सूचनाएँ/Information
(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
☆ लघुकथा शोध केंद्र, भोपाल एवं विश्व वाणी हिंदी संस्थान, जबलपुर द्वारा लघु कथा गोष्ठी आयोजित☆
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☆ लघुकथा शोध केंद्र, भोपाल एवं विश्व वाणी हिंदी संस्थान, जबलपुर द्वारा लघु कथा गोष्ठी आयोजित☆
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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
मुख्य अतिथि – महामहोपाध्याय डॉ हरिशंकर दुबे, अध्यक्ष – डॉ राजकुमार सुमित्र, वरिष्ठ पत्रकार, विशष्ट अतिथि – श्री बसंत शर्मा, सीनियर डी सी एम, रेलवे, श्रीमती गीता शरत तिवारी, वरिष्ठ समाजसेवी, श्रीमती पलक तिवारी गायकवाड़ आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
इस अवसर पर डॉ हरिशंकर दुबे जी को जीवनश्री अलंकरण सम्मान से अलंकृत किया गया। कलासाधिका शिक्षाविद मीनाक्षी शर्मा “तारिका” की काव्य कृति “सत्व” का विमोचन संपन्न हुआ।
श्री विजय नेमा अनुज, विवेक रंजन श्रीवास्तव, विजय तिवारी ,राजेश पाठक प्रवीण,सुशील श्रीवास्तव, राजेन्द्र मिश्र,मनोज शुक्ल, इन्द्रबहादुर श्रीवास्तव, दीपक तिवारी, सन्तोष नेमा, गणेश श्रीवास्तव , श्रीमती सलमा जमाल, प्रभा विश्वकर्मा, निर्मला तिवारी, अर्चना मलैया, रत्ना ओझा आदि संस्था के सभी सदस्य इस अवसर पर मंच पर उपस्थित रहे।
पाथेय संस्था को संस्था के संयोजक विजय नेमा अनुज ने ऐसे प्रशंसनीय कार्य के लिये साधुवाद एवं बधाई दी।
प्रस्तुति – श्री विजय नेमा ‘अनुज’
ई-अभिव्यक्ति द्वारा पाथेय एवं वर्तिका को हार्दिक बधाई।
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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
☆ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ‘पाथेय’ एवं ‘वर्तिका’ महिला प्रकोष्ठ का संयुक्त आयोजन सम्पन्न ☆
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पाथेय संस्था एवं वर्तिका महिला प्रकोष्ठ के तत्वावधान में महिला काव्य गोष्ठी का आयोजन कला वीथिका में किया गया। काव्य गोष्ठी में 30 से अधिक महिला रचनाकारों ने नारी उत्थान से संदर्भित मनभावन कविताओं को प्रस्तुत कर समाज को जागरण का संदेश यह आयोजन पाथेय संस्था द्वारा नगर के 8 युवा कलाकारों की चित्रकला प्रदर्शनी के समापन किया गया। इस अवसर पर प्रदर्शनी के निर्देशक कलाकार प्रमोद कुशवाहा के साथ 8 युवा कलाकारों को सम्मानित किया गया।
यह सम्मान वर्तिका एवं पाथेय से विजय नेमा अनुज, राजेश पाठक ‘प्रवीण’, दीपक तिवारी, छाया त्रिवेदी, मीना भट्ट, निर्मला तिवारी, अर्चना मलैया, राजलक्ष्मी शिवहरे ने प्रदान किया। इस अवसर पर रचनाकारों एवं अतिथियों के साथ विशिष्टजनों को भी भव्य पेंटिंग प्रदान करके सम्मानित किया गया। लगभग 50 से अधिक पेंटिंग्स प्रदान की गईं।
ई-अभिव्यक्ति द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पाथेय एवं वर्तिका को इस आयोजन के लिए हार्दिक बधाई।
श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
☆ जनार्दन राय नागर विद्यापीठ उदयपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी संपन्न ☆
अच्छा साहित्य वही है जो संस्कारों का निर्माण करता है— कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत
बालसाहित्य जिस के लिखे लिए लिखा जा रहा है उस तक पहुंचना चाहिए–ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’
श्री जनार्दनराय नागर, राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) के संघटक साहित्य संस्थान तथा राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी— ‘बाल साहित्य एवं समकालीन हिंदी’ का समापन 16 फरवरी को हुआ. इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए बाल साहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश “ने कहा है कि- “बाल साहित्य की उपादेयता बालकों के लिए है। जो बाल साहित्य लिखा जा रहा है वह बालको तक नहीं पहुंच पा रहा है. वह बालकों तक पहुंचे. यह हमारी पहली प्राथमिकता होना चाहिए.”
राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए मुख्य अतिथि विज्ञान लेखक देवेंद्र मेवाड़ा जी ने कहा है कि- “आज विज्ञान को साहित्य से जोड़ने की जरूरत है. आप ने पुराण, भागवत गीता, महाभारत रामायण, वेद आदि के उदाहरण दे कर इस बात को पूरे विस्तार से प्रस्तुत किया है.”
वही कार्यक्रम के उद्धाटन के अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रोफेसर शिवसिंह सारंगदेवोत ने कहा है कि- “किसी भी सभ्यता के लिए हमारे जीवन मूल्य ही विशिष्ट होते हैं. आज हमें बच्चों को जीवन मूल्य से जोड़ने की आवश्यकता है.” वहीं विशिष्ट अतिथि बाल वाटिका के संपादक डॉ भेरुलाल गर्ग ने बाल साहित्य विमर्श पर जोर देते हुए कहा है कि- “बाल साहित्य वह है जो बच्चों के मन से कचरे को बाहर निकालकर उसे सुसंस्कार प्रदान करें.”
बाल साहित्य और समकालीन हिन्दी— विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 5 सत्रों में किया गया. जिस में अनेक शोध पत्रों का वाचन हुआ. इन पर साहित्यकारों ने विमर्श प्रस्तुत किया. प्रथम सत्र की अध्यक्षता बाल साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश और शिक्षाविद् डॉ चेतना उपाध्याय ने कीं. इस सत्र में बालसाहित्याकार क्षत्रिय ने बाल साहित्य की पहुंच बच्चों तक कैसे पहुंचे, इस पर जोर दिया. वही डॉ.उपाध्याय का कहना था कि- “बच्चों को आज के संदर्भ में रोचक ढंग से उन के पास सामग्री पहुंचाई जाए.”
दूसरे सत्र की अध्यक्षता पत्र लेखन मुहिम के प्रवक्ता एवं एसडीएम डॉ सुरेश सिंह नेगी और प्रसिद्ध साहित्यकार एवं शिक्षाविद् गोविंद भारद्वाज जी ने की. जिस में दो शोध पत्रों का वाचन हुआ. जिस पर साहित्यकार के बीच विमर्श किया गया. डॉक्टर नेगी जी ने बच्चों की कार्यव्यवहार में परिवर्तन पर जोर दिया. वहीं भारद्वाज जी ने बच्चों को आनंद के साथ सिखनेसीखने पर अपनी बात हास्यपूर्ण अंदाज में कहीं.
तीसरे सत्र की अध्यक्षता सलिला संस्था के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ विमला भंडारी और रीता दीक्षित जी ने की. जिस में तीन शोध पत्रों का वाचन और उस पर विमर्श किया गया. इस अवसर पर रीता दीक्षित जी ने कहा है कि- “बच्चों के पास साहित्य पहुंचे यह हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.” वही सलिला संस्था की अध्यक्ष डॉ. विमला भंडारी जी ने अध्यक्षता करते हुए कहा है कि- “हमें बच्चों को उपहार में खिलौने की जगह पुस्तके देनी चाहिए. तभी उनमें पढ़ने की संस्कृति विकसित कर पाएंगे.”
राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन, समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मंचासीन एसडीएम साहब एवं प्रसिद्ध उपन्यासकार डॉक्टर सूरत सिंह नेगी ने कहा है कि- “बच्चों को माता-पिता से जोड़ने और उन्हें संस्कारित करने के लिए हमें बहुत कुछ प्रयास करने होंगे.” अपनी बात को आप ने विस्तार से समझाते हुए कहानी के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा है कि- “हम एक प्रयास के रूप में बच्चों को पत्र लेखन मुहिम जोड़ सकते हैं. ताकि वे पत्र के माध्यम से मातापिता और दादादादी को समझ सकें. तभी हम बच्चों को संस्कारित कर पाएंगे.”
विशिष्ट अतिथि बालप्रहरी पत्रिका के संपादक श्री उदय किरौला जी ने बच्चों को मोबाइल के गिरफ्त में होने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि- “इसके दुष्परिणाम से बचने के लिए हमें प्रयास करने होंगे तभी बच्चे सुसंस्कारित हो पाएंगे.”
इस अवसर पर अनेक विद्वानों ने अपनी उपस्थित से कार्यक्रम को ऊंचाई प्रदान कीं. इस अवसर पर बच्चों के देश के संपादक प्रकाश तातेड़, साहित्यकार चंद्रेशकुमार छतलानी, दरबान सिंह रावत, कवि शिक्षाविद नंदकिशोर निर्झर, योगधारा के संस्थापक डॉ ज्योति पुंज, डॉ कुलशेखर व्यास, मलय पानेरी, ललित पांडे, प्रोफेसर देव कोठारी, अमित दवे, डॉ कृष्णदेव राठौर, हसन मेघवाल , कार्यक्रम प्रभारी गिरीशनाथ माथुर आदि अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए. तत्पश्चात सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. इस कार्यक्रम में अपने अपने क्षेत्र की स्थापित और विद्वान हस्तियां मौजूद रही.
कार्यक्रम की महत्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि वर्तमान युग में बालसाहित्य की अति आवश्यकता होने से इस कार्यक्रम के दौरान ही कुलपति महोदय प्रो शिवसिंह सारंगदेवोत ने अप्रैल से विवि से एक नियमित बाल पत्रिका निकालने की घोषणा की है. वही बच्चों के लिए पोस्टकार्ड लिखो अभियान और पत्र लेखन पर विभिन्न विद्यालयों में 5000 से अधिक बच्चों को पोस्टकार्ड द्वारा पत्र लेखन प्रतियोगिता की जमीनी स्तर पर साकार करने की रूपरेखा तैयार हो पाई .
कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉक्टर महेश आमेटा ने किया. वही आभार कार्यक्रम संयोजक डॉ कुलशेखर व्यास ने व्यक्त किया.
इस अवसर पर डॉक्टर के पी सिंह देवड़ा, नारायण पालीवाल, संगीता जैन, रीना मेनारिया, ललित पांडेय, डॉ उग्रसेन राव, शिरिश माथुर, शौयब कुरेशी और विश्वविद्यालय के अनेक विद्वान मनीषियों की भी उपस्थित सराहनीय रही है.
© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
17 फ़रवरी 2020
पोस्ट ऑफिस के पास, रतनगढ़-४५८२२६ (नीमच) म प्र
ईमेल – [email protected] मोबाइल – 9424079675
☆ श्री राकेश कुमार पालीवाल “कर्मवीर सम्मान” से सम्मानित ☆
ग्राम सेवा समिति भोपाल के लिए यह गर्व और हर्ष का विषय है कि सुप्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक श्री राकेश कुमार पालीवाल (आईआरएस) जो कि वर्तमान डायरेक्टर जनरल इन्वेस्टीगेशन के पद पर आयकर विभाग हैदराबाद में पदस्थ हैं का सम्मान विगत 24 जनवरी को माधवराव सप्रे संग्रहालय, भोपाल द्वारा किया गया।
ज्ञात हो कि श्री पालीवाल जी गांधीजी के विचारों को आत्मसात कर ग्रामीण अंचल के विकास में लगे हुए हैं। ग्राम सेवा समिति, भोपाल भी उन्ही के दिमाग की उपज है। इसके पूर्व जब वे दिल्ली में थे तब भी उन्होंने योगदान संस्था के गठन में बड़ी भूमिका निभाई थी। अपनी सुदीर्घ सेवा अवधि में उन्होंने चार ग्रामों का सर्वांगीण विकास गांधी जी के विचारों के अनुरूप किया है। मध्यप्रदेश में छेडका और तेलंगाना में गोंगलूर के विकास की कहानी आजकल चर्चा में है।
सौम्य एवं निर्भीक स्वभाव के धनी श्री पालीवाल जी आयकर विभाग में अपनी ईमानदार छवि के कारण सम्मानपूर्वक जाने जाते हैं। उन्हें स्व. माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा संपादित कर्मवीर पत्रिका के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं मध्यप्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह के कर-कमलों से कर्मवीर सम्मान से सम्मानित किया गया। श्री दिग्विजय सिंह ने भी डाक्टर पालीवाल के सामाजिक सरोकारों की भूरी भूरी प्रसंशा की।
( पद्मश्री श्री विजय दत्त श्रीधर जी, श्री राकेश कुमार पालीवाल जी, श्री दिग्विजय सिंह जी, श्री पी सी शर्मा जी, और श्री दीपक तिवारी जी )
डॉ पालीवाल जी ने अपने संबोधन में कुछ इसी तरह के उद्गार व्यक्त किए – “कभी कभी विश्वास नहीं होता कि हमारी आजादी के नायकों ने किस निष्ठा से देश को आजाद करने के लिए किस हद तक जाकर कुर्बानियां दी हैं और अपना सर्वस्व न्योछावर किया है। गांधी की अगुवाई में चले संघर्ष में “कर्मवीर” की निर्भीक पत्रकारिता की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है जिससे माखनलाल चतुर्वेदी और माधवराव सप्रे जैसी विभूतियों का नाम जुड़ा है।
यह भी एक सुखद संयोग बना कि कस्तूरबा और गांधी जी की 150 वी जयंती के साथ साथ कर्मवीर की पत्रकारिता का भी यह शताब्दी वर्ष है। स्व माधवराव सप्रे संग्रहालय में एक सादगीपूर्ण एवं भव्य आयोजन में मुझे भी अनन्य हिंदी सेवी कैलाशचंद पंत, जैव विविधता संरक्षण में जुटे बाबूलाल दहिया और कर्मठ पत्रकार रमेश नय्यर जैसे अग्रजो के साथ कर्मवीर सम्मान से सम्मानित किया गया।
इस तरह के सम्मान हम पर अतिरिक्त जिम्मेदारी डालते हैं कि हम इन सम्मानों का सम्मान बरकरार रखते हुए भविष्य में और अधिक कर्मठता से काम करें।“
समारोह में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्विद्यालय के वाइस चांसलर श्री दीपक तिवारी, मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री श्री पी सी शर्मा और संयुक्त मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह और गांधी भवन भोपाल के सचिव श्री नामदेव जी, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के डायरेक्टर जनरल इनकम टैक्स श्री टुटेजा और मध्य प्रदेश के प्रधान आयकर निदेशक डॉ विनोद गोयल, ग्राम सेवा समिति के गणमान्य सदस्यों एवं भोपाल के प्रमुख प्रबुद्ध जनों ने भी समारोह में शिरकत की।
(ई- अभिव्यक्ति की ओर से महात्मा गांधी जी एवं कस्तूरबा गांधी जी के 150 वे जन्म वर्ष पर सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारधारा के प्रणेता श्री राकेश पालीवाल जी को इस महत्वपूर्ण सर्वोच्च सम्मान के लिए हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई। हम श्री पालीवाल जी से ई – अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए उनके उत्कृष्ट साहित्य की अपेक्षा करते हैं।)
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☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी के व्यंग्य संग्रह “डांस इण्डिया डांस” का विमोचन ☆
पुस्तक – डांस इण्डिया डांस ( व्यंग्य-संग्रह)
लेखक – श्री जय प्रकाश पाण्डेय
प्रकाशक – रवीना प्रकाशन, नई दिल्ली
मूल्य – रु 300/-
इस अमेज़न लिंक पर ऑनलाइन उपलब्ध >> डांस इण्डिया डांस ( व्यंग्य-संग्रह)
विगत दिनों विश्व की पुस्तकों की दुनिया के सबसे बड़े मेले विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली में संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी के व्यंग्य संग्रह “डांस इण्डिया डांस” का विमोचन सम्पन्न हुआ।
दिल्ली में आयोजित इस विश्व पुस्तक मेले के लेखक मंच पर व्यंग्य संग्रह “डांस इण्डिया डांस” का विमोचन श्री प्रेम जनमेजय (व्यंग्य यात्रा के सम्पादक और प्रसिद्ध व्यंग्यकार), डॉ सुरेश कांत (ख्यातिलब्ध व्यंग्यकार आलोचक ), श्री गिरीश पंकज (छत्तीसगढ़ के चर्चित व्यंग्यकार पत्रकार), श्री हरीश पाठक (वरिष्ठ कथाकर), श्री रमेश सैनी (व्यंग्यकार) , श्री पंकज सुबीर (व्यंग्य समालोचक ), श्री महेश दर्पण (सारिका के पूर्व उप संपादक ), डॉ संजीव कुमार (साहित्यकार) , श्रीमती समीक्षा तेलंग (व्यंग्यकार) आदि द्वारा किया गया।
इसी अवसर पर देश भर से पधारे साहित्यकारों, पत्रकारों से खचाखच भरे सभागार में “इक्कीसवीं सदी में व्यंग्य की दशा और दिशा” विषय पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई ।
विमोचन के बाद डांस इण्डिया डांस की पहली प्रति प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवि आदरणीय सुरेंद्र शर्मा जी (हिन्दी ग्रंथ अकादमी के मुखिया) और भोपाल के वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री हरि जोशी जी को श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी ने सादर भेंट की।
इस सन्दर्भ में डॉ कुंदन सिंह परिहार जी का यह कथन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं “एक अच्छे व्यंगकार में अनेक गुण अपेक्षित हैं । पहले तो व्यंग्यकार संवेदनशील हो, ओढ़ी हुई करुणा से सार्थक व्यंग्य लेखन नहीं होगा। दूसरे उसकी द्रष्टि सही हो । रूढ़ीवादी और अवैज्ञानिक सोच वाले लेखकों के लिए व्यंग्य को साधना कठिन है । लेखक की अभिव्यक्ति प्रभावशाली होनी चाहिए । लेखन शैली ऐसी हो जो पाठक को बांधे और साथ ही उसे सोचने को बाध्य करे । व्यंग्य का उद्देश पाठक का मनोरंजन करना नहीं हो सकता।”
आशीर्वचन स्वरुप पुस्तक की प्रस्तावना सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ कुंदन सिंह परिहार जी द्वारा लिखी गई है, जिसे आप निम्न लिंक पर पढ़ सकते हैं।
(ई- अभिव्यक्ति की ओर से श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए एवं सतत सफल लेखन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं)
तत्पश्चात “पांडेय जी और जिंदगीनामा” पर अभिमन्यु जैन और प्रतुल श्रीवास्तव ने समीक्षात्मक आलेख का पाठ किया और दोनों समीक्षकों ने पुस्तक की अनेक रचना पर विस्तार से अपनी बात करते हुए रचनाओं की विशेषताओं पर विभिन्न बिंदुओं पर बारीकी से चर्चा की. डॉ. रमेश चंद्र खरे की पुस्तक “श्रेष्ठ व्यंग्य” पर डॉ कुंदन जी परिहार और व्यंग्यकार विवेक रंजन श्रीवास्तव ने अपने समीक्षात्मक आलेख पढ़े. संग्रह की अनेक रचनाओं का उल्लेख करते हुए समीक्षक द्वय कहा कि लेखक के विषय चयन से लेखक की सामाजिक संबंद्धता और मानवीय मूल्यों की चिंता झलकती है. विमर्श को आगे बढ़ाते कहा डॉ विजय तिवारी किसलय ने दोनों पुस्तकों पर चर्चा करते हुए कहा कि जिंदगीनामा में लेखक को जीवन और अपने आसपास की प्रवृत्तियों को पकड़ने की महारत हासिल है. खरे जी की रचनाएं, व्यंग्य परंपरा की रचनाएं है. उनकी दृष्टि स्पष्ट है और वे सहज ढंग से विसंगतियों को पाठक के समक्ष रखते हैं. इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए डाँ कुंदन सिंह परिहार ने जिंदगीनामा की रचनाओं पर कहा कि लेखक को अपने कहन में सावधानी रखना चाहिए .लेखक को जीवन की विसंगतियों को पकड़ने की दृष्टि है एन एल पटेल ने अपनी चर्चा में कहा कि रमेश चंद्र खरे के लेखन में सामाजिक संवेदना और विचारों में परिपक्वता झलकती है .जबकि लालित्य ललित दैनिक जीवन और आम वर्ग की विसंगतियों को सफलतापूर्वक पकड़ते हैं. अभिमन्यु जैन ने पांडेय जी और जिंदगी नामा पर अपने आलेख में अपनी बात रखते हुए कहा कि ललित में एक अलग प्रकार की स्वच्छंदता है. उनकी भाषा प्रकृति के अनुरूप शब्द चुन लेती है .जयप्रकाश पांडे ने खरे जी की पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए कहा कि उनकी रचनाएं सामाजिक विसंगतियों पर सटीक प्रहार करते हैं और ललित व्यक्तिगत अधिक है. जो रचना की पठनीयता को बढ़ा देते हैं .
दूसरे सत्र में व्यंग्यम की नियमित.व्यंग्य पाठ गोष्ठी हुई। विवेक रंजन श्रीवास्तव ने “डर के आगे जीत है” अभिमन्यु जैन ने “दुखी हैं’ जयप्रकाश पांडेय ने “अच्छे दिन आने वाले हैं’ ओ पी सैनी “आजकल” और रमाकांत ताम्रकार नै “बाबू का सर्टिफिकेट” का पाठ किया. गोष्ठी की अध्यक्षता डा.कुंदन सिंह परिहार ,संचालन रमेश सैनी और आभार प्रदर्शन विजय तिवारी किसने किया .
प्रस्तुति – श्री रमेश सैनी, जबलपुर
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☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय बाल साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित ☆
ई-अभिव्यक्ति द्वारा श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई।
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☆ राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मान 2019 हेतु बाल कहानियां आमंत्रित ☆
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☆ डॉ राकेश चक्र जी “अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2018″ से सम्मानित ☆
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा दिनांक 30 दिसम्बर को यशपाल सभागार में पुरस्कार वितरण एवं अभिनंदन पर्व स्थापना दिवस का भव्य समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश और विधानसभा अध्यक्ष जी की गरिमामय उपस्थित रही।
इस सुअवसर पर बाल साहित्य के क्षेत्र में डॉ राकेश चक्र जी को “अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2018″ से उत्तर प्रदेश हिंदी के कार्यकारी अध्यक्ष आदरणीय डॉ सदानंद गुप्त जी व अन्य ख्यातिनाम साहित्यकारों की गरिमामय उपस्थिति में उत्तरीय उढ़ाकर, सम्मान पत्र और रु 51,000 की धनराशि का चैक आदि देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर देश और विदेश के अन्य 136 साहित्यकारों को भी विभिन्न विधाओं में सम्मानित किया गया।
ई-अभिव्यक्ति की ओर से डॉ राकेश चक्र जी को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई।