हिन्दी साहित्य – पुस्तक चर्चा ☆ बाल कथा संग्रह – ‘टीनू का पुस्तकालय‘ – डॉ. नीनासिंह सोलंकी  ☆ समीक्षा – श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’’ ☆

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का  हिन्दी बाल -साहित्य  एवं  हिन्दी साहित्य  की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं।आज प्रस्तुत है डॉ. नीनासिंह सोलंकी जी  के बाल कथा संग्रह “टीनू का पुस्तकालय” की पुस्तक समीक्षा।)

☆ बाल कथा संग्रह – ‘टीनू का पुस्तकालय‘ – डॉ. नीनासिंह सोलंकी  ☆ समीक्षा – श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’’  ☆

 

कथा-संग्रह  – टीनू का पुस्तकालय

उपन्यासकार- डॉ. नीनासिंह सोलंकी 

प्रकाशक- संदर्भ प्रकाशन, भोपाल (मप्र) मोबाइल नंबर 94244 69015 

पृष्ठ संख्या-72 

मूल्य-₹ 200

समीक्षक- ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

☆ समीक्षा- प्रवाह से भरपूर कहानियां ☆

कहानी कहने का सलीका होना चाहिए। तब यह बात कोई मायने नहीं रखती है कि आप नए कथाकार हो अथवा पुराने। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। यह बात नवोदित कथाकार नीनासिंह सोलंकी पर फिट बैठती है।

टीनू का पुस्तकालय- आपका दूसरा कहानी संग्रह है। इस संग्रह में 12 कहानियां संग्रहित की गई हैं। प्रथम कहानी संग्रह की अपेक्षा दूसरे कहानी संग्रह में गुणात्मक रुप से सुधार हुआ है। भाषा, शैली, कथा, प्रवाह की दृष्टि से कहानी संग्रह बढ़िया बना है।

इसकी पहली कहानी-आदि के दादाजी, नाम से संकलित है। कहानी में दादाजी के महत्व को प्रतिपादित किया गया है। इस दृष्टि से कहानी बहुत ही अच्छी बनी है। इसका प्रवाह और अंत बहुत ही प्रभावी है।

पुस्तक आमुख के नाम की कहानी- टीनू का पुस्तकालय- पुस्तक की महत्व प्रदर्शित करती दूसरी कहानी है। यह पुस्तकालय के महत्त्व को रेखांकित करती है।

अनमोल उपहार- कहानी में उपहार के महत्व को प्रदर्शित करती हैं। यह कहानी बताती कैं कि विद्या से बढ़कर कोई उपहार नहीं होता है। अनमोल उपहार इसी महत्व को प्रदर्शित करती एक बेहतरीन कहानी है।

छोटी सी बात- पीती और नीति की दोस्ती के अनमोल पलों को प्रदर्शित करती है। छोटी सी बात पर दोस्ती टूट जाती है। फिर एक सहेली की सुझबुझ से वापस दोस्ती हो जाती है। यह संदेशपरक कहानी बढ़िया है।

बुलबुल समझ गई-में एक नए कथानक द्वारा पानी के महत्व को समझाया गया है। मध्यांतर के बाद वाला भाग ज्यादा उद्देशात्मक हो गया है। वही निया और मिनी की यात्रा- के बहाने ग्लोबल वार्मिंग और घटते ग्लेशियर के बारे में आपने बहुत ही बेहतर ढंग से कहानी में समझाया है।

मैरी क्रिसमस- एक स्वाभाविक गति से आगे बढ़ती हुई बेहतरीन कहानी है। इसमें कथा परवाह बहुत ही बेहतरीन हैं। वही बच्चों की किट्टी पार्टी- बड़ों की तर्ज पर बच्चों की किट्टी पार्टी एक नए कथानक पर रची गई है। इस नए कथानक पर रची गई कहानी बच्चों को बहुत पसंद आएगी।

चांद के पार- संवाद से भरपूर इस कहानी में बच्चों की जिज्ञासाओं का बहुत ही सहजता से उत्तर दिया गया है।

वही चीनी के दोस्त- बाल सुलभ जिज्ञासा के साथ पक्षियों से प्रेम जताती बेहतरीन कहानी है।

सूरज दौड़ गया- खेल प्रतियोगिता दौड़ पर आधारित एक अच्छी कहानी है। मगर प्लास्टर के बाद दौड़ना और प्रतियोगिता में भाग लेना कुछ हजम नहीं होता है। हेयर क्रेक के बाद बहुत दिनों तक दौड़ना मुश्किल है। यह एक तकनीकी पॉइंट है। इसके बावजूद कहानी बहुत बढ़िया बनी है।

अमरुद मीठे हैं- बच्चों की स्वाभाविक आदत के अनुसार एक बेहतरीन कहानी लिखी गई है। इसका घटनाक्रम भी स्वाभाविक लगता है।

कुल मिलाकर टीनू का पुस्तकालय की समस्त कहानियां अपने कथानक, भाषा, शैली, परवाह के साथ जिज्ञासायुक्त और बेहतरीन बनी है। पुस्तक की साजसज्जा, त्रुटिरहित छपाई बेहतरीन है। बच्चों के हिसाब से 72 पृष्ठ की पुस्तक का मूल्य ₹200 कुछ ज्यादा है।

© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

26-04-2023

मित्तल मोबाइल के पास, रतनगढ़,  जिला- नीमच (मध्य प्रदेश), पिनकोड-458226 

मोबाइल नंबर 7024047675, 8827985775

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ समय चक्र # 157 ☆ बाल कविता – मधुमक्खी और फूल ☆ डॉ राकेश ‘चक्र’ ☆

डॉ राकेश ‘ चक्र

(हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी  की अब तक 131 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।  जिनमें 7 दर्जन के आसपास बाल साहित्य की पुस्तकें हैं। कई कृतियां पंजाबी, उड़िया, तेलुगु, अंग्रेजी आदि भाषाओँ में अनूदित । कई सम्मान/पुरस्कारों  से  सम्मानित/अलंकृत। इनमें प्रमुख हैं ‘बाल साहित्य श्री सम्मान 2018′ (भारत सरकार के दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी बोर्ड, संस्कृति मंत्रालय द्वारा डेढ़ लाख के पुरस्कार सहित ) एवं उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2019’। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर बाल साहित्य की दीर्घकालीन सेवाओं के लिए दिया जाना सर्वोच्च सम्मान ‘बाल साहित्य भारती’ (धनराशि ढाई लाख सहित)।  आदरणीय डॉ राकेश चक्र जी के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें 👉 संक्षिप्त परिचय – डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी।

आप  “साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र” के माध्यम से  उनका साहित्य आत्मसात कर सकेंगे।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र – # 157 ☆

☆ बाल कविता – मधुमक्खी और फूल ☆ डॉ राकेश ‘चक्र’ 

मैं मधुमक्खी मुझको भाएँ

     खिलते हुए सुहाने फूल।

महक सूँघ कर  मैं आ जाती

       चाहे हों कितने ही शूल।।

 

एक हमारी रानी मक्खी

     इक है राजा अपना होता।

शेष सभी श्रमिक हैं मक्खी

     श्रम ,अनुशासन सपना होता।।

 

नाम हमारे कई एक हैं

     मधुप, मक्षिका और उड़ान।

माखी भी मुझको हैं कहते

        उड़ते तेज गति भर शान।।

 

एक हमारा घर होता है

        जिसको छत्ता सब कहते हैं।

अपने – अपने काम करें सब

          मिलजुल करके हम रहते हैं।।

 

अनुशासन में बँधे हुए हम

         फूलों का पराग हम लाते।

कुछ पराग हम खाकर के ही

        जीवन पथ पर बढ़ते जाते।।

 

शहद हमारा है बलदायक

       थोड़ा – थोड़ा सब ही खाओ।

तन- मन में भर जाए ऊर्जा

        जीवन में नित ही सुख पाओ।।

 

कठिन परिश्रम हम सब करते

     बच्चो! तुम वैसे ही करना।

कभी न हममें पत्थर मारो

        कभी नहीं तुम हमसे डरना।।

© डॉ राकेश चक्र

(एमडी,एक्यूप्रेशर एवं योग विशेषज्ञ)

90 बी, शिवपुरी, मुरादाबाद 244001 उ.प्र.  मो.  9456201857

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ इशारा… ☆ प्रा तुकाराम दादा पाटील ☆

श्री तुकाराम दादा पाटील

? कवितेचा उत्सव ?

☆ इशारा… ☆ प्रा तुकाराम दादा पाटील ☆

बेधुंद वादळाला केला कुणी इशारा

होवून शांत आता सुटलाय गार वारा

 

रानात श्वपदांच्या बेचैन जीव होतो

आवाज दडपणारा असतो किती पसारा

 

दमदार पावलांची चाहूल मंद येता

बसतो दडून कोल्हा जोरात भुंकणारा

 

गर्दीत माणसांच्या असतात खूप दर्दी

लढवून तर्क तेव्हा गाठायचा किनारा

 

आत्मीक चिंतनाने होते पवित्र वाणी

शब्दात साधकाच्या असतो खरा दरारा

 

पाऊस छान येतो चैतन्य देत जातो

जगण्यास सावराया मिळतो जरा सहारा

 

आहे निसर्ग वेडा दाता तरी सुखांचा

लुटतो मजेत त्याला माणूस जाणणारा

 

जेथे समाज आहे तेथे रिवाज आहे

नेता तिथे असावा संपर्क साधणारा

 

कार्यात गुंतताना हमखास यश मिळाया

सन्मार्ग दाखवाया देवास त्या पुकारा

© प्रा. तुकाराम दादा पाटील

मुळचा पत्ता  –  मु.पो. भोसे  ता.मिरज  जि.सांगली

सध्या राॅयल रोहाना, जुना जकातनाका वाल्हेकरवाडी रोड चिंचवड पुणे ३३

दुरध्वनी – ९०७५६३४८२४, ९८२२०१८५२६

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ सुजित साहित्य #158 ☆ संत सेना महाराज… ☆ श्री सुजित कदम ☆

श्री सुजित कदम

? कवितेचा उत्सव ?

☆ सुजित साहित्य # 158 ☆ संत सेना महाराज…☆ श्री सुजित कदम ☆

उच्च विचारसरणी

संत सेना महाराज

वैशाखात द्वितीयेला

जन्मा आले संतराज…! १

 

न्हावी समाजाचे संत

भक्ती रस अभंगात

व्यवसाय करताना

दंग सदा पुजनात…! २

 

बुद्धी चौकस चंचल

समतेचा पुरस्कार

हिंदी मराठी भाषेत

केल्या रचना साकार….! ३

 

महाराष्ट्र पंजाबात

दोहे अभंग रचले

विठ्ठलाच्या चिंतनात

सारे आयुष्य वेचले…! ४

 

हजामत करताना

मुखी विठ्ठलाचे नाम

वारकरी चळवळ

भक्तीभाव निजधाम…! ५

 

हिंदी मराठी काव्याचा

केला मुक्त अंगीकार

संकीर्तन प्रवचनी

केला अध्यात्म प्रसार…! ६

 

नाम पर उपदेश

पाखंड्यांचे निर्दालन

गुरू ग्रंथ साहेबात

दोहा अभंग लेखन…! ७

 

सुख वाटतसे जीवा

जाता पंढरीसी कोणी

साध्या सोप्या रचनेत

शब्द धन वाही गोणी…! ८

 

दाढी करताना दिसेल

राजालाही भगवंत

संत सेना महाराज

प्रादेशिक कलावंत…! ९

 

दीर्घ काळ पंढरीत

सेना न्हावी करी सेवा

हरिभक्ती पारायण

दिला अभंगांचा ठेवा…! १०

 

श्रावणाची द्वादशी ही

पुण्यतिथी महोत्सव

संत सेना महाराज

करी  अभंग उत्सव…! ११

©  सुजित कदम

संपर्क – 117, विठ्ठलवाडी जकात नाका, सिंहगढ़   रोड,पुणे 30

मो. 7276282626

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – विविधा ☆ “रूचिरा आणि खवय्ये…” ☆ सौ कल्याणी केळकर बापट ☆

सौ कल्याणी केळकर बापट

? विविधा ?

☆ “निसर्ग चक्र…” ☆ सौ कल्याणी केळकर बापट ☆

गुरुवारी संध्याकाळी अमरावती भागात प्रचंड वादळवारं,पाऊस झाला. सुरू झालेला वादळवारा,गडगडाट ह्यांच्या मा-याने मला उगीचच अस्वस्थ व्हायला झालं.जबराट वा-यानं झाडं,वृक्ष जणू गदगद हलू लागली,काही ठिकाणी ती उन्मळून पण पडायच्या बेतात आली. ह्याबरोबरच असंख्य पक्षी हे त्या झाडांवरील निवारा सोडून दुसरीकडे सैरावैरा आश्रय शोधायला भिरभीरु लागली. जवळच गोशाळा असल्याने तेथील पशूधन देखील हंबरायला लागलं.जवळच्या झोपड्यां मधील लोक पक्क्या इमारतींच्या आश्रयाला आले. तेवढ्यात वीज म्हणजेच इलेक्ट्रिसीटी पण गुल झाली. सगळीकडे अंधाराचं साम्राज्य पसरलं .हे सगळं खिडकीतून न्याहाळतांना मनं काळजीनं बेचैन झालं.काही वेळी अपरिचितां वर पण अशी आपत्ती कोसळली तरी आपल्याला काळजी ही आपोआपच वाटायला लागते.ह्यालाच माणुसकीचे बंध म्हणत असावेतं. अशा कातरवेळी एक अनामिक हूरहूर दाटून आली.क्षणभरासाठी का होईना देवावरचा

नशीबावरचा विश्वास डळमळला.पंचभूतांपैकी जल आणि वायू तत्वराशीच्या शक्तीचा पून्हा एकदा प्रत्यय आला. अशा संकटकाळी प्रकर्षाने जाणवतं खरचं सगळं इथल्या इथेच सोडून द्यावं लागतं. क्षणभरासाठी का होईना मोह,माया ह्यांचा विसरपडून आपली धुंदी खाडकन उतरते.

काही तासं गेले. काही तासांपूर्वीचे औदासिन्य, नैराश्य अजून मनावर तसचं होतं.त्यामुळे नेहमीसारखं कामाला लागतांना उत्साही वाटत नव्हतं,मरगळ अजूनही मनावर आपली चादर पसरवूनच होती.पण कामाला न लागता पण भागणार नाही ही सत्यता स्विकारुन कामाला उठले, दार उघडून गँलरीत आले आणि काय आश्चर्य, सभोवतालचे दृश्य बघून आत्मविश्वास परत आला,सुळकन नेहमीसारखी उभारी मनात शिरली.मरगळ, नैराश्य, औदासिन्य तर कुठल्या कुठे धूम पळून गेलं. एका चिमणीने आपलं बांधलेलं घरटं परत डागडुजी केल्यागत ठीक केलं,जणू काही विनातक्रार.

पक्ष्यांनी स्वतःसाठी दुसऱ्या झाडांचा आश्रय शोधला,ते सगळे पक्षी चोचीत बारीकसारीक काडीकचरा जमा करून आणित होते.त्यांनी परत नवीन घरटं बांधायला सुरवात देखील केली होती,त्याच तडफेने त्याच जोमाने.

विशेष म्हणजे दूरवरील त्या झोपड्यांमधील लोक पण स्थानिक लोकांच्या मदतीने डागडुजी करायला लागले ते पण न कंटाळता,न रडता.

खरचं आतापर्यंत बघितल्या पैकी सगळ्यात सुंदर दिवसाची ती सुरवात भासली मला.सगळ्यात प्रसन्न सकाळ ती हीच असं प्रकर्षाने जाणवलं.खरचं त्या परमेश्वराची लीला अगाध आहे.परत लढण्याचं,संकटातून परत जोमाने बाहेर पडून कामाला लागण्याचं बळ तोच आपल्याला पुरवितो ह्याची पक्की खात्री पटली आणि माझ्याही नकळत माझे हात आकाशाकडे बघत आपोआप नतमस्तक होऊन जोडल्या गेलेत.

©  सौ.कल्याणी केळकर बापट

9604947256

बडनेरा, अमरावती

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ.उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ.मंजुषा मुळे/सौ.गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – जीवनरंग ☆ महत्वाकांक्षेचा बळी — भाग 2 ☆ डॉ. ज्योती गोडबोले ☆

डॉ. ज्योती गोडबोले

?जीवनरंग ?

☆ महत्वाकांक्षेचा बळी — भाग 2 ☆ डॉ. ज्योती गोडबोले

(नितिनला  बारावीला खूप कमी गुण मिळाले आणि भरपूर पैसे खर्च करायला लागून मलेशियाला मेडिकलला प्रवेश मिळाला त्याला.) इथून पुढे —-

सुशील  म्हणालाही होता, ‘ तुला तिकडे तरी झेपणार आहे का हा मेडिकलचा कोर्स? अवघड असतो तो. आम्ही गेलोय बरं यातून, तेही मेरिटवर. नितिन,तू उगीच नको मागे लागू. तुला कमर्शिअल आर्टस् ला मिळतेय ऍडमिशन तर घे ना. “ नाही बाबा ! मला आई म्हणते  म्हणून डॉक्टरच व्हायचंय. मग बघा,कसे खोऱ्याने पैसे ओढतो ते ! मला ती माझ्या  मनाप्रमाणे आर्टिस्ट होऊ देणार नाही ना,मग ठीक आहे,..” सुशील हे ऐकून हादरूनच गेला.आणि शलाका हे मोठ्या कौतुकाने ऐकत होती.

“ अग, काय बोलतोय हा? आपण असलं कधी केलं नाही,करणारही नाही. शलाका,वेळीच आवर  घाल बरं याला ! “—- “ छे हो ! नवीन पिढी आहे ही. एवढा खर्च आपण करणार, तो मग भरून काढायला नको का?“ 

सुशील काहीही बोलला नाही. पुढची वाटचाल अवघड आहे, हे मात्र ओळखले त्याने. मलेशियाला जाऊन  दोन वर्षे झाली होती, आणि तेवढ्यात नितिन चारवेळा येऊन गेला होता भारतात. केस वाढलेले,  वजन कमी झालेलं, नजर अस्थिर, आणि रात्ररात्र झोप नाही . सुशील ने विचारलंही, “ अरे, तिकडे सगळं ठीक आहे ना?— “ बाबा, मी आता परत जाणार नाही तिकडे. मला नाही आवडत तिकडलं काहीच. मुलं चांगली नाहीत, व्यसनी आहेत आणि माझ्याकडे सारखे पैसे मागतात.” 

हा मुलगा आपल्यापासून नक्कीच काहीतरी लपवतोय असं वाटलं सुशीलला आणि नाही म्हटलं तरी तो थोडा काळजीत पडला होता. म्हणून यावेळी तो जबरदस्तीने स्वतः पोचवायला गेला त्याला मलेशियाला…. कॉलेज चांगले होते की… कितीतरी भारतीय मुले मुली अगदी आनंदात तिथे राहात होती, कोणी दुसऱ्या, कोणी तिसऱ्या मेडिकलच्या वर्षाला होती. सुशील कॉलेजच्या  प्रोफेसर्सना भेटला… आणि  एकेक धक्कादायक गोष्टी त्याच्या कानावर आल्या. नितीनने एकही परीक्षाच दिली नव्हती. त्याने कोणताही क्लाससुद्धा अटेंड केलाच नव्हता. त्याला कॉलेजने रस्टिकेट केले होते. अनेकवेळा वॉर्निंग देऊनही त्याने पेरेन्ट्सना काहीच सांगितले नव्हते की फोन केला नव्हता. डीनने सुशीलला स्पष्ट सांगितलं, “ आता आमच्या  हातात काहीही नाही. हा मुलगा एकही परीक्षा न देता इथे कसा ठेवून घेणार आम्ही? त्याला तुम्ही भारतात घेऊन जा. तिकडेच बघा काही जमलं तर.” .. 

हताश होऊन सुशील नितिनला भारतात घेऊन आला.  नितीनला त्याचे सुख दुःखही नव्हते.   तो घरी आला आणि शलाका हादरूनच  गेली. “ अरे, नक्की काय झालं तिकडे? सगळी मुलं नीट राहतात, ती आता तिसऱ्या वर्षाला गेली आणि तू, पहिल्या वर्षाचीही परीक्षा दिली नाहीस? मग करत काय होतास तिथे?”  यावर नितीन निर्विकारपणे म्हणाला, “ मला नाही समजायचे ते काय शिकवतात ते. मी मग वर्गात जाणेच सोडून दिले. मला आता शिकायचेच नाही काहीही.” शलाका सुशील हताश झाले. एवढा मोठा तरुण मुलगा चोवीस तास नुसता घरात बसतो, काहीही करत नाही, हे बघणे त्यांच्या सहनशक्ती पलीकडले होते. सगळ्या घराची शांतता भंग पावली.  

सुशीलने त्याच्या  सायकियाट्रिस्ट मित्राची अपॉइंटमेंट घेतली आणि नितीनला त्याच्याकडे नेले. दोन सेशन्स मध्ये लक्षात आले की त्याच्यावर रॅगिंग झाले होते आणि ,नितिन ते सहन करू शकला नाही….  आणि  बघता बघता पूर्ण डिप्रेशनमध्येच गेला.  डॉक्टरांनी अथक प्रयत्न करून त्याला बोलते केले.  मग नितीन एकेक गोष्ट सांगू लागला. तिकडे परदेशातून आलेली मुलं त्याला पैसे मागायची,  कॅन्टीनमध्ये जाऊ द्यायची नाहीत, कपडे  लॉन्ड्रीत टाकू द्यायची नाहीत… आणि असे बरेच काही ..  आपल्या इंडियन मुलांनी खूप मदत केली. काही दिवसात हे प्रकारही थांबले. पण नितीनने याचा धसकाच घेतला. “ अरे,मुलीही तिकडे यशस्वीरीत्या सगळा कोर्स पूर्ण करतात, कोणताही त्रास त्यांना होत नाही आणि तुलाच हे कसे काय झाले?”  नितिन चक्क खोटे बोलत होता हेही डॉक्टरांच्या लक्षात आले. त्याला तिकडे रहायचेच नव्हते. लहानपणापासून अत्यंत लाडावलेला, म्हणेल ते हातात पडत गेलेला, त्यामुळे स्वतः एकटे रहायची आणि आपली कामे करण्याची वेळच कधी आली नव्हती नितीनवर. सुशीलने नितीनच्या तिकडे असलेल्या रूम पार्टनरला फोन केला. सुदैवाने तो भारतीयच होता. त्याने सांगितले की, “ नितिनला कोणीही कधीही त्रास दिलेला नाही, रॅगिंग केलेले नाही. हा कधीही क्लासमध्ये आला नाही. मीच खूपदा समजावून सांगितले पण हा ऐकायचाच नाही काका. तुम्हाला माहीत नसेल, त्याला  ड्रग्स घ्यायची सवय लागली. सगळे पैसे तो उधळून टाकायचा. काका, मला नाही वाटत तो शिकेल. तुम्ही ट्रीटमेंट द्या त्याला. आम्हाला त्याने तुमचा नंबरही दिला नाही, नाही तर मी कॉन्टॅक्ट केले असते तुम्हाला. त्याला इकडे पाठवू नका, तो चांगल्या मुलांच्या संगतीत नाही.” 

सुशील आणि शलाका कमालीचे हताश झाले. डोळ्यादेखत आपला मुलगा असा  हातातून जात असलेला बघून त्यांचे जगणे म्हणजे यातनाघर झाले. नितीनला मात्र त्याचे काहीच वाटत नव्हते. नुसते खाणे, भटकणे आणि टी व्ही बघणे, हीच दिनचर्या झालेली होती त्याची. सुशील शलाका दिवसदिवस बोलत नसत त्याच्याशी ! तोही मुर्दाडासारखा नुसता हॉलमध्ये चोवीस तास सोफ्यावर लोळत पडे.

आजी आजोबांनाही  हे बघून अत्यंत वाईट वाटे. तो त्यांच्याशीही बोलत नसे. सोन्यासारखा हसरा, गुणी मुलगा असा झालेला बघून आणि त्यामुळे सगळ्या घरावर काळी सावली झाकोळलेली बघून त्यांना फार वाईट वाटे. यातून काय मार्ग काढावा, या विचाराने शलाका सुशीलची झोप उडाली. दिवसेंदिवस नितीन हाताबाहेर जाऊ लागला. घरातले पैसे चोरीला जाऊ लागले आणि घरातच स्वतःच्या खोलीत बसून तो ड्रग्ज घेऊ लागला. हे लक्षात आल्याबरोबर, सुशीलने त्याची चांगलीच कानउघाडणी केली आणि म्हणाला,” पुन्हा जर हे माझ्या लक्षात आले तर मी तुला नक्कीच ऍडमिट करणार नितिन ! बस झाले आता !” 

नितीनच्या विरोधाला न जुमानता सुशीलने बोलल्याप्रमाणे त्याला व्यसनमुक्ती केंद्रात दाखल केले. सुशील शलाकाला अत्यंत वाईट वाटले. सुशील म्हणाला, “शलाका, तुझ्या अति महत्वाकांक्षेचा बळी ठरला नितीन.

तुला मी दोष देत नाही, सगळीच मुलं काही व्यसनी होत नाहीत, की वाईट मार्गाला लागत नाहीत. आता काय होईल ते आपण फक्त बघायचे.”   सहा  महिन्यांनी दोघे भेटायला गेले नितीनला. तब्बेत छानच सुधारली होती त्याची. आपला एवढा श्रीमंत मुलगा असल्या साध्या पायजमा शर्टात बघून पोटात तुटले शलाकाच्या…..

–क्रमशः भाग दुसरा

© डॉ. ज्योती गोडबोले

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – मनमंजुषेतून ☆ भीमाचे गर्वहरण… ☆ श्री मकरंद पिंपुटकर ☆

श्री मकरंद पिंपुटकर

? मनमंजुषेतून ?

☆ भीमाचे गर्वहरण… ☆ श्री मकरंद पिंपुटकर ☆

कौरवांच्या नाशानंतर, असे म्हणतात, की एकदा भीमाला आपणच जगात सगळ्यात बलशाली आहोत असा गर्व झाला. मग मारुतराया वृद्ध वानराच्या रुपात आला, ‘ माझी शेपूट हलवून बाजूला कर ‘  म्हणाला आणि भीमाचे गर्वहरण केले.
— —
मी एकदा सोलापूर रस्त्याने संत श्री नारायण महाराजांच्या केडगाव बेटातून चिंचवडला इनोव्हा गाडीतून एकटाच परत येत होतो. संध्याकाळी ६ चा सुमार होता. हायवेला भांडगावच्या सोनाक्षी मंगल कार्यालयातले लग्नकार्य आटोपत आले होते. कार्यालयाच्या दारात “बुढ्ढीके बाल” विकणारा पुण्याकडे जाणाऱ्या गाड्यांना लिफ्टसाठी हात करत उभा होता.

in न केलेला काळा पिवळा चौकडीचा हाफ शर्ट, पायात साध्याशा चपला, खांद्यावरच्या दांडीला ५-१५ बुढ्ढीके बाल च्या पिशव्या लटकवलेल्या, खांद्याला रिकामीशी शबनम छाप झोळी.

म्हटलं आज याला AC गाडीतून lift द्यावी. हा तरी कधी गाडीत बसणार ? त्याच्यासाठी गाडी थांबवल्याचे त्याला आश्चर्य वाटले. तो गाडीत बसला व माझी बडबड सुरू झाली. त्याचं नाव बबलू आणि तो हडपसरला भाड्याने रहात होता.

“ काय काय विकता ?”

“ बुढ्ढी के बाल, साबणाचे बुडबुडे व साधे मोठे फुगे.”

“ दिवसाला किती बुढ्ढीके बाल विकले जातात ?”

“ तीन एकशे. पाच रुपयाला एक.”

“  ते कसे बनवतात ?”

—  मग बबलूने ती process सांगितली. २ किलो साखरेतून तीनशे पिशव्या बनतात. वगैरे वगैरे.

२ किलो साखर म्हणजे फार तर  १०० रुपये आणि या पिशव्या विकून त्याला १५०० रुपये मिळत होते. म्हणजे १४०० रुपये नफा .. दिवसाला. म्हणजे महिन्याला ??? माझ्या डोक्यात आकडेमोड वेगाने सुरू झाली.

“ आणि बुडबुडे व फुगे कुठेत ?”

“ संपले.”

त्यांच्यातही कमीतकमी १००% नफा होता. बबलूच्या दिवसाच्या  नफ्याचा आकडा माझ्या कल्पेनेपेक्षा खूपच मोठा होत चालला होता.

– “ इथे कसे काय ?”

“ लग्न असलं की विक्री चांगली होते. पुण्यापासून (१०० किलोमीटर दूर असलेल्या) इंदापूरपर्यंतच्या सर्व मंगल कार्यालयांच्या मॅनेजरशी माझे कॉन्ट्रॅक्ट आहे. मी फोननुसार विक्रीला आलो की मॅनेजरला १०० रुपये द्यायचे. .”.. उन्हाने रापलेला, साधासा दिसणारा पण दिवसाकाठी किमान २-३००० रुपये नफा करणारा बबलू सांगत होता.

“ पण इतक्या सर्वांशी कॉंट्रॅक्ट करून काय उपयोग ? तुम्ही तर एकाच ठिकाणी जाऊ शकता.”  माझा चाणाक्ष सवाल.

“ मुलं ठेवली आहेत ना…”  त्याचं शांत उत्तर. “ गावचीच १८-२० मुलं आहेत. २ खोल्या भाड्याने घेतल्या आहेत. मेहुणा मार्केटिंग करून raw  material आणतो. मी सगळ्यांसाठी बुढ्ढीके बाल बनवतो. मुलांना महिना १०-१२,००० पगार देतो ….”

—  मला यातून दोनच आकडे डोळ्यांसमोर नाचत होते. हा माणूस महिना २ लाख रुपये पगार वाटतो. आणि रहाणं, खाणं, पिणं वगळता प्रत्येक मुलामागे महिना ७०-८०,००० रुपयांचा नफा कमावतो. अशी १८-२० मुलं. .. म्हणजे स्वत:सकट महिन्याला याचा निव्वळ नफा लाख्खो  रुपयांच्यावर जातो.— 

“ दिल्लीजवळ ७० किलोमीटरवर मीरतला रहातो. तुमच्यासारख्यांच्या आशिर्वादाने तीन मजली इमारत आहे, ४ गाड्या आहेत ….”. बबलू सांगत होता, मी गाडी चालवत होतो.
—  —

या प्रवासाच्या दुसऱ्या दिवशी मी व बायको म्हात्रे पुलाजवळ dp  road वर एका हॉटेलमध्ये जेवायला गेलो होतो. शेजारीच एक मंगल कार्यालय होतं. दारात एक मुलगा बुढ्ढीके बाल विकत उभा होता.

मी त्याच्याजवळ गेलो, विचारलं , “कुठे रहातोस ?”

तो म्हणाला : “हडपसरला.”

“ बबलूकडे का ?”

तो चकित. हो म्हणाला.

“ त्याला सांग काल तो ज्या गाडीने आला त्याचा “ड्रायव्हर” भेटला होता.”

 भीमाच्या ताकदीचे पार गर्वहरण झालं होतं——

© श्री मकरंद पिंपुटकर

चिंचवड

मो ८६९८०५३२१५   

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – इंद्रधनुष्य ☆ SSLV-D2 प्रक्षेपकाचे सफल प्रक्षेपण ☆ श्री राजीव गजानन पुजारी ☆

श्री राजीव गजानन पुजारी

? इंद्रधनुष्य ?

☆ SSLV-D2 प्रक्षेपकाचे सफल प्रक्षेपण ☆ श्री राजीव गजानन पुजारी

१० फेब्रुवारी २०२३ रोजी इस्रोने त्याच्या नवीन विकसित केलेल्या SSLV (Small Satellite Launch Vehicle) श्रेणीमधील प्रक्षेपकाचे दुसरे विकासात्मक उड्डाण यशस्वीरित्या पार पाडले. त्याला SSLV-D2 (Small Satellite Launch Vehicle-Development flight 2) असे नाव दिले आहे. सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरीकोटा येथील पहिल्या प्रक्षेपण तळावरून भारतीय वेळेनुसार सकाळी ०९:१८ मिनिटांनी प्रक्षेपक अवकाशात झेपावला. प्रक्षेपकावर तीन उपग्रह अधिभार म्हणून होते. EOS-07, JANUS-1 आणि AzaadiSAT-2. प्रक्षेपणानंतर साडेतेरा मिनिटांनी EOS-07 प्रक्षेपकापासून विलग झाला चौदा मिनिटांनी JANUS-1 वेगळा झाला आणि पंधरा मिनिटांनी AzaadiSAT वेगळा झाला. तीनही उपग्रहांना त्यांच्या निर्धारित कक्षेत म्हणजे ४५० किलोमीटरच्या वर्तुळाकार कक्षेत ३७ डिग्री कलासह (inclination) यशस्वीरीत्या प्रस्थापित केले गेले व इस्त्रोने एक मैलाचा टप्पा पार केला.

७ ऑगस्ट २०२२ रोजी SSLV च्या पहिल्या विकासात्मक उड्डाणावेळी प्रक्षेपकाच्या तीनही टप्प्यांनी व्यवस्थित काम करून प्रक्षेपकाला योग्य ती उंची व गती प्राप्त करून दिली,पण संगणक आज्ञावलीतील एका चुकीमुळे उपग्रह ३५६ किलोमीटर x ७६ किलोमीटर या लंबवर्तुळाकार कक्षेत प्रक्षेपित केले गेले. या कक्षेतील ७६ किलोमीटर हे अंतर पृथ्वीपासून एवढे जवळ आहे की वातावरणातील ओढीमुळे दोन्ही उपग्रह पृथ्वीकडे ओढले गेले. ही चूक  दुसऱ्या विकासात्मक उड्डाणात सुधारण्यात आली.  

SSLV हा घन प्रणोदक असणारा तीन टप्प्याचा प्रक्षेपक आहे. हा प्रक्षेपक द्रव प्रणोदनाधारित गती वियुज अनुखंडाद्वारे (velocity trimming midule) उपग्रहाला निर्धारित कक्षेत प्रस्थापित करतो. या प्रक्षेपकाद्वारे दहा किलोग्राम ते पाचशे किलोग्राम पर्यंतच्या लघु, सूक्ष्म व अती सूक्ष्म (mini, micro and nano) उपग्रहांना क्षैतीज कक्षेत (planar orbit) प्रस्थापित केले जाऊ शकते.  अंतरिक्षात गरजेनुसार उपग्रह त्वरित सोडण्याची संधी SSLV कमीत कमी किंमतीत पुरवू शकतो. कार्यवाहीसाठी लागणारा कमीत कमी वेळ, एकाधिक उपग्रहांना सामावून घेण्याची लवचिकता, मागणीनुसार प्रक्षेपणाची व्यवहार्यता, प्रक्षेपणासाठी पायाभूत सुविधांची किमान आवश्यकता यामुळे SSLV हा जगातील एक अग्रेसर प्रक्षेपक ठरणार आहे.

SSLV-D2 हा ३४ मीटर उंचीचा व दोन मीटर व्यासाचा प्रक्षेपक असून उड्डाण समयी त्याचे वजन ११९ टन होते.

EOS-07 हा पृथ्वी निरीक्षण उपग्रह इस्त्रोने डिझाईन केलेला, विकसित केलेला आणि उत्पादित केलेला आहे. त्याच्या नवीन प्रयोगांमध्ये मिलिमीटर तरंग आर्द्रता ध्वनीजनक (Millimeter- wave Humidity Sounder) आणि वर्णपट निरीक्षक (spectrum monitoring) पेलोड्सचा समावेश आहे. उड्डाण समय त्याच्या वजन १५६.३ किलोग्रॅम होते त्याची आयुर्मयादा एक वर्ष असून त्याला २७.२१Ah च्या लिथियम आयन बॅटरीद्वारा ऊर्जा पुरवठा केला जातो. या उपग्रहाची उद्दिष्टे पुढील प्रमाणे आहेत. (अ) सूक्ष्म उपग्रह बस (micro satellite bus)¹आणि भविष्यातील कार्यरत उपग्रहांना हव्या असलेल्या नवीन तंत्रज्ञानाशी सुसंगत अधिभाराचा आराखडा व विकास करणे.

(ब)नवीन तंत्रज्ञान सामावून घेणाऱ्या सूक्ष्म उपग्रहांची निर्मिती कमीत कमी वेळात करणे.

JANUS-1 हा १०.२ कि.ग्रॅ.वजनाचा अंटारीस सॉफ्टवेअर प्लॅटफॉर्म आधारित, तंत्रज्ञानाचे प्रात्यक्षिक दर्शविणाऱ्या कुशाग्र उपग्रहांच्या (smart satellite) मालिकेतील पहिला उपग्रह आहे. हा घटकीय वाहक (modular bus) प्रकारचा असून ऑनबोर्ड एज कॉम्प्युटिंग² च्या मदतीने मल्टी टेनंट पेलोड्स³,प्रोग्रॅमेबल स्मार्ट EPS⁴, S/X बँड⁵ SDR⁶, सिक्युअर TT&C⁷, SaaS⁸ प्लॅटफॉर्मसह डिजिटल ट्वीनिंग⁹ यांचे प्रात्यक्षिक दाखवितो.

AzaadiSAT-2 या उपग्रहाचे वजन ८.८ कि.ग्रॅ. आहे. या उपग्रह मोहिमेचा उद्देश अव्यवसायी आकाशवाणी संप्रेषण (Amareur radio communication) व LoRa¹⁰ या तंत्रज्ञानांचे प्रात्यक्षिक दाखविणे, अंतराळातील किरणोत्सर्गाच्या (radiation) पातळीचे मोजमाप करणे व विस्तारयोग्य उपग्रहांच्या बांधणीचे प्रात्यक्षिक दाखविणे हा आहे. भारताच्या सर्व राज्यांमधील ७५० विध्यार्थिनींना या उपग्रहावरील आधीभार तयार करण्यासाठी मार्गदर्शन करण्यात आले होते. स्पेस किडझ् इंडियाच्या विध्यार्थी संघाने या अधिभारांची जोडणी केली.

टिपा :-

  1. Satellite bus- हा उपग्रहाचा मुख्य भाग आणि संरचनात्मक घटक आहे. यामध्ये पेलोड्स व वैज्ञानिक उपकरणे असतात.
  2. Edge computing- ही एक संगणन क्रिया असून ती वापरकर्त्याजवळ किंवा विदेच्या उगमाजवळ केली जाते. संगणक सेवा वापरकर्त्याजवळ किंवा विदेच्या उगमाजवळ पुरविल्यामुळे वापरकर्त्याला किंवा संस्थेला जलद व विश्वासनीय सेवा मिळते.
  3. Multi-tanent payloads – एकाचवेळी एकाधिक वापरकर्त्यांना वापरता येण्याजोगे अधिभार.
  4. EPS- Encapsulated Post Script. याद्वारे व्हेक्टर ग्राफिक्सचे व्यवस्थापन केले जाते आणि घेतलेल्या प्रतिमांना उच्च विभेदन (high resolution) छपाईसाठी तयार केले जाते.

Vector graphics- कॉम्पुटरला क्रमाने दिलेल्या आज्ञा किंवा गणिती विधानांद्वारा तो रेषा किंवा आकार काढतो.

  1. Band- मायक्रोवेव्ह श्रेणीतील लहरींच्या वारंवारीतेनुसार त्यांचे गट केले आहेत, त्यांना बँड म्हणतात. त्यांनाs, x वगैरे नांवे दिली आहेत.
  2. SDR- Software Defined Radio ही एक रेडिओ दूरसंवाद प्रणाली आहे. जी विविध संकेतांवर (signals) कॉम्प्युटर सॉफ्टवेअरद्वारा प्रक्रिया करते.
  3. TT& C- Telimetry, Tracking and Command म्हणजे उपग्रहाकडून आलेल्या संकेतांची (signals) उकल (decoding) करणे, त्याद्वारे उपग्रहाची स्थिती व त्याचे ठिकाण ठराविणे आणि त्यानुसार उपग्रहाला आज्ञा पाठविणे.
  4. SaaS- Software as a Service यामुळे वापरकर्त्याला इंटरनेटवरील क्लाऊड आधारित ऍप्सशी संपर्क साधता येतो.
  5. Digital twining – एकाद्या भौतिक वस्तू, प्रक्रिया किंवा प्रणालीचे डिजिटल प्रतिरूप. याचा उपयोग प्रतिमानविधान (simulation), एकीकरण (integration), चाचणी (testing), देखरेख (monitoring) व देखभाल (maintenance) यांसाठी केला जातो.
  6. 10. LoRa- Long Range हे एक खाजगी मालकीचे आकाशवाणी दूरसंवाद तंत्र आहे. हे चिर्प स्प्रेड स्पेक्ट्रम (CSS) तंत्रज्ञानापासून घेतलेल्या स्प्रेड स्पेक्ट्रम मोड्युलेशन तंत्रावर आधारित आहे.

© श्री राजीव  गजानन पुजारी 

विश्रामबाग, सांगली

ईमेल – [email protected] मो. 9527547629

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – वाचताना वेचलेले ☆ पाण्याची expiry date ? ☆ प्रस्तुती – सौ. दीप्ती गौतम ☆

? वाचताना वेचलेले ?

☆ पाण्याची expiry date?  ☆ प्रस्तुती – सौ. दीप्ती गौतम ☆

जिथे रोज नळाला पाणी येते, तिथे पाणी रोज शिळे होते आणि रोज ओतून दिले जाते म्हणजे expiry date 1 दिवसाची.

जिथे दिवसाआड पाणी येते, तिथे पाणी दिवसाआड expire होते आणि ओतून दिले जाते

जिथे 8 दिवसांनी पाणी येते तिथे ते  8 दिवसांनी expire होते.

लग्न कार्यात पुढची बिस्लरी समोर आली, की हातातील पाण्याची अर्धी असलेली बाटली expire होते आणि फेकून दिली जाते.

वाळवंटात प्रवास करताना जोपर्यंत पाणी दिसत नाही, तोपर्यंत जवळचे पाणी चालते..

धरणातील पाणी पुढच्या पावसाळ्या पर्यंत चालून जाते.

जर दुष्काळ परिस्थिती आली तर दोन तीन वर्षे चालते…

जिथे 50 फूट बोरवेल मधून पाणी काढले जाते तिथे ते जमिनी खाली शेकडो वर्षे जुने असते म्हणजे शेकडो वर्षे झालेले पाणी पिण्यास चालते – expiry date शेकडो वर्षे.

जिथे पाणी 400 ते 500 फुटावर पाणी बोरवेल खोदून काढले जातात, तिथे ते हजारो वर्षांपूर्वी भूगर्भात साठलेले असते, तरीही ते चालते..

एकूणच पाण्याची expiry ही आपल्या कमकुवत बुद्धिमत्तेवर Flash जाते…😢

पाणी जपून वापरा, आपले विचारच आपला घात करतील…

संग्राहिका :सुश्री दीप्ती गौतम

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – चित्रकाव्य ☆ राम हवा की कृष्ण… – अज्ञात ☆ संग्राहक – सुश्री कालिंदी नवाथे ☆

?️?  चित्रकाव्य  ?️?

🍀 – राम हवा की कृष्ण … – अज्ञात 🍀 ☆ सुश्री सुश्री कालिंदी नवाथे ☆

कोणीतरी विचारले मला परवा

तुला राम हवा की कृष्ण हवा

 

मी म्हणाले किती छान विचारला प्रश्न

सांगते, कधी मला राम पाहिजे कधी कृष्ण

 

रामराया पोटात घालेल माझी चूक

आणि कृष्ण भागवेल माझी भूक

 

रात्रीची शांत झोप रामरायच देतो

भूक लागली की कृष्णच आठवतो,

 

कशाचीही भीती वाटली की

मला आठवतो राम

कष्ट झाले , दुखः झाले की

कृष्णाकडेच मिळतो आराम,

 

रक्षण कर सांगते रामरायालाच

सुखी ठेव सांगते मी श्रीकृष्णालाच

 

बुध्दीचा विवेक रामाशिवाय कोणाकडे मागावा,

व्यवहारातील चतुरपणा कृष्णानीच शिकवावा,

 

सहनशक्ती दे रे माझ्या रामराया

कृष्ण बसलाय ना कर्माचे फळ द्याया,

 

रामाला फक्त शरण जावे वाटते

कृष्णाशी मात्र बोलावेसे भांडावेसे वाटते, 

 

रामाला क्षमा मागावी

कृष्णाला भीक मागावी

 

रामाला स्मरावे

कृष्णाला जगावे

 

अभ्यास करताना प्रार्थना राजमणी रामाला

पायावर उभे राहताना विनवणी विष्णूला

 

एकाचे दोन होताना घ्यावे रामाचे आशीर्वाद

संसार करताना आवर्जून द्यावा नारायणाला प्रसाद

 

आरोग्य देणारा राम

सौंदर्य देणारा कृष्ण

राज्य देणारा राम

सेना देणारा कृष्ण

 

बरोबर चूक सांगतो राम

चांगले वाईट सांगणे कृष्णाचे काम

 

रामाकडे मागावे आई वडिलांचे क्षेम

कृष्णाकडे मागते मी मित्रांचे प्रेम

पाळण्यात नाव ठेवताना गोविंद घ्या गोपाळ घ्या

 

अंतीम वेळी  मात्र रामनाम घ्या,

 

— दोघांकडे  मागावे तरी काय काय

      ते दोघे हसत बघत आहेत माझ्याकडे,

      म्हणत आहेत, अग आम्ही एकच

      तू फसलीस की  काय…..,

 

      म्हणाले, कोण हवा हा प्रश्नच नाही

      मिळू दोघेही नाहीतर कोणीच नाही,

 

मी रडले आणि म्हणाले –

—  दोघेही रहा माझ्याबरोबर 

     परत नाही विचारणार हा प्रश्न

     राम का कृष्ण परत विचारले जरी

     फक्त म्हणेन जय जय  रामकृष्ण हरी  

 

     जय जय रामकृष्ण हरी

 

कवी : अज्ञात

संग्राहिका : सुश्री कालिंदी नवाथे 

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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