हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 137 ☆ दोहा सलिला… ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी द्वारा रचित  दोहा सलिला)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 137 ☆ 

☆ दोहा सलिला ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

मोड़ मिलें स्वागत करो, नई दिशा लो देख

पग धरकर बढ़ते चलो, खींच सफलता रेख

*

सेंक रही रोटी सतत, राजनीति दिन-रात।

हुई कोयला सुलगकर, जन से करती घात।।

*

देख चुनावी मेघ को, दादुर करते शोर।

कहे भोर को रात यह, वह दोपहरी भोर।।

*

कथ्य, भाव, लय, बिंब, रस, भाव, सार सोपान।

ले समेट दोहा भरे, मन-नभ जीत उड़ान।।

*

सजन दूर मन खिन्न है, लिखना लगता त्रास।

सजन निकट कैसे लिखूँ, दोहा हुआ उदास।।

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

२-५-२०१८, जबलपुर

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ –’आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र’ – लघुकथा प्रतियोगिता – वर्ष 2023 के परिणाम घोषित – ☆ आयोजिका – डॉ ऋचा शर्मा ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

 

🌹‘आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र’ – लघुकथा प्रतियोगिता वर्ष – 2023 के परिणाम घोषित –🌹

आयोजिका – डॉ. ऋचा शर्मा

1. प्रथम पुरस्कार – पुष्पा कुमारी ‘पुष्प’ – सन्नाटा’

2. द्वितीय पुरस्कार – शर्मिला चौहान – ‘बदलता जायका’

3. तृतीय पुरस्कार – (1) मधु जैन – ‘अनपढ़’ (2) अवंती श्रीवास्तव – विश्वास’

प्रोत्साहन पुरस्कार –

1. महावीर राजी – ‘स्त्रियां कभी बीमार नहीं पड़ती’

2. रामकरन – ‘डर’

3. यशोधरा यादव ‘यशो’ – ‘जीवन का उद्देश्य’

4. नवसंगीत सिंह – ‘हर घर तिरंगा’

पुरस्कार –

प्रथम पुरस्कार – ₹2100

द्वितीय पुरस्कार – ₹1100

तृतीय पुरस्कार – (2) ₹ 750

प्रोत्साहन पुरस्कार (4)- ₹500

इस प्रतियोगिता के परिणाम घोषित करते हुए हमें अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है। पूरे देश से लघुकथाकारों ने बहुत उत्साह से अपनी लघुकथाएं हमें भेजी | हम आपका हार्दिक अभिनंदन करते हैं । ‘आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र लघुकथा सम्मान समिति’ की ओर से लघुकथाकारों तथा परीक्षकों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं |

परीक्षक –

1. श्री रामेश्वर कांबोज “हिमांशु ‘

2. श्री सुकेश साहनी

आयोजिका –  डॉ. ऋचा शर्मा

प्रोफेसर एवं अध्यक्ष – हिंदी विभाग, अहमदनगर कॉलेज, अहमदनगर. – 414001, e-mail – [email protected]  मोबाईल – 09370288414.

संयोजक – लघुकथा शोध केंद्र ,अहमदनगर तथा हिंदी सृजन सभा, अहमदनगर

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ साहित्य की दुनिया ☆ प्रस्तुति – श्री कमलेश भारतीय ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय  🌹

(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)

☆ पुस्तक मेलों की बढ़ती लोकप्रियता

पुस्तक मेला पहले दिल्ली में ही वर्ष में एकबार लगता था लेकिन अब पुस्तक मेलों की आवश्यकता और महत्त्व बढ़ता जा रहा है , खासतौर पर डिजीटल युग यदि हमें छपी हुई पुस्तक बचानी है । अब सिर्फ दिल्ली ही नहीं अनेक शहरों में पुस्तक मेले लगने लगे हैं । दिल्ली के इस बार के पुस्तक मेले पर लम्बी लम्बी कतारों ने छपी हुई पुस्तकों के प्रति पाठकों के प्यार को प्रदर्शित कर दिया था ।एनबीटी के अलावा भी अनेक संस्थायें और विश्वविद्यालय पुस्तक मेले आयोजित कर रहे हैं । फिलहाल गर्मी की मार से हटकर, बचकर हिमाचल की राजधानी शिमला में जून माह में पुस्तक मेला आयोजित किये जाने की खबर है जिसे हिमालय मंच सहयोग देगा । अभी चंडीगढ़ में राजकमल प्रकाशन ने भी पुस्तक मेला आयोजित किया था।

साथी पहली बार’ कृति का विमोचन : हरियाणा के चर्चित रचनाकार बी मदन मोहन की नयी कृति ‘साथी पहली बार’ का विमोचन यमुनानगर के मुकुंद लाल नेशनल काॅलेज में हुआ । पुस्तक में मानव जीवन के अनेक भाव व्यक्त करतीं रचनायें हैं । वरिष्ठ साहित्यकार के के ऋषि मुख्यातिथि रहे जबकि कथाकार डाॅ अशोक भाटिया विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे । अनेक साहित्यकारों ने भी विमोचन समारोह में अपनी उपस्थिति से इसकी गरिमा बढ़ाई । बी मदन मोहन को नयी कृति के प्रकाशन पर बधाई।

प्रयागराज में लोई चले कबीरा पर चर्चा : प्रयागराज की संस्था कहकशां फाउंडेशन की ओर से प्रताप सोमवंशी के नाटक लोई चले कबीरा पर विचार चर्चा आयोजित की गयी । जलज श्रीवास्तव ने कबीर के भजनों का गायन कर मंत्रमुग्ध कर दिया । एहतराम इस्लाम ने अध्यक्षता की और संचालन व आयोजन संस्थापक आनंद कक्कड़ ने किया । अनेक रचनाकार मौजूद रहे ।

प्रवासी लेखन पर चर्चा : प्रवासी लेखन पर पिछले सप्ताह आज समाज के इस स्तम्भ में जो चर्चा की गयी थी जिसे देश ही नहीं विदेश में भी गंभीर रूप से चर्चा हुई । कोशिश रही कि सबके बारे में बात की जाये और कई भी । फिर भी कुछ नाम रह गये । निर्मल जायसवाल ने कनाडा से फोन कर अपनी साहित्यिक यात्रा की जानकारी दी । विदेश में ही बसीं हंसा दीप और उनके पति धर्म महेंद्र जैन भी खूब काम कर रहे हैं । अभी हमने पंजाबी प्रवासी लेखन पर बात नहीं की है क्योंकि इनकी सूची बहुत लम्बे है । ये लेखक भी अपनी मातृभाषा पंजाबी को विदेशों में पहुंचाने में भरपूर योगदान दे रहे हैं ।

साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (8 मई से 14 मई 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (8 मई से 14 मई 2023) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

हम सभी जानते हैं हनुमान चालीसा की एक-एक चौपाई और दोहे साधारण कविता ना होकर मंत्र है । आज की चौपाई है:-

जम कुबेर दिगपाल जहां ते,

कबि कोबिद कहि सके कहां ते ।।

हनुमान चालीसा की इस चौपाई के बार बार मन क्रम वचन से एकाग्र होकर पाठ करने से यश कीर्ति की वृद्धि होती है, मान सम्मान बढ़ता है ।

मैं पंडित अनिल पाण्डेय आज आपको 8 मई से 14 मई 2023 तक अर्थात विक्रम संवत  2080 शक संवत 1945 के जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की  तृतीया से जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के लिए आपके सामने उपस्थित हूं  । आप सभी को मेरा नमस्कार ।

इस सप्ताह में प्रारंभ में चंद्रमा वृश्चिक राशि में रहेगा । 8 तारीख को ही 8:20 रात से धनु राशि में प्रवेश करेगा ।  उसके उपरांत 10 तारीख को 11:24 रात से मकर राशि में और 12 तारीख को 1:45 रात से कुंभ राशि में गोचर करेगा । इस सप्ताह सूर्य और मंगल  ग्रहों की राशि में परिवर्तन होगा  । सूर्य प्रारंभ में मेष राशि में रहेगा तथा 15 तारीख के 3:26 दिन से वृष राशि में प्रवेश करेगा ।मंगल प्रारंभ में मिथुन राशि में रहेगा तथा 10 तारीख के 11:57 से कर्क राशि में जाएगा ।  पूरे सप्ताह बुध मेष राशि में वक्री रहेगा , गुरु मेष राशि में रहेगा , शनि कुंभ राशि में , शुक्र मिथुन राशि में और राहु मेष राशि में वक्री रहेगा ।

आइए अब हम राशि वार राशिफल की चर्चा करते हैं ।

मेष राशि

आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य यथास्थिति रहेगा । मानसिक तनाव अगर है तो उसके समाप्त होने का समय नजदीक आ रहा है ।भाई बहनों के साथ संबंध सुधरेंगे । माताजी का स्वास्थ्य थोड़ा खराब हो सकता है । भाग्य इस सप्ताह आपका कम साथ देगा परंतु अगर आप परिश्रम करेंगे तो आप सफल रहेंगे । इस सप्ताह आपके लिए  11 और 12 मई उपयुक्त है । 8 मई को आपको सावधान रहना चाहिए । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह मंगलवार का व्रत करें । मंगलवार को ही हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम 3 बार हनुमान चालीसा का जाप करें । सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

वृष राशि

आपका लग्नेश वर्तमान में मित्र राशि में होकर धन भाव में बैठा हुआ है  ।  इसके कारण आपको धन लाभ हो सकता है । कचहरी के मामले में विवाद की स्थिति बन सकती है।  मानसिक तनाव बढ़ सकता है ।  भाई बहनों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं ।  भाग्य से आपको मदद नहीं मिल पाएगी ।  आपको कुछ भी प्राप्त करने के लिए पर्याप्त परिश्रम करना पड़ेगा ।  आपका  स्वास्थ्य ठीक रहेगा । इस सप्ताह आपके लिए 13 और 14 तारीख अच्छी हैं । 9 और 10 को आपको सावधान रहना चाहिए ।  8 तारीख को आपके जीवनसाथी को कष्ट हो सकता है । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के अविवाहित जातकों के लिए यह सप्ताह काफी अच्छा रहेगा । विवाह के अच्छे प्रस्ताव आ सकते हैं । प्रेम संबंधों में भी वृद्धि होगी । धन आने के नए-नए रास्ते बनेंगे परंतु धन आ नहीं पाएगा । भाई बहनों के साथ संबंधों में तनाव हो सकता है । इस सप्ताह आपके लिए 9 और 10 मई उत्तम और लाभप्रद है । 8 मई को आपको शत्रु पर विजय प्राप्त हो सकती है । 11 और 12 मई को आपको सावधान रहना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप राहु की शांति का उपाय करवाएं । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

यह सप्ताह आपके जीवनसाथी के लिए ठीक रहेगा । पारिवारिक संबंध में थोड़ा दुरावा सकता है  ।  अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो आपको थोड़ी परेशानी हो सकती है ।  परंतु अब कार्यालय की परेशानियों को दूर होने का समय निकट आ रहा है ।  कचहरी के कार्यों में आपको मदद मिलेगी   ।  अगर आप के ऊपर कोई कर्जा है तो उसको भी उतारने का समय आ गया है । इस सप्ताह आपके लिए 11 और 12 मई उत्तम है ।  सप्ताह के बाकी दिन आपको सावधान रहना चाहिए  ।  8 मई को आपके  संतान को प्रतिष्ठा मिल सकती है या आपको अपनी संतान से उत्तम सहयोग प्राप्त हो सकता है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं ।  सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

सिंह राशि

आप इस सप्ताह थोड़े से प्रयास में अपने शत्रुओं को खत्म कर सकते हैं । कचहरी के कार्यों में  अभी उलझने का समय नहीं है । धन आने का ठीक-ठाक योग है ।  इस सप्ताह भाग्य कभी आपकी मदद करेगा और कभी नहीं करेगा  ।इसलिए भाग्य के स्थान पर अपने परिश्रम पर विश्वास करें ।  इस सप्ताह आपके लिए कार्यों को करने के लिए 13 और 14 मई उपयुक्त हैं  । 13 और 14 मई को आप अधिकांश कार्यों में सफल रहेंगे ।  11 और 12 मई को आपको सावधान रहना चाहिए  ।  8 मई को आपके माताजी को थोड़ी बहुत परेशानी हो सकती है  । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप घर की बनी पहली रोटी  गौ माता को  खिलाएं ।  सप्ताह का शुभ दिन रविवार है ।

कन्या राशि

8 मई को आपके सुख में वृद्धि होगी । आपके माताजी का आपको अच्छा  आशीर्वाद मिलेगा । आपका अपने भाइयों के साथ इस सप्ताह तनाव हो सकता है । कार्यालय में आपकी स्थिति मजबूत होगी ।भाग्य आपका साथ देगा । दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें । आपके कमर या गर्दन में दर्द हो सकता है । इस सप्ताह आपके लिए 9 और 10 मई उत्तम और लाभप्रद है । 9 और 10 मई को धन आने की उम्मीद भी है । इस सप्ताह 13 और 14 मई को आपको सावधान रहना चाहिए । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह गाय को हरा  चारा खिलाएं ।  सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपको अपने भाग्य से काफी मदद मिलेगी । भाइयों के साथ संबंध ठीक हो सकते हैं । संतान से संबंध ठीक रहेंगे । जीवनसाथी को मानसिक क्लेश हो सकता है । धन प्राप्ति के अवसर बढ़ेंगे । इस सप्ताह आपके लिए 11 और 12 मई उत्तम है । 11 और भाई 12 मई को आपको शासन से लाभ मिल सकता है । सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं ।  इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान सूर्य को प्रातः काल स्नान के उपरांत जल अर्पण करें ।  सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपके सुख में वृद्धि हो सकती है । सुख  वृद्धि हेतु धन भी  व्यय होगा । धन खर्च करते समय थोड़ा सावधान रहें  ।  इस सप्ताह आपको कई प्रकार के रोग हो सकते हैं ।   जिससे  मानसिक तनाव  अधिक रहेगा । 8 मई को आपको मानसिक तनाव कुछ ज्यादा हो सकता है । संतान से आपको पर्याप्त सहयोग प्राप्त होगा  । 13 और 14 मई को आपको लाभ प्राप्त होगा । 8 मई को आपको सावधान रहना चाहिए । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें ।  सप्ताह का शुभ दिन रविवार है ।

धनु राशि

आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा । अगर आप अविवाहित हैं तो विवाह संयोग बनेंगें । आपका अपने जीवन साथी के साथ उत्तम संबंध  रहेगा ।  प्रेम संबंधों में वृद्धि होगी ।आपके संतान को कष्ट हो सकता है । उनको मानसिक तनाव हो सकता है । दुर्घटनाओं के प्रति आपको सतर्क रहना चाहिए । इस सप्ताह आपके लिए 9 और 10 मई उत्तम और लाभदायक है । 8 मई को आपको कचहरी के कार्यों में लाभ हो सकता है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप राम रक्षा स्त्रोत का पूरे सप्ताह पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है ।

मकर राशि

यह सप्ताह आपके लिए कुछ अच्छा और कुछ बुरा रहेगा । यह सप्ताह आपको मिश्रित फल देगा ।शासकीय कार्यों में बाधा आएगी । जीवनसाथी को कष्ट हो सकता है । शत्रुओं को आप समाप्त कर सकते हैं । आपके सुख में वृद्धि होगी । माताजी के लिए यह  सप्ताह उत्तम है । इस सप्ताह आपके लिए 11 और 12 मई परिणाम दायक हैं । 11 और 12 मई को आप जो भी कार्य करेंगे उनमें आप सफल होंगे । 9 और 10 मई को आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए । 8 मई को आपको लाभ प्राप्त हो सकता है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें । सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

कुंभ राशि

यह सप्ताह आपके  और आपके जीवनसाथी के स्वास्थ्य के लिए उत्तम है । दूर देश की यात्रा भी हो सकती है । आपको अपने संतान से उत्तम सहयोग प्राप्त होगा । संतान अपने कार्यों में सफल रहेगी । प्रयास करने पर आप अपने शत्रुओं को समाप्त कर सकते हैं । भाई बहनों से संबंध तो ठीक रहेंगे परंतु किसी बात पर तनाव हो सकता है । इस सप्ताह आपके लिए 13 और 14 मई उत्तम और लाभदायक हैं । 11 और 12 मई को कोई भी कार्य करने के पहले आपको सतर्क रहना चाहिए ।  8 मई को आपको अपने कार्यालय में सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप रुद्राष्टक का पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह आपके सुख में वृद्धि होगी । माताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा । जनता में आप की प्रसिद्धि पहले  बढ़ेगी ।  संतान को कष्ट होगा । संतान से आपको सहयोग प्राप्त नहीं होगा । धन प्राप्ति में बाधा आएगी परंतु धन आ सकता है । इस सप्ताह आपके लिए 9 और 10 मई उत्तम फलदायक हैं ।  8 मई को आपका भाग्य आपका साथ दे सकता है ।  13 और 14 मई को आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए ।   इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान शिव के पंचाक्षरी  स्त्रोत  का जाप करें । सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

आपसे अनुरोध है कि इस साप्ताहिक राशिफल का  उपयोग करें और हमें इसके प्रभाव के बारे में बताएं ।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ गुलमोहोर… ☆ श्री सुहास रघुनाथ पंडित ☆

श्री सुहास रघुनाथ पंडित

? कवितेचा उत्सव ?

☆ गुलमोहोर… ☆ श्री सुहास रघुनाथ पंडित 

वैशाखातली एक शुष्क कोरडी दुपार 

तरीही त्याला होती चैतन्याची किनार 

वस्तीत असूनही निर्जन झालेले रस्ते 

मजुरांच्या छातीचे हलणारे भाते 

होरपळणारी मने आणि घामाच्या धारा 

वरून आग ओकणाऱ्या सूर्याचा मारा 

अशा या वणव्यात तरीही कुठेतरी …. 

गुलमोहोराच्या झाडावर सूर्य सांडलेला 

जमिनीचा देह पाकळ्यांनी झाकलेला 

पानापानावर खुले रसरसलेले फूल 

नकळत मनाला पडत होती भूल 

भडकलेल्या ग्रीष्मात सजलेला देह 

उदासवाण्या मनाला तेजाचा मोह …. 

वणव्यातही फुलणं जमायला हवं 

गुलमोहोराचं सांगणं समजायला हवं ……      

© सुहास रघुनाथ पंडित 

सांगली (महाराष्ट्र)

मो – 9421225491

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ तू… ☆ सुश्री शोभना आगाशे ☆

सुश्री शोभना आगाशे

? कवितेचा उत्सव ?

☆ तू… ☆ सुश्री शोभना आगाशे ☆

तुज देखता, न देखती नेत्र।

तुज ऐकता, न ऐकती श्रोत्र।

तुज स्पर्शता, न स्पर्शती गात्र।

संभ्रमित करिसी भक्तांसी॥१॥

 

तुज चिंतता, नुरे चित्तवृत्ती।

तुज आठविता, सरे विषयवृत्ती।

तुज आकळिता, विसरे देहवृत्ती।

कुंठित करिसी कर्माकर्मही॥२॥

 

तव नामा स्मरता, स्मरण विस्मरले।

तव नामरसा चाखता, अमृत फिके झाले।

तव नामोच्चारे, शब्द  निःशब्द केले।

नेसी मम वैखरी, मध्यमेतुनि पश्यन्ती॥३॥

 

© सुश्री शोभना आगाशे

सांगली 

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – विविधा ☆ “जागतिक हास्य दिन…” ☆ श्री कचरू चांभारे ☆

श्री कचरू चांभारे

अल्प परिचय

इतिहास, दुर्ग अभ्यासक, दरमहा गडकोट भटकंती. निसर्ग विषयक विपुल लेखन. अनेक मराठी ग्रंथाचे समिक्षण.

? विविधा ?

☆ “जागतिक हास्य दिन…” ☆ श्री कचरू चांभारे ☆

मे महिन्याचा पहिला रविवार जागतिक हास्य दिन म्हणून साजरा करण्यात येतो.

जीवंत राहण्यासाठी आवश्यक ती  धडपड करण्याची शक्ती प्रत्येक सजीवास नैसर्गिकरित्याच लाभलेली आहे.भूक ,भय,तृप्ती या सजीवाच्या प्राथमिक भावना आहेत.सजीव  सृष्टीमध्ये मानव हा प्रचंड संकरित प्राणी  आहे.बुद्धीवादाच्या काही पैलूंनी संशोधनाचे नवीन   आयाम मांडले व मानवी जीवनात आमुलाग्र बदल झाला.इतर प्राणी व मानव यांची तुलना केली तर अनेक वैशिष्ट्यपूर्ण देणाग्यांमुळे मानव इतरांपेक्षा खूप वेगळा ठरला आहे.हास्य ही अशीच एक मानवाला लाभलेली अप्रतिम देणगी आहे.सूक्ष्मपणे विचार केला तर हास्य ही स्वतंत्र भावना नाही ,हास्य हे आनंदाचे ,समाधानाचे प्रगटीकरण आहे.हसणं , नाचणं ,रडणं हे तीनही भावाविष्कार मानवासाठी अप्रतिम गॉडगिफ्ट आहे.पण लाज नावाची आणखी एक भावना मानवास मिळालेली आहे.ही लाज नेहमीच हसणं ,रडणं व नाचणं यांचा कोंडमारा करत आली आहे.वाढत्या वयाप्रमाणे माणसाची सामाजिक समज अधिक प्रगल्भ होत जाते ,अन् माणूस वरील तीनही प्रकारच्या भावना प्रगटीकरणाला स्वतःच लगाम घालतो.

हसणं ही नैसर्गिक भावना आहे.ज्याच्या आयुष्यात हास्य आहे तो आनंदी ,उत्साही अन् प्रेमळही असतो.आनंद शोधणं ही एक कला आहे.ज्याला आनंद शोधता येतो,हास्य त्याची आनंदाने गुलामी करतं.कशातही आनंद शोधणारास हास्याचे झरे सापडतात.ज्याला हास्य सापडतं ,ती व्यक्ती प्रभावशाली असते.हास्य हा आपला अविभाज्य घटक असला तरी ज्याने हा घटक अधिक विकसित केला आहे त्यालाच त्याचा मनमुराद आनंद घेता येतो.आज गतिमान आयुष्यात निवांतपणा हरवून गेला आहे.मानवी सहजीवनाची सहजता गुंतागुंतीची झाली आहे.ताणतणाव व दगदग यां सोबत मैत्री करून माणूस आपला सूर्योदय-सूर्यास्त मोजत आहे.हास्य ही फक्त भावनाच आहे असे नाही तर ते एक प्रभावी औषध आहे.दहा मिनिटाच्या व्यायामाने हृदयाचा जेवढा व्यायाम होतो,तेवढाच व्यायाम एक मिनिटाच्या प्रसन्न हसण्याने होतो.हसल्यामुळे शरीरात सेटोटेटीन हे आनंदाचे हार्मोन्स तयार होतात.त्यामुळे भूक कमी लागते.’तुला पाहून मन भरलं ‘.असं जे आपण व्यवहारात बोलतो ना त्याचं मूळ इथं आहे.हसण्यामुळे एंडोर्फिस हे हार्मोन्स सुद्धा निर्माण होते.या हार्मोन्समुळे मनात फील गुडची भावना तयार होते.त्यामुळे दुःखावर हलकी फुंकर राज्य करते.

हास्याचेही अनेक प्रकार पडतात.स्मित हास्य हे सर्वश्रेष्ठ हास्य आहे.जिथं ओळख आहे ,तिथेच ते निर्माण होते.ओळखीच्या व्यक्तीच्या नजरानजरीची ओळख पटली की हृदय त्या ओळखीचा पुरावा स्वीकारते व चेह-यावर मंद प्रसन्न स्मित झळकते.स्मित हास्यात चेह-यावरचे स्नायू फार प्रसरण पावत नसले तरी अंतरीच्या खोलातून आलेली प्रसन्नता संपूर्ण चेह-यावर पसरते.हास्य हा कबुली जबाबाचा करारनामा म्हणून सुद्धा काम करते.एखाद्याची गोष्ट पटली तर हसून दाद दिल्यास ,दोन्ही पक्ष खूश होतात.गडगडाटी हास्य हा हास्याचा प्रकार सगळ्यांचच लक्ष वेधून घेतो पण पाहणारांची नाराजी झाल्यास ,हसणाराच्या मनात अपराधीभाव येतो.हसून काय पाप केलं ? याच्या उत्तरात तो गुंतून जातो.विनोदाला दाद हे ही हास्याचे एक रूप आहे.हास्याचे सगळेच प्रकार आनंद व्यक्त करणारे असतात.पण याला अपवाद आहे तो कुत्सित किंवा छद्मी हास्याचा.हास्याच्या प्रकारात कुत्सित हास्य हा अतिशय निकृष्ट प्रकार आहे.एकवेळ हास्य थांबलं तरी चालेल ,पण कुत्सित हास्याचा उगम कोठेच होऊ नये.हास्य ही माणसाला मिळालेली देणगी असली तरी आज आपल्यावर हास्य क्लब निर्माण करण्याची वेळ आली आहे.ही घटना म्हणजे नैसर्गिकतेचा अभाव अन् कृत्रिमतेचा प्रभाव सांगणारी आहे.

हास्य हे एक जादूई रसायन आहे.माधुरी दिक्षित  नेने झाली.हळुहळू पन्नाशीत गेली. तरी तिचं हसणं फिल्म इंडस्ट्रीतलं भूरळ आहे.पुढे हाच हास्य वारसा मुक्ता बर्वे ,अमृता खानविलकर या मराठी तारकांनी जपला आहे.हसताना गालावर पडली ,की ती खळी कितीतरी जणांसाठी वरदानच ठरते.लहान मुलांचं हसणं अतिशय लोभस अन् गोंडस.हसरं मूल दिसलं की त्याला उचलून घेण्याचा मोह आवरतच नाही.हसताना उघडलेल्या मुखात,सरळ दिसणारी दंतपंक्ती ,केसांची हालचाल हास्याचे सौंदर्य अधिकच खुलविते.हसण्याचं ठिकाण बदललं की त्याप्रमाणे भावही बदलत जातात.लहानमुलांसोबतच्या हास्यात दुःख विरघळविण्याची क्षमता असते.आई वडीलांसोबत हसताना विश्वास वाढतो.बायकोसोबत हसताना अनेक संमिश्र भावाच्या छटा असतात.कारण ती जबाबदार आयुष्याची भागीदार असते.ही जबाबदारी समर्थपणे पेलताना प्रतिपूर्तीचे अनेक क्षण हास्य जन्माला घालतात.मित्रा मित्रातले हास्याचे फवारे मानवी जगतापासून दूर गेलेल्या दुनियेतले असतात.तिथे फक्त मैत्री हीच दुनियादारी असते.प्रिय व्यक्तीच्या हसण्याचा आवाज ऐकण्याची आतुरता व त्याचं नेहमीचं चिरपरिचित हसणं ऐकून होणारी तृप्तता ; हे हास्य मात्र अवर्णनीय तृप्ती देणारं असतं.त्या हास्यासाठी दोन्ही मने सारखीच वेडावलेली असतात.

मानवानं या देणगीचं मोल समजून घ्यायलाच हवं.हसरी व्यक्ती नेहमीच त्याच्या उपस्थितीची दखल घ्यायला लावत असते.नव्हे नव्हे ,अशा व्यक्तीची दखल घेणं इतरांनाच खूप आवडत असतं.हसा आणि हसवा हा मार्ग दीर्घायुषी रस्त्याला समांतरपणे धावत असतो.म्हणून हसा ,हसत राहा,हसवत राहा.

जागतिक हास्य दिनाच्या सर्वांना हार्दिक शुभेच्छा.

© श्री कचरू चांभारे

संपर्क – मुख्याध्यापक, जि. प. प्रा. शाळा, मन्यारवाडी, ता. जि. बीड

मो – 9421384434 ईमेल –  [email protected]

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ.उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ.मंजुषा मुळे/सौ.गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – विविधा ☆ “असाही एक उपास…” ☆ सौ कल्याणी केळकर बापट ☆

सौ कल्याणी केळकर बापट

? विविधा ?

☆ “असाही एक उपास…” ☆ सौ कल्याणी केळकर बापट ☆

तारीख होती 2 मे. त्यामुळे बहुतेक सगळ्या वर्तमानपत्रांना सुट्टी होती. मग मनात विचार आला आपणही सुट्टी घेऊन बघूया कां ? मग ठरवलं आजच्या दिवशी लिखाणाला सुट्टी. आता कुणी ह्याला आळस म्हणू शकता किंवा कुणी रोजच्या रुटीन मध्ये केलेला हलकासा बदल. आज सोशलमिडीया मग व्हाटस्अँप वा फेसबुक ह्यावर पोस्ट लिहायला सुट्टी, त्यामुळे काल ह्यावर इतरांनी लिहीलेल्या  पोस्ट चं भरभरून वाचन केले. मस्त आलेल्या आँडीओ,व्हिडीओ क्लिप्स चा मस्त आस्वाद घेतला. काल सगळ्यांचे आलेले गुडमाँर्निंग वाफाळत्या आलं,गवतीचहा टाकून केलेल्या वाफाळत्या चहाबरोबर आस्वाद घेतला. काल अगदी समरसून ह्याचा स्वाद घेतांना जिभेवर स्वाद घोळवत तोंडून आपोआप उस्फुर्तपणे निघालं ,”वाह आज”.

काल मनोमन एक उपास करायचं ठरविले होते,खरतरं माझ्यासाठी अशक्यप्राय वाटणारा उपास होता,पण स्वतःवर श्रद्धा असली की उपास पण सहज निभावता येतो ही खात्री पटली.

त्यामुळे कालचा दिवस कुणालाही कोणतीही पोस्ट न पाठवणे ह्या निश्चयाने सुफळ संपूर्ण झाला. ह्याचा फायदा म्हणजे काल भरपूर वाचन करता आलं. आणि भरपूर लोकांनी पोस्ट नसल्याची दखल घेऊन मेसेजेस केले.त्यांच काळजी करणं,पोस्टची ओढ ही मला नक्कीच सुखावून गेली.असो

कालच्या सुट्टी मुळे असे सुखद अनुभव आले. ह्या सगळ्यांचे धन्यवाद मानून औपचारिकता दर्शविणार नाही आणि त्यांना परकंही करणार नाही.

©  सौ.कल्याणी केळकर बापट

9604947256

बडनेरा, अमरावती

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ.उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ.मंजुषा मुळे/सौ.गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – जीवनरंग ☆ पार्टी – भाग २ – लेखक : श्री शशांक सुर्वे ☆ प्रस्तुती – सौ अंजली दिलीप गोखले ☆

सौ अंजली दिलीप गोखले

?जीवनरंग ?

☆ पार्टी – भाग २ – लेखक : श्री शशांक सुर्वे ☆ प्रस्तुती – सौ अंजली दिलीप गोखले

(मागील भागात आपण पाहिले – रस्ता संपत नव्हता आणि ती कुत्री काही केल्या पाठलाग सोडत नव्हती…गाडी थांबवून त्या कुत्र्यांना हुसकावून लावण्याचा विचार त्यांच्या मनाला शिवलाच नाही…कारण थांबला की खेळच संपणार होता…अचानक मागून अनुप जोरात ओरडला, “पक्या…पक्या….ते बघ तिथं…तिथं घर दिसाय लागलं…चल लवकर तिथं!” आता इथून पुढे) 

एक मिणमिणत्या लाईटीचा उजेड एका दगडी कौलारू घरावर पडला होता…..ओसाड अश्या माळरानावर ते घर एकटच उभं होतं…..प्रकाशने बाईकचा वेग वाढवला आणि बाईक त्या दगडी कौलारू घराच्या दिशेने चालली…..त्या घराच्या दगडी भिंतीवर काहीश्या विचित्र भाषेत काहीतरी लिहल होत…..घरावर एक बोर्डही लागला होता….ते घर जसजसे जवळ येऊ लागलं तसं मागे लागलेली ती भयानक कुत्री एकेक करून अंधारात गायब होऊ लागली….दोघांनी थोडा निश्वास सोडला…दोघांनाही प्रचंड तहान लागली होती….आधीच दोघेही प्रचंड थकले होते….सगळं अंग घामाने भिजले होते घसा कोरडा पडला होता…..दोघांनी मागे वळून बघितले मागे एक लांबलचक रस्ता दिसत होता….आजूबाजूची पांढरी माती अगदीच अनोळखी होती….त्या कमानीतून आपण एका दुसऱ्या दुनियेत आलोय की काय असा भास अनुपला होत होता तोच काहीसा खरा ठरत होता…..ह्या पांढऱ्या मातीवरून तर हा नक्कीच महाराष्ट्र वाटत नव्हता..आणि ते अनोळखी भाषेतले फलक??..कदाचित आपण एका दुसऱ्या राज्यात आहोत किंवा एखाद्या दुसऱ्या देशात??…..शक्यता नाकारता येत नव्हती….एकाच रात्रीत बऱ्याच अविश्वसनीय,भयंकर आणि जीवघेण्या गोष्टी घडल्या होत्या…..काहीही घडू शकत होत…..दोघांनी गाडी त्या घराबाहेर पार्क केली घरावरी एक अनोळखी “ホテルの客” अश्या अक्षरात काहीतरी लिहलं होतं…घराचे बांधकाम भारतीय वाटत नव्हते….छप्पर उताराचे आणि बांबूनी बनले होते…..बाहेरून दगडी विटांचे बांधकाम होते….एक रूमचे घर असावे असं बाहेरून वाटत होते…अनुप आणि प्रकाश त्या घराच्या पायऱ्या चढून दरवाज्याजवळ पोहोचले…..दरवाजा जवळपास मोडकळीस आला होता…..अनुपने फक्त एक बोट लावले आणि कर्रर्रर्रर्रर्रर्र असा आवाज करत तो दरवाजा पूर्णपणे उघडला गेला….अजून एक धक्का दोघांचेही डोळे विस्फारून गेला….बाहेरून लहान एक खोलीचे दिसणारे घर आतून मात्र एका प्रशस्त हॉल सारखे होते हा हॉल खूपच मोठा वाटत होता….दुरून परत तो कुत्र्यांचा आवाज आला आणि दोघांची पावले त्या घरात पडली…..एक मोठा हॉल मधेच एक मोठा डायनिंग टेबल ठेवला होता…..त्या मोठ्या हॉल मध्ये उजेड कमी जास्त होत होता कारण आजूबाजूला लावलेल्या मशालीची ज्योत ज्या बाजूला जाईल तिथे उजेड असा खेळ सुरू होता…मशालीच्या आगीच्या केसरी रंगात तो हॉल उजळून निघाला होता….सगळं वातावरण दोघानाही अनोळखी होत….ते त्या वातावरणात खेचले जात होते….पाऊले आपोआप आत पडत होती….हॉल च्या आजूबाजूला काही खोल्या होत्या त्यांची दारे जुन्या दरवाज्यानी बंद होती…..डाव्या बाजूला काही लाकडी ड्रम ठेवले होते त्यावर लाकडी झाकण होते…..दोघांच्याही नजरा त्या आश्रयात मानवी अस्तित्वाला शोधत होत्या….अनुपची नजर चारी दिशांना फिरत होती इतक्यात प्रकाशाची खुनावणारी थाप अनुपच्या खांद्यावर पडली आणि तो भानावर आला….समोरच्या एका स्टेज सारख्या कोपऱ्यात एक म्हातारा गुडघ्यात आपले डोके लपवून बसला होता…..होय म्हातारच होता तो…..त्याचा चेहरा जरी दिसत नसला तरी अर्धे टक्कल आणि मागे असलेल्या पांढऱ्या फेक केसांमुळे अंदाज बांधता येत होता सोबत त्याचे शरीर अगदीच अशक्त होतं…..हाडाला मांस चिटकलं होत अंगावर सुरकुत्या काळे तीळ त्या जीर्ण वृद्ध देहाची ओळख करवून देत होत्या…..तो म्हातारा गुडघ्यात तोंड लपवून पुढे मागे डुलत होता काहीतरी विचित्र भाषेत पुटपुटत होता….त्याच्या डोक्यात एक छोटंसं छिद्र आणि त्यातून पांढरा स्त्राव वाहत होता त्याचा उग्र वास सगळीकडे पसरला होता….खांद्याची पाठीची हाडे स्पष्ट दिसत होती…..त्याचा तो भयानक अवतार बघून अनुप आणि प्रकाशने एकमेकाकडे बघितले शेवटी धाडस करून अनुप बोलला,

“व आजोबा….थोडं पाणी मिळलं का प्यायला?”

तो आवाज ऐकून तो जीर्ण झालेला देह शांत झाला…..आणि आपले गुडघ्यात लपवलेला चेहरा वर न काढता एक हात बाहेर काढून त्या लाकडी ड्रम कडे बोट दाखवले…..त्या हाताकडे दोघे काहीवेळ बघतच राहिले…..लांब बोटे त्यावर लांब काळी नखे मानवी वाटत नव्हतीच…..दोघांनी लगेच तिथून काढता पाय घेतला……घसा कोरडा पडला होता…तहानेने पूर्ण अंग थरथरत होते त्यामुळे दोघेजण त्या लाकडी ड्रम जवळ पोहचले…..एक विचित्र असा वास त्या ड्रम मधून येत होता पण तहान तर प्रचंड लागली होती त्यामुळे प्रकाशने ड्रमचे झाकण उघडले……समोर जे काही होतं ते बघून दोघेही भीतीने जवळपास खालीच कोसळले….ड्रम रक्ताने काठोकाठ भरला होता एक दोन मानवी मुंडकी त्या लाल भडक रक्तावर तरंगत होती…..बसल्या बसल्या अनुपचे लक्ष समोरच्या खोलीवर गेले त्या खोलीचे दार उघडले गेले होती…..मानवी हाडांचा कवट्यांचा खच च्या खच त्या खोलीत तुडुंब कोंबून भरला होता …बाहेर येऊ पाहत होता…..अनुप आणि प्रकाश आता जोरजोरात किंचाळू लागले….कित्येक लोकांची हाडे होती ती.

कट कट कर्रर्रर्रर्रर्र कर्रर्रर्रर्रर्र….

घामेजलेल्या त्या दोन चेहऱ्यांनी त्या आवाजाच्या दिशेने बघितले……मशालीच्या उजेडात तो अगदी अमानवी वाटत होता…..तो म्हातारा आता त्यांच्या समोर उभा होता…..आपला जबडा फूटभर ताणवून उघड्या जबड्याने आणि काळ्या उभ्या डोळ्यांनी तो त्या दोघांच्याकडे बघत होता…..त्या जबड्यात छोटे छोटे असंख्य दात होते….हातांनी आकार बदलला होता 7,8 फुटी देहाचे हात लांबून आता जमिनीला टेकत होते…..त्या हातांची बोटे लांबलचक पसरली होती…..अनेक दिवसांपासून किंवा वर्षांपासून उपाशी असलेला तो अशक्त देह….मानवी मांस खाऊन जगत असावा आणि बक्षीस म्हणून हाडांचा संग्रह करून ठेवत असावा…..कित्येक दिवसापासून तो उपाशी असावा अंदाज नव्हता….लांब उघडलेला जबडा त्या दोघांचे लचके तोडायला रक्त प्यायला आसुसला होता…..समोरच दृश्य बघून अनुप आणि प्रकाश जिवाच्या आकांताने बाहेर पळत सुटले…..मागोमाग तो अमानवी म्हातारा हातांचा आणि पायाचा आधार घेत एखाद्या चारपाई प्राण्याप्रमाणे चिरररररररर चिरररररररर अस किंचाळत त्यांच्या मागे धावत येत होता…..अनुप आणि प्रकाश घराबाहेर पडले…..दोघांचाही श्वास चढला होता…..प्रकाश जोरजोरात रडत होता रडतच त्याने बाईक स्टार्ट केली….आणि रस्त्यावर आणली…..बाईक वेगाने धावत होती तितक्याच वेगाने ते अमानवी आपला जबडा फूटभर उघडा ठेवून त्यांच्या मागे येत होतं…..अनुप ओरडत होता प्रकाशला बाईक पळव पळव म्हणून जिवाच्या आकांताने सांगत होता कारण तो अमानवी म्हातारा काही अंतरावरच हातापायांनी धावत येत होता….वेगाने धावताना रस्त्यावर त्याच्या हातापायांची हाडे आपटत होती त्याचा खट खट खट असा आवाज घुमत होता….त्याचे हात लवचिक होते त्याने तो हल्ला करत होता…अचानक अनुप किंचाळला…..त्या म्हाताऱ्याने आपल्या लांबलचक नखांचा वार अनुप वर केला ….बाईक स्पीड मध्ये असल्यामुळे पाठीवर दोन तीन नखांचे ओरखडे पडून त्यातून हलके रक्त वाहू लागले…..कर्कश गर्जना करत तो म्हातारा  कोणत्याही क्षणी झडप घालून त्या दोघांचा फडशा पडायला तयार होता…..दोघांनाही काहीच सुचत नव्हतं मागून काळ धावतच येत होता…….इतक्यात प्रकाशने 80 च्या स्पीड वर धावणाऱ्या गाडीला अर्जंट ब्रेक लावला…..समोर एक जण गाडी बाजूला उभी करून रस्त्याच्या मधेच दोघांना थांबण्यासाठी हात करत उभा होता……त्याच्या हातात पाण्याची बाटली होती दुसऱ्या हाताने तो थांबायचा इशारा करत होता……घाबरलेल्या प्रकाशने डिस्क ब्रेक दाबला होता त्यामुळे गाडी थोडी लडबडून दोघेही अलगद त्या समोर उभा असलेल्या तरुणापुढे कोसळले……तसा तो तरुण पुढे आला….हातातली 2 लिटर ची पाण्याची बाटली खाली ठेऊन त्यांच्याजवळ गेला आधी त्याने गाडी उचलली.

“आव….दादा….जरा हळू की राव…..एवढ्या तर्राट कुठं निघालाईसा….हात करालतो की राव.”

कपाळावर अष्टगंधाचे दोन पट्टे ओढलेल्या तरुणाकडे अनुप आणि प्रकाशचे लक्षच नव्हतं….त्यांचं लक्ष समोरच्या रस्त्यावर होतं….गाडी बरोबर मागे येणारा त्या म्हाताऱ्याला त्यांची नजर शोधत होती…दोघे प्रचंड घाबरले होते…भीती त्यांच्या चेहऱ्यावर घामाच्या रूपातून वाहत होती…दोघांची ती अवस्था बघून त्या तरुणाने रस्त्यावर ठेवलेली पाण्याची बाटली उचलली आणि त्यांच्या दिशेने केली…..अनुप आणि प्रकाश त्या तरुणाकडे बघत होते तो सामान्य वाटत होता….बाटलीतील पाणी बघून अनुपने ती बाटली घेतली आणि थरथरत्या हातांनी टोपण उघडत घटाघटा पिऊ लागला…..आपली तहान शांत होताच त्याने ती बाटली प्रकाशकडे दिली….प्रकाशसुद्धा घटाघट ते पाणी पिऊ लागला त्याचा वेग बघून तो तरुण म्हणाला,

“ए भावा….जरा पाणी ठिव त्यात….वाईच्या गणपतीच्या मूर्तीवरच तीर्थ आहे त्ये…..घरातल्या लोकांना पण द्यायला पाहिजे की. “

प्रकाशने बाटलीला टोपण लावले…..त्या तरुणाने परत एकदा दोघांच्याकडे बघितले आणि सॅक मधून एक लाडूचे पाकीट काढले.

“बाकी काय नाही हे लाडूचे पाकीट आहे बघा….हे खावा जरा…..वाघ मागं लागल्या सारखं कुठनं आलाईसा अस??”

थरथरत्या हातांनी ते प्रसादाच्या लाडवाचे पाकीट घेऊन अनुप बोलू लागला,     “ते….ते….भूत….भूत….” अनुपच्या तोंडून पुढचे शब्द फुटेनात….त्या तरुणाने समोरच्या रस्त्याकडे बघितले.

“भूत??…..कुठं हाय भूत??….कुणी न्हाई बघा इथं….बाकी ह्यो रस्ता खूपच हरामखोर आहे राव….मी पण 2,3 तास गाडी चालवायलोय….वाटच सापडना राव….वाईतन कोल्हापूरला यायला निघालो तर एक बेनं भेटलं वाटत….लिफ्ट दिली त्याला आणि जवळचा रस्ता जवळचा रस्ता करत करत त्या रांxच्यान ह्या रोडवर आणून सोडलं बघा….भलतंच विचित्र झिपरं हुत त्ये…काय बाय विचित्र बडबडत हूत…..बर जवळचा रस्ता म्हणत 3 तास ह्या असल्याच एका रोडवर फिरालोय आपला… एक गाव दिसणा की घर…..मग कंटाळून इथं थांबलो…पाणी संपलं म्हणून देवाचं तीर्थ पीत हुतो तवर तुमची गाडी भेटली बघा.”

क्रमश: भाग २

लेखक : श्री शशांक सुर्वे

संग्रहिका : अंजली दिलीप गोखले 

मोबाईल नंबर 8482939011

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – मनमंजुषेतून ☆ सायकलवाली आई… ☆ सुश्री सुनिता गद्रे ☆

सुश्री सुनिता गद्रे

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 ☆ सायकलवाली आई ☆ सुश्री सुनिता गद्रे ☆

तिला मी गेली चार वर्षे रोजच पहातेय … ओळख अशी खास नाही पण ‘ ती ‘ साऱ्यांच्या उत्सुकतेचा केंद्रबिंदू! आम्ही सगळ्या आपापल्या मुलांना शाळेत सोडायला- आणायला जाणाऱ्या आई गॅंग मध्ये ‘ ती ‘ एकदम वेगळी … एकमेव सायकलवर येणारी आई.   

आजकाल status symbol म्हणून भारीचे ब्रॅंडेड कपडे घालून सायकल चालविण्याचे फॅड बोकाळले आहे … ही त्यापैकी नव्हे. ‘सायकल चालविणे,’ हा  कदाचित तिचा नाईलाज असावा .  आमच्या स्कूटी किंवा कार मधून येणाऱ्या पोरांना हे अनपेक्षित होत . कुणाकडे गाडी नसते किंवा TV / Fridge नसतो , हे त्यांना पटतच नाही. 

ती सावळी आरस्पानी … आनंद, समाधान ,आत्मविश्वासाने अक्षरशः ओथंबलेली…. साधीशी सिंथेटिक फुलांची साडी असायची . गळ्यात चार मणी, हातात दोनच  काचेच्या बांगड्या.  माझ्या गाडीच्या शेजारीच तिची सायकल पार्क करायची. मागच्या सीटवर तिचा मुलगा …. त्याला सायकलचे कॅरीयर टोचू नये, म्हणून, मस्त मऊ ब्लॅंकेटची घडी घातलेली…. लहान असतांना ती त्याला पाठीशी बांधून आणत असे. 

लेक नीटनेटका … स्वच्छ कपडे … बूटांना पॉलिश…. तो पार वर्गात पोचेपर्यंत ती अनिमिष नेत्रांनी पहात असायची …. जणू त्याचं शाळेत जाणं ती अनुभवतेय … जगतेय.

हळूहळू काहीबाही कळायचं तिच्या बद्दल….! ती पोळ्या करायची लोकांकडे… फारतर दहावी शिकलेली असावी. नवरा हयात होता, की नव्हता, कोण जाणे…? पण,ती तिच्या आईसोबत राहायची असे कळले . RTE ( right to education ) कोट्यातून तिच्या मुलाची admission झालीये एव्हढीच काय ती माहिती मिळाली. 

एकदा माझ्या लेकीचा कुठल्याश्या स्पर्धेत दुसरा क्रमांक आला. तिला मी यथेच्छ झापत असतांना , पार्किंगमध्ये सायकलवालीचा लेक दिसताच माझी कन्यका किंचाळली …” अग तो बघ तो ! तो first आला ना, so मी  second आले …”  आणि मोठ्यांदा भोकाड पसरलं. मी त्याची paper sheet पाहिली … 

मोत्यासारखं सुंदर अक्षर …! अभावितपणे माझ्या लेकीला दाखवत म्हणाले , ” बघ बघ … याला म्हणतात अक्षर ! किती मेहनत घेते मी तुझ्यासाठी .. आणि तू ??? ”  माझे डोळे संताप ओकत होते. 

त्याची आई शांतपणे म्हणाली , ” कुणीतरी दुसरं पहिलं आलंय म्हणून, तुमची लेक दुसरी आल्याचा आनंद तुम्ही गमवताय ना ! ”  ….. सणसणीत चपराक…. मी निरुत्तर. 

मी खोचकपणे विचारलं,  “कोणत्या क्लासला पाठवता याला?”

ती म्हणाली, ” मी घरीच घेते करून मला जमेल तसं… ..! मुलांना नेमकं काय शिकवतात, ते कळायला हवे ना, आपल्याला. ” तेव्हाच कळलं ..  ‘हे रसायन काहीतरी वेगळंच आहे !’

हळूहळू ,तिच्याबद्दल माहिती कधी मिळू लागली, तर कधी मीच मिळवू लागले. ती पाथर्डी गावातून यायची…. सकाळी सात तर संध्याकाळी आठ अश्या एकूण पंधरा घरी पोळ्या करायची. तिने स्वतः एका teacher कडे क्लास लावला होता ..बदल्यात ती त्यांच्या पोळ्यांचे पैसे घेत नसे. मी नतमस्तक झाले. मनोमन तिच्या जिद्दीला आणि मातृत्वाला सलाम केला .

पहिल्या वर्गाचा result होता. ती खूपच आनंदात दिसली. चेहऱ्यावर भाव जणू पाच तोळ्याच्या पाटल्या केल्या असाव्यात .. मी अभिनंदन केले … तेव्हा भरभरून म्हणाली…” टिचरने खूप कौतुक केले  त्याचं ! फार सुंदर पेपर लिहिलेत म्हणाल्या.. फक्त थोडे बोलता येत नाही म्हणाल्या ….  त्याच्याशी घरी इंग्रजीत बोल म्हणाल्या. ”  मी तिचं बोलणं मनापासून ऐकू लागले… 

…” छोट्या गावात वाढले ताई.. वडील लहानपणी गेले … अकरावीत असताना मामाने लग्न लावले… शिकायचं राहूनच गेलं .. फार इच्छा होती हो ! “… डोळ्यातलं पाणी प्रयासाने रोखून म्हणाली… ” आता याची आई म्हणून कुठेच कमी पडणार नाही मी… एका teacher शी बोलणं झालंय ,त्या मला इंग्रजी बोलायला शिकवणार म्हणाल्यात …. बारावीचा फॉर्म भरलाय … उद्या याला मोठा झाल्यावर कमी शिकलेली आई म्हणून लाज वाटायला नको .” म्हणत खळखळून हसली. त्याला आज पोटभर पाणीपुरी खाऊ घालणार असल्याचे सांगून, ती निघाली.

मुलांना रेसचा घोडा समजणारी “रेस कोर्स मम्मा”,  सकाळी सातच्या शाळेलाही मुलांना सोडताना  नुकतीच पार्लरमधून आलेली वाटणारी “मेकअप मम्मा” , दुसऱ्या मुलाच्या जन्मानंतर केवळ बारीक होण्यावर बोलणारी, “फिटनेस मम्मा “, स्वतः पोस्ट ग्रॅज्युएट असूनही, नर्सरीतच मुलांना हजारो रुपयांचे क्लासेस लावून मला कसा याचा अभ्यास घ्यायला वेळ नाही हे सांगणारी “बिझी मम्मा” , किंवा मुले allrounder होण्यासाठी त्यांना मी कशी हिरा बनवून तासते हे सांगणारी ” जोहरी मम्मा ” …..  ह्या आणि अश्याच अनेक मम्मी रोज भेटतात मला………या मम्मी आणि मॉमच्या जंगलात आज खूप दिवसांनी मला एक ” आई ” भेटली. अशी आई ,जी एक स्त्री म्हणून,…. माणूस म्हणून… आणि एक आई म्हणून खूप खंबीर आहे… कणखर आहे….. 

… फारच थोड्या नशीबवान स्त्रिया असतात ,ज्यांना जिजाऊ आणि सावित्रीबाई खऱ्या अर्थाने कळतात…! सायकलवाली आई त्यातलीच एक… 

लेखिका : अज्ञात

संग्राहिका – सुश्री सुनीता गद्रे

माधवनगर सांगली, मो 960 47 25 805.

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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