श्री कमलेश भारतीय 

(जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब)  शिक्षा-  एम ए हिंदी, बी एड, प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । ‘यादों की धरोहर’ हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह – ‘एक संवाददाता की डायरी’ को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से  कथा संग्रह- महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति का पुरस्कार । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तीन वर्ष तक उपाध्यक्ष । दैनिक ट्रिब्यून से प्रिंसिपल रिपोर्टर के रूप में सेवानिवृत। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता)

☆ आलेख ☆ “बच्चों के नन्हे हाथों में मोबाइल न दो” ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

निदा फाजली ने बहुत शानदार शेर कहा –

बच्चों के नन्हे हाथों को चांद सितारे छू लेने दो

दो चार किताबें पढ़कर ये भी हम जैसे हो जायेंगे !

सच ही तो कहा लेकिन अब बच्चों के हाथों को चांद सितारे छूने तो नहीं दिये जा रहे उसकी जगह मोबाइल ने ले ली है । छोटे से छोटा बच्चा भी मोबाइल से खेल रहा है और मां बाप बड़े गर्व से बताते हैं कि यह तो हमसे भी एक्सपर्ट है । जैसे कभी घर आने पर अतिथियों को बच्चे से अंग्रेजी कविता सुनाने को बड़े गर्व की बात माना जाता था, आज मोबाइल चलाने को वही मान सम्मान दिया जा रहा है ।

इसके बावजूद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी सेटर ऑफ डेवलपिंग चाइल्ड के एक सर्वेक्षण के अनुसार बच्चों को शांत करने के लिए उसके हाथ में मोबाइल थमाना गर्व का नहीं , चिंता का विषय है । बहुत नुकसानदेह है । इससे कम उम्र में बच्चे की एकाग्रता और क्षमता बुरी तरह प्रभावित हो सकती है । ज्यादा समय मोबाइल की स्क्रीन पर बिताने वाले बच्चे दूसरे बच्चों से सही ढंग से घुल मिल भी नहीं पाते ! उनकी एकाग्रता घटती है और कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है । ये बातें शोध में सामने आई हैं । यह भी कि नौ साल से कम बच्चे के हाथ में मोबाइल से उसका अकादमिक प्रदर्शन प्रभावित होता है । मानसिक स्वास्थ्य भी बिगड़ता है । इसलिये बच्चों को मोबाइल थमाना उनका बचपन छीनने के बराबर है । बच्चों को ज्यादा बातचीत करने देनी चाहिए । उन्हें सोशल एक्टिविटीज यानी व्यायाम व योग आदि करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए । मोबाइल थामने वाले बच्चे भावनात्मक रूप से भी कमजोर होते हैं । शोध के अनुसार स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों में चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है । ये आक्रामक व्यवहार करने लगते हैं । इससे उलट बच्चों को अपने साथ छोटे छोटे कामों में लगाइये ! जैसे भी हो सके बच्चों को मोबाइल से दूर रखिये ।

एक वीडियो भी काफी देखने को मिलता है कि जब बच्चे के हाथ से मोबाइल ले लिया जाता है तब वह कैसे टांगें पटक पटक कर रोता है लेकिन जैसे ही मोबाइल हाथ में थमा दिया जाता है वैसे ही फिर हंसने लगता है । इस तरह मोबाइल ने बच्चों को बुरी तरह अपनी लपेट में ले लिया है । जैसे कोई नशा या लत लग गयी हो !

इसलिए –

बच्चों के नन्हे हाथों को मोबाइल न छूने दो !

बच्चों के नन्हे हाथों को चांद सितारे छूने दो !

© श्री कमलेश भारतीय

पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments