श्री प्रहलाद नारायण माथुर
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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा # 35 ☆
☆ काश दिल का हाल पहले ही जान जाते ☆
काश ख्वाब हकीकत में बदल जाते,
जिंदगी खुशनुमा बन जाती ||
काश सबके मन की बात पहले ही जान पाते,
दिलों में दरारें आने से बच जाती ||
काश दिलों को हम पहले ही समझ लेते,
जिंदगी नफरतों का घरोंदा बनने से बच जाती ||
काश दिल का हाल जान मैं ही एक पहल कर लेता,
जिंदगी के खुशनुमा लम्हें यूं ही जाया होने से बच जाते ||
काश दिल का हाल पढ़ हम कुछ गम पी जाते,
हम गलतफहमियों के शिकार होने से बच जाते ||
काश हम एक दूसरे के दुःख दर्द महसूस कर पाते,
रिश्ते गलतफहमियों के शिकार होने से बच जाते ||
© प्रह्लाद नारायण माथुर