सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर पर्सन हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम रचना – नवगीत – प्रिय नेताजी…

? रचना संसार # 6 – नवगीत – प्रिय नेताजी…  ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’ ? ?

प्रिय नेताजी,

तुमसे विनती करती जनता,

बातें हैं सब सच्ची।

 *

काश ! ग़रीबी मिट जाए यह,

कर भी लो कुछ वादा।

मरें सड़क पर हम सब भूखे,

ज्यों बिसात के प्यादा।

तरस रहे मिल जाए हमको,

चाहे रोटी कच्ची।

 *

सोते रहते हो महलों में,

मखमली बिछौने पर।

फुटपाथों पे हम रह खाते,

भी पत्तल-दौने पर।।

जीवन अब तो नर्क हुआ है,

खाते हरदम गच्ची।

 *

करो निदान समस्याओं का,

पा जाएँ संरक्षण।

मिल जाए हमको भी थोड़ा,

सेवा में आरक्षण।।

अच्छे दिन कब तक आएँगे,

पूछे घर की बच्ची।

© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)

संपर्क –1308 कृष्णा हाइट्स, ग्वारीघाट रोड़, जबलपुर (म:प्र:) पिन – 482008 मो नं – 9424669722, वाट्सएप – 7974160268

ई मेल नं- [email protected], [email protected]

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकश पाण्डेय ≈

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