श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

☆ जनार्दन राय नागर विद्यापीठ उदयपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी संपन्न ☆

अच्छा साहित्य वही है जो संस्कारों का निर्माण करता है— कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत

बालसाहित्य जिस के लिखे लिए लिखा जा रहा है उस तक पहुंचना चाहिए–ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

श्री जनार्दनराय नागर, राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) के संघटक साहित्य संस्थान तथा राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी— ‘बाल साहित्य एवं समकालीन हिंदी’ का समापन 16 फरवरी को हुआ. इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए बाल साहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश “ने कहा है कि-  “बाल साहित्य की उपादेयता बालकों के लिए है। जो बाल साहित्य लिखा जा रहा है वह बालको तक नहीं पहुंच पा रहा है. वह बालकों तक पहुंचे. यह हमारी पहली प्राथमिकता होना चाहिए.”

राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए मुख्य अतिथि विज्ञान लेखक देवेंद्र मेवाड़ा जी ने कहा है कि- “आज विज्ञान को साहित्य से जोड़ने की जरूरत है. आप ने पुराण, भागवत गीता, महाभारत रामायण, वेद आदि के उदाहरण दे कर इस बात को पूरे विस्तार से प्रस्तुत किया है.”

वही कार्यक्रम के उद्धाटन के अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रोफेसर शिवसिंह सारंगदेवोत ने कहा है कि- “किसी भी सभ्यता के लिए हमारे जीवन मूल्य ही विशिष्ट होते हैं. आज हमें बच्चों को जीवन मूल्य से जोड़ने की आवश्यकता है.” वहीं विशिष्ट अतिथि बाल वाटिका के संपादक डॉ भेरुलाल गर्ग ने बाल साहित्य विमर्श पर जोर देते हुए कहा है कि- “बाल साहित्य वह है जो बच्चों के मन से कचरे को बाहर निकालकर उसे सुसंस्कार प्रदान करें.”

बाल साहित्य और समकालीन हिन्दी— विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 5 सत्रों में किया गया. जिस में अनेक शोध पत्रों का वाचन हुआ. इन पर साहित्यकारों ने विमर्श प्रस्तुत किया. प्रथम सत्र की अध्यक्षता बाल साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश और शिक्षाविद् डॉ चेतना उपाध्याय ने कीं. इस सत्र में बालसाहित्याकार क्षत्रिय ने बाल साहित्य की पहुंच बच्चों तक कैसे पहुंचे, इस पर जोर दिया. वही डॉ.उपाध्याय का कहना था कि- “बच्चों को आज के संदर्भ में रोचक ढंग से उन के पास सामग्री पहुंचाई जाए.”

दूसरे सत्र की अध्यक्षता पत्र लेखन मुहिम के प्रवक्ता एवं एसडीएम डॉ सुरेश सिंह नेगी और प्रसिद्ध साहित्यकार एवं शिक्षाविद् गोविंद भारद्वाज जी ने की. जिस में दो शोध पत्रों का वाचन हुआ. जिस पर साहित्यकार के बीच विमर्श किया गया. डॉक्टर नेगी जी ने बच्चों की कार्यव्यवहार में परिवर्तन पर जोर दिया. वहीं भारद्वाज जी ने बच्चों को आनंद के साथ सिखनेसीखने पर अपनी बात हास्यपूर्ण अंदाज में कहीं.

तीसरे सत्र की अध्यक्षता सलिला संस्था के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ विमला भंडारी और रीता दीक्षित जी ने की. जिस में तीन शोध पत्रों का वाचन और उस पर विमर्श किया गया. इस अवसर पर रीता दीक्षित जी  ने कहा है कि- “बच्चों के पास साहित्य पहुंचे यह हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.” वही सलिला संस्था की अध्यक्ष डॉ. विमला भंडारी जी ने अध्यक्षता करते हुए कहा है कि- “हमें बच्चों को उपहार में खिलौने की जगह पुस्तके देनी चाहिए. तभी उनमें पढ़ने की संस्कृति विकसित कर पाएंगे.”

राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन, समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मंचासीन एसडीएम साहब एवं प्रसिद्ध उपन्यासकार डॉक्टर सूरत सिंह नेगी ने कहा है कि- “बच्चों को माता-पिता से जोड़ने और उन्हें संस्कारित करने के लिए हमें बहुत कुछ प्रयास करने होंगे.” अपनी बात को आप ने विस्तार से समझाते हुए कहानी के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा है कि- “हम एक प्रयास के रूप में बच्चों को पत्र लेखन मुहिम जोड़ सकते हैं. ताकि वे पत्र के माध्यम से मातापिता और दादादादी को समझ सकें. तभी हम बच्चों को संस्कारित कर पाएंगे.”

विशिष्ट अतिथि बालप्रहरी पत्रिका के संपादक श्री उदय किरौला जी  ने बच्चों को मोबाइल के गिरफ्त में होने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि- “इसके दुष्परिणाम से बचने के लिए हमें प्रयास करने होंगे तभी बच्चे सुसंस्कारित हो पाएंगे.”

इस अवसर पर अनेक विद्वानों ने अपनी उपस्थित से कार्यक्रम को ऊंचाई प्रदान कीं. इस अवसर पर बच्चों के देश के संपादक प्रकाश तातेड़, साहित्यकार चंद्रेशकुमार छतलानी, दरबान सिंह रावत, कवि शिक्षाविद नंदकिशोर निर्झर, योगधारा के संस्थापक डॉ ज्योति पुंज, डॉ कुलशेखर व्यास, मलय पानेरी, ललित पांडे, प्रोफेसर देव कोठारी, अमित दवे, डॉ कृष्णदेव राठौर, हसन मेघवाल , कार्यक्रम प्रभारी गिरीशनाथ माथुर आदि अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए. तत्पश्चात सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. इस कार्यक्रम में अपने अपने क्षेत्र की स्थापित और विद्वान हस्तियां मौजूद रही.

कार्यक्रम की महत्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि वर्तमान युग में बालसाहित्य की अति आवश्यकता होने से इस कार्यक्रम के दौरान ही कुलपति महोदय  प्रो शिवसिंह सारंगदेवोत ने  अप्रैल से विवि से एक नियमित बाल पत्रिका निकालने की घोषणा की है. वही बच्चों के लिए पोस्टकार्ड लिखो अभियान और पत्र लेखन पर विभिन्न विद्यालयों में 5000 से अधिक बच्चों को पोस्टकार्ड द्वारा पत्र लेखन प्रतियोगिता की जमीनी स्तर पर साकार करने की रूपरेखा तैयार हो पाई .

कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉक्टर महेश आमेटा ने किया. वही आभार कार्यक्रम संयोजक डॉ कुलशेखर व्यास ने व्यक्त किया.

इस अवसर पर डॉक्टर के पी सिंह देवड़ा, नारायण पालीवाल, संगीता जैन, रीना मेनारिया, ललित पांडेय, डॉ  उग्रसेन राव, शिरिश माथुर, शौयब कुरेशी और विश्वविद्यालय के अनेक विद्वान मनीषियों की भी उपस्थित सराहनीय रही है.

 

© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

17 फ़रवरी 2020

पोस्ट ऑफिस के पास, रतनगढ़-४५८२२६ (नीमच) म प्र

ईमेल  – [email protected] मोबाइल – 9424079675

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