी।

साभार – श्री अनूप श्रीवास्तव, संपादक अट्टहास 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares
image_print