(वरिष्ठतम साहित्यकार आदरणीय डॉ कुन्दन सिंह परिहार जी का साहित्य विशेषकर व्यंग्य एवं लघुकथाएं ई-अभिव्यक्ति के माध्यम से काफी पढ़ी एवं सराही जाती रही हैं। हम प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – “परिहार जी का साहित्यिक संसार” शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहते हैं। डॉ कुंदन सिंह परिहार जी की रचनाओं के पात्र हमें हमारे आसपास ही दिख जाते हैं। कुछ पात्र तो अक्सर हमारे आसपास या गली मोहल्ले में ही नज़र आ जाते हैं। उन पात्रों की वाक्पटुता और उनके हावभाव को डॉ परिहार जी उन्हीं की बोलचाल की भाषा का प्रयोग करते हुए अपना साहित्यिक संसार रच डालते हैं।आज प्रस्तुत है आपका एक अप्रतिम व्यंग्य – ‘बलिहारी गुरु आपने ‘। इस अतिसुन्दर रचना के लिए डॉ परिहार जी की लेखनी को सादर नमन।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – परिहार जी का साहित्यिक संसार # 277 ☆
☆ व्यंग्य – बलिहारी गुरु आपने ☆
कुंभ-स्नान के लिए नहीं जा पाया। दिल में बहुत मलाल है। गंगा मैया क्षमा करें। कारण यह है कि जाड़े में घर में ही स्नान मुल्तवी हो जाता है, भीड़-भाड़ और धक्का-मुक्की में प्रयागराज पहुंचकर इस कंचन काया को ठंडे पानी में कैसे डुबाया जाए? सयाने कह गये हैं कि ‘काया राखे धरम’ होता है। एक बाबाजी कुंभ-स्नान के लिए न पहुंचने वालों को ‘देशद्रोही’ की संज्ञा दे चुके हैं। डर लगता है कि कहीं शासन बाबाजी के कहने के हिसाब से कार्यवाही न करने लगे। आजकल बाबाओं की बड़ी कद्र है। देश के बेरोज़गार युवकों को भी बाबागिरी में अच्छा विकल्प दिख रहा है। इसमें किसी डिग्री की दरकार नहीं है और इज़्ज़त के साथ दक्षिणा भरपूर है।
धर्माचार्य कह रहे हैं कि कुंभ में नहाने से मोक्ष मिलेगा। मतलब यह कि मेरे जैसे स्नान-भीरु लोगों को बार-बार जन्म लेना पड़ेगा। मोक्ष नहीं मिलेगा। दूसरों की तो मैं नहीं जानता, लेकिन अपने मन की बात बताऊं कि अभी मोक्ष की इच्छा नहीं है। यह दुनिया कंबख़्त इतनी दिलकश है कि बार-बार जन्म लेने की इच्छा होती है। बस शर्त यह है कि जन्म मनुष्य के रूप में और ऊंची जाति में मिले। नीची जाति में जन्म लेकर फजीहत झेलने से तो मोक्ष अच्छा। मनुष्य की ऊंची जाति में जन्म के साथ यह भी ज़रूरी होगा कि पैसा-कौड़ी का अभाव न रहे। कोई मलाईदार पद मिलता रहे तो सोने में सुहागा होगा।
कुंभ के दृश्य टीवी पर देखते देखते एक बाबा ने ध्यान खींचा। कद 3 फुट 8 इंच, नाम छोटू बाबा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि छोटू बाबा ने 32 साल से स्नान नहीं किया है। उनके दर्शन से मन में भक्ति उमड़ पड़ी। मोक्ष के अयोग्य होने की ग्लानि एकदम छंट गयी। मनोबल ठाठें मारने लगा। लगा कि ऐसे ही गुरू को मैं अरसे से तलाश रहा था। अब जाकर तलाश पूरी हुई।
छोटू बाबा ने बताया कि उन्होंने कोई व्रत लिया था और उसके पूरा होने पर वे उज्जैन में स्नान करेंगे। मेरे दिमाग में सवाल उठा कि जब उन्हें नहाना नहीं था तो वे कुंभ में किस लिए पधारे थे?
जो भी हो, अपने न नहाने के व्रत की बात उजागर करने के बाद भी लोग छोटू बाबा को पूज रहे थे, उन्हें दक्षिणा दे रहे थे, उनके फोटो खींच रहे थे, उनका आशीर्वाद ले रहे थे। देखकर मुझे लगा कि नहाने से परहेज़ करना कोई शर्म की बात नहीं है। बिना नहाये भी आदमी अपने मनोबल को ऊंचा रख सकता है और दुनिया से वैराग्य होने पर सन्त महन्त का दर्ज़ा पा सकता है। सोच लिया कि अब यदि न नहाने को लेकर घर में लानत- मलामत होगी तो छोटू बाबा को सामने रखकर पुख्ता जवाब दे सकूंगा।
टीवी पर छोटू बाबा के दर्शन होने के बाद मन में बड़ी बेचैनी है। बलवती इच्छा है कि कुंभ की गहमा-गहमी और सर्दी कुछ हल्की हो तो छोटू बाबा को ढूंढ़ कर उनके चरण पकड़ूं और मुझे अपना शिष्य बना लेने की प्रार्थना करूं। मेरे लिए उनसे बेहतर गुरू हो नहीं सकता। मैंने भी व्रत ले लिया है कि अपना अगला स्नान गुरू जी के साथ उज्जैन में ही करूंगा। महाजनो येन गत: स पंथा:।
(ई-अभिव्यक्ति में मॉरीशस के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर जी का हार्दिक स्वागत। आपकी रचनाओं में गिरमिटया बन कर गए भारतीय श्रमिकों की बदलती पीढ़ी और उनकी पीड़ा का जीवंत चित्रण होता हैं। आपकी कुछ चर्चित रचनाएँ – उपन्यास – चेहरों का आदमी, छोटी मछली बड़ी मछली, पूछो इस माटी से, बनते बिगड़ते रिश्ते, पथरीला सोना। कहानी संग्रह – विष-मंथन, जन्म की एक भूल, व्यंग्य संग्रह – कलजुगी धरम, चेहरों के झमेले, पापी स्वर्ग, बंदे आगे भी देख, लघुकथा संग्रह – चेहरे मेरे तुम्हारे, यात्रा साथ-साथ, एक धरती एक आकाश, आते-जाते लोग। आपको हिंदी सेवा के लिए सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन सूरीनाम (2003) में सम्मानित किया गया। इसके अलावा आपको विश्व भाषा हिंदी सम्मान (विश्व हिंदी सचिवालय, 2013), साहित्य शिरोमणि सम्मान (मॉरिशस भारत अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 2015), हिंदी विदेश प्रसार सम्मान (उ.प. हिंदी संस्थान लखनऊ, 2015), श्रीलाल शुक्ल इफको साहित्य सम्मान (जनवरी 2017) सहित कई सम्मान व पुरस्कार मिले हैं। हम श्री रामदेव जी के चुनिन्दा साहित्य को ई अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों से समय समय पर साझा करने का प्रयास करेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी स्त्री विमर्श पर आधारित एक विचारणीय गद्य क्षणिका “– थपेड़े –” ।)
~ मॉरिशस से ~
☆ गद्य क्षणिका ☆ — थपेड़े —☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆
आकाश प्रेम से देखता था, चाँद आत्मीयता से तकता था, पृथ्वी खुशी से स्पंदित होती थी। यह एक बालक के जन्म का उत्सव था। अच्छा करने में बालक की अद्भुत लगन थी। पर बालक बड़ा होने की प्रक्रिया में परिवर्तित दिखायी दिया। तब तो आकाश, चाँद और पृथ्वी का उत्सव शिथिल पड़ गया। बालक पूर्व जन्म से कुछ ले कर धरती पर आया था जिसे जमाने के थपेड़ों ने नष्ट करके उसे अपने धरातल पर खड़ा कर लिया था।
Anonymous Litterateur of social media # 224 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 224)
Captain Pravin Raghuvanshi NM—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. An alumnus of IIM Ahmedabad was involved in various Artificial and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’. He is also the English Editor for the web magazine www.e-abhivyakti.com.
Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc.
Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi. He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper. The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.
In his Naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Awards and C-in-C Commendation. He has won many national and international awards.
He is also an IIM Ahmedabad alumnus.
His latest quest involves writing various books and translation work including over 100 Bollywood songs for various international forums as a mission for the enjoyment of the global viewers. Published various books and over 3000 poems, stories, blogs and other literary work at national and international level. Felicitated by numerous literary bodies..!
English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 224
(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक पूर्णिका – गौरैया मुंडेर पर!।)
विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ?
☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (24 फरवरी से 2 मार्च 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆
जय श्री राम। समय की सबसे छोटी इकाई जैसे क्षण सेकंड निमिष आदि भी आपको बदलने की योग्यता रखते हैं। एक सेकंड के अंतर से आप दुर्घटना से बच सकते हैं, ट्रेन पर चढ़ सकते हैं और कई अन्य कार्य संपन्न कर सकते हैं। परंतु यही एक सेकंड की देरी आपको दुर्घटनाग्रस्त कर सकती है, ट्रेन छूट सकती है और आपके कई कार्य लंबित हो सकते हैं। इस सप्ताह में आपका क्या-क्या बन सकता है या बिगाड़ सकता है यही बताने के लिए मैं पंडित अनिल पांडे आपके सामने 24 फरवरी से 2 मार्च 2025 के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के साथ उपस्थित हूं।
इस सप्ताह 24 तारीख को की 8:57 PM से मंगल ग्रह मार्गी हो जाएगा, 27 तारीख को 10:53 AM से बुध मीन राशि में प्रवेश करेगा तथा 2 मार्च को शुक्र ग्रह 3:16 ए एम से वक्री हो जाएगा। इस सप्ताह सूर्य कुंभ राशि में, गुरु वृष राशि में, शुक्र मीन राशि में, शनि कुंभ राशि में और बक्री राहु मीन राशि में गोचर करेंगे।
आइये अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।
मेष राशि
इस सप्ताह आपका, आपके जीवनसाथी का, आपके माताजी और पिताजी सभी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपकी संतान को कुछ समस्याएं हो सकती हैं। आपको अपनी संतान का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। भाई बहनों के साथ संबंध अच्छे और बुरे रहेंगे। धन आने का योग है। इस सप्ताह आपके लिए 25 और 26 फरवरी कार्यों को करने हेतु अनुकूल है। एक और दो फरवरी को आपको सावधान होकर कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।
वृष राशि
सामान्य तौर पर इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। परंतु पेट की समस्या हो सकती है। आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। धन आने का योग है। कार्यालय में आपको सावधान रहकर कार्यों को करना चाहिए। हो सकता है इस सप्ताह आपको कई प्रकार के कार्य करने के लिए मिलें। इस सप्ताह आपको अपने संतान से कम सहयोग प्राप्त होगा। इस सप्ताह आपके लिए 27 और 28 फरवरी कार्यों को करने के लिए लाभदायक है। 24 फरवरी को आपके द्वारा किए गए कार्य असफल हो सकते हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन स्नान करने के उपरांत तांबे के में पात्र में जल अक्षत और लाल पुष्प डालकर भगवान सूर्य को जल अर्पण करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।
मिथुन राशि
इस सप्ताह आपके कार्यालय में प्रतिष्ठा प्राप्त हो सकती है। कचहरी के कार्यों में सावधानी बरतें। आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। भाग्य से कोई विशेष मदद नहीं मिलेगी। इस सप्ताह आपके लिए 24 फरवरी और एक तथा 2 मार्च लाभदायक है। 25 और 26 फरवरी को आपको सावधान रहकर कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।
कर्क राशि
इस सप्ताह आपका, आपके जीवनसाथी का, माता जी का और पिताजी का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। इस सप्ताह आपके पास धन की थोड़ी कमी हो सकती है। कचहरी के कार्य में सावधानी बरतें। इस सप्ताह भाग्य आपका पूर्ण रूपेण साथ देगा। इस सप्ताह आपको दुर्घटनाओं से सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी। इस सप्ताह आपके लिए 25 और 26 फरवरी अनुकूल है। 24, 27 और 28 फरवरी को आपको सावधान होकर कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।
सिंह राशि
यह सप्ताह सामान्य तौर पर आपके लिए ठीक-ठाक रहेगा। आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा यथावत रहेगी। दुर्घटनाओं से आप बचेंगे धन आने के मार्ग में बाधा है। माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। समाज में आपकी प्रतिष्ठा ठीक-ठाक रहेगी। आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 27 और 28 फरवरी किसी भी कार्य को करने के लिए अनुकूल है। सप्ताह के बाकी दिनों में आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।
कन्या राशि
अविवाहित जातकों के लिए यह सप्ताह ठीक रहेगा। विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं। आपके जीवनसाथी के लिए सप्ताह उत्तम है। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में कमी हो सकती है। आपको कार्यालय के कार्यों में सावधान रहना चाहिए। आपके स्वास्थ्य में भी थोड़ी खराब भी हो सकती है। इस सप्ताह आपको अपने शत्रुओं से सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 24 फरवरी तथा एक और दो मार्च कार्यों को करने के लिए लाभदायक हैं। 27 और 28 फरवरी को आपको सचेत रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन लाल मसूर की दाल का दान करें और मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।
तुला राशि
इस सप्ताह आपके सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि हो सकती है। माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य भी ठीक-ठाक रहेगा। यह समय कचहरी के कार्यों में रिस्क लेने का नहीं है। पेट की बीमारियों से बचने का प्रयास करें। अगर आप प्रयास करेंगे तो आप शत्रुओं को पराजित कर सकते हैं। छात्रों की पढ़ाई ठीक-तक चलेगी। आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त होगा। इस सप्ताह आपके लिए 25 और 26 फरवरी कार्यों को करने के लिए फलदायक है। एक और दो मार्च को आपको कोई भी कार्य बड़े सावधानी पूर्वक करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।
वृश्चिक राशि
इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके संतान की प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक रहेगा। थोड़ा बहुत धन आ सकता है। माता जी को परेशानी हो सकती है। आप अपनी प्रतिष्ठा के प्रति सतर्क रहें अन्यथा प्रतिष्ठा में हानि संभव है। छात्रों की पढ़ाई ठीक-ठाक चलेगी। इस सप्ताह आपके लिए 27 और 28 फरवरी परिणाम दायक है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।
धनु राशि
इस सप्ताह आपके प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी आ सकती है। आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। भाई बहनों के साथ संबंध थोड़ा खराब हो सकते हैं। आपको पेट में तकलीफ हो सकती है। धन आने का योग है। इस सप्ताह आपके लिए 24 फरवरी तथा एक और दो मार्च कार्यों को करने के लिए उत्साहवर्धक हैं। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।
मकर राशि
इस सप्ताह आपके परिवार में लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपका, आपके जीवनसाथी का और आपके माता-पिता जी का तथा संतान का सभी का स्वास्थ्य ठीक रहने की उम्मीद है। भाई बहनों के साथ उत्तम संबंध बन सकते हैं। धन आने की उम्मीद है। आपके प्रयासों से आपके शत्रु पराजित हो सकते हैं। इस सप्ताह आपके लिए 25 और 26 फरवरी शुभ है। 24 फरवरी को आपको सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप घर की बनी पहली रोटी गौ माता को दें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।
कुंभ राशि
इस सप्ताह आपके पास धन आने की उम्मीद है। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे। कचहरी के कार्यों में आप सफलता प्राप्त कर सकते हैं परंतु इसके लिए आपको कठोर प्रयास करने पड़ेंगे। आपके स्वास्थ्य में बाधा पड़ सकती है। आपका मानसिक स्वास्थ्य थोड़ा खराब हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 27 और 28 फरवरी अच्छे हैं। 25 और 26 फरवरी को आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आप को चाहिए कि आप शनिवार को शनि मंदिर में जाकर पूजा पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।
मीन राशि
इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। अगर आप अविवाहित हैं तो विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं। प्रेम संबंधों में आपको फायदा होगा। कचहरी के कार्यों में सावधान रहें। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे। माता जी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रति आपको सतर्क रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 24 फरवरी तथा एक और दो मार्च कार्यों को करने के लिए उपयुक्त हैं। 27 और 28 फरवरी को आपको कोई भी कार्य बहुत सावधानी से करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गरीब लोगों के बीच में कंबल का दान करें तथा बच्चों के बीच में पुस्तकों का दान करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।
ध्यान दें कि यह सामान्य भविष्यवाणी है। अगर आप व्यक्तिगत और सटीक भविष्वाणी जानना चाहते हैं तो आपको मुझसे दूरभाष पर या व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।
(जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब) शिक्षा- एम ए हिंदी , बी एड , प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । यादों की धरोहर हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह -एक संवाददाता की डायरी को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से कथा संग्रह-महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति का पुरस्कार । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तीन वर्ष तक उपाध्यक्ष । दैनिक ट्रिब्यून से प्रिंसिपल रिपोर्टर के रूप में सेवानिवृत। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता)
☆ संस्मरण – आईएएस हो तो ऐसी संवेदनशील : दीप्ति उमाशंकर…☆ श्री कमलेश भारतीय ☆
हिसार में मैं सन् 1997 में आया था , पहली जुलाई से ! तब नहीं जानता था कि इस हिसार में कैसे पत्रकारिता में पांव जमा पाऊंगा ! रोशन लाल सैनी उपायुक्त थे और दीप्ति उमाशंकर अतिरिक्त उपायुक्त ! मुझे चंडीगढ़ मुख्य कार्यालय से चलने से पहले बहुत ही सुंदर विजाटिंग कार्ड बनवा कर दिये गये थे ताकि सभी अधिकारियों को जब मिलने जाऊं तब यह कार्ड मेरा ही नहीं, हमारे संस्थान का भी परिचय दे ! इस तरह मैं उपायुक्त रोशन लाल सैनी से मिला और उन्होंने बहुत ही गर्मजोशी से स्वागत् किया और विश्वास दिलाया कि वे मुझे खबर से बेखबर नहीं रहने देंगे ओर उन्होंने वादा निभाया भी । वे खुद लैंडलाइन पर फोन करते और खबर बताने के बाद कहते कि ये रहीं खबरें आज तक ! इंतज़ार कीजिये कल तक ! वाह! इतने ज़िंदादिल ! इतने खुशमिजाज ! उनकों एक शेर बहुत पस़ंद था :
माना कि इस गुलशन को गुलज़ार न कर सके
कुछ खार तो कम कर गये, निकले जिधर से हम!
इनके साथ ही दीप्ति उमाशंकर अतिरिक्त उपायुक्त थीं जबकि इनके पति वी उमाशंकर तब हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव ! इनसे मेरी अच्छी निभने लगी! हुआ यह कि एक दिन मैं इसी विश्वास में उपायुक्त दीप्ति उमाशंकर को भी अपना विजिटिंग कार्ड भेजकर मिलने चला गया । उन्होंने बहुत आदर से बुलाया, चाय मंगवाई और चाय पीते पीते मन में आया कि इनकी इंटरव्यू करूं ! जैसे ही मैंने यह बात उन्हें कही, वे एकदम असहज सी हो गयीं क्योंकि वे मीडिया से दूरी बना कर रखती थीं । उन्होंने कहा कि आप चाय लीजिए लेकिन इंटरव्यू नहीं ! इस तरह मैं चाय खत्म कर सीधे वी उमाशंकर के पास चला ! उन्हें सारी बात बताई ! उन्होंने कहा कि अच्छा ऐसे किया ! चलो, अब मैं मिलवाता हूँ उनसे और उन्होंने गाड़ी में बिठाया और फिर पहुंचे श्रीमती दीप्ति के पास ! श्री उमाशंकर ने कहा कि ये बहुत विश्वास के काबिल पत्रकार हैं, आप इनसे खबरें शेयर कर सकती हैं और फिर यह विश्वास आज तक बना हुआ है! वे कहती थीं कि यू आर वन ऑफ द बेस्ट जर्नलिस्ट इन हरियाणा!
जब स्वयं दीप्ति उमाशंकर उपायुक्त बनीं तब सुबह सवेरे मैं इनसे बात कर लेता ! एक सुबह बातों बातों में बताया कि बालसमंद गांव से एक छोटे से बच्चे को लाकर अस्पताल में भर्ती करवाया है क्योंकि उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली और बाप बच्चे की तरफ से लापरवाह था, परिवार ने बच्चे को तबेले में रख छोड़ा था, जो बेचारा मिट्टी और गोबर खाकर जी रहा था, यह बात एक समाजसेविका सोमवती ध्यान में लाई और मैंने तुरंत बच्चे को सिविल अस्पताल पहुंचाया क्योंकि वह बहुत कमज़ोर हो चुका था !
अरे ! इतनी बड़ी बात और आप इतने सहज ढंग से बता रही हैं, आपने एक बच्चे को नवजीवन दिया है, आप आज सिविल अस्पताल में बच्चे का हाल चाल जानने पहुंचिए और मैं भी आऊंगा। मैं अपने कुछ साथी पत्रकारों के साथ पहुंच गया ! हिसार सिटी और हिसार दूरदर्शन पर उनका समाचार वायरल होने लगा और वे अपने स्वभावानुसार बहुत संकोच महसूस कर रही थीं ! फिर वह बच्चा स्वस्थ होने पर कैमरी रोड पर बने बालाश्रम को सौंप दिया गया ! वे वहाँ भी कुछ दिनों बाद उस बच्चे का हालचाल जानने गयीं, जिसका नाम लड्डू गोपाल रख दिया गया था ! जैसे ही लड्डू गोपाल को दीप्ति उमाशंकर के सामने लाया गया, वह बच्चा दौड़कर आया और उनकी टांगों से ऐसे लिपट गया जैसे उसे मां मिल गयी हो ! यह ममतामयी दीप्ति एक ऐसी ही आईएएस थीं ! बहुत संवेदनशील, बहुत भावुक ! यह दृश्य कभी नहीं भूल पाया ! उन्होंने एक कदम भी पीछे नहीं हटाया था कि मेरी साड़ी न खराब हो जाये बल्कि लड्डू गोपाल को प्यार से गोदी में उठा कर खूब लाड किया ! आज वह लड्डू गोपाल खूब बड़ा हो चुका होगा!
दूसरा ऐसा ही दृश्य याद है, जब वे हररोज़ लगभग ग्यारह बजे अपने कार्यालय से सटे छोटे से मीटिंग हाल में बैठकर सचिवालय आये लोगों की समस्यायें सुनतीं और तत्काल संबंधित अधिकारी को बुलातीं और वहीं समाधान करवा देतीं ! एक दिन हांसी के निकटवर्ती गा़व से एक युवा महिला आई अपनी समस्या लेकर और दीप्ति ने उस अधिकारी को फोन लगाया तो पता चला कि वह अधिकारी छुट्टी पर है ! इस पर उन्होंने महिला से कहा, कि कल आ जाना ! वह तो फूट फूट कर रोने लगी और बोली मैं तो आज भी किसी से पैसे उधार मांग कर आई हूँ । किराया लगाने के लिए मेरे पास कल पैसे कहां से आयेंगे !
इस पर दीप्ति ने अपना पर्स खोला और सौ रुपये का नोट थमाते कहा कि अब तो कल आ सकती हो न !
जब वह चली गयी तब मैंंने कहा कि अब तो आपके खुले दरबार में भीड़ और भी ज्यादा होती जायेगी !
– वह कैसे और क्यों?
– अब तो आप आने जाने का टी ए, डी ए भी तो देने लगीं !
वे बोलीं कि भाई! देखे नहीं गये उसके आंसू! इतनी संवेदनशील, सहृदय! दोनों पति पत्नी हिसार में अलग अलग पदों पर लगभग बारह साल रहे और सन् 2003 को जब मुझे कथा संग्रह ‘ एक संवाददाता की डायरी’ पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के हाथों पचास हज़ार रुपये का सम्मान मिला, तब वे बहुत खुश हुईं और यह सम्मान अप्रैल माह में मिला था ! जब पंद्रह अगस्त आने वाला था तब ठीक एक दिन पहले दीप्ति उमाशंकर का फोन आया कि अभी आपको लोक सम्पर्क अधिकारी का फोन आयेगा, आप अपना बायोडेटा लिखवा देना!
– वह किसलिए?
– मेरे भाई जिसे देश का प्रधानमंत्री सम्मानित करे, उसे जिला प्रशासन को भी सम्मानित करना चाहिए कि नहीं ! कुछ हमारा भी फर्ज़ बनता है कि नहीं?
स्वतंत्रता दिवस के आसपास ही राखी भी आती है तो मैंने कहा कि बहन को राखी के दिन कुछ देते हैं, लेते नहीं ।
इस पर दीप्ति ने हंसकर जवाब दिया कि भाई अब घोर कलयुग आ गया है, भाई कुछ नही देते, बहनें ही भाइयों का ख्याल रखती हैं, बस, आप ऐसे ही अच्छा लिखते रहना!
कितने प्रसंग हैं! वे यहाँ से मुख्यमंत्री प्रकोष्ठ में भी रहीं और फिर अम्बाला की कमिश्नर भी! तब बेटी की शादी में आने का न्यौता एक माह पहले ही दिया वाट्सएप पर ! मैंने कहा, इतने समय तक तो भूल ही जायेगा ! उन्होंने जवाब दिया कि भूलने कैसे दूंगी ? याद दिलाती रहूंगी और आप, क्या यह न्यौता भूल जाओगे !
चलते चलते बताता चलूँ कि वे पंजाब के पटियाला से हैं और जब समय मिलता और नेता या समाजसेवी न रहते तब वे कहतीं कि अब तो प़जाबी बोल ले भाई !
बहुत बहुत सह्रदय आईएएस दम्पति उमाशंकर को आज यादों में फिर याद किया ! आजकल वी उमाशंकर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव हैंं जबकि दीप्ति दिल्ली में डेपुटेशन पर ! वह पारिवारिक रिश्ता आज भी कायम है ।
(श्री सुरेश पटवा जी भारतीय स्टेट बैंक से सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों स्त्री-पुरुष “, गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व प्रतिसाद मिला है। आज से प्रत्यक शनिवार प्रस्तुत है यात्रा संस्मरण – हम्पी-किष्किंधा यात्रा।)
यात्रा संस्मरण – हम्पी-किष्किंधा यात्रा – नरसिम्हा – भाग-१४ ☆ श्री सुरेश पटवा
विरुपाक्ष मंदिर दर्शन उपरांत हम लोग हम्पी के आइकोनिक पहचान वाले लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर पहुँचे। आप मुख्य सड़क मार्ग से इस स्थान तक पहुंच सकते हैं। यह मंदिर मुख्य सड़क पर मध्य में स्थित है जो इसको रॉयल सेंटर से जोड़ता है। कृष्ण मंदिर से लगभग 200 मीटर दक्षिण में मेहराब से होकर गुजरने वाली सड़क को पार करती हुई एक छोटी सी नहर दिखी। दाहिनी ओर एक कच्चा रास्ता आपको नरसिम्हा प्रतिमा और उसके बगल से मंदिर तक ले जाता है। मंदिर तो पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया था। लेकिन खंडित लक्ष्मी नरसिम्हा मूर्तिभंजक अत्याचार की कहानी कहती खड़ी है।
हेमकुटा पहाड़ी के विरुपाक्ष मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर दक्षिण में इसी रास्ते ओर दूसरी ओर कृष्ण मंदिर है, जिसे बालकृष्ण मंदिर भी कहा जाता है। हम्पी परिसर के इस हिस्से को शिलालेखों में कृष्णपुरा कहा गया है। खंडहर हो चुके मंदिर के सामने एक बाज़ार के बीच स्तंभयुक्त पत्थर की दुकान के खंडहरों के बीच एक चौड़ी सड़क है जो रथों को बाजार से सामान लाने और ले जाने के काम आती थी। उत्सव समारोहों के जुलूस निकला करते थे। इस सड़क के उत्तर में और बाजार के मध्य में एक बड़ी सार्वजनिक उपयोगिता वाली सीढ़ीदार पानी की टंकी है। टंकी के बगल में लोगों के बैठने के लिए एक मंडप है। मंदिर पूर्व की ओर खुलता है; इसमें नीचे मत्स्य अवतार से शुरू विष्णु के सभी दस अवतारों की नक्काशी वाला एक प्रवेश द्वार है। अंदर कृष्ण का खंडहर हो चुका मंदिर और देवी-देवताओं के छोटे-छोटे खंडहर हैं। मंदिर परिसर मंडपों में विभाजित है, जिसमें एक बाहरी और एक आंतरिक घेरा शामिल है। परिसर में दो गोपुरम प्रवेश द्वार हैं। इसके गर्भगृह में रखी बालकृष्ण की मूल छवि अब चेन्नई संग्रहालय में है। पूर्वी गोपुरा के सामने से एक आधुनिक सड़क गुजरती है, जो हम्पी के सबसे नज़दीक बस्ती कमलापुरम को हम्पी से जोड़ती है। पश्चिमी गोपुरम में युद्ध संरचना और सैनिकों की भित्तिचित्र हैं।
कृष्ण मंदिर के बाहरी हिस्से के दक्षिण में दो निकटवर्ती मंदिर हैं, एक में सबसे बड़ा अखंड शिव लिंग है और दूसरे में विष्णु का सबसे बड़ा अखंड योग-नरसिम्हा अवतार है। 9.8 फीट का शिव लिंग एक घनाकार कक्ष में पानी में खड़ा है और इसके शीर्ष पर तीन आंखें बनी हुई हैं। इसके दक्षिण में 22 फीट ऊंचे नरसिम्हा – विष्णु के नर-शेर अवतार – योग मुद्रा में बैठे हैं। नरसिम्हा मोनोलिथ में मूल रूप से देवी लक्ष्मी भी थीं, लेकिन इसमें व्यापक क्षति के संकेत और कार्बन से सना हुआ फर्श दिखाई देता है – जो मंदिर को जलाने के प्रयासों का सबूत है। प्रतिमा को साफ कर दिया गया है और मंदिर के कुछ हिस्सों को बहाल कर दिया गया है।
नरसिम्हा हम्पी की सबसे बड़ी मूर्ति है। नरसिम्हा विशाल सात सिर वाले शेषनाग की कुंडली पर बैठे हैं। साँप का फन उसके सिर के ऊपर छत्र के रूप में है। भगवान घुटनों को सहारा देने वाली बेल्ट के साथ (क्रॉस-लेग्ड) पालथी योग मुद्रा में हैं। इसे उग्र नरसिम्हा अर्थात अपने भयानक रूप में नरसिम्हा भी कहा जाता है। उभरी हुई आंखें और चेहरे के भाव ही इस नाम का आधार हैं। तालीकोटा के युद्ध के बाद इस मूर्ति को पूरी तरह ध्वस्त करने के प्रयास आयातितों ने किए। पत्थर को जब नहीं तोड़ा जा सका तो इसे गंदगी से अपवित्र किया गया। चारों तरफ़ आग लगाकर नष्ट करने के प्रयास हुए। फिर भी यह मूर्ति वर्तमान स्वरूप में बच गई।
मूल प्रतिमा में लक्ष्मी की छवि भी थी, जो उनकी गोद में बैठी थीं। लेकिन मंदिर तोड़ने के दौरान यह मूर्ति गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गई। यहां तक कि उनकी गोद में उकेरी गई लक्ष्मी की मूर्ति का क्षतिग्रस्त हिस्सा गायब है। संभवतः यह छोटे-छोटे टुकड़ों में इधर-उधर बिखर गई होगी। लेकिन देवी का हाथ आलिंगन मुद्रा में देव की पीठ पर टिका हुआ दिखाई देता है। अगर आपको इस घेरे के अंदर जाने का मौका मिले तो देवी का हाथ दिख सकता है। यहां तक कि उसकी उंगलियों पर नाखून और अंगूठियां भी बहुत अच्छी तरह से बनाई गई हैं। किसी तरह यह अकेली मूर्ति एक ही समय में प्रदर्शित कर सकती है कि मानव मन कितना रचनात्मक और विनाशकारी हो सकता है। नरसिम्हा दर्शन करके दाहिनी तरफ़ देखा तो कुछ दुकानों के बीच से विट्ठल मंदिर गोपुर दिखा। कदम बरबस ही इस बिट्ठल मंदिर की ओर बढ़ गए।
(डा. मुक्ता जीहरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक एवं माननीय राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित/पुरस्कृत हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य” के माध्यम से हम आपको प्रत्येक शुक्रवार डॉ मुक्ता जी की उत्कृष्ट रचनाओं से रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। आज प्रस्तुत है डॉ मुक्ता जी की मानवीय जीवन पर आधारित एक विचारणीय आलेख बढ़ती संवेदनशून्यता– कितनी घातक। यह डॉ मुक्ता जी के जीवन के प्रति गंभीर चिंतन का दस्तावेज है। डॉ मुक्ता जी की लेखनी को इस गंभीर चिंतन से परिपूर्ण आलेख के लिए सादर नमन। कृपया इसे गंभीरता से आत्मसात करें।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य # 267 ☆
☆ बढ़ती संवेदनशून्यता– कितनी घातक… ☆
‘कुछ अदालतें वक्त की होती हैं, क्योंकि जब समय जवाब देता है, ग़वाहों की ज़रूरत नहीं होती और सीधा फैसला होता है’ कोटिशः सत्य हैं और आजकल इनकी दरक़ार है। आपाधापी व दहशत भरे माहौल में चहुँओर अविश्वास का वातावरण तेज़ी से फैल रहा है। हर दिन समाज में घटित होने वाली फ़िरौती, दुष्कर्म व हत्या के हादसों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। संवेदनहीनता इस क़दर बढ़ रही है कि इंसान इनका विरोध करने का साहस नहीं जुटा पाता बल्कि ग़वाही देने से भी भयभीत रहता है, क्योंकि वह हर पल दहशत में जीता है और सदैव आशंकित रहता है कि यदि उसने ऐसा कदम उठाया तो वह और उसका परिवार सुरक्षित नहीं रहेगा। सो! उसे ना चाहते हुए भी नेत्र मूँदकर जीना पड़ता है।
आजकल किडनैपिंग अर्थात् अपहरण का धंधा ज़ोरों पर है। अपहरण बच्चों का हो, युवकों-यवतियों का– अंजाम एक ही होता है। फ़िरौती ना मिलने पर उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है या हाथ-पाँव तोड़कर बच्चों से भीख मंगवाने का धंधा कराया जाता है या ग़लत धंधे में झोंक दिया जाता है, जहाँ वे दलदल में फंस कर रह जाते हैं। जहाँ तक बालिकाओं के अपहरण का संबंध है, उनकी अस्मिता से खिलवाड़ होता है और उन्हें दहिक शोषण के धंधे में धकेल कोठों पर पहुंचा दिया जाता है। वहाँ उन्हें 30-40 लोगों की हवस का शिकार बनना पड़ता है। रात के अंधेरे में सफेदपोश लोग उन बंद गलियों में आते हैं, अपनी दैहिक क्षुधा शांत कर भोर होने से पहले लौट जाते हैं, ताकि वे समाज के समक्ष दूध के धुले बने रहें और सारा इल्ज़ाम उन मासूम बालिकाओं व कोठों के संचालकों पर रहे।
जी हाँ! यही है दस्तूर-ए-दुनिया अर्थात् ‘शक्तिशाली विजयी भव’ अर्थात् दोषारोपण सदैव दुर्बल व्यक्ति पर ही किया जाता है, क्योंकि उसमें विरोध करने की शक्ति नहीं होती और यह सबसे बड़ा अपराध है। गीता में यह उपदेश दिया गया है कि ज़ुल्म करने वाले से बड़ा दोषी ज़ुल्म सहने वाला होता है। अमुक स्थिति में हमारी सहनशक्ति हमारे दुश्मन होती है, अर्थात् इंसान स्वयं अपना शत्रु बन जाता है, क्योकि वह ग़लत बातों का विरोध करने का सामर्थ्य नहीं रखता। मेरे विचार से जिस व्यक्ति में ग़लत को ग़लत कहने का साहस नहीं होता, उसे जीने का अधिकार नहीं होना चाहिए। सत्य की स्वीकार्यता व्यक्ति का सर्वोत्तम गुण है और इसे अहमियत ना देना जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी है।
आजकल लिव-इन का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। इसमें दोष युवतियों का है, जो अपने माता-पिता के प्यार-दुलार को दरक़िनार कर, उनकी अस्मिता को दाँव पर लगाकर एक अनजान व्यक्ति पर अंधविश्वास कर चल देती है उसके साथ विवाह पूरव उसके साथ रहने ताकि वह उसे देख-परख व समझ सके। परंतु कुछ समय पश्चात् जब वह पुरुष साथी से विवाह करने को कहती है, तो वह उसकी आवश्यकता को नकारते हुए यही कहता है कि विवाह करके ज़िम्मेदारियों का बोझ ढोनेने का प्रयोजन क्या है– यह तो बेमानी है। परंतु उसके आग्रह करने पर प्रारंभ हो जाता है मारपीट का सिलसिला, जहाँ उसे शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। श्रद्धा व आफ़ताब, निक्की व साहिल जैसे जघन्य अपराधों में दिन-प्रतिदिन इज़ाफा होता जा रहा है। युवतियों के शरीर के टुकड़े करके फ्रिज में रखना, उन्हें निर्जन स्थान पर जाकर फेंकना इंसानियत की सभी हदों को पार कर जाता है। साहिल का निक्की की हत्या करने के पश्चात् दूसरा विवाह रचाना सोचने पर विवश कर देता है कि इंसान इतना संवेदनहीन कैसे हो सकता है? यह तो संवेदनशून्यता की पराकाष्ठा है। मैं इस अपराध के लिए उन लड़कियों को दोषी मानती हूँ, जो हमारी सनातन संस्कृति का अनुकरण न कर पाश्चात्य की जूठन स्वीकार करने में फख़्र महसूसती हैं। वैसे ही पित्तृसत्तात्मक युग में हम यह अपेक्षा कैसे कर सकते हैं कि पुरुष की सोच बदल सकती है। वह तो पहले ही स्त्री को अपनी धरोहर / बपौती समझता था। आज भी वह उसे उसका मालिक समझता है तथा जब चाहे उसे घर से बाहर का रास्ता दिखा सकता है। उसकी स्थिति खाली बोतल के समान है, जिसे वह बीच राह फेंक सकता है; वह उस पर शक़ के दायरे में अवैध संबंधों का इल्ज़ाम लगा पत्नी व बच्चों की निर्मम हत्या कर सकता है। वास्तव में पुरुष स्वयं को सर्वश्रेष्ठ ही नहीं, ख़ुदा समझता है, क्योंकि उसे कन्या-भ्रूण को नष्ट करने का अधिकार प्राप्त है।
‘औरत में जन्म दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया / जब जी चाहा मसला-कुचला, जब जी चाहा दुत्कार दिया।’ ये पंक्तियाँ औरत की नियति को उजागर करती हैं। वह अपनी जीवन-संगिनी को अपने दोस्तों के हम-बिस्तर बनाने का जघन्य अपराध कर सकता है। वह पत्नी पर अकारण इल्ज़ाम लगा कटघरे में खड़ा सकता है। वैसे भी उस मासूम को अपना पक्ष रखने का अधिकार प्रदान ही कहाँ किया जाता है? कचहरी में भी क़ातिल को भी अपना पक्ष रखने व स्पष्टीकरण देने का अधिकार होता है। इतना ही नहीं एक दुष्कर्मी पैसे व रुतबे के बल पर उस मासूम की जिंदगी के सौदे की पेशकश करने को स्वतंत्र है और उसके माता-पिता उसे दुष्कर्मी के हाथों सौंपने को तैयार हो जाते हैं।
वास्तव में दोषी तो उसके माता-पिता हैं जो अपनी नादान बच्ची पर भरोसा नहीं करते। वैसे भी वे अंतर्जातीय विवाह की एवज़ में कभी ऑनर किलिंग करते हैं, तो कभी दुष्कर्म का हादसा होने पर समाज में निंदा के भय से उसका तिरस्कार कर देते हैं। उस स्थिति में वे भूल जाते हैं कि वे उस निर्दोष बच्ची के जन्मदाजा हैं। वे उसकी मानसिक स्थिति को अनुभव न करते हुए उसे घर में कदम तक नहीं रखने देते। अच्छा था, तुम मर जाती और उसकी ज़िंदगी नरक बन जाती है। अक्सर ऐसी लड़कियाँ आत्महत्या कर लेती हैं या हर दिन ना जाने वे कितने सफेदपोश मनचलों की हमबिस्तर बनने को विवश होती हैं। काश! हम अपने बेटे- बेटियों को बचपन से यह एहसास दिला पाते कि वे अपने संस्कारों अथवा मिट्टी से जुड़े रहते व सीमाओं का अतिक्रमण नहीं करते। वे उसे आश्वस्त कर पाते कि यह घर उसका भी है और वह जब चाहे, वहाँ आ सकती है।
यदि हम परमात्मा की सत्ता पर विश्वास रखते हैं, तो हमें इस तथ्य को स्वीकारना पड़ेगा कि परमात्मा की लाठी में आवाज़ नहीं होती और कुछ फैसले रब्ब के होते हैं और जब समय जवाब देता है तो ग़वाहों की ज़रूरत नहीं होती– सीधा फैसला होता है। कानून तो अंधा व बहरा है, जो गवाहों पर आश्रित होता है और उनके न मिलने पर जघन्य अपराधी भी छूट जाते हैं और निकल पड़ते हैं अगले शिकार की तलाश में और यह सिलसिला थमने का नाम नहीं लेता। हमारे यहाँ फ़ैसले बरसों बाद होते हैं, जब उनकी अहमियत ही नहीं रहती। इतना ही नहीं, मी टू ने भी अपना खाता खोल दिया है। पच्चीस वर्ष पहले घटित हादसे को भी उजागर कर, आरोपी पर इल्ज़ाम लगा हंसते-खेलते परिवार की खुशियों में सेंध लगा लील सकती हैं; उन्हें कटघरे में खड़ा कर सकती हैं। वैसे यह दोनों स्थितियाँ विस्फोटक हैं, लाइलाज हैं, जिसके कारण समाज में विसंगति व विद्रूपताएं निरंतर बढ़ गई हैं, जो स्वस्थ समाज के लिए घातक हैं।