श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – आत्मानंद साहित्य# 120 ☆

☆ ‌आरती – श्री बंगाली बाबा ☆ श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद” ☆

जय जय हे बंगाली बाबा,

जय जय हे बंगाली बाबा।

तुम दीनों के मात पिता हो,

तुम रक्षक तुम दाता ।।जय जय हे।।१।।

 

तुम हो बाबा बड़े दयालू,

शिव स्वरूप हो बड़े कृपालू।

तुम सा नहीं है कोई ज्ञानी,

कोई नहीं है तुम सा दानी ।

कीर्ति जगत विख्याता ,

जय जय हे बंगाली बाबा!।।२।।

 

तुम हरते अज्ञान तिमिर को,

जलते ज्योति पुंज बन हिय में।

तुम हो प्राणाधार जगत के ,

जीव जगत जन जन के तन के।

तुम रक्षक तुम दाता,

जय जय हे बंगाली बाबा।।३।।

 

डूब रही है जीवन नैया ,

जो मिल जाए तुम सा खिवैया।

हमें उबारो बीच भंवर से,

बनकर भाग्य विधाता।

तुम रक्षक तुम दाता ,

जय जय हे बंगाली बाबा।।४।।

 

जो कोई तेरे दर आये,

चरण धूलि उसको मिल जाए।

तन मन की सुख शांति वैभव,

बिनु मांगे सब पाता।

तुम रक्षक तुम दाता,

जय जय हे बंगाली बाबा।।५।।

 

जलते हो बन दीपशिखा,

नर रूपी नारायण तन मे

सदगुरु बन के तुम्हीं बिराजे,

भक्तजनों की श्रद्धा मन में।

कीर्ति जगत विख्याता,

जय जय हे बंगाली बाबा।।६।।

 

तुम ही सबके जीवन धन हो,

तुम ही मेरे प्रेम रतन हो।

आत्मानंद मगन मन भजता,

कृपा तुम्हारी पाता।

तुम रक्षक तुम दाता,

जय जय हे बंगाली बाबा।।७।।

© सूबेदार  पांडेय “आत्मानंद”

संपर्क – ग्राम जमसार, सिंधोरा बाज़ार, वाराणसी – 221208, मोबा—6387407266

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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