श्री प्रहलाद नारायण माथुर

( श्री प्रह्लाद नारायण माथुर जी अजमेर राजस्थान के निवासी हैं तथा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से उप प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। आपकी दो पुस्तकें  सफर रिश्तों का तथा  मृग तृष्णा  काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं तथा दो पुस्तकें शीघ्र प्रकाश्य । आज से प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा  जिसे आप प्रति बुधवार आत्मसात कर सकेंगे। इस कड़ी में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता काश दिल का हाल पहले ही जान जाते। ) 

 

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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा # 35 ☆

☆ काश दिल का हाल पहले ही जान जाते ☆

काश ख्वाब हकीकत में बदल जाते,

जिंदगी खुशनुमा बन जाती ||

 

काश सबके मन की बात पहले ही जान पाते,

दिलों में दरारें आने से बच जाती ||

 

काश दिलों को हम पहले ही समझ लेते,

जिंदगी नफरतों का घरोंदा बनने से बच जाती ||

 

काश दिल का हाल जान मैं ही एक पहल कर लेता,

जिंदगी के खुशनुमा लम्हें यूं ही जाया होने से बच जाते ||

 

काश दिल का हाल पढ़ हम कुछ गम पी जाते,

हम गलतफहमियों के शिकार होने से बच जाते ||

 

काश हम एक दूसरे के दुःख दर्द महसूस कर पाते,

रिश्ते गलतफहमियों के शिकार होने से बच जाते ||

 

© प्रह्लाद नारायण माथुर 

8949706002
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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