हेमन्त बावनकर

☆ युगांत – (हिन्दी भावानुवाद) – डॉ प्रतिभा मुदलियार (मूल मराठी लेखक – डॉ विनोद गायकवाड) ☆ हेमन्त बावनकर ☆

प्रिय मित्रो,

डॉ विनोद गायकवाड जी के शब्दों में  – “महाभारत यानी कभी भी खतम न होनेवाली अक्षय सुवर्ण की खान! कोई भी उसमें से कितना भी सोना निकाल कर ले जाए पर यह खान कभी खतम नहीं होती। महाभारत के दो सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्व हैं ‘भीष्म पितामह’ और ‘श्रीकृष्ण’!!”

भीष्म पितामह के जीवन पर आधारित एवं डॉ विनोद गायकवाड़ जी द्वारा रचित ‘युगांत’एक अभूतपूर्व उपन्यास है। यह उपन्यास मराठी के अतिरिक्त तमिल में भी प्रकाशित हो चूका है। 

डॉ प्रतिभा मुदलियार जी ने ‘युगांत’ का अत्यंत सजीव हिन्दी भावानुवाद किया। भावानुवाद की  भाषा शैली पूर्णतः मौलिक एवं  कालखंड के अनुरूप है जो इस उपन्यास को विश्वस्तरीय श्रेणी में अपना स्थान बनाने में  पूर्णतः सफल है। आप इस उपन्यास की रोचकता का अनुमान इस बात से लगा सकते हैं कि – जब मैंने इस 460 पृष्ठ के उपन्यास को एक बार पढ़ना प्रारम्भ किया तो पूरा उपन्यास पढ़ कर ही विराम ले सका। मेरा पूर्ण विश्वास है कि- जब आप भी इस उपन्यास को पढ़ना प्रारम्भ करेंगे तो  आपको मेरी बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं लगेगी। 

ई-अभिव्यक्ति में इस उपन्यास को 7 जुलाई 2020 से 7 ओक्टोबर 2020 तक धारावाहिक रूप इस 460 पृष्ठ के उपन्यास को 92 अंकों में सतत प्रकाशित किया था,  जिसका प्रबुद्ध पाठकों से अत्यंत स्नेह एवं प्रतिसाद मिला।

पुस्तक को आपने धारावाहिक रूप में तो पढ़ा किन्तु, उसे डिजिटल पुस्तक (फ्लिपबुक) के रूप में पढ़ने का अनुभव अद्भुत होगा। 

आपसे सस्नेह विनम्र अनुरोध है कि आप ‘युगांत’ पढ़ें और अपने मित्रों से सोशल मीडिया पर साझा करें। 

आपके विचारों एवं सुझावों की हमें प्रतीक्षा रहेगी।

सस्नेह

हेमन्त बावनकर

पुणे (महाराष्ट्र)   

28 फ़रवरी 2023

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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