सुश्री कमला सिंह जीनत

(सुश्री कमला सिंह ज़ीनत जी का e-abhivyakti में स्वागत है। आप एक श्रेष्ठ ग़ज़लकार है और आपकी गजलों की कई पुस्तकें आ चुकी हैं।  आज प्रस्तुत है उनकी एक गजल)

☆ गजल ☆
इस मुल्क के सुकून को मिसमार मत करो
फूलों की सर ज़मीन को तलवार मत करो
इंसानियत सिखाई है हमने जहान को।
आपस में भाई भाई हो तकरार मत करो
छल और कपट के प्यार से बहतर है दुश्मनी
जो सिर्फ़ इक फ़रेब हो  वो प्यार मत करो
मुश्किल से दिल के ज़ख़्म भरे हैं अभी अभी
इन मुस्कुराते फूलों को बीमार मत करो
दुनिया इन्हें झुकाने की कोशिश में है सुनो
रहने दो सीधी शाखों को ख़मदार मत करो
गर्दन कटे कहीं भी तो जी़नत को होगा ग़म
रख दो कटार  अपनी चमकदार मत करो
© कमला सिंह ज़ीनत

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डॉ भावना शुक्ल

अदभुत

Sujata Kale

बहोत बढ़िया….