हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 211 ☆ श्राद्ध पक्ष के निमित्त ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

☆  संजय उवाच # 211 श्राद्ध पक्ष के निमित्त ?

पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं। भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक श्राद्धपक्ष चलता है। इसका भावपक्ष अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और कर्तव्य का निर्वहन है। व्यवहार पक्ष देखें तो पितरों को  खीर, पूड़ी व मिष्ठान का भोग इसे तृप्तिपर्व का रूप देता है। जगत के रंगमंच के पार्श्व में जा चुकी आत्माओं की तृप्ति के लिए स्थूल के माध्यम से सूक्ष्म को भोज देना लोकातीत एकात्मता है। ऐसी सदाशय व उत्तुंग अलौकिकता सनातन दर्शन में ही संभव है। यूँ भी सनातन परंपरा में प्रेत से  प्रिय का अतिरेक अभिप्रेरित है। पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने की ऐसी परंपरा वाला श्राद्धपक्ष संभवत: विश्व का एकमात्र अनुष्ठान है।

इस अनुष्ठान के निमित्त प्राय: हम संबंधित तिथि को संबंधित दिवंगत का श्राद्ध कर इति कर लेते हैं। अधिकांशत: सभी अपने घर में पूर्वजों के फोटो लगाते हैं। नियमित रूप से दीया-बाती भी करते हैं।

दैहिक रूप से अपने माता-पिता या पूर्वजों का अंश होने के नाते उनके प्रति श्रद्धावनत होना सहज है। यह भी स्वाभाविक है कि व्यक्ति अपने दिवंगत परिजन के प्रति आदर व्यक्त करते हुए उनके गुणों का स्मरण करे। प्रश्न है कि क्या हम दिवंगत के गुणों में से किसी एक या दो को आत्मसात कर पाते हैं?

बहुधा सुनने को मिलता है कि मेरी माँ परिश्रमी थी पर मैं बहुत आलसी हूँ।…क्या शेष जीवन यही कहकर बीतेगा या दिवंगत के परिश्रम को अपनाकर उन्हें चैतन्य रखने में अपनी भूमिका निभाई जाएगी?… मेरे पिता समय का पालन करते थे, वह पंक्चुअल थे।…इधर सवारी किसी को दिये समय से आधे घंटे बाद घर से निकलती है। विदेह स्वरूप में पिता की स्मृति को जीवंत रखने के लिए क्या किया? कहा गया है,

यद्यष्टाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो: जनः।

स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते।।

अर्थात श्रेष्ठ मनुष्य जो-जो आचरण करता है, दूसरे मनुष्य वैसा ही आचरण करते हैं। वह जो कुछ प्रमाण देता है, दूसरे मनुष्य उसी का अनुसरण करते हैं। भावार्थ है कि अपने पूर्वजों के गुणों को अपनाना, उनके श्रेष्ठ आचरण का अनुसरण करना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

विधि विधान और लोकाचार से पूर्वजों का श्राद्ध करते हुए अपने पूर्वजों के गुणों को आत्मसात करने का संकल्प भी अवश्य लें। पूर्वजों की आत्मा को इससे सच्चा आनंद प्राप्त होगा।

© संजय भारद्वाज 

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय संपादक– हम लोग पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆   ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

💥 अगले 15 दिन अर्थात श्राद्ध पक्ष में साधना नहीं होगी। नियमितता की दृष्टि से साधक आत्मपरिष्कार एवं ध्यानसाधना करते रहें तो श्रेष्ठ है। 💥

🕉️ नवरात्र से अगली साधना आरंभ होगी। 🕉️

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
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English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media # 159 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain Pravin Raghuvanshi, NM

? Anonymous Litterateur of Social Media # 159 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 159) ?

Captain Pravin Raghuvanshi —an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. He was involved in various Artificial Intelligence and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’.

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc. Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi.  He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper.  The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Award and C-in-C Commendation.

Captain Pravin Raghuvanshi is also an IIM Ahmedabad alumnus. His latest quest involves social media, which is filled with rich anonymous literature of nameless writers, shared on different platforms, like, WhatsApp / Facebook / Twitter / Your quotes / Instagram etc. in Hindi and Urdu, he has taken the mantle of translating them as a mission for the enjoyment of the global readers. Enjoy some of the Urdu poetry couplets as translated by him.

हम ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए आदरणीय कैप्टेन प्रवीण रघुवंशी जी के “कविता पाठ” का लिंक साझा कर रहे हैं। कृपया आत्मसात करें।

फेसबुक पेज लिंक  >>कैप्टेन प्रवीण रघुवंशी जी का “कविता पाठ” 

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 159 ?

☆☆☆☆☆

 ☆ Richly Poor

न जाने कहाँ से खरीद

लाया है इतनी फुरसतें ,

वो जो बहुत अमीर भी 

नहीं दिखाता है…!

☆☆

Knoweth not from where has he

bought so much of leisure,

The one who does not even

look rich from any angle…!

☆☆☆☆☆

 ☆ Palmistry

कमबख्त एक भी काम

की ना निकली,

और हाथ भरा पड़ा है

तमाम लकीरों से…

☆☆

Alas! Not even a single    

one was of any use,

While, the hand was full

of these wretched lines…

☆☆☆☆☆

Adorable Weather

कितना सुहाना सा लगता है

तुम्हारे शहर का मौसम,

अगर इजाजत हो तो

मैं एक शाम चुरा लूँ…

☆☆

How endearing is the

weather of your city

If you permit me, then I’d

like to steal an evening.

☆☆☆☆☆

Maze of Relationships

अगर  दिलों  में  फर्क  और

रिश्तों  में  गांठ  पड़  जाये

तो सारी दलीलें, मिन्नतें और

फलसफे बेमानी हो जाते  हैं..!

☆☆

If there’re differences in the hearts

and bitterness in the relationships

Then all the arguments, pleadings and

philosophies become meaningless…!

☆☆☆☆☆

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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English Literature – Poetry ☆ The Grey Lights# 18 – “Story of an Eagle…” ☆ Shri Ashish Mulay ☆

Shri Ashish Mulay

? The Grey Lights# 18 ?

☆ – “Story of an Eagle…” – ☆ Shri Ashish Mulay 

In the dark flies the butterfly

 

I run to catch the uncatchable

pleasure, that is unreachable.

But I reached very close

and saw a beautiful rose.

A rose i wished to be mine

but it gave me a beautiful sign.

That some roses are delicate

and you aren’t that fortunate.

But it couldn’t resist the fragrance

and I woke up from my ignorance.

 

In the light flies away the eagle..

 © Shri Ashish Mulay

Sangli 

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 159 ☆ नवगीत: संजीव ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत हैं – नवगीत: संजीव)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 159 ☆

☆ नवगीत: संजीव ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

एक शाम

करना है मीत मुझे

अपने भी नाम

.

अपनों से,

सपनों से,

मन नहीं भरा.

अनजाने-

अनदेखे

से रहा डरा.

परिवर्तन का मंचन

जब कभी हुआ,

पिंजरे को

तोड़ उड़ा

चाह का सुआ.

अनुबंधों!

प्रतिबंधों!!

प्राण-मन कहें

तुम्हें राम-राम.

.

ज्यों की त्यों

चादर कब

रह सकी कहो?

दावानल-

बड़वानल

सह, नहीं दहो.

पत्थर का

वक्ष चीर

गंग

सलिल सम बहो.

पाये को

खोने का

कुछ मजा गहो.

सोनल संसार

हुआ कब कभी कहो

इस-उस के नाम?

.

संझा में

घिर आयें

याद मेघ ना

आशुतोष

मौन सहें

अकथ वेदना.

अंशुमान निरख रहे

कालचक्र-रेख.

किस्मत में

क्या लिखा?,

कौन सका देख??

पुष्पा ले जी भर तू

ओम-व्योम, दिग-दिगंत

श्रम कर निष्काम।

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

बेंगलुरु, २२.९.२०१५

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

कहते हैं कि अगर हनुमान जी को प्रसन्न करना है तो भगवान श्री राम की भक्ति करना पड़ेगी। बात सही भी है हनुमान जी स्वयं श्री रामचंद्र जी के परम सेवक हैं। परंतु यह भी कहा जाता है कि अगर श्री रामचंद्र जी को प्रसन्न करना है तो हनुमान जी की भक्ति करनी पड़ेगी। हनुमान जी की भक्ति का परम स्त्रोत हनुमान चालीसा है। आज की हनुमान चालीसा की चौपाई है :-

तुलसीदास सदा हरि चेरा। 

कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

भावार्थ:- अंतिम मांग के रूप में तुलसीदास जी कह रहे हैं की वे हरि के भक्त। हरि शब्द का संबोधन भगवान विष्णु और उनके अवतारों के लिए किया जाता है। अतः यहां पर यह श्रीराम के लिए लिया गया है। इस प्रकार गोस्वामी तुलसीदास जी हनुमान जी पर दबाव डालकर मांग कर रहे हैं की वे हमेशा तुलसीदास जी के हृदय में निवास करें।

इस चौपाई को बार-बार पढ़ने से होने वाला लाभ:-

इस चौपाई का पाठ निरंतर करने से प्रभु श्री राम और हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है।

आईये अब हम सभी 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर 2023 अर्थात विक्रम संवत 2080 शक संवत 1945 के आश्वनी कृष्ण पक्ष की तृतीय से आश्वनी कृष्ण पक्ष की नवमी तक की सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल की चर्चा करते हैं।

इस सप्ताह प्रारंभ में चंद्रमा मेष राशि में रहेगा। उसके उपरांत 2 तारीख को 4:09 रात अतं से वृष राशि में प्रवेश करेगा। 5 तारीख को 10:48 दिन से मिथुन राशि में गोचर करेगा। इसी प्रकार 7 तारीख को 7:54 रात से वह कर्क राशि का हो जाएगा।

इस पूरे सप्ताह सूर्य और बुध कन्या राशि में रहेंगे। गुरु मेष राशि में बक्री रहेंगे। शनि कुंभ राशि में बक्री रहेंगे। इसी प्रकार राहु मेष राशि में वक्री रहेगा। मंगल प्रारंभ में कन्या राशि का रहेगा तथा 3 तारीख को 5:28 सायं काल से तुला राशि में प्रवेश करेगा। शुक्र ग्रह प्रारंभ में कर्क राशि में रहेंगे तथा 2 तारीख को 8:49 दिन से सिंह राशि में प्रवेश करेंगे।

आईये अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

मेष राशि के जातकों को कचहरी के कार्यों में सफलता मिल सकती है। परंतु कानूनी अडचने काफी आएंगी। इस सप्ताह आपका अपने भाइयों के साथ सामान्य संबंध रहेगा। आपके और आपके जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी बाधा आ सकती है। माता और पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके नसों की पीड़ा में थोड़ा आराम मिलेगा। आपकी संतान का स्वास्थ्य थोड़ा खराब हो सकता है। छात्रों की पढ़ाई में बाधा होगी। भाग्य से कोई विशेष मदद नहीं मिलेगी। इस सप्ताह आपके लिए दो और 8 अक्टूबर विशेष रूप से फलदायक है। सप्ताह के बाकी दिन सामान्य है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करें तथा प्रतिदिन हनुमान चालीसा का कम से कम तीन बार पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपको अपने संतान से बहुत अच्छी सहायता मिलेगी। संतान की उन्नति भी हो सकती है। छात्रों की पढ़ाई अति उत्तम चलेगी। अगर आप प्रयास करेंगे तो आप अपने शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं। आपको अपने परिश्रम पर विश्वास करना होगा। भाग्य से कोई मदद नहीं मिल पाएगी। कार्यालय में आप सतर्क रहें अन्यथा आपको नुकसान हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए तीन और चार अक्टूबर उत्तम फलदायक हैं। 2 अक्टूबर को आपको सतर्क रहना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह प्रतिदिन गायत्री मंत्र की कम से कम एक माला का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातक इस सप्ताह जनता में बहुत लोकप्रिय होंगे। उनके माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। माता जी की कृपा दृष्टि निरंतर इन पर रहेगी। पिताजी का स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। धन आने में बाधा है। भाइयों के साथ संबंध में टकराव हो सकता है। भाग्य के स्थान पर अपने कर्म पर विश्वास करें। आपको सफलताएं कर्म करने पर ही मिलेंगी। भाग्य से आपको कोई मदद इस सप्ताह नहीं मिल पाएगी। आपको अपने संतान से कोई विशेष सहयोग प्राप्त नहीं होगा। छोटी-मोटी दुर्घटना की आशंका है। छात्रों की पढ़ाई ठीक-ठाक चलेगी। इस सप्ताह आपके लिए 5, 6 और 7 अक्टूबर उत्तम और लाभप्रद हैं। आपको तीन और चार अक्टूबर को सावधान रहकर कोई कार्य करना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह दक्षिण मुखी हनुमान जी के मंदिर में जाकर प्रतिदिन कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों का स्वास्थ्य इस सप्ताह ठीक रहेगा। भाई बहनों के साथ आपके संबंध उत्तम रहेंगे। भाग्य से थोड़ा बहुत लाभ मिल सकता है। इस सप्ताह आपके पास धन आने का भी योग है। संतान से आपको इस सप्ताह कोई सहयोग नहीं मिल पाएगा। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में कमी आएगी। धन प्राप्त करने के मार्ग में बाधाएं आयेंगी। इस सप्ताह आपके लिए 2 अक्टूबर तथा 8 अक्टूबर उत्तम हैं। तीन और चार अक्टूबर को आपको धन की प्राप्ति हो सकती है। 5, 6 और 7 अक्टूबर को आपको सावधान रहकर कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप दुर्घटनाओं से बचने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे सायंकाल मिट्टी का एक दीपक जलाकर पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा करें। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने का बहुत अच्छा योग है। आपको केवल थोड़ा सा प्रयत्न करना है। आप जो भी व्यापार कर रहे हैं उसमें आपको लाभ होगा। भाग्य से आपको मामूली लाभ होगा। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे। पिताजी और माताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके जीवन साथी और आपका स्वास्थ्य थोड़ा खराब हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए तीन और चार तारीख उत्तम है। तीन और चार तारीख को आप जो भी शासकीय कार्य करेंगे उसमें आप सफल होंगे। 8 अक्टूबर को आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गुरुवार का व्रत करें और पूरे सप्ताह प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें। इस सप्ताह आपका शुभ दिन मंगलवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। जीवनसाथी के मानसिक स्थिति में थोड़ा बदलाव हो सकता है। उनकी जिद बढ़ सकती है। कचहरी के कार्यों में असफलता मिल सकती है। भाग्य आपका साथ दे सकता है। शत्रुओं की संख्या बढ़ेगी। छोटी मोटी दुर्घटना हो सकती है। आपकी संतान आपका बहुत सहयोग करेगी। छात्रों की पढ़ाई बड़ी उत्तम गति से चलेगी। इस सप्ताह आपके लिए 5, 6 और 7 अक्टूबर लाभदायक हैं। दो अक्टूबर को आपको सावधान रहना चाहिए। 2, 3 या 4 अक्टूबर को आपके पास धन आ सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलायें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपको कचहरी के कार्यों में सफलता मिल सकती है। आपके सुख में वृद्धि हो सकती है। लाभ की मात्रा में कमी आएगी। आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। माता जी और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। संतान को कष्ट हो सकता है। छात्रों की पढ़ाई में बाधा पड़ेगी। इस सप्ताह आपके लिए दो और 8 अक्टूबर लाभकारी हैं। तीन और चार अक्टूबर को आपको सावधान रहना चाहिए। कोई भी कार्य करने में पूरी सतर्कता बरतनी चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह प्रतिदिन दूध और जल से भगवान शिव का अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपको इस सप्ताह व्यापार में काफी लाभ प्राप्त होगा। धन आने की पूरी उम्मीद है। कार्यालय के कार्यों में कम सफलता प्राप्त होगी। कार या मोटरसाइकिल पर यात्रा करते समय पूरी सावधानी बरतें जिससे कोई दुर्घटना होने की उम्मीद ना हो। अगर आप प्रयास करेंगे तो आप अपने दुश्मनों को इस सप्ताह पूरी तरह से मिटा सकते हैं। माता जी को इस सप्ताह कष्ट हो सकता है। पिताजी का स्वास्थ्य भी थोड़ा कमजोर रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए तीन और चार अक्टूबर उत्तम है। तीन और चार अक्टूबर को आप जो भी कार्य करेंगे उसमें आपको सफलता मिलेगी। इसके अलावा सप्ताह के बाकी दिनों में आपको सचेत रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का तीन बार पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

धनु राशि

अगर आप अधिकारी और कर्मचारी हैं तो यह सप्ताह आपके लिए उत्तम है। कार्यालय में आपको रिवॉर्ड मिल सकता है। अधिकारी आपके कार्य से प्रसन्न रहेंगे। सहयोगियों के साथ भी आपके संबंध मधुर रहेंगे। कार्यालय में आपकी पकड़ मजबूत होगी। भाई बहनों के साथ संबंध थोड़े कटु हो सकते हैं। भाग्य कोई विशेष साथ नहीं देगा। आपकी संतान को कष्ट हो सकता है। छात्रों की पढ़ाई में बाधा पड़ेगी। इस सप्ताह आपके लिए 5, 6 और 7 अक्टूबर परिणाम मूलक हैं। इन तारीखों में आप जो भी कार्य करेंगे उनमें आपको सफलता मिल सकती है। तीन चार और 8 अक्टूबर को आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह भाग्य आपका अच्छे से साथ देगा। आपके कई कार्य जो भाग्य के कारण रुके हुए हैं संपन्न हो सकते हैं। ऐसे कार्यों को आप करने का प्रयास करें जिससे आपको इस सप्ताह कई सफलताएं मिल सकें। आपके पिताजी और माताजी को इस सप्ताह कष्ट हो सकता है। आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहने की संभावना है। धन के लाभ में कमी आएगी। इस सप्ताह आपके लिए दो और 8 अक्टूबर उत्तम है। 5, 6 और 7 अक्टूबर को आपको सावधान रहना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह गुरुवार का व्रत करें और पूरे सप्ताह प्रतिदिन कम से कम तीन बार राम रक्षा स्त्रोत का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह थोड़ा कमजोर है। इस सप्ताह आपको अच्छे और बुरे दोनों तरह के परिणाम मिलेंगे। कचहरी के कार्यों में इस सप्ताह आपको सफलता मिल सकती है। भाई बहनों के साथ संबंधों में तनाव आ सकता है। आपको और आपके जीवन साथी को कष्ट हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए तीन और चार अक्टूबर अनुकूल हैं। तीन और चार अक्टूबर को किए गए हर कार्य में आपको लाभ प्राप्त होगा। 8 अक्टूबर को आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको प्रतिदिन भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए और शिव पंचाक्षर स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

यह सप्ताह आप और आपके जीवनसाथी के स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम है। माता और पिताजी का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। आपके व्यापार में उन्नति होगी। व्यापार में लाभ के मात्रा में वृद्धि होगी। दुर्घटनाओं से आपको इस सप्ताह सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको कचहरी के कार्यों में रिस्क नहीं लेना चाहिए। धन आने की मात्रा में कमी हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 5, 6 और 7 अक्टूबर उत्तम है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप पंचाक्षरी मंत्र का की एक माला जाप प्रतिदिन करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

मां शारदा से प्रार्थना है कि आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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सूचना/Information ☆ ✒️ श्री हेमन्त बावनकर – अभिनंदन – ✒️ ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

✒️ हेमन्त बावनकर ✒️

🌺 अ  भि  नं  द  न  🌺

ई-अभिव्यक्ती समुहाचे मुख्य संपादक  श्री हेमन्त बावनकर  यांना जबलपूर येथील कादंबरी या संस्कृतिक, साहित्यिक आणि सामाजिक संस्थेने त्यांच्या शब्द …और कविता (बोधि प्रकाशन, जयपुर – वर्ष – 2015) या प्रथम काव्यसंग्रहाला पुरस्कार देऊन गौरविले आहे.

त्यांच्या या सन्मानाबद्दल अभिव्यक्ती समुहाकडून त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि शुभेच्छा ! 💐

संपादक मंडळ

 ई-अभिव्यक्ती मराठी

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ “आमचा देश —” ☆ सुश्री मंजुषा सुनीत मुळे ☆

सुश्री मंजुषा सुनीत मुळे

? कवितेचा उत्सव ?

☆ “आमचा देश —” ☆  सुश्री मंजुषा सुनीत मुळे  ☆

ओल्या हिरव्या मोहकशा कुरणांचा हा तर देश —

 

         ही कुरणे नाहीत गाई – गुरांची

         नाहीत शेळ्या वा बकऱ्यांची

                        माणसेच चरती हो येथे

                        विसरून आपला वेश –

ओल्या हिरव्या मोहकशा कुरणांचा हा तर देश —

 

            या कुरणी उगवतो कधी चारा

            अन कधी तेलाच्या झरती धारा

                        नवी पिके तरी शोधण्यास

                        नित प्रतिभेला उन्मेष –

ओल्या हिरव्या मोहकशा कुरणांचा हा तर देश —

            

              कापूस, साखर, गहू असे किती

              सर्वांसाठी हवेच म्हणती

                          चरतांना परि भान विसरती

                          उसना फक्त आवेश –

ओल्या हिरव्या मोहकशा कुरणांचा हा तर देश —

 

                म्हणू नका तुम्ही बी.आर.टी. वा

                मेट्रो आम्हा हवी कशाला

                             तिथेच पिकती सुपीक कुरणे

                             प्रगतीला न प्रवेश –

ओल्या हिरव्या मोहकशा कुरणांचा हा तर देश —

 

                  आम्हा वाटते जळोत असली

                  मोहमयी कुरणे ….

                             …अन फक्त उरावा राकट कणखर

                                दगडांचा हा देश —

 

                    नकोच हिरव्या मोहकशा

                                  कुरणांचा केवळ देश ——-

©  सुश्री मंजुषा सुनीत मुळे

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ एवढे तरी अध्यात्म… ☆ श्री शरद कुलकर्णी ☆

श्री शरद कुलकर्णी

? कवितेचा उत्सव ?

☆ एवढे तरी अध्यात्म… ☆ श्री शरद कुलकर्णी ☆

कधी मी आयुष्याला,

कधी आयुष्याने मला शोधलं .

पाठशिवणीचा निरर्थक खेळ.

दुःखाच्या उन्हांनी कधी ,

सुखाच्या सावलीला शोधण्यात-

व्यर्थ दवडला वेळ.

वाट पाहता पावसाची,

थकून गेले डोळे.

किती आले किती गेले,

पाण्याविना पावसाळे.

आता प्रयोजन जगण्याचे,

आयुष्यालाच विचारावे.

प्रत्येक ऋतू समजून घेत-

समजुतदार व्हावे.

कधीकधी चष्मा काढून ,

थोडफार डोळेही पुसावे .

तुका म्हणे उगी रहावे.

एवढे तरी अध्यात्म  जमावे.

© श्री शरद  कुलकर्णी

मिरज

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – विविधा ☆ “पर्यटन – सफर नंदनवनाची !! भाग – ४” ☆ सौ.ज्योत्स्ना तानवडे ☆

सौ.ज्योत्स्ना तानवडे

?  विविधा ?

☆ “पर्यटन – सफर नंदनवनाची !! भाग – ४” ☆ सौ.ज्योत्स्ना तानवडे ☆

आज सोनमर्ग स्थलदर्शन होते. श्रीनगरहून सकाळी लवकरच निघालो. तिथून सोनमर्ग पर्यंतचे अंतर ८६ किलोमीटर होते. पण संपूर्ण रस्ता घाटाचा, वळणावळणाचा आणि तुलनेने बराच लहान होता. त्यावर जाणाऱ्या येणाऱ्या वाहनांच्या रांगाच्या रांगा लागल्या होत्या. सावकाश जावे लागत होते. या रस्त्यावर मिलिटरीच्या वाहनांची खूपच वर्दळ होती. त्यांची वाहने आली की इतरांना सरळ बाजूला थांबावे लागत होते. एकेका कॉनव्हाॅय म्हणजे ताफ्यात शेकडोनी वाहने असतात. पण अतिशय शिस्तबद्ध रीतीने जातात. एवढ्या प्रतिकूल वातावरणातले त्यांचे हे झोकून देऊन काम करणे पाहून त्यांचे खूपच कौतुक आणि अभिमान वाटला. आमच्या सॅल्युटला ते पण कडक  सॅल्युटने उत्तर देत होते.

सोनमर्गला जायला जवळजवळ चार-पाच तास लागले. पण प्रवासात वेळ कसा गेला कळलेच नाही. सर्वांच्या गप्पा, गाण्याच्या भेंड्या सुरू होत्याच. पण बाजूचा निसर्ग कितीही पाहिला तरी समाधान होत नव्हते.

एका बाजूला उंच पहाड आणि दुसऱ्या बाजूला दरी होती. दरीच्या पलीकडे बर्फाच्छादित उंच पर्वत, मध्येच हिरवीगार कुरणे, मधे मधे स्वच्छ सुंदर सरोवरेही दिसत होती. जिकडे बघावे तिथले दृश्य म्हणजे एक एक चितारलेला कॅनव्हासच वाटत होता. सोनमर्ग इथल्या निसर्ग संपदेसाठी प्रसिद्ध आहे. सोनमर्ग म्हणजे ‘सोन्याची कुरणे’. इथे हिरवळीची मैदानी कुरणे मोठ्या प्रमाणावर आहेत. बर्फाच्या टोप्या घातलेली पर्वत शिखरे आणि हिरवीगार कुरणे ही सोनमर्गची वैशिष्ट्ये आहेत. सोनमर्गला ‘सरोवरांची नगरी’ पण म्हणतात. इथे लहान मोठी असंख्य सरोवरे आहेत. त्यातले ‘विशनसर’ सरोवर तर खूप प्रेक्षणीय आहे. नितळ निळेशार पाणी, सभोवती हिरवीगार कुरणे यामुळे अतिशय सुंदर दिसणारे हे मोठे सरोवर सर्वांना आकर्षित करते. वसंत ऋतूत तर इथे रंगीबेरंगी फुलांनी जागोजागी चादर पसरलेली असते.

असा आजूबाजूचा निसर्ग पहात, प्रवासाचा आनंद घेत आम्ही सोनमर्गला पोहोचलो. इथे ‘बबलू’ या मराठी रेस्टॉरंटमधे  आम्हाला चक्क पिठलं भाकरीचे महाराष्ट्रीयन जेवण मिळाले.

इथून वेगवेगळ्या चार पाच पॉईंटना छोट्या वाहनाने जाता येते. आम्ही तिथल्याच मोठ्या पठारावरून थोड्या अंतरावरील शिखरावर चढून गेलो. तिथून थाजीवास ग्लेशियर दिसते. ते संपूर्ण दृश्य अप्रतिम दिसत होते. त्याच्या समोरच्या उंच शिखरावर बर्फाने घातलेली टोपी म्हणजे जणू हिऱ्याचा मुकुट शोभून दिसत होता. सूर्योदयाच्या वेळी पहिल्या सूर्यकिरणात हा बर्फ पिवळा दिसतो तेव्हा जणू सोन्याचा मुकुट वाटतो. पण तो नजारा आम्हाला त्यावेळी बघणे शक्य नव्हते.

शुभ्र हिमाच्या शिखरावरती

 सहस्त्ररश्मी तळपला

 सुवर्णवर्खी शाल ओढूनी

 सुवर्णहिम झळकला ||

बाजूच्या उतारावर मेंढ्या चरत होत्या. एखाद्या सुंदर चित्रावरच आपण उभे असल्याचा भास होत होता. सर्वांनी मनसोक्त फोटो काढले. हाच निसर्ग संध्याकाळी वेगळाच दिसत होता. तो अनुभवत आम्ही परत निघालो.

एकूणच सोनमर्ग इथल्या निसर्ग सौंदर्यामुळे पर्यटकांचे आवडते ठिकाण आहे. त्यामुळेच ते ट्रेकर्सचे सुद्धा आवडते ठिकाण आहे. ट्रेकिंग साठी इथे असंख्य ठिकाणे आहेत. इथले ट्रेकिंग, रिव्हर राफ्टींग प्रसिद्ध आहे. इथेच अमरनाथ यात्रेचा बेस कॅम्प पण आहे.

सोनमर्गच्या असंख्य नितळ पाण्याची सरोवरे, हिरवीगार कुरणे, रंगीत फुलांचे गालिचे, दऱ्या, बर्फाच्छादित डोंगर अशा नयनरम्य निसर्ग सौंदर्याने सर्वांनाच भुरळ घातली होती. त्याच्या मधूनच जाणाऱ्या नागमोडी घाटाने आम्ही परत आलो.

श्रीनगर, गुलमर्ग, पहेलगाम, सोनमर्ग अशा काश्मिरच्या प्रसिद्ध ठिकाणांच्या दर्शनाने मन भरून आणि भारूनही गेले. खरोखरीच हे नंदनवन भारताचे भूषण आहे. आधुनिकीकरणासाठी इथल्या निसर्गाला कसलीही हानी पोहोचवलेली नाही. म्हणूनच हे अनाघ्रात सौंदर्य आहे तसेच  बावनकशी राहिलेले आहे. हे सर्व पाहून मन तृप्त समाधानाने भरले होते. आमची ही नंदनवनाची सफर आता खरोखरच आनंदाचा ठेवा बनवून राहील.

 – समाप्त –

© सौ.ज्योत्स्ना तानवडे

वारजे, पुणे.५८

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ.उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – जीवनरंग ☆ तिचे माहेरपण आणि… भाग – १ ☆ श्री मयुरेश देशपांडे ☆

श्री मयुरेश देशपांडे

? जीवनरंग ?

☆ तिचे माहेरपण आणि… भाग – १ ☆ श्री मयुरेश देशपांडे

ऐनवेळी गोंधळ नको म्हणून त्याने एसटीची तिकिटे आधीच आरक्षित करून ठेवली होती. अगदी तिला आवडते तसे खिडकीतले तिकीट आणि अगदी पुढची जागा. त्याने सामान वरती लावले, तिला खिडकी उघडून दिली आणि खाली उतरला. बस निघेपर्यंत तिच्या सूचना चालूच होत्या आणि एखाद्या आज्ञाधारक विद्यार्थ्याप्रमाणे आठवणीच्या वहीवर तिच्या सूचना नोंदवून घेत होता. बस स्थानकातून बाहेर पडली तशी त्याची पावले मागे वळाली.

ती तिच्या परीक्षेला गेली होती. पण खरी परीक्षा त्याचीच होती. माहेरच्या गावी परीक्षा केंद्र खालच्या सरकारने नव्हे तर वरच्या सरकारने ठरवून दिले होते. ” कधी नव्हे ते सणांव्यतिरिक्त माहेरी येणे होतेय, राहू देत की लेकीला चार दिवस “, सासूबाईंचा थेट त्याला फोन. पडत्या फळाची आज्ञा मानत, मी देखील,

“हो ना, तेवढाच मोकळा वेळ मिळेल तिला.”, असे म्हणत त्याने त्यांच्या होकारामध्ये होकार भरला.

“तुम्हाला काय जातंय होय म्हणायला, दोन लेकरं आहेत पोटाशी. त्यांचे कोण पाहणार? तुम्ही सकाळी जाणार कामावर, ते संध्याकाळी उजाडणार. आणि उजाडले तरी कोपऱ्यावर मित्र मंडळीत जाणार. माझी लेकरं राहायची उपाशी. त्यांना शाळेत सोडणार कोण – आणणार कोण, शंभर धंदे असतात माझ्यापाठी. आईला काय जातंय म्हणायला ‘ ये चार दिवस म्हणून ‘ .” तिने दांडपट्टा चालवला.

तिचे माहेरी राहणे बहुधा रद्द होते आहे पाहून तो आतून सुखावला. पण मग पट्ट्याची पट्टी झाली आणि तिही खाली उतरली. त्याचा आनंद काही फार काळ टिकला नाही.

“आईचेही बरोबर आहे म्हणा. सणवार सोडले तर एरवी कुठे तिच्याकडे जाणे होतेय. आणि सणवार म्हणजे पाहुण्यांची उठबस. बरं घरात दुसरं बाई माणूस नाही. भावाचं  लग्न लावून दे म्हटले तर तो बसलाय तिकडे राजधानीत. आम्हाला बोलायला उसंत काही मिळत नाही. मी काही सांगेन म्हणते, ती काही सांगेन म्हणते, जरा बाबांच्या मांडीवर डोके ठेवेन म्हणते, पण कसले काय. तिकडे जाऊनही रांधा वाढा उष्टी काढा. आता जाईन तर छान गप्पा होतील. आवडी निवडीचे हक्काने मागून खाता येईल. बरे मागे मुलांचा व्यापही नाही. ते काही नाही. आई म्हणते ते बरोबरच आहे. परीक्षा झाली की, तशीच आईच्या घरी जाते आणि चांगली चार दिवस राहून येते. कळू देत मुलांनाही माझी किंमत.” … तिचा खालचा सूर कधी वरती गेला तिलाही कळाले नाही. तो मात्र चेहऱ्यावर कसलेच भाव न दाखवता आत गेला.

आपल्याला इथेच ठेवून आई एकटीच माहेरी जात आहे म्हटल्यावर मुले जाम खूश. बाबा काय दिवसभर बाहेर असतो. म्हटल्यावर दिवसभर घरावर आपले साम्राज्य म्हणून मुले आनंदली. लेकीची शाळा दुपारची तर लेकाची सकाळची. दोघांनी टीव्ही, संगणक, मोबाईल व इतर खेळांच्या वेळा आपापसात वाटून घेतल्या. चार दिवस अभ्यासाला सुट्टी. पण चार दिवस बाबा सुट्टी काढून घरी थांबणार आहे कळल्यावर त्यांच्या आनंदावर विरझण पडले, अगदी मगाशी बाबांच्या आनंदावर पडले तसे. बाबांना त्यांच्या साहेबांशी बोलताना तिघांनी चोरून ऐकले होते. हो तिघांनी म्हणजे आईनेसुद्धा. तिने तर लगेच पिशवी भरायला घेतली.

“अग हो, वेळ आहे ना अजून. आधी परीक्षा मग माहेरपण. तेव्हा आधी अभ्यास मग पिशवी भरणे.” त्याने उसने अवसान आणून रागे भरले. तिचा पुढचा आठवडा माहेरपणाचे नियोजन करण्यात, तिच्या पश्चात घरात करायच्या कामांची त्याला व मुलांना सूचना देण्यात आणि मधेआधे वेळ मिळेल तसा अभ्यास करण्यात गेला. आणि शेवटी त्याच्यासाठी महाप्रलयाचा तर तिच्यासाठी महाआनंदाचा दिवस उजाडला.

गाडी सकाळचीच होती आणि तिची कालपासून तयारी सुरू होती. तिच्या डोळ्यांतले पाणी आता हे तिघे चोरून पाहात होते. हो, पुन्हा तिघेच. यावेळी बाबा त्या दोघांना सामील झाले होते. तिचा पाय निघत नव्हता. तरी बरं ती निघाली तेव्हा मुले साखरझोपेत होती. धाकट्याचं मी पण येणार हे पालूपद आठवडाभर चालूच होतं, पण तिने काही त्याला दाद दिली नाही.

तिने देवापुढे निरांजन लावले. देवाला धूप अगरबत्ती दाखवली. नमस्कार करून पिशव्या उचलायला गेली. ” सगळे  घेतलंय ना बघ एकदा.”, त्याने बाहेरूनच गाडी काढता काढता आवाज दिला. ” हं काही राहिले तरी मी माघारी थोडीच फिरतीये.” उंबरा ओलांडतानाच तिचे प्रत्युत्तर आले. ” अगं तसं नव्हे, परीक्षेचे सगळे घेतले का?”, असे मला म्हणायचे होते. त्याने सारवासारव करतच गाडी सुरू केली.

पुढे तिच्या पिशव्या आणि मागे ती अशी ओझ्याची कसरत करीत ते स्थानकावर पोहोचले. बस अजून फलाटावर लागायची होती. दोघांनी गरमागरम चहा घेतला. तसे तिचे माहेरी जाणे आता काही कौतुकाचे राहिले नव्हते. लग्नाला जेवढी वर्षे झाली नसतील त्याहीपेक्षा अधिक वेळा ती माहेरी गेलेली होती. दोन जीवांची आई झाली तशी सोबतच्या पिशव्या वाढल्या, पण जाणे कमी झाले नाही. पण यावेळी तिची कच्चीबच्ची बरोबर नव्हती आणि म्हणून जीव तुटत होता.

“अगं राहतील व्यवस्थित. आता मी चार दिवस रजा घेतली आहे ना, मग काय काळजी करतेस. आणि सोबतीला राधाक्का आहेच की. तूच तर नेहमी म्हणतेस ‘ मुले तुझी कमी आणि राधाक्काची जास्त वाटतात.’ मग कशाला काळजी करतेस. तू फक्त परीक्षेवर लक्ष केंद्रित कर आणि मग माहेरपणावर. इकडली काळजी इथेच फलाटावर सोडून दे.”, तिला बसवता बसवता त्याने धीर दिला. पण खऱ्या धीराची गरज तर त्याला होती. हे तो कोणाला सांगणार.

तिची गाडी दिसेनाशी झाली तशी त्याने गाडी काढली आणि घराची वाट धरली. गाडी लावून घराकडे वळला तशी जिन्यातच राधाक्का भेटली. ” पोरं अजून झोपली आहेत. लेकीला झोपू दे हवे तर, पण मुलाला उठवावे लागेल, नाहीतर उशीर होईल शाळेला.”, राधाक्काच्या चेहऱ्यावर काळजी आणि प्रेम एकाच वेळी दिसून येत होते. “आणि हो, डबा मी बनवते खाली. तू त्याला तयार करून खाली घेऊन ये.”

– क्रमशः भाग पहिला 

लेखक : म. ना. दे. (होरापंडीत मयुरेश देशपांडे)

C\O श्री मंदार पुरी, पहिला मजला, दत्तप्रेरणा बिल्डिंग, शिंदे नगर जुनी सांगवी, पुणे ४११०२७

+९१ ८९७५३ १२०५९  https://www.facebook.com/majhyaoli/

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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