श्री संतोष नेमा “संतोष”

(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी  कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप  कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है एक बाल गीत – बिल्ली मौसी। श्री संतोष नेमा जी  की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)

☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 210 ☆

☆ बाल गीत – बिल्ली मौसी ☆ श्री संतोष नेमा ☆

बिल्ली  मौसी  सबसे  प्यारी

करती   है  वो   सबसे  यारी

बिल्ली  मौसी  सबसे  प्यारी

*

सींका ऊपर चढ़ कर बिल्ली

पीकर  दूध  उड़ाती  खिल्ली

म्याऊं  म्याऊं बोल बोल कर

पड़ती  है  वो सब  पर भारी

बिल्ली  मौसी  सबसे  प्यारी

*

बड़ी  शेरनी  खुद को  समझे

चूहे   मार   उलझती   सबसे

छुप कर आती घर में घुसकर

दूध – मलाई    खाती    सारी

बिल्ली  मौसी  सबसे   प्यारी

*

कौन  बांधता   गले  में   घंटी

बिल्ली निकली सबकी अन्टी

आँख चमकती मूँछ  दमकती

सुनती   है  वो  सबकी  गारी

बिल्ली  मौसी  सबसे  प्यारी

© संतोष  कुमार नेमा “संतोष”

वरिष्ठ लेखक एवं साहित्यकार

आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.) मो 7000361983, 9300101799

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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