(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं।  सुश्री रंजना इस एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं।   सुश्री रंजना  जी का साहित्य जमीन से  जुड़ा है  एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश  देता है।  निश्चित ही उनके साहित्य  की अपनी  एक अलग पहचान है। अब आप उनकी अतिसुन्दर रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे।  आज प्रस्तुत है  भावप्रवण गीत   – वृत्त  वियदगंगा )

 

? रंजना जी यांचे साहित्य #-3 ? 

 

☆ वृत्त  वियदगंगा   ☆

 

*लगागागा लगागागा लगागागा लगागागा*

 

मानवा

जरा परमार्थ जीवाचा ,

रुचेना  मानवा तुजला।

कसा बाजार मोहाचा,

कळेना मानवा तुजला।

 

कसा धुंदीत पैशाच्या ,

विसरला माय बापाला।

निरागस भाव का त्यांचा

दिसेना मानवा तुजला।

 

नको धावू  सुखामागे

जरी भुलवी दिखावा हा।

कसा रे बोध सत्याचा,

घडेना मानवा तुजाला।

 

जरी खडतर खरा आहे

कितीही मार्ग सौख्याचा।

इथे कष्टाविना काही

मिळेना मानवा तुजला।

 

असे सत्ता किती लोभस,

मनाला ओढ ती लावी ।

कसे हे पाश मोहाचे,

तुटेना मानवा तुजला।

 

पुरे कर खेळ स्वार्थाचा

जरा ये भूवरी थोडा ।

कुठे का बंध नात्यांचे

जुळेना मानवा तुजला।

 

अभ्यासक ✍

©  रंजना मधुकर लसणे✍

मार्गदर्शक सुश्री अर्चनाजी

आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली

9960128105

 

 

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Leena Kulkarni

नाती जपणे किती छान मांडणी

Ranjana Lasane

मनस्वी धन्यवाद ताई