हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आतिश का तरकश #191 – 77 – “दूर बहुत मत जाना…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ☆

श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी  ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकशआज प्रस्तुत है आपकी ग़ज़ल “दूर बहुत मत जाना…”)

? ग़ज़ल # 76 – “दूर बहुत मत जाना…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ?

मरघट जैसी आग लगी गलियों ओ चौबारों में,

बारूदो अस्लाह मिल रहे मस्जिद गुरुद्वारों में।

जाकर बैठें किस दर थोड़ी सांस भर मिलती जाये,

नफरत के  छींटे  ना आएँ घृणा की बौछारों में।

फ़ेसबुक पर सब लेते दिखते हैं माँ सेवा का व्रत,

जीवित माँ झाँके वृद्ध आश्रम के बंद किवारों में। 

हाथ पर रखा सब कुछ मिल जाए हरेक की चाह यही,

ये ही  आशा ले  जाती  चोरों  के  बाज़ारों में।

आओ दूर तलक साथ दिखलाएँ खेल ज़माने का,

हर  कोई  दौड़  रहा जैसे  जाना  हो तारों में।

गोकुल कृष्ण का यही है और यही कंस की मथुरा,

क़ाबिज़ भूमाफिया जमुना के हर कोर कछारों में।

आतिश तुम जाते हो जाओ दूर बहुत मत जाना,

इंतज़ार  बढ़ता  जाता  आते  तीज त्योहारों में।

© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’

भोपाल, मध्य प्रदेश

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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English Literature – Poetry ☆ ‘Eerie Emptiness…’ ☆ Ms. Preeti Sachdev ☆

Ms. Preeti Sachdev

(Ms. Preeti Sachdev is a famous writer and poetess.  She writes for various magazines and daily columns in Hindi, Urdu and English. She manages business relations at international level and participates in academic activities as well.  We are pleased to share her eminent literature with our enlightened readers.) 

? ~ Eerie Emptiness… ??

I sit by the river watching the sun go down

The dancing orange water, set the fire below

Sun retreating leaving behind the still darkness

But the blazing embers veiled set the sky aglow..

 

I feel the lonliness, through the melancholy of my soul

I know I have lost out slowly my place in your heart

The Sun in all its dusky beauty, kissing the mountains

Still too far from the earth, together yet so far apart

 

Sitting in noisy silence, as my heart keeps on breaking

I fight my sombreness and unfathomable hollowness

Only the sun would understand my everlasting aloofness,

As no sound can ever fill my inner eerie emptiness…!

n

© Ms. Preeti Sachdev

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन ☆ संजय दृष्टि – मिलन ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।  हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )

? संजय दृष्टि – मिलन ??

नश्वर आशंकाएँ खेत रहीं,

शाश्वत आकांक्षाएँ बनी रहीं,

ठगा-सा तकता रहा संसार,

चलो मिलें फिर देह के पार..!

© संजय भारद्वाज 

प्रात: 10:11 बजे, 3 जून 2022

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय संपादक– हम लोग पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆   ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

🕉️ श्री हनुमान साधना संपन्न हुई साथ ही आपदां अपहर्तारं के तीन वर्ष पूर्ण हुए 🕉️

💥 अगली साधना की जानकारी शीघ्र ही आपको दी जाएगी💥

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 69 ☆ ।। लोक परलोक इसी धरती इसी जन्म में सुधरता है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस”☆

श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ मुक्तक  ☆ ।। लोक परलोक इसी धरती इसी जन्म में सुधरता है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1]

सौ बरस सामान क्यों रखा  बेहिसाब है।

सब कुछ छोड़कर जाना यही  साहब है।।

धरती पर रहके स्वर्ग सी जियो जिंदगी तुम।

मत सोचते रहो स्वयं स्वर्ग जाने का ख्वाब है।।

[2]

मानव बनकर जीना प्रभु इच्छा जनाब है।

बसअच्छे कर्म करो यही इसका जवाब है।।

नित प्रतिदिन करोंअपना स्व मूल्यांकन भी।

तजते रहो हर  आदत जो लगती खराब है।।

[3]

उम्र तकाजा शरीर भी एक दिन गल जाता है।

यह पद रुतबा सब कुछ जैसे ढल जाता है।।

रिश्तेनाते सब छूट जाते इस दुनिया लोक में।

बनकर राख अपना शरीर भी  जल जाता है।।

[4]

मधुरभाषा सुंदर सभ्य  जीवन जीना चाहिए।

उत्तम भाव,लगन, दिव्य जीवन जीना चाहिए।।

आंख की नमी दिल की संवेदना मत मरने देना।

इन सद्गुणों साथ भव्य जीवन जीना चाहिए।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – आलेख ☆ अभी अभी # 52 ⇒ गरीब, आदमी और मर्द… ☆ श्री प्रदीप शर्मा ☆

श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “गरीब, आदमी और मर्द”।)  

? अभी अभी # 52 ⇒ गरीब, आदमी और मर्द? श्री प्रदीप शर्मा  ? 

क्या गरीब, आदमी भी होता है, क्या वह गरीब है, सिर्फ यही काफी नहीं!

आदमी तो गरीब भी होता है और अमीर भी, अच्छा भी और बुरा भी। हमने अच्छा अजीब आदमी तो देखा है, बुरा अजीब आदमी नहीं। अमीर तो इंसान होते हैं, वैसे बेचारा गरीब आदमी भी इंसान ही होता है।

गरीब आदमी कितनी भी कोशिश कर ले, अपनी गरीबी हटाने की, कोई भी सरकार नहीं चाहती कि गरीब हटे। जब तक गरीब है, तब तक ही तो गरीबी हटती रहेगी। अगर गरीब ही हट गया, तो फिर गरीबी किसकी हटाओगे। क्या दान पुण्य के लिए अमीरों का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। सब गरीबों की ही सुनते हैं, अमीर की कब किसने सुनी है, सुध ली है। ।

एक गरीब, आदमी भी हो सकता है, एक ईमानदार इंसान भी हो सकता है, लेकिन मर्द कभी नहीं हो सकता। क्यों, क्या इसलिए, कि मर्द को दर्द नहीं होता! गरीब को तो इतना दर्द होता है, कि उसके दर्द से सरकारें तक पिघल जाती हैं। कैसी कैसी योजनाएं सरकार लाती है, उनके दर्द को कम करने के लिए, लेकिन उनका दर्द है कि कम होने का नाम ही नहीं लेता। बताऊं तुम्हें क्या, कहां दर्द है, जहां हाथ रख दो, वहां दर्द है।

जिस तरह सरकार हर देशवासी को एक छत का आश्वासन देती है, हर गरीब को गरीब कहलाने के गरीबी रेखा के नीचे यानी below Poverty Line रहना जरूरी है। थोड़ी भी लाइन ऊपर नीचे हुई और आप अगरीब घोषित! और अगरीब घोषित होने का मतलब, गरीबों के मूलभूत अधिकारों से हाथ धो बैठना। मूलभूत शब्द, यूं ही नहीं बन जाता। मूल सुविधा के पीछे भूत की तरह भागना ही मूलभूत सेवा का उपभोग करना है। ।

बहुत पीट लिया गरीबी का ढिंढोरा, आइए अब मर्दों वाली बात भी हो जाए!

मर्द न तो अमीर होता है और न गरीब, मर्द सिर्फ मर्द होता है। सुना है, गरीबों के घरों में अक्सर मर्द नहीं, एक अदद मरद होता है, जो अपनी बीवी की कमाई पर फौजदारी हक रखता है। एक मरद की बीवी अक्सर वो कामकाजी गरीब महिला होती है जो पहले अपने मरद से  शराब के पैसे के लिए मार खाती है और बाद में, शराब के बाद वाली  पिटाई का दुख भी झेलती है।

ऐसी लुटने वाली और पिटने वाली गरीब, कामकाजी औरतों का एक ही मंतव्य और निष्कर्ष होता है कि सभी मरद एक जैसे होते हैं। अब सभी मर्द मिल जुलकर फैसला कर लें, कि वे वाकई मर्द हैं या फिर सिर्फ एक सर्टिफाइड मरद।।

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 133 ☆ बाल गीतिका से – “हिल मिल रहें…” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित बाल साहित्य ‘बाल गीतिका ‘से एक बाल गीत  – “हिल मिल रहें…” । हमारे प्रबुद्ध पाठकगण   प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।) 

☆ काव्य धारा #133 ☆ बाल गीतिका से – “हिल मिल रहें…” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆

हम छोटे बच्चे, भगवान ।

हमें दीजिये यह वरदान ॥

 

रखकर भारत माँ का ध्यान । 

करे सदा कुछ जन-कल्याण॥ 

 

करे देश ऐसा उत्थान ।

बढ़े जगत् में इसका मान ॥

 

हो सबका बहुमुखी विकास । 

कोई कभी न दिखे उदास ॥

 

कठिन रास्ते हो आसान ।

हिलमिल रहें सभी इन्सान

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ बाल साहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को वर्ष 2023 का महाराणा सूरजमल बाल विज्ञान साहित्य सम्मान – अभिनंदन ☆ साभार – श्री अरविंद कुमार संभव, संयोजक ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 बाल साहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को वर्ष 2023 का महाराणा सूरजमल बाल विज्ञान साहित्य सम्मान – अभिनंदन 🌹

🌹 जयपुर साहित्य संगीति 🌹

(कलम, तूलिका, वाद्य, नाट्य, कला, मेधा का बौद्धिक संगम)

इस के अंर्तगत इस वर्ष 2023 का महाराणा सूरजमल बाल विज्ञान साहित्य सम्मान बाल साहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ और लखनऊ के डॉक्टर जाकिर अली रजनीश को प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा।

🌹 जयपुर बाल साहित्य सम्मान वर्ष 2023 – परिणाम🌹

बाल साहित्य पर विभिन्न विधाओं में सम्मान वर्ष 2023 हेतु

1.बप्पा रावल बालगीत सम्मान

राजकुमार निजात, सिरसा हरियाणा

कुसुम अग्रवाल राजसमन्द राजस्थान

2. राणा हम्मीर बाल कहानी सम्मान

1.नीलम राकेश, लखनऊ

2.डा. शील कौशिक, सिरसा हरियाणा

3. महाराजा सूरजमल बाल विज्ञान साहित्य सम्मान

1.ओम प्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’, रतनगढ़ नीमच मध्यप्रदेश

2.डा. जाकिर अली रजनीश, लखनऊ

4. मेजर शैतान सिंह बाल कार्टून कथा सम्मान

कोई नहीं

5. राणा सांगा धार्मिक बोधकथा सम्मान

कोई नहीं

6. महाराणा प्रताप बाल शौर्य कथा सम्मान

कोई नहीं

🌹  जयपुर बाल साहित्य सम्मान 2023 विशेष अलंकरण पत्र 🌹

(बाल साहित्य में बेहतरीन समग्र एवं सतत् कार्य करने हेतु)

1. डा. चेतना उपाध्याय, अजमेर
2. दीनदयाल शर्मा, हनुमानगढ़
3. ताराचंद मकसाने, नवीं मुम्बई
4. रोचिका अरुण शर्मा, चैन्नई
5. डा. देशबंधु शाहजहांपुर, शाहजहांपुर यूपी
6. सुशीला शर्मा, जयपुर
7. अलका अग्रवाल, जयपुर
8. डा. सुधीर आजाद, भोपाल
9. तरुण कुमार दाधीच, उदयपुर
10. प्रो. राजेश कुमार, नौएडा
11. विमला नागला, केकड़ी, अजमेर
12 संगीता सेठी, बीकानेर
13. परी जोशी, भोपाल

संयोजक की टिप्पणी

लगभग दो माह पूर्व बच्चों में बाल साहित्य को पढ़ने की उत्सुकता जगाने तथा राजस्थान के वीर रणबांकुरे योद्धाओं के बारे में जानने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिवर्ष चयनित बाल साहित्यकारों को विभिन्न विधाओं में सम्मानित करने के ध्येय से यह बाल साहित्य सम्मान योजना प्रारम्भ की गयी थी। इसमें कुल 24 बाल साहित्यकारों के नाम के प्रस्ताव आये जिनमें से ज्यादातर बप्पा रावल और राणा हम्मीर बाल साहित्य सम्मान के लिये थे। ‌ महाराजा सूरजमल, मेजर शैतान सिंह, राणा सांगा और महाराणा प्रताप बाल साहित्य सम्मान के लिये रखी गयी विधाओं में या तो प्रविष्टि आयी ही नहीं या फिर बहुत कम।

बाल कथा और बाल कविता में सर्वश्रेष्ठ साहित्यकार का चयन करना इसलिए भी बहुत कठिन हो गया क्योंकि लगभग सभी ने इन विधाओं में बहुत काम किया है। हालांकि हमारी मूल विज्ञप्ति के उस क्लाज़ को ज्यादातर ने शायद पढ़ा नहीं जिसमें लिखा था कि यह सम्मान योजना उन्हीं लेखकों के लिये है जो मूल एवं समग्र रूप से केवल बाल साहित्य में ही लिखते हैं। कभी कभार बाल कविता या कहानी लिखने वालों के लिये यह योजना नहीं थी।

फिर भी हमने कोशिश की है कि गुणवत्ता की उपेक्षा नहीं की जाये। इसीलिए प्रथम तीन श्रेणियों में प्रत्येक में दो दो लेखकों का चयन किया गया है।

चयन करते समय न तो हमने इस बात पर गौर किया है कि व्यक्ति विशेष को कितने और कहाँ कहाँ से अब तक पुरस्कार मिले हैं और ना ही हमने उनसे उनके द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का बंडल मंगवाया। हमने केवल बाल साहित्य में सतत् रूप से किये गये उनके कार्य पर ही दृष्टि रखी। अन्य सब हमारे लिए गौण था।

इसी श्रेष्ठता को दृष्टि में रखते हुए कुछ लेखकों को अतिरिक्त रूप से भी विशिष्ट अलंकरण पत्र से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया जिनकी सूची भी संग में ही जारी कर दी गयी है। ये सभी बाल साहित्य में समान रूप से विद्वान हैं और पुरस्कार/ सम्मान की किसी भी श्रेणी में आने की योग्यता रखते हैं।

विशिष्ट अलंकरण पत्र से सम्मानित सभी साहित्यकारों को अलंकरण पत्र डाक से प्रेषित कर दिया जायेगा। यदि वे स्वयं उपस्थित होकर इसे लेना चाहें तो पूर्व सूचना देकर दिनांक 25 जून 2023 को जयपुर साहित्य संगीति के तत्वाधान में आयोजित जयपुर साहित्य सम्मान 2023 अलंकरण समारोह एवं साहित्योत्सव में पधार कर इसे ग्रहण कर सकते हैं। यात्रा एवं आवास की व्यवस्था आपकी स्वयं की ही रहेगी।

कार्यक्रम स्थल

एस एफ एस सामुदायिक केंद्र सभागार, अग्रवाल फार्म, मानसरोवर, जयपुर 302020.

समय प्रातः 9 बजे से

साभार – श्री अरविंद कुमार संभव, संयोजक
9950070977

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – श्री सचिन पाटील – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

श्री सचिन पाटील

💐 अ भि नं द न 💐

आपल्या समूहातील सिद्धहस्त लेखक श्री सचिन पाटील यांना, त्यांच्या ‘पाय आणि वाटा’ या ललितसंग्रहासाठी महाराष्ट्र साहित्य परिषद, पुणे यांच्यातर्फे दिला जाणारा अॅड. त्रिंबकराव शिरोळे स्मृती पुरस्कार घोषित केला गेला आहे. 

श्री. सचिन पाटील यांच्या नोव्हेंबर २०२२ मध्ये प्रकाशित झालेल्या या ‘पाय आणि वाटा’ ललितसंग्रहास रसिक वाचकांचा खूप चांगला प्रतिसाद मिळत आहे. यापूर्वी त्यांच्या या संग्रहास साहित्यरत्न लोकशाहीर अण्णाभाऊ साठे पुरस्कार पुणे, माणगंगा साहित्य परिषद, फलटण, मातृस्मृती साहित्य सन्मान पुरस्कार कामेरी, साहित्य प्रज्ञा मंच पुणे, कृतिशील शिक्षक महाराष्ट्र राज्य, इत्यादी मान्यवर साहित्य संस्थांचे पुरस्कारही लाभले आहेत.

लेखक श्री. सचिन पाटील यांचे आपल्या समूहातर्फे अतिशय मनःपूर्वक अभिनंदन, आणि यापुढेही त्यांच्याकडून अशीच दर्जेदार आणि समृद्ध साहित्य-निर्मिती सातत्याने होत राहो यासाठी त्यांना असंख्य हार्दिक शुभेच्छा. 

अनेक पुरस्कार प्राप्त झालेला त्यांचा ललित संग्रह ——

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ रंजना जी यांचे साहित्य # 154 – देवा पांडुरंगा ☆ श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे ☆

श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे 

? कवितेचा उत्सव ?

☆ रंजना जी यांचे साहित्य # 154 – देवा पांडुरंगा ☆ श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे ☆

देवा पांडुरंगा।

पाहसी का अंत।

दाटलीसे खंत।

माझ्या मनी।।१।।

 

गेली दोन सालं।

लेकरे बंदिस्त।

घातली रे गस्त।

कोरोनाने।।२।।

 

आषाढीची वारी।

निघे पांडुरंगा।

येऊ कैसे सांगा।

पंढरीत।।३।।

 

बालकात दिसे।

विठू रखुमाई।

शिकण्याची घाई।

तया लागी।।४।।

 

खडू फळा जणू।

टाळ नि मृदुंग।

पुस्तकात दंग।

पांडुरंग।।४।।

 

वाचतो मी नेमे।

अक्षरांची गाथा।

ज्ञानार्जनी माथा।

ठेवी नित्य।।५।।

 

पुन्हा जोडलीया।

शिक्षणाची नाळ।

विठाईच बाळ।

भासे मज ।।६।।

 

देवा पांडुरंगा।

आम्ही वारकरी।

शिक्षण पंढरी।

ध्यास ऊरी।।७।।

©  रंजना मधुकर लसणे

आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली

9960128105

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ मोबाईल ने चोरली माणुसकी… ☆ दत्तात्रय गणपतराव इंगळे ☆

? कवितेचा उत्सव ?

☆ मोबाईल ने चोरली माणुसकी… ☆ श्री दत्तात्रय गणपतराव इंगळे ☆

उन्हाळ्याची सुट्टी आता

मोबाईल ने चोरली,

मामाच्या गावाला जायची

मजाच निघून गेली!

 

मोबाईल ने चोरले

मुलांचे खेळणे,

मैदान ही झाले

आता सुने सुने!

 

मोबाईल ने चोरली

गोष्टीची पुस्तके,

आज्जी आजोबाही

आता शांत शांत झाले!

 

मोबाईल ने चोरल्या

गप्पा घरातल्या,

बंद झाले विचार

गोष्टी आपसातल्या!

 

मोबाईल ने माणसाची

माणुसकी चोरली,

आणि माणुसकी आता

संपत चालली…

माणुसकी आता संपत चालली…

 

© दत्तात्रय गणपतराव इंगळे

(आलूरकर)

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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