हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ लेखनी सुमित्र की # 238 – सुमित्र के दोहे… ☆ स्व. डॉ. राजकुमार तिवारी “सुमित्र” ☆

स्व. डॉ. राजकुमार तिवारी “सुमित्र”

(संस्कारधानी  जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी  को सादर चरण स्पर्श । वे सदैव हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते थे। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया।  वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणास्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं  – सुमित्र के दोहे।)

✍ साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 238 – सुमित्र के दोहे… ✍

आंसू सूखे आंख के, सूख रही है देह।

इन यादों का क्या करूं, होती नहीं सदेह।।

*

याद तुम्हारी कुसुम -सी, खिली बिछी तत्काल ।

या समुद्र के गर्भ में, बिखरी मुक्ता माल।।

*

घन विद्युत सी याद है, देती कौंध उजास।

कभी-कभी ऐसा लगे, करती है परिहास।

*

सूना सूना घर मगर, दिखे नहीं अवसाद।

इसमें क्या अचरज भला, महक रही है याद।।

*

मास दिवस या वर्ष सब, होते गई व्यतीत।

किंतु याद की कोख में, है जीवन अतीत।।

© डॉ. राजकुमार “सुमित्र” 

साभार : डॉ भावना शुक्ल 

112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ अभिनव गीत # 238 – “कहीं कहीं नैराश्य…” ☆ श्री राघवेंद्र तिवारी ☆

श्री राघवेंद्र तिवारी

(प्रतिष्ठित कवि, रेखाचित्रकार, लेखक, सम्पादक श्रद्धेय श्री राघवेंद्र तिवारी जी  हिन्दी, दूर शिक्षा, पत्रकारिता व जनसंचार,  मानवाधिकार तथा बौद्धिक सम्पदा अधिकार एवं शोध जैसे विषयों में शिक्षित एवं दीक्षित। 1970 से सतत लेखन। आपके द्वारा सृजित ‘शिक्षा का नया विकल्प : दूर शिक्षा’ (1997), ‘भारत में जनसंचार और सम्प्रेषण के मूल सिद्धांत’ (2009), ‘स्थापित होता है शब्द हर बार’ (कविता संग्रह, 2011), ‘​जहाँ दरक कर गिरा समय भी​’​ ( 2014​)​ कृतियाँ प्रकाशित एवं चर्चित हो चुकी हैं। ​आपके द्वारा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए ‘कविता की अनुभूतिपरक जटिलता’ शीर्षक से एक श्रव्य कैसेट भी तैयार कराया जा चुका है। आज प्रस्तुत है आपका एक अभिनव गीत कहीं कहीं नैराश्य...)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 238 ☆।। अभिनव गीत ।। ☆

☆ “कहीं कहीं नैराश्य...” ☆ श्री राघवेंद्र तिवारी 

बदली ‘ साड़ी को सम्हाल

धीरे से चलती है ।

पता नहीं बारिश यह भैया

किसकी गलती है ॥

 

बूँद बूँद टपका कर

पानी छप्पर छानी से ।

बरस रहा है आया

जैसे हो रजधानी से ।

 

क्या मेंड़े क्या खेत

भरे पोखर पिछवाड़े के –

बहिन इन सभी की मुँहबोली

मुदिता मिलती है ॥

 

सरिता में बह जाने का

बेशक तो मन करती ।

इसी लिये बलखाकर

मग में  धीमे से चलती ।

 

बड़ी हड़बड़ी में घबराहट

जैसे पानी बन –

एक शिकायत लिये वहीं

आँखो में पलती है ॥

 

कहीं कहीं नैराश्य

छपछपाता पगथलियों में ।

जहाँ बहाकरती है ‘बदली’

छुपछुप गलियों में ।

 

कई कई परछाई बनकर

कलकल करती है –

जिसकी छाया सबके मन में

हिलती डुलती है ॥

©  श्री राघवेन्द्र तिवारी

31-05-2025

 संपर्क​ ​: ई.एम. – 33, इंडस टाउन, राष्ट्रीय राजमार्ग-12, भोपाल- 462047​, ​मोब : 09424482812​

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिंदी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ प्रतुल साहित्य # 7 – हास्य-व्यंग्य – “विदेशी तोता और देशी मेम” ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆

श्री प्रतुल श्रीवास्तव 

वरिष्ठ पत्रकार, लेखक श्री प्रतुल श्रीवास्तव, भाषा विज्ञान एवं बुन्देली लोक साहित्य के मूर्धन्य विद्वान, शिक्षाविद् स्व.डॉ.पूरनचंद श्रीवास्तव के यशस्वी पुत्र हैं। हिंदी साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रतुल श्रीवास्तव का नाम जाना पहचाना है। इन्होंने दैनिक हितवाद, ज्ञानयुग प्रभात, नवभारत, देशबंधु, स्वतंत्रमत, हरिभूमि एवं पीपुल्स समाचार पत्रों के संपादकीय विभाग में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन किया। साहित्यिक पत्रिका “अनुमेहा” के प्रधान संपादक के रूप में इन्होंने उसे हिंदी साहित्य जगत में विशिष्ट पहचान दी। आपके सैकड़ों लेख एवं व्यंग्य देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। आपके द्वारा रचित अनेक देवी स्तुतियाँ एवं प्रेम गीत भी चर्चित हैं। नागपुर, भोपाल एवं जबलपुर आकाशवाणी ने विभिन्न विषयों पर आपकी दर्जनों वार्ताओं का प्रसारण किया। प्रतुल जी ने भगवान रजनीश ‘ओशो’ एवं महर्षि महेश योगी सहित अनेक विभूतियों एवं समस्याओं पर डाक्यूमेंट्री फिल्मों का निर्माण भी किया। आपकी सहज-सरल चुटीली शैली पाठकों को उनकी रचनाएं एक ही बैठक में पढ़ने के लिए बाध्य करती हैं।

प्रकाशित पुस्तकें –ο यादों का मायाजाल ο अलसेट (हास्य-व्यंग्य) ο आखिरी कोना (हास्य-व्यंग्य) ο तिरछी नज़र (हास्य-व्यंग्य) ο मौन

आज प्रस्तुत है आपका एक विचारणीय व्यंग्य  विदेशी तोता और देशी मेम)

साप्ताहिक स्तम्भ ☆ प्रतुल साहित्य # 7

☆ व्यंग्य ☆ “विदेशी तोता और देशी मेम” ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव

कहते हैं कानून अंधा होता है। जैसे न्याय की देवी की आंखों में पट्टी बंधी रहती है उसी तरह प्रेम में पड़े व्यक्ति की आँखों पर भी प्रेम की पट्टी चढ़ जाती है। उसे कुछ दिखाई नहीं देता, अच्छा-बुरा समझने की शक्ति समाप्त हो जाती है। इसलिये तो कहा गया है कि “दिल लगा गधी से तो परी किस काम की”। इस मामले में एक फिल्मी गाना बिल्कुल सही मालुम होता है- “दिल तो है दिल, दिल का एतबार क्या कीजे। हो गया है किसी से प्यार क्या कीजे।”

अब देखिए न कितने उदाहरण सामने हैं-एक से एक खूबसूरत पढ़ी लिखी मैडमें अपने पतियों से ज्यादा प्यार अपने कुत्तों-बिल्लियों से करती हैं। उन्हें अपनी छाती से चिपकाए घूमती हैं। प्रेम का एक ऐसा ही मामला हाल ही में सामने आया है। किसी शहर के बड़े हार्ट सर्जन की डॉ पत्नी का तोता लापता हो गया है। तोते के गम में पत्नी ने खाना-पीना छोड़ दिया है। अब चूंकि “दिल का हाल सुने दिल वाला”, दिल के डॉक्टर ने तोता प्रेम में डूबी अपनी पत्नी के दिल की नाजुक स्थिति भांप ली। उन्होंने अखबार के फ्रंट पेज पर तोता गुमने का विज्ञापन छपवाया, पोस्टर-पैम्फलेट बंटवाये, तोता ढूंढ कर लाने वाले के लिये एक लाख रुपये इनाम की घोषणा कर डाली। बताया गया कि डॉक्टर ने अपनी पत्नी के लिये ग्रे कलर के दो अफ्रीकन तोते 80 हजार रुपये में खरीदे थे जिनमें से कोको नाम के तोते को जब डॉक्टर की पत्नी सेव खिला रही थी तब वो उसके प्रेम को ठुकरा कर उसे विरह की अग्नि में जलता छोड़कर उड़ गया। डॉक्टर की पत्नी रो-रो कर बेहाल है “तुम न जाने किस जहाँ में खो गए, हम भारी दुनिया में तन्हा हो गए।” क्षेत्र में बात का बतंगड़ बन रहा है। डॉक्टर साहब परेशान हैं कि यदि तोता न मिला तो वे प्यार में तारे तोड़ कर लाने वालों से भरे इस संसार में अपनी इज्जत कैसे बचाएंगे ? इस समय पूरे शहरवासी एक लाख रुपये इनाम के चक्कर में तोता ढूंढने में लगे हैं। तोता मिले न मिले लेकिन यह तोता अनेक प्रश्न छोड़ गया है।

देश में कुछ दुधारू व अन्य चंद पशु-पक्षियों के अतिरिक्त सभी की खरीद-फरोख्त और उन्हें बंदी बना कर रखने, उनसे काम लेने पर सख्त रोक है। देश में पक्षी बाजार तो अब देखने ही नहीं मिलते। यदि कोई पक्षी बेचता हुआ दिख जाता है तो सरकारी विभाग के पहले जागरूक नागरिक ही उसे घेर कर पक्षियों को आजाद कर देते हैं। इसी कानून के चलते नागपंचमी उत्सव समाप्ति पर है। पशु-पक्षी कलाकारों से विहीन होकर सर्कस लगभग बंद हो चुके हैं। हाँ, इस कानून से नगरों, गांवों में आवारा कुत्तों-सुअरों की संख्या जरूर बढ़ती जा रही है। खैर, सवाल उठता है कि डॉक्टर अस्सी हजार रुपये के अफ्रीकन तोते कहाँ से ले आए ? क्या उन्होंने इन्हें खरीदने और पालने की अनुमति ली थी ? जरा सोचिए जो डॉक्टर अस्सी हजार के तोते ले सकता है और एक तोते को खोजने के लिये एक लाख रुपये का इनाम दे सकता है उसके पास कितना माल होगा ? इस तोता मालिक हार्ट सर्जन ने न सिर्फ अपनी वरन तमाम स्वास्थ्य के सौदागर डॉक्टरों की आर्थिक हैसियत देश के सामने उजागर कर दी है। शायद तोता पालक डॉक्टर और डाक्टरनी यह नहीं जानते कि तोता, कबूतर या तीतर जैसा विश्वसनीय नहीं होता और फिर उनका तोता तो विदेशी नस्ल का था। आम धारणा और विश्वास है कि विदेशी नस्ल भले ही अच्छी दिखे पर विश्वसनीय नहीं होती। पशुओं की बात तो छोड़ें, देश में तो जब-तब विदेशी नस्ल के लोगों तक पर विश्वसनीयता और समर्पण संबंधी प्रश्न उठते रहते हैं यहां तक कि विदेशी से देशी नस्ल के क्रॉस पर भी देशवासियों को भरोसा नहीं है। अब जब समाचार पत्रों के माध्यम से डॉक्टर का तोता और उसकी आर्थिक स्थिति सार्वजनिक हो चुकी है तब अवश्य ही इस पर पशु-पक्षी सुरक्षा-संरक्षण विभाग और इनकम टैक्स विभाग का ध्यान भी आकर्षित हुआ होगा। यह बात अलग है कि ये सरकारी विभाग सकारण अथवा अकारण मौन रहें। हमारे देश में कुछ भी असंभव नहीं।

© श्री प्रतुल श्रीवास्तव 

संपर्क – 473, टीचर्स कालोनी, दीक्षितपुरा, जबलपुर – पिन – 482002 मो. 9425153629

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 220 ☆ # “मिट्टी…” # ☆ श्री श्याम खापर्डे ☆

श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता मिट्टी…” ।

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 220 ☆

☆ # “मिट्टी…” # ☆

सांसों के स्पंदन में

चंचल मन में

मिट्टी से मोह

मिट्टी से बिछोह

हर कोई भूल जाता है

भ्रमित हो जाता है

बस उसे याद रहता है

पद प्रतिष्ठा और पैसा

मान सम्मान शान

अहंकार अभिमान गुमान

अपने सपने बेगाने

सचल अचल महल

यह सब-

यहीं पर रह जाते हैं

साथ नहीं जाते हैं

लेकिन

हम सदा

इन्हीं में डूबे रहते हैं

मुखौटे में छुपे रहते हैं

अपने आप को

बलवान कहते हैं

खुद को

श्रेष्ठ इंसान कहते हैं

आखिरी पड़ाव पर

थक हारकर

संसार मिथ्या लगता है

वैराग्य का भाव जगता है

जब अंतिम सांस लेते हैं

काया को त्याग देते हैं

एक अदृश्य ज्योति

काया को छोड़ उड़ जाती है

विशाल गगन में

कहीं खो जाती है

मिट्टी की काया

मिट्टी में मिल जाती है

अवशेष बस

मिट्टी ही रह जाती है /

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  ≈

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हिन्दी साहित्य – कविता ☆ छोटा सा जीवन… ☆ श्री राजेन्द्र तिवारी ☆

श्री राजेन्द्र तिवारी

(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी जबलपुर से श्री राजेंद्र तिवारी जी का स्वागत। इंडियन एयरफोर्स में अपनी सेवाएं देने के पश्चात मध्य प्रदेश पुलिस में विभिन्न स्थानों पर थाना प्रभारी के पद पर रहते हुए समाज कल्याण तथा देशभक्ति जनसेवा के कार्य को चरितार्थ किया। कादम्बरी साहित्य सम्मान सहित कई विशेष सम्मान एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित, आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा वार्ताएं प्रसारित। हॉकी में स्पेन के विरुद्ध भारत का प्रतिनिधित्व तथा कई सम्मानित टूर्नामेंट में भाग लिया। सांस्कृतिक और साहित्यिक क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय रहा। हम आपकी रचनाएँ समय समय पर अपने पाठकों के साथ साझा करते रहेंगे। आज प्रस्तुत है आपका एक विचारणीय कविता छोटा सा जीवन।)

☆ कविता – छोटा सा जीवन☆ श्री राजेन्द्र तिवारी ☆

जिंदगी चलती है यूं,

नदिया का जैसे पानी,

गिरती, उछलती, लहरों जैसी,

बहती हुई जवानी,

नदिया जैसे, राह न पूछे ,

सागर से मिल जाती है,

गिरती पड़ती, सीधी, मुड़ती

सागर में ही समाती है,

छोटा सा जीवन,

गर्व न करना,

मिलजुल कर ही,

सबसे रहना,

जग में आए,

न कुछ लाए,

खाली हाथ आए,

हाथ पसारे जाए,

जग में जीवित रहना है,

ऐसा कुछ करना है,

याद दिलों में रह जाए,

नेक कर्म ही करना है.

© श्री राजेन्द्र तिवारी  

संपर्क – 70, रामेश्वरम कॉलोनी, विजय नगर, जबलपुर

मो  9425391435

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/ ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ परिहार जी का साहित्यिक संसार # 291 ☆ व्यंग्य – गांधी बाबा का रास्ता ☆ डॉ कुंदन सिंह परिहार ☆

डॉ कुंदन सिंह परिहार

(वरिष्ठतम साहित्यकार आदरणीय  डॉ  कुन्दन सिंह परिहार जी  का साहित्य विशेषकर व्यंग्य  एवं  लघुकथाएं  ई-अभिव्यक्ति  के माध्यम से काफी  पढ़ी  एवं  सराही जाती रही हैं।   हम  प्रति रविवार  उनके साप्ताहिक स्तम्भ – “परिहार जी का साहित्यिक संसार” शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते  रहते हैं।  डॉ कुंदन सिंह परिहार जी  की रचनाओं के पात्र  हमें हमारे आसपास ही दिख जाते हैं। कुछ पात्र तो अक्सर हमारे आसपास या गली मोहल्ले में ही नज़र आ जाते हैं।  उन पात्रों की वाक्पटुता और उनके हावभाव को डॉ परिहार जी उन्हीं की बोलचाल  की भाषा का प्रयोग करते हुए अपना साहित्यिक संसार रच डालते हैं।आज प्रस्तुत है आपका एक अप्रतिम विचारणीय व्यंग्य – ‘गांधी बाबा का रास्ता‘। इस अतिसुन्दर रचना के लिए डॉ परिहार जी की लेखनी को सादर नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – परिहार जी का साहित्यिक संसार  # 291 ☆

☆ व्यंग्य ☆ गांधी बाबा का रास्ता ☆ डॉ. कुन्दन सिंह परिहार ☆

गांधी मैदान में गहमागहमी है। छात्रों का झुंड चार  पांच दिन से धरने पर बैठा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। छात्र हंगामा नहीं करते, बस बैठे बैठे नारे लगाते रहते हैं या रामधुन गाते हैं। हाथों में अपनी मांगों के प्लेकार्ड लिये हैं।

छात्रों की शिकायतें अनेक हैं। बार-बार नौकरी की परीक्षा के पेपर लीक होते हैं, पद खाली होने पर भी अनेक वर्षों तक वे विज्ञापित नहीं होते। भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का बोलबाला है। ज़्यादा हंगामा करने पर शासन की लाठी चलने लगती है। हाथ-पांव टूटने और जेल जाने की नौबत आ जाती है। इसीलिए छात्र शान् जोतिपूर्वक धरना दे रहे हैं।

तीस  चालीस पुलिसवाले उन पर नज़र रखें शेड में बैठे हैं। वे परेशान हैं। कब तक इन पर नज़र रखें? किसी तरह समस्या का निपटारा हो और धरना टूटे। शेड के नीचे बैठे बैठे झपकियां लेते हैं। छात्रों पर गुस्सा आता है। पता नहीं कब तक यहां फंसे रहेंगे।

दो तीन परेशान पुलिसवाले छात्रों के पास आकर खड़े हो गये हैं। एक कहता है, ‘यह कौन सा तरीका है? कुछ उपद्रव करो तो सुनवाई हो। वो एक शायर ने लिखा है, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो। ऐसे बैठे रहने से क्या फायदा?’

छात्र जवाब देता है, ‘हम गांधी के शान्तिपूर्ण विरोध और अहिंसा के रास्ते पर चल रहे हैं।’

पुलिसवाला कहता है, ‘गांधी जी यही सब ऊटपटांग बातें सिखा गये हैं। ऐसे बैठे रहने से कोई नहीं सुनने वाला। खुद भगवान राम कह गये हैं कि बिना भय पैदा किये प्रीत नहीं होती। कुछ हल्ला- गुल्ला करो तो बड़ों के कान तक बात पहुंचे।’

छात्र कहता है, ‘हम सब समझते हैं। तुम चाहते हो कि हम उपद्रव करें और तुम्हें लाठी भांज कर हमें खदेड़ने का मौका मिले। हम तुम्हारे जाल में नहीं फंसने वाले।’

पुलिसवाले मुंह बनाये वहां से विदा हो गये।

दो-तीन दिन और ऐसे ही निकल गये। पुलिसवालों का धैर्य चुकने लगा। अचानक एक रात एक समूह कहीं से प्रकट हुआ और पुलिस की तरफ पत्थरबाज़ी शुरू हो गयी। पुलिस तत्काल हरकत में आयी और वॉकी-टॉकी पर फटाफट संदेशों का आदान-प्रदान होने लगा। पत्थर फेंकने वालों का समूह रहस्यमय ढंग से ग़यब हो गया।

ऊपर से आदेश मिलते ही पुलिस वाले लाठियां लेकर छात्रों की तरफ दौड़े और जल्दी ही  वहां अफरातफरी मच गयी। छात्रों को दूर तक खदेड़ दिया गया और मैदान खाली हो गया।

छात्रों से बात करने वाले पुलिसवाले अब आपस में वार्तालाप कर रहे थे— ‘हमने समझाया था, लेकिन समझ में नहीं आया। अब गांधी बाबा के रास्ते पर चलना है तो गांधी बाबा की तरह भोगो।’

© डॉ कुंदन सिंह परिहार

जबलपुर, मध्य प्रदेश

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – कथा कहानी ☆ ≈ मॉरिशस से ≈ गद्य क्षणिका#65 – जाग्रतावस्था… – ☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆

श्री रामदेव धुरंधर

(ई-अभिव्यक्ति में मॉरीशस के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामदेव धुरंधर जी का हार्दिक स्वागत। आपकी रचनाओं में गिरमिटया बन कर गए भारतीय श्रमिकों की बदलती पीढ़ी और उनकी पीड़ा का जीवंत चित्रण होता हैं। आपकी कुछ चर्चित रचनाएँ – उपन्यास – चेहरों का आदमी, छोटी मछली बड़ी मछली, पूछो इस माटी से, बनते बिगड़ते रिश्ते, पथरीला सोना। कहानी संग्रह – विष-मंथन, जन्म की एक भूल, व्यंग्य संग्रह – कलजुगी धरम, चेहरों के झमेले, पापी स्वर्ग, बंदे आगे भी देख, लघुकथा संग्रह – चेहरे मेरे तुम्हारे, यात्रा साथ-साथ, एक धरती एक आकाश, आते-जाते लोग। आपको हिंदी सेवा के लिए सातवें विश्व हिंदी सम्मेलन सूरीनाम (2003) में सम्मानित किया गया। इसके अलावा आपको विश्व भाषा हिंदी सम्मान (विश्व हिंदी सचिवालय, 2013), साहित्य शिरोमणि सम्मान (मॉरिशस भारत अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 2015), हिंदी विदेश प्रसार सम्मान (उ.प. हिंदी संस्थान लखनऊ, 2015), श्रीलाल शुक्ल इफको साहित्य सम्मान (जनवरी 2017) सहित कई सम्मान व पुरस्कार मिले हैं। हम श्री रामदेव  जी के चुनिन्दा साहित्य को ई अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों से समय समय पर साझा करने का प्रयास करेंगे।

आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय गद्य क्षणिका “– जाग्रतावस्था…” ।

~ मॉरिशस से ~

☆ कथा कहानी  ☆ गद्य क्षणिका # 65 — जाग्रतावस्था — ☆ श्री रामदेव धुरंधर ☆

मैंने सपने में देखा कहीं बहुत ठंड पड़ रही है और हालत यह कि वहाँ का एकमात्र सौ वर्षीय गरीब आदमी बिना कंबल के सोया हुआ है। ठंड असहनीय होने से वह कराह रहा है। यह लिखने पर तो पीड़ा की एक अद्भुत रचना बन जाती। पर अभी आधी रात बीती थी और वह गरीब शेष आधी रात इसी तरह ठिठुरे सोया होता। मैं अभी सपने में ही सही, उस पर कंबल डाल देता। सुबह जाग्रतावस्था में लेखन हो जाता।

 © श्री रामदेव धुरंधर

31 –- 05 – 2025

संपर्क : रायल रोड, कारोलीन बेल एर, रिविएर सेचे, मोरिशस फोन : +230 5753 7057   ईमेल : rdhoorundhur@gmail.com

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 291 – धन्यो गृहस्थाश्रम: ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है। साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

☆  संजय उवाच # 290 धन्यो गृहस्थाश्रम: ?

सानन्दं सदनं सुताश्च सुधियः कान्ताप्रियभाषिणी

सन्मित्रं सधनं स्वयोषिति रतिः चाज्ञापराः सेवकाः।

आतिथ्यं शिवपूजनं प्रतिदिनं मिष्टान्नपानं गृहे

साधोः सङ्गमुपासते हि सततं धन्यो गृहस्थाश्रमः।।

शार्दूलविक्रीडित छन्द में रची उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ है कि घर में आनंद हो, संतान बुद्धिमान हो, पत्नी मधुरभाषिणी हो, मित्र सच्चे हों, घर में धन हो, पत्नी के प्रति पति निष्ठावान हो, सेवक आज्ञापालक हो, घर में अतिथियों का सत्कार होता हो,  शिव का पूजन होता हो, प्रति दिन उत्तम भोजन बनता हो और सज्जनों का संग होता हो तो ऐसा गृहस्थाश्रम धन्य है ।

इस रचना में गृहस्थ आश्रम की श्रेष्ठता प्रतिपादित की गई है। विशेष बात यह कि प्राचीन समय में तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था के अनुसार रचे गए इस पथदर्शक काव्य में अधिकांश मूलभूत मूल्य उद्घोषित हुए हैं जिनमें कालानुसार किंचित परिवर्तन ही आया है।

भारतीय दर्शन ने जीवन को चार आश्रमों में विभक्त किया है। ये हैं – ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। प्रत्येक कालखंड की अवधि 25 वर्ष रखी गई है। ब्रह्मचर्य जीवन के पहले 25 वर्ष का कालखंड है। यह औपचारिक शिक्षा एवं व्यवहार जगत की दीक्षा हेतु है। 25 से 50 वर्ष की आयु गृहस्थाश्रम है। यह सांसारिक दायित्वों की पूर्ति का समय है। इसमें विवाह, संतान को जन्म देना, उनका लालन-पालन करना, उनकी शिक्षा-दीक्षा की व्यवस्था करना, परिवार को केंद्र में रखना आदि सम्मिलित हैं। वानप्रस्थाश्रम, पारिवारिक दायित्वों से शनै:-शनै: मुक्त होने का कालखंड है। दायित्वों से मुक्ति अंतस की यात्रा के लिए प्रेरित करती है। फलत: वानप्रस्थाश्रम में निरंतर आध्यात्मिक विकास होता है। इस  शृंखला में अंतिम आश्रम संन्यास कहलाता है। यह संसार से विरक्त होकर ईश्वर में अनुरक्त होने की कालावधि है। चौथे पुरुषार्थ मोक्ष की ओर ले जाने का साधन है संन्यास।

चारों आश्रमों में गृहस्थ आश्रम को महत्वपूर्ण माना गया है। यह सृष्टि के सातत्य की अटूट शृंखला बनाए रखने का साधन भर नहीं है। मनुष्य की मनुष्यता के विकास में गृहस्थ आश्रम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। परिवार का उद्भव, एक दूसरे की कमियों-अच्छाइयों अर्थात शक्ति बिंदुओं और निर्बलताओं के साथ चलना, परस्पर मान-सम्मान देना, विभिन्न विषयों पर सामूहिक चर्चा करना, सामूहिक निर्णय लेना, उदारता, सहनशीलता, सुख-दुख में साथ रहना आदि बहुत कुछ सिखाता है गृहस्थ आश्रम।

अब ‘मैं और मेरा’ तक सीमित मूल्यधर्मिता का समय है। शिक्षा से लेकर खानपान व पहनावे से लेकर सामाजिक औपचारिकता तक में आयातित संस्कृतियों का अनुकरण कर हमने अपने अस्तित्व पर स्वयं ही प्रश्नचिन्ह लगा लिया है। इसके दुष्परिणाम गृहस्थ आश्रम पर  दृष्टिगोचर हो रहे हैं। 18 से 20 वर्ष की आयु में होने वाला परिणय, शिक्षा के चलते 25 वर्ष तक पहुँचा। यह तर्कसम्मत था। तत्पश्चात करियर के चलते 25 से बढ़कर 30 तक पहुँच गया। अब 35 वर्ष की औसत आयु तक आ चुका है। इस आयु तक आते-आते युवक-युवती बौद्धिक रूप से परिपक्व हो चुके होते हैं। तथापि यह भी ध्यान रखना चाहिए कि युवावस्था का शिखर काल भी ढलान पर होता है। 

इस अवस्था में व्यवहार बुद्धि अधिक सक्रिय हो उठती है। प्रेम के स्थान पर व्यवहार प्रधान हो जाता है। मस्तिष्क पड़ताल करने में जुटा रहता है पर मन गौण होने लगता है। अपने ही बनाए घेरों में घिरे इन युवाओं को पता ही नहीं होता कि जीवन दो और दो मिलकर कर चार होने का गणित नहीं होता। यदि ऐसा ही होता तो मन की अनुभूतियाँ होती ही नहीं।

आजकल युवक-युवती दोनों आर्थिक रूप से सक्षम होते हैं, यह सुखद है। दुखद यह है कि अधिकांश के शब्दकोश में लचीलेपन का अर्थ समझौता लिखा होता है। लचक और समझौते में अंतर न कर पाने के कारण समय बीतता रहता है।

वर्तमान असंगत स्थिति के कारणों की मीमांसा करते हुए इस सत्य को भी स्वीकारना होगा कि लड़कियों ने सतत कठोर परिश्रम से समाज में अपना स्थान बनाया है। व्यक्ति से व्यक्तित्व की यात्रा कर उन्होंने अपनी योग्यता प्रमाणित की है। विडंबना है कि पुरुष का अहंकार, ‘मेल ईगो’ नारी की इस सफलता को स्वीकार करने के लिए अभी भी तैयार नहीं है। आज भी ऐसे परिवार मिल जाएँगे जो बहू को घर की चौखट तक सीमित रखना चाहते हैं। जिनके लिए चूल्हे-चौके से परे  स्त्री जीवन का दूसरा कोई अर्थ नहीं है। इसके चलते उच्च शिक्षित युवतियों की विवाह से विमुखता भी बढ़ रही है।

सनद रहे कि सात जन्मों का साथ चाहने वाली विवाह संस्था का स्थान डगमगा रहा है। विवाह होना कठिन हो चला है और होने के बाद उसे निभाना और अधिक कठिन। विवाह योग्य युवक-युवतियों को याद रखना चाहिए कि ‘नो वन इज़ परफेक्ट।’ अगर, मगर, किंतु-परंतु विवाह की डगर को संकरा करते जा रहे हैं।

विवाह के बाद सामंजस्य के अभाव में संबंध विच्छेद सैकड़ों प्रतिशत की दर से बढ़े हैं। संबंध विच्छेद से बच्चों पर जो बीतती है, उस पर किसी का विचार होता दिखता नहीं। बच्चे को माँ और पिता, दोनों की आवश्यकता होती है। एक से दूर रहने के कारण उनकी मनोदशा पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

यक्ष प्रश्न है कि कहाँ जा रहे हैं हम?

‘ईट, ड्रिंक एंड बी मेरी’ के मद में डूबा समाज क्या शेष संभावनाओं के मुरझाने की प्रतीक्षा में है? स्मरण रहे, विवाह, गृहस्थ आश्रम का प्रवेश द्वार है। गृहस्थाश्रम इहलौकिक और पारलौकिक संभावनाओं का अशेष जगत है। इसे बाहर खड़े रहकर नहीं समझा जा सकता। आदि शंकराचार्य  जैसे मूर्धन्य को भी देवी भारती के प्रश्नों का उत्तर देने के लिए एक राजा की देह में प्रवेश कर गृहस्थाश्रम को जीना पड़ा था।

अशेष के ‘अ’ की रक्षा के लिए कमर कसने की आवश्यकता है। व्यक्तिगत और समष्टिगत प्रयासों की आवश्यकता है। मैं तो अभियान पर निकल चला हूँ। क्या आपने चलना आरम्भ किया?….इति।

© संजय भारद्वाज 

प्रातः 6:50 बजे, 31 मई 2025

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस कॉलेज (स्वायत्त) अहमदनगर ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆ 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

writersanjay@gmail.com

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

🕉️💥 श्री महावीर साधना सम्पन्न हुई। अगली साधना की जानकारी आपको शीघ्र दी जावेगी। आत्मपरिष्कार एवं ध्यानसाधना तो साथ चलेंगे ही💥  

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 237 – नव आविष्कृत सॉनेट… ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है  – नव आविष्कृत सॉनेट…)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 237 ☆

☆ नव आविष्कृत सॉनेट… ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

(मीटर- क ख ग घ्  क ख ग घ्  च छ ज च छ)

☆ 

कब कहाँ कैसे किया क्यों कह कहेगा कौन?

अनजान अब अज्ञानता से चाहता है मुक्ति।

आत्म फिर परमात्म से हो चाहता संयुक्ति।।

प्रश्न पूछे निरंतर उत्तर मिला बस मौन।।

नर्मदा में जो सलिल वह ही समेटे दौन।

यहाँ भी पुजती, वहाँ भी पुज रही है शक्ति।

काम का प्राबल्य क्यों गायब अकामा भक्ति।।

दादियों को छेड़ते पोते, भटकता यौन।।

लक्ष्य चुनकर पंथ पर पग रख बढ़ो पग-पग

गिर उठो सँभलो, नहीं तुम कोशिशें छोड़ो

नापता जो नापने दो बनाए नव माप।

कहो हर अटकाव से, भटकाव से मत ठग

हौसलों को दे चुनौती जो उसे तोड़ो

आप अपने आप जाता आप ही में व्याप।।

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

२९.५.२०२५

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: salil.sanjiv@gmail.com

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (2 जून से 8 जून 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (2 जून से 8 जून 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

 जय श्री राम। कहते हैं कि समय बड़ा बलवान होता है

जो समय का उपयोग करते,

वो सफल हो जाते हैं।

जो समय की इज्ज़त नही करता,

हाथ मलता रह जाता है

जो भी समय के अनुकूल कार्य करेगा वह सफल रहेगा। जो समय की विपरीत कार्य करेगा वह असफल होगा। आज मैं पंडित अनिल पांडे 2 जून से 8 जून 2025 तक के सप्ताह में कौन सा समय आपके अनुकूल है और कौन सा आपके प्रतिकूल है के बारे में आपको बताऊंगा।

इस सप्ताह सूर्य वृष राशि में, गुरु मिथुन राशि में, शुक्र मेष राशि में, शनि मीन राशि में और राहु कुंभ राशि में रहेंगे। मंगल प्रारंभ में कर्क राशि में रहेगा तथा 6 जून के 12:18 रात से सिंह राशि में प्रवेश करेगा। बुद्ध प्रारंभ में वृष राशि में रहेगा तथा 6 जून के 8:30 दिन से मिथुन राशि में गोचर करेगा।

आईये अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

यह सप्ताह अविवाहित जातकों के लिए ठीक है। उनके विवाह के प्रस्ताव आएंगे। प्रेम संबंधों में वृद्धि होगी। व्यापार ठीक चलेगा। धन के आने के मात्रा में वृद्धि होगी। गलत रास्ते से भी धन आने का योग है। भाई बहनों के साथ संबंधों में तनाव आ सकता है। आपके माता जी को कष्ट हो सकता है। आपके जीवन साथी और पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपको भी थोड़ी सी शारीरिक परेशानी हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए सात और 8 जून कार्यों को करने हेतु उत्तम है। चार-पांच और 6 जून को आपको सतर्क रहना चाहिए। ‌कोई भी कार्य बहुत सोच समझ के साथ करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा। भाई बहनों के साथ संबंधों में तनाव हो सकता है। धन की कमी हो सकती है। कचहरी के कार्य में बहुत सावधान रहें। कार्यालय में आपको आक्रोशित होने की आवश्यकता नहीं है। आक्रोश करने से बचें। इस सप्ताह आपको थोड़ा सा मानसिक कष्ट हो सकता है। आपको अपने संतान से भी बहुत कम सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों की पढ़ाई में बाधा पड़ेगी। इस सप्ताह आपके लिए दो और तीन जून लाभदायक हैं। सात और 8 जून को कार्यों को करने के पहले आपके विचार करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपका स्वास्थ्य सामान्य तौर पर ठीक रहेगा, परंतु पेट में कोई समस्या संभव है। कार्यालय में आपको संभल कर कार्य करना चाहिए। धन आने के मार्ग में रुकावट है परंतु धन आएगा। कचहरी के कार्यों में दिमाग लगाए और उचित कार्य करें। किसी के बहकावे में आकर कोई कार्य न करें। इस सप्ताह आपको भाग्य से कोई विशेष मदद नहीं मिल पाएगी। इस सप्ताह आपके लिए चार-पांच और 6 जून अनुकूल हैं। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने का योग है परंतु उसकी मात्रा कम रहेगी। कचहरी के कार्यों में सावधानी बरतें। भाग्य से कोई विशेष मदद नहीं मिलेगी। परंतु भाग्य की वजह से कोई कार्य नहीं रुकेगा। आपके जीवन साथी और आपके माताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। पिताजी और आपके स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी आ सकती है। कार्यालय में इस सप्ताह आपको सतर्क होकर कार्य करना चाहिए अन्यथा आपको परेशानी हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए सात और 8 जून फलदायक हैं। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपकी कुंडली के गोचर में मंगल वारहवें में भाव में स्थित है। यह आपको सावधानी पूर्वक कार्य करने पर कचहरी के मामलों में लाभ दिला सकता है। इसके अलावा अगर आप प्रयास करेंगे तो आप अपने शत्रुओं को पराजित कर सकते हैं। कार्यालय में आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। व्यापार में आपको लाभ होगा। भाग्य से आपको कोई खास मदद नहीं मिल पाएगी। आपको चाहिए कि आप अपने परिश्रम पर यकीन करें। आप अपने संतान से थोड़ा बहुत सहयोग प्राप्त हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए दो और तीन जून कार्यों के प्रति सकारात्मक हैं। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह भाग्य आपका साथ देगा। भाई बहनों के साथ संबंध अच्छे रहेंगे। भाई बहनों का आपको सहयोग भी प्राप्त होगा। धन आने की उम्मीद है। इस सप्ताह आपके शत्रु आपका नुकसान नहीं कर पाएंगे। आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त होगा। दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें। आपका व्यापार ठीक चलेगा। आपके माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। पिताजी का आपका और आपके जीवन साथी के स्वास्थ्य में थोड़ी बहुत समस्या आ सकती है। इस सप्ताह आपके लिए चार-पांच और 6 जून परिणाम दायक हैं। दो और 3 जून को आपके कुछ कार्य असफल हो सकते हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काली उड़द का दान करें और शनिवार को शनि मंदिर में जाकर भगवान शनि की पूजा करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपका और आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। अविवाहित जातकों के विवाह के अच्छे प्रस्ताव आएंगे। प्रेम संबंधों में वृद्धि होगी। कार्यालय में आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। आपको अपने संतान से कोई सहयोग प्राप्त नहीं होगा। संतान को कष्ट संभव है। छात्रों की पढ़ाई में बाधा पड़ेगी। ‌दुर्घटनाओं से आपको बचने का प्रयास करना चाहिए। भाग्य से आपको मदद मिल सकती है परंतु उसकी मात्रा अत्यंत कम रहेगी। इस सप्ताह आपके लिए सात और 8 जून शुभ है। चार-पांच और 6 जून को आपको कार्यों को करने के पहले पूरी सावधानी बरतना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन स्नान करने के उपरांत तांबे के पत्र में जल अक्षत और लाल पुष्प लेकर भगवान सूर्य को जल अर्पण करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। व्यापार में वृद्धि होगी। भाग्य से थोड़ी बहुत मदद मिल सकती है। पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। माता जी को थोड़ी सी परेशानी हो सकती है। शत्रुओं की संख्या में वृद्धि हो सकती है। आपको अपने संतान से बहुत कम सहयोग प्राप्त होगा। इस सप्ताह आपके लिए दो और तीन जून फलदायक है। सात और 8 जून को आपको सावधान होकर कार्यों को करना चाहिए। दो और तीन जून को आपको अपने भाग्य से मदद मिल सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन चावल का दान करें तथा शुक्रवार को मंदिर में जाकर सफेद वस्तुओं का दान करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

धनु राशि

इस सप्ताह आपका और आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। जीवन साथी और माता जी के स्वास्थ्य में थोड़ी समस्या हो सकती है। भाग्य आपका साथ देगा। इस सप्ताह शत्रु आपसे भयभीत रहेंगे। व्यापार ठीक चलेगा। आपके संतान को थोड़ी परेशानी हो सकती है। धन आने का योग है। भाई बहनों के संबंध कम ठीक रहेंगे। इस सप्ताह आपके लिए चार-पांच और 6 जून कार्यों को करने हेतु अनुकूल है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें तथा शनिवारको दक्षिण मुखी हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। माता जी और जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी समस्या हो सकती है। पिताजी का स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा। कार्यालय में आपको अपने सहकर्मियों से सहयोग प्राप्त होगा। भाई बहनों के साथ सामान्य संबंध रहेंगे। आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त होगा। संतान को मानसिक कष्ट हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए सात और 8 जून कार्यों को करने हेतु लाभदायक है। दो और तीन जून को आपको सचेत होकर कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गायत्री मंत्र की तीन माला करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आपके प्रतिष्ठा में वृद्धि संभव है। आपको अपने संतान से कम सहयोग प्राप्त होगा। आप आसानी से अपने शत्रुओं को पराजित कर सकेंगे। इस सप्ताह आप रोग से भी मुक्त हो सकते हैं। भाई बहनों के साथ सामान्य संबंध रहेंगे। थोड़ा बहुत धन आ सकता है। कार्यालय में आपकी स्थिति ठीक रहेगी। इस सप्ताह आपके लिए दो और 3 जून परिणाम मूलक है। चार-पांच और 6 जून को आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह कार्यालय में आपको अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। भाग्य आपका साथ देगा। एक भाई के साथ आपका तनाव हो सकता है। धन आने की मात्रा में थोड़ी कमी संभव है। व्यापार ठीक चलेगा। आपके संतान की उन्नति होगी। आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों की पढ़ाई ठीक चलेगी। इस सप्ताह आपके लिए चार-पांच और 6 जून कार्यों को करने हेतु उपयुक्त हैं। सप्ताह के बाकी दिन आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन दिन गणेश अथर्वशीर्ष पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

ध्यान दें कि यह सामान्य भविष्यवाणी है। अगर आप व्यक्तिगत और सटीक भविष्वाणी जानना चाहते हैं तो आपको मुझसे दूरभाष पर या व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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