ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (29 जनवरी से 4 फरवरी 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (29 जनवरी से 4 फरवरी 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिष शास्त्र अपने आप में एक अनोखी विद्या है। इस विद्या से हम व्यक्ति, व्यक्तियों के समूह, देश दुनिया के संबंध में आने वाली घटनाओं के बारे में विचार करते हैं। इसी विद्या का एक अंग गोचर विज्ञान भी है। इसी गोचर विज्ञान से साप्ताहिक राशिफल बनाया जाता है। कहा गया है:-

भोग दशा गोचर का योग, जातक करता जीवन भोग।

आज साप्ताहिक राशिफल में हम 29 जनवरी 2024 से 4 फरवरी 2024 अर्थात विक्रम संवत 2080 शक संवत 1945 के माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी से माघ मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के बारे में चर्चा करेंगे।

इस सप्ताह के प्रारंभ में चंद्रमा सिंह राशि का रहेगा। 29 तारीख को 12:03 रात से कन्या राशि में प्रवेश करेगा। 1 फरवरी को 11:22 दिन से तुला राशि और 3 फरवरी को 8:49 रात से वृश्चिक राशि का हो जाएगा।

इस पूरे सप्ताह सूर्य मकर राशि में, तथा शुक्र, और मंगल ग्रह धनु राशि में रहेंगे। गुरु मेष राशि में गोचर करेगा। शनि कुंभ राशि में रहेगा। बक्री राहु पूरे सप्ताह मीन राशि में रहेगा। बुध ग्रह प्रारंभ में धनु राशि में तथा दिनांक 1 के 1:45 दिन से मकर राशि का हो जाएगा।

इस सप्ताह 29 तारीख को संकट चतुर्थी या तिल चतुर्थी जिसको की गणेश चतुर्थी भी कहते हैं का त्यौहार मनाया जाएगा।

इस सप्ताह के प्रत्येक दिन विवाह का मुहूर्त है इसके अलावा 31 तारीख को नामकरण अन्नप्राशन और मुंडन मुहूर्त है। 31 जनवरी और 3 फरवरी को व्यापार मुहूर्त है। इस सप्ताह उपनयन गृहारम्भ और गृह प्रवेश के मुहूर्त नहीं हैं।

इस सप्ताह 31 जनवरी को सूर्योदय से लेकर 10:21 मिनट रात तक सर्वार्थ सिद्ध योग है।

आइये अब हम प्रत्येक राशि के साप्ताहिक राशिफल के बारे में चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह आपके कई कार्य आपके भाग्य के कारण हो सकते हैं। आप कार्य करने का प्रयास करें। भाग्य अपने आप आपकी मदद करेगा। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा सामान्य से थोड़ी कम रहेगी। धन आने के योग हैं परंतु धन एकाएक आएगा। कचहरी के कार्यों में रिस्क ना लें। अगर आप पूरी सावधानी पूर्वक कचहरी के कार्य करेंगे तो आपको सफलता मिल सकती है। शत्रुओं की मात्रा बढ़ेगी। माता जी को कष्ट हो सकता है। उनको ब्लड प्रेशर डायबिटीज या रक्त संबंधी कोई और बीमारी हो सकती है। भाई बहनों के साथ संबंध थोड़ा तनाव पूर्ण हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 1, 2 और 3 फरवरी शुभ है। एक, दो और तीन फरवरी को आप द्वारा अधिकांश कार्य जो किए जाएंगे उनमें आपको सफलता मिलेगी। 4 तारीख को आप दुर्घटनाओं से बच सकते हैं। 30 और 31 तारीख तथा 4 तारीख को आपको विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप आदित्य हृदय स्त्रोत का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

वृष राशि

वृष राशि के जातकों का स्वास्थ्य इस सप्ताह सामान्य रहेगा। उनके जीवनसाथी का स्वास्थ्य भी ठीक-ठाक रहेगा। पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा परंतु माता जी के स्वास्थ्य में थोड़ी गड़बड़ी हो सकती है। माता जी को कमर या गरदन का दर्द या नस संबंधित कोई अन्य बीमारी हो सकती है। भाग्य के भरोसे ना बैठे। अपने परिश्रम पर विश्वास करें और अपना हक प्राप्त करें। इस सप्ताह आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है। स्थानांतरण का भी योग बन रहा है। धन लाभ में कमी आएगी। कार्यालय में आपकी यथास्थिति रहेगी। दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें। इस सप्ताह आपके लिए 29 जनवरी उत्तम है। आपको चाहिए कि आप 1, 2, 3 और 4 तारीख को सतर्क रहकर कोई कार्य करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के जीवनसाथी का स्वास्थ्य सप्ताह उत्तम रहेगा। उनके माता जी का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी बहुत तकलीफ आ सकती है। अगर आप अधिकारी या कर्मचारी है तो कार्यालय में आपकी लड़ाई भी हो सकती है। भाग्य इस सप्ताह आपका एकाएक साथ देगा। भाग्य की साथ देने के कारण कोई व्यक्ति आपको इस सप्ताह नीचा नहीं दिखा पाएगा। इस सप्ताह आपके पास धन की कमी हो सकती है। इस सप्ताह आप मानसिक चिंता से ग्रस्त रहेंगे। आपको मानसिक तनाव रह सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 30 और 31 तारीख किसी भी कार्य करने को करने के लिए उचित है। 30 और 31 तारीख को आपके द्वारा किए गए अधिकांश कार्यों में आपको सफलता प्राप्त होगी। अगर आप पहले से प्रयास कर रहे हैं तो आप अपने शत्रु को 4 तारीख को परास्त कर सकते हैं। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह प्रतिदिन स्नान की उपरांत तांबे के पत्र में अक्षत जल और लाल पुष्प डालकर भगवान सूर्य को सूर्य मंत्रों के साथ में अर्पण करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके जीवन साथी के स्वास्थ्य में थोड़ी गिरावट हो सकती है। पिताजी और माताजी दोनों का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। माता जी को पेट की समस्या हो सकती है। इस सप्ताह भाग्य से आपको कोई विशेष मदद नहीं मिलेगी। आपको अपने पुरुषार्थ पूरा विश्वास करना होगा। भाई बहनों के साथ सामान्य संबंध रहेंगे। छोटी-मोटी दुर्घटना का योग है। इस सप्ताह अगर आप प्रयास करेंगे तो अपने सभी शत्रुओं को पूरी तरह से परास्त कर सकते हैं। कुछ नए शत्रु बनेंगे। कार्यालय में आपकी स्थिति में इंप्रूवमेंट होगा। इस सप्ताह आपके लिए एक, दो और तीन फरवरी उत्तम तथा लाभदायक है। आपको चाहिए कि आप अपने बच्चों के प्रति 4 तारीख को सतर्क रहें। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ बृहस्पतिवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपके माता-पिता और जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके कमर या गरदन में दर्द हो सकता है। आपको नसों की भी समस्या हो सकती है। भाग्य आपका भरपूर साथ देगा। दुश्मन आपका काम बिगड़ने का प्रयास करेंगे। संतान आपके साथ सहयोग करेंगे। भाई बहनों के साथ सामान्य संबंध रहेंगे। इस सप्ताह 4 फरवरी को आपके सुख में कमी आएगी। आपके माता जी को 4 फरवरी को कष्ट हो सकता है। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह गरीबों के बीच में चावल का दान करें। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपके सुख में वृद्धि होगी। आप कोई नई वस्तु खरीद सकते हैं। इस सप्ताह आपको अपने संतान से कोई विशेष सहयोग प्राप्त नहीं होगा। आपके जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी गड़बड़ी हो सकती है। शत्रु आपके शांत रहेंगे। आपको पेट संबंधी कोई शिकायत हो सकती है। मामूली धन आने का योग है। कार्यालय में आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 30 और 31 जनवरी उत्तम है। 30 और 31 जनवरी को आपके अधिकांश कार्य सफल रहेंगे। 29 जनवरी को आपको सावधानी पूर्वक कोई कार्य करना चाहिए। चार फरवरी को आपका अपने भाइयों-बहनों के साथ थोड़ा तनाव हो सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गेहूं और गुड़ का दान करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपको अपने संतान से भरपूर मदद मिलेगी। छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी। आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। माता जी के स्वास्थ्य में परेशानी आ सकती है। पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपको पेट का या पेट के अंदर कोई पीड़ा हो सकती है। इस सप्ताह भाग्य आपका एक सीमा तक साथ देगा। जीवनसाथी के कमर या गरदन दर्द हो सकता है। कार्यालय में आपको कुछ परेशानियां आ सकती हैं। अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो गलत रास्ते से धन लेने का प्रयास इस सप्ताह न करें। इस सप्ताह आपके लिए एक, दो और 3 फरवरी अनुकूल है। आपको 30 और 31 जनवरी को सावधान होकर के ही कोई कार्य करना चाहिए। 4 फरवरी को आपको धन के प्रति लालसा नहीं रखना चाहिए अन्यथा आप किसी जाल में फंस सकते हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शनिवार को शनि मंदिर में जाकर शनि देव को तेल चढ़ाएं और उनकी आराधना करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपका व्यापार उत्तम रहेगा। धन आने की पूरी संभावना है। आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। भाई बहनों के साथ संबंधों में तनाव आएगा। माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी को परेशानी हो सकती है। बच्चों से आपको इस सप्ताह सहयोग प्राप्त नहीं होगा। छात्रों की पढ़ाई में बाधा आएगी। अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो कार्यालय में आपका विवाद हो सकता है। आप को या आपके जीवनसाथी को पेट में कुछ परेशानी हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 29 जनवरी अति उत्तम है। 29 जनवरी को आपके सभी कार्य सिद्ध हो सकते हैं। आपको एक, दो और तीन फरवरी को सावधान रहने की आवश्यकता है। 4 फरवरी को आपको अपने प्रति सतर्क रहना है अन्यथा आपको कोई दुर्घटना हो सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का जाप करें। मंगलवार को कम से कम पांच जाप करना सुनिश्चित करें। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

धनु राशि

अगर आप अविवाहित हैं तो इस सप्ताह आपके पास विवाह के कई प्रस्ताव आ सकते हैं। आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। जीवनसाथी के ब्लड प्रेशर में या डायबिटीज में थोड़ा उछाल हो सकता है। माता जी के स्वास्थ्य में परेशानी आ सकती है। आपको दुर्घटनाओं से बचकर रहना चाहिए। आपको इस सप्ताह संतान का अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। आपका इस सप्ताह अपने भाई बहनों के साथ संबंध ठीक रहेगा। धन आने के मार्ग में कई बाधाएं आएंगी परंतु आप अपनी तैयारी लगातार जारी रखें। जिससे आगे के सप्ताह में आपके पास धन आ सके। भाग्य से आपको इस सप्ताह कोई विशेष मदद प्राप्त नहीं होगी। इस सप्ताह आपके लिए 30 और 31 जनवरी अनुकूल है। आपके ऊपर अगर कोई ऋण है तो वह 4 फरवरी को कम हो सकता है या समाप्त हो सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि दक्षिण मुखी हनुमान जी के मंदिर में जाकर शनिवार को कम से कम सात बार हनुमान चालीसा का जाप करें। इस सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपको कचहरी के कार्यों में सफलता की काफी उम्मीद है। अगर आपके ऊपर कोई ऋण है तो उसमें या तो कमी आएगी या ऋण समाप्त हो जाएगा। भाग्य इस सप्ताह आपका साथ देगा। धन आने की उम्मीद है। आपके जीवन साथी को रक्त संबंधी कोई विकार हो सकता है। दुश्मनों का समूल नाश हो सकता है परंतु इसके लिए आपको बहुत अधिक प्रयास करना पड़ेगा। भाई बहनों के साथ संबंध में परेशानी आएगी। माता जी का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी समस्या हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए एक, दो और तीन फरवरी उत्तम है। एक दो और तीन फरवरी को आपके अधिकांश कार्य सफल हो सकते हैं। इस सप्ताह आपको 29 जनवरी और 4 फरवरी को सतर्क रहना चाहिए। 4 फरवरी को आपको धन हानि हो सकती है। अतः 4 फरवरी को आप किसी भी लॉटरी आदि के चक्कर में ना पड़े। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप राम रक्षा स्त्रोत का प्रतिदिन जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह सामान्यतः आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक-ठाक रहेंगे। माता जी और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके एक भाई या बहन को तकलीफ हो सकती है या उससे आपका तनाव हो सकता है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आएगी। इस सप्ताह आपके संतान को परेशानी हो सकती है। परंतु यह निश्चित है की संतान उस परेशानी से शीघ्र ही बाहर आ जाएगा। इस सप्ताह आपके लिए 29 जनवरी लाभदायक है। 30 और 31 जनवरी को आपको सतर्क होकर कोई कार्य करना चाहिए। 4 फरवरी को आपको अपने कार्यालय में सतर्क रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप विष्णु सहस्त्रनाम का प्रतिदिन पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो यह सप्ताह आपके लिए निश्चित रूप से अच्छे फल लेकर आ रहा है। धन आने का योग है परंतु धन की मात्रा कम रहेगी। कचहरी के कार्यों को पूरी सावधानी से कार्य करें। सफलता मिल सकती है। भाग्य आपका कम साथ देगा। भाई बहनों के साथ संबंधों में तनाव हो सकता है। आपका या आपके जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आ सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 30 और 31 जनवरी फलदायक है। सप्ताह के बाकी दिनों में आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। 4 फरवरी को आपको भाग्य के सहारे कोई कार्य नहीं करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप घर की बनी पहली रोटी गौ माता को दें। सप्ताह का शुभ दिन गुरुवार है।

 

आपसे अनुरोध है कि इस पोस्ट का उपयोग करें और हमें इस पोस्ट के बारे में बतायें।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संस्मरण – मेरी यादों में जालंधर – भाग – 3 – जालंधर के समाचार-पत्र ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

श्री कमलेश भारतीय 

(जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब)  शिक्षा-  एम ए हिंदी, बी एड, प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । ‘यादों की धरोहर’ हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह – ‘एक संवाददाता की डायरी’ को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से  कथा संग्रह- महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति का पुरस्कार । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तीन वर्ष तक उपाध्यक्ष । दैनिक ट्रिब्यून से प्रिंसिपल रिपोर्टर के रूप में सेवानिवृत। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता)

☆ संस्मरण – मेरी यादों में जालंधर – भाग-3 – जालंधर के समाचार-पत्र ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

(प्रत्येक शनिवार प्रस्तुत है – साप्ताहिक स्तम्भ – “मेरी यादों में जालंधर”)

जालंधर से कितने समाचारपत्र निकले और निकल रहे हैं। आज इसकी बात करने का मन है। विभाजन से पहले लाहौर से उर्दू में प्रताप और मिलाप अखबार निकलते थे। प्रताप के संपादक वीरेंद्र जी थे जिन्हें प्यार से सब वीर जी कहते थे। लाहौर से जयहिंद नाम से एकमात्र हिंदी का अखबार निकलता था जिसमें लाला जगत नारायण काम करते थे। ट्रिब्यून भी लाहौर से ही प्रकाशित होता था।

विभाजन के बाद ये सभी अखबार जालंधर से प्रकाशित होने लगे, ट्रिब्यून को छोड़कर! यह पहले कुछ समय शिमला व अम्बाला में प्रकाशित हुआ बाद में चंडीगढ़ में स्थायी तौर पर प्रकाशित हो रहा है। अम्बाला में आज भी ट्रिब्यून कालोनी है।

अब बात जालंधर से  प्रकाशित समाचारपत्रों की ! मिलाप और प्रताप जालंधर से प्रकाशित होने लगे। उर्दू नयी पीढ़ी की भाषा नहीं थी। इसे देखते हुए वीर प्रताप और हिंदी मिलाप शुरू हुए। हालांकि लाला जगत नारायण ने उर्दू में हिंद समाचारपत्र शुरू किया। इसी में पंजाबी के प्रसिद्ध कथाकार प्रेम प्रकाश काम करते थे।काफी वर्ष बाद पंजाब केसरी का प्रकाशन शुरू किया। लाला जगतनारायण व वीरेंद्र राजनीति में भी आये और  सफल रहे। इसी तरह ट्रिब्यून ट्रस्ट ने भी पंद्रह अगस्त, 1978 से दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून शुरू किये।

वैसे पंजाबी समाचारपत्र भी प्रकाशित होते थे जिनमें-अजीत,  अकाली पत्रिका, नवां जमाना, लोकलहर व बाद में जगवाणी भी प्रकाशित होने लगे बल्कि अब तो जागरण का भी पंजाबी संस्करण आ रहा है। बात करूँ लोकलहर की तो इसमें सतनाम माणक व लखविंदर जौहल काम करते थे और मेरी अनेक कहानियों का पंजाबी में अनुवाद कर प्रकाशित किया। लखविंदर जौहल बाद में जालंधर दूरदर्शन में प्रोड्यूसर हो गये और सतनाम माणक अजीत समाचारपत्र में चले गये। आज वे वहाँ बहुत प्रभावशाली हैं और अजीत हिंदी समाचारपत्र के सर्वेसर्वा भी। सिमर सदोष का भी अजीत समाचारपत्र में बहुत योगदान है। इसमें आज भी मेरी रचनाओं को स्थान मिल रहा है। सिमर आज भी नये रचनाकारों को प्रमुखता से प्रकाशित करते हैं। नवां जमाना में बलवीर परवाना साहित्य के पन्ने देखते थे और मेरी अनेक कहानियों का पंजाबी अनुवाद इसमें भी प्रकाशित हुआ। अजीत के संपादक बृजेन्द्र हमदर्द पहले पंजाबी ट्रिब्यून के संपादक रहे। बाद में अपना अखबार अजीत संभाला। एक साहित्यिक पंजाबी पत्रिका दृष्टि का संपादन भी किया और राज्य सभा सांसद भी रहे। किसी मुद्दे को लेकर राज्यसभा छोड़ दी थी। बृजेन्द्र हमदर्द को प्यार से सब पाजी बुलाते हैं।

जालंधर से ही एक और हिंदी समाचारपत्र जनप्रदीप प्रकाशित हुआ जिसके संपादक ज्ञानेंद्र भारद्वाज थे।जनप्रदीप तीन चार साल ही चल पाया। इसमें अनिल कपिला से मुलाकातें होती रहीं जो बाद में दैनिक ट्रिब्यून में आ गये थे। वीर प्रताप के समाचार संपादक व शायर सत्यानंद शाकिर ने वीर प्रताप छोड़ कर कुछ समय अपना सांध्य कालीन उर्दू अखबार मेहनत निकाला और बाद में दैनिक ट्रिब्यून के पहले समाचार संपादक बने ।

वीर प्रताप में ही डाॅ चंद्र त्रिखा भी संपादकीय विभाग में रहे। लगभग सवा साल हिंदी मिलाप में रहे और सिने मिलाप के पहले इंचार्ज भी रहे। (बाद में भद्रसेन ने इसका संपादन किया।) फिर उन्हें वीर प्रताप का हरियाणा बनने पर अम्बाला में एडीटर इंचार्ज बना दिया गया। वे नवभारत टाइम्स के भी प्रतिनिधि रहे और अपना पाक्षिक पत्र युग मार्ग भी प्रकाशित करते रहे। जन संदेश के संपादक भी रहे। आजकल चंडीगढ़ में हैं और हरियाणा उर्दू अकादमी के निदेशक पद पर हैं। पहले हरियाणा हिंदी साहित्य अकादमी के निदेशक रहे। इनका साहित्य में भी बड़ा योगदान है और अनेक किताबों के रचियता हैं। विभाजन पर इनका विशेष काम है।

वीर प्रताप से ही स्पाटू के विजय सहगल पत्रकारिता में आये और दैनिक ट्रिब्यून में पहले सहायक संपादक और फिर बारह तेरह साल दैनिक ट्रिब्यून के संपादक भी रहे। इससे पहले विजय सहगल नवभारत टाइम्स , दिल्ली और फिर मुम्बई धर्मयुग में भी रहे। इनका कथा संग्रह आधा सुख नाम से आया। हिंदी मिलाप में ही जहाँ सिमर सदोष मिले वहीं जीतेन्द्र अवस्थी से भी दोस्ती हुई। वे भी दैनिक ट्रिब्यून में फिर  मिले और समाचार संपादक पद तक पर पहुंचे। इनकी साहित्य लेखन में गहरी रूचि थी लेकिन पत्रकारिता में दब कर रह गयी। अभी शारदा राणा ने भी बताया कि उन्होंने भी पत्रकारिता की शुरुआत हिंदी मिलाप से ही की। फिर जनसत्ता के बाद दैनिक ट्रिब्यून का रविवारीय अंक का संपादन भी किया। शारदा राणा से भी पहले रेणुका नैयर ने भी जालंधर से पत्रकारिता की शुरूआत कर दैनिक ट्रिब्यून में रविवारीय का संपादन किया। न्यूज डेस्क पर भी रहीं।

आज बस इतना ही। अगला भाग शीघ्र। आज भी कुछ भूल चूक हुई होगी। मेरी अज्ञानता समझ कर माफ करेंगे।

क्रमशः…. 

© श्री कमलेश भारतीय

पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आतिश का तरकश #222 – 109 – “तुम भी तो थे इश्किया अंजाम से बाबस्ता…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ☆

श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी  ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकशआज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण ग़ज़ल तुम भी तो थे इश्किया अंजाम से बाबस्ता…” ।)

? ग़ज़ल # 109 – “तुम भी तो थे इश्किया अंजाम से बाबस्ता…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ?

आँखें मिलीं जब वो आये थे नज़र मुझे,

नहीं रही इसके बाद की कुछ खबर मुझे।

*

मैं अनजान खिलाड़ी थी इश्क़ के खेल की,

तुमने ही तो पढ़ाया था ज़ेर ओ ज़बर मुझे।

*

मैं भी तो सातवें आसमान पर तैर रही थी,

उसके बाद ही आई थी जन्नत नज़र मुझे।

*

तुम भी तो थे इश्किया अंजाम से बाबस्ता,

अब पूछते हो क्यों नहीं रहती सबर मुझे।

*

अब ये बेकार की तकरार किसलिए जनाब,

अब रहने दो अपने आग़ोश में बसर मुझे।

© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’

भोपाल, मध्य प्रदेश

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 99 ☆ गीत ☆ ।। माता पिता सु सम्मान की हर तदबीर बेटी से है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 99 ☆

☆ गीत ☆ ।। माता पिता सु सम्मान की हर तदबीर बेटी से है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1]

मां बाप के सुख की होती लकीर बेटी है।

मात पिता सम्मान की तकदीर बेटी से है।।

[2]

जिसके आंगन बेटी वहां पड़ी प्रभु छाया है।

रौनक बसती उस घर जहां बेटी का साया है।।

प्रेम स्नेह विश्वास की होती   नजीर बेटी है।

मां बाप के सुख की होती   लकीर बेटी है।।

[3]

परिवार के दुःख दर्द में पहले रोती बेटी है।

भाइयों के लिए त्याग में पहले होती बेटी है।।

माता पिता खुश रखने की तरकीब बेटी है।

मां बाप के सुख की होती लकीर बेटी है।।

[4]

दो परिवारों को एक सूत्र में बांधती बेटी है।

दोनों घरों का ही सुख दुःख बांटती बेटी है।।

मां बाप लिए कोशिश भी होकर फकीर बेटी है।

मां बाप के सुख की होती   लकीर बेटी है।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 162 ☆ ‘चारुचन्द्रिका’ से – कविता – “क्रोध…” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित एक भावप्रवण रचना  – “क्रोध। हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।) 

☆ ‘चारुचन्द्रिका’ से – कविता – “क्रोध” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

क्रोध न हल देता झगड़ों का क्रोध सदा ही आग लगाता।

जहाँ उपजता उसके संग ही सारा ही परिवेश जलाता ॥

 *

मन अशांत कर देता सबका कभी न बिगड़ी बात बनाता ।

जो चुप रहकर सह लेता सब उसको भी लड़ने भड़काता ॥

 *

हल मिलते हैं चर्चाओं से आपस की सच्ची बातों से।

रोग दवा से ही जाते हैं हों कैसे भी आघातों से ॥

प्रेमभाव या भाईचारा आपस में विश्वास जगाता।

वही सही बातों के द्वारा सब उलझे झगड़े निपटाता ॥

 *

इससे क्रोध त्याग आपस का खोजो तुम हल का कोई साधन

जिससे आपस का विरोध-मतभेद मिटे विकास अनुशासन ॥

 *

काम करो ऐसा कुछ जिससे हित हो सबका आये खुशियाँ।

कहीं निरर्थक भेद बढ़े न रहे न दुखी कभी भी दुखियाँ ॥

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य #217 ☆ वाणी माधुर्य व मर्यादा… ☆ डॉ. मुक्ता ☆

डॉ. मुक्ता

डा. मुक्ता जी हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक एवं माननीय राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित/पुरस्कृत हैं।  साप्ताहिक स्तम्भ  “डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य” के माध्यम से  हम  आपको प्रत्येक शुक्रवार डॉ मुक्ता जी की उत्कृष्ट रचनाओं से रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। आज प्रस्तुत है डॉ मुक्ता जी का  मानवीय जीवन पर आधारित एक अत्यंत विचारणीय आलेख वाणी माधुर्य व मर्यादा। यह डॉ मुक्ता जी के जीवन के प्रति गंभीर चिंतन का दस्तावेज है। डॉ मुक्ता जी की  लेखनी को  इस गंभीर चिंतन से परिपूर्ण आलेख के लिए सादर नमन। कृपया इसे गंभीरता से आत्मसात करें।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य  # 216 ☆

वाणी माधुर्य व मर्यादा... ☆

‘सबद सहारे बोलिए/ सबद के हाथ न पाँव/ एक सबद औषधि करे/ एक सबद करे घाव,’  कबीर जी का यह दोहा वाणी माधुर्य व शब्दों की सार्थकता पर प्रकाश डालता है। शब्द ब्रह्म है, निराकार है; उसके हाथ-पाँव नहीं हैं। परंतु प्रेम व सहानुभूति के दो शब्द दोस्ती का विकल्प बन जाते हैं; हृदय की पीड़ा को हर लेने की क्षमता रखते हैं तथा संजीवनी का कार्य करते हैं। दूसरी ओर कटु वचन व समय की उपयुक्तता के विपरीत कहे गए कठोर शब्द महाभारत का कारण बन सकते हैं। इतिहास ग़वाह है कि द्रौपदी के शब्द ‘अंधे की औलाद अंधी’ सर्वनाश का कारण बने। यदि वाणी की मर्यादा का ख्याल रखा जाए, तो बड़े-बड़े युद्धों को भी टाला जा सकता है। अमर्यादित शब्द जहाँ रिश्तों में दरार  उत्पन्न कर सकते हैं; वहीं मन में मलाल उत्पन्न कर दुश्मन भी बना सकते हैं।

सो! वाणी का संयम व मर्यादा हर स्थिति में अपेक्षित है। इसलिए हमें बोलने से पहले शब्दों की सार्थकता व प्रभावोत्पादकता का पता कर लेना चाहिए। ‘जिभ्या जिन बस में करी, तिन बस कियो जहान/ नाहिं ते औगुन उपजे, कह सब संत सुजान’ के माध्यम से कबीरदास ने वाणी का महत्व दर्शाते हुये उन लोगों की सराहना करते हुए कहा है कि वे लोग विश्व को अपने वश में कर सकते हैं, अन्यथा उसके अंजाम से तो सब परिचित हैं। इसलिए ‘पहले तोल, फिर बोल’ की सीख दिन गयी है। सो! बोलने से पहले उसके परिणामों के बारे में अवश्य सोचें तथा स्वयं को उस पर पलड़े में रख कर अवश्य देखें कि यदि वे शब्द आपके लिए कहे जाते, तो आपको कैसा लगता? आपके हृदय की प्रतिक्रिया क्या होती? हमें किसी भी क्षेत्र में सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक आदि क्षेत्रों में अमर्यादित शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इससे न केवल लोकतंत्र की गरिमा का हनन होता है; सुनने वालों को भी मानसिक यंत्रणा से गुज़रना पड़ता  है। आजकल मीडिया जो चौथा स्तंभ कहा जाता है; अमर्यादित, असंयमित व अशोभनीय भाषा  का प्रयोग करता है। शायद! उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। इसलिए अधिकांश लोग टी• वी• पर परिचर्चा सुनना पसंद नहीं करते, क्योंकि उनका संवाद पलभर में विकराल, अमर्यादित व अशोभनीय रूप धारण कर लेता है।

‘रहिमन ऐसी बानी बोलिए, निर्मल करे सुभाय/  औरन को शीतल करे, ख़ुद भी शीतल हो जाए’ के माध्यम से रहीम जी ने मधुर वाणी बोलने का संदेश दिया है, क्योंकि इससे वक्ता व श्रोता दोनों का हृदय शीतल हो जाता है। परंतु यह एक तप है, कठिन साधना है। इसलिए कहा जाता है कि विद्वानों की सभा में यदि मूर्ख व्यक्ति शांत बैठा रहता है, तो वह बुद्धिमान समझा जाता है। परंतु जैसे ही वह अपने मुंह खोलता है, उसकी औक़ात सामने आ जाती है। मुझे स्मरण हो रही हैं यह पंक्तियां ‘मीठी वाणी बोलना, काम नहीं आसान/  जिसको आती यह कला, होता वही सुजान’ अर्थात् मधुर वाणी बोलना अत्यंत दुष्कर व टेढ़ी खीर है। परंतु जो यह कला सीख लेता है, बुद्धिमान कहलाता है तथा जीवन में कभी भी उसकी कभी पराजय नहीं होती। शायद! इसलिए मीडिया वाले व अहंवादी लोग अपनी जिह्ना पर अंकुश नहीं रख पाते। वे दूसरों को अपेक्षाकृत तुच्छ समझ उनके अस्तित्व को नकारते हैं और उन्हें खूब लताड़ते हैं, क्योंकि वे उसके दुष्परिणाम से अवगत नहीं होते।

अहं मानव का सबसे बड़ा शत्रु है और क्रोध का जनक है। उस स्थिति में उसकी सोचने-समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। मानव अपना आपा खो बैठता है और अपरिहार्य स्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं, जो नासूर बन लम्बे समय तक रिसती रहती हैं। सच्ची बात यदि मधुर वाणी व मर्यादित शब्दावली में शांत भाव से कही जाती है, तो वह सम्मान का कारक बनती है, अन्यथा कलह व ईर्ष्या-द्वेष का कारण बन जाती है। यदि हम तुरंत प्रतिक्रिया न देकर थोड़ा समय मौन रहकर चिंतन-मनन करते हैं, तो विषम परिस्थितियाँ उत्पन्न नहीं होती। ग़लत बोलने से तो मौन रहना बेहतर है। मौन को नवनिधि की संज्ञा से अभिहित किया गया है। इसलिए मानव को मौन रहकर ध्यान की प्रक्रिया से गुज़रना चाहिए, ताकि हमारे अंतर्मन की सुप्त शक्तियाँ जाग्रत हो सकें।

जिस प्रकार गया वक्त लौटकर नहीं आता; मुख से नि:सृत कटु वचन भी लौट कर नहीं आते और वे दांपत्य जीवन व परिवार की खुशी में ग्रहण सम अशुभ कार्य करते हैं। आजकल तलाक़ों की बढ़ती संख्या, बड़ों के प्रति सम्मान भाव का अभाव, छोटों के प्रति स्नेह व प्यार-दुलार की कमी, बुज़ुर्गों की उपेक्षा व युवा पीढ़ी का ग़लत दिशा में पदार्पण– मानव को सोचने पर विवश करता है कि हमारा उच्छृंखल व असंतुलित व्यवहार ही पतन का मूल कारण है। हमारे देश में बचपन से लड़कियों को मर्यादा व संयम में रहने का पाठ पढ़ाया जाता है, जिसका संबंध केवल वाणी से नहीं है; आचरण से है। परंतु हम अभागे अपने बेटों को नैतिकता का यह पाठ नहीं पढ़ाते, जिसका भयावह परिणाम हम प्रतिदिन बढ़ते अपहरण, फ़िरौती, दुष्कर्म, हत्या आदि के बढ़ते हादसों के रूप में देख रहे हैं।  लॉकडाउन में पुरुष मानसिकता के अनुरूप घर की चारदीवारी में एक छत के नीचे रहना, पत्नी का घर के कामों में हाथ बंटाना, परिवाजनों से मान-मनुहार करना उसे रास नहीं आया, जो घरेलू हिंसा के साथ आत्महत्या के बढ़ते हादसों के रूप में दृष्टिगोचर है। सो! जब तक हम बेटे-बेटी को समान समझ उन्हें शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध नहीं करवाएंगे; तब तक समन्वय, सामंजस्य व समरसता की संभावना की कल्पना बेमानी है। युवा पीढ़ी को संवेदनशील व सुसंस्कृत बनाने के लिए हमें उन्हें अपनी संस्कृति का दिग्दर्शन कराना होगा, ताकि उनका उनका संवेदनशीलता व शालीनता से जुड़ाव बना रहे।

© डा. मुक्ता

माननीय राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत, पूर्व निदेशक, हरियाणा साहित्य अकादमी

संपर्क – #239,सेक्टर-45, गुरुग्राम-122003 ईमेल: drmukta51@gmail.com, मो• न•…8588801878

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ साहित्य निकुंज #218 ☆ भावना के दोहे – मन मयूर ☆ डॉ. भावना शुक्ल ☆

डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं  भावना के दोहे… मन मयूर)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 218 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे – मन मयूर ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆

व्याकुल मन ये कर रहा, पाऊँ तेरा साथ।

पकडूँगा अब एक दिन, गोरी तेरा हाथ।।

*

विधि – विधान से मिल गया, तेरा ही उपहार।

साथ रहेगा हमेशा, तेरा मेरा प्यार।।

*

पलक खोलकर दिन गया, बीत गई है रात।

आशा के आकाश से, खूब हुई बरसात।।

*

खोल रहे संदूक को, दिखे पुराने चित्र।

बीती यादें बंद है, प्यारे -प्यारे मित्र।।

*

देखो इस संदूक को, रखना तुम संभाल।

जब -जब आऊँ याद मैं, खोल लेना हर हाल।।

*

मन मयूरी नाच रहा, मरुथल में बरसात।

रोम -रोम कलियाँ खिली, महके सारी रात।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ इंद्रधनुष #199 ☆ अवध में आये श्री रघुवीर… ☆ श्री संतोष नेमा “संतोष” ☆

श्री संतोष नेमा “संतोष”

(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी  कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप  कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज भगवान श्री राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर प्रस्तुत है अवध में आये श्री रघुवीरआप श्री संतोष नेमा जी  की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)

☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 199 ☆

☆ अवध में आये श्री रघुवीर.. ☆ श्री संतोष नेमा ☆

अवध  में  आये श्री रघुवीर

दरस बिन आये चैन न धीर

*

हम सदियों से  राह  निहारें

प्रभु चरणन में  प्रेम  जुहारें

मिटी वर्षों  की  संचित  पीर

अवध  में  आये श्री  रघुवीर

*

गली – गली  अरु द्वारे -द्वारे

खूब   सजे   हैँ   वंदन  बारे

द्रवित नयनों से  बरसे  नीर

अवध  में  आये  श्री रघुवीर

*

सीता संग  लक्ष्मण भी आए

भक्त   पवनसुत   हैँ   हर्षाए

बाँटते  हैं  सब  मिसरी  खीर

अवध  में  आये  श्री  रघुवीर

*

द्वार  खड़ा  “संतोष”   पुकारे

लगा  रहा  प्रभु  के  जयकारे

वंदना    करते    सरयू    तीर

अवध  में  आये   श्री  रघुवीर

*

दरश बिन होता हृदय  अधीर

अवध  में  आये  श्री   रघुवीर

© संतोष  कुमार नेमा “संतोष”

सर्वाधिकार सुरक्षित

आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.) मो 9300101799

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य –  प्रतिमेच्या पलिकडले  ☆ “आनंदाचे डहाळी आनंदी सदन” ☆ श्री नंदकुमार पंडित वडेर ☆

श्री नंदकुमार पंडित वडेर

? प्रतिमेच्या पलिकडले ?

“आनंदाचे डहाळी आनंदी सदन” ☆ श्री नंदकुमार पंडित वडेर 

अगं वेडे स्वर्ग स्वर्ग म्हणतात तो हाच बरं… झाडांच्या फांदीवर थाटलयं छोटसं घरकुल खरं… नाही लागायचा  उन्हाचा ताव तो, वारा विसरून गेला  आपण कसा बोचकारतो… पावसाच्या सरी सुता सारख्या एका लयीत छपरावर पाडतो…पिल्लांची काळजी आता नको करायला… एकदाच दिवसभर भटकून आणले अन्न तर पुन्हा पुन्हा नको जायला…. घरकुलात आता आनंद आनंदी भरुन भरून राहिला… किलबिलाटाचे संगीत लागेल वातावरणात घुमायला… रात्रीच्या चांदण्यात पानांची रुपेरी चमचमताना आनंद किती होईल  बघायला… असं वाटतयं आला फिरूनी पुन्हा  सळसळता तारुण्याचा जोष… घ्यावा लपेटून तुला मला तो गुलाबी थंडीचा मधुकोष… किती दिवसाची होती ती मनाला वेडी वेडी आस… असावे सुंदर सुंदर घरकुल आपले खास… इतके दिवस काडी काडी जमवून संसार केला फिरत्या रंगमंचावर…किती गावांच्या वेशी ओलांडल्या नि सारख्या झाडांच्या माड्या बदलल्या…सुखाचा संसार पसाभरच पसरला…अर्धा कष्टात नि अर्धा निवारा शोधण्यात गुंतला… ते कुणीसं सांगुन गेलयं नां भगवान के यहाॅं देर है लेकिन अंधेर नही.. अगदी  बघ पटलयं… आयुष्याच्या उताराला का होईना पण स्व:ताचं  हक्काचं घरकुल मिळालयं…पिल्लांना आकाशाने केव्हाचं आव्हान दिलयं… पंखातलं बळ अजमावयाला   एकट्याने उंच उंच विहार करून दाखव म्हणून सांगितलयं… गेली सारी उडून क्षितिजावरून.. आणि आपण दोघचं उरलो आता या मोठ्या घरात… सोबतीला कुणी असावं असं वाटतयं या सरत्या वयात.. तसा तर योग कुठे असतो आपल्या घराचा.प्रत्येकाच्या नशिबात… बोलवूया त्यां निराधारानां  देऊया मायेचा तो आसरा.. लाभेल आपल्याला द्विगुणित आनंद खरा खुरा… जाताना हे सारं आहे  का नेता येणार… माघारी आपली  आठवण कायमची त्यांच्या स्मृतीत  राहणार… अक्षय आनंदाचा झरा असाच वाहता राहणार…

©  नंदकुमार पंडित वडेर

विश्रामबाग, सांगली

मोबाईल-99209 78470 ईमेल –[email protected]

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

Please share your Post !

Shares

मराठी साहित्य – इंद्रधनुष्य ☆ श्रीमद्‌भगवद्‌गीता — अध्याय ४ — ज्ञानकर्मसंन्यासयोग— (श्लोक २१ ते ३०) – मराठी भावानुवाद ☆ डाॅ. निशिकांत श्रोत्री ☆

डाॅ. निशिकांत श्रोत्री 

? इंद्रधनुष्य ?

☆ श्रीमद्‌भगवद्‌गीता — अध्याय ४— ज्ञानकर्मसंन्यासयोग — (श्लोक २१ ते ३०) – मराठी भावानुवाद ☆ डाॅ. निशिकांत श्रोत्री ☆

निराशीर्यतचित्तात्मा त्यक्तसर्वपरिग्रहः । 

शारीरं केवलं कर्म कुर्वन्नाप्नोति किल्बिषम्‌ ॥ ४-२१ ॥ 

*

संयम ज्याचा चित्तेंद्रियांवर त्याग सकल भोगांचा

कर्म करितो सांख्ययोगी नाही  धनी पापाचा ॥२१॥

*

यदृच्छालाभसन्तुष्टो द्वन्द्वातीतो विमत्सरः । 

समः सिद्धावसिद्धौ च कृत्वापि न निबध्यते ॥ ४-२२ ॥ 

*

प्राप्त त्यावरी संतुष्ट भावद्वंद्वाच्या पार अभाव ईर्षेचा

सिद्धावसिद्ध समान कर्मयोगी बंध त्यास ना कर्मांचा ॥२२॥

*

गतसङ्गस्य मुक्तस्य ज्ञानावस्थितचेतसः । 

यज्ञायाचरतः कर्म समग्रं प्रविलीयते ॥ ४-२३ ॥ 

*

मुक्त आसक्ती नष्ट देहबुद्धी यज्ञास्तव केवळ कर्म 

जीवनात आचरले तरीही विलीन होते त्याचे कर्म ॥२३॥

*

ब्रह्मार्पणं ब्रह्म हविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्‌ । 

ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्मसमाधिना ॥ ४-२४ ॥ 

*

यज्ञी ज्या यजमान ब्रह्मरूप अर्पण ब्रह्म हवि ब्रह्म  

ब्रह्मकर्मस्थित योग्यासी अशा  फलप्राप्ती केवळ ब्रह्म ॥२४॥

*

दैवमेवापरे यज्ञं योगिनः पर्युपासते । 

ब्रह्माग्नावपरे यज्ञं यज्ञेनैवोपजुह्वति ॥ ४-२५ ॥ 

*

देवतापूजनास  काही योगी यज्ञ जाणती

तयात करुनी अनुष्ठान उत्तम यज्ञ करिती 

अभेददर्शन परमात्म्याचे कोणा होई अग्नीत 

आत्मारूप यज्ञाचे  ते यज्ञाद्वारे हवन करित ॥२५॥

*

श्रोत्रादीनीन्द्रियाण्यन्ये संयमाग्निषु जुह्वति । 

शब्दादीन्विषयानन्य इन्द्रियाग्निषु जुह्वति ॥ ४-२६ ॥ 

*

हवन करिती कर्णेंद्रियांचे संयमाच्या यज्ञात

शब्दादी विषयांचे हवन इंद्रियरूपी यज्ञात ॥२६॥

*

सर्वाणीन्द्रियकर्माणि प्राणकर्माणि चापरे । 

आत्मसंयमयोगाग्नौ जुह्वति ज्ञानदीपिते ॥ ४-२७ ॥ 

*

कोणी होउन ज्ञानप्रकाशे इंद्रिय-प्राण कर्मांच्या 

हवन करिती अग्नीत आत्मसंयमरूपी योगाच्या ॥२७॥

*

द्रव्ययज्ञास्तपोयज्ञा योगयज्ञास्तथापरे । 

स्वाध्यायज्ञानयज्ञाश्च यतयः संशितव्रताः ॥ ४-२८ ॥ 

*

मनी धरून द्रव्य लालसा कोणी करिती यज्ञ

काही सात्विक भाव समर्पित करीत तपोयज्ञ

अन्य योगी  योगाचरती करिती योगरूपी यज्ञ

व्रत आचरुनी स्वाध्याने काही  करिती ज्ञानयज्ञ  ॥२८॥

*

अपाने जुह्वति प्राणं प्राणेऽपानं तथापरे । 

प्राणापानगती रुद्ध्वा प्राणायामपरायणाः ॥ ४-२९ ॥ 

*

अपरे नियताहाराः प्राणान्प्राणेषु जुह्वति । 

सर्वेऽप्येते यज्ञविदो यज्ञक्षपितकल्मषाः ॥ ४-३० ॥ 

*

कोणी योगी प्राणवायुचे हवन करिती अपानवायूत

अन्य तथापि अपानवायू हवन करिती प्राणवायूत

आहार नियमित ते करिती निरोध प्राणापानाचे

त्यांच्या करवी हवन होते प्राणामध्ये प्राणाचे

समस्त योगी असती साधक अधिकारी ते यज्ञाचे 

पुण्याचे अधिकारी सारे उच्चाटन करिती पापांचे ॥२९-३०॥

– क्रमशः भाग ४ 

अनुवादक : © डॉ. निशिकान्त श्रोत्री

एम.डी., डी.जी.ओ.

मो ९८९०११७७५४

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

Please share your Post !

Shares
image_print