(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है । प्रस्तुत है साप्ताहिक स्तम्भ की पाँचवी कड़ी में उनकी एक सार्थक व्यंग्य कविता “राजनीति के तीतर”। अब आप प्रत्येक सोमवार उनकी साहित्य की विभिन्न विधाओं की रचना पढ़ सकेंगे।)
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण रचना “होम करते रहे हाथ जलते रहे.!”)
(श्री सुजित कदम जी की कवितायेँ /आलेख/कथाएँ/लघुकथाएं अत्यंत मार्मिक एवं भावुक होती हैं। इन सबके कारण हम उन्हें युवा संवेदनशील साहित्यकारों में स्थान देते हैं। उनकी रचनाएँ हमें हमारे सामाजिक परिवेश पर विचार करने हेतु बाध्य करती हैं। आज प्रस्तुत है उनकी एक सामयिक कविता “वारकरी…! ”। )
(युवा साहित्यकार श्री आशीष कुमार ने जीवन में साहित्यिक यात्रा के साथ एक लंबी रहस्यमयी यात्रा तय की है। उन्होंने भारतीय दर्शन से परे हिंदू दर्शन, विज्ञान और भौतिक क्षेत्रों से परे सफलता की खोज और उस पर गहन शोध किया है। अब प्रत्येक शनिवार आप पढ़ सकेंगे उनके स्थायी स्तम्भ “स्मृतियाँ/Memories”में उनकी स्मृतियाँ । आज के साप्ताहिक स्तम्भ में प्रस्तुत है एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति “पगली गलियाँ”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ स्मृतियाँ/MEMORIES – #8 ☆
☆ पगली गलियाँ ☆
बचपन गुजर भी गया तो क्या हुआ ?
याद वो पगली गलियाँ अब भी आती हैं।
क्यों ना हो जाये फिर से वही पुराना धमाल
वही मौसम है, उत्साह है और वही साथी हैं।
कल जो काटा था पेड़ कारखाना बनाने के लिए
देखते हैं बेघर हुई चिड़िया अब कहाँ घर बनाती है|
गरीब जिसने एक टुकड़ा भी बाँट कर खाया
ईमानदारी उस के घर भूखे पेट सो जाती है |
बरसों से रोशन है शहीदों की चिता पर
सुना है इस जलते दिये में वो ही बाती है |
(डा. मुक्ता जी हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक एवं माननीय राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित/पुरस्कृत हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य” के माध्यम से आप प्रत्येक शुक्रवार डॉ मुक्ता जी की उत्कृष्ट रचनाओं से रूबरू हो सकेंगे। आज प्रस्तुत है उनकी कविता “अबला नहीं सबला ”।
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य – # 7 ☆
(सुश्री कमला सिंह ज़ीनत जी एक श्रेष्ठ ग़ज़लकार है और आपकी गजलों की कई पुस्तकें आ चुकी हैं। आज प्रस्तुत है एक गजल । सुश्री कमला सिंह ज़ीनत जी और उनकी कलम को इस बेहतरीन अमन के पैगाम के लिए सलाम। )
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी का e-abhivyakti में स्वागत है। आपको धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं। आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है। 1982 से आप डाक विभाग में कार्यरत हैं। आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। आज प्रस्तुत हैं आपकी कृष्ण भक्ति में लीन भक्तिभाव पूर्ण रचना “कृष्ण के पद”)
संक्षिप्त परिचय
जन्म – 15 जुलाई 1961 (सिवनी, म. प्र.) सम्मान/अलंकरण –
2015 – गुंजन काला सदन द्वारा ‘काव्य प्रकाश’
2017 – जागरण द्वारा ‘साहित्य सुधाकर’
2018 – गूंज द्वारा ‘साहित्यरत्न’
2018 – गूंज कला सदन ‘सन्त श्री’
2018 – राष्ट्रीय साहित्यायन साहित्यकार सम्मेलन, ग्वालियर ‘दिव्यतूलिका साहित्यायन सम्मान’
प्रतिष्ठित संस्थाओं वर्तिका, अखिल भारतीय बुन्देली परिषद, नेमा दर्पण, नेमा काव्य मंच आदि द्वारा समय-समय पर सम्मानित भजनों की रिकॉर्डिंग – आपके द्वारा रचित भजनों की रिकॉर्डिंग श्री मिठाइलाल चक्रवर्ती की सुमधुर आवाज में की गई है जो यूट्यूब में भी उपलब्ध है
(सुश्री कमला सिंह ज़ीनत जी का e-abhivyakti में स्वागत है। आप एक श्रेष्ठ ग़ज़लकार है और आपकी गजलों की कई पुस्तकें आ चुकी हैं। आज प्रस्तुत है उनकी एक गजल)