डॉ . प्रदीप शशांक 

(डॉ प्रदीप शशांक जी द्वारा रचित एक समसामयिक विषय पर आधारित सार्थक एवं प्रेरणास्पद लघु व्यंग्य कथा   “लाखों में एक”.  )

☆ लघु व्यंग्य कथा – लाखों में एक

वे व्यंग्यात्मा हैं, वे व्यंग्य ओढ़ते, बिछाते हैं तथा दिन रात व्यंग्य की ही जुगाली करते हैं । वे  हमारे पास आये तो हमने उनसे सहज भाव से पूछ लिया कि ‘अब तक 75 ‘(व्यंग्य संकलन),  ‘सदी के 100  व्यंग्यकार’ (व्यंग्य संकलन)’ एवं ‘131 श्रेष्ठ व्यंग्यकार ‘ (व्यंग्य संकलन) प्रकाशित हो चुके हैं लेकिन इनमें आप शामिल नहीं हैं ऐसा क्यों ?

उन्होंने (मन ही मन खिसियाते हुए ) कहा -‘अभी तो संख्या 131 पर ही पहुंची है, और आपको तो मालूम ही है कि हम 100, पांच सौ, या हजार में एक नहीं हैं, हम तो लाखों में एक हैं ।’

 

© डॉ . प्रदीप शशांक 

37/9 श्रीकृष्णपुरम इको सिटी, श्री राम इंजीनियरिंग कॉलेज के पास, कटंगी रोड, माढ़ोताल, जबलपुर ,मध्य प्रदेश – 482002
 ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments