श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ मुक्तक  ☆ ।। लोक परलोक इसी धरती इसी जन्म में सुधरता है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1]

सौ बरस सामान क्यों रखा  बेहिसाब है।

सब कुछ छोड़कर जाना यही  साहब है।।

धरती पर रहके स्वर्ग सी जियो जिंदगी तुम।

मत सोचते रहो स्वयं स्वर्ग जाने का ख्वाब है।।

[2]

मानव बनकर जीना प्रभु इच्छा जनाब है।

बसअच्छे कर्म करो यही इसका जवाब है।।

नित प्रतिदिन करोंअपना स्व मूल्यांकन भी।

तजते रहो हर  आदत जो लगती खराब है।।

[3]

उम्र तकाजा शरीर भी एक दिन गल जाता है।

यह पद रुतबा सब कुछ जैसे ढल जाता है।।

रिश्तेनाते सब छूट जाते इस दुनिया लोक में।

बनकर राख अपना शरीर भी  जल जाता है।।

[4]

मधुरभाषा सुंदर सभ्य  जीवन जीना चाहिए।

उत्तम भाव,लगन, दिव्य जीवन जीना चाहिए।।

आंख की नमी दिल की संवेदना मत मरने देना।

इन सद्गुणों साथ भव्य जीवन जीना चाहिए।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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