श्री अरुण श्रीवास्तव

(श्री अरुण श्रीवास्तव जी भारतीय स्टेट बैंक से वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। बैंक की सेवाओं में अक्सर हमें सार्वजनिक एवं कार्यालयीन जीवन में कई लोगों से मिलना   जुलना होता है। ऐसे में कोई संवेदनशील साहित्यकार ही उन चरित्रों को लेखनी से साकार कर सकता है। श्री अरुण श्रीवास्तव जी ने संभवतः अपने जीवन में ऐसे कई चरित्रों में से कुछ पात्र अपनी साहित्यिक रचनाओं में चुने होंगे। उन्होंने ऐसे ही कुछ पात्रों के इर्द गिर्द अपनी कथाओं का ताना बाना बुना है। आज से प्रस्तुत है आलेखों की एक नवीन शृंखला “प्रमोशन…“ की अगली कड़ी।

☆ आलेख # 87 – प्रमोशन… भाग –5 ☆ श्री अरुण श्रीवास्तव ☆

अंततः written test की date आ ही गई और इस शाखा से पात्रतानुसार पांच प्रत्याशी उस नगर की ओर रवाना होने के लिये रिलीव हुये जहाँ परीक्षा केंद्र भी था और आंचलिक कार्यालय भी. जाने के लिये बस की सुविधा थी और रेल की भी. बाकी चार तो टैक्सी तय करके मनमुताबिक stoppage और गति के साथ चलने का प्लान बना चुके थे पर मिस्टर 100% इनसे अलग जाने की और रुकने की व्यवस्था कर चुके थे. अतः उन्होंने ये टैक्सी द्वारा जाने का प्रस्ताव ठुकरा दिया और रेल से प्रस्थान करने का निश्चय भी बतला दिया. दरअसल उनके पिताश्री भारतीय रेलवे विभाग में अधिकारी थे और उन्होंने परीक्षा केंद्र के निकट ही, अपने कार्यालयीन संबंधो का उपयोग कर रेल्वे के अधिकारी विश्राम गृह में रुकने की व्यवस्था भी कर दी थी. उनका सोचना था इस तरह की एकला चलो यात्रा और एकाकी प्रवास निर्विघ्न पढ़ने की भी सुविधा देता है. साथी सब समझ गये और चूंकि इनके “अकेला ही काफी है ” स्वभाव से वाकिफ थे, अतः इनके वहिष्कार से एक बेहतर मनोरंजक यात्रा का लाभ पाया. ये चारों आधुनिक काल के वो बैंकर्स बंधु थे जो मि. 100% का साथ पाने के बजाय, उनसे सुरक्षित दूरी बनाकर रखना ज्यादा पसंद करते थे. मि. 100% शाखा में समझे जाने वाले सर्वश्रेष्ठ ज्ञानी थे, trainee officer (प्रशिक्षु अधिकारी) का written test पास कर इंटरव्यू दे चुके थे पर रिजल्ट किसी लीगल प्रक्रिया {legally stayed} के कारण अटका हुआ था. चूंकि इस दौरान काफी समय बीत चुका था तो लोग भी और वो भी भूल गये थे कि ऐसा कोई टेस्ट उन्होंने दिया है.

खैर दूसरे दिन सुबह 08:00 पर सभी परीक्षा केंद्र पहुंच गये और जहाँ बाकी लोग अपने मित्रों से मिलने में व्यस्त थे, मि. 100% कैंपस में ही एकांत स्थान चुनकर प्रबल संभावित प्रश्नों के उत्तरों पर आखिरी नजर मारने में लगे रहे. तयशुदा समय पर लिखित परीक्षा प्रारंभ हुई और सबसे अंत में उत्तरपुस्तिका जमा करने वाले यही थे. इसका कारण अनिश्चितता थी या हरेक मिनट का पूरा उपयोग, पता नहीं पर 100% जी का पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ प्रश्न पत्र पर ही केंद्रित रहा. अगर यात्रा तनावपूर्ण हो तो फिर इस यात्रा में कुछ बहुत अच्छे, रमणीक, रिफ्रेशिंग, प्राकृतिक दृश्य छूट जाते हैं, प्रकृति का स्वभाव निश्चिंतता, उन्मुक्तता और निरंतरता होता है और वही लोग इसका आनंद उठा पाते हैं जो स्वयं “पाने की लालसा” से भयभीत होने तक की उत्कंठा के शिकार नहीं बनते.

परीक्षा केंद्र से शाखा में वापसी भी उसी तरह अलग अलग साधनों से हुई जैसी आने के वक्त अपनाई गई थी. बाकी चार परीक्षार्थी, जहाँ परीक्षा के रिजल्ट से बेपरवाह अपने मित्रों से मुलाकात और यात्रा के अन्य प्रसंगों की चर्चाओं का आनंद ले रहे थे, वहीं मि. 100% ने रिजल्ट के तनाव से गुजरना प्रारंभ कर दिया था. अनावश्यक रूप से टेंशन लेना व्यक्तित्व की बड़ी कमजोरी ही मानी जाती है जो निर्णय और रिस्क लेने की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित करती है पर इनका ये खानदानी स्वभाव बदलना मुश्किल था.

 

लौटने पर जैसा कि होता है कि “कैसा रहा पेपर” और इसका स्टेंडर्ड जवाब भी यही होता है कि ठीक रहा. ये ऐतिहासिक सवाल स्कूल से ही लगातार पूछा जाता रहा है और आदिकाल से ही हर परीक्षार्थी यही जवाब देता आया है. अब सब लोग वापस अपने अपने काम में लग गये और रिजल्ट का इंतजार करने लगे. वो ज्यादा कर रहे थे जो इस मैटर में क्रिकेट के समान चुपचाप शर्त लगा कर बैठे थे. कितने होंगे और किसका नहीं होगा, दो बातों पर शर्त लगी थी और मि. 100% पर किसी ने शर्त नहीं लगाई थी क्योंकि सब जानते थे कि इनका तो हो ही जाना है.

Written test के रिजल्ट और आगे की प्रक्रिया को मनोरंजन नामक रैपर में लपेटकर अगले अंक में प्रस्तुत किया जायेगा. बैंकर्स के जीवन में written test बहुत समय तक साथ चलता है. शुक्र है कि रिटायरमेंट और पेंशन पाने की पात्रता के लिये कोई रिटनटेस्ट नहीं होता वरना क्या होता, कल्पना कीजिए.

© अरुण श्रीवास्तव

संपर्क – 301,अमृत अपार्टमेंट, नर्मदा रोड जबलपुर 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments