हिन्दी साहित्य – आलेख ☆ अभी अभी # 81 ⇒ ऑंसू और मुस्कान… ☆ श्री प्रदीप शर्मा ☆

श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “ऑंसू और मुस्कान”।)  

? अभी अभी # 81 ⇒ ऑंसू और मुस्कान? श्री प्रदीप शर्मा  ? 

सुना है चेहरे को दिल की जुबान कहते हैं। सुना तो हमने यह भी है, ये ऑंसू मेरे दिल की जुबान है। चेहरा एक ही है, जिस पर कभी ऑंसू तो कभी मुस्कान है। जीवन में रात और दिन की तरह, अंधेरे और उजाले की तरह, कभी ऑंखों में ऑंसू आ जाते हैं, तो कभी चेहरे पर मुस्कान छा जाती है। शायर लोग ऑंसुओं की हजारों किस्म बताते हैं, ऐसा लगता है, मानो वे ऑंसुओं के सौदागर हो, लेकिन जब भी मुस्कान का जिक्र होता है, तो बस, एक इंच मुस्कुराकर रह जाते हैं।

ऑंसू पर हर दुखी इंसान का कॉपीराइट है। इतना ही नहीं, खुशी में भी अगर ऑंसू आ जाए, तो भी वे ऑंसू ही कहलाते हैं। सुख दुख से परे भी कुछ लोग होते हैं, जो बस प्याज के ऑंसू बहाते हैं। ।

ऑंसू अगर परिस्थिति की देन है, तो मुस्कान कुदरत की देन है। लो एक कली मुस्काई ! एक कली की मुस्कान और एक बालक की मुस्कान, कुदरत की और ईश्वर की मिली जुली मुस्कान है। अहैतुकी कृपा की तरह ही एक कली की मुस्कान और एक बच्चे की मुस्कान का कोई हेतु नहीं होता, क्योंकि इस मुस्कान के पीछे ना तो कोई प्रयत्न होता है, और न ही कोई हेतु।

मुस्कान में ईश्वर का वास है। तस्वीर मर्यादा पुरुषोत्तम राम की हो या योगेश्वर कृष्ण की, उनके चेहरे पर शांत और सौम्य मुस्कुराहट देखी जा सकती है। मुस्कुराहट एक स्थायी भाव है, जब कि हंसना और रोना जीव की परिस्थिति पर निर्भर है। ईश्वर प्रकट रूप से कभी हंसता रोता नहीं। करुणासागर होते हुए भी वे सदा मुस्कुराने के लिए ही नियुक्त हुए हैं।।

(He is destined to smile only.)

ईश्वर भी रोता होगा, ऑंसू भी बहाता होगा, कभी कभी अपनी ही बनाई दुनिया को देख हंसता भी होगा, लेकिन यह कार्य शायद वह प्रकृति पर छोड़ देता है। ईश्वर हमसे नाराज है और प्रसन्न है। कभी छप्पर फाड़कर देता है, कभी खड़ी फसल उजाड़ देता है। लेकिन जब वरदान देता है तो उसके चेहरे पर सदा मुस्कुराहट रहती है। जो रहबर है, दयालु है, करुणासागर है, वह कभी शाप नहीं द सकता, सिर्फ अपने भक्त की परीक्षा ले सकता है।

एक शब्द है आशीर्वाद !

वह आशीर्वाद समारोह वाला आशीर्वाद नहीं। वह आशीर्वाद जिसमें व्यक्ति का कल्याण निहित हो, जो केवल बड़े बुजुर्ग और सतगुरु की मुस्कुराहट के साथ ही प्राप्त होता है। बड़ा राज होता है इस मुस्कुराहट में, क्योंकि यह साधारण नहीं दिव्य(डिवाइन) होती है। ।

झूठ मूठ के आंसू और कुटिल मुस्कुराहट होगा कलयुग का चलन और मुखौटा, हमें उससे कुछ लेना देना नहीं। असली ऑंसू कभी थमते नहीं, दुख, विरह, विछोह और पश्चाताप के ऑंसुओं को कभी रोकना नहीं चाहिए, बह देना चाहिए। कलेजे का बोझ हट जाता है, चित्त निर्मल हो जाता है।

और ऐसी ही स्थिति में जो चेहरे पर मुस्कान आती है, वह दिव्य मुस्कान होती है। कुछ चेहरे ईश्वर ने बनाए ही ऐसे हैं, जो एक फूल की तरह सदा मुस्कुराते ही रहते हैं।

काश, दुनिया के हर बच्चे बूढ़े, जवान, स्त्री पुरुष, के चेहरे पर सदा मुस्कान हो, किसी की आंख में गम, अभाव और अवसाद के आंसू ना हो। तब शायद कोई बदनसीब इस तरह शिकायत भी ना करे ;

आज सोचा,

तो ऑंसू भर आए।

मुद्दतें हो गई मुस्कुराए ..!!

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 143 ☆ गीत – दिल आबाद कर रही यादें… ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण गीत दिल आबाद कर रही यादें)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 143 ☆ 

☆ गीत – दिल आबाद कर रही यादें ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

गीत:

जब जग मुझ पर झूम हँसा

मैं दुनिया पर खूब हँसा

.

रंग न बदला, ढंग न बदला

अहं वहं का जंग न बदला

दिल उदार पर हाथ हमेशा

ज्यों का त्यों है तंग न बदला

दिल आबाद कर रही यादें

शूल विरह का खूब धँसा

.

मैंने उसको, उसने मुझको

ताँका-झाँका किसने-किसको

कौन कहेगा दिल का किस्सा?

पूछा तो दिल बोला खिसको

जब देखे दिलवर के तेवर

हिम्मत टूटी कहाँ फँसा?

*

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

२६-५-२०२३, जबलपुर

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

image_print

Please share your Post !

Shares

English Literature – Poetry ☆ The Grey Lights# 04 – “Steel…” ☆ Shri Ashish Mulay ☆

Shri Ashish Mulay

? The Grey Lights# 04 ?

☆ – “Steel…” – ☆ Shri Ashish Mulay 

O forge-master, Forge me

seen breaking in me

now show making of me

who’s capable than thee

 

O forge-master, Forge me

in crucible molten me

nothing’s more fluid than me

who’s wiser than thee

 

O forge-master, Forge me

nature’s wind has blown me

from your hammer bless me

who’s kinder than thee

 

O forge-master, Forge me

your flowers watching me

your anvil waiting for me

who’s quicker than thee

 

O forge-master, Forge me

break me and make me

make me and break me

who’s patient than thee

 

O forge-master, Forge me

put your will in me

forge your ‘steel’ in me

who’s active than thee…

 

© Shri Ashish Mulay

Sangli 

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

image_print

Please share your Post !

Shares

सूचनाएँ/Information ☆ साहित्य की दुनिया ☆ प्रस्तुति – श्री कमलेश भारतीय ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय  🌹

(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)

☆ शिमला में पुस्तक मेला और सम्मान समारोह ☆

हिमाचल की राजधानी शिमला में पुस्तक मेला और सम्मान समारोह एक साथ होने जा रहे हैं। पुस्तक मेले का उद्घाटन मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू करेंगे। दो वर्ष पूर्व इसी पुस्तक मेले में प्रसिद्ध अभिनेत्री दीप्ति नवल मुख्याकर्षण का केंद्र थीं जब उनकी पुस्तक –ए कंट्री दैट काल्ड चाइल्डहुड पर बातचीत की गयी थी। यह पुस्तक अब खूब चर्चित हो चुकी है। इसी प्रकार यहां रोटरी हाल में सम्मान समारोह का आयोजन भी किया जा रहा है। पांचवां ओकार्ड साहित्य सम्मान डॉ देवेन्द्र गुप्ता को प्रदान किया जायेगा। डाॅ देवेंद्र गुप्ता ‘सेतु’ साहित्यिक पत्रिका के संपादक भी हैं। उन्हें यह सम्मान 25 जून को शिमला रोटरी क्लब टाउन हाल में दिया जाएगा। इस समारोह की मुख्य अतिथि श्रीमती प्रतिभा सिंह, सांसद व कांग्रेस अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश होंगी और अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार  नरेश कौशल करेंगे। इस सम्मान समारोह में प्रमुख वक्ता प्रो.मीनाक्षी एफ पॉल, डॉ.देवकन्या ठाकुर, जगदीश बाली और दिनेश शर्मा होंगे। यह जानकारी ओकार्ड इंडिया दिल्ली के संयोजक श्री सचिन चौधरी ने मीडिया को दी। यह समारोह शिमला में आयोजित हो रहे छठे राष्ट्रीय पुस्तक मेले का यह महत्वपूर्ण आयोजन है क्योंकि ओकार्ड इंडिया प्रति वर्ष पुस्तक मेले के दौरान हिमाचल के किसी लब्धप्रतिष्ठित साहित्यकार को ओकार्ड साहित्य सम्मान प्रदान करती है। अब तक यह सम्मान प्रो.मीनाक्षी एफ पॉल, डॉ.कर्म सिंह, मीनाक्षी चौधरी और आत्मारंजन को दिया जा चुका है। प्रसिद्ध साहित्यकार एस आर हरनोट और हिमालय मंच भी इस कार्यक्रम के आयोजन में सक्रिय योगदान दे रहे हैं।

दास्तान ए अम्बाला : हिसार की रंग आंगन नाट्य संस्था के संचालक मनीष जोशी के निर्देशन में जिंदल ज्ञान केंद्र के ओपन एयर थियेटर में दास्तान ए अम्बाला का मंचन किया गया।  प्रसिद्ध कलाकार राखी जोशी के भी इसमें योगदान है। इसका निर्देशन मनीष जोशी ने किया तो इसका लेखन यशराज ने किया। प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे पहले अम्बाला में सेना ने विद्रोह किया था न कि मेरठ में ! इसका पहला मंचन अम्बाला में ही किये गया था और गृहमंत्री अनिल विज इसमें मुख्यातिथि के रूप में मौजूद रहे थे। मनीष जोशी का दास्तान ए रोहनात भी इससे पहले चर्चित रहा है। बधाई। निरंतर नाटक मंचन के लिये !

डाॅ सुनीता सुधा सम्मानित : हिसार के ओम स्टार्लिंग ग्लोबल विश्वविद्यालय की हिंदी विभाग की प्रो डाॅ सुनीता सुधा को विश्व हिंदी साहित्य संस्थान इलाहाबाद उ. प्रदेश की तरफ से वर्ष 2023 का बुद्धिसेन स्मृति सम्मान प्रदान किया गया है। डा. सुनीता सुधा’ को ग़ज़ल की क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया है। यह सम्मान भिलाई में आयोजित दो दिवसीय साहित्यिक राष्ट्रीय अधिवेशन कार्यक्रम में आयोजित कार्यक्रम में प्रदान किया गया। डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’ वाराणसी की रहने वाली हैं और आजकल हिसार के ओम स्टर्लिंग विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में कार्यरत हैं।

साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

image_print

Please share your Post !

Shares

ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (26 जून से 2 जुलाई 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (26 जून से 2 जुलाई 2023 ) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

सबसे पहले पवन पुत्र हनुमान की  वंदना में आज की चौपाई है :-

नासै रोग हरे सब पीरा । जपत निरन्तर हनुमत बीरा ।।

भावार्थ:- हनुमान जी के नाम का एकाग्र होकर पाठ करने से समस्त प्रकार की पीड़ाएं समाप्त हो जाती हैं। समस्त प्रकार की पीड़ा से यहां पर तात्पर्य दैहिक दैविक और भौतिक समस्त प्रकार की तकलीफ एवं दुख से है।

इस चौपाइ  का पाठ करने  से होने वाला लाभ :-

नासै रोग हरे सब पीरा । जपत निरन्तर हनुमत बीरा ।।

इस चौपाई के बार बार पाठ करने से समस्त प्रकार के रोग और पीड़ाओं का अंत हो जाएगा।

 हनुमान चालीसा के बारे में विस्तृत ज्ञान आप “नासे रोग हरे सब पीरा “  नाम की हनुमान चालीसा की विस्तृत विवेचना  पुस्तक से प्राप्त कर सकते हैं। यह पुस्तक अमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर  उपलब्ध है।

आइए अब हम 26 जून से 2 जुलाई 2023 अर्थात विक्रम संवत 2080, शक संवत 1945 के  अषाढ़ शुक्ल पक्ष की अष्टमी से आषाढ़ शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के बारे में चर्चा करते हैं।

इस सप्ताह चंद्रमा प्रारंभ में कन्या राशि में रहेगा। 27 जून को 2:30 रात से तुला राशि में प्रवेश करेगा। 30 जून  को 7:19 प्रातः से वृश्चिक राशि में और 2 जुलाई को 12:27 दिन से धनु राशि में गोचर करना प्रारंभ करेगा।

इस पूरे सप्ताह सूर्य और बुध मिथुन राशि में, गुरु मेष राशि में, और शुक्र कर्क राशि में रहेंगे। शनि कुंभ राशि में वक्री और राहु मेष राशि में वक्री रहेगा। मंगल प्रारंभ में कर्क राशि में रहेगा तथा 30 जून को 1:17 रात से सिंह राशि में प्रवेश करेगा।

आइए अब हम राशि वार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह आपको पुरानी चली आ रही कठिनाइयों में थोड़ा आराम प्राप्त हो सकता है। आराम प्राप्त करने के लिए आपको कुछ कार्य करना होगा जो  मैं आगे बताऊंगा। इस सप्ताह आपका अपने भाई बहनों से बहुत अच्छे संबंध रहेंगे। एक बहन के साथ संबंध में थोड़ी कड़वाहट आ सकती है। आपके पराक्रम और भाग्य के कारण आपके सफलता में वृद्धि हो सकती है। माताजी का स्वास्थ्य कम ठीक रहेगा। पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। कार्यालय में आपकी स्थिति मजबूत होगी। इस सप्ताह आपके लिए 28 और 29 जून उत्तम और कार्यों में सफलता दायक हैं। 30 जून को आप के साथ कुछ अच्छा हो सकता है। जैसे कि आपको आकस्मिक धन लाभ हो सकता है, दूर देश की यात्रा हो सकती है, दुर्घटना से बच सकते हैं आदि। 26, 27 जून तथा एक जुलाई को आपको कोई भी कार्य सतर्क होकर करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

वृष राशि

वृष राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह  फलदायक है । इस सप्ताह आपका व्यापार उन्नति कर सकता है। व्यापार से आपको अच्छा धन लाभ होगा। नौकरी पेशा वाले जातकों को वेतन के अलावा कुछ और राशि भी प्राप्त हो सकती है जैसे टीए बिल की राशि एरियर्स  आदि। अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो आपको अपने कार्यालय में थोड़ी परेशानी हो सकती है। इस सप्ताह आपके क्रोध में वृद्धि होने की भी संभावना है। छोटे-मोटे दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें। इस सप्ताह  1 जुलाई को आपके जीवन साथी को कुछ अच्छा मिल सकता है, या आपके व्यापार में विशेष वृद्धि हो सकती है। अगर आप अविवाहित हैं तो आपके विवाह के अच्छे प्रस्ताव भी आ सकते हैं। प्रेम संबंधों में वृद्धि हो सकती है। सप्ताह के बाकी दिन आपको सतर्क रहकर कार्य करने की आवश्यकता है। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह प्रतिदिन भगवान शिव का अभिषेक स्वयं करें या करवाएं। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपको इस सप्ताह भाग्य से थोड़ी कम मदद मिलेगी । 1 और 2 जुलाई को आपको भाग्य से मदद मिल सकती है। आपके व्यापार में उन्नति होगी। आपको अपनी संतान से सहयोग प्राप्त नहीं हो पाएगा। इस सप्ताह आपके पास धन आने में कमी आएगी। माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 26 और 27 जून तथा 2 जुलाई किसी भी कार्य को करने के लिए पूर्णतया अनुकूल है। इस सप्ताह अगर आप बीमार हैं तो आप के रोग में कमी आएगी। पेट की पीड़ा में आराम मिल सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शनिवार को शनि मंदिर में जाकर शनिदेव का  पूजन करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। कचहरी के कार्यों में आपको सफलताएं मिलेंगी। अगर आप विदेश यात्रा के लिए प्रयासरत हैं तो आप विदेश जा सकते हैं। कार्यालय में आपको सम्मान प्राप्त होगा। छोटी मोटी दुर्घटना हो सकती है। आपके स्वास्थ्य में थोड़ी बाधा है। इस सप्ताह आपके कार्यों के लिए 28 और 29 जून शुभ है। अगर आपका स्वास्थ्य पहले से खराब है तो 28, 29 और 30 जून को उसके ठीक होने की संभावना है। 2 जुलाई को आप कोई भी कार्य बहुत सोच समझ कर करें। इस सप्ताह   आपको चाहिए कि  आप दक्षिण मुखी हनुमान जी के मंदिर में  शनिवार को जाकर हनुमान जी के सामने बैठकर कम से कम 3 बार हनुमान चालीसा का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपको कचहरी के कार्यों में सफलता मिल सकती है। धन आने की उम्मीद है। भाग्य कभी-कभी साथ देगा। जीवनसाथी को कष्ट हो सकता है। अगर आप प्रयास करेंगे तो आप अपने शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं। एक भाई को छोड़कर बाकी भाइयों और बहनों के साथ संबंध ठीक रहेंगे। इस सप्ताह आपके लिए 30 जून और 1 जुलाई किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। 1 तारीख को आप अपने सुख संबंधी कोई सामग्री खरीद सकते हैं या किसी अन्य कारण  से आपके सुख में वृद्धि हो सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। कार्यालय में आपके मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। कार्यालय में आपको सम्मान भी प्राप्त हो सकता है । आपको अपनी संतान से अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों की पढ़ाई उत्तम गति से चलेगी । पेट में पीड़ा हो सकती है । आकस्मिक धन लाभ का भी योग है। इस सप्ताह आपके लिए 26 और 27 जून किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। 2 जुलाई को भी आपको कई कार्यों में सफलता प्राप्त हो सकती है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें  । सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए इस सप्ताह मिलाजुला फल रहेगा। भाग्य  इस बार आपका भरपूर साथ देगा । आपके जो भी कार्य नहीं हो पा रहे हैं उनको आपको इस सप्ताह करने का प्रयास करना चाहिए। आपका या आपके जीवनसाथी  का स्वास्थ्य थोड़ा खराब हो सकता है । संतान से आपको कोई सहयोग प्राप्त नहीं होगा  । छात्रों की पढ़ाई में बाधा आ सकती है  । व्यापार उत्तम गति से चलेगा। इस सप्ताह आपके लिए 28 और 29 तारीख किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। 26 और 27 तारीख को आपको कोई भी कार्य सोच समझ कर करना चाहिए। 30 तारीख को आपके पास धन आ सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शुक्रवार को मंदिर में जाकर गरीबों के बीच में चावल का दान दें। सप्ताह का शुभ दिन  बुधवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवन साथी का  स्वास्थ्य ठीक रहेगा। 30 जून और 1 जुलाई को  मानसिक परेशानी हो सकती है। 1 और 2 जुलाई को कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। 30 जून और 1 जुलाई को भाग्य आपकी मदद कर सकता है। सप्ताह के बाकी दिनों में भाग्य से आपको कोई विशेष मदद नहीं मिलेगी। इस सप्ताह आप दुर्घटना से बच सकते हैं। अच्छे कार्यों के लिए आप दूर देश की यात्रा कर सकते हैं। आपके माताजी को इस सप्ताह कष्ट हो सकता है  । 28 और 29 जून को आपको सचेत रहकर ही कोई कार्य करना चाहिए  । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शुक्रवार को मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करें और पुजारी जी को सफेद वस्त्रों का दान दें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

धनु राशि

यह सप्ताह आप और आपके जीवनसाथी के लिए उत्तम है। दोनों के स्वास्थ्य ठीक रहेंगे। भाई बहनों के साथ संबंध में तनाव हो सकता है । आपको  संतान से सहयोग प्राप्त हो सकता है  । 1 और 2 जुलाई को भाग्य से आपको सहयोग मिलेगा । एक और 2 जुलाई को कचहरी के कार्यों में आपको सफलता मिल सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 26, 27 जून और 2 जुलाई किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। 30 जून और 1 जुलाई को आपको कई कार्यों में सफलता प्राप्त हो सकती है। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह भगवान शिव के मंत्रों का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा । आपके जीवनसाथी के स्वास्थ्य में बाधाएं आएंगी । आपके शत्रु शांत रहेंगे । आपके सुख में वृद्धि होगी। गलत रास्ते से धन आने का योग है  । छोटी मोटी दुर्घटना हो सकती है । कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा खराब हो सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 28 और 29 तारीख उत्तम और फलदायक हैं । 30 जून को आपको धन की प्राप्ति संभव है  । इस सप्ताह आपको 2 जुलाई को संभल कर  कार्य करना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गाय को हरा चारा खिलाएं । सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आपको अपने संतान से उत्तम सहयोग की प्राप्ति होगी । छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी । धार्मिक कार्यों में आपका मन लगेगा । इस सप्ताह आपको भाग्य से मदद मिल सकती है । आपके शत्रुओं का इस सप्ताह अपने आप विनाश हो सकता है । भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे । माता-पिता का स्वास्थ्य ठीक रहेगा । कार्यालय में अगर आपकी स्थिति कमजोर  है तो 1 जुलाई के उपरांत उसमें सुधार आएगा । इस सप्ताह आपको 26 और 27 जून को सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह घर की बनी पहली रोटी गौ माता को दें । सप्ताह का शुभ दिन  बुधवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह आपके पास गलत रास्ते से धन आ सकता है  । 1 और 2 जुलाई को आपके शत्रु का अपने आप विनाश हो सकता है । आपके सुख में वृद्धि होगी । जनता में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी । जनप्रतिनिधियों के लिए यह सप्ताह उत्तम है । आपके पेट में तकलीफ हो सकती है । भाग्य से सामान्य मदद ही मिलेगी। इस सप्ताह आपके लिए 26 और 27 जून किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है । 26 और 27 जून को आप जो कार्य करेंगे उनमें आपको सफलता मिलेगी । 30 जून और 1 जुलाई को आपको भाग्य के भरोसे कोई कार्य नहीं करना चाहिए। 28 और 29 जून को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए  । 2 जुलाई को आपके द्वारा किए गए अधिकांश कार्य सफल होंगे । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर हनुमान जी की पूजा अर्चना करें और कम से कम 7 बार हनुमान चालीसा का जाप करें । सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें।

राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ पंढारीची किर्ती… ☆ श्रीशैल चौगुले ☆

श्रीशैल चौगुले

? कवितेचा उत्सव ?

☆ पंढारीची किर्ती… ☆ श्रीशैल चौगुले ☆

वैष्णवाची नांदी

अंतरित मुर्ती

भेदभाव नसे

तिन्हीलोकी किर्ती.

 

अरे पांडुरंगा

पवित्र हि कृपा

भक्ता कर्ममुक्ती

मुक्त सर्व शापा.

 

तुझ्या भेटीसाठी

जन्म जीवनाचा

श्वास  पांडुरंग

धन्य गाठीभेटी.

© श्रीशैल चौगुले

मो. ९६७३०१२०९०.

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

image_print

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य – कवितेच्या उत्सव ☆ माझा विठ्ठल… ☆ सौ. जयश्री पाटील ☆

सौ. जयश्री पाटील

? कवितेच्या उत्सव ?

☆ माझा विठ्ठल… ☆ सौ. जयश्री पाटील ☆

माझा विठ्ठल विठ्ठल

हरी नामाचा गजर

दिंडी संगे वारकरी

विठू भेटीला अतुर

 

दिंडी चालते चालते

भक्ती भावात तल्लीन

टाळ मृदुंग चिपळ्या

गोड भजन कीर्तन

 

वाट सरते सरते

ओढ भेटीची लागते

चंद्रभागा बोलाविते

कष्ट सारी निवविते

 

पाया रचितो ज्ञानोबा

होतो कळस तुकोबा

साधू संत सारे येती

साद घालितो चोखोबा

 

माझी पंढरी पंढरी

देव उभा विटेवरी

माय विठू रखुमाई

जसा विसावा माहेरी

 

अरे सावळ्या सावळ्या

रूप तुझे पाहुनिया

तृप्त होते मन माझे

मोक्ष मिळो तुझ्या पाया

© सौ. जयश्री पाटील

विजयनगर.सांगली.

मो.नं.:-8275592044

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

image_print

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य – विविधा ☆ “सहज सुचलं म्हणून…” ☆ प्रा.भारती जोगी ☆

? विविधा ?

☆ “सहज सुचल म्हणून…” ☆ प्रा.भारती जोगी ☆

सहज सुचलं म्हणून…….

काही दिवसांपूर्वी श्रीरंग खटावकर याची जन्म वारी या नाटका बद्दल ची पोस्ट वाचनात आली. शीर्षक होतं

आपण ठरवायचे आपण चाळ बनायचे की टाळ……

मनात विचारांची आवर्तनं सुरू झाली.

चाळ आणि टाळ…… दोन्ही नाद ब्रह्मा ची आविष्कृत रूपं! ताल अधिक लय यांची नाद लहरीं ची निर्मिती! दोघांच ही काम लयीत वाजणं, ठेक्यावर झंकारणं!!! पण चाळ बहुधा इतरांच्या मनोरंजना करीता… तर टाळ स्व रंजना करीता… आत्मानंदा साठी!!

चाळ… प्रपंचा साठी पायी बांधण्याचा केलेला प्रपंच! तर टाळ.. परमार्था साठी केलेला प्रपंच!

प्रश्न आहे तो आपण चाळ बनायचे की टाळ???

तसं पाहिलं तर ही दोन्ही भक्ती ची साधने! एक कलेच्या भक्ती चं…. तर एक परमेश्वराच्या भक्ती चं! भक्ती म्हटली की… येते ती.. तल्लीनता, तद्रूपता!! आणि मग बघा ना..

टाळ बोले चिपळीला  नाच माझ्या संग!! म्हणजे… चाळ न बांधता ही तन्मय होऊन नाचणं  आलंच ना?

मीरा बाई चं कृष्ण भक्ती चं मधुरा भक्ती चं रूप बघा …

पग घुंगरू बांध मीरा नाची रे!!

तिनं तिची भक्ती व्यक्त करण्यासाठी,

कृष्णा प्रती चं समर्पण चाळ बनून च तर सिद्ध केले.

एका गाण्याच्या ओळी आठवल्या,

कांटों से खिंचके ये आंचल

तोड के बंधन बांधी पायल

आता बघा…. एक बंधन तोडलयं… सोडवलंयं  त्यातून… पण… परत दुसरं बंधन चाळ बांधले च की पायी!!

मग प्रश्न पडतो की… बंधनातून  मुक्ती नंतर परत बंधन??  तर हो… चाळ बांधणं हे ब्रह्मानंदी टाळी लागून.. मुक्ती प्राप्त करून देणारी अवस्था आहे. त्या तली  तल्लीनता.,. मोक्षप्राप्ती ची वाट मोकळी च करते जणू! सांसारिक बंधनातून मुक्त होऊन परमेश्वराच्या भक्ती त.. नामस्मरणाशी स्वत:ला बांधून घ्यायचं.. दंग होऊन जायचं.. रंगून जायचं.. एकरंग.. एकरूप व्हायचं.

 टाळ हाती घेऊन ही तीच फलप्राप्ती!! कारण टाळ हाती घेऊन

देहभान विसरून नाचणं च तर असतं ना?? नृत्य ही मनातल्या भाव-विभाव-अनुभाव  यांचं प्रकटीकरण!  आत्म्याची परमात्म्याच्या  भेटीला आतुर पावलांनी… पदन्यासातून धरलेली वाटच तर असते ना! आणि टाळ हाती घेऊन झाले ले पदन्यासाचे प्रकटीकरण ही… पंढरीच्या वाटेवरचे रिंगण असो की

किर्तनाचे रंगी नाचे असो….

टाळ बना की चाळ…. …

ही जन्म वारी सुफळ, संपूर्ण व्हावी आणि विठ्ठल तो आला आला मला भेटण्याला!!! इतकं सामर्थ्य हवं आपल्या टाळ आणि चाळ दोन्ही च्या नाद लहरीं चं!! यां दोन्ही पैकी कुठलंही रूप हे ईश्वरा शी एकरूपत्व साधणारे नादमय नामस्मरण च आहे!

© प्रा.भारती जोगी

पुणे.

 फोन नंबर..९४२३९४१०२४.

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ.उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ.मंजुषा मुळे/सौ.गौरी गाडेकर≈

image_print

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य – जीवनरंग ☆ ‘मृत्यूपत्र…’- भाग 3 ☆ श्री प्रदीप केळुस्कर ☆

श्री प्रदीप केळुस्कर 

?जीवनरंग ?

☆ ‘मृत्यूपत्र…’- भाग 3 ☆ श्री प्रदीप केळुस्कर 

(मागील भागात आपण पाहिले – ‘‘वा रे ! एक लक्षात ठेव माझो पण ह्या प्रॉपर्टीत हक्क आसा. आता प्रॉपर्टीत मुलांसारखे मुलींचो पण हक्क असतत.’’ तेवढ्यात आशा नवर्‍याला म्हणाली – चला हो, इथे बोलण्यात काही अर्थ नाही. कायदेशीर हिसकाच दाखवला पाहिजे यांना.)

आशा आत जाऊन कपड्याची बॅग घेऊन आली. वसंता रडत रडत म्हणाला – ‘‘दादा, जाऊ नको आज बाबांचा तेराव्या घातला, तेंका काय वाटात ? तू आणि मी उद्या तहसिलदारांकडे जाऊया. मी लिहून देतय ह्यो माझो मोठो भावस आसा ह्या प्रॉपर्टीत हेचो पण अर्धो हक्क आसा.

आशा कडाडली.

‘आम्हाला कोणाची भिक नको. आम्ही हक्काने येऊ या घरात. चला हो. आमचे मोठे मोठे वकिल ओळखीचे आहेत. आता येऊ तो हक्काने येऊ.’

असे बडबडत मोहन आणि आशा बॅग घेऊन बाहेर पडली. रस्त्यापलिकडे त्यांची गाडी उभी होती. त्यात बॅग ठेवून गाडीने निघून गेली. आत बसलेली वसंताची बायको आणि मुलगा शंतनु आता बाहेर आले.

‘‘काय ह्या ? रागान चलते झाले. सकाळी बापाचा तेराव्या आणि दुपारी भांडण करुन गेले’’ नलिनी रडत रडत म्हणाली. यशोदा येऊन तिच्या शेजारी बसली. सासुबाई पण तिथेच खुर्चीवर बसलेली. त्यांच्याही डोळ्यात पाणी होते. वसंता स्फुंदून स्फुंदून रडत होता. यशोदा वसंताला म्हणाली, ‘वसंता भिया नको ही बहीन तुझ्या पाठी आसा. आपण दोघांनी मिळून या मोहनाक आणि त्याच्या बायकोक धडो शिकवया.’

मोहन आणि आशा कणकवलीला पोहोचली. लॉजवर गेल्यानंतर आशाने मामांना फोन लावला. तिचे मामा पुण्यातील मोठे वकिल. त्यांना सर्व हकिगत सांगितली आणि आमचा हिस्सा कसा मिळेल याची विचारणा केली. आशाच्या मामांनी कणकवलीत त्यांचे मित्र भोसले वकिल यांची भेट घ्यायला सांगितले. आपण भोसलेंशी बोलतो असे सांगितले. दुसर्‍या दिवशी मोहन आणि आशा भोसले वकिलांच्या ऑफिसमध्ये पोहोचले.

‘‘नमस्ते, वकिल साहेब ! मी मोहन मुंज आणि ही माझी पत्नी’’

‘‘या या मोहनराव. पुण्याहून साळुंखे साहेबांचा फोन आला होता. ते म्हणाले मला आपले जावई तुम्हाला भेटणार म्हणून. बोला, काय झालं ?’’

‘‘माझ्या वडिलांनी वडिलोपार्जित जमिनीत मृत्युपत्र करुन सगळी प्रॉपर्टी माझा दोन नंबरचा भाऊ वसंता याचे नावे केली. मी त्याचा मोठा भाऊ असताना सुध्दा त्यांनी मला पूर्णपणे डावललं. माझ्यावर पूर्णपणे अन्याय झाला. मला त्या प्रॉपर्टीत माझा हिस्सा हवा, तो मला मिळवून द्या.’’

‘‘ठिक आहे, तुम्ही बाहेरच्या मुलीकडे तुमचे नाव, पत्ता, मोबाईल वगैरे द्या. आणि मला सांगा तुम्ही किती भावंडे?’’

‘‘तीन. एक लग्न झालेली बहिण आहे आणि आईपण आहे.’’

‘‘म्हणजे या प्रॉपर्टीत चार वारस आहेत बरोबर ? म्हणजे तुम्हाला या तिघांना नोटीस पाठवावी लागणार. त्यांची नावे, पत्ते द्या. बाकी प्रॉपर्टीचे सातबार, आठ-अ ही कागदपत्रं लागतील.’’

‘‘पण या मृत्युपत्राला चॅलेंज देऊ शकतो का आपण ?’’

‘‘हो, का नाही ? पैसे खर्च करण्याची तयारी ठेवा.’’

मध्येच आशा म्हणाली – ‘‘खर्च होऊंदे पण या वसंताला, यशोदेला आणि त्यांच्या आईला धडा शिकवायचा आहे मला.’’

‘‘मग ठिक आहे, सुरुवातीला पन्नास हजार जमा करा.’’

‘‘पण मिळेल का मला हिस्सा?’’ मोहनराव उद्गारला.

‘हो मिळणारच, कारण ही इस्टेट आहे ती वडिलांनी मिळवलेली नाही की विकत घेतलेली नाही. ती तुमच्या आजोबांकडून वारसाने वडिलांकडे आली आहे. म्हणजेच वंशपरंपरेने आलेली आहे. त्यामुळे त्यांना मृत्युपत्र करुन कुणाला देताच येणार नाही असा युक्तिवाद करू आपण. तुम्ही आपल्या आजोबांचे वारस म्हणून त्या इस्टेटीत हक्क सांगताय असा युक्तिवाद करायचा.’’

‘‘पण यात यश मिळेल ना ?’’ मोहनरावांचा प्रश्न.

‘‘प्रयत्न करायचाच. ही अशीच एक केस मी लढतो आहे. कसालचे एक गृहस्थ आहेत. तुम्हाला नाव सांगतो – प्रमोद नाईक. हे कोल्हापूरला राहतात. त्यांच्या वडिलांनी वंशपंरपरेने आलेली इस्टेट आपल्या मुलीच्या नावावर केली. कारण म्हातारपणी त्या मुलीनेच त्या दोघांना सांभाळलं. प्रमोदरावांच्या वतीने मी चॅलेंज केलय. तुम्हाला या प्रमोद नाईकांचा नंबर देतो. त्यांना विचारा.’’ वकिलांच्या सेक्रेटरीने त्यांना प्रमोद नाईक यांचा कोल्हापूरचा पत्ता आणि फोन नंबर दिला.

‘‘बर मी करतो फोन यांना. मग आम्ही निघू ?’’

‘‘हो. सर्व भावंडांचे पत्ते द्या, बहिणीचा पण द्या.’’

पण हा, गावातील सातबारा वगैरे कागदपत्रे मिळवायला मला वेळ नाही. मला मुंबईला तातडीने जायचंय.’’

‘‘ठिक आहे. मग अजून पाच हजार द्या. म्हणजे एकूण पंचावन्न हजार. मग माझा माणूस सर्व कागदपत्रे गोळा करेल.’’

मोहनरावाने पंचावन्न हजाराचा चेक वकिलांच्या सेक्रेटरीकडे दिला. सेक्रेटरीने आवश्यक त्या सह्या घेतल्या. सेक्रेटरी म्हणाली – ‘‘ठिक आहे साहेब, सर्व कागदपत्रे तयार झाली की, तुम्हाला स्वतः एकदा येऊन कोर्टात दावा दाखल करायला लागेल. तेव्हा एकदा या.’’

वकिलांच्या ऑफिसमधून बाहेर पडून लॉजवर आल्यानंतर मोहनरावाने प्रमोद नाईकांना फोन लावला.

‘‘हॅलो, प्रमोद नाईक बोलतात का ?’’

‘‘होय, मी प्रमोद नाईक, तुम्ही कोण ?’’

‘‘मी मोहन मुंज. मुळ गांव आंबेरी सध्या मुंबईत राहतो.’’

‘‘बोला काय काम होतं, आणि माझा नंबर कोणी दिला ?’’

‘‘तुमचा नंबर कणकवली भोसले वकिलांनी दिला. तुम्ही तुमच्या वडिलांच्या मृत्युपत्राला चॅलेंज केलंय ना कोर्टात त्या संबंधी बोलायचं होतं.’’

‘‘तुमचा काय संबंध?’’

‘‘माझ्या वडिलांनी पण असचं केलयं. वडिलोपार्जित जमिन मृत्युपत्राने माझ्या एकट्या भावाच्या नावाने केली. मला एक गुंठापण ठेवला नाही. मी भोसले वकिलांमार्फत कोर्टात दावा ठोकायचा विचार करतोय. भोसले वकिल म्हणाले, असाच एक दावा सध्या त्यांचेकडे आहे. त्यांनी तुमचे नाव आणि पत्ता दिला.’’

‘‘होय, होय. मी त्या मृत्युपत्राला चॅलेंज केलयं. आता दावा कोर्टात आहे. भोसले वकिल म्हणाले कोणत्याही परिस्थितीत तुमच्या बाजूने निकाल येईल. फक्त पैसे सोडायला लागतील.’’

‘‘मला पण तसेच सांगितले. पण खरोखर तसे होईल काय ?’’

‘‘निश्चित होईल. भोसले वकिल सर्व फिक्स करण्यात हुशार आहे. तो कशी मांडवली करतो बघा. तुम्ही निश्चिंत रहा. माझी केस चालू आहे त्याच्या निकालाने तुम्हाला अंदाज येईलच.’’

‘‘मग आपण संपर्कात राहू. केस कशी चालते आहे हे मला कळवत रहा.’’

‘‘निश्चित॰ कसलीच काळजी करु नका.’’

मृत्युपत्र – क्रमश: भाग  ३ 

© श्री प्रदीप केळुसकर

मोबा. ९४२२३८१२९९ / ९३०७५२११५२

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

image_print

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य – इंद्रधनुष्य ☆ ‘पुरोगामिनी सावित्री…’ – भाग-1 ☆ सुश्री विनिता तेलंग ☆

सुश्री विनिता तेलंग

? इंद्रधनुष्य ?

☆ ‘पुरोगामिनी सावित्री…’ – भाग-1 ☆ सुश्री विनिता तेलंग ☆

एक होता राजा.अश्वपती त्याचं नाव.                                                                

काळ ? महाभारताच्या पूर्वीचा.

राज्य ? मद्र देश.— म्हणजे सध्याचं जम्मू काश्मीर. 

— या प्रदेशाला भारताचं मस्तक उगीच नाही म्हटलं जात. कश्यप ऋषींच्या तपश्चर्येची ही भूमी– पांडित्याची परंपरा असलेला प्रदेश. देशभरातून साधक ,तत्वचिंतक या प्रदेशात आले आणि हिमालयाच्या विशाल, प्रशांत पार्श्वभूमीवर त्यांनी जीवनविषयक चिंतन केले, सिद्धांत मांडले. ज्ञान विज्ञान कला साहित्य इथे बहरले.

आदि शंकराचार्यांपासून स्वामी विवेकानंदांपर्यंत थोर विभूतींनी इथे चिंतन केले.

त्या काळातील ज्ञानाच्या परंपरेला साजेसा राजा अश्वपती.वैयक्तिक सुखापेक्षा समाज,लोकहित याला प्राधान्य देणारा.राज्याच्या वैभवाला, सुख समृद्धीला आधार होता ते मद्रप्रदेशातील विख्यात, सुलक्षणी, ताकदवान अश्वांचा.मद्र देश उत्तम व प्रशिक्षित अश्व अन्य राज्यांना युद्धाकरता पुरवत असे.या वैभवाला कोंदण होते ते सत्शील व धर्मपरायण अश्वपतीच्या पराक्रमाचे.

पण राजा होता निपुत्रिक.त्या काळच्या पद्धतीनुसार म्हणा किंवा त्या परिभाषेनुसार म्हणा,त्यानं पुत्रकामेष्टी यज्ञ करायचं ठरवलं. इथे आपण कुचेष्टेने हसतो !यज्ञाने का कुठे मुलं होतात, म्हणून.

पण यज्ञ म्हणजे तरी काय ? एखादे ध्येय साध्य करण्या करता केलेली प्रयत्नांची पराकाष्ठा.दिवसरात्र त्या ध्येयाचा ध्यास आणि त्या करता शक्य ते सर्व करणे.आहुती द्यायची आपल्या कष्टांची,त्या ध्येयप्राप्तीकरता त्यागाव्या लागणाऱ्या सुखांची.मन एकाग्र करायचं त्या एकाच विचारावर, आणि त्या करता मदत घ्यायची एखाद्या मंत्राची.मानवी प्रयत्न अपुरे असतात याची नम्र जाणीव ठेवून विश्वातल्या चैतन्याला आवाहन करायचं .

अश्वपतीने तेच केलं.विश्वातील शाश्वत सत्य म्हणजे सूर्य.त्याची आराधना करायची.त्याकरता त्यानं गायत्री मंत्राचं अनुष्ठान मांडलं.दररोज एक लाख मंत्र जपायचा.आता हे एकट्यानं शक्य आहे का ? तर नाही .पण त्या करता त्यानं अन्य सत्प्रवृत्त लोकांची मदत घेतली.राजा स्वतः कठोर बंधने पाळत असे.तीन दिवसातून एकदा अन्न ग्रहण करे.असं किती काळ ? अठरा वर्षं केलं.राजाचं देहबल,मनोबल,तपोबल आणि इच्छाबळ किती वाढलं असेल ! 

अखेर या साधनेचं फळ मिळायची वेळ आली.त्याला विश्वमाता प्रसन्न झाली.पण ती म्हणाली, तुझ्या भाग्यात ब्रह्मदेवानं पुत्रयोग लिहिलेला नाही.तुला कन्या होऊ शकते. अश्वपती म्हणाला, तर मग तूच माझ्या पोटी जन्माला ये.राजाचं अजून एक वेगळेपण हे की त्याला अशा संतानाची इच्छा होती जो मानववंशाला सत्याचा मार्ग दाखवेल.तो दिव्य संतान मागत होता ते विश्वकल्याणाची कामना धरून.

आणि मग अशा कठोर प्रयत्नांच्या आणि विशाल हेतूच्या पोटी जन्मली सावित्री!तिला जन्म दिला अश्वपतीची देखणी आणि समंजस राणी मालवी हिनं.राजा राणीनं तिला अत्यंत मुक्त, निर्भर वातावरणात वाढवली.

तिचं उपनयन करून तिला गुरूगृही पाठवली.तिला सर्व प्रकारच्या विद्या,

कला यात पारंगत केली.अत्यंत देखणी,अतिशय बुद्धिमान,कलासक्त, विलक्षण तेजस्वी मनस्वी अशी ही कन्या.हिचं बुद्धिवैभव आणि स्व-तंत्र विचार पेलणारा कुणी युवक राजाला मिळेना.तिच्या विवाहाची चिंता त्याला लागली..

राजानं एक अतिशय धाडसी पाऊल उचललं.सावित्रीला एक सुसज्ज रथ दिला आणि सांगितलं की जा,आणि तुला सुयोग्य असा पती तूच शोध.सावित्री निघाली.किती सुंदर असेल तिचा हा प्रवास !हे काही पर्यटन नव्हते.राजाने विचारपूर्वक दिलेले स्वातंत्र्य,दिलेली संधी होती.सावित्रीच्या वर संशोधना आधी तिला या प्रवासात आत्मशोध घ्यायचा होता.आपण कोण आहोत,जगात काय चालू आहे,आपल्याला भावी आयुष्यात काय साध्य करायचं आहे आणि त्या करता आपल्याला कसा जोडीदार हवा याचं चिंतन तिनं केलं.

ती आसपासच्या राज्यांत गेली.

राजवाड्यांत गेली.तिच्या रूपानं मोहित होणारे देखणे, बलदंड पण अहंकारी राजपुत्र तिला भेटले.तिच्या संपन्न पार्श्वभूमीवर भाळलेले आणि तिच्याकडून निव्वळ देहिक सुखाच्या अपेक्षा करणारे राजपुत्र तिनं पहिले.काही सत्शील पण क्षात्र तेजाचा अभाव असलेले तर काही इतके सत्वहीन की हिच्या दृष्टीला दृष्टीही भिडवू शकले नाहीत.

ती गावात गेली. राबणारे श्रमसाधक तिनं पाहिले,ती आश्रमांत गेली तिथे तिनं अनेक ज्ञान साधक पहिले..तिला आस होती ती सर्वगुणसंपन्न परिपूर्ण पुरुषाची.जो बुद्धी, बळ, ज्ञान, रूप, गुणसंपन्न असेल.. आपलं कर्तृत्व आणि पुरुषार्थ यांसह तिची स्वप्नं जपणारा तिला समान आदर देणारा असेल..जो जीवनाचा अर्थ जाणत असेल, या विश्वनाट्यातील आपली भूमिका समजून निसर्ग आणि भौतिक सुखाचं संतुलन करणारा असेल, जो स्पर्धा, युध्द यापेक्षा संवाद,सहयोग यावर विश्वास ठेवत असेल, जो मनुष्यत्वाला, साहचर्याला, सहजीवनाला पुढच्या पायरीवर नेईल असा जोडीदार..

अश्वपतीचीच लेक ती ! प्रयत्न थोडेच सोडणार !

कुठेही असा परिपूर्ण युवक तिला भेटला नाही म्हणून ती थेट अरण्यात गेली.जिथे तिचे वनबांधव रहात,

जिथल्या जटिल रानातल्या एकाकी स्थानांवर ऋषी तपश्चर्या करत, अशा वनात.तिथे तिला तो भेटला .तिच्या मनातला पुरुषोत्तम,सत्यवान.शाल्व देशाचा राजा द्युमत्सेन याचा एकुलता..देखणा-तेजस्वी-बलदंड पण हळुवार अन सच्च्या मनाचा. वनासारखा निर्मळ, शांत, निष्पाप.अहंकारविहीन,नम्र सौम्य बोलणारा.पढतपोपट नाही तर अनुभवश्रीमंत असणारा.वल्कले नेसून वनातील आश्रमात आपल्या मातापित्या सोबत रहाणारा.दोघे एकमेकांच्या प्रेमात पडले.एकमेकांशी बोलले,एकमेकांना सर्वार्थानं जाणून घेतलं, सावित्रीला सत्यवान त्याच्या आश्रमीय जीवनशैलीसह आवडला. तिनं त्याला मनोमन वरलं. दोघांनी गांधर्व विवाह केला आणि मग सावित्री परतली,आपल्या पित्याला हे सांगायला, की मला माझा जीवनसाथी मिळाला आहे.

ती आनंदाने, उत्साहाने परत आली तेव्हा अश्वपती-मालवी दोघे नारदमुनींशी बोलत बसले होते.तिचा चेहरा पाहूनच सर्वांनी काय ते ओळखले! तिनं सत्यवानाविषयी भरभरून सांगितलं. राज्यातून निष्कासित झालेला शाल्वराज द्युमत्सेन आणि शैब्या यांचा सद्गुणी पुत्र सत्यवान.. अश्वांचे जिवंत पुतळे  बनवणारा सत्यवान.. देखणा व आरोग्यसंपन्न सत्यवान ..

राजा राणी ने सहज नारदमुनींना विचारले की हा युवक तुम्हाला सावित्रीच्या योग्य वाटतो का ? तुम्ही याला ओळखता का? याच्यासोबत आमच्या गुणवती पण मनस्वी कन्येचा संसार सुखाचा होईल का ?

नारद म्हणाले की याच्यासारखा जामात तुम्हाला त्रिभुवन शोधूनही मिळणार नाही.मात्र याच्यात एकच वैगुण्य आहे ते म्हणजे याचे आयुर्मान केवळ एक वर्ष इतकेच उरले आहे.

राजाराणीने सावित्रीला समजावले की याचा मोह सोड आणि पुन्हा वरसंशोधनास जा.पण सावित्री ठाम होती .ती म्हणाली, मी याला तन-मन-अंतःकरणपूर्वक निवडला आहे. माझी बुद्धी, तर्क आणि संवेदना याच्याचकडे धाव घेत आहेत. मी आता माझा निर्णय बदलणार नाही. राहिले दैव, तर मी क्षात्रकन्या आहे. मी जीवनाशीच काय, मृत्यूशीही झुंजेन ! माझ्यावर विश्वास ठेवा .

— क्रमशः भाग पहिला 

© सुश्री विनिता तेलंग

सांगली. 

मो ९८९०९२८४११

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

image_print

Please share your Post !

Shares