सुश्री कमला सिंह जीनत
(सुश्री कमला सिंह ज़ीनत जी एक श्रेष्ठ ग़ज़लकार है और आपकी गजलों की कई पुस्तकें आ चुकी हैं। आज प्रस्तुत है एक गजल । सुश्री कमला सिंह ज़ीनत जी और उनकी कलम को इस बेहतरीन अमन के पैगाम के लिए सलाम। )
☆ गजल ☆
इसी सूरत से मैं नफरत के ये शौले बुझाती हूँ
इबादत कर के वो उठता है मुझ पर फूंक देता है
किसी के मज़हबी रंगों से मुझ को कुछ नहीं लेना
बढ़ी है उम्र लेकिन आज भी बच्चे हैं हम दोनों
मैं जिस के दिल में रहती हूं धड़कता है वो सीने में
बताये कैसे ये “जी़नत” फक़त इतना समझ लीजे
© कमला सिंह ज़ीनत