डाॅ. मीना श्रीवास्तव

☆ पर्यटक की डायरी से – मनोवेधक मेघालय – भाग-११ ☆ डॉ. मीना श्रीवास्तव ☆

(षोडशी शिलॉन्ग)

प्रिय पाठकगण,

आपको हर बार की तरह आज भी विनम्र होकर कुमनो! (मेघालय की खास भाषामें नमस्कार, हॅलो!)

फी लॉन्ग कुमनो! (कैसे हैं आप?)

प्रिय मित्रों, पिछली बार हमने शिलॉन्गका सफर शुरू किया| अब हम शिलॉन्ग में स्थित कुछ और नयनाभिराम स्थल देखेंगे| तो फिर चलिए, बहुत देर तक चलने की तैयारी करें!

एलिफेंट जलप्रपात (Elephant falls)

शिलॉन्ग के उत्तर भाग में एक अन्य सर्वांगसुंदर ऐसा स्थान है, जो कि पर्यटकों ने देखना ही चाहिए, ऐसा एलिफेंट फॉल! इस जलप्रपात के निकट हाथी के आकार की एक विशाल चट्टान थी, इसलिए ब्रिटिशों ने इसका नाम रखा एलिफेंट फॉल| परन्तु अब इस निर्झर के पास वह कुंजर सम महाकाय चट्टान नहीं रहा क्योंकि, १८९७ के भूकंप में वह नष्ट हो गया| लेकिन उसका नामकरण जिस नाम से हुआ, वहीं नाम आज भी प्रचलित है! शहर के मध्य से ११ किलोमीटर अंतर पर स्थित यह त्रिस्तरीय जलप्रपात (यह जलप्रपात तीन चरणों में गिरता है) देखने हेतु वर्षा ऋतू में जाना बेहतर है, श्वेत दुग्ध जैसी सैकड़ों फेनिल धाराओं की लयबद्ध सप्तसुरों से पूरे क्षेत्र को निनादित कर देने वाले इस जलप्रपात का प्राकृतिक रमणीय दर्शन मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। एक बार देखने पर दृष्टि हटती ही नहीं| अगर वर्षा ऋतू में जा रहे हैं, तो सीढ़ियों की उतरन ध्यानपूर्वक सम्हालते हुए एक स्तर देखिये, आँखों में समा जाये तो, नीचे उतरिये, दूसरा स्तर देखिये, फिर एक बार नीचे सीढ़ियों की उतरन, और सबसे गहरा तीसरा स्तर, जल का प्रवाह नीचे की ढलान में प्रवाहित होते हुए देखिए। सबसे नीचे इस मनोहरी तथा रमणीय नीलजलप्रपात का एकत्रित जल एक छोटेसे तालाब में समाहित होता है| तालाब के चारों ओर सदाहरित वनसम्पदा सदैव साथ में ही होती है! मित्रों, अब अगला कार्य कठिन ही समझिये, क्योंकि अब सीढ़ियां जो चढ़नी हैं! केवल निर्झर का ही नहीं बल्कि, उसे अनायास बाहुपाश में लेनेवाली नित्यहरित हरियाली का भी मनभावन दर्शन करते चलिए! खिलखिलाता हुआ यह झरना और उससे सटी, साथ देती हुई गहन हरीभरी पर्वतश्रृंखला! यह नेत्रदीपक और ‘पिक्चर परफेक्ट’ दृश्य नेत्रों और कैमरा में कैद कर लीजिये! ऐसा अभूतपूर्व दृश्य देखने के लिए शिलॉन्ग में पर्यटकों की भीड़ बड़ी संख्या में इकठ्ठी हो जाती है, इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है!

डॉन बॉस्को संग्रहालय (Don Bosco Museum)

यह संग्रहालय शिलॉन्ग शहर के मध्यबिंदू से ५ किलोमीटर अंतर पर सेक्रेड हार्ट चर्च के विस्तृत परिसर में स्थित है| कलासक्त, इतिहास प्रेमी, नावीन्य की नयी मार्गिका खोजने वाले, मेघालय की संस्कृति के बारे में जानने के लिए उत्सुक, इन सभी प्रकार के युवा और वृद्ध पर्यटकों का इस भवन में प्रेम से स्वागत किया जाता है। प्रारम्भ में ही एक पथदर्शक हमें इस संग्रहालय में ७ मंजिलों में स्थित विविध बड़े कमरों (दर्शक दीर्घाओं) के बारे में संक्षिप्त जानकारी देता हैं| परन्तु बाहर खड़े होकर इस भव्य-दिव्य संग्रहालय की रत्ती भर भी कल्पना नहीं की जा सकती| इस विशाल ७ मंजली इमारत में सत्रह अलग-अलग सुरम्य दर्शक दीर्घाएँ हैं! इसमें क्या नहीं है यह पूछिए! कला भवन (आर्ट गॅलरी), हस्तकला, कलावस्तू, पोशाक, गहने और ईशान्य भारत के विविध जनजातियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों का एक विस्तृत संग्रह यहां भर भर कर रखा गया है। संपूर्ण ईशान्य भारत के विहंगम दृश्यों की एकत्रित रम्य दर्शिका एक ही स्थान पर साध कर रखी है इस दर्शनीय संग्रहालय में!

यहाँ इतना कुछ देखने लायक है, कि पर्यटकों का संपूर्ण संतुष्ट होना काफी मुश्किल है! यह सब देखने के लिए एक पूरा दिन भी कम ही होगा! कितना कुछ नजरों में समाहित करें और फोटो भी कितने खींचें! “कुछ तो बाकी रह गया”, हमारी ऐसी अवस्था प्रत्येक मंजिल पर हो जाती है| इसीलिये अगर समय की कमी है तो, आप ब्रोशर को ध्यान से देखकर अपनी पसंद की मंजिलों का चयन कीजिये और जब तक संतुष्ट न हों तब तक उन्हें शांति से देखें। मैंने अपनी पसन्दानुरूप ‘आर्ट गॅलरी’ में मनमाफिक आनंदपूर्वक समय बिताया! इस इमारत का सबसे रोमांचक बिंदु निश्चित रूप से ७ वीं (शीर्ष/ऊपर वाली) मंजिल है “स्काय वॉक”| हम जब वहां पहुँचे तब थोड़े समय पहले बारिश आ चुकी थी, इसलिए मार्ग थोडासा फिसलन भरा था, यहाँ गोल गुम्बद के चारों ओर घूमकर शिलॉन्ग का मनमोहक नज़ारा देखना एक चरम मनोज्ञ अनुभव है। क्या देखना है, उस खास बिंदु पर लिखा है ही, अलावा इसके फोटो खींचना तो अनिवार्य है ही, परन्तु प्रिय मित्रों, सेल्फी लेते वक्त सावधानी बरतें! चौथी मंज़िल पर एक बढ़िया कॅफे है! उसीके बगल में ईशान्य भारत का ख़ूबसूरत दर्शन कराने वाली फिल्म एक छोटेसे सिनेमाघर में अवश्य ही देखना चाहिए। संक्षेप में बताऊँ तो यह भव्य दिव्य संग्रहालय ईशान्य भारत की सांस्कृतिक सम्पन्नता को दर्शाने वाली एक रेखात्मक चित्र-गैलरी ही समझ लीजिये!

कॅथेड्रल ऑफ मेरी हेल्प ऑफ ख्रिश्चनस

शिलॉन्ग में स्थित यह चर्च कॅथोलिक आर्कडिओसीस का कॅथेड्रल और शिलाँग के मेट्रोपॉलिटन आर्चबिशप के आसन के रूप में प्रसिद्ध है| शहर के मध्य बिंदु से केवल २ किलोमीटर दूर यह चर्च पर्यटकों की बहुत ही पसंदीदा जगह है| लगभग ५० वर्ष पूर्व निर्मित यह कॅथेड्रल शिलॉन्ग आर्कडिओसेस के साढे तीन लाख से भी अधिक कॅथलिक लोगों का मुख्य प्रार्थनास्थल है| उसमें पूर्व खासी हिल्स और री-भोई जिलों का भी समावेश है (कुल ३५ चर्च)| यह चर्च Laitumkhrah इस भाग में है| इस चर्च का नाम येशू के Mary the mother के नाम के पर दिया गया है| मदर मेरी के पुतले सहित यह शुभ्र धवल  संगमरमर की इमारत अति भव्य और शोभायमान दिखती है| इस चर्च की खासियत है ऊँची कमानें (मेहराब) और बेहतरीन रंगों से सुशोभित कांच की खिड़कियां! कॅथेड्रल के अंदर क्रॉस की कुछ सुंदर टेराकोटा स्टेशन्स हैं, जो येशू के जीवन की घटनाएं दर्शाती हैं| इस भाग में प्रमुख रूप से येशू ख्रिस्त की यातनाएं और मृत्यूविषयक चित्रों के दर्शन होते हैं| ये चित्र जर्मनी की एक कला संस्था ने तैयार किये हैं| साथ ही यहाँ पवित्र शास्त्र और संतों के जीवन के दृश्य चित्रित किये गए हैं| फ्रान्स में १९४७ साल में तैयार किये गए शीशे के अप्रतिम रंगीन दरवाजे इस चर्च की एक और विशेषता है! मुख्य वेदी के सामने बाँयी ओर शिलॉन्ग के पहले मुख्य बिशप ह्युबर्ट डी’रोसारियो की कब्र है| कब्र के आगे और मेरी तथा बाल येशू के पुतले के सामने एक और वेदी है| यहाँ के पवित्र वातावरण में कुछ समय शांति से बैठने का मन जरूर करता है! यहाँ हर महीने में नौ दिन विशेष भक्ति की जाती है| ऊँची पहाड़ी पर स्थित और वहीं उकेरा गया है ग्रोटो चर्च, जो कॅथेड्रल के ठीक नीचे स्थित है, हम इस ग्रोटो चर्च को भी भेंट दे सकते हैं|

वॉर्ड्’स लेक (Ward’s Lake)

यह सुंदर मानवनिर्मित तालाब शहर के मध्यभाग में राजभवन के निकट स्थित है| आसपास रम्य उपवन होने के कारण इस तालाब का परिसर सदैव छोटे बड़े लोगों से भरपूर भरा होता है| यहाँ का एक आकर्षण है, स्वचलित विभिन्न आकारों की नौकायन नौकाएँ। पैरों की मदद लेकर आराम से नियंत्रित की जाने वाली इन नौकाओं में सुख चैन से विहार कीजिये, साथ ही हरीभरी वृक्षलताओं का दर्शन करते करते नौकायन करते रहिये| तालाब के ऊपर इस पार्क तथा बोटॅनिकल गार्डन को जोड़ने वाला पुल है, इसके नीचे से नौका आगे ले जाएँ| इस तालाब में बगुलों की श्वेत पंक्तियाँ तैरती रहती हैं| नौका के निकट आते ही वें बिखर जाती हैं| सूरज के ढ़लते ही नौकायन बंद होता है, उसके बाद ही उनका संपूर्ण तालाब में स्वच्छंद विहार आरम्भ होता है! कुल मिलाकर यहीं सच है कि, कोई भी जानवर या पक्षी इंसानों पर भरोसा नहीं करता! नौकायन का आनंद उपभोगने के बाद इस तालाब के चारों ओर फैले उपवन की पगडंडियों पर बढ़िया चहलकदमी या सिर्फ रिलैक्स करने का भी मज़ा उठाइये। प्राकृतिक परिवेश और अत्यधिक साफ-सफाई इस पार्क को अवश्य ही देखने लायक बनाती है!

थंगराज गार्डन

यह विशाल उपवन भी बहुत सुरम्य है| विविध प्रकार के पेड़पौधों और फूलों की क्यारियों से फूला, प्राकृतिक सौंदर्य से अभीभूत या स्थान सचमुच ही देखने लायक है| अंदर प्रवेश करते ही क्या देखना चाहिए, इसका मार्गदर्शक बोर्ड नजर आता है| गार्डन में टहलते हुए आप देखेंगे कि, विशिष्ट स्थान पर स्थित वृक्षलताओं की जानकारी देने वाले बोर्ड हर जगह दिखाई देते हैं। उपवन को घेरा डालने वाली पगडंडियां और उनका बाड़(compound), नीचे नजर डालेंगे तो शिलॉन्ग का विहंगम नजारा देखते ही बनता है| सीढ़ियां चढ़नेपर विविध रंगों की वृक्षराजी दृष्टिगत होती है| यहाँ फोटो खींचने लायक बहुतसी सिनेमास्कोप जगहें हैं, साथ ही अंदर शीशे के घर में एक सुंदर नर्सरी (ग्रीनहाऊस) है!

प्रिय मित्रों, हमने आराम से चहलकदमी करते हुए शिलाँग का अद्भुत सफर किया| अभी भी ‘मुझे कुछ कहना है’| वह हम अगले अर्थात अन्तिम भाग में जानेंगे| फ़िलहाल कलम को विराम देती हूँ!

खुबलेई! (khublei) (यानि खास खासी भाषा में धन्यवाद!)

टिप्पणी – 

*लेख में दी जानकारी लेखिका के अनुभव और इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी पर आधारित है| यहाँ की तसवीरें व्यक्तिगत हैं!

*गाने और विडिओ की लिंक साथ में जोड़ रही हूँ| (लिंक अगर न खुले तो, गाना/ विडिओ के शब्द यू ट्यूब पर डालने पर वे देखे जा सकते हैं|)

Shillong city |Capital of Meghalaya | Informative Video

 

PYNNEH LA RITI || by kheinkor composed by apkyrmenskhem

© डॉ. मीना श्रीवास्तव

ठाणे 

मोबाईल क्रमांक ९९२०१६७२११, ई-मेल – [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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