? कवितेचा उत्सव ?

☆ || वंदन गणेशा || ☆ म. ना. दे. (श्री मयुरेश देशपांडे) ☆

   वंदन गणेशा| पाठीशी सर्वेशा|

   सदैव विघ्नेशा| सकलांचा|| धृ ||

 

   तू विश्वचक्षूंनी| कली निर्दालूनी|

   आनंदी करूनी| चराचर|| ०१ ||

 

   शोभे एकदंत| असे भाग्यवंत|

   होई कृपावंत| प्रार्थनेने|| ०२ ||

 

   नमो लंबोदर| असत्या प्रहार|

   सत्याचा विचार| सांगतसे|| ०३ ||

 

   हे वक्रतुंडाय| पापांसी क्षेमाय|

   भक्त रक्षणाय| धावून ये|| ०४ ||

 

   चौसष्ठ कलांचा| आहे अधिष्ठाता|

   सृष्टीचा निर्माता| गजानन|| ०५ ||

 

   तव चतुर्भुजे| शस्त्र शास्त्र साजे|

   तिन्ही लोक पूजे| मयुरेशा|| ०६ ||

 

कवी : म. ना. दे.

(होरापंडीत मयुरेश देशपांडे)

+९१ ८९७५३ १२०५९ 

https://www.facebook.com/majhyaoli/ 

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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Mayuressh Deshpande

माझ्या साहित्याला इथे सन्मान दिल्याबद्दल आपला ऋणी आहे.