श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी  ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकशआज प्रस्तुत है आपकी ग़ज़ल माना आँसुओं से नहीं बदला …”)

🎁 ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से श्री सुरेश पटवा जी को स्वस्थ जीवन के सत्तर वसंत पूर्ण करने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🎁

? ग़ज़ल # 31 – “माना आँसुओं से नहीं बदला …” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ?

आसमाँ में खोजने पर कहीं भी जवाहर नहीं मिलता,

समुंदर में डूबने पर कहीं भी आफ़ताब नहीं मिलता।

 

ज़ार-ज़ार रोना पड़ता है उस स्याह बादलों को जनाब,

फिर भी रेगिस्तान में कहीं पर सायवान नहीं मिलता।

 

माना आँसुओं से नहीं बदला कभी किसी का नसीब,

खून-पसीना एक करके भी तो जहान नहीं मिलता।

 

जो बिना खटके आए और वो रूठे बिना चला जाए,

ढूँढने से दुनिया में ऐसा कोई मेहमान नहीं मिलता। 

 

आँख बंद करके दुआएँ माँगते मंदिर मस्जिद में सब,

अंधों के पास कभी भी नज़र का सामान नहीं मिलता।

 

बुढ़ापा बीमारी और मौत से बचा कर स्वर्ग ले जाए

जहाँ में किसी को ऐसा कोई भगवान नहीं मिलता।

 

ख़ून-पसीना एक करना पड़ता पड़ता पंडा-मुल्ला को भी

पूजा अरदास नमाज़ उपवास से वरदान नहीं मिलता।

 

आसमान में उड़ने लगो तो धरती छूट जाती है तुमसे,

धरती पर रहो तो साला हाथ में आसमान नहीं मिलता।

 

शायरी के अखाड़े में दंड बैठक बहुतेरे शायर लगाते हैं,

जो कलाजंग लगा पाए ऐसा पहलवान नहीं मिलता।

 

तुम अहसासों को पढ़ना जल्दी सीखा जाओ ‘आतिश’,

हर महफ़िल में तुम्हें जाहिराना कद्रदान नही मिलता।

 

© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’

भोपाल, मध्य प्रदेश

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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