(श्री सुरेश पटवा जी भारतीय स्टेट बैंक से सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों स्त्री-पुरुष “, गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकश।आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण ग़ज़ल “तेज़ रिमझिम में भीगी है फ़िज़ा…”।)
ग़ज़ल # 88 – “तेज़ रिमझिम में भीगी है फ़िज़ा…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’
(Captain Pravin Raghuvanshi—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. He was involved in various Artificial Intelligence and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’.
We present Capt. Pravin Raghuvanshi ji’s amazing poem “~ Blazing Earth ~”. We extend our heartiest thanks to the learned author Captain Pravin Raghuvanshi Ji (who is very well conversant with Hindi, Sanskrit, English and Urdu languages) for this beautiful translation and his artwork.)
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆संपादक– हम लोग ☆पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
महादेव साधना- यह साधना मंगलवार दि. 4 जुलाई आरम्भ होकर रक्षाबंधन तदनुसार बुधवार 30 अगस्त तक चलेगी
इस साधना में इस बार इस मंत्र का जप करना है – ॐ नमः शिवाय साथ ही गोस्वामी तुलसीदास रचित रुद्राष्टकम् का पाठ
अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं।
≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री हरभगवान चावला जी की अब तक पांच कविता संग्रह प्रकाशित। कई स्तरीय पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। कथादेश द्वारा लघुकथा एवं कहानी के लिए पुरस्कृत । हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति सम्मान। प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात स्वतंत्र लेखन।)
आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – बुत का दर्द )
☆ लघुकथा – बुत का दर्द ☆ श्री हरभगवान चावला ☆
बुत बना। बुत का कोई अंग टूटा। हिंसा हुई। ख़ूब ख़ून बहा। ख़ून देख बुत बहुत रोया, पर उसका रोना किसी ने नहीं देखा। उसका टूटा अंग जोड़ा गया। कुछ लोग आए। बुत के सामने हाथ जोड़े, बुत के चरणों में सिर झुकाया और मुस्कुराए। उनकी मक्कार मुस्कान देख बुत का ख़ून खौल उठा। उसने चाहा इन सबका सिर तोड़ दे, पर वह इन्सान नहीं बुत था; मर्यादा नहीं लाँघ सकता था।
अब वह पुलिस के जवानों की क़ैद में था।
वह चिल्लाता, “मुझे इस क़ैद से रिहा करो। मुझे यहाँ से हटाओ।” पर उसका चिल्लाना किसी ने नहीं सुना। लोग अब एक नए बुत की तैयारी में लगे थे।
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “शेर और शेर दिल”।)
अभी अभी # 123 ⇒ शेर और शेर दिल… श्री प्रदीप शर्मा
शेर तो खैर जंगल का राजा है, और उसका दिल शेर का दिल ही कहलाएगा। हर इंसान जो शेर दिल होता है, किसी राजा से कम नहीं होता। एक शायर भले ही शेर कहता हो, लेकिन उसका दिल कभी शेर दिल नहीं होता। जिसका दिल बार बार टूटे, उसे आप शेर दिल नहीं कह सकते।
शेर दिल को आप दरिया दिल तो कह सकते हैं, लेकिन kind hearted, यानी दयालु नहीं कह सकते। जो आसानी से पिघल जाए, वह कैसा दिल। जिसका दिल दरिया दिल के साथ मजबूत भी हो, वही शेर दिल कहलाने का अधिकारी होता है।
बहादुर बच्चे गिरने पर रोते नहीं, किसी से मार खाने पर घर आकर मम्मी से शिकायत नहीं करते। पूरा हिसाब बराबर करने के बाद ही विजयी मुस्कान लिए घर लौटते हैं, और उनके घर लौटने के पहले ही उनकी बहादुरी के किस्से घर पहुंच जाते हैं। ऐसे होते हैं शेर बच्चे। ।
शेर का दिल किसी बच्चे का दिल नहीं होता। एक शायर दिवाना हो सकता है, एक शेर का दीवानगी से क्या काम। हमने नहीं सुना, किसी शेर ने कभी किसी को दिल दिया हो। एक मदारी भले ही पब्लिक में बंदर बंदरिया को रस्सी से बांधकर नचा ले, उनकी शादी करा दे, सर्कस में भी शेर, शेर ही होता है। उसे नचाने के लिए भी हंटर की जरूरत पड़ती है। वैसे असली शेर आजकल जंगल में नहीं संसद में दहाड़ते हैं, जिनकी दहाड़ आज तक में भी सुनी जा सकती है।
कल विश्व शेर दिवस था। हम जंगल तो नहीं जा पाए, लेकिन संसद में कल एक शेर दो घंटे तेरह मिनिट तक दहाड़ा, किसी भी शेर का यह विश्व रेकॉर्ड है। मैने देखा, उसने देखा, सबने देखा, कहां देखा, टीवी पर देखा, अपने मोबाइल में देखा। ।
एक शायर बदनाम हो सकता है, लेकिन उसके शेर का भी बहुत नाम होता है। शेर कभी चरित्रहीन नहीं होते, कोई सुंदर हिरनी कभी उसे अपने जाल में नहीं फांस सकती। वह शेर दिल होता है, दिल फेंक नहीं। वह किसी को दिल नहीं देता, उसका कलेजा चीर देता है।
हमने कभी शेर को घास खाते नहीं देखा। गुजरात के गिर में कुछ सफेद शेर होते हैं, जो खेतों में भी घूमते पाए जाते हैं, एक खोजी फोटोग्राफर का तो यह भी कहना है कि ये सफेद शेर इतने शांत होते हैं कि इन्हें वहां मशरूम भी
खाते देखा गया है। हमारे कल के एंग्री यग मैन महानायक और आज के शेर दिल, केबीसी के बिग बी आपको यदा कदा गुजरात आने का निमंत्रण दिया करते हैं। ।
अगर आपकी वास्तविक शेर में रुचि हो तो जंगल में नहीं, भारतीय संसद में जाएं, जहां एक अकेला सब पर भारी है और अगर आपकी रुचि शेर दिलों में है तो हमारे पंजाब आइए। यहां आपको शेर, सिंह, सभी मिलेंगे।
जितने शेर आज जंगल में नहीं हैं, उतने सिंह हमारे अकेले पंजाब में हैं और सभी जाबांज, शेरदिल। यहां के सभी सिंह आपको भांगड़ा करते नजर आएंगे। ये सभी सिंह जंगल में मंगल ही करते हैं, दंगल नहीं। अगर ये सिंह गुरुद्वारे में शीश नवाते हैं तो मुल्क के लिए अपना शीश कटाते भी हैं। इनके राज में कोई प्राणी भूखा नहीं सोता, इनका लंगर सबके लिए है। सेवा ही इनकी सीख है, समर्पण ही इनकी सीख है, बलिदान ही इनकी सीख है, मुल्क की रक्षा ही इनकी सबसे बड़ी सीख है। ।
जो निर्भय है, निडर है, अपने मुल्क की रक्षा में सक्षम है, वही सच्चा शेर है। आज शेर दिल लायंस क्लब में नहीं, बहादुर इंसानों में पाये जाते हैं, जो खुद भी चैन से रहते हैं, और सबके अमन चैन की चिंता करते हैं। शेर बनें, शेर दिल बनें, भीगी बिल्ली नहीं ..!!
(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी द्वारा रचित बाल साहित्य ‘बाल गीतिका ‘से एक बाल गीत – “एक ही भगवान की संतान…” । हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।)
☆ बाल गीतिका से – “एक ही भगवान की संतान…” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆