सूचनाएँ/Information – ☆ जनार्दन राय नागर विद्यापीठ उदयपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी संपन्न ☆ प्रस्तुति – श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

☆ जनार्दन राय नागर विद्यापीठ उदयपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी संपन्न ☆

अच्छा साहित्य वही है जो संस्कारों का निर्माण करता है— कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत

बालसाहित्य जिस के लिखे लिए लिखा जा रहा है उस तक पहुंचना चाहिए–ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

श्री जनार्दनराय नागर, राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) के संघटक साहित्य संस्थान तथा राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी— ‘बाल साहित्य एवं समकालीन हिंदी’ का समापन 16 फरवरी को हुआ. इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए बाल साहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश “ने कहा है कि-  “बाल साहित्य की उपादेयता बालकों के लिए है। जो बाल साहित्य लिखा जा रहा है वह बालको तक नहीं पहुंच पा रहा है. वह बालकों तक पहुंचे. यह हमारी पहली प्राथमिकता होना चाहिए.”

राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए मुख्य अतिथि विज्ञान लेखक देवेंद्र मेवाड़ा जी ने कहा है कि- “आज विज्ञान को साहित्य से जोड़ने की जरूरत है. आप ने पुराण, भागवत गीता, महाभारत रामायण, वेद आदि के उदाहरण दे कर इस बात को पूरे विस्तार से प्रस्तुत किया है.”

वही कार्यक्रम के उद्धाटन के अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रोफेसर शिवसिंह सारंगदेवोत ने कहा है कि- “किसी भी सभ्यता के लिए हमारे जीवन मूल्य ही विशिष्ट होते हैं. आज हमें बच्चों को जीवन मूल्य से जोड़ने की आवश्यकता है.” वहीं विशिष्ट अतिथि बाल वाटिका के संपादक डॉ भेरुलाल गर्ग ने बाल साहित्य विमर्श पर जोर देते हुए कहा है कि- “बाल साहित्य वह है जो बच्चों के मन से कचरे को बाहर निकालकर उसे सुसंस्कार प्रदान करें.”

बाल साहित्य और समकालीन हिन्दी— विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 5 सत्रों में किया गया. जिस में अनेक शोध पत्रों का वाचन हुआ. इन पर साहित्यकारों ने विमर्श प्रस्तुत किया. प्रथम सत्र की अध्यक्षता बाल साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश और शिक्षाविद् डॉ चेतना उपाध्याय ने कीं. इस सत्र में बालसाहित्याकार क्षत्रिय ने बाल साहित्य की पहुंच बच्चों तक कैसे पहुंचे, इस पर जोर दिया. वही डॉ.उपाध्याय का कहना था कि- “बच्चों को आज के संदर्भ में रोचक ढंग से उन के पास सामग्री पहुंचाई जाए.”

दूसरे सत्र की अध्यक्षता पत्र लेखन मुहिम के प्रवक्ता एवं एसडीएम डॉ सुरेश सिंह नेगी और प्रसिद्ध साहित्यकार एवं शिक्षाविद् गोविंद भारद्वाज जी ने की. जिस में दो शोध पत्रों का वाचन हुआ. जिस पर साहित्यकार के बीच विमर्श किया गया. डॉक्टर नेगी जी ने बच्चों की कार्यव्यवहार में परिवर्तन पर जोर दिया. वहीं भारद्वाज जी ने बच्चों को आनंद के साथ सिखनेसीखने पर अपनी बात हास्यपूर्ण अंदाज में कहीं.

तीसरे सत्र की अध्यक्षता सलिला संस्था के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ विमला भंडारी और रीता दीक्षित जी ने की. जिस में तीन शोध पत्रों का वाचन और उस पर विमर्श किया गया. इस अवसर पर रीता दीक्षित जी  ने कहा है कि- “बच्चों के पास साहित्य पहुंचे यह हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.” वही सलिला संस्था की अध्यक्ष डॉ. विमला भंडारी जी ने अध्यक्षता करते हुए कहा है कि- “हमें बच्चों को उपहार में खिलौने की जगह पुस्तके देनी चाहिए. तभी उनमें पढ़ने की संस्कृति विकसित कर पाएंगे.”

राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन, समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मंचासीन एसडीएम साहब एवं प्रसिद्ध उपन्यासकार डॉक्टर सूरत सिंह नेगी ने कहा है कि- “बच्चों को माता-पिता से जोड़ने और उन्हें संस्कारित करने के लिए हमें बहुत कुछ प्रयास करने होंगे.” अपनी बात को आप ने विस्तार से समझाते हुए कहानी के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा है कि- “हम एक प्रयास के रूप में बच्चों को पत्र लेखन मुहिम जोड़ सकते हैं. ताकि वे पत्र के माध्यम से मातापिता और दादादादी को समझ सकें. तभी हम बच्चों को संस्कारित कर पाएंगे.”

विशिष्ट अतिथि बालप्रहरी पत्रिका के संपादक श्री उदय किरौला जी  ने बच्चों को मोबाइल के गिरफ्त में होने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि- “इसके दुष्परिणाम से बचने के लिए हमें प्रयास करने होंगे तभी बच्चे सुसंस्कारित हो पाएंगे.”

इस अवसर पर अनेक विद्वानों ने अपनी उपस्थित से कार्यक्रम को ऊंचाई प्रदान कीं. इस अवसर पर बच्चों के देश के संपादक प्रकाश तातेड़, साहित्यकार चंद्रेशकुमार छतलानी, दरबान सिंह रावत, कवि शिक्षाविद नंदकिशोर निर्झर, योगधारा के संस्थापक डॉ ज्योति पुंज, डॉ कुलशेखर व्यास, मलय पानेरी, ललित पांडे, प्रोफेसर देव कोठारी, अमित दवे, डॉ कृष्णदेव राठौर, हसन मेघवाल , कार्यक्रम प्रभारी गिरीशनाथ माथुर आदि अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए. तत्पश्चात सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. इस कार्यक्रम में अपने अपने क्षेत्र की स्थापित और विद्वान हस्तियां मौजूद रही.

कार्यक्रम की महत्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि वर्तमान युग में बालसाहित्य की अति आवश्यकता होने से इस कार्यक्रम के दौरान ही कुलपति महोदय  प्रो शिवसिंह सारंगदेवोत ने  अप्रैल से विवि से एक नियमित बाल पत्रिका निकालने की घोषणा की है. वही बच्चों के लिए पोस्टकार्ड लिखो अभियान और पत्र लेखन पर विभिन्न विद्यालयों में 5000 से अधिक बच्चों को पोस्टकार्ड द्वारा पत्र लेखन प्रतियोगिता की जमीनी स्तर पर साकार करने की रूपरेखा तैयार हो पाई .

कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉक्टर महेश आमेटा ने किया. वही आभार कार्यक्रम संयोजक डॉ कुलशेखर व्यास ने व्यक्त किया.

इस अवसर पर डॉक्टर के पी सिंह देवड़ा, नारायण पालीवाल, संगीता जैन, रीना मेनारिया, ललित पांडेय, डॉ  उग्रसेन राव, शिरिश माथुर, शौयब कुरेशी और विश्वविद्यालय के अनेक विद्वान मनीषियों की भी उपस्थित सराहनीय रही है.

 

© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

17 फ़रवरी 2020

पोस्ट ऑफिस के पास, रतनगढ़-४५८२२६ (नीमच) म प्र

ईमेल  – [email protected] मोबाइल – 9424079675

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सूचनाएँ/Information – ☆ श्री राकेश कुमार पालीवाल “कर्मवीर सम्मान” से सम्मानित ☆

श्री राकेश कुमार पालीवाल

☆ श्री राकेश कुमार पालीवाल “कर्मवीर सम्मान” से सम्मानित ☆

ग्राम सेवा समिति भोपाल के लिए यह गर्व और हर्ष का विषय है कि  सुप्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक श्री राकेश कुमार पालीवाल (आईआरएस) जो कि वर्तमान डायरेक्टर जनरल इन्वेस्टीगेशन के पद पर आयकर विभाग हैदराबाद में पदस्थ हैं का सम्मान विगत 24 जनवरी को माधवराव सप्रे संग्रहालय, भोपाल द्वारा किया गया।

ज्ञात हो कि श्री पालीवाल जी  गांधीजी के विचारों को आत्मसात कर ग्रामीण अंचल के विकास में लगे हुए हैं। ग्राम सेवा समिति, भोपाल भी उन्ही के दिमाग की उपज है। इसके पूर्व जब वे दिल्ली में थे तब भी उन्होंने योगदान संस्था के गठन में बड़ी भूमिका निभाई थी। अपनी सुदीर्घ सेवा अवधि में उन्होंने चार ग्रामों का सर्वांगीण विकास गांधी जी के विचारों के अनुरूप किया है। मध्यप्रदेश में छेडका और तेलंगाना में गोंगलूर के विकास की कहानी आजकल  चर्चा में है।

सौम्य एवं निर्भीक स्वभाव के धनी श्री पालीवाल जी आयकर विभाग में अपनी ईमानदार छवि के कारण  सम्मानपूर्वक जाने जाते हैं। उन्हें  स्व. माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा संपादित कर्मवीर पत्रिका के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर  वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं मध्यप्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह के कर-कमलों से कर्मवीर सम्मान से सम्मानित किया गया। श्री दिग्विजय सिंह ने भी डाक्टर पालीवाल के सामाजिक सरोकारों की भूरी भूरी प्रसंशा की।

( पद्मश्री श्री विजय दत्त श्रीधर जी, श्री राकेश कुमार पालीवाल जी, श्री दिग्विजय सिंह जी,  श्री पी सी शर्मा जी, और श्री दीपक तिवारी जी )

डॉ पालीवाल जी ने अपने संबोधन में कुछ इसी तरह के उद्गार व्यक्त किए – “कभी कभी विश्वास नहीं होता कि हमारी आजादी के नायकों ने किस निष्ठा से देश को आजाद करने के लिए किस हद तक जाकर कुर्बानियां दी हैं और अपना सर्वस्व न्योछावर किया है। गांधी की अगुवाई में चले संघर्ष में “कर्मवीर” की निर्भीक पत्रकारिता की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है जिससे माखनलाल चतुर्वेदी और माधवराव सप्रे जैसी विभूतियों का नाम जुड़ा है।

यह भी एक सुखद संयोग बना कि कस्तूरबा और गांधी जी की 150 वी जयंती के साथ साथ कर्मवीर की पत्रकारिता का भी यह शताब्दी वर्ष है। स्व माधवराव सप्रे संग्रहालय में एक सादगीपूर्ण एवं भव्य आयोजन में मुझे भी अनन्य हिंदी सेवी कैलाशचंद पंत, जैव विविधता संरक्षण में जुटे बाबूलाल दहिया और कर्मठ पत्रकार रमेश नय्यर जैसे अग्रजो के साथ कर्मवीर सम्मान से सम्मानित किया गया।

इस तरह के सम्मान हम पर अतिरिक्त जिम्मेदारी डालते हैं कि हम इन सम्मानों का सम्मान बरकरार रखते हुए भविष्य में और अधिक कर्मठता से काम करें।“

समारोह में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्विद्यालय के वाइस चांसलर श्री दीपक तिवारी, मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री श्री पी सी शर्मा और संयुक्त मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह और गांधी भवन भोपाल के सचिव श्री नामदेव जी, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के डायरेक्टर जनरल इनकम टैक्स श्री टुटेजा और मध्य प्रदेश के प्रधान आयकर निदेशक डॉ विनोद गोयल, ग्राम सेवा समिति के गणमान्य सदस्यों एवं भोपाल के प्रमुख प्रबुद्ध जनों ने भी समारोह में शिरकत की।

(ई- अभिव्यक्ति की ओर से महात्मा गांधी जी एवं कस्तूरबा गांधी जी के 150 वे जन्म वर्ष पर सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारधारा के प्रणेता  श्री राकेश पालीवाल जी को इस महत्वपूर्ण  सर्वोच्च सम्मान के लिए हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई। हम श्री पालीवाल जी से ई – अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए उनके उत्कृष्ट साहित्य की अपेक्षा करते हैं।)

श्री अरुण डनायक जी एवं श्री राकेश कुमार पालीवाल जी के फेसबुक से साभार

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सूचनाएँ/Information ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी के व्यंग्य संग्रह “डांस इण्डिया डांस” का विमोचन ☆

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श्री जय प्रकाश पाण्डेय

☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी के व्यंग्य संग्रह “डांस इण्डिया डांस” का  विमोचन ☆

पुस्तक – डांस इण्डिया डांस ( व्यंग्य-संग्रह) 

लेखक – श्री जय प्रकाश पाण्डेय

प्रकाशक – रवीना प्रकाशन, नई दिल्ली

मूल्य – रु 300/-

इस अमेज़न लिंक पर ऑनलाइन उपलब्ध  >>  डांस इण्डिया डांस ( व्यंग्य-संग्रह) 

विगत दिनों विश्व की पुस्तकों की दुनिया के सबसे बड़े मेले  विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली में संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी  के व्यंग्य संग्रह “डांस इण्डिया डांस” का विमोचन सम्पन्न हुआ।

दिल्ली में आयोजित इस  विश्व पुस्तक मेले के लेखक मंच पर  व्यंग्य संग्रह “डांस इण्डिया डांस” का विमोचन  श्री प्रेम जनमेजय (व्यंग्य यात्रा के सम्पादक और प्रसिद्ध व्यंग्यकार)डॉ सुरेश कांत (ख्यातिलब्ध व्यंग्यकार आलोचक )श्री गिरीश पंकज (छत्तीसगढ़ के चर्चित व्यंग्यकार पत्रकार)श्री हरीश पाठक (वरिष्ठ कथाकर)श्री रमेश सैनी (व्यंग्यकार) , श्री पंकज सुबीर (व्यंग्य समालोचक ), श्री महेश दर्पण (सारिका के पूर्व उप संपादक ), डॉ संजीव कुमार (साहित्यकार) , श्रीमती समीक्षा तेलंग (व्यंग्यकार)  आदि द्वारा किया गया।

इसी अवसर पर देश भर से पधारे साहित्यकारों, पत्रकारों से खचाखच भरे सभागार में “इक्कीसवीं सदी में व्यंग्य की दशा और दिशा” विषय पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई ।

विमोचन के बाद डांस इण्डिया डांस की पहली  प्रति  प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवि आदरणीय सुरेंद्र शर्मा जी  (हिन्दी ग्रंथ अकादमी के मुखिया) और भोपाल के वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री हरि जोशी  जी को श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी  ने सादर भेंट की।

इस सन्दर्भ में डॉ कुंदन सिंह परिहार जी का यह कथन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं  “एक अच्छे व्यंगकार में अनेक गुण अपेक्षित हैं ।  पहले तो व्यंग्यकार संवेदनशील हो, ओढ़ी हुई करुणा से सार्थक व्यंग्य लेखन नहीं होगा।  दूसरे उसकी द्रष्टि सही हो ।  रूढ़ीवादी और अवैज्ञानिक सोच वाले लेखकों के लिए व्यंग्य को साधना कठिन है ।  लेखक की अभिव्यक्ति प्रभावशाली होनी चाहिए । लेखन शैली ऐसी हो जो पाठक को बांधे और साथ ही उसे सोचने को बाध्य करे ।  व्यंग्य का उद्देश पाठक का मनोरंजन करना नहीं हो सकता।”

आशीर्वचन स्वरुप पुस्तक की प्रस्तावना सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ कुंदन सिंह परिहार जी द्वारा लिखी गई है,  जिसे आप निम्न लिंक पर पढ़ सकते हैं।

पुस्तक चर्चा ☆ डांस इंडिया डांस – श्री जय प्रकाश पांडेय ☆ “व्यंग्य-लेखन गंभीर कर्म है” – डॉ कुंदन सिंह परिहार

 

(ई- अभिव्यक्ति की ओर से श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए एवं सतत सफल लेखन के लिए  हार्दिक शुभकामनाएं)  

 

 

 

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सूचनाएँ/Information ☆ व्यंग्यम समाचार – व्यंग्य समीक्षा  गोष्ठी संपन्न ☆ प्रस्तुति -श्री रमेश सैनी

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☆ व्यंग्यम समाचार – व्यंग्य समीक्षा  गोष्ठी संपन्न   ☆

श्री रमेश सैनी

विगत दिवस व्यंग्यम जबलपुर द्वारा डा.लालित्य  ललित का व्यंग्य संग्रह “पांडेय जी और जिंदगीनामा’ तथा डॉ रमेश चंद्र खरे का व्यंग्य संग्रह “श्रेष्ठ व्यंग्य” पर समीक्षा गोष्ठी आयोजित की गई. गोष्ठी के आरंभ में  विमर्श की सुविधा हेतु लालित्य ललित की पुस्तक “पांडेय जी और जिंदगीनामा” से एक रचना”पाण्डेय जी और सोशल मीडिया” का पाठ रमेश सैनी ने और रमेश चंद्र खरे की पुस्तक “श्रेष्ठ व्यंग्य” से एक रचना “लोकतांत्रिक लोचों का तंत्र लोक”का पाठ जयप्रकाश पांडेय ने किया .

तत्पश्चात “पांडेय जी और जिंदगीनामा” पर अभिमन्यु जैन और प्रतुल श्रीवास्तव ने समीक्षात्मक आलेख का पाठ किया और दोनों समीक्षकों ने पुस्तक की अनेक रचना पर विस्तार से अपनी बात करते हुए रचनाओं की विशेषताओं पर विभिन्न बिंदुओं पर बारीकी से चर्चा की.  डॉ. रमेश चंद्र खरे की पुस्तक “श्रेष्ठ व्यंग्य” पर डॉ कुंदन जी परिहार और व्यंग्यकार विवेक रंजन श्रीवास्तव ने अपने समीक्षात्मक आलेख पढ़े. संग्रह की अनेक रचनाओं का उल्लेख करते हुए समीक्षक द्वय कहा कि लेखक के विषय चयन से लेखक की सामाजिक संबंद्धता और मानवीय मूल्यों की चिंता झलकती है. विमर्श को आगे बढ़ाते कहा डॉ विजय तिवारी किसलय ने दोनों पुस्तकों पर चर्चा करते हुए कहा कि जिंदगीनामा में लेखक को जीवन और अपने आसपास की प्रवृत्तियों को पकड़ने की महारत हासिल है. खरे जी की रचनाएं, व्यंग्य परंपरा की रचनाएं है. उनकी दृष्टि स्पष्ट है और वे सहज ढंग से विसंगतियों को पाठक के समक्ष रखते हैं. इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए डाँ कुंदन सिंह परिहार ने जिंदगीनामा की रचनाओं पर कहा कि लेखक को अपने  कहन में सावधानी रखना चाहिए .लेखक को जीवन की विसंगतियों को पकड़ने की दृष्टि है एन एल पटेल ने अपनी चर्चा में कहा कि रमेश चंद्र खरे के लेखन में सामाजिक संवेदना और विचारों में परिपक्वता झलकती है .जबकि लालित्य ललित दैनिक जीवन और आम वर्ग की विसंगतियों को सफलतापूर्वक पकड़ते हैं. अभिमन्यु जैन ने पांडेय जी और जिंदगी नामा पर अपने आलेख में अपनी बात रखते हुए कहा कि ललित में एक अलग प्रकार की स्वच्छंदता है. उनकी भाषा  प्रकृति के अनुरूप शब्द चुन लेती है .जयप्रकाश पांडे ने खरे जी की पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए कहा कि उनकी रचनाएं सामाजिक विसंगतियों पर सटीक प्रहार करते हैं और ललित व्यक्तिगत अधिक है. जो रचना की पठनीयता को बढ़ा देते हैं .

दूसरे सत्र में व्यंग्यम की नियमित.व्यंग्य पाठ गोष्ठी हुई। विवेक रंजन श्रीवास्तव ने “डर के आगे जीत है” अभिमन्यु जैन ने “दुखी हैं’ जयप्रकाश पांडेय ने “अच्छे दिन आने वाले हैं’ ओ पी सैनी “आजकल” और रमाकांत ताम्रकार नै “बाबू का सर्टिफिकेट” का पाठ किया. गोष्ठी की अध्यक्षता डा.कुंदन सिंह परिहार ,संचालन रमेश सैनी और आभार प्रदर्शन विजय तिवारी किसने किया .

प्रस्तुति – श्री रमेश सैनी, जबलपुर  

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सूचनाएँ/Information – ☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय बालसाहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित ☆

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श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय बाल साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित ☆

रतनगढ़ (निप्र)। सन 1937 में स्थापित साहित्य मंडल श्रीनाथद्वारा प्रतिवर्ष तीन दिवसीय साहित्यकार सम्मेलन आयोजित करता आ रहा है । यह कार्यक्रम प्रसिद्ध साहित्यकार श्री भगवती प्रसाद देवपुरा के स्मृति में आयोजित होता हैं । इस वर्ष आयोजित कार्यक्रम में देश भर से आमंत्रित सुप्रसिद्ध साहित्यकारों के बीच नीमच जिले के प्रसिद्ध बाल साहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को शाल, श्रीफल, माला, श्रीनाथ जी की छाया कृति, पेन, फोल्डर, उपर्णा और उपाधि पत्र प्रदान कर बालसाहित्य भूषण से सम्मानित किया गया । आप को यह सम्मान बालसहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य और सेवा के लिए दिया गया। आप का यह सम्मान साहित्य जगत के लिए गौरव की बात हैं । इस के लिए ईष्ट मित्रों, साहित्यकार साथियों और पत्रकार बंधुओं ने आप को हार्दिक शुभकामनाएं प्रदान की हैं ।

ई-अभिव्यक्ति द्वारा श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”  जी को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई।

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सूचनाएँ/Information ☆ राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मान 2019 हेतु बाल कहानियां आमंत्रित ☆ प्रस्तुति -श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’

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☆ राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मान 2019 हेतु बाल कहानियां आमंत्रित  ☆

सभी बाल साहित्यकारों से बालकहानी आमंत्रित है. बाल कहानी संदेशप्रद होनी चाहिए. मगर, संदेश या उपदेश सीधा व्यक्त न हो, इस बात का ध्यान रखते हुए दिनांक 25 फरवरी 2020 तक बाल कहानियाँ सादर आमंत्रित है.
  1. बाल कहानियां पशु पक्षी, जीव जंतु, मूर्तअमूर्त वस्तु के पात्र ले कर रची गई हो.
  2. कहानी में सरस, सरल और सहज वाक्यों को समावेश हो, इस बात का ध्यान रखिएगा. वाक्य छोटेछोटे हो. मंनोरंजक और उद्देश्यपरक कहानियों को प्राथमिकता दी जाएगी.
  3. बालकहानी में कथा तत्व का समावेश हो.
  4. आप की सर्वश्रेष्ठ एक बालकहानी की तीन प्रतियां ए—4 आकार के कागज पर एक ओर लिख कर या टाईप करवा कर भेजे. उस में कहीं नाम,पता या कोई पहचान चिह्न अंकित न हो इस बात का ध्यान रखे. अपना संक्षिप्त परिचय व एड्रेस अलग से A-4 साइज कागज पर लिख भेजे जिसमे कहानी का शीर्षक लिखते हुए मौलिकता की घोषणा भी अंकित करें
  5. इसे पंजीकृत डाक या कूरियर से — राजकुमार जैन राजन,  चित्रा प्रकाशन,  आकोला -312205 (चित्तौड़गढ़) राजस्थान  के पते पर अंतिमतिथि के पूर्व प्रेषित कर दें. ताकि समय सीमा में यह प्राप्तकर्ता को मिल सकें.
  6. एक प्रति जिस में पूरा नाम, पता, मोबाइल नंबर और मेल आईडी लिखा हो. उसे  [email protected]  मेल  पर भेजे के विषय में — राष्ट्रीय बालसाहित्य सम्मान 2019 हेतु बालकहानियां , लिख कर संलग्नक के साथ पहुंचा दे.
  7. कहानी यूनीफॉण्ट या मंगलफोंट में  टाइप कर के वर्ड फ़ाईल में भेजे।
  8. प्रतियोगिता में स्वीकृत और मापदंड पर खरी उतरी  बालकहानियों का एक संकलन प्रकाशित कर, उनके रचनाकारों को समारोह में स्मृति चिह्न, नगद राशि के साथ ससम्मान पुरस्कार के साथ प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार प्रथम ₹. 3100/-, द्वितीय ₹.2100/-, तृतीय ₹.1100 एवम 5 प्रोत्साहन पुरस्कार देय होंगे।
संपादक/ संयोजक
-ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश
-राजकुमार जैन राजन

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सूचनाएँ/Information – ☆ डॉ राकेश चक्र जी “अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2018” से सम्मानित ☆

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☆ डॉ राकेश चक्र जी “अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2018″ से सम्मानित 

उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा दिनांक 30 दिसम्बर को यशपाल सभागार में पुरस्कार वितरण एवं अभिनंदन पर्व स्थापना दिवस का भव्य समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश और विधानसभा अध्यक्ष जी की गरिमामय उपस्थित रही।

इस सुअवसर पर बाल साहित्य के क्षेत्र में डॉ राकेश चक्र जी को “अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2018″ से उत्तर प्रदेश हिंदी के कार्यकारी अध्यक्ष आदरणीय डॉ सदानंद गुप्त जी व अन्य ख्यातिनाम साहित्यकारों की  गरिमामय उपस्थिति में उत्तरीय उढ़ाकर, सम्मान पत्र और रु 51,000 की धनराशि का चैक आदि देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर देश और विदेश के अन्य 136 साहित्यकारों को भी विभिन्न विधाओं में सम्मानित किया गया।

ई-अभिव्यक्ति की ओर से डॉ राकेश चक्र जी को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई।

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सूचनाएँ/Information ☆ 7वां अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया एवं मैत्री सम्मान समारोह 2019 ☆ प्रस्तुति -डा रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ और कवि कपिल खण्डेलवाल ‘कलश’

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☆ 7 वां अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडियासोशल मीडिया एवं मैत्री सम्मान समारोह 2019 ☆


कोटा, राजस्थान के भीलवाड़ा स्थित विनायक विद्यापीठ परिसर में “हम सब साथ साथ” के बैनर तले सातवाँ अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया एवं मैत्री सम्मान समारोह 2019 का आयोजन 24 और 25 दिसंबर को आयोजित किया गया।

प्रथम सत्र में, मंचस्थ अतिथियों में, गंगापुर एस डी एम, विकास शर्मा, संरक्षक-संयोजक (विद्यापीठ) देवेंद्र कुमावत, संत बालयोगी, श्याम पुरोहित, डॉ अरविंद त्यागी, डा रघुनाथ मिश्र सहज व विनोद बब्बर (संपादक राष्ट्र-किंकर) रहे। कार्यक्रम का संचालन विपनेश माथुर और किशोर श्रीवास्तव ने किया।

मुख्य अतिथियों द्वारा सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया गया और मंच के सभी अतिथियों का शाल व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया ।

कार्यक्रम की शुरुआत भाई-चारा गीत (टाईटल /थीम सॉंग), लखनऊ टीम के नन्हें कलाकारों के द्वारा उत्साह जनक रही। इसके बाद “हम साथ साथ” पत्रिका का विमोचन किया गया और कुछ पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। इस सम्मेलन व सम्मान समारोह में देश-विदेश से लगभग 100 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इसमें नेपाल से अंजली पटेल, पूनम शर्मा, फिजी से श्वेता दत्त और शिकागो रेडियो के प्रतिनिधि विशाल शर्मा शामिल हुए ।

श्री देवेन्द्र कुमावत व श्री विकास शर्मा ने सोशल मीडिया के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर सभी का ध्यान आकर्षित किया । सभी अतिथि-प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। सोशल मीडिया की सकारात्मक और नकारात्मक भूमिका/विश्व बन्धुत्व को आगे बढ़ाने की भूमिका/ सोशल मीडिया के खट्टे- मीठे अनुभव पर हुई परिचर्चा में अनेक प्रतिभागियों ने अपने उदगार प्रकट किए।

सांस्कृतिक संध्या सत्र का संचालन श्री किशोर श्रीवास्तव ने किया और  गणेश वंदना से शुरुवात हुई ।  मुकेश मधुर व सतीश ने कर्ण प्रिय बासुरी वादन प्रस्तुत किये । जया श्रीवास्तव, दीपक कुमार सिंह, तौफीक, अंजली पटेल, एंजल गाँधी, आकर्ष सिंह, नितिका कौशिक, पूनम मिश्रा, रीता शर्मा ने गीत और विध्याभूषण, आदिति जैसवाल, सन्दीपिका राय, शिवांगी चौहान ने नृत्य प्रस्तुत किये ।

डा रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ की अध्यक्षता में साकेत सुमन और कुसुम जी के मुख्य अतिथ्य व अशोक-उमा शंकर मिश्र के संचालन में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि कपिल खन्डेलवाल ‘कलश’, डा रघुनाथ मिश्र ‘सहज’,  उमा शंकर मिश्र, विजय तिवारी सहित लगभग 40 कवियों ने काव्य पाठ किया ।

25 दिसम्बर को शेष कवि सम्मेलन व सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों में, प्रतिभा प्रदर्शन के लिये, सभी प्रतिभागियो को आकर्षक स्म्रति चिन्ह व प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया ।

कोटा से प्रख्यात कवि- साहित्यकारों, डा. रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ और कवि कपिल खण्डेलवाल ‘कलश’ को साहित्य-कला-संस्कृति समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान के लिये और साथ ही कवि कपिल खण्डेलवाल ‘कलश’ को चित्रकारिता में भी विशेष योगदान के लिये सम्मानित किया गया।

प्रस्तुति : भीलवाड़ा से लौटकर डा रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ और कवि कपिल खण्डेलवाल ‘कलश’ की संयुक्त विज्ञप्ति। 

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सूचनाएँ/Information ☆ “चिंतामणी चारोळी” आणि “चामुंडेश्वरी चरणावली” संग्रहाचे पुजन व प्रकाशन☆ प्रस्तुति – सौ. संगिता राम भिसे ☆

☆ सूचनाएँ/Information  ☆

“चिंतामणी चारोळी” आणि “चामुंडेश्वरी चरणावली” संग्रहाचे पुजन व प्रकाशन ☆ प्रस्तुति – सौ. संगिता राम भिसे ☆

(वरिष्ठ  मराठी साहित्यकार श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे जी का धार्मिक एवं आध्यात्मिक पृष्ठभूमि से संबंध रखने के कारण आपके साहित्य में धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्कारों की झलक देखने को मिलती है. इसके अतिरिक्त  ग्राम्य परिवेश में रहते हुए पर्यावरण  उनका एक महत्वपूर्ण अभिरुचि का विषय है.  यह गर्व की बात है कि श्रीमती उर्मिला जी के  काव्य संग्रह “चिंतामणी चारोळी” आणि “चामुंडेश्वरी चरणावली” का पूजन, प्रकाशन एवं लोकार्पण कार्यक्रम ” आज सोमवार दिनांक ३०/१२/१९ विनायकी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त पर प्रातः ठीक 11 बजे  थेऊर अष्टविनायक देवस्थान पर संपन्न होने जा रहा है। ई- अभिव्यक्ति  की ओर से श्रीमती उर्मिला जी को हार्दिक शुभकामनाएं। )

श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे

सुर्यगंध प्रकाशन तर्फे, सातारा येथील कवियत्री लेखिका माझी आई, श्रीमती उर्मिला उद्धवराव इंगळे यांनी लिहिलेल्या “चिंतामणी चारोळी” या श्री गणेश वर्णानाच्या तसेच चामुंडेश्वरी चरणावली या आदिशक्तीचे स्तुती वर्णन अष्टाक्षरी चारोळी संग्रहाचे पुजन व प्रकाशन आज सोमवार दिनांक ३०/१२/१९ विनायकी चतुर्थी च्या सुमूहूर्तावर सकाळी ठिक ११ वा. थेऊर अष्टविनायक देवस्थान येथे संपन्न होत आहे.

या कार्यक्रमास अष्टविनायक देवस्थान चे प्रमुख विश्वस्त ह. भ. प. श्री. आनंद महाराज तांबे व श्री. स्वानंद देव अध्यक्ष चित्रपट व नाट्यसंस्था महाराष्ट्र राज्य तसेच कवी – कवियत्रि लेखक, चित्रपट क्षेत्रातील नामवंत इ. उपस्थित रहाणार आहेत.

माझ्या आई श्रीमती. उर्मिला इंगळे यांच्या या पूर्वी काव्यपुष्प कविता संग्रह, प्रती १५००, स्वागत मुल्य रामनाम, माझे वडील कै. उद्धवराव  इंगळे यांच्या हस्ते ५/५/२०१८ रोजी सातारा येथे प्रकाशन झाले.

चैतन्य चारोळी या पुज्य. गोंदवलेकर महाराजांच्या कृपाशीर्वादाने सुचलेल्या अध्यात्मिक चारोळ्यांनी गुंफलेल्या “सुर्यगंध प्रकाशन ने प्रकाशित केलेल्या संग्रहाचे प्रकाशन संमेलनाध्यक्ष या. श्रीपाल सबनीस यांच्या हस्ते भव्य दिव्य कार्यक्रमा द्वारे दि. २ जून २०१९ रोजी झाले.

चिरंजीवी चारोळी हा संग्रह भगद्भक्ति बलोपासना व स्वामीनिष्ठा या त्रिसूत्रीला लाभलेली प्रतिभा शक्तिची जोड या मूळे भक्ति रसाने ओतप्रोत भरलेला हा संग्रह केसरी नंदन बलभीम, हनुमान यांच्या भावभक्तिचे चरित्र गुणवर्णनाने वाचनिय ठरला आहे. यातील चारोळ्या श्रीसमर्थ रामदास स्वामी यांनी स्थापन केलेल्या ११ मारूतींचे सालंकृत दर्शन व पुज्य श्रीधर स्वामींनी सुंदर कांडातील केलेले श्रीमारूती माहात्म्य ही चारोळी रुपी फुले गुंफंण्याचे मौलिक कार्य माझ्या आईने केले आहे.

श्री समर्थ सेवा मंडळ सज्जनगड समिती तर्फे प्रतिवर्षी क्षेत्र चाफळ येथे श्रवणातल्या तिसऱ्या शनिवारी सामुदायिक हनुमान उपासना आयोजित केली जाते. त्यात महाराष्ट्रातील अनेक समर्थ भक्त येतात, त्यांना दिनांक २४/८/१९ रोजी प्रसाद म्हणून वाटप करता यावेत यासाठी अल्पवेळात लिहून लोकमंगल मुद्रणालय, सातारा यांनी अत्यल्प वेळात सुबक छापून दिल्याने ५०० प्रति चाफळ येथे एकावेळी प्रसाद म्हणून वाटल्या याचा आनंद आईला खुप झाला.

संग्रहांचे मुल्य “रामनाम” यासाठी कि माझी आई म्हणते वाचकाने फक्त एकदा हातात घेतले तरी त्याच्या मुखी रामनाम येईल व ते माझ्या श्री. ब्रम्हचैतन्य महाराजांनी उघडलेल्या ” राम रतन धन” या बॅंकेत जमा होईल, इति श्रीराम!!

©️®️ सौ. संगिता राम भिसे

दि : ३०/१२/१९

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सूचनाएँ/Information – ☆ बालसाहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को विशिष्ट प्रतिभा सम्मान 2019 ☆

सूचनाएँ/Information

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

☆ बालसाहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को विशिष्ट प्रतिभा सम्मान 2019 ☆

 

राजस्थान के भीलवाड़ा स्थित विनायक विद्यापीठ परिसर में “हम सब साथ साथ” के बैनर तले सातवाँ अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया एवं मैत्री सम्मान समारोह 2019 का आयोजन 24 और 25 दिसंबर को आयोजित किया गया। इस सम्मान समारोह के लिए प्रसिद्ध बालसाहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को बालसाहित्य में विशेष योगदान के चयनित कर आमंत्रित किया गया था।

समाज में भाईचारे और विश्व बंधुत्व की भावना के विकास में सोशल मीडिया की भूमिका विषय पर आयोजित परिचर्चा में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने और बालसाहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को विशिष्ट प्रतिभा सम्मान 2019 से सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान ‘हम सब साथ साथ’ के राष्ट्रीय संयोजक तथा देश और दुनिया के जाने माने शख्सियत श्री किशोर श्रीवास्तव, वीर रस के लब्धप्रतिष्ठित कवि योगेंद्र शर्मा ,समाजसेवी विनोद बब्बर ,और नामचीन साहित्यकार डॉ प्रीति समकित सुराना के करकमलों से प्राप्त हुआ।
इस कार्यक्रम में देशविदेश के जाने माने प्रतिभावान कलाकारों ने हिस्सा लिया । नेपाल से अंजलि पटेल,  अमेरिका शिकागों से रेडियो प्रतिनिधि विशाल पांडेय, फिजी से स्वेता चौधरी सहित पूरे देश से पधारे हुए  कला, साहित्य एवं समाजसेवा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले अनेक प्रतिभासंपन्न साथियों ने इस में भाग लिया।
 ई-अभिव्यक्ति द्वारा श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”  जी को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई।

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