श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय एवं भावप्रवण कविता “# मजदूर दिवस #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 79 ☆

☆ # मजदूर दिवस # ☆ 

एक नारा गूंज रहा था कानों में

कहीं कहीं कुछ प्रतिष्ठानों में

मजदूर मजदूर भाई भाई

मैंने कहा-

सब बकवास है

सब अलग-अलग बंट गये है

स्वा‌र्थके लिए अलग-अलग छट गये है

पूंजीपतियों ने इनको तोड़ा है

अपनी अपनी तरफ मोड़ा हैं

अब कहां हड़ताल होती है

सरकार मस्त तानकर सोती है

मजदूरों के कल्याण की बात बेमानी है

नेताओं के आंखों का मर गया पानी है

दिखावे का मजदूर दिवस मनाते है

मीडिया से अपना फोटो खिंचवाते है

इतिहास गवाह है

भूखे पेट ही होती है क्रांति

तभी आती है दुनिया में शांति/

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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